1. भारतीय संविधान के अनुसार राज्यों की विधायिका में सम्मिलित है
(i) विधान परिषद एवं राज्यपाल
(ii) विधानसभा एवं विधान परिषद
(iii) विधानसभा एवं राज्यपाल
(iv) राज्यपाल, विधानसभा एवं विधान परिषद जहां इसका अस्तित्व है
अपना उत्तर निम्नलिखित कूटों से चुनें-
(a) केवल (iii)
(b) (ii) एवं (iii) दोनों ही
(c) (iii) एवं (iv) दोनों ही
(d) केवल (iv)
[41st B.P.S.C. (Pre) 1996]
उत्तर-(c) (iii) एवं (iv) दोनों ही
- अनुच्छेद 168 के अनुसार, राज्यों की विधायिका में शामिल हैं-
- (1) राज्यपाल,
- (2) विधानसभा, तथा
- (3) विधान परिषद, जहां इसका अस्तित्व है।
- इस प्रकार जिन राज्यों में विधान परिषद नहीं है उनके संदर्भ में (iii)
- सही है, जबकि जिन राज्यों में विधान परिषद है उनके संदर्भ में (iv) सही है।
- अतः अभीष्ट उत्तर विकल्प (c) होगा।
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2. भारत में राज्य विधानपालिकाओं (State Legislatives) का उच्च सदन कौन-सा है?
(a) विधानपालिका परिषद
(b) विधानपालिका समिति
(c) राज्यपाल का कार्यालय
(d) इनमें से कोई नहीं
[44th B.P.S.C. (Pre) 2000]
उत्तर- (a) विधानपालिका परिषद
- संविधान के अनुच्छेद 168(2) के अनुसार, जहां किसी राज्य के विधानमंडल के दो सदन हैं, वहां एक का नाम विधान परिषद और दूसरे का नाम विधानसभा होता है।
- इनमें विधान (या विधानपालिका) परिषद उच्च सदन तथा विधानसभा निचला सदन होता है।
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3. राज्य विधान परिषद का प्रावधान भारतीय संविधान के किस अनुच्छेद में रखा गया है?
(a) अनुच्छेद 170
(b) अनुच्छेद 171
(c) अनुच्छेद 172
(d) अनुच्छेद 173
[M.P.P.C.S. (Pre) 2014]
उत्तर-(b) अनुच्छेद 171
- राज्य विधान परिषद का प्रावधान (विधान परिषदों की संरचना) भारतीय संविधान के अनुच्छेद 171 में है।
- अनुच्छेद 171(1) के अनुसार, राज्य की विधान परिषद के सदस्यों की कुल संख्या उस राज्य की विधानसभा के सदस्यों की कुल संख्या के एक-तिहाई से अधिक नहीं होगी, परंतु किसी राज्य की विधान परिषद के सदस्यों की संख्या किसी भी दशा में 40 से कम नहीं होगी।
- वर्तमान में केवल छः राज्यों-कर्नाटक, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, बिहार, आंध्र प्रदेश तथा तेलंगाना में ही विधान परिषद है।
- अनुच्छेद 170 में विधानसभाओं की संरचना, अनुच्छेद 172 में राज्यों के विधानमंडलों की अवधि तथा अनुच्छेद 173 में राज्य के विधानमंडल की सदस्यता के लिए अर्हता वर्णित है।
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4. राज्य में दूसरे सदन की स्थापना या उसे रद्द करने से संबंधित कौन-सी सही विधि है?
(a) लोक सभा द्वारा साधारण बहुमत से पारित प्रस्ताव
(b) संबंधित राज्य की विधानसभा द्वारा साधारण बहुमत से पारित प्रस्ताव
(c) संबंधित राज्य की विधानसभा द्वारा पूर्ण बहुमत से पारित प्रस्ताव और संसद से पारित विधि द्वारा
(d) लोक सभा द्वारा पूर्ण बहुमत से पारित प्रस्ताव
[Jharkhand P.C.S. (Pre) 2003]
उत्तर-(c) संबंधित राज्य की विधानसभा द्वारा पूर्ण बहुमत से पारित प्रस्ताव और संसद से पारित विधि द्वारा
- संविधान के अनुच्छेद 169(1) के अनुसार, राज्य में दूसरे सदन अर्थात विधान परिषद की स्थापना या विघटन संसद विधि द्वारा तब कर सकती है, जब संबंधित राज्य की विधानसभा इस आशय का संकल्प सदन की कुल सदस्य संख्या के बहुमत तथा उपस्थित एवं मत देने वाले सदस्यों के 2/3 बहुमत से पारित कर दे।
- तत्संबंधी विधि को संसद साधारण विधेयक की भांति सामान्य बहुमत से पारित कर सकती है तथा अनुच्छेद 169(3) के तहत ऐसी विधि अनुच्छेद 368 के प्रयोजनों के लिए इस संविधान का संशोधन नहीं समझी जाएगी।
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5. भारतीय संविधान के निम्नलिखित में से किस अनुच्छेद के अंतर्गत विधानसभा को विधान परिषद का सृजन करने का प्रस्ताव पास करने की इजाजत मिलती है?
(a) 168
(b) 169
(c) 170
(d) 171
[U.P.P.C.S. (Pre) 2011]
उत्तर-(b) 169
- संविधान के अनुच्छेद 169(1) के अनुसार, राज्य में दूसरे सदन अर्थात विधान परिषद की स्थापना या विघटन संसद विधि द्वारा तब कर सकती है, जब संबंधित राज्य की विधानसभा इस आशय का संकल्प सदन की कुल सदस्य संख्या के बहुमत तथा उपस्थित एवं मत देने वाले सदस्यों के 2/3 बहुमत से पारित कर दे।
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6. राज्य विधान परिषद के उत्सादन के लिए राज्य विधानसभा द्वारा संविधान के अनुच्छेद 169 के अंतर्गत स्वीकृत संकल्प के बारे में निम्नांकित में से कौन-सा कथन सही है?
(a) राज्यपाल पर बाध्यता अधिरोपित करता है कि वह संकल्प को राष्ट्रपति के विचार हेतु आरक्षित करें।
(b) केंद्र सरकार पर कोई बाध्यता अधिरोपित नहीं करता है कि वह संसद में विधि निर्माण हेतु कार्यवाही करें।
(c) राज्यपाल पर कोई बाध्यता अधिरोपित नहीं करता है कि वह संकल्प को राष्ट्रपति के विचार हेतु आरक्षित करें।
(d) केंद्र सरकार पर बाध्यता अधिरोपित करता है कि वह संसद में विधि निर्माण हेतु कार्यवाही करें।
[R.A.S./R.T.S. (Pre) 2021]
उत्तर-(b) केंद्र सरकार पर कोई बाध्यता अधिरोपित नहीं करता है कि वह संसद में विधि निर्माण हेतु कार्यवाही करें।
- राज्य विधान परिषद के उत्सादन (समापन) के लिए राज्य विधानसभा द्वारा संविधान के अनुच्छेद 169 के अंतर्गत स्वीकृत संकल्प केंद्र सरकार पर कोई बाध्यता अधिरोपित नहीं करता है कि वह संसद में तत्संबंधी विधि निर्माण हेतु कार्यवाही करे।
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7. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए-
1. भारत में किसी राज्य की विधान परिषद आकार में उस राज्य की विधानसभा के आधे से अधिक बड़ी हो सकती है।
2. किसी राज्य का राज्यपाल उस राज्य की विधान परिषद के सभापति को नाम निर्देशित करता है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो । और न ही 2
[I.A.S. (Pre) 2015]
उत्तर-(d) न तो । और न ही 2
- अनुच्छेद 171(1) के अनुसार, विधान परिषद की सदस्य संख्या उस राज्य की विधानसभा के सदस्यों की कुल संख्या के एक-तिहाई से अधिक नहीं होगी लेकिन किसी भी दशा में 40 से कम नहीं होगी।
- अनुच्छेद 182 के अनुसार, विधान परिषद के सभापति तथा उपसभापति का निर्वाचन विधान परिषद द्वारा किया जाता है।
- अतः प्रश्नगत दोनों कथन गलत है।
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8. उत्तर प्रदेश की विधान परिषद में राज्यपाल द्वारा कितने सदस्यों को मनोनीत किया जाता है?
