1. भारत के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए –
- खुदरा निवेशक डीमैट खातों के माध्यम से प्राथमिक बाजार में ‘राजकोष बिल’ (ट्रेजरी बिल) और ‘भारत सरकार के ऋण बॉण्ड’ में निवेश कर सकते हैं।
- ‘बातचीत से तय लेनदेन प्रणाली-ऑर्डर मिलान’ (निगोशिएटेड डीलिंग सिस्टम ऑर्डर मैचिंग) भारतीय रिजर्व बैंक का सरकारी प्रतिभूति व्यापारिक मंच है।
- ‘सेंट्रल डिपोजिटरी सर्विसेज लिमिटेड’ का भारतीय रिजर्व बैंक एवं बंबई स्टॉक एक्सचेंज द्वारा संयुक्त रूप से प्रवर्तन किया जाता है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/कौन-से सही है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 3
(c) 1 और 2
(d) 2 और 3
[I.A.S. (Pre) 2021]
उत्तर-(b) केवल 3
- खुदरा निवेशकों द्वारा सरकारी प्रतिभूतियों (G-Secs) में निवेश की सुविधा तथा वन-स्टॉप एक्सेस प्रदान करने के लिए 12 नवंबर, 2021 को आरबीआई द्वारा खुदरा प्रत्यक्ष (Retail Direct) योजना शुरू की गई, जिसका उद्देश्य आर.डी.जी. (Retail Direct Git) खाताधारकों को आरबीआई खुदरा प्रत्यक्ष योजना के तहत प्रतिभूतियों को खरीदने / बेचने में सक्षम बनाने के लिए मूल्य / उद्धरण प्रदान करके सरकारी प्रतिभूतियों में खुदरा भागीदारी को बढ़ावा देना है।
- इसलिए कथन 1 सही है।
- एनडीएस-ओएम या निगोशिएटेड डीलिंग सेगमेंट ऑर्डर मैचिंग का अर्थ है सेकेंडरी मार्केट में सरकारी प्रतिभूतियों में ट्रेडिंग के लिए आरबीआई की स्क्रीन आधारित, इलेक्ट्रॉनिक ऑर्डर मिलान प्रणाली। यह आरबीआई के स्वामित्व में है।
- अतः कथन 2 सही है।
- सेंट्रल डिपॉजिटरी सर्विसेज लिमिटेड (सीडीएसएल) को वर्ष 1999 में ‘सुविधाजनक, भरोसेमंद और सुरक्षित डिपॉजिटरी सेवाएं’ प्रदान करने हेतु स्थापित किया गया था।
- प्रारंभ में यह बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) द्वारा प्रवर्तित किया जा रहा था, न कि भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा।
- बाद के वर्षों में बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज द्वारा अपनी हिस्सेदारी एच.डी.एफ.सी. बैंक, केनरा बैंक आदि को बेच दी गई।
- अतः कथन (3) सही नहीं है।
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2. भारत में, ‘अंतिम उधारदाता’ (लेंडर ऑफ लास्ट रिसॉर्ट) के रूप में केंद्रीय बैंक के कार्य में सामान्यतः निम्नलिखित में से क्या सम्मिलित है/हैं?
1. अन्य स्रोतों से ऋण प्राप्ति में विफल होने पर व्यापार एवं उद्योग निकायों को ऋण प्रदान करना
2. अस्थायी संकट के समय बैंकों के लिए चलनिधि उपलब्ध कराना
3. बजटीय घाटों के वित्तीयन के लिए सरकारों को ऋण देना
नीचे दिए गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिए।
(a) 1 और 2
(b) केवल 2
(c) 2 और 3
(d) केवल 3
[I.A.S. (Pre) 2021]
उत्तर-(b) केवल 2
- बैंकों के बैंकर के रूप में, रिजर्व बैंक ‘अंतिम उपाय के ऋणदाता’ के रूप में भी कार्य करता है।
- यह एक ऐसे बैंक के बचाव में आ सकता है जो सॉल्वेंट है, लेकिन अस्थायी तरलता की समस्याओं का सामना करता है, इसे बहुत आवश्यक तरलता के साथ आपूर्ति करता है जब कोई और उस बैंक को ऋण देने के लिए तैयार नहीं होता है।
- रिजर्व बैंक बैंक के जमाकर्ताओं के हितों की रक्षा करने और बैंक की संभावित विफलता को रोकने के लिए इस सुविधा का विस्तार करता है, जो बदले में अन्य बैंकों और संस्थानों को भी प्रभावित कर सकता है और वित्तीय स्थिरता और इस प्रकार अर्थव्यवस्था पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकता है।
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3. निम्नलिखित पर विचार कीजिए :
1. विदेशी मुद्रा संपरिवर्तनीय बॉण्ड
2. कुछ शर्तों के साथ विदेशी संस्थागत निवेश
3. वैश्विक निक्षेपागार (डिपॉजिटरी) प्राप्तियां
4. अनिवासी विदेशी जमा
उपर्युक्त में से किसे/किन्हें विदेशी प्रत्यक्ष निवेश में सम्मिलित किया जा सकता है/किए जा सकते हैं?
