प्रथम विश्व युद्ध और द्वितीय विश्व युद्ध की तुलना
प्रश्न: भले ही प्रथम विश्व युद्ध के कारण द्वितीय विश्व युद्ध की तुलना में कम विनाश हुआ लेकिन इसने विश्व इतिहास पर एक लम्बे समय तक प्रभाव डाला। चर्चा कीजिए।
दृष्टिकोण
- तुलना कीजिए की किस प्रकार द्वितीय विश्व युद्ध की तुलना में प्रथम विश्व युद्ध में कम विनाश हुआ था।
- उत्तरवर्ती विश्व इतिहास पर प्रथम विश्व युद्ध के दीर्घकालिक प्रभावों की चर्चा कीजिए।
- निष्कर्ष दीजिए।
उत्तर
प्रथम विश्व युद्ध तब तक इतिहास में सर्वाधिक विनाशकारी युद्ध था जब तक कि इसी के परिणामस्वरूप हुआ द्वितीय विश्व युद्ध इससे भी अधिक विनाशकारी परिणाम लेकर नहीं आया। द्वितीय विश्वयुद्ध में लगभग 40 मिलियन लोगों की मृत्यु हो गई थी तथा 21 मिलियन लोगों को मजबूरन अपने घरों से विस्थापित होना पड़ा था। वास्तव में, द्वितीय विश्व युद्ध प्रथम विश्व युद्ध की तुलना में मानव जीवन के प्रति पांच गुना अधिक विनाशकारी और आर्थिक रूप से अत्यधिक महंगा था। तथापि, प्रथम विश्व युद्ध ने विश्व इतिहास पर निम्नलिखित रूपों में दीर्घकालिक प्रभाव डाला:
- सामाजिक-आर्थिक • वैश्विक आर्थिक संतुलन में परिवर्तन: इस युद्ध ने वैश्विक आर्थिक संतुलन को परिवर्तित कर दिया। जहाँ एक ओर यूरोपीय देश कर्ज में डूब गए वहीं दूसरी ओर अमेरिका विश्व की प्रमुख औद्योगिक शक्ति और प्रमुख कर्जदाता के रूप में उभरा।
- अवसंरचना की क्षति: युद्ध के दौरान अवसंरचनात्मक परिसंपत्तियों जैसे बांध, पुल, सड़कों, रेलवे इत्यादि को अभूतपूर्व क्षति पहुंची जो कई दशकों तक उद्योगों और व्यापार के विकास हेतु हानिकारक साबित हुई। इसके परिणामस्वरूप वृहत पैमाने पर बेरोजगारी उत्पन्न हुई।
- नए हथियार: युद्ध में कई घातक तकनीकों का विकास हुआ जैसे टैंक, पनडुब्बियां, बमवर्षक विमान, मशीन-गन, जहरीली गैस, आग की लपटें फेंकने वाला यंत्र इत्यादि। इन्होंने आधुनिक युद्ध की प्रकृति को हमेशा के लिए परिवर्तित कर दिया।
- महिलाओं का उत्थान: सभी पुरुष देश के बाहर युद्ध में संलग्न थे तो महिलाओं ने फैक्ट्रियों, दुकानों तथा कार्यालयों में उनका स्थान ग्रहण कर लिया था। इसने समाज में व्याप्त रूढ़ियों और मान्यताओं के लिए चुनौती प्रस्तुत की।
राजनीतिक
- यूरोप की प्रतिष्ठा में गिरावट: किसी समय सभ्यता के केंद्र के रूप में प्रतिष्ठित यूरोपीय महाद्वीप की प्रतिष्ठा का पतन होना आरम्भ हो गया था। वास्तव में, संयुक्त राज्य अमेरिका ने अंतरराष्ट्रीय राजनीति और कूटनीति में एक प्रमुख अभिकर्ता के रूप में उभरकर इस वैश्विक रिक्तता को अधिकृत कर लिया।
- साम्राज्यों का पतन: दो सौ वर्षों से अधिक की अवधि से मध्य एवं पूर्वी यूरोप पर अपना प्रभुत्व जमाए रखने वाले साम्राज्य जैसे- होहेन्ज़ोलन (जर्मनी) तथा हैप्सबर्ग (ऑस्ट्रिया) इत्यादि रातों-रात समाप्त हो गए। कुछ देशों में लोकतांत्रिक सरकारों की स्थापना की गई और सत्ताधारियों ने लोगों के अधिकारों को मान्यता प्रदान की।
- साम्यवाद का उदय: उदाहरणार्थ, युद्ध के दबाव के कारण 1917 में रूस में दो क्रांतियां हुई जिनके परिणामस्वरूप लेनिन और बोल्शेविक (कम्युनिस्ट) सत्तारूढ़ हुए।
- फासीवादी शासनों का उद्भव: युद्ध ने जर्मनी और इटली की अर्थव्यवस्थाओं पर नकारात्मक प्रभाव डाला जिससे दोनों देश भारी कर्ज में डूब गए। हिटलर और मुसोलिनी ने शासन पर नियंत्रण करने हेतु सरकार की अलोकप्रियता का लाभ उठाते हुए फासीवादी तानाशाही की स्थापना की जिसने संपूर्ण यूरोप के इतिहास को प्रभावित किया।
- नवीन राष्ट्रवाद का उदय: युद्ध के पश्चात लोकतंत्र और राष्ट्रवाद जैसे आधुनिक विचारों को प्रोत्साहन मिला। इसके परिणामस्वरूप, यूरोप से काफी दूर स्थित अनेक उपनिवेशों में भी स्वतंत्रता आंदोलनों में अत्यधिक वृद्धि हुई।
- राष्ट्रों का अंतरराष्ट्रीय निकाय: युद्ध ने राष्ट्रों के एक ऐसे अंतरराष्ट्रीय निकाय की आवश्यकता को उत्पन्न किया जो विश्व भर में सुरक्षा तथा शॉति को बढ़ावा दे सके।
- अफ्रीकी विभाजन का अंतिम चरण: शांति समझौते के तहत जर्मनी के उपनिवेशों की ‘देखभाल’ की जिम्मेदारी मित्र राष्ट्रों को सौंप दी गयी, जिसने अफ्रीका के अंतिम विभाजन का मार्ग प्रशस्त किया।
समग्र रूप से, प्रथम विश्व युद्ध प्रभाव इतना व्यापक था कि इसने वास्तव में द्वितीय विश्व युद्ध का मार्ग प्रशस्त किया। प्रथम विश्व युद्ध के अधिकांश परिणामों ने द्वितीय विश्व युद्ध को अवश्यंभावी बना दिया था। युद्धों के प्रभाव की तुलना केवल जान और माल की क्षति के सन्दर्भ में नहीं की जा सकती। वास्तव में, युद्धों को उनके प्रभाव की समग्रता के संबंध में देखा जाना चाहिए और इस प्रकार प्रथम और द्वितीय विश्व युद्ध, दोनों ही विध्वंसकारी संपूर्ण युद्ध थे जिन्होंने एक साथ कई अलग-अलग तरीकों से विश्व इतिहास को प्रभावित किया।
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