(a) कुल सदस्यों का 1/10
(b) कुल सदस्यों का 1/8
(c) कुल सदस्यों का 1/7
(d) कुल सदस्यों का 1/6
[Chhattisgarh P.C.S. (Pre) 2011]
उत्तर-(a) कुल सदस्यों का 1/10
- संविधान के अनुच्छेद 171(3) के तहत (जब तक संसद विधि द्वारा अन्यथा उपबंध न करे) विधान परिषद में कुल सदस्य संख्या के यथाशक्य निकटतम 5/6 सदस्यों का निर्वाचन होने तथा शेष सदस्यों को राज्यपाल द्वारा साहित्य, विज्ञान, कला, सहकारी आंदोलन और सामाजिक सेवा के क्षेत्र में व्यावहारिक अनुभव रखने वाले व्यक्तियों में से मनोनीत किए जाने का प्रावधान है।
- तथापि राज्यों में विधान परिषदों की वर्तमान संरचना अनुच्छेद 171 (2) के तहत संसद द्वारा बनाई गई विधि अर्थात ‘लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950’ (समय-समय पर यथासंशोधित) की धारा 10 और अनुसूची 3 के प्रावधानों के अनुरूप है।
- इसी के तहत अविभाजित उत्तर प्रदेश की विधान परिषद के कुल 108 सदस्यों में से 12 सदस्य (1/9 भाग) राज्यपाल द्वारा मनोनीत किए जाते थे।
- विभाजन के बाद उत्तर प्रदेश पुनर्गठन अधिनियम, 2000 (2004 में यथासंशोधित) के द्वारा लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 की अनुसूची 3 में हुए संशोधन के तहत वर्तमान में उत्तर प्रदेश की विधान परिषद के कुल 100 सदस्यों में से 10 सदस्यों (1/10 भाग) को ही राज्यपाल द्वारा मनोनीत किया जाता है।
- उत्तर प्रदेश विधान परिषद (कुल सदस्य संख्या-100) के गठन का वर्तमान स्वरूप इस प्रकार है-
क्षेत्र सदस्य संख्या
विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र 38
स्थानीय निकाय निर्वाचन क्षेत्र 36
शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र 08
स्नातक निर्वाचन क्षेत्र 08
मनोनीत 10
कुल 100
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9. विधान परिषद में मनोनीत सदस्यों की संख्या है-
(a) कुल सदस्य संख्या की 1/3
(b) कुल सदस्य संख्या की 1/4
(c) कुल सदस्य संख्या की 1/6
(d) उपरोक्त में से कोई नहीं
[U.P.P.C.S. (Mains) 2017]
उत्तर-(d) उपरोक्त में से कोई नहीं
- संविधान के अनुच्छेद 171(3) में विधान परिषद के निकटतम 5/6 (1/3+1/12+1/12 + 1/3 = 5/6) सदस्यों का निर्वाचन होने तथा शेष सदस्यों को राज्यपाल द्वारा मनोनीत किए जाने का प्रावधान है, तथापि राज्यों में विधान परिषदों की वर्तमान संरचना अनुच्छेद 171(2) के तहत संसद द्वारा बनाई गई विधि अर्थात ‘लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950’ (समय-समय पर यथासंशोधित) की धारा 10 और अनुसूची 3 के प्रावधानों के अनुरूप है।
- इसके तहत आंध्र प्रदेश की विधान परिषद के कुल 50 सदस्यों में से 6 सदस्य (लगभग 1/8 भाग), बिहार की विधान परिषद के कुल 75 सदस्यों में से 12 सदस्य (लगभग 1/6 भाग), महाराष्ट्र की विधान परिषद के कुल 78 सदस्यों में से 12 सदस्य (1/6.5 भाग), कर्नाटक की विधान परिषद के कुल 75 सदस्यों में से 11 सदस्य (लगभग 1/7 भाग), तेलंगाना की विधान परिषद के कुल 40 सदस्यों में से 7 सदस्य (लगभग 1/6 भाग) तथा उत्तर प्रदेश की विधान परिषद के कुल 100 सदस्यों में से 10 सदस्य (1/10 भाग) राज्यपाल द्वारा मनोनीत किए जाते हैं।
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10. राज्य विधान परिषद के विषय में सही क्या है?
(i) इसका कार्यकाल 6 वर्ष है
(ii) यह एक स्थायी सदन है
(iii) यह भंग नहीं
(iv) 1/6 सदस्य स्थानीय संस्थाओं द्वारा निर्वाचित होते हैं
(v) 1/6 सदस्य विधानसभा द्वारा निर्वाचित होते हैं
(vi) प्रति दूसरे वर्ष इसके 1/3 सदस्य सेवानिवृत्त हो जाते हैं
(vii) उप राज्यपाल सदन का सभापति होता है
(viii) इसके सदस्यों का कार्यकाल 6 वर्ष होता है
कूट :
(a) i, iii, iv, v
(b) iii, vi, vii, viii
(c) ii, iii, vi, viii
(d) ii, v, vi, viii
(e) i, iii, v, vii
[Chhattisgarh P.C.S. (Pre) 2014]
उत्तर-(c) ii, iii, vi, viii
- राज्य सभा की तरह विधान परिषद एक स्थायी सदन है, इसे भंग नहीं किया जा सकता है। विधान परिषद के लगभग एक-तिहाई सदस्य प्रत्येक दूसरे वर्ष सेवानिवृत्त होते रहते हैं।
- विधान परिषद के सदस्यों का कार्यकाल 6 वर्ष का होता है।
- विधान परिषद में अधिकतम सदस्य संख्या विधानसभा की एक-तिहाई और न्यूनतम 40 हो सकती है।
- संविधान के अनुच्छेद 169 के तहत किसी राज्य विधान सभा की कुल सदस्य संख्या के बहुमत तथा उपस्थित एवं मत देने वाले सदस्यों की संख्या के कम-से-कम दो-तिहाई बहुमत द्वारा पारित प्रस्ताव पर संसद विधि द्वारा संबंधित राज्य में विधान परिषद के सृजन या समाप्ति का उपबंध कर सकती है।
- अनुच्छेद 171 (3) के प्रावधानों के तहत विधान परिषद की संरचना इस प्रकार (जब तक संसद विधि द्वारा अन्यथा उपबंध न करे) निर्धारित की गई है
- (i) यथाशक्य निकटतम एक-तिहाई सदस्य स्थानीय निकायों द्वारा चुने जाएंगे।
- (ii) यथाशक्य निकटतम 1/12 सदस्य न्यूनतम 3 वर्ष से स्नातकों द्वारा निर्वाचित किए जाएंगे।
- (iii) यथाशक्य निकटतम 1/12 सदस्यों को न्यूनतम 3 वर्ष से अध्यापन कर रहे लोग चुनेंगे, जो माध्यमिक स्तर से निम्न स्तर के नहीं होने चाहिए। (iv) यथाशक्य निकटतम 1/3 सदस्य विधानसभा के सदस्यों द्वारा चुने जाएंगे।
- (v) शेष सदस्यों का नामांकन राज्यपाल द्वारा किया जाएगा जो कला, साहित्य, विज्ञान, सहकारी आंदोलन और समाज सेवा से जुड़े हों।
- उल्लेखनीय है कि वर्तमान में विभिन्न राज्यों की विधान परिषदों की संरचना अनुच्छेद 171 (2) के तहत संसद द्वारा बनाई गई विधि अर्थात ‘लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950’ (समय-समय पर यथासंशोधित) की धारा 10 और अनुसूची 3 के प्रावधानों के अनुरूप है।
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11. निम्नलिखित में किसे भंग नहीं किया जा सकता पर समाप्त किया जा सकता है?
