1. गुलाम वंश का संस्थापक कौन था?
(a) इल्तुतमिश
(b) अलाउद्दीन खिलजी
(c) बलबन
(d) कुतुबुद्दीन ऐबक
[U.P. P.C.S. (Pre) 1990]
उत्तर-(d) कुतुबुद्दीन ऐबक
- कुतुबुद्दीन ऐबक गुलाम वंश का पहला शासक था जो 1206 से 1290 तक भारत पर शासन करने वाले पांच अलग-अलग राजवंशों में से पहला था।
- उनके बाद आए सभी राजा अपने पूर्ववर्तियों के गुलाम थे।
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2. दिल्ली सल्तनत का कौन-सा सुल्तान ‘लाख बख्श’ के नाम से जाना जाता है?
(a) इल्तुतमिश
(b) बलबन
(c) मुहम्मद बिन तुगलक
(d) कुतुबुद्दीन ऐबक
[Jharkhand P.C.S. (Pre) 2003]
उत्तर-(d) कुतुबुद्दीन ऐबक
- सुल्तान कुतुबुद्दीन ऐबक, जिसे लाख बख्श सुल्तान के नाम से भी जाना जाता है, भारत का पहला मुस्लिम शासक था।
- उसकी राजधानी दिल्ली में थी और वह बहुत दानी था, इसी कारण उसका नाम लाख बख्श रखा गया।
- वह भारत आए पहले मुसलमानों से अलग थे क्योंकि वह वास्तव में वहीं बस गए और शासन किया।
- शासक के रूप में उनका कार्यकाल केवल चार वर्ष का था, और वह रईसों और हिंदू प्रमुखों के विद्रोह के खिलाफ लड़ रहे थे, लेकिन फिर भी वह एक अच्छी प्रशासनिक व्यवस्था स्थापित करने में कामयाब रहे।
- उन्होंने दिल्ली में कुव्वत-उल-इस्लाम मस्जिद और अढ़ाई दिन का झोपड़ा बनवाया और कुतुब मीनार की नींव रखी, जिसे उनके उत्तराधिकारी इल्तुतमिश ने पूरा किया।
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3. ‘ढाई दिन का झोपड़ा’ क्या है?
(a) मस्जिद
(b) मंदिर
(c) संत की झोपड़ी
(d) मीनार
[56th to 59th B.P.S.C. (Pre) 2015]
उत्तर- (a) मस्जिद
- सुल्तान कुतुबुद्दीन ऐबक, जिन्हें “लाख बख्श सुल्तान” भी कहा जाता है, अपनी राजधानी दिल्ली से भारत पर शासन करने वाले पहले मुस्लिम शासक थे।
- वह उदार था और लाख बख्श के नाम से जाना जाता था, और उसने कभी “सुल्तान” की उपाधि नहीं ली।
- उन्होंने हसन निज़ामी और फख-ए-मुदब्बिर जैसे विद्वानों का समर्थन किया और अपने चार साल के शासनकाल के दौरान एक प्रशासनिक व्यवस्था स्थापित की।
- उन्होंने दिल्ली में कुव्वत-उल-इस्लाम मस्जिद और अढ़ाई दिन का झोपड़ा (अजमेर) का निर्माण शुरू कराया।
- उन्होंने कुतुब मीनार की नींव भी रखी, जिसे उनके उत्तराधिकारी इल्तुतमिश ने पूरा किया।
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4. कुव्वत-उल-इस्लाम मस्जिद तथा अढ़ाई दिन का झोपड़ा क्रमशः स्थित हैं-
(a) दिल्ली एवं लाहौर में
(b) अजमेर एवं दिल्ली में
(c) लाहौर एवं अजमेर में
(d) दिल्ली एवं अजमेर में
[Jharkhand P.C.S. (Pre) 2021]
उत्तर-(d) दिल्ली एवं अजमेर में
- अपनी उदारता के कारण कुतुबुद्दीन ऐबक इतना अधिक दान करता था कि उसे ‘लाख बख्श’ (लाखों का दान देने वाला) के नाम से पुकारा गया।
- फरिश्ता ने लिखा है कि ‘यदि व्यक्ति किसी की दानशीलता की प्रशंसा करते थे, तो उसे अपने युग का ऐबक पुकारते थे।’
- इसकी एक उपाधि ‘कुरान ख्वां’ भी थी।
- ऐबक को साहित्य से अनुराग था और स्थापत्य कला में रुचि थी।
