प्रवाल और प्रवाल भित्ति की संक्षेप में व्याख्या

प्रश्न: समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र में प्रवालों के महत्व पर डालिए। साथ ही प्रवाल विरंजन की परिघटना पर भी प्रकाश डालिए।

दृष्टिकोण:

  • प्रवाल और प्रवाल भित्ति की संक्षेप में व्याख्या कीजिए।
  • समुद्री पारितंत्र में प्रवाल भित्तियों के महत्व पर चर्चा कीजिए।
  • प्रवाल विरंजन और इसके लिए उत्तरदायी कारकों की व्याख्या कीजिए।

उत्तरः

प्रवाल भित्ति (कोरल रीफ) समुद्री अकशेरुकी (मूंगा) के कंकालों से निर्मित वृहद जलमग्न संरचनाएं हैं। प्रवाल प्रजातियां समुद्री जल में कैल्शियम कार्बोनेट निष्कर्षित कर कठोर, स्थायी बाह्य कंकाल (एक्सोस्केलेटन) का निर्माण करती हैं जो उनके मुलायम, कोशनुमा शरीर की सुरक्षा करता है।

इन्हें समुद्र के उष्णकटिबंधीय वर्षावन के रूप में जाना जाता है। एक-चौथाई समुद्री जीव प्रवाल भित्तियों पर निर्भर होते हैं तथा विश्व भर में पचास करोड़ से अधिक लोग खाद्य सुरक्षा, आर्थिक कल्याण और सांस्कृतिक पहचान के लिए प्रवाल भित्तियों पर निर्भर हैं। भारत में, अधिकांश प्रवाल भित्तियां अंडमान और निकोबार, लक्षद्वीप, कच्छ की खाड़ी, मन्नार की खाड़ी और मालवन में स्थित हैं।

समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र में प्रवाल भित्तियों का महत्व:

  • तट संरक्षण: प्रवाल भित्तियां तूफान, हरिकेन, टाइफून और यहां तक कि सुनामी के समय लहरों की शक्ति को कमज़ोर करती हैं। भित्तियां तटीय अपरदन, बाढ़ और संपत्ति की क्षति को रोककर विनाश एवं विस्थापन से संबंधित आर्थिक और मानवीय लागत में बचत करने में सहायता करती हैं।
  • पर्यावास: प्रवाल भित्तियां कई समुद्री जीवों के लिए पर्यावास और आश्रय उपलब्ध कराती हैं। विश्व के मत्स्य पालन के लिए प्रवाल भित्तियां महत्वपूर्ण हैं तथा महासागरों की लगभग एक-चौथाई मछलियों के लिए नर्सरियों (आश्रय स्थल) का निर्माण करती हैं।
  • पोषक तत्व पुनर्चक्रण: प्रवाल भित्तियां कार्बन एवं नाइट्रोजन स्थिरीकरण में सहायक होती हैं तथा पोषक तत्त्वों के पुनर्चक्रण में सहायता करती हैं। प्रवाल समुद्री खाद्य श्रृंखला के लिए नाइट्रोजन और अन्य आवश्यक पोषक तत्वों के स्रोत भी हैं।
  • जल निस्यंदन: प्रवाल फ़िल्टर फीडर के रूप में कार्य करते हैं, जिसका अर्थ है कि प्रवाल जल स्तंभ में निलंबित कणिकीय पदार्थ का उपभोग करते हैं। यह महासागरीय जल की गुणवत्ता और स्पष्टता की वृद्धि में योगदान करता है।
  • जलवायु संबंधी अभिलेख: प्रवाल भित्तियों का अध्ययन विगत लाखों वर्षों में घटित जलवायविक घटनाओं का स्पष्ट, वैज्ञानिक रूप से परीक्षण योग्य अभिलेख (रिकॉर्ड) प्रदान करता है।

हालांकि, वर्तमान में प्रवाल विभिन्न मानवजनित कारकों के कारण प्रवाल विरंजन के खतरे का सामना कर रहे हैं। प्रवाल विरंजन तब घटित होता है जब असामान्य पर्यावरणीय स्थितियां, जैसे कि उष्ण समुद्री तापमान के कारण प्रवालों को सूक्ष्म प्रकाश संश्लेषक शैवाल को बाहर निकलना पड़ता हैं, जिससे उनका रंग सफ़ेद हो जाता है। यह अन्य जैविक और अजैविक कारकों के प्रति तनावजन्य अनुक्रिया है:

  • अधिक सौर विकिरण से संपर्क: तापीय तनाव के साथ संयुक्त प्रकाश संश्लेषक रूप से सक्रिय विकिरण और पराबैंगनी प्रकाश से उथले-जल के प्रवालों में विरंजन होता है।
  • अपवाह और प्रदूषण: तूफान से उत्पन्न वर्षा तेजी से समुद्र के जल को तनु कर सकती है और अपवाह जल प्रदूषकों को समुद्र में प्रवाहित कर सकता है, जो तट के निकट स्थित प्रवालों का विरंजन कर सकते हैं।
  • अत्यधिक निम्न ज्वार: इन ज्वारों के दौरान वायु के संपर्क में आने से उथले जल के प्रवालों में भी विरंजन हो सकता है।

इन खतरों की पहचान करते हुए, विश्व भर में प्रवाल भित्तियों की रक्षा करने पर केंद्रित कई वैश्विक पहले हैं जैसे कि- ग्लोबल कोरल मॉनिटरिंग नेटवर्क (GCRMN), ग्लोबल कोरल रीफ अलायंस (GCRA), और इंटरनेशनल कोरल रीफ इनिशिएटिव (ICRI)। ये प्रवाल भित्ति क्षेत्र की निगरानी करने और जन सामान्य में जागरूकता बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इसके अतिरिक्त, प्रवाल भित्तियों को क्षति पहुंचाने वाले उद्योगों की स्थापना को प्रतिबंधित करने और प्लास्टिक प्रदूषण को रोकने से प्रवाल पारिस्थितिकी तंत्र की सुरक्षा सुनिश्चित होगी।

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