(a) 1, 2 और 3
(b) केवल 3
(c) 2 और 4
(d) 1 और 4
[I.A.S. (Pre) 2021]
उत्तर-(a) 1, 2 और 3
- अनिवेशी विदेशी जमाओं को छोड़कर शेष सभी ‘प्रत्यक्ष विदेशी निवेश’ (FDI) के तहत शामिल किए जाते हैं।
- अतः विकल्प (a) सही उत्तर है।
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4. ‘वॉटरक्रेडिट’ के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:
1. यह जल एवं स्वच्छता क्षेत्र में कार्य के लिए सूक्ष्म वित्त साधनों (माइक्रोफाइनेंस टूल्स) को लागू करता है।
2. यह एक वैश्विक पहल है जिसे विश्व स्वास्थ्य संगठन और विश्व बैंक के तत्वावधान में प्रारंभ किया गया है।
3. इसका उद्देश्य निर्धन व्यक्तियों को सहायिकी के बिना अपनी जल-संबंधी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए समर्थ बनाना है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-से सही हैं?
(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 1 और 3
(c) केवल 2 और 3
(d) 1, 2 और 3
[I.A.S. (Pre) 2021]
उत्तर-(c) केवल 2 और 3
- कथन (1) एवं (3) सही है, जबकि कथन (2) गलत है क्योंकि, वॉटर क्रेडिट पहल को वॉटर डॉट ओआरजी (Water. Org) द्वारा प्रारंभ किया गया है, न कि विश्व स्वास्थ्य संगठन एवं विश्व बैंक द्वारा।
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5. वित्तीय क्षेत्र के मूल्यांकन समिति (Committee on Financial Sector Assessment) की सह-अध्यक्षता किसके द्वारा की जाती है?
(a) रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के गवर्नर और भारत के वित्त मंत्री
(b) रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के डिप्टी गवर्नर और भारत सरकार के वित्त सचिव
(c) रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के गवर्नर और डिप्टी गवर्नर
(d) भारत का प्रधानमंत्री और रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के गवर्नर
[M.P.P.C.S. (Pre) 2020]
उत्तर-(b) रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के डिप्टी गवर्नर और भारत सरकार के वित्त सचिव
- वित्तीय क्षेत्र के मूल्यांकन समिति (Committee on Financial Sector Assessment) की सह-अध्यक्षता रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के डिप्टी गवर्नर और भारत सरकार के वित्त सचिव के द्वारा की जाती है।
- इस समिति ने 2009 में एक स्व-मूल्यांकन किया था जिसके परिणाम सार्वजनिक डोमेन में मौजूद हैं।
- ध्यातव्य है कि फाइनेंशियल सेक्टर असेसमेंट प्रोग्राम के तहत (FSAP) वर्ष 2000 के एफएसएपी आकलन में, IMF और विश्व बैंक के द्वारा केवल भारत के बैंकिंग और प्रतिभूति बाजार क्षेत्रों का ही मूल्यांकन किया गया था।
- वर्ष 1999 में इस्टैबलिश्ड FSAP और IMF विश्व बैंक का एक संयुक्त कार्यक्रम है।
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6. भारत में फर्म के “व्याज-व्याप्ति अनुपात (Interest Coverage Ratio)” पद का क्या महत्व है?
1. यह उस फर्म, जिसे बैंक ऋण देने जा रहा है, के वर्तमान जोखिम को समझने में मदद करता है।
2. यह उस फर्म, जिसे बैंक ऋण देने जा रहा है, के आने वाले जोखिम के मूल्यांकन में मदद करता है।
3. उधार लेने वाली फर्म का ब्याज-व्याप्ति अनुपात जितना अधिक होगा, उसकी ऋण समाशोधन क्षमता उतनी ही खराब होगी।
नीचे दिए गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिए :
(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 1 और 3
(c) केवल 2
(d) 1, 2 और 3
[I.A.S. (Pre) 2020]
उत्तर- (a)केवल 1 और 2
- ब्याज-व्याप्ति अनुपात (Interest Coverage Ratio) एक ऋण और लाभप्रदता अनुपात है, जिसका उपयोग यह निर्धारण करने के लिए किया जाता है कि कंपनी अपने बकाया ऋण पर कितनी आसानी से ब्याज का भुगतान कर सकती है।
- ब्याज-व्याप्ति अनुपात को कभी-कभी अर्जित ब्याज (Time Interest Earned-TIE) अनुपात कहा जाता है।
- ऋणदाता, निवेशक और लेनदार अक्सर इस फॉर्मूले का उपयोग कंपनी के मौजूदा ऋण के सापेक्ष या भविष्य में उधार लेने के लिए जोखिम का निर्धारण करने के लिए करते हैं।
- एक उच्च व्याप्ति अनुपात बेहतर है, हालांकि आदर्श अनुपात उद्योग द्वारा भिन्न हो सकता है।
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7. यदि आप अपने बैंक के मांग जमा खाते (Demand Deposit Account) में रु. 1,00,000 की नकद राशि निकालते हैं, तो अर्थव्यवस्था में तात्कालिक रूप से मुद्रा की समग्र पूर्ति पर इसका क्या प्रभाव पड़ेगा?