(a) लोक सभा
(b) राज्य सभा
(c) विधानसभा
(d) विधान परिषद
[U.P.P.C.S. (Mains) 2007, U.P.P.C.S. (Pre) 2018]
उत्तर-(d) विधान परिषद
- भारतीय संविधान के अनुच्छेद 169 के अनुसार, संसद विधि द्वारा किसी राज्य में विधान परिषद के उत्सादन या सृजन के लिए उपबंध कर सकेगी, यदि उस राज्य की विधानसभा ने इस आशय का संकल्प विधानसभा की कुल सदस्य संख्या के बहुमत द्वारा तथा उपस्थित और मत देने वाले सदस्यों की संख्या के कम से कम दो-तिहाई बहुमत द्वारा पारित कर दिया है।
- विधान परिषद एक स्थायी सदन है। यह मंग नहीं की जा सकती।
- इसके सदस्यों का कार्यकाल 6 वर्ष होता है तथा प्रत्येक 2 वर्ष पर इसके लगभग एक-तिहाई सदस्य सेवानिवृत्त हो जाते हैं।
- अतः स्पष्ट है कि विधान परिषद को भंग नहीं किया जा सकता, लेकिन इसका समापन या उत्सादन किया जा सकता है।
- इसके अतिरिक्त लोक सभा तथा विधानसभा दोनों अस्थायी सदन हैं, ये भंग किए जा सकते हैं।
- वहीं राज्य सभा एक स्थायी सदन है, इसे मी विधान परिषद की भांति भंग नहीं किया जा सकता है, लेकिन इसको समाप्त किए जाने का प्रावधान नहीं है।
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12. भारत के निम्नलिखित राज्यों में से किसमें अब तक विधान परिषद नहीं है, यद्यपि संविधान (सप्तम संशोधन) अधिनियम, 1956 में उसके लिए उपबंध है?
(a) महाराष्ट्र
(b) बिहार
(c) कर्नाटक
(d) मध्य प्रदेश
[I.A.S. (Pre) 1995]
उत्तर-(d) मध्य प्रदेश
- सातवें संविधान संशोधन 1956 के द्वारा मध्य प्रदेश के लिए भी विधान परिषद की व्यवस्था की गई थी, किंतु इसके लिए कोई तारीख नियत न किए जाने के कारण इसे अस्तित्व में नहीं लाया जा सका है।
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13. निम्नलिखित में से किस राज्य में विधायिका का दूसरा सदन नहीं है?
(a) तमिलनाडु
(b) उत्तर प्रदेश
(c) कर्नाटक
(d) बिहार
(e) महाराष्ट्र
[Chhattisgarh P.C.S. (Pre) 2013]
उत्तर- (a) तमिलनाडु
- संविधान के अनुच्छेद 168(1) (क) के तहत वर्तमान में देश के छः राज्यों- आंध्र प्रदेश, बिहार, महाराष्ट्र, कर्नाटक, तेलंगाना और उ.प्र. में द्विसदनात्मक विधायिका (विधानसभा और विधान परिषद) अस्तित्व में हैं।
- उल्लेखनीय है कि तमिलनाडु विधान परिषद अधिनियम, 2010 के तहत संसद द्वारा तमिलनाडु में भी विधान परिषद की व्यवस्था की गई है, परंतु इसके प्रभावी होने की तिथि को अधिसूचित नहीं किया गया है।
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14. निम्न में से किस राज्य में विधान परिषद नहीं है?
(a) बिहार में
(b) महाराष्ट्र में
(c) राजस्थान में
(d) कर्नाटक में
[U.P. Lower Sub. (Mains) 2013]
उत्तर-(c) राजस्थान में
- संविधान के अनुच्छेद 168(1) (क) के तहत वर्तमान में देश के छः राज्यों- आंध्र प्रदेश, बिहार, महाराष्ट्र, कर्नाटक और तेलंगाना में विधान परिषद अस्तित्व में हैं।
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15. वर्ष 1956 में कितने पुनर्गठित राज्यों में द्विसदनीय विधायिकाएं थीं?
(a) 7
(b) 10
(c) 15
(d) 18
[U.P.P.C.S. (Spl) (Mains) 2004]
उत्तर- (a) 7
- वर्ष 1956 में पुनर्गठन के बाद बने कुल 14 राज्यों में से 7 में द्विसदनीय विधायिकाएं थीं- 1. उत्तर प्रदेश, 2. बिहार, 3. बॉम्बे (महाराष्ट्र), 4. मद्रास (तमिलनाडु), 5. मैसूर (कर्नाटक), 6. पंजाब और 7. पश्चिम बंगाल।
- इनमें से पश्चिम बंगाल में 1969 में, पंजाब में 1970 में तथा तमिलनाडु में 1986 में विधान परिषद का उत्सादन (Abolition) कर दिया गया था।
- जम्मू और कश्मीर में विधान परिषद की स्थापना जम्मू और कश्मीर के 1957 में अपनाए गए संविधान के तहत की गई थी।
- आंध्र प्रदेश में पहली बार विधान परिषद 1958 में स्थापित हुई थी, जिसे 1985 में उत्सादित किए जाने के बाद यहां 2007 में पुनः विधान परिषद का गठन किया गया।
- राज्य पुनर्गठन अधिनियम, 1956 तथा संविधान (7वां संशोधन) अधिनियम, 1956 के तहत मध्य प्रदेश में भी विधान परिषद की स्थापना का प्रावधान किया गया था, परंतु इस हेतु तारीख नियत न की जाने के कारण यहां विधान परिषद की स्थापना नहीं की जा सकी है।
- वर्तमान में आंध्र प्रदेश और तेलंगाना सहित कुल छः राज्यों में द्विसदनीय विधायिकाएं हैं।
- ध्यातव्य है कि जम्मू एवं कश्मीर राज्य के दो संघ राज्यक्षेत्रों में विभाजन के साथ यहां विधान परिषद समाप्त कर दी गई है।
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16. भारतीय संविधान के अनुच्छेद 170 के अनुसार, किसी राज्य की विधानसमा के सदस्यों की न्यूनतम तथा अधिकतम संख्या क्रमशः हो सकती है-
(a) 40 तथा 400
(b) 50 तथा 450
(c) 50 तथा 500
(d) 60 तथा 500
[U.P. R.O./A.R.O. (Pre) 2017]
उत्तर-(d) 60 तथा 500
- संविधान के अनुच्छेद 170 के अनुसार, प्रत्येक राज्य की विधानसभा उस राज्य में प्रादेशिक निर्वाचन क्षेत्रों से प्रत्यक्ष निर्वाचन द्वारा चुने हुए 500 से अनधिक और 60 से अन्यून सदस्यों से मिलकर बनेगी।
- अपवादस्वरूप (संसदीय विधियों के तहत) वर्तमान में सिक्किम विधान सभा में 32, गोवा विधानसभा में 40, मिजोरम विधानसभा में 40 तथा पुडुचेरी संघ राज्यक्षेत्र की विधान सभा में कुल 33 (30 निर्वाचित + 3 केंद्र सरकार द्वारा नामित) सदस्य ही हैं।
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17. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:
1. भारत के संविधान में उपबंध है कि प्रत्येक राज्य की विधानसभा 450 से अनधिक सदस्यों से मिलकर बनेगी, जो राज्य में प्रादेशिक निर्वाचन क्षेत्रों से प्रत्यक्ष निर्वाचन द्वारा चुने जाएंगे।
2. कोई व्यक्ति किसी राज्य की विधानसभा के किसी स्थान को भरने के लिए चुने जाने के लिए अर्हित नहीं होगा, यदि उसकी आयु पच्चीस वर्ष से कम हो।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो । और न ही 2
[I.A.S. (Pre) 2008]
उत्तर-(b) केवल 2
- संविधान के अनुच्छेद 170 (1) के प्रावधान के अनुसार, प्रत्येक राज्य की विधानसभा उस राज्य में प्रादेशिक निर्वाचन क्षेत्रों से प्रत्यक्ष निर्वाचन द्वारा चुने गए 500 से अनधिक और 60 से अन्यून सदस्यों से मिलकर बनेगी।
- स्पष्ट है कि कथन 1 गलत है।
- अनुच्छेद 173 (ख) के तहत, राज्य विधानसभा के किसी स्थान को भरने के लिए चुने जाने हेतु न्यूनतम आयु 25 वर्ष से कम नहीं होनी चाहिए।
- अतः कथन 2 सही है।
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18. भारत के किसी राज्य की विधानसभा में अधिकतम कितने सदस्य हो सकते हैं?
(a) 400
(b) 450
(c) 500
(d) 550
[U.P.P.C.S. (Mains) 2014]
उत्तर-(c) 500
- संविधान के अनुच्छेद 170 (1) के प्रावधान के अनुसार, प्रत्येक राज्य की विधानसभा उस राज्य में प्रादेशिक निर्वाचन क्षेत्रों से प्रत्यक्ष निर्वाचन द्वारा चुने गए 500 से अनधिक और 60 से अन्यून सदस्यों से मिलकर बनेगी।
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19. भारतीय संविधान के निम्नांकित अनुच्छेदों में कौन राज्य की विधानसभाओं के निर्वाचन का प्रावधान प्रस्तुत करता है?
