उष्णकटिबंधीय चक्रवातों के निर्माण के लिए उत्तरदायी कारक : शीतोष्ण कटिबंधीय चक्रवात और उष्णकटिबंधीय चक्रवात की तुलना
प्रश्न: उष्णकटिबंधीय चक्रवातों के निर्माण के लिए उत्तरदायी कारकों पर चर्चा करते हुए, शीतोष्ण कटिबंधीय चक्रवात की तुलना में उष्णकटिबंधीय चक्रवातों में वाताग्र जनन की अनुपस्थिति के पीछे उत्तरदायी कारणों की व्याख्या कीजिए।
दृष्टिकोण
- परिचय के अंतर्गत, चक्रवात तथा चक्रवातों के प्रकारों से संबंधित शब्दावली का विवरण दीजिए।
- तदुपरांत उन कारकों को लिखिए जो उष्णकटिबंधीय चक्रवातों के निर्माण हेतु उत्तरदायी हैं तथा वे कैसे उष्णकटिबंधीय चक्रवातों के निर्माण के लिए आवश्यक हैं।
- तत्पश्चात, वाताग्र को परिभाषित कीजिए और कैसे उष्णकटिबंधीय – चक्रवातों के आगमन पर इनका निर्माण नहीं हो पाता हैं, क्योंकि इनके निर्माण के लिए आवश्यक परिस्थितियां विद्यमान नहीं होती हैं।
उत्तर
चक्रवात एक बहुत बड़ी वायु राशि है, जो निम्न वायुमंडलीय दाब के एक मजबूत केंद्र के चारों ओर परिसंचरण करती है। चक्रवातों के आने की स्थिति के आधार पर इन्हें उष्णकटिबंधीय (भूमध्य रेखा से 10°-30°N और S) और समशीतोष्ण (भूमध्य रेखा से 35°- 65°N और S) चक्रवात के रूप में वर्गीकृत किया जाता है।
उष्णकटिबंधीय चक्रवातों के निर्माण के लिए उत्तरदायी कारक हैं:
- विस्तृत समुद्री सतह आर्द्र वायु की आपूर्ति करती है जो मेघों के निर्माण में सहायक है।
- उष्णकटिबंधीय चक्रवात के निर्माण हेतु 27 डिग्री सेल्सियस से अधिक तापमान का होना आवश्यक है। उच्च तापमान चक्रवात के लिए आवश्यक ऊष्मा प्रदान करता है।
- उष्णकटिबंधीय चक्रवातों के लिए कोरिओलिस बल की उपस्थिति आवश्यक होती है ताकि वायु एक केंद्र के चारों ओर प्रवाहित होती रहे।
- वायु प्रवाह प्रणाली की निरंतरता बनाए रखने के लिए ऊर्ध्वाधर वायु की गति में कुछ परिवर्तन आवश्यक हैं।
- केंद्र की ओर आर्द्रता युक्त वायु के प्रवाह को आकर्षित करने के लिए पहले से विद्यमान एक कमजोर या निम्न-दाब क्षेत्र अथवा निम्न-स्तरीय-चक्रवात परिसंचरण आवश्यक है।
- समुद्र तल तंत्र पर उपरी अपसरण आवश्यक है ताकि केंद्र में निम्न दाब प्रणाली बनाए रखी जा सके।
दूसरी ओर, वाताग्र जनन ही समशीतोष्ण चक्रवात के निर्माण का आधार है। जब दो विपरीत वायु राशियाँ आपस में मिलती हैं, तो उन दोनों के मध्य विकसित सीमा क्षेत्र को वाताग्र कहा जाता है। एक वाताग्र निर्माण हेतु आदर्श परिस्थितियाँ हैं – तापमान की विषमता और अभिसरित वायु जो इतनी सक्षम हो कि कोरिओलिस बल के साथ-साथ एक वायु राशि को दूसरी वायु राशि की ओर धकेल सके। ऐसी परिस्थितियाँ उप-उष्णकटिबंधीय उच्च, उप-ध्रुवीय निम्न दाब पेटियों में निर्मित होती हैं और उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में अनुपस्थित रहती हैं। इस प्रकार, वाताग्र, शीतोष्ण चक्रवातों की तुलना में उष्णकटिबंधीय चक्रवातों में अनुपस्थित रहते हैं।
Read More
- उष्णकटिबंधीय चक्रवातों के निर्माण, संचलन और क्षय की प्रणाली
- ध्रुवीय भंवर (पोलर वोर्टेक्स) : उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में होने वाले शून्य से भी कम तापमान की परिघटना
- वॉकर परिसंचरण : भारतीय मानसून
- पर्यावरणीय प्रभाव आकलन (EIA) : संधारणीय विकास के लिए इसके महत्व का वर्णन
- अंतः उष्ण कटिबंधीय अभिसरण क्षेत्र (ITCZ) : ITCZ पेटी के वार्षिक परिवर्तन और स्थानांतरण एवं भारत के लिए इसके महत्व