(a) मुद्रा की समग्र पूर्ति में रु. 1,00,000 की कमी आएगी
(b) मुद्रा की समग्र पूर्ति में रु. 1,00,000 की वृद्धि होगी
(c) मुद्रा की समग्र पूर्ति में रु. 1,00,000 से अधिक की वृद्धि होगी
(d) मुद्रा की समग्र पूर्ति अपरिवर्तित रहेगी
[I.A.S. (Pre) 2020]
उत्तर-(d) मुद्रा की समग्र पूर्ति अपरिवर्तित रहेगी
- एक निश्चित समय में लोगों में संचरण करने वाली कुल मुद्रा को मुद्रा की पूर्ति कहते हैं।
- मुद्रा की पूर्ति के वैकल्पिक मापों को चार रूपों में प्रकाशित किया जाता है- M1, M2, M3, और M 4
- M₁ = CU + DD + OD 1
M₂ = M₁ + डाकघर बचत बैंकों में बचत जमाएं। 2 1
M₁ = M₁ + व्यावसायिक बैंकों की निवल आवधिक जमाएं। 3 1
M₁ = M₃ + डाकघर बचत संस्थाओं में कुल जमाएं (राष्ट्रीय बचत 4 3 प्रमाण-पत्रों को छोड़कर)
- यहां, CU लोगों द्वारा रखी गई करेंसी (नोट और सिक्के) है और DD व्यावसायिक बैंकों द्वारा रखी गई निवल मांग जमा है।
- इस दिए हुए प्रश्न में जब DD घटक रु. 1,00,000 निकलेगा, तब CU घटक रु. 1,00,000 बढ़ जाएगा, अतः तात्कालिक रूप से मुद्रा की समग्र पूर्ति अपरिवर्तित रहेगी।
- अतः विकल्प (d) इस प्रश्न का सही उत्तर है।
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8. यदि आर.बी.आई. प्रसारवादी मौद्रिक नीति का अनुसरण करने का निर्णय लेता है, तो वह निम्नलिखित में से क्या नहीं
1. वैधानिक तरलता अनुपात को घटाकर उसे अनुकूलित करना
2. सीमांत स्थायी सुविधा दर को बढ़ाना
3. बैंक दर को घटाना तथा रेपो दर को भी घटना
नीचे दिए गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिए :
(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 1 और 3
(c) केवल 2
(d) 1, 2 और 3
[I.A.S. (Pre) 2020]
उत्तर-(b) केवल 1 और 3
- प्रसारवादी मौद्रिक नीति तब है जब किसी देश का केंद्रीय बैंक अर्थव्यवस्था में तेजी लाने के लिए पैसे की आपूर्ति को बढ़ा देता है।
- रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया, अर्थव्यवस्था में मुद्रा पूर्ति का विभिन्न तरीकों से नियंत्रण करती है।
- मुद्रा पूर्ति के लिए प्रयुक्त उपकरण परिमाणात्मक अथवा गुणात्मक हो सकते हैं।
- परिमाणात्मक उपकरण, मुद्रा पूर्ति की मात्रा को CRR अथवा बैंक दर, SLR (Statutory Liquidity Ratio) अथवा खुले बाजार की क्रियाओं में परिवर्तन करके करते हैं।
- RBI मुद्रास्फीति के समय SLR को बढ़ा देता है ‘जिससे बैंक साख सृजन कम कर सके।
- इसी तरह मंदी के समय SLR को घटा देता है जिससे बैंक अधिक साख सृजन कर सके।
- सीमांत स्थायी सुविधा (MSF) के तहत बैंक अंतर-बैंक तरलता की कमी पूरा करने के लिए आपातकालीन स्थिति में भारतीय रिजर्व बैंक से उधार लेते हैं।
- यदि रिजर्व बैंक MSF दर को बढ़ा देता है’ तो बैंकों के लिए उधार लेना महंगा हो जाएगा।
- अतः यह प्रसारवादी मौद्रिक नीति का अनुसरण नहीं करता है। अर्थव्यवस्था में तरलता को बढ़ाने के लिए बैंक दर और रेपो रेट में कमी की जाती है।
- अतः यह प्रसार वादी मौद्रिक नीति का अनुसरण करते हैं।
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9. भारतीय अर्थव्यवस्थाओं के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए :
1. ‘वाणिज्यिक पत्र (Commercial Paper)’ अल्पकालीन प्रतिभूति- रहित वचन-पत्र है।
2. ‘जमा प्रमाण-पत्र (Certificate of Deposit)’ भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा किसी निगम को निर्गत किया जाने वाला दीर्घकालीन प्रपत्र है।
3. ‘शीघ्रावधि द्रव्य (Call Money)’ अंतरबैंक लेन-देनों के लिए प्रयुक्त अल्प अवधि का वित्त है।