- तत्कालीन विद्वान हसन निजामी और फक्र-ए-मुदब्बिर को उसका संरक्षण प्राप्त था।
- उन्होंने ऐबक को अपने ग्रंथ समर्पित किए थे।
- ऐबक ने दिल्ली में ‘कुव्वत-उल-इस्लाम’ और अजमेर में ‘अढ़ाई दिन का झोपड़ा’ नामक मस्जिदों का निर्माण कराया था।
- उसने दिल्ली में स्थित ‘कुतुबमीनार’ का निर्माण कार्य प्रारंभ किया जिसे इल्तुतमिश ने पूरा करवाया।
- ज्ञातव्य है कि ऐबक ने सुल्तान की उपाधि नहीं ली थी, किंतु प्रश्नानुसार विकल्प (d) सही उत्तर है।
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5. निम्नलिखित में से किसने प्रसिद्ध कुतुबमीनार के निर्माण में योगदान नहीं दिया?
(a) कुतुबुद्दीन ऐबक
(b) इल्तुतमिश
(c) ग्यासुद्दीन तुगलक
(d) फिरोजशाह तुगलक
[U.P.P.C.S. (Mains) 2013]
उत्तर-(c) ग्यासुद्दीन तुगलक
- कुतुबुद्दीन ऐबक ने कुतुब मीनार का निर्माण शुरू कराया।
- इल्तुतमिश ने इसमें तीन कहानियाँ जोड़ीं।
- सबसे ऊंचे स्तर पर बिजली गिरी और फ़िरोज़ शाह तुगलक ने इसका पुनर्निर्माण किया, जिसने दो और मंजिलें भी जोड़ीं।
- गयासुद्दीन तुगलक ने इसके निर्माण में कोई योगदान नहीं दिया। विकल्प (सी) सही उत्तर है।
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6. कुतुबमीनार किसके द्वारा पूरा किया गया था?
(a) इल्तुतमिश
(b) कुतुबुद्दीन ऐबक
(c) उलुग खान
(d) रजिया सुल्तान
(e) उपर्युक्त में से कोई नहीं उपर्युक्त में से एक से अधिक
[67th B.P.S.C. (Pre) 2022]
उत्तर- (a) इल्तुतमिश
- कुतुबमीनार का निर्माण कुतुबुद्दीन ऐबक ने आरंभ किया और इसका निर्माण कार्य इल्तुतमिश के काल में पूरा हुआ।
- फिरोजशाह तुगलक के शासनकाल में इसकी चौथी मंजिल को काफी हानि पहुंची थी, जिस पर फिरोज ने चौथी मंजिल के पुनर्निर्माण के साथ-साथ पांचवीं मंजिल का भी निर्माण करवाया।
- ग्यासुद्दीन तुगलक ने इसके निर्माण में कोई योगदान नहीं दिया था।
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7. सुल्तान कुतुबुद्दीन ऐबक की मृत्यु कैसे हुई?
(a) उनके एक महत्वाकांक्षी कुलीन व्यक्ति ने कपट से छुरा मारकर उनकी हत्या कर दी
(b) पंजाब पर अधिकार जमाने के लिए गजनी के शासक ताजुद्दीन यल्दौज के साथ हुए युद्ध में उनकी मृत्यु हुई
(c) बुंदेलखंड के किले कालिंजर को घेरा डालते समय उन्हें चोटें लगीं, जिसके कारण बाद में उनकी मृत्यु हो गई
(d) चौगान की क्रीड़ा के दौरान अश्व से गिरने के पश्चात उनकी मृत्यु हो गई
[I.A.S. (Pre) 2003]
उत्तर-(d) चौगान की क्रीड़ा के दौरान अश्व से गिरने के पश्चात उनकी मृत्यु हो गई
- भारत में गुलाम राजवंश के संस्थापक कुतुबुद्दीन ऐबक की 1210 में चौगान खेलते समय एक दुखद दुर्घटना में मृत्यु हो गई।
- वह अपने घोड़े से गिर गया और उसे बहुत चोट लगी।
- उन्हें लाहौर में अनारकली बाज़ार के पास दफनाया गया।
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8. निम्नलिखित में से किसने दिल्ली को सल्तनत की राजधानी के रूप में स्थापित किया था?