(a) अनुच्छेद 170
(b) अनुच्छेद 176
(c) अनुच्छेद 178
(d) उपरोक्त में कोई नहीं
[40th B.P.S.C. (Pre) 1995]
उत्तर-(a) अनुच्छेद 170
- संविधान के अनुच्छेद 170 (1) के प्रावधान के अनुसार, प्रत्येक राज्य की विधानसभा उस राज्य में प्रादेशिक निर्वाचन क्षेत्रों से प्रत्यक्ष निर्वाचन द्वारा चुने गए 500 से अनधिक और 60 से अन्यून सदस्यों से मिलकर बनेगी।
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20. विधानसभा के सदस्य के लिए न्यूनतम आयु क्या विहित की गई है?
(a) 18 वर्ष
(b) 25 वर्ष
(c) 21 वर्ष
(d) कोई आयु सीमा नहीं
[M.P.P.C.S. (Pre) 1997]
उत्तर-(b) 25 वर्ष
- अनुच्छेद 173 (ख) के तहत, राज्य विधानसभा के किसी स्थान को भरने के लिए चुने जाने हेतु न्यूनतम आयु 25 वर्ष से कम नहीं होनी चाहिए।
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21. राज्य विधान सभाओं में आंग्ल-भारतीय समुदाय के लिए प्रतिनिधित्व का प्रावधान भारत के संविधान के किस अनुच्छेद द्वारा किया गया है?
(a) अनुच्छेद 330
(b) अनुच्छेद 331
(c) अनुच्छेद 332
(d) अनुच्छेद 333
[Chhattisgarh P.C.S. (Pre) 2014]
उत्तर-(d) अनुच्छेद 333
- प्रश्नकाल में भारतीय संविधान के अनुच्छेद 333 के अनुसार, यदि किसी राज्य के राज्यपाल की यह राय है कि उस राज्य की विधानसभा में आंग्ल-भारतीय समुदाय का प्रतिनिधित्व आवश्यक हैं और उसमें उसका प्रतिनिधित्व पर्याप्त नहीं है, तो वह उस विधानसभा में उस समुदाय का एक सदस्य नाम निर्देशित कर सकता था।
- यह प्रावधान मूल संविधान में अनुच्छेद 334 के तहत केवल 10 वर्षों की अवधि के लिए था, जिसे क्रमिक रूप से संविधान संशोधनों द्वारा आगे बढ़ाया जाता रहा था।
- 95वें संविधान संशोधन अधिनियम, 2009 द्वारा यह अवधि संविधान के प्रारंभ से 70 वर्ष तक निर्धारित की गई थी।
- 104वें संविधान संशोधन अधिनियम, 2019 द्वारा इसकी अवधि को आगे न बढ़ाते हुए इसे निष्प्रभावी कर दिया गया।
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22. किस राज्य विधानसभा की सर्वाधिक सदस्य संख्या है?
(a) आंध्र प्रदेश
(b) पश्चिम बंगाल
(c) महाराष्ट्र
(d) उत्तर प्रदेश
[U.P. U.D.A./L.D.A. (Pre) 2006]
उत्तर-(d) उत्तर प्रदेश
- भारत के सभी राज्यों में विधानसभा के सदस्यों की सर्वाधिक निर्धारित संख्या उत्तर प्रदेश में (403) है।
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23. निम्नलिखित भारतीय राज्यों में से किसकी राज्य विधानसभा में सदस्यों की संख्या अधिक है?
(a) अरुणाचल प्रदेश
(b) हिमाचल प्रदेश
(c) मणिपुर
(d) मेघालय
(e) उपर्युक्त में से कोई नहीं। उपर्युक्त में से एक से अधिक
[65th B.P.S.C. (Pre) 2019]
उत्तर-(b) हिमाचल प्रदेश
- प्रश्नानुसार दिए गए विकल्पों में से अरुणाचल प्रदेश (60), मेघालय (60) एवं मणिपुर (60) की विधानसभा में सदस्यों की संख्या एकसमान है, जबकि हिमाचल प्रदेश की विधानसभा के सदस्यों की संख्या (68) इनमें से सर्वाधिक है।
- अतः अभीष्ट उत्तर विकल्प (b) होगा।
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24. राज्य विधानसभा के निर्वाचन का संचालन करता है-
(a) उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश
(b) राज्य निर्वाचन आयोग
(c) भारत का निर्वाचन आयोग
(d) राज्य के राज्यपाल
[U.P.P.C.S. (Mains) 2008]
उत्तर-(c) भारत का निर्वाचन आयोग
- अनु. 324 के तहत ही राज्य विधानसभाओं के निर्वाचन को संचालित करने की शक्ति भी भारत के निर्वाचन आयोग को ही सौपी गई है।
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25. निम्नलिखित में से कौन एक राज्य के विधानमंडल के किसी सदस्य के निरर्हता से संबंधित किसी प्रश्न का विनिश्चय करने हेतु अंतिम सत्ता है?
(a) राज्यपाल
(b) विधानसभा का अध्यक्ष
(c) मुख्यमंत्री
(d) उच्च न्यायालय
[U.P.P.C.S. (Mains) 2016]
उत्तर- (a) राज्यपाल
- अनुच्छेद 192 के अनुसार, किसी राज्य के विधानमंडल के किसी सदस्य के निरर्हता से संबंधित किसी प्रश्न का विनिश्चय करने हेतु अंतिम सत्ता राज्यपाल है।
- हालांकि इस मामले में वह निर्वाचन आयोग की राय के अनुसार कार्य करता है।
- किंतु यदि दसवीं अनुसूची (दल-बदल के आधार पर) के तहत किसी सदस्य की निरर्हता का प्रश्न उठे तो विधान परिषद के मामले में सभापति एवं विधानसभा के मामले में अध्यक्ष फैसला करेगा।
- वर्ष 1992 में उच्चतम न्यायालय ने व्यवस्था दी है कि इस संदर्भ में सभापति/अध्यक्ष का फैसला न्यायिक समीक्षा की परिधि में आता है।
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26. यदि किसी राज्य की विधानसभा का अध्यक्ष (स्पीकर) पद त्यागना चाहे तो उसे अपना त्याग-पत्र देना चाहिए-
(a) मुख्यमंत्री को
(b) राज्यपाल को
(c) उपाध्यक्ष को
(d) भारत के राष्ट्रपति को
[40th B.P.S.C. (Pre) 1995]
उत्तर-(c) उपाध्यक्ष को
- संविधान के अनुच्छेद 179 (ख) के अनुसार, विधानसभा अध्यक्ष अपना पद विधानसभा उपाध्यक्ष को संबोधित अपने हस्ताक्षर सहित लेख द्वारा त्याग सकेगा तथा उपाध्यक्ष अपना पद अध्यक्ष को संबोधित अपने हस्ताक्षर सहित लेख द्वारा त्याग सकेगा।
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27. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए-
1. विधानसभा का/की अध्यक्ष, यदि विधानसभा का की सदस्य नहीं रहता है/रहती है, तो अपना पद रिक्त कर देगा/देगी।
2. जब कमी विधानसभा का विघटन किया जाता है, तो अध्यक्ष अपने पद को तुरंत रिक्त कर देगा/देगी।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1, न ही 2
[I.A.S. (Pre) 2018]
उत्तर-(a) केवल 1
- दिए गए कथनों में कथन (1) सही है, जबकि कथन (2) सही नहीं है।
- संविधान के अनुच्छेद 179 के खंड (क) के अनुसार, विधानसभा का अध्यक्ष या उपाध्यक्ष के रूप में पद धारण करने वाला सदस्य यदि विधानसभा का सदस्य नहीं रहता है, तो अपना पद रिक्त कर देगा।
- कथन (2) सही नहीं है, क्योंकि अनुच्छेद 179 के दूसरे परंतुक के अनुसार जब कभी भी विधानसभा का विघटन किया जाता है, तो विघटन के पश्चात होने वाले पुनः निर्वाचित विधानसभा के प्रथम अधिवेशन के ठीक पहले तक अध्यक्ष अपने पद को रिक्त नहीं करेगा।
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28. विधानसभा के विघटन के बाद भी उसका अध्यक्ष (स्पीकर) पद पर बना रहता है-
(a) विधानसभा के विघटन के बाद गठित विधानसभा की पहली बैठक के ठीक पूर्व तक
(b) नए अध्यक्ष के चुने जाने तक
(c) जब तक वह चाहता है
(d) इनमें से कोई नहीं
[U.P.P.C.S. (Spl.) (Mains) 2004]
उत्तर- (a) विधानसभा के विघटन के बाद गठित विधानसभा की पहली बैठक के ठीक पूर्व तक
- अनुच्छेद 179 के दूसरे परंतुक के अनुसार जब कभी भी विधानसभा का विघटन किया जाता है, तो विघटन के पश्चात होने वाले पुनः निर्वाचित विधानसभा के प्रथम अधिवेशन के ठीक पहले तक अध्यक्ष अपने पद को रिक्त नहीं करेगा।
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29. राज्य की विधानसभा के सत्रावसान का आदेश किसके द्वारा दिया जाता है?
