संघवाद की अवधारणा : भारतीय संघ की व्याख्या

प्रश्न: व्याख्या कीजिए कि यह तर्क क्यों दिया जाता है कि भारत संघवाद का एक अद्वितीय उदाहरण है।

दृष्टिकोण

  • संक्षेप में, संघवाद की अवधारणा को परिभाषित कीजिए और भारतीय संघ की व्याख्या कीजिए।
  • भारतीय संघ की अद्वितीय विशेषताओं को रेखांकित कीजिए।

उत्तर

संघवाद की लाक्षणिक विशेषता राष्ट्रीय सरकार और क्षेत्रीय सरकारों के मध्य शक्तियों का संवैधानिक विभाजन है। इसके अंतर्गत दोनों इकाइयाँ अपने संबंधित क्षेत्राधिकारों में परिचालित की जाती हैं। संयुक्त राज्य अमेरिका को संघवाद के व्यावहारिक स्वरुप का एक प्रमुख उदाहरण माना जाता है।

भारतीय संविधान क्षेत्रीय स्वायत्तता के साथ-साथ कुशल शासन और राष्ट्रीय एकता को सुनिश्चित करने हेतु एक संघीय प्रणाली की भी स्थापना करता है। हालांकि इसमें गैर-संघीय अथवा एकात्मक विशेषताएं भी सम्मिलित हैं। इस प्रकार इसे अर्द्धसंघात्मक प्रणाली के रूप में भी वर्णित किया गया है और अनेक राजनीतिक विशेषज्ञ इसे ‘संघवाद के अद्वितीय उदाहरण’ के रूप में वर्णित करते हैं। निम्नलिखित कारणों से इसे संघवाद का अद्वितीय उदाहरण माना जाता है:

  • राज्यों की तुलना में केंद्र को अधिक शक्तियां प्राप्त हैं। 
  • अमेरिकी मॉडल के अनुसार कोई संघ ‘संवैधानिक इकाइयों के मध्य किसी संधि या व्यवस्था’ के माध्यम से गठित किया जाता है। जबकि भारतीय संघ राज्यों के मध्य एक समझौते का परिणाम नहीं है।
  • अनेक उदाहरणों में संघीय प्रणाली राज्यों को संघ से अलग होने का अधिकार प्रदान करती है किन्तु संविधान के अनुच्छेद 1 के अंतर्गत भारतीय राज्यों को संघ से अलग होने का कोई अधिकार नहीं है। इसका आशय है कि भारत “विनाशी राज्यों का अविनाशी संघ” है।
  • अनुसूची 7 के अंतर्गत भारतीय संघ में केंद्र और राज्यों के मध्य शक्तियों का स्पष्ट विभाजन किया गया है। हालांकि इस व्यवस्था को आपातकाल (अनुच्छेद 352 और 356) जैसी कुछ परिस्थितियों में केंद्र सरकार के पक्ष में परिवर्तित किया जा सकता है।
  • उच्च सदन में प्रतिनिधित्व के सन्दर्भ में, अमेरिकी और ऑस्ट्रेलियाई संघीय प्रणाली के विपरीत भारतीय प्रणाली में अभी तक सभी राज्यों को समान दर्जा प्रदान नहीं किया गया है।
  • यद्यपि केंद्र और राज्यों के प्रभाव क्षेत्र अलग-अलग हैं, फिर भी भारतीय संघीय प्रणाली का झुकाव एक सशक्त केंद्र की ओर है। संवैधानिक प्रावधान जैसे: अखिल भारतीय सेवाएं, राज्यपाल का पद, नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक, निर्वाचन आयोग इत्यादि केंद्र को शक्तिशाली बनाते हैं। यह प्रणाली कनाडा की संघीय प्रणाली के समान है।
  • भारतीय संविधान में द्वैध संविधान, दोहरी नागरिकता जैसी कुछ प्रमुख संघीय विशेषताओं का प्रावधान नहीं किया गया है।

1994 के एस.आर. बोम्मई बनाम भारत संघ मामले में उच्चतम न्यायालय ने कहा कि ‘संघवाद’ संविधान की आधारभूत विशेषता है। यद्यपि एकात्मकता की ओर झुकाव को स्वीकार करना एक न्यायोचित कदम रहा है और देश के राजनीतिक एवं आर्थिक परिदृश्य का झुकाव क्रमिक रूप से शक्ति के अधिक हस्तांतरण और विकेन्द्रीकरण की दिशा में भी हो रहा है।

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