4. ‘शून्य-कूपन बॉण्ड (Zero-Coupon Bonds)’ अनुसूचित व्यापारिक बैंकों द्वारा निगमों को निर्गत किए जाने वाले ब्याज सहित अल्पकालीन बॉण्ड हैं।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 1 और 3
(c) केवल 4
(d) केवल 2, 3 और 4
[I.A.S. (Pre) 2020]
उत्तर-(c) केवल 4
- वाणिज्यिक पत्र (Commercial Paper) अल्पकालीन प्रतिभूति रहित वचन-पत्र है, जो कम-से-कम 7 दिन और अधिकतम एक वर्ष की अवधि के लिए जारी किया जाता है।
- अतः कथन (1) सही है।
- जमा प्रमाण-पत्र एक पराक्राम्य मुद्रा बाजार साधन है और यह एक निर्दिष्ट समय अवधि के लिए बैंक या अन्य पात्र वित्तीय संस्थान में जमा किए गए धन के विरुद्ध या एक Promissory नोट के रूप में जारी किया जाता है।
- यह फेडरल डिपोजिट इंश्योरेंस कॉर्पोरेशन द्वारा जारी किया जाता है।
- अतः कथन (2) सही नहीं है।
- शीघ्रावधि द्रव्य (Call Money) ऐसे वित्त को कहते हैं, जो लघु अवधि का होता है और जिसे मांगे जाने पर चुकता करना होता है।
- इसका उपयोग अंतरबैंक लेन-देनों में होता है।
- अतः कथन (3) सही है।
- शून्य – कूपन बॉण्ड (Zero Coupon bonds) को ‘जीरो’ भी कहते हैं, क्योंकि इन बॉण्ड्स पर किसी कूपन (ब्याज) का भुगतान नहीं होता है।
- यह हमेशा डिस्काउंट पर जारी किया जाता है।
- अतः कथन (4) सही नहीं है।
- इस प्रकार इस प्रश्न का सही उत्तर विकल्प (c) है।
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10. निम्न में से भारत का कौन-सा व्यापारिक बैंक विश्व के शीर्ष 100 बैंकों में शामिल है?
(a) आई.सी.आई.सी.आई. बैंक
(b) भारतीय स्टेट बैंक
(c) एच.डी.एफ.सी. बैंक
(d) कोटक महिंद्रा बैंक
(e) उपर्युक्त में से कोई नहीं/उपर्युक्त में से एक से अधिक
[66th B.P.S.C. (Pre) Exam. 2020]
उत्तर-(b) भारतीय स्टेट बैंक
- प्रश्नकाल तथा S & P ग्लोबल मार्केट इंटेलीजेंस द्वारा अप्रैल, 2022 तथा अप्रैल, 2021 में जारी रिपोर्ट के अनुसार कुल परिसंपत्तियों के आधार पर विश्व के 100 बैंकों में भारत का स्टेट बैंक ऑफ इंडिया क्रमशः 53वें तथा 57वें स्थान पर है, जो इस सूची में भारत का एकमात्र बैंक है।
- वर्ष 2020 की रिपोर्ट में इसका स्थान 55वां था।
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11. भारत में अर्थशोधन निवारण अधिनियम कब से लागू हुआ?
(a) 1998
(b) 1999
(c) 2001
(d) 2005
(e) उपर्युक्त में से कोई नहीं/उपर्युक्त में से एक से अधिक
[63rd B.P.S.C. (Pre) Exam. 2017]
उत्तर-(d) 2005
- अर्थशोधन निवारण अधिनियम, 2002, 1 जुलाई, 2005 को लागू हुआ है।
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12. सार्वजनिक क्षेत्रक बैंकों के अध्यक्षों का चयन कौन करता है?
(a) बैंक बोर्ड ब्यूरो
(b) भारतीय रिजर्व बैंक
(c) केंद्रीय वित्त मंत्रालय
(d) संबंधित बैंक का प्रबंधन
[I.A.S. (Pre), 2019]
उत्तर- (a) बैंक बोर्ड ब्यूरो
- सार्वजनिक क्षेत्रक बैंकों के अध्यक्ष एवं अन्य यह महत्वपूर्ण पदों हेतु चयन बैंक बोर्ड ब्यूरो (BBB) द्वारा किया जाता है, जिसकी अनुशंसा के आधार पर सरकार इनकी नियुक्ति करती है।
- सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों एवं वित्तीय संस्थानों के प्रमुखों के चयन की अनुशंसा के साथ यह बैंकों की पूंजी उद्ग्रहण योजनाओं एवं रणनीतियों के विकास में भी सहायता करता है।
- वर्तमान में बैंक बोर्ड ब्यूरो के चेयरमैन भानू प्रताप शर्मा हैं।
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13. हाल ही में भारतीय बैंकों और वित्तीय संस्थाओं द्वारा अंतर-ऋणदाता करार (इंटर-क्रेडिटर एग्रीमेंट) पर हस्ताक्षर करने का क्या उद्देश्य था?