(a) राज्यपाल
(b) विधानसभा अध्यक्ष
(c) मुख्यमंत्री
(d) विधि मंत्री
[M.P.P.C.S. (Pre) 2002]
उत्तर- (a) राज्यपाल
- संविधान के अनुच्छेद 174 (2) (क) के तहत राज्य की विधानसभा के सत्रावसान का आदेश राज्यपाल द्वारा समय-समय पर दिया जाता है।
- राज्यपाल, अनुच्छेद 174(2) (ख) के अनुसार समय-समय पर विधानसभा का विघटन कर सकेगा।
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30. भारत के किसी राज्य की विधानसभा के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए-
1. वर्ष के प्रथम सत्र के प्रारंभ में राज्यपाल सदन के सदस्यों के लिए रूढ़िगत संबोधन करता है।
2. जब किसी विशिष्ट विषय पर राज्य विधानमंडल के पास कोई नियम नहीं होता, तो उस विषय पर वह लोक सभा के नियम का पालन करता है।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सही है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1, न ही 2
[I.A.S. (Pre) 2019]
उत्तर-(c) 1 और 2 दोनों
- अनुच्छेद 176 (1) के अनुसार राज्यपाल, विधानसभा के लिए प्रत्येक साधारण निर्वाचन के पश्चात प्रथम सत्र के आरंभ में और प्रत्येक वर्ष के प्रथम सत्र के आरंभ में, विधानसभा में या विधान परिषद वाले राज्य की दशा में एक साथ समवेत दोनों सदनों में अभिभाषण (रुदिगत संबोधन) करेगा।
- इस प्रकार कथन (1) सही है। अनुच्छेद 208 (1) के अनुसार, संविधान के उपबंधों के अधीन रहते हुए राज्य के विधानमंडल का कोई सदन (विधानसभा या विधान परिषद) अपनी प्रक्रिया और अपने कार्य संचालन के विनियमन के लिए नियम बना सकेगा।
- साथ ही अनुच्छेद 208 (2) के अनुसार, जब तक खंड (1) के अधीन नियम नहीं बनाए जाते हैं, तब तक इस संविधान के प्रारंभ से ठीक पहले तत्स्थानी प्रांत के विधानमंडल के संबंध में जो प्रक्रिया के नियम और स्थायी आदेश प्रवृत्त थे, उस राज्य के विधानमंडल के संबंध में प्रभावी होंगे।
- इसके अतिरिक्त अनुच्छेद 209 के तहत राज्य का विधानमंडल वित्तीय कार्य को समय से पूरा करने के उद्देश्य से किसी वित्तीय विषय से संबंधित सदन / सदनों की प्रक्रिया और कार्य संचालन का विनियमन विधि द्वारा कर सकता है।
- साथ ही, जब किसी विशिष्ट विषय पर राज्य विधानमंडल के पास कोई नियम नहीं होता, तो उस विषय पर वह लोक सभा के नियम का पालन करता है।
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31. मध्य प्रदेश विधानसभा की कार्यवाही का सही क्रम चुनें।
1. निधन संबंधी उल्लेख
2. राज्यपाल का अभिभाषण
3. शपथ या प्रतिज्ञान
4. मंत्रियों का परिचय
सही उत्तर का चयन कीजिए:
(a) 1, 2, 3, 4
(b) 3, 2, 4, 1
(c) 2, 3, 1, 4
(d) 1, 4, 3, 2
[M.P.P.C.S. (Pre) 2020]
उत्तर-(b) 3, 2, 4, 1
- विधान सभा की कार्यवाही में प्रथम सत्र में पहले शपथ या प्रतिज्ञान फिर राज्यपाल का अभिभाषण और फिर मंत्रियों का परिचय होता है तथा उसके पश्चात पूर्व/ वर्तमान सदस्यों के निधन संबंधी उल्लेख के साथ उन्हें श्रद्धांजलि दी जाती है।
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32. राज्य विधानमंडल की बैठक आयोजित करने के लिए ‘कोरम’ (गणपूर्ति) क्या है?
(a) तीस सदस्य या कुल सदस्यता का दसवां हिस्सा, जो भी कम हो
(b) सदन की कुल सदस्यता का आधा
(c) सदन की कुल सदस्यता का एक-चौथाई
(d) दस सदस्य या कुल सदस्यता का दसवां हिस्सा, जो भी अधिक हो
[U.P. R.O./A.R.O. (Pre) 2021]
उत्तर-(d) दस सदस्य या कुल सदस्यता का दसवां हिस्सा, जो भी अधिक हो
- संविधान के अनुच्छेद 189(3) के अनुसार, जब तक राज्य का विधानमंडल विधि द्वारा अन्यथा उपबंध न करे तब तक राज्य के विधानमंडल के किसी सदन का अधिवेशन गठित करने के लिए ‘कोरम’ (गणपूर्ति) दस सदस्य या सदन के सदस्यों की कुल संख्या का दसवां भाग, इसमें से जो भी अधिक हो, होगी।
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33. ‘राजस्थान विधानसभा के प्रक्रिया तथा कार्य संचालन संबंधी नियमों’ के अनुसार निम्नांकित में से कौन-से विभाग के प्राक्कलन, प्राक्कलन समिति ‘क’ के नियंत्रणाधीन नहीं
(a) सार्वजनिक निर्माण विभाग
(b) गृह विभाग
(c) शिक्षा विभाग
(d) वित्त विभाग
[R.A.S/R.T.S. (Pre) 2021]
उत्तर-(b) गृह विभाग
- ‘राजस्थान विधानसभा के प्रक्रिया तथा कार्यसंचालन संबंधी नियमों के अनुसार, प्रश्नगत विभागों में से सार्वजनिक निर्माण विभाग, शिक्षा विभाग और वित्त विभाग के प्राक्कलन, प्राक्कलन समिति ‘क’ (A) के नियंत्रणाधीन है, जबकि गृह विभाग के प्राक्कलन, प्राक्कलन समिति ‘ख’ (B) के नियंत्रणाधीन है।
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34. राज्य विधानसभा निम्नलिखित में से किनके निर्वाचन में भाग लेती है?
1. भारत के राष्ट्रपति के
II. भारत के उपराष्ट्रपति के
III. राज्यसभा के सदस्यों के
IV. राज्य विधान परिषद के
सदस्यों के सही उत्तर चुनिए-
(a) I, II एवं III
(b) I, III एवं IV
(c) I एवं III
(d) I, II एवं IV
[Uttarakhand P.C.S. (Pre) 2012]
उत्तर-(b) I, III एवं IV
- राज्य विधानसभा भारत के राष्ट्रपति (अनु. 54 (ख)], राज्य सभा के सदस्यों [अनु. 80(4)] तथा राज्य विधान परिषद के सदस्यों [अनु. 171(3)(घ)] के निर्वाचन में भाग लेती है।
- अनुच्छेद 66(1) के तहत भारत के उपराष्ट्रपति का निर्वाचन संसद के दोनों सदनों (राज्य सभा और लोक सभा) के सदस्यों द्वारा आनुपातिक प्रतिनिधित्व पद्धति के अनुसार एकल संक्रमणीय मत द्वारा किया जाता है।
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35. राज्य की ‘संचित निधि’ का संचालन किया जाता है-
(a) राज्य के राज्यपाल द्वारा
(b) राज्य के मुख्यमंत्री द्वारा
(c) राज्य के वित्त मंत्री द्वारा
(d) उपर्युक्त में से कोई नहीं
[U.P. Lower (Spl.) (Pre) 2004]
उत्तर-(d) उपर्युक्त में से कोई नहीं
- राज्य की ‘संचित निधि’ का संचालन राज्य विधानमंडल द्वारा किया जाता है।
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36. निम्नलिखित में से कौन एक ‘राज्य की आकस्मिक निधि’ की स्थापना के लिए उत्तरदायी है?