(a) कुतुबुद्दीन ऐबक
(b) इल्तुतमिश
(c) रजिया
(d) मुइज्जुद्दीन गोरी
[U. P. P. C. S. (Spl.) (Mains) 2004 U. P. P. C. S. (Mains) 2012]
उत्तर-(b) इल्तुतमिश
- इल्तुतमिश दिल्ली सल्तनत का संस्थापक और दिल्ली का पहला वास्तविक तुर्की सुल्तान था।
- उन्होंने दो सिक्कों, एक चाँदी का टंका और एक तांबे की जीतल के साथ भारत में एक नई मुद्रा प्रणाली शुरू की।
- 1229 में उन्हें भारत के मुस्लिम सुल्तान के रूप में मान्यता दी गई और उन्हें ‘वफादारों के कमांडर’ की उपाधि दी गई।
- यह उनके लिए बहुत बड़ी उपलब्धि थी।
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9. दिल्ली का प्रथम मुस्लिम शासक कौन था?
(a) कुतुबुद्दीन ऐबक
(b) इल्तुतमिश
(c) रजिया
(d) बलबन
[U.P. P.C.S. (Pre) 2002]
उत्तर-(b) इल्तुतमिश
- इल्तुतमिश दिल्ली का पहला सुल्तान था और उसे 1229 ई. में बगदाद के खलीफा द्वारा “सुल्तान-ए-आजम” या महान सुल्तान की उपाधि दी गई थी।
- वह दिल्ली के सिंहासन को मंगोल आक्रमण और अन्य हमलों से सुरक्षित रखने में सक्षम था।
- वह उत्तर में राजपूतों की शक्ति को तोड़ने और अपने शासन को वंशानुगत बनाने में सफल रहा।
- उन्होंने अपने नाम के सिक्के भी जारी किये और दिल्ली को एक खूबसूरत राजधानी बनाया।
- वह पहले अरबी चांदी और तांबे के सिक्के लाए, जो सल्तनत काल के दौरान इस्तेमाल किए जाने वाले दो मुख्य सिक्के थे।
- इल्तुतमिश तुर्किस्तान में इल्बारी जनजाति से थे और खोखरों के खिलाफ लड़ाई में घूर के मुहम्मद की मदद करने के बाद 1206 में उन्हें बदायूँ का गवर्नर बनाया गया था।
- 1210 ई. में ऐबक की मृत्यु के बाद अमीरअली इस्माइल ने तुर्की सरदारों की सहमति से इल्तुतमिश को दिल्ली में सुल्तान का ताज पहनाने के लिए कहा।
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10. मुस्लिम शासक, जिसका साम्राज्य दार-उल-इस्लाम का एक भाग माना जाता था, था-
(a) बलबन
(b) रजिया
(c) इल्तुतमिश
(d) नासिर-उद्-चीन
(e) उपर्युक्त में से कोई नहीं / उपर्युक्त में से एक से अधिक
[67th B.P.S.C. (Pre) (Re. Exam) 2022]
उत्तर- (c) इल्तुतमिश
- इल्तुतमिश के काल में 1229 ई. में बगदाद के खलीफा ने इल्तुतमिश को खिल्लत प्रदान की।
- अब सल्तनत सैद्धांतिक रूप से बगदाद के खलीफा के अधीन दार-उल-इस्लाम का एक भाग बन गया।
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11. ‘गुलाम का गुलाम’ किसे कहा गया था?
(a) मो. गोरी
(c) बलबन
(b) कुतुबुद्दीन ऐबक
(d) इल्तुतमिश
[U.P.P.C.S (Pre) 2016]
उत्तर-(d) इल्तुतमिश
- इल्तुतमिश को “गुलाम का गुलाम” कहा जाता है क्योंकि वह कुतुबुद्दीन ऐबक का गुलाम था, जो खुद मोहम्मद का गुलाम था। गोरी.