(a) भारत सरकार के राजकोषीय घाटे और चालू लेखा घाटे के वर्षानुवर्ष पड़ने वाले भार को कम करना
(b) केंद्रीय और राज्य सरकारों की आधारिक संरचना परियोजनाओं को संबल प्रदान करना
(c) 50 करोड़ रुपये या अधिक के ऋणों के आवेदनों के मामले में स्वतंत्र नियामक के रूप में कार्य करना
(d) 50 करोड़ रुपये या अधिक की दबावयुक्त परिसंपत्तियों (स्ट्रेस्ड ऐसेट्स) का, जो सह-संघ उधारी (कॉन्सोर्टियम लेंडिंग) के अंतर्गत हैं, अधिक तेजी से समाधान करने का लक्ष्य रखना
[I.A.S. (Pre), 2019]
उत्तर-(d) 50 करोड़ रुपये या अधिक की दबावयुक्त परिसंपत्तियों (स्ट्रेस्ड ऐसेट्स) का, जो सह-संघ उधारी (कॉन्सोर्टियम लेंडिंग) के अंतर्गत हैं, अधिक तेजी से समाधान करने का लक्ष्य रखना
- सुनील मेहता समिति की अनुशंसाओं के आधार पर तथा सरकार द्वारा दबावयुक्त परिसंपत्तियों (Stressed Assets or Bad Loans) के समाधान हेतु स्वीकृत प्रोजेक्ट ‘सशक्त’ के तहत 23 जुलाई, 2018 को भारतीय बैंकों और वित्तीय संस्थाओं द्वारा अंतर-ऋणदाता करार (Inter-Creditor Agreement) पर हस्ताक्षर किए गए।
- इस समझौते का उद्देश्य 50 करोड़ रुपये या अधिक की दबावयुक्त परिसंपत्तियों जो सह-संघ उधारी (Consortium Lending) के अंतर्गत है, के समाधान (Resolution) को त्वरित करना था।
- इस करार पर एसबीआई और पीएनबी सहित 22 सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों, 19 निजी क्षेत्र के बैंकों एवं 32 विदेशी बैंकों के साथ एलआईसी एवं हुडको जैसे 12 प्रमुख वित्तीय संस्थानों द्वारा हस्ताक्षर किए गए।
- इस करार के तहत कॉन्सोर्टियम के मुख्य ऋणदाता को अधिक अधिकार देते हुए समाधान योजना प्रस्तुत करने तथा समूह के 66 प्रतिशत ऋणदाता बैंकों द्वारा सहमत होने पर उस योजना के अनुमोदन का प्रावधान किया गया।
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14. भारत के संदर्भ में, मुद्रा संकट के जोखिम को कम करने में निम्नलिखित में से किस/किन कारक/कारकों का योगदान है?
1. भारत के IT सेक्टर के विदेशी मुद्रा अर्जन का
2. सरकारी व्यय के बढ़ने का
3. विदेशस्थ भारतीयों द्वारा भेजे गए धन का
नीचे दिए गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिए।
(a) केवल 1
(b) केवल 1 और 3
(c) केवल 2
(d) 1, 2 और 3
[I.A.S. (Pre), 2019]
उत्तर-(b) केवल 1 और 3
- मुद्रा संकट (Currency Crisis) से तात्पर्य ऐसी परिस्थिति से है, जब किसी देश के केंद्रीय बैंक की अपने विदेशी मुद्रा भंडार के आधार पर देश की मुद्रा की नियत विनिमय दर को बनाए रखने की क्षमता पर गंभीर प्रश्न चिह्न हों।
- सामान्यतः ऐसी स्थिति तब उत्पन्न होती है, जब कोई देश गंभीर रूप से भुगतान संतुलन (Balance of Payment) घाटे का सामना कर रहा हो तथा वह अपने आयात एवं ऋण शोधन का वित्तीयन अपने अपर्याप्त विदेशी मुद्रा भंडार से न कर पा रहा हो।
- ऐसी स्थिति में देश का केंद्रीय बैंक देश की मुद्रा की विनिमय दर को स्थिर रखने में असफल रहता है और मुद्रा का मूल्य गिरता जाता है।
- भारत के संदर्भ में, देश के IT सेक्टर द्वारा विदेशी मुद्रा अर्जन एवं विदेशस्थ भारतीयों द्वारा भेजा गया धन (Remittances) देश में विदेशी मुद्रा अंतर्वाह को बढ़ाकर विदेशी मुद्रा भंडार में वृद्धि करने के साथ भुगतान संतुलन के घाटे को कम करने तथा तदनुसार मुद्रा संकट के जोखिम को कम करने के संदर्भ में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं।
- इसके विपरीत सरकारी व्यय के बढ़ने से यदि रुपये की आपूर्ति बढ़ती है, तो ऐसी स्थिति में रुपये का मूल्य गिरने से मुद्रा संकट का जोखिम और बढ़ सकता है। इस प्रकार विकल्प (b) सही उत्तर है।
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15. भारतीय रुपये की गिरावट रोकने के लिए निम्नलिखित में से कौन-सा एक सरकार/भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा किया जाने वाला सर्वाधिक संभावित उपाय नहीं है?