(a) किसी राज्य का विधानमंडल
(b) संसद
(c) राष्ट्रपति
(d) उपर्युक्त में से कोई नहीं
[U.P. R.O.J.A.R.O. (Mains) 2014]
उत्तर- (a) किसी राज्य का विधानमंडल
- भारतीय संविधान के अनुच्छेद 267(2) के अनुसार, राज्य का विधानमंडल विधि द्वारा, अग्रदाय के स्वरूप की एक आकस्मिकता निधि’ की स्थापना कर सकेगा, जो ‘राज्य की आकस्मिकता निधि’ के नाम से ज्ञात होगी, जिसमें ऐसी विधि द्वारा अवधारित राशियां समय-समय पर जमा की जाएंगी और अनवेक्षित व्यय का अनुच्छेद 205 या अनुच्छेद 206 के अधीन राज्य के विधानमंडल द्वारा, विधि द्वारा प्राधिकृत किया जाना लंबित रहने तक ऐसी निधि में से ऐसे व्यय की पूर्ति के लिए अग्रिम धन देने हेतु राज्यपाल को समर्थ बनाने के लिए यह निधि राज्यपाल के व्ययनाधीन रखी जाएगी।
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37. भारतीय संविधान के अनुच्छेद 162 के शीर्षक के संबंध में निम्न में कौन-सा सही है?
(a) राज्य की कार्यपालिका शक्ति
(b) राज्यपाल के कार्यालय के लिए शर्तें
(c) राज्यपाल की पदावधि
(d) राज्य की कार्यपालिका शक्ति का विस्तार
[U.P. P.C.S. (Pre) 2019]
उत्तर-(d) राज्य की कार्यपालिका शक्ति का विस्तार
- भारतीय संविधान का अनुच्छेद 162 ‘राज्य की कार्यपालिका शक्ति के विस्तार’ संबंधी उपबंध करता है।
- इस अनुच्छेद के अनुसार, इस संविधान के उपबंधों के अधीन रहते हुए, किसी राज्य की कार्यपालिका शक्ति का विस्तार उन विषयों पर होगा, जिनके संबंध में उस राज्य के विधानमंडल की विधि बनाने की शक्ति है।
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38. धन विधेयक के अतिरिक्त एक विधेयक जो विधानसभा ने प्रथम बार पारित कर दिया हो, विधान परिषद में कितने माह तक पड़ा रह सकता है?
(a) एक माह से अधिक तक नहीं
(b) दो माह से अधिक तक नहीं
(c) तीन माह से अधिक तक नहीं
(d) उपर्युक्त में से कोई नहीं
[U.P.R.O./A.R.O. (Mains) 2017]
उत्तर-(c) तीन माह से अधिक तक नहीं
- भारतीय संविधान के अनुच्छेद 197 के तहत धन विधेयकों से मिन्न विधेयकों के बारे में विधान परिषद की शक्तियों पर निबंधन का प्रावधान है।
- अनु. 197(1) (ख) के अनुसार धन विधेयक के अतिरिक्त एक विधेयक जिसे विधानसभा ने प्रथम बार पारित कर दिया हो, विधान परिषद के समक्ष विधेयक रखे जाने की तारीख से तीन माह से अधिक तक नहीं रोका जा सकता है।
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39. विधान परिषद किसी साधारण विधेयक को निम्नलिखित में से किस अवधि तक रोक सकती है?
(a) 3 माह
(b) 4 माह
(c) 6 माह
(d) 14 दिन
[U.P.P.C.S. (Mains) 2005]
उत्तर-(b) 4 माह
- संविधान के अनु. 197 के तहत धन विधेयक से भिन्न विधेयक (साधारण विधेयक) को विधान परिषद प्रथम बार में 3 माह तक तथा विधानसभा द्वारा पुनः पारित किए जाने पर । माह तक (इस प्रकार कुल 4 माह तक) ही रोक सकती है।
- धन विधेयकों को विधान परिषदों को 14 दिन की अवधि के भीतर लौटाना होता है।
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40. राज्य में धन विधेयक (मनी बिल) प्रस्तुत किया जा सकता है:
(a) दोनों में से किसी भी सदन में
(b) दोनों सदनों में परस्पर एक साथ
(c) केवल विधानसभा में
(d) केवल उच्च सदन में
[M.P.P.C.S. (Pre) 1993]
उत्तर-(c) केवल विधानसभा में
- राज्य में धन विधेयक (Money Bill) केवल विधानसभा में प्रस्तुत किया जा सकता है।
- संविधान के अनुच्छेद 198 (1) के अनुसार “धन विधेयक विधान परिषद में पुरःस्थापित नहीं किया जाएगा।”
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41. यदि बजट विधानसभा में पुरःस्थापित होने के पूर्व खुल जाए तो क्या होगा?
(a) मंत्रिपरिषद को त्याग-पत्र देना होगा
(b) मुख्यमंत्री को त्याग-पत्र देना होगा
(c) वित्त मंत्री को त्याग-पत्र देना होगा
(d) उपर्युक्त सभी
(e) उपर्युक्त में से कोई नहीं
[Chhattisgarh P.C.S. (Pre) 2016]
उत्तर-(c) वित्त मंत्री को त्याग-पत्र देना होगा
- राज्य के बजट को तैयार करने का कार्य वित्त मंत्री और संबंधित मंत्रालय के अधिकारी करते हैं।
- मंत्री अपने पद पर नियुक्त होने से पूर्व पद एवं गोपनीयता की शपथ लेता है।
- यदि बजट विधानमंडल में प्रस्तुत करने से पूर्व खुल जाए, तो गोपनीयता का उल्लंघन होने के कारण वित्त मंत्री को व्यक्तिगत जिम्मेदारी लेते हुए पद से त्याग-पत्र दे देना होगा।
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42. राज्य विधानसभा में कोई भी धन विधेयक पुरःस्थापित नहीं किया जा सकता, बगैर-
(a) संसद की संस्तुति के
(b) राज्य के राज्यपाल की संस्तुति के
(c) भारत के राष्ट्रपति की संस्तुति के
(d) मंत्रियों की विशेष समिति की संस्तुति के
[U.P.P.C.S. (Pre) 2012]
उत्तर-(b) राज्य के राज्यपाल की संस्तुति के
- संविधान के अनु. 207(1) के तहत अनु. 199 के खंड (1) के उपखंड (क) से (च) तक के प्रावधानों वाला कोई भी विधेयक अर्थात धन विधेयक राज्य विधानसभा में बगैर संबंधित राज्य के राज्यपाल की संस्तुति के पुरःस्थापित नहीं किया जा सकता है।
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43. भारत के संविधान के किस अनुच्छेद के अनुसार, राज्य के राज्यपाल के द्वारा मुख्यमंत्री को नियुक्त किया जाता है?
(a) अनुच्छेद 163
(b) अनुच्छेद 164
(c) अनुच्छेद 165
(d) अनुच्छेद 166
[Uttarakhand P.C.S. (Pre) 2016]
उत्तर-(b) अनुच्छेद 164
- भारतीय संविधान के अनुच्छेद 164(1) के अनुसार, मुख्यमंत्री की नियुक्ति राज्यपाल करेगा और अन्य मंत्रियों की नियुक्ति राज्यपाल, मुख्यमंत्री की सलाह पर करेगा।
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44. किसी राज्य के मुख्यमंत्री से संबंधित निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा एक सही नहीं है?
