संसद की संरचना : लोकसभा के सापेक्ष राज्य सभा की संवैधानिक स्थिति की तुलना

प्रश्न: विधायी शक्तियों के संदर्भ में लोकसभा के सापेक्ष राज्य सभा की संवैधानिक स्थिति की तुलना कीजिए। साथ ही, इस संदर्भ में राज्य सभा को दी गई विशेष शक्तियों का भी उल्लेख कीजिए।

दृष्टिकोण:

  • संसद की संरचना का संक्षिप्त परिचय देते हुए उत्तर आरंभ कीजिए।
  • तत्पश्चात, विधायी शक्तियों के संदर्भ में लोकसभा के सापेक्ष राज्य सभा की संवैधानिक स्थिति की तुलना कीजिए अर्थात् यह बताइए कि दोनों सदन किन मामलों में समान हैं और किन में समान नहीं हैं।
  • साथ ही, राज्य सभा को प्रदत्त विशेष शक्तियों का उल्लेख कीजिए।

उत्तरः

संसद का गठन राष्ट्रपति, लोकसभा और राज्यसभा से मिलकर होता है तथा संसद के इन तीनों स्तंभों द्वारा विधि निर्माण के विभिन्न चरणों में विधायी प्रक्रिया के संबंध में अलग-अलग भूमिकाओं का निर्वहन किया जाता है। विधायी शक्तियों के संदर्भ में लोकसभा के सापेक्ष राज्यसभा की संवैधानिक स्थिति की तुलना निम्नलिखित प्रकार से की जा सकती है:

लोकसभा के समान स्थिति:

निम्नलिखित मामलों में राज्यसभा को लोकसभा के समान विधायी शक्ति प्राप्त है:

  • सामान्य विधेयकों का पुरःस्थापन और उनको पारित करना।
  • संवैधानिक संशोधन विधेयकों का पुरःस्थापन और उनको पारित करना।
  • भारत की संचित निधि से व्यय को शामिल करने वाले वित्तीय विधेयकों का पुरःस्थापन और उनको पारित करना।
  • राष्ट्रपति द्वारा प्रख्यापित अध्यादेशों की स्वीकृति।

लोकसभा के सापेक्ष असमान स्थिति

  • एक धन विधेयक को केवल लोकसभा में ही पुरःस्थापित किया जा सकता है, राज्य सभा में नहीं।
  • राज्यसभा धन विधेयक को अस्वीकृत या संशोधित नहीं कर सकती है। राज्य सभा के लिए इस विधेयक को सिफारिश या बिना सिफारिश के 14 दिनों के भीतर लोकसभा को वापस करना अनिवार्य है और लोकसभा, राज्यसभा की सभी सिफारिशों को स्वीकार या अस्वीकार कर सकती है।
  • एक वित्त विधेयक, जिसमें केवल अनुच्छेद 110 सम्बन्धी मामले ही शामिल न हों, केवल लोकसभा में पुरः स्थापित किया जा सकता है। लेकिन इसके पारित करने के संदर्भ में, दोनों सदनों की शक्तियां समान हैं।
  • कोई विशेष विधेयक धन विधेयक है या नहीं यह निर्धारित करने की अंतिम शक्ति लोकसभा अध्यक्ष में निहित है और अध्यक्ष दोनों सदनों की संयुक्त बैठक की अध्यक्षता करता है।
  • राज्यसभा केवल बजट पर चर्चा कर सकती है किन्तु अनुदान की मांगों पर मतदान नहीं कर सकती है।

इस संदर्भ में राज्यसभा की विशेष शक्तियाँ:

राज्यसभा को दो अनन्य या विशेष शक्तियां प्रदान की गयी हैं, जो लोकसभा को प्राप्त नहीं है:

  • यह संसद को अनुच्छेद 249 के तहत राज्य सूची में शामिल विषयों पर विधि निर्माण हेतु अधिकृत कर सकती है।
  • यह संसद को अनुच्छेद 312 के तहत केंद्र और राज्यों दोनों के लिए नई अखिल भारतीय सेवाओं के सृजन हेतु अधिकृत कर सकती है।

इसलिए, अन्ततः वित्तीय मामलों और मंत्रिपरिषद पर नियंत्रण के अतिरिक्त राज्यसभा की शक्ति और स्थिति व्यापक रूप से लोकसभा के साथ समान है और उसके साथ समन्वय स्थापित करती है।

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