(a) गैर-जरूरी वस्तुओं के आयात पर नियंत्रण और निर्यात को प्रोत्साहन
(b) भारतीय उधारकर्ताओं को रुपये मूल्यवर्ग के मसाला बॉन्ड जारी करने हेतु प्रोत्साहित करना
(c) विदेशी वाणिज्यिक उधारी से संबंधित दशाओं को आसान बनाना
(d) एक प्रसरणशील मौद्रिक नीति का अनुसरण करना
[I.A.S. (Pre), 2019]
उत्तर-(d) एक प्रसरणशील मौद्रिक नीति का अनुसरण करना
- गैर-जरूरी वस्तुओं के आयात पर नियंत्रण एवं निर्यात को प्रोत्साहन, रुपये मूल्यवर्ग के मसाला बॉन्ड जारी करने तथा विदेशी वाणिज्यिक उधारी (ECB) से संबंधित दशाओं को आसान बनाने जैसे उपायों से देश में विदेशी मुद्रा (विशेषकर डॉलर) का अंतर्वाह बढ़ेगा, जिससे भारतीय रुपये में मजबूती आएगी।
- इसके विपरीत भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा प्रसरणशील (Expansionary) मौद्रिक नीति के अनुसरण से मुद्रा आपूर्ति में वृद्धि होगी और ब्याज दरों में कमी आएगी, जिससे मुद्रा का मूल्य घटेगा, मुद्रास्फीति बढ़ेगी तथा विदेशी मुद्रा (विशेषकर डॉलर) का बहिर्वाह बढ़ेगा एवं भारतीय रुपये में और गिरावट आएगी।
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16. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए-
‘भुगतान प्रणाली आंकड़ों के भंडारण (स्टोरेज ऑफ पेमेंट सिस्टम डेटा)’ के संबंध में भारतीय रिजर्व बैंक के हाल का निदेश, जिसे प्रचलित रूप से डेटा डिक्टेट के रूप में जाना जाता है, भुगतान प्रणाली प्रदाताओं (पेमेंट सिस्टम प्रोवाइडर्स) को समादेशित करता है कि
1. वे यह सुनिश्चित करेंगे कि उनके द्वारा संचालित भुगतान प्रणालियों से संबंधित समग्र आंकड़े एक प्रणाली के अंतर्गत केवल भारत में भंडारित किए जाएं
2. वे यह सुनिश्चित करेंगे कि इन प्रणालियों का स्वामित्व और संचालन सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यम ही करें
3. वे कैलेंडर वर्ष की समाप्ति तक भारत के नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक को समेकित प्रणाली लेखापरीक्षा रिपोर्ट प्रस्तुत करेंगे
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सही है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 1 और 2
(c) केवल 3
(d) 1, 2 और 3
[I.A.S. (Pre), 2019]
उत्तर- (a) केवल 1
- ‘भुगतान प्रणाली आंकड़ों के भंडारण (स्टोरेज ऑफ पेमेंट सिस्टम डेटा)’ के संबध में भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा 6 अप्रैल, 2018 को जारी निदेश, भुगतान प्रणाली प्रदाताओं को समादेशित करता है कि उनके द्वारा परिचालित भुगतान प्रणालियों से संबंधित समस्त आंकड़े केवल भारत में ही एक प्रणाली में संग्रहीत किए जाएं।
- इन आंकड़ों में मैसेज भुगतान निर्देश के हिस्से के रूप में शुरुआत से लेकर अंत तक के समस्त लेन-देन संबंधी विवरण / संग्रह की गई/लाई गई / संसाधित की गई सूचना शामिल होनी चाहिए।
- इस कार्य के पूर्ण होने के पश्चात प्रणाली प्रदाता प्रणालीगत लेखा परीक्षा रिपोर्ट (System Audit Report : SAR) प्रस्तुत करेंगे।
- यह लेखापरीक्षा ‘CERT-IN’ (Indian Computer Emergency Response Team) सूचीबद्ध लेखापरीक्षकों द्वारा की जाएगी।
- इस प्रकार कथन 3 असत्य है।
संबंधित निदेश में कथन 2 संबंधी बाध्यता नहीं दी गई है। अतः कथन 2 भी असत्य है।
- इस प्रकार विकल्प (a) सही उत्तर होगा।
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17. नीचे दो कथन दिए गए हैं, जिनमें एक को अभिकथन (A) तथा दूसरे को कारण (R) से चिह्नित किया गया है।
अभिकथन (A) : ऑपरेशन ट्विस्ट के अंतर्गत आर.बी.आई. एक ही समय में अल्पकालीन प्रतिभूतियों को बेचकर दीर्घकालीन प्रतिभूतियों को खरीदता है।