- इल्तुतमिश ने बाद में कुतुबुद्दीन ऐबक की बेटी से शादी की और ऐबक की मृत्यु के बाद सुल्तान के रूप में पदभार संभाला, जिससे उसे उपनाम मिला।
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12. निम्नलिखित में से कौन इल्तुतमिश का प्रतिद्वंद्वी नहीं
(a) ताजुद्दीन यल्दौज
(b) नासिरुद्दीन कुबाचा
(c) अली मर्दान
(d) मलिक अल्तुनिया
[Uttarakhand P.C.S. (Pre) 2021]
उत्तर-(d) मलिक अल्तुनिया
- दिए गए विकल्पों में मलिक अल्तुनिया इल्तुतमिश का प्रतिद्वंद्वी नहीं था, जबकि मुख्य प्रतिद्वंद्वियों में गजनी में ताजुद्दीन यल्दौज, सिंघ में नासिरुद्दीन कुबाचा और लखनौती में अली मर्दान थे।
- अली मर्दान 13वीं शताब्दी में बंगाल का गवर्नर नियुक्त हुआ था तथा कुतुबुद्दीन ऐबक की मृत्यु के पश्चात अपने आपको दिल्ली सल्तनत से स्वतंत्र कर लिया था।
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13. निम्नलिखित में से कौन मध्यकालीन भारत की प्रथम महिला शासिका थी?
(a) रजिया सुल्तान
(c) दुर्गावती
(b) चांदबीबी
(d) नूरजहां
[U.P.P.C.S. (Mains) 2004 U.P.P.S.C. (GIC) 2010]
उत्तर- (a) रजिया सुल्तान
- रजिया सुल्तान 1236 से 1240 ई. तक दिल्ली की शासक बनने वाली एकमात्र महिला थीं।
- तुर्की सरदार उसके सत्ता संभालने से खुश नहीं थे और जब वह 1239 ई. में एक विद्रोह को रोकने की कोशिश कर रही थी तो उन्होंने उसके खिलाफ साजिश रची।
- जब वह दूर थी तब रईसों ने नियंत्रण कर लिया और उसे गद्दी से हटा दिया गया।
- दिल्ली में विद्रोह को दबाने के बाद, उन्होंने शासन के उन मुद्दों पर काम किया जो उनके भाई के शासन के दौरान उपेक्षित थे।
- इससे एक बुद्धिमान नेता, बहादुर योद्धा और महान प्रशासक के रूप में उनकी कुशलता का पता चला।
- वह अपने पिता इल्तुतमिश के बाद खुद को दिल्ली की सल्तनत के योग्य साबित करने में सक्षम थी।
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14. मंगोल आक्रमणकारी चंगेज खां भारत की उत्तर-पश्चिम सीमा पर निम्न में से किसके काल में आया था?
(a) अलाउद्दीन खिलजी
(b) इल्तुतमिश
(c) बलबन
(d) ऐबक
[U.P.P.C.S. (Pre) 1993]
उत्तर-(b) इल्तुतमिश
- चंगेज खान, एक मंगोल आक्रमणकारी, इल्तुतमिश के शासन के दौरान भारत आया था।
- वह जलालुद्दीन मिंगबर्नी का पीछा कर रहा था, जो ख्वारिज़्म से भाग गया था।
- जब चंगेज खान सिंधु नदी पर पहुंचा, तो जलालुद्दीन मिंगबर्नी ने इल्तुतमिश से आश्रय मांगा।
- हालाँकि, इल्तुतमिश शक्तिशाली चंगेज खान से डरता था और उसने मिंगबर्नी को शरण देने से इनकार कर दिया था।
- 1224 ई. में मंगोल आक्रमण से परेशान होकर प्रिंस मिंगबर्नी ने भारत छोड़ दिया।
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15. चंगेज खान का मूल नाम था-
(a) खासुल खान
(b) एशूगई
(c) तेमुचिन
(d) ओगदी
[U.P. P.C.S. (Pre) 2015]
उत्तर- (c) तेमुचिन
- चंगेज खान मंगोलिया का एक शक्तिशाली नेता था जिसने मंगोलियाई साम्राज्य को बढ़ने में बहुत मदद की।
- चंगेज खान के नाम से जाने जाने से पहले उसका नाम टेमुजिन (या टेमुचिन) था।
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16. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए-
1. इल्तुतमिश के शासनकाल में, चंगेज खान भगोड़े ख्वारिज्म युवराज की खोज में सिंधु नदी तक पहुंचा था।
2. मुहम्मद बिन तुगलक के शासनकाल में, तैमूर ने मुल्तान पर अधिकार किया था और सिंधु नदी पार की थी।
3. विजयनगर साम्राज्य के देवराय द्वितीय के शासनकाल में, वास्को द गामा केरल के तट पर पहुंचा था।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/कौन-से सही है/हैं?
