तरलता पाश (लिक्विडिटी ट्रैप) की अवधारणा

प्रश्न: तरलता पाश (लिक्विडिटी ट्रैप) क्या है? अर्थव्यवस्था पर इसके निहितार्थों की विवेचना कीजिए।

दृष्टिकोण:

  • तरलता पाश (लिक्विडिटी ट्रैप) की अवधारणा को स्पष्ट करते हुए उत्तर आरंभ कीजिए।
  • अर्थव्यवस्था पर तरलता पाश के निहितार्थों की विस्तार से विवेचना कीजिए।
  • इन्हें समाप्त करने हेतु उपायों का सुझाव देते हुए निष्कर्ष दीजिए।

उत्तरः

तरलता पाश से आशय ऐसी स्थिति से है जिसमें प्रचलित बाजार ब्याज दरें इतनी कम होती हैं कि मुद्रा आपूर्ति में हुई वृद्धि का ब्याज दरों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता और लोग इस मुद्रा को निवेश या व्यय करने के स्थान पर मुद्रा शेष (money balance) के रूप में रखते हैं। इस स्थिति में, लोग इस धारणा के तहत बंधपत्रों (bonds) में निवेश करने से बचते हैं, कि ब्याज दरों में शीघ्र ही वृद्धि होगी, जिससे बंधपत्रों के मूल्यों में कमी आएगी और परिणामस्वरूप उन्हें पूंजीगत हानि का सामना करना पड़ेगा। इसके परिणामस्वरूप, ब्याज दरें और कम हो जाती हैं।

अर्थव्यवस्था पर निहितार्थ: 

  • तरलता पाश का एक प्रमुख निहितार्थ यह है कि आर्थिक विकास के प्रेरक साधन के रूप में यह विस्तारवादी मौद्रिक नीति को प्रभावहीन बनाता है।
  • बंधपत्र बाजार, परियोजनाओं के दीर्घकालिक वित्तपोषण हेतु निधि प्रदान करता है। जब लोग बंधपत्र में निवेश नहीं करते हैं, तब अवसंरचना जैसे क्षेत्रों के लिए आवश्यक वित्त बाधित हो जाता है।
  • इसके अतिरिक्त, तरलता पाश से अर्थव्यवस्था में आर्थिक मंदी की स्थिति उत्पन्न हो सकती है, क्योंकि मुद्रा आपूर्ति में हुई वृद्धि अर्थव्यवस्था को प्रोत्साहन प्रदान करने में विफल रहती है। यदि समान स्थिति बनी रहती है, तो बेरोजगारी में वृद्धि हो सकती है।
  • उद्यमी अपने व्यवसाय के विस्तार हेतु निवेश नहीं करते हैं। व्यवसाय नए पूंजी उपकरणों को खरीदने के बजाय पुराने उपकरणों पर ही निर्वाह करते हैं। वे कम ब्याज दरों का लाभ उठाते हैं और धन उधार लेते हैं, परन्तु वे इसका उपयोग शेयरों को पुन: क्रय करने और स्टॉक की कीमतों को कृत्रिम रूप से बढ़ाने के लिए करते हैं।
  • कंपनियों द्वारा उतना पारिश्रमिक नहीं दिया जाता जितना उन्हें देना चाहिए, जिससे मजदूरी स्थिर बनी रहती है। आय में वृद्धि के बिना, परिवार केवल आवश्यक वस्तुओं का ही क्रय करते हैं और शेष धनराशि को बचत के रूप में संगृहीत करते हैं। अल्प मजदूरी, आय असमानता में वृद्धि करती है।
  • उपभोक्ता मूल्य निम्न बने रहते हैं। मुद्रास्फीति के बिना, कीमतों में वृद्धि से पूर्व लोगों को क्रय हेतु कोई प्रोत्साहन प्राप्त नहीं होता। ऐसे में मुद्रास्फीति के स्थान पर अपस्फीति की स्थिति भी उत्पन्न हो सकती है। लोग वस्तुओं को खरीदने में विलंब करेंगे, क्योंकि वे जानते हैं कि कीमतों में गिरावट आएगी।
  • बैंक ऋणों में वृद्धि नहीं करते। सामान्यतः बैंकों से अपेक्षा की जाती है कि वे केंद्रीय बैंक द्वारा अर्थव्यवस्था में डाले गए अतिरिक्त धन को लघु व्यावसायिक ऋणों या बंधक के आधार पर ऋण आदि के रूप में उपलब्ध कराएं, परन्तु यदि लोग आर्थिक अनिश्चितताओं के वातावरण में व्यय/निवेश करने में हिचक रहे हैं तो ऐसी स्थिति में वे उधार भी नहीं लेंगे और इसके परिणामस्वरूप बैंकों द्वारा ऋण प्रदान किया जाना सीमित हो जाएगा।

इसे समाप्त करने के निम्नलिखित उपाय हैं:

अर्थव्यवस्था को तरलता पाश से बाहर निकालने हेतु विभिन्न सहायता उपाय विद्यमान हैं। इनमें से कोई भी उपाय स्वयं कार्य नहीं कर सकता, परन्तु इससे उपभोक्ताओं में पुन: व्यय/निवेश आरंभ करने हेतु विश्वास उत्पन्न करने में सहायता प्राप्त हो सकती है।

  • ब्याज दरों में वृद्धि: इससे लोग अपने धन का संचय करने के स्थान पर, उसका अधिक निवेश करने के लिए प्रेरित हो सकते हैं। उच्च दीर्घकालिक दरें बैंकों को उधार देने के लिए प्रोत्साहित करती हैं, क्योंकि उन्हें उच्च प्रतिफल (रिटर्न) प्राप्त होगा। हालांकि, यह उपाय प्रत्येक स्थिति में प्रभावी नहीं होता है।
  • सामान्य मूल्य स्तर में गिरावट: इस स्थिति में लोग धन के व्यय को रोकने में असमर्थ हो जाते हैं। कम कीमतों का प्रलोभन अत्यधिक आकर्षक हो जाता है और इन कम कीमतों का लाभ उठाने के लिए बचत का उपयोग किया जाता है।
  • सरकारी व्यय में वृद्धि: सरकार द्वारा किये गए व्यय में वृद्धि का अर्थ है कि सरकार राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था के प्रति प्रतिबद्ध और आश्वस्त है। इससे भविष्य में रोजगार के अवसरों में वृद्धि होती है।
  • वित्तीय नवाचार: इसमें पूर्ण रूप से एक नवीन बाजार का निर्माण किया जाता है। उदाहरण के लिए ऐसा ही कुछ 1999 में इंटरनेट बूम के समय घटित हुआ था।
  • वैश्विक पुनर्संतुलन: सरकारें वैश्विक पुनर्संतुलन को समन्वित कर सकतीं हैं अर्थात् ऐसे देशों जिनके पास किसी वस्तु का अधिशेष होता है (उदाहरण के लिए नकदी, श्रम इत्यादि) वे उन देशों के साथ इसका व्यापार कर सकते हैं जिनके पास इसकी कमी होती है।

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