कारण (R) : इस ऑपरेशन का मुख्य उद्देश्य दीर्घकालीन निवेश को बढ़ाना है।
नीचे दिए गए कूट से सही उत्तर का चयन कीजिए।
कूट :
(a) दोनों (A) तथा (R) सत्य हैं तथा (R), (A) की सही व्याख्या है।
(b) दोनों (A) तथा (R) सत्य हैं तथा (R), (A) की सही व्याख्या नहीं है।
(c) (A) सत्य है, किंतु (R) असत्य है।
(d) (A) असत्य है, किंतु (R) सत्य है।
[U.P.R.O/A.R.O. (Re-Exam) (Pre) 2016]
उत्तर-(a) दोनों (A) तथा (R) सत्य हैं तथा (R), (A) की सही व्याख्या है।
- जुलाई, 2020 में घरेलू मांग में तेजी लाने, निवेशकों को लुभाने तथा सुस्त पड़ी अर्थव्यवस्था को रफ्तार देने के उद्देश्य से रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने ‘ऑपरेशन ट्विस्ट’ (Operation Twist) शुरू किया है।
- इसके तहत रिजर्व बैंक सरकार से 10 हजार करोड़ रुपये का दीर्घकालीन सरकारी बॉण्ड की खरीद की तथा उतनी ही रकम के अल्पकालीन ट्रेजरी बिलों की बिक्री की।
- इससे अर्थव्यवस्था में दीर्घकालीन निवेश को बढ़ावा मिला है। वर्ष 2019 में रिजर्व बैंक ने रेपो दर में 135 बेसिस प्वॉइंट्स की कटौती की, लेकिन बैंकों ने इसका अत्यधिक लाभ लोगों तक नहीं पहुंचाया।
- यही कारण है कि आरबीआई ‘ऑपरेशन ट्विस्ट’ की मदद से आर्थिक सुस्ती दूर करने की कोशिश में लगा है।
- ‘ऑपरेशन ट्विस्ट’ एक मौद्रिक नीति है, जिसे पहली बार अमेरिका फेडरल रिजर्व ने प्रयोग किया था।
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18. कैशलेस लेन-देन को बढ़ावा देने के लिए भारत सरकार द्वारा किस समिति का गठन किया गया है?
(a) नचिकेत मोर समिति
(b) शांताकुमार समिति
(c) एच. आर. खान समिति
(d) नीरज कुमार गुप्ता समिति
(e) उपरोक्त में से कोई नहीं/ उपरोक्त में से एक से अधिक
[B.P.S.C. (Pre) 2016]
उत्तर-(d) नीरज कुमार गुप्ता समिति
- वित्त मंत्रालय और भारतीय रिजर्व बैंक ने मई, 2016 में नकदी रहित लेन-देन को बढ़ावा देने के लिए नीरज कुमार गुप्ता की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया था, जिसमें 7 सदस्य थे।
- इसी क्रम में 8 नवंबर, 2016 को लिए गए विमुद्रीकरण के निर्णय के बाद 25 नवंबर, 2016 को केंद्र सरकार द्वारा सरकार नागरिक के मध्य डिजिटल लेन- देन को बढ़ावा देने हेतु नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत की अध्यक्षता में भी एक समिति का गठन किया गया।
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19. निम्न में से कौन-से बॉण्ड द्वारा भारतीय संस्थान विदेशी बाजारों से विदेशी मुद्रा के बजाय रुपये में पैसा जुटा सकते हैं?
(a) कॉर्पोरेट बॉण्ड
(b) मसाला बॉण्ड
(c) नगरीय (म्यूनिसिपल) बॉण्ड
(d) शून्य-कूपन बॉण्ड
(e) उपरोक्त में से कोई नहीं/ उपरोक्त में से एक से अधिक
[B.P.S.C. (Pre) 2016]
उत्तर-(b) मसाला बॉण्ड
- मसाला बॉण्ड के द्वारा भारतीय संस्थान विदेशी बाजारों से विदेशी मुद्रा के बजाय रुपये में पैसा जुटा सकते हैं।
- जुलाई, 2016 में HDFC पहली ऐसी भारतीय कंपनी बनी, जिसने लंदन स्टॉक एक्सचेंज में ‘मसाला बॉण्ड्स’ जारी किए।
- सरल शब्दों में विदेशी पूंजी बाजार में निवेश के लिए भारतीय रुपये में जारी किया जाने वाला बॉण्ड, मसाला बॉण्ड है।
- इस सुविधा के पूर्व अंतरराष्ट्रीय बाजार में निवेश के लिए बॉण्ड डॉलर में जारी करना होता था।
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20. भारत में ग्रामीण क्षेत्र में प्रति व्यक्ति प्रतिदिन 32 रु. उपभोग व्यय तथा शहरी क्षेत्र में 47 रु. प्रतिदिन प्रति व्यक्ति उपभोग व्यय, ‘गरीबी-रेखा’ का निर्धारण किसने किया है?