(a) केवल 1
(b) 1 और 2
(c) केवल 3
(d) 2 और 3
[I.A.S. (Pre) 2021]
उत्तर- (a) केवल 1
- इल्तुतमिश के शासनकाल में भारत के तुर्की राज्य को मंगोलों के आक्रमण की संभावना से एक महान संकट उत्पन्न हुआ।
- इल्तुतमिश के शासनकाल में मंगोल शासक चंगेज खान भगोड़े ख्वारिज्म युवराज जलालुद्दीन मांगबर्नी का पीछा करते हुए सिंधु नदी तक पहुंचा था।
- अतः कथन (1) सत्य है।
- 1398 ई. में तैमूर ने भारत पर आक्रमण किया था।
- तैमूर ने नासिरुद्दीन महमूद के शासनकाल में मुल्तान पर अधिकार करके सिंधु नदी पार की थी।
- इस प्रकार तैमूर के आक्रमण के समय दिल्ली का सुल्तान नासिरुद्दीन महमूद था न कि मुहम्मद बिन तुगलक।
- अतः कथन (2) असत्य है।
- विजयनगर साम्राज्य के देवराय द्वितीय के शासनकाल में ईरान का राजदूत अब्दुर्रज्जाक विजयनगर आया था।
- 1498 ई. में पुर्तगाल का यात्री वास्को द गामा केरल के तट पर पहुंचा था।
- उस समय विजयनगर पर ‘नरसा नायक’ के पुत्र ‘तिम्मा’ का शासन था।
- अतः कथन (3) असत्य है।
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17. इल्तुतमिश ने बिहार में अपना प्रथम सूबेदार नियुक्त किया था?
(a) ऐवाज
(b) नासिरुद्दीन महमूद
(c) अलीमर्दान
(d) मलिक जानी
[48th to 52nd B.P.S.C. (Pre) 2008]
उत्तर-(d) मलिक जानी
- 1225 में, इल्तुतमिश ने राजमहल पहाड़ों में तेलियागढ़ी के पास हिसामुद्दीन अवाज के खिलाफ जीत हासिल की।
- आवाज़ ने इल्तुतमिश के अधिकार को स्वीकार कर लिया और इल्तुतमिश ने मलिक-जानी को बिहार का प्रभारी बना दिया।
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18. रजिया बेगम को सत्ताच्युत करने में किसका हाथ था?
(a) अफगानों का
(b) मंगोलों का
(c) तुर्कों का
(d) अरबों का
[U. P. Lower Sub. (Pre) 2004]
उत्तर- (c) तुर्कों का
- भटिंडा के गवर्नर मलिक अल्तुनिया के नेतृत्व में तुर्की सरदारों ने रजिया बेगम के खिलाफ विद्रोह किया और उनकी शक्ति छीन ली।
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19. दिल्ली के सुल्तान बलबन का पूरा नाम था।
(a) जलालुद्दीन
(b) इल्तुतमिश
(c) गयासुद्दीन
(d) कुतुबुद्दीन
[Chhattisgarh P.C.S. (Pre) 2004]
उत्तर-(c) गयासुद्दीन
- गयासुद्दीन बलबन दिल्ली के मामलुक वंश का नौवां सुल्तान था।
- वह अंतिम शम्सी सुल्तान नसीरुद्दीन के उत्तराधिकारी थे।
- उसने कुलीन वर्ग को कम शक्तिशाली बना दिया और सुल्तान का सम्मान बढ़ा दिया।
- हालाँकि उसे अधिक सैन्य सफलताएँ नहीं मिलीं, फिर भी वह शम्सुद्दीन इल्तुतमिश और अलाउद्दीन खिलजी के बीच सबसे शक्तिशाली शासक था।
- जब उन्होंने अपनी बेटी का विवाह सुल्तान नसीरुद्दीन से किया तो उन्हें उलुग खान की उपाधि और नायब-ए-ममलिकत का पद दिया गया।
- बलबन ने 1266 ई. में दिल्ली की गद्दी संभाली।
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20. दिल्ली के किस सुल्तान के विषय में कहा गया है कि उसने “रक्त और लौह” की नीति अपनाई थी?