(a) मुख्यमंत्री राज्यपाल द्वारा नियुक्त किए जाते हैं।
(b) सामान्यतः मुख्यमंत्री मंत्रिपरिषद के बैठकों की अध्यक्षता करते हैं।
(c) राज्यपाल मुख्यमंत्री की सलाह पर अपने समस्त कृत्यों का प्रयोग करते हैं।
(d) मंत्रियों की नियुक्ति राज्यपाल, मुख्यमंत्री की सलाह पर करते हैं।
[U.P. U.D.A./L.D.A. (Spl.) (Pre) 2010]
उत्तर-(c) राज्यपाल मुख्यमंत्री की सलाह पर अपने समस्त कृत्यों का प्रयोग करते हैं।
- संविधान के अनुच्छेद 163(1) के अनुसार, जिन बातों में इस संविधान द्वारा या इसके अधीन राज्यपाल से यह अपेक्षित है कि वह अपने कृत्यों या उनमें से किसी को अपने विवेकानुसार करे, उन बातों को छोड़कर राज्यपाल को अपने कृत्यों का प्रयोग करने में सहायता और सलाह देने के लिए एक मंत्रिपरिषद होगी, जिसका प्रधान मुख्यमंत्री होगा।
- स्पष्टतः राज्यपाल अपने विवेकाधीन कृत्यों का प्रयोग मुख्यमंत्री की सलाह के बगैर कर सकता है।
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45. राज्यों में मुख्यमंत्री सहित मंत्रिपरिषद में मंत्रियों की न्यूनतम संख्या क्या हो सकती है?
(a) 10
(b) 12
(c) 13
(d) 14
[U.P.P.C.S. (Pre) 2020]
उत्तर-(b) 12
- भारतीय संविधान के अनुच्छेद 164 (1-क) में मंत्रिपरिषद में मंत्रियों की संख्या के बारे में उपबंध है।
- इसके अनुसार, किसी राज्य की मंत्रिपरिषद में मुख्यमंत्री सहित मंत्रियों की कुल संख्या उस राज्य की विधानसभा के सदस्यों की कुल संख्या के पंद्रह प्रतिशत (15%) से अधिक नहीं होगी, परंतु किसी राज्य में मुख्यमंत्री सहित मंत्रियों की संख्या बारह (12) से कम नहीं होगी।
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46. मुख्यमंत्री से संबंधी निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा एक सही नहीं है?
(a) वह साधारणतः राज्यपाल द्वारा चयनित होता है।
(b) वह राज्यपाल द्वारा औपचारिक नियुक्ति पाता है।
(c) वह विधानसभा में बहुमत दल के सदस्यों द्वारा चुना जाता है।
(d) उसका पद पर बना रहना बहुत से कारकों पर निर्भर करता है।
[U.P.U.D.A./L.D.A. (Mains) 2010]
उत्तर-(a) वह साधारणतः राज्यपाल द्वारा चयनित होता है।
- संविधान के अनु. 164(1) के अनुसार, मुख्यमंत्री की नियुक्ति राज्यपाल करेगा और अन्य मंत्रियों की नियुक्ति राज्यपाल, मुख्यमंत्री की सलाह पर करेगा।
- अतः स्पष्ट है कि राज्यपाल मुख्यमंत्री की औपचारिक नियुक्ति करता है न कि उसका चयन करता है।
- अतः विकल्प (a) में प्रस्तुत कथन सही नहीं है।
- अन्य प्रश्नगत कथन सही हैं।
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47. बिना विधानसभा का सदस्य निर्वाचित हुए कोई मंत्री किस समय तक पद पर बना रह सकता है?
(a) एक वर्ष
(b) छः माह
(c) तीन वर्ष
(d) तीन माह
[Chhattisgarh P.C.S. (Pre) 2003, M.P.P.C.S. (Pre) 2003]
उत्तर-(b) छः माह
- संविधान के अनुच्छेद 164 (4) में प्रावधानित है कि कोई मंत्री, जो निरंतर 6 माह की किसी अवधि तक राज्य के विधानमंडल का सदस्य नहीं है, उस अवधि की समाप्ति पर मंत्री नहीं रहेगा।
- अतः राज्य मंत्रिपरिषद का सदस्य बिना राज्य विधानमंडल का सदस्य बने 6 माह तक अपने पद पर रह सकता है और यदि वह 6 माह के अंदर विधानमंडल का सदस्य नहीं बन पाता तो उसे त्याग-पत्र देना पड़ेगा।
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48. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए –
1. भारत के संविधान के अनुसार, कोई भी ऐसा व्यक्ति जो मतदान के लिए योग्य है, किसी राज्य में छह माह के लिए मंत्री बनाया जा सकता है तब भी जब कि वह उस राज्य के विधानमंडल का सदस्य नहीं
2. लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 के अनुसार, कोई भी ऐसा व्यक्ति जो दांडिक अपराध के अंतर्गत दोषी पाया गया है और जिसे पांच वर्ष के लिए कारावास का दंड दिया गया है, चुनाव लड़ने के लिए स्थायी तौर पर निरर्हित हो जाता है, भले ही वह कारावास से मुक्त हो चुका हो।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1, न ही 2
[I.A.S. (Pre) 2020]
उत्तर-(d) न तो 1, न ही 2
- भारतीय संविधान के अनुच्छेद 164(4) के प्रावधानों के तहत कोई व्यक्ति राज्य विधानमंडल का सदस्य न होने पर भी 6 माह की अवधि के लिए मंत्री बनाया जा सकता है।
- साथ ही अनुच्छेद 173 के अनुसार, कोई भी व्यक्ति किसी राज्य में विधानमंडल के किसी स्थान को भरने के लिए चुने जाने के लिए तभी अर्हित होगा, जब-
- 1. वह भारत का नागरिक है तथा निर्वाचन आयोग द्वारा इस निमित्त प्राधिकृत किसी व्यक्ति के समक्ष तीसरी अनुसूची में इस उद्देश्य के लिए दिए गए प्रारूप के अनुसार शपथ लेकर हस्ताक्षर करता है।
- 2. वह विधानसभा के स्थान के लिए कम-से-कम 25 वर्ष की आयु का और विधान परिषद के स्थान के लिए कम-से-कम 30 वर्ष की आयु का है।
- 3. उसके पास ऐसी अन्य योग्यताएं हों, जो इस उद्देश्य से संसद द्वारा बनाई गई किसी विधि द्वारा या उसके अधीन विहित की जाएं।
- संविधान के अनुच्छेद 326 के अंतर्गत 18 वर्ष या उससे अधिक आयु का कोई भी व्यक्ति लोक सभा या राज्य विधानसभा के निर्वाचनों में मतदान कर सकता है, परंतु विधानमंडल का सदस्य निर्वाचित होने हेतु न्यूनतम आयु सीमा 25 एवं 30 वर्ष है। अतः कथन । सही नहीं है।
- लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 8 में कतिपय अपराधों के लिए दोषसिद्धि पर निरर्हता का वर्णन है।
- धारा 8(1) के अंतर्गत दिए गए विशिष्ट अपराधों के लिए जुर्माने या कारावास से दंडित व्यक्ति दोषसिद्धि की तिथि से निरहित होगा और उसके छोड़े जाने से छह वर्ष की अतिरिक्त अवधि के लिए निरर्हित बना रहेगा।
- धारा 8(3) के अनुसार, सिद्धदोष अपराध और न्यूनतम दो वर्ष के कारावास से दंडित व्यक्ति दोषसिद्धि की तिथि से निरहित होगा और उसे छोड़े जाने से 6 वर्ष की अतिरिक्त अवधि के लिए निरहित बना रहेगा।
- इसके तहत स्थायी तौर पर निरर्हित किए जाने का प्रावधान नहीं है। अतः कथन 2 भी सही नहीं है।
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49. राज्य सरकार के मंत्रियों के वेतन एवं मत्तों का निर्धारण किया जाता है-
(a) मुख्यमंत्री द्वारा
(b) राज्यपाल द्वारा
(c) मुख्य सचिव द्वारा
(d) राज्य विधानसभा द्वारा
[U.P.P.C.S. (SpL.) (Mains) 2008]
उत्तर-(d) राज्य विधानसभा द्वारा
- राज्य सरकार के मंत्रियों के वेतन एवं भत्तों का निर्धारण अनु. 164(5) के तहत राज्य विधानमंडल द्वारा विधि बनाकर किया जाता है।
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50. निम्न में से मुख्यमंत्री के संवैधानिक कर्तव्यों का दिए गए कूट की सहायता से चयन कीजिए:
1. मुख्यमंत्री राज्य के कार्यों के प्रशासन संबंधी विनिश्चय राज्यपाल को संसूचित करता है।
