राष्ट्रीय इस्पात नीति, 2017:लौह एवं इस्पात उद्योग के महत्व

प्रश्न: अर्थव्यवस्था के आधारभूत निर्माण खंड के रूप में लौह एवं इस्पात उद्योग के महत्व पर प्रकाश डालिए। इस सन्दर्भ में, राष्ट्रीय इस्पात नीति, 2017 की प्रमुख विशेषताओं पर चर्चा कीजिए।

दृष्टिकोण

  • अर्थव्यवस्था के लिए लौह एवं इस्पात उद्योग के महत्व पर चर्चा कीजिए।
  • राष्ट्रीय इस्पात नीति 2017 की प्रमुख विशेषताओं का वर्णन कीजिए।

उत्तर

लौह एवं इस्पात उद्योग, अवसंरचना और विनिर्माण क्षेत्रों का मुख्य आधार और रणनीतिक रूप से एक महत्वपूर्ण उद्योग है। इस उद्योग के कई फॉरवर्ड एंड बैकवर्ड लिंकेज होने के कारण, यह आर्थिक विकास में संवर्द्धक की भूमिका निभाता है। इसके अतिरिक्त, मेक इन इंडिया और स्मार्ट सिटी मिशन जैसी परियोजनाओं से इस्पात की घरेलू खपत में नाटकीय वृद्धि हुई है। उल्लेखनीय है कि 50% से अधिक इस्पात का उत्पादन छोटे उत्पादकों द्वारा किया जाता है, अतः इनके द्वारा बड़ी संख्या में लोगों को रोजगार प्रदान किया जा रहा है। इस प्रकार भारत और विश्व में मांग एवं आपूर्ति पक्ष में हो रही वृद्धि को देखते हुए उन्नत नीतिगत उपायों की आवश्यकता है।

राष्ट्रीय इस्पात नीति 2017 की मुख्य विशेषताएं

  • निजी विनिर्माताओं, MSME इस्पात उत्पादकों, CPSEs को नीतिगत समर्थन और मार्गदर्शन प्रदान कर इस्पात उत्पादन में आत्मनिर्भरता प्राप्त करना।
  • उत्पादन की गुणवत्ता पर ध्यान केंद्रित कर वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धात्मक बढ़त प्राप्त करना।
  • लागत दक्षता से समझौता किए बिना प्राकृतिक गैस, लौह अयस्क और कोकिंग कोयले की घरेलू उपलब्धता को लक्षित कर आगत आपूर्ति श्रृंखला पर ध्यान केंद्रित करना।
  • सीमित घरेलू कच्चे माल को ध्यान में रखते हुए विदेशी संसाधनों को प्राप्त करना।
  • घरेलू इस्पात की मांग में वृद्धि करना।
  • विदेशी निवेश को प्रोत्साहित करना।

इसके तहत 2031 तक कच्चे इस्पात की 30 mT क्षमता के निर्माण के महत्वाकांक्षी लक्ष्य को निर्धारित किया गया है, ताकि 2030-31 तक कोकिंग कोयले पर आयात निर्भरता को 50% तक कम किया जा सके और 2025-26 तक भारत को इस्पात के एक शुद्ध निर्यातक के रूप में स्थापित किया जा सके। इस लक्ष्य की प्राप्ति हेतु भारत को सभी के लिए आवास, सड़क एवं रेलवे अवसंरचना, जहाज निर्माण और ऑटोमोबाइल जैसी इस्पात गहन अवसंरचनाओं को प्रोत्साहित करना चाहिए। साथ ही, कच्चे माल की आपूर्ति सुनिश्चित करने हेतु खानों, कोल वाशरी (coal washery) और पैलेटाइज़ेशन प्लांट्स की नीलामी को पारदर्शी बनाया जाना चाहिए।

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