(a) इल्तुतमिश
(b) बलबन
(c) जलालुद्दीन फिरोज खिलजी
(d) फिरोजशाह तुगलक
[U.P. P. C. S. (Mains) 2009]
उत्तर-(b) बलबन
- बलबन अपनी ‘रक्त और लौह’ नीति के लिए जाना जाता था।
- वह राजाओं के दैवीय अधिकार में दृढ़ विश्वास रखते थे और कहते थे कि सुल्तान को एक निरंकुश नेता होना चाहिए।
- उन्होंने कहा कि सुल्तान धरती पर ईश्वर का प्रतिनिधि है और जनता और नेताओं को उसके फैसलों पर सवाल उठाने का कोई अधिकार नहीं है।
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21. नीचे दो वक्तव्य दिए गए हैं, एक को कथन (A) और दूसरे को कारण (R) कहा गया है-
कथन (A): बलबन ने अपने शासन को शक्तिशाली बनाया और सारी सत्ता अपने हाथ में केंद्रित कर ली।
कारण (R): वह उत्तर-पश्चिम सीमा को मंगोल आक्रमण से सुरक्षित करना चाहता था।
कोड :
(a) (A) और (R) दोनों सही हैं और (A) की समुचित व्याख्या (R) है।
(b) (A) और (R) दोनों सही हैं, किंतु (A) की समुचित व्याख्या (R) नहीं है।
(c) (A) सही है, किंतु (R) गलत है।
(d) (A) गलत है, किंतु (R) सही है।
[U.P.P.C.S. (Mains) 2013]
उत्तर-(b) (A) और (R) दोनों सही हैं, किंतु (A) की समुचित व्याख्या (R) नहीं है।
- गयासुद्दीन बलबन दिल्ली सल्तनत में गुलाम वंश का नेता था और उसने 1266 से 1287 ई. तक शासन किया था।
- उनका मानना था कि भगवान ने उन्हें सम्राट बनने की शक्ति दी है और उनका पूरा नियंत्रण है।
- उन्होंने सिजदा और पैबोस की परंपरा शुरू की।
- उन्होंने खुद को मंगोलियाई हमलों से बचाने के लिए देश के उत्तर-पश्चिमी हिस्से में मजबूत दीवारें भी बनवाईं।
- अभिकथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं, लेकिन कारण (R) अभिकथन (A) की सही व्याख्या नहीं करता है।
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22. अपनी शक्ति को समेकित करने के बाद बलबन ने भव्य उपाधि धारण की-
(a) तूतिए-हिंद
(b) कैसरे-हिंद
(c) जिल्ले-इलाही
(d) दीने-इलाही
[I.A.S. (Pre) 1997]
उत्तर-(c) जिल्ले-इलाही
- बलबन ने अपना शासन नेतृत्व के प्रसिद्ध मॉडलों पर आधारित किया।
- वह अपने शासनकाल की अच्छी प्रतिष्ठा बनाना चाहता था।
- उनका मानना था कि वह पृथ्वी पर ईश्वर के प्रतिनिधि हैं और पैगंबर के समान महत्व रखते हैं।
- उन्होंने खुद को “भगवान की छवि” के रूप में देखा और राजत्व का सिद्धांत बनाने वाले पहले सुल्तान थे।
- उन्होंने अपने बेटे को सिखाया कि सुल्तान की भूमिका पूर्ण शक्ति का प्रतीक है।
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23. निम्नलिखित में से किसने भारत में प्रसिद्ध फारसी त्यौहार ‘नौरोज’ को आरंभ करवाया ?