2. मुख्यमंत्री विधान विषयक प्रस्थापनाओं के बारे में राज्यपाल को संसूचित करता है।
3. मुख्यमंत्री राष्ट्रीय विकास परिषद् की बैठकों में भाग लेता है।
4. मुख्यमंत्री किसी विषय को जिस पर किसी मंत्री ने विनिश्चय कर लिया है, किंतु मंत्रिपरिषद ने विचार नहीं किया है, राज्यपाल द्वारा अपेक्षा किए जाने पर परिषद के समक्ष रखवाता है।
(a) 1 और 2
(b) 1 और 4
(c) 1, 2 और 3
(d) 1, 2 और 4
[R.A.S./R.T.S. (Pre) 2013]
उत्तर-(d) 1, 2 और 4
- संविधान के अनुच्छेद 167 में उल्लिखित है कि मुख्यमंत्री का कर्तव्य होगा कि वह राज्य के कार्यों के प्रशासन संबंधी और विधान विषयक प्रस्थापनाओं संबंधी मंत्रिपरिषद के सभी विनिश्वय राज्यपाल को संसूचित करे; राज्य के कार्यों के प्रशासन संबंधी और विधान विषयक प्रस्थापनाओं संबंधी जो जानकारी राज्यपाल मांगे वह दे; तथा किसी विषय को जिस पर किसी मंत्री ने विनिश्चय कर दिया है किंतु मंत्रिपरिषद ने विचार नहीं किया है, राज्यपाल द्वारा अपेक्षा किए जाने पर मंत्रिपरिषद के समक्ष विचार के लिए रखे।
- मुख्यमंत्री का राष्ट्रीय विकास परिषद की बैठक में भाग लेना संवैधानिक कर्तव्य न होकर प्रशासनिक कर्तव्य है।
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51. जम्मू एवं कश्मीर के मुख्यमंत्री की कार्य-अवधि होती है :
(a) चार वर्ष
(b) पांच वर्ष
(c) छः वर्ष
(d) सात वर्ष
[U.P. P.C.S. (Pre) 2008]
उत्तर-(b) पांच वर्ष
- जम्मू एवं कश्मीर राज्य की विधानसभा का कार्यकाल 6 वर्ष होता था और विधानसभा में बहुमत दल का नेता ही मुख्यमंत्री बनता है और वह तब तक पद पर रहता है, जब तक उसे विधानसभा में बहुमत का समर्थन प्राप्त रहता है।
- अतः मुख्यमंत्री का कार्यकाल निश्चित नहीं होता, परंतु इसे सामान्यतः विधानसमा के कार्यकाल तक माना जा सकता है।
- ज्ञातव्य है कि जम्मू एवं कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 के अनुसार, वर्तमान में जम्मू एवं कश्मीर संघ राज्यक्षेत्र की विधानसभा का कार्यकाल 5 वर्ष प्रावधानित है।
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52. भारत के किस राज्य में सर्वप्रथम महिला मुख्यमंत्री हुई थी?
(a) उत्तर प्रदेश
(b) बिहार
(c) तमिलनाडु
(d) दिल्ली
[R.A.S./R.T.S. (Pre) 2003]
उत्तर- (a) उत्तर प्रदेश
- सुचेता कृपलानी भारत के किसी भी राज्य की मुख्यमंत्री बनने वाली पहली महिला थीं।
- वे 1963 में उत्तर प्रदेश राज्य की चौथी मुख्यमंत्री बनी थीं।
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53. भारत की पहली महिला मुख्यमंत्री बनीं
(a) इंदिरा गांधी
(b) सुचेता कृपलानी
(c) सरोजिनी नायडू
(d) जयललिता
[M.P. P.C.S. (Pre) 1990, U.P Lower Sub. (Spl.) (Pre) 2004]
उत्तर-(b) सुचेता कृपलानी
- सुचेता कृपलानी भारत के किसी भी राज्य की मुख्यमंत्री बनने वाली पहली महिला थीं।
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54. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए-
1. किसी राज्य में मुख्य सचिव को उस राज्य के राज्यपाल द्वारा नियुक्त किया जाता है।
2. राज्य में मुख्य सचिव का नियत कार्यकाल होता है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1. न ही 2
[I.A.S. (Pre) 2016]
उत्तर-(a) केवल 1
- राज्य के मुख्य सचिव की नियुक्ति उस राज्य के राज्यपाल द्वारा की जाती है।
- सामान्यतः उसकी नियुक्ति प्रशासनिक पदों पर कार्य के विशद अनुभव, प्रशासनिक प्रतिष्ठा एवं वरीयता आदि के आधार पर की जाती है।
- मुख्य सचिव का कार्यकाल निश्चित नहीं है।
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55. राज्य सचिवालय के प्रशासन में मंत्रिमंडल को जाने वाली सभी नस्तियां किसके माध्यम से भेजी जानी आवश्यक हैं?
(a) विभागीय सचिव
(b) उप सचिव
(c) अपर सचिव
(d) मुख्य सचिव
(e) उपर्युक्त में से कोई नहीं
[Chhattisgarh P.C.S. (Pre) 2015]
उत्तर-(d) मुख्य सचिव
- राज्य सचिवालय के प्रशासन में मंत्रिमंडल को जाने वाली सभी नस्तियां (Files) मुख्य सचिव के माध्यम से भेजी जानी आवश्यक हैं, क्योंकि वह मंत्रिमंडल के समक्ष आने वाले कार्यों का प्रभारी होता है।
- इसके अतिरिक्त वह सामान्य प्रशासन विभाग में शासन का सचिव है तथा शासन के समस्त सचिवों का प्रमुख होता है।
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56. 1992 में अयोध्या घटना के पश्चात कुछ प्रदेशों में विधानसभाएं भंग कर दी गई थी। नीचे लिखे प्रदेशों में से किसकी विधानसमा मंग नहीं की गई थी?
(a) उत्तर प्रदेश
(b) मध्य प्रदेश
(c) हिमाचल प्रदेश
(d) बिहार
[M.P. P.C.S. (Pre) 2005]
उत्तर-(d) बिहार
- 6 दिसंबर, 1992 को अयोध्या घटना के पश्चात भाजपा शासित उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, हिमाचल प्रदेश एवं राजस्थान राज्यों की विधानसभाएं भंग कर दी गई थीं, जबकि बिहार विधानसभा भंग नहीं की गई थी।
- बिहार में 1980 के बाद 1995 में राष्ट्रपति शासन लागू हुआ था।
- इस प्रकार सही उत्तर विकल्प (d) होगा।
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57. निम्न राज्यों में से किस एक ने मुसलमानों के लिए नौकरी तथा शिक्षा में प्रवेश हेतु आरक्षण प्रस्तावित किया है?
(a) आंध प्रदेश
(b) उत्तर प्रदेश
(c) बिहार
(d) कर्नाटक
[U.P. P.C.S. (Mains) 2003]
उत्तर- (a) आंध प्रदेश
- 2004 में आंध्र प्रदेश सरकार द्वारा मुसलमानों के लिए नौकरी तथा शिक्षा में प्रवेश हेतु आरक्षण लागू किया गया था, जिस पर उच्च न्यायालय द्वारा रोक लगा दी गई थी।
- 2007 में आंध्र प्रदेश सरकार ने इस आरक्षण को 4 प्रतिशत करते हुए (ताकि कुल आरक्षण 50 प्रतिशत की सीमा में रहे) पुनः आरक्षण लागू किया था, जिसे यद्यपि पुनः उच्च न्यायालय ने खारिज कर दिया था।
- तथापि मार्च, 2010 में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा अंतरिम निर्णय देते हुए इस आरक्षण को स्वीकृति प्रदान कर दी गई थी तथा सर्वोच्च न्यायालय में अब यह मामला संविधान पीठ के समक्ष लंबित है।
- वर्ष 2017 में तेलंगाना राज्य की विधायिका द्वारा मुसलमानों के लिए आरक्षण को 4 प्रतिशत से बढ़ाकर 12 प्रतिशत करने हेतु विधेयक पारित किया गया था, जिसे लागू नहीं किया जा सका है।
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58. भारत में कौन एकमात्र राज्य है, जहां ‘सामान्य (कॉमन) सिविल कोड’ लागू है?
(a) जम्मू एवं कश्मीर
(b) मिज़ोरम
(c) नगालैंड
(d) गोवा
[U.P. P.C.S. (Mains) 2009]
उत्तर-(d) गोवा
- गोवा भारत का एकमात्र ऐसा राज्य है, जहां ‘सामान्य सिविल कोड’ (Common Civil Code) लागू है।
- वस्तुतः यहां सभी नागरिकों के लिए 19वीं शताब्दी से ही पुर्तगीज सिविल कोड चला आ रहा है, जिसे परिवर्तित नहीं किया गया है।
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