राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) : संरचना और इसके कार्यों की व्याख्या

प्रश्न: राष्ट्रीय हरित अधिकरण की संरचना और कार्यों की व्याख्या कीजिए। यह अधिकरण किस प्रकार विकासात्मक गतिविधियों और पर्यावरणीय चिंताओं के मध्य संतुलन स्थापित करता है?

दृष्टिकोण:

  • राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) की स्थापना की संक्षिप्त व्याख्या कीजिए।
  • इसकी संरचना और इसके कार्यों की व्याख्या कीजिए।
  • चर्चा कीजिए कि क्या अधिकरण द्वारा विकासात्मक गतिविधियों और पर्यावरणीय चिंताओं के मध्य संतुलन स्थापित किया गया है अथवा नहीं।

उत्तर:

राष्ट्रीय हरित अधिकरण की स्थापना पर्यावरण संरक्षण तथा वनों एवं अन्य प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण से संबंधित मामलों के प्रभावी और शीघ्र निपटान हेतु राष्ट्रीय हरित अधिकरण अधिनियम 2010 के अंतर्गत की गई थी। यह व्यक्तियों और संपत्ति के नुकसान के लिए सहायता और क्षतिपूर्ति का प्रावधान करता है।

NGT सिविल प्रक्रिया संहिता, 1908 के अंतर्गत निर्धारित प्रक्रिया द्वारा सीमित नहीं है बल्कि यह प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों द्वारा निर्देशित है। अधिकरण की प्रधान पीठ नई दिल्ली में तथा इसकी शाखाएँ भोपाल, पुणे, कोलकाता और चेन्नई में स्थित हैं। NGT में एक पूर्णकालिक अध्यक्ष और 10-20 न्यायिक एवं विशेषज्ञ सदस्य होते हैं। अध्यक्ष किसी विशिष्ट मामले के लिए विशिष्ट ज्ञान और अनुभव रखने वाले किसी भी व्यक्ति को आमंत्रित कर सकता है। अधिकरण का क्षेत्राधिकार ऐसे सिविल मामलों तक है जहां NGT अधिनियम की अनुसूची 1 में निर्दिष्ट अधिनियमों जैसे वायु (प्रदूषण एवं नियंत्रण ) अधिनियम, 1981, पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम, 1986, सार्वजनिक दायित्व बीमा अधिनियम, 1991 आदि के कार्यान्वयन के सन्दर्भ में पर्यावरण से संबंधित प्रश्न सामने आते हैं।

NGT विकासात्मक गतिविधियों और पर्यावरणीय चिंताओं के मध्य संतुलन बनाए रखने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसके द्वारा प्रदूषण, वन्यजीव संरक्षण आदि मुद्दों पर प्रभावपूर्ण निर्णय पारित किए गए हैं जिसके कुछ उदाहरण निम्नलिखित हैं:

  • वर्ष 2017 में, दिल्ली में प्रदूषण के गंभीर स्तर पर पहुँचने के कारण NGT ने निर्माण, औद्योगिक गतिविधियों, ट्रकों के प्रवेश इत्यादि पर प्रतिबंध लगा दिया था।
  • NGT ने बैंगलोर विकास प्राधिकरण द्वारा स्वीकृत स्टील फ्लाईओवर परियोजना के निर्माण कार्य पर रोक लगा दी थी, क्योंकि इसने 2017 में पर्यावरण मंजूरी प्राप्त नहीं की थी।
  • 2016 में इन्डैन्जर्ड ब्लैक-नेक्ड क्रेन प्रजाति की रक्षा के लिए अरुणाचल प्रदेश में न्यामजंग चू जलविद्युत परियोजनाओं की पर्यावरण मंजूरी को NGT द्वारा निलंबित कर दिया गया था।
  • इसने वर्ष 2017 में यमुना बेसिन की पारिस्थितिकी को हानि पहुँचाने के लिए आर्ट ऑफ लिविंग पर जुर्माना लगाया था।

कभी-कभी पर्यावरण संरक्षण के लिए NGT के निर्णय पर्यावरणीय मंजूरी में विलंब, आर्थिक गतिविधि में रुकावट आदि के कारण विकास एजेंडा के साथ टकराव उत्पन्न करते हैं। हालांकि, दीर्घकाल के लिए इस प्रकार के निर्णय संधारणीय विकास के लिए महत्वपूर्ण होते हैं क्योंकि आर्थिक रुकावटें विभिन्न पर्यावरणीय मुद्दों की उपेक्षा का कारण नहीं हो सकती हैं।

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