नैतिक आयाम : अंग प्रत्यारोपण संबंधी नियम

प्रश्न: अंगदान और आवंटन की अनुमति प्रदान करने का आधार निर्मित करने हेतु उपयोग किए जाने योग्य नैतिक सिद्धांत क्या होने चाहिए ? किसी भी अंग प्रत्यारोपण कार्यक्रम की सफलता के लिए विनियमन के महत्व की चर्चा कीजिए।

दृष्टिकोण

  • मानव अंगों और ऊतकों के प्रत्यारोपण के नैतिक आयामों एवं अंग प्रत्यारोपण संबंधी नियमों को वर्णित कीजिए।
  • साथ ही, अंगदाताओं एवं इन अंगों के जरूरतमंद व्यक्तियों द्वारा सामना की जाने वाली समस्याओं और इनसे संबंधित नैतिक आयामों का भी उल्लेख कीजिए।
  • अंगों के अनैतिक व्यापार को रोकने और अंगदाताओं एवं रोगियों द्वारा सामना की जाने वाली समस्याओं के समाधान हेतु किए गए उपायों को सूचीबद्ध कीजिए।
  • प्रत्यारोपण उद्योग में निष्पक्ष व्यापार को प्रोत्साहित करने के लिए नैतिक मूल्यों पर आधारित सुझाव दीजिए।

उत्तर

अंगदान और इसमें निहित नैतिक सिद्धांत नीति निर्माण, वैज्ञानिक एवं चिकित्सीय नैतिकता और सुभेद्य एवं कमज़ोरों की सुरक्षा के दृष्टिकोण से अत्यधिक संवेदनशील मुद्दे हैं।

अंगदान प्रक्रिया को अनुप्रमाणित करने और संबंधी व्यवस्था के विभिन्न पहलुओं को मान्यता प्रदान करने वाले सिद्धांत:

  • मानव अंगों की बढ़ती मांग अंगों की आपूर्ति को प्रतिबंधित करने वाले कारक जैसे धार्मिक कारक जो लोगों को अंगदान करने से रोकते हैं।
  • आवश्यकताओं और आर्थिक क्षमता के आधार पर अंगों तक पहुंच।
  • दाता या अधिकृत व्यक्ति की सुस्पष्ट सहमति।
  • अंगों के अवैध व्यापार के लिए गुप्त बाजार का अस्तित्व।

अंग प्रत्यारोपण में निहित विभिन्न नैतिक सिद्धांत (Various ethical principles involved in the organ transplant are) :

  • पहुंच में निष्पक्षता: पहुँच में निष्पक्षता का अनुपालन सुनिश्चित करने हेतु अंगों की आवंटन व्यवस्था निष्पक्ष, खुली और पारदर्शी होनी चाहिए। कुछ लोग व्यवस्था की उपेक्षा करने और गैर-अनुपालन हेतु प्रलोभन देने में सक्षम होने के कारण किसी दूसरे को हानि की कीमत पर अपनी बारी आने से पहले अंग प्राप्त कर लेते हैं।
  • अंगदान हेतु सहमति: पूरी जानकारी के अभाव में एवं अंगदान के परिणामों के बारे में जागरुकता के बिना जबरन अंगदान नहीं करवाया जा सकता है।
  • जीवन काल में दान और मृत्यु के पश्चात् दान: एक ओर जहाँ कुछ अंगदान जीवन काल में ही किए जाते हैं और दाता इसके लिए सहमति प्रदान कर सकता है। वहीं दूसरी ओर मृत्यु पश्चात दान के सन्दर्भ में, व्यक्ति की या उसके किसी नजदीकी रिश्तेदार की पूर्व सहमति आवश्यक है, ताकि उसके मृत शरीर का गलत प्रयोग न किया जा सके।
  • भुगतान, पुरस्कार और उपहार : यह एक बहस योग्य मुद्दा है कि क्या स्वेच्छा से दान किये गये अंगों का उच्चतम बोली के आधार पर बाजार में विक्रय जाना चाहिए। एक तरफ जहाँ यह अंग की उचित कीमत के आधार पर मांग-आपूर्ति की समस्या का समाधान नहीं करता है, वहीं दूसरी तरफ ‘साधन विहीन’ लोगों के लिए जीवन जीने के अवसरों को कम करता है। मूलतः यह जीवित रहने की कीमत निर्धारित करता है, इसलिए यह अत्यधिक अन्यायपूर्ण है।

वैज्ञानिक और चिकित्सीय नैतिकता

  • चिकित्सीय सत्यनिष्ठा – ऐसा वातावरण होना चाहिए कि अपने शरीर और अंगों तक पहुँच प्रदान करने के लिए रोगी डॉक्टरों पर विश्वास कर सकें। साथ ही इसे केवल लाभ कमाने के लिए नहीं अपनाया जाना चाहिए।
  • वैज्ञानिक वैधता, सहमति और अनुमोदन – वैज्ञानिक समुदाय को प्रत्यारोपण में प्रयुक्त प्रक्रियाओं और तकनीक के संबंध में पारदर्शी होना चाहिए।

जन संरक्षण हेतु प्रत्यारोपण में निहित नैतिक मुद्दे

  • अंगदाता की उम्र: चिकित्सीय मानदंडों के अनुसार, अंगदाता और ग्राही दोनों को ही न तो बहुत कम उम्र का और न ही बहुत अधिक उम्र का होना चाहिए।
  • संबंधित और असंबंधित अंगदाता : प्रचलित विधियाँ कभी-कभी केवल रक्त संबंधियों द्वारा अंगदान की अनुमति प्रदान करती हैं। किन्तु ऐसी परिस्थितियों में अंगदाताओं के एक छोटे से पूल अथवा वर्ग में अंगदाता को ढूंढना कठिन हो जाता है।

निम्नलिखित विषयों के संबंध में एक सफल प्रत्यारोपण कार्यक्रम के विनियमन की आवश्यकता है:

  • समाज के कमजोर वर्गों की सुरक्षा- जिनका अंगदान के बाजार में अंगों के लिए शोषण किया जा सकता है।
  • अंगों में अवैध व्यापार पर रोक– ताकि अंगदान केवल निर्धारित परिस्थितियों, निर्धारित लोगों के समूह के लिए, प्रमाणित निरीक्षण के अंतर्गत किया जाए।
  • अंगों की कीमतों के विनियमन हेतु – स्वास्थ्य के लिए अंग जितने महत्वपूर्ण घटक का उद्देश्य अत्यधिक लाभ अर्जन नहीं होना चाहिए। इस प्रकार, सफल प्रत्यारोपण नीति हेतु निहित नैतिक मुद्दे और आवश्यक नीतिगत विनियमन, गंभीर एवं महत्वपूर्ण दोनों ही हैं।

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