(a) बलबन
(b) इल्तुतमिश
(c) फिरोज तुगलक
(d) अलाउद्दीन खिलजी
[I.A.S. (Pre) 1993]
उत्तर- (a) बलबन
- बलबन ने अपने दरबार के लिए कानून और नियम बनाए और सुनिश्चित किया कि उनका पालन किया जाए।
- वह ईरानी शासकों से प्रेरित था और उनके कई रीति-रिवाजों को अपने दरबार में लाया, जैसे सिज़दाह (जमीन पर झुकना) और पाइबोस (राजा के पैरों को चूमना) की परंपरा।
- इसके अतिरिक्त, उन्होंने फ़ारसी त्योहार नवरोज़ को मनाने के लिए अनुष्ठानों को शामिल किया।
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24. निम्नलिखित में से कौन-सा कथन बलबन के संबंध में सही नहीं है?
(a) उसने नियामत-ए-खुदाई के सिद्धांत का प्रतिपादन किया।
(b) उसने इक्तादारी व्यवस्था का प्रारंभ किया।
(c) उसने तुर्कान-ए-चहलगानी का प्रभाव समाप्त किया।
(d) उसने बंगाल के विद्रोह का दमन किया।
[Chhattisgarh P.C.S. (Pre) 2008]
उत्तर-(b) उसने इक्तादारी व्यवस्था का प्रारंभ किया।
- बहाउद्दीन को ‘उलुग खान’ की उपाधि नसीरुद्दीन महमूद ने और ‘ज़िल-ए-इलाही’ की उपाधि स्वयं दी थी।
- उनका शासन काल 1266 से 1286 शताब्दी तक रहा।
- बलबन अपने शासन सिद्धांत के लिए प्रसिद्ध है जो शासन करने के फ़ारसी तरीके से प्रेरित था।
- उनका मानना था कि राजा ‘नियामत-ए-ख़ुदाई’ या ईश्वर का प्रतिनिधि था।
- उन्होंने इल्तुतमिश द्वारा स्थापित ‘तुर्कान-ए-चहलगानी’ को समाप्त कर दिया और 1279 शताब्दी में तुगरिल खान के विद्रोह को दबा दिया और विद्रोह करने वालों को दंडित किया।
- इक्तादारी प्रणाली का निर्माण इल्तुतमिश ने किया था।
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25. निम्नलिखित सुल्तानों में से किसने गढ़मुक्तेश्वर की मस्जिद की दीवारों पर अपने शिलालेख में स्वयं को ‘खलीफा का सहायक’ कहा है?
(a) बलबन
(b) कैकुबाद
(c) जलालुद्दीन खिलजी
(d) उपर्युक्त में से कोई नहीं
[U.P.R.O./A.R.O. (Mains) 2014]
उत्तर-(a) बलबन ने गढ़मुक्तेश्वर के मस्जिद के दीवारों पर उत्कीर्ण शिलालेख पर स्वयं को ‘खलीफा का सहायक’ कहा है।
- बलबन ने गढ़मुक्तेश्वर की मस्जिद की दीवारों पर लिखा कि वह “एक खलीफा का सहायक” था।
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26. तुगरिल खां ने किसके शासनकाल के दौरान विद्रोह किया था?
(a) बलबन
(b) अलाउद्दीन खलजी
(c) फिरोज तुगलक
(d) खिज्र खां
(e) उपर्युक्त में से कोई नहीं/उपर्युक्त में से एक से अधिक
[67th B.P.S.C. (Pre) (Re. Exam) 2022]
उत्तर- (a) बलबन
- तुगरिल खां ने बलबन के काल में विद्रोह किया था।
- यह विद्रोह बंगाल में अमीन खान की नियुक्ति के विरोध में हुआ था।
- कालांतर में बलबन के बंगाल अभियान से डरकर तुगरिल भाग गया।
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