(a) प्रो. एस.डी. तेंदुलकर समिति ने
(b) प्रो.सी. रंगराजन समिति ने
(c) डॉ. मोंटेक सिंह अहलूवालिया
(d) श्री यशवंत सिन्हा समिति
(e) डॉ. बिमल जालान
[Chhattisgarh P.C.S. (Pre) 2016]
उत्तर-(b) प्रो.सी. रंगराजन समिति ने
- रंगराजन समिति द्वारा ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों के लिए गरीबी रेखा के निर्धारण में अलग-अलग उपभोग व्यय लिया गया है।
- समिति के अनुसार, भारत में ग्रामीण क्षेत्रों में प्रति व्यक्ति प्रतिदिन 32 रुपये (972 रु. मासिक) उपभोग व्यय तथा शहरी क्षेत्रों में 47 रुपये (1407 रु. मासिक) प्रतिदिन प्रति व्यक्ति उपभोग व्यय, गरीबी रेखा को निर्धारित करता है।
- रंगराजन समिति द्वारा दी गई परिभाषा के अनुसार, वर्ष 2011-12 में भारत की 29.5 फीसदी जनसंख्या गरीबी रेखा से नीचे जीवन-यापन करती थी, जबकि वर्ष 2011-12 के लिए तेंदुलकर समिति का अनुमान 21.9 प्रतिशत गरीबी का थी।
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21. भारत सरकार द्वारा अनुमोदित सक्षम परियोजना संबंधित है-
(a) अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति जनसंख्या के कौशल विकास से
(b) प्रभावी आपदा प्रबंधन हेतु सैन्य इकाई से
(c) नवीन अप्रत्यक्ष कर नेटवर्क से
(d) दिव्यांग युवाओं में आत्मविश्वास सृजन करने से
[U.P.P.C.S. (Pre) 2017]
उत्तर- (c) नवीन अप्रत्यक्ष कर नेटवर्क से
- भारत सरकार द्वारा अनुमोदित सक्षम परियोजना नवीन अप्रत्यक्ष कर नेटवर्क से संबंधित है।
- आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति ने इस परियोजना को 28 सितंबर, 2016 को अपनी स्वीकृति दी।
- परियोजना की कुल लागत 2256 करोड़ रुपये तथा अवधि सात वर्ष है।
- यह परियोजना वस्तु एवं सेवा कर के कार्यान्वयन में सहायता और कस्टम विभाग की व्यापार के सुगमीकरण हेतु सिंगल विंडो इंटरफेस (SWIFT) को विस्तारित करने में सहायता हेतु लाई गई।
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22. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए –
1. भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (नेशनल पेमेंट्स कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया/NPCI) देश में वित्तीय समावेशन के संवर्धन में सहायता करता है।
2. NPCI ने एक कार्ड भुगतान स्कीम RuPay प्रारंभ की है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा / से सही है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1, न ही 2
[I.A.S. (Pre) 2017]
उत्तर-(c) 1 और 2 दोनों
- रुपे कार्ड (RuPay Card) भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (NPCI) द्वारा मार्च, 2012 में प्रारंभ स्वदेशी भुगतान प्रणाली पर आधारित एटीएम कार्ड है।
- इसका नाम दो शब्दों ‘रुपया’ और ‘पेमेंट’ से मिलाकर रखा गया है।
- इसे बहुराष्ट्रीय वीजा, अमेरिकन एक्सप्रेस एवं मास्टर कार्ड की तरह प्रयोग किया जाता है।
- 8 मई, 2014 को भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने भारत का अपना भुगतान कार्ड ‘रुपे’ राष्ट्र को समर्पित किया।
- भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम, भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा वर्ष 2008 में स्थापित एक निगम है, जिसे भारत में विभिन्न भुगतान प्रणालियों के लिए मातृसंस्था के रूप में कल्पित किया गया है।
- यह देश में वित्तीय समावेशन के संवर्धन में सहायता करता है।
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23. गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (NFSC) के लिए लोकपाल योजना, 2018 को किस दिनांक को भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा प्रभावी रूप से पेश किया गया था?
(a) 26 जनवरी, 2018
(b) 23 जनवरी, 2018
(c) 26 फरवरी, 2018
(d) 23 फरवरी, 2018
[M.P.P.C.S. (Pre) 2020]
उत्तर-(d) 23 फरवरी, 2018
- गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों के लिए लोकपाल योजना, 2018 (योजना), एनबीएफसी द्वारा प्रदान की जाने वाली कुछ सेवाओं से संबंधित शिकायतों के समाधान के लिए एक त्वरित और लागत मुक्त शीर्ष स्तरीय तंत्र है।
- इस योजना को दिनांक 23 फरवरी, 2018 को भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम, 1934 की धारा 45 एल के तहत शुरू किया गया था।
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24. भारत में लघु वित्त बैंकों (SFBs) को स्थापित करने का क्या प्रयोजन है?
1. लघु व्यवसाय इकाइयों को ऋण की पूर्ति करना
2. लघु और सीमांत कृषकों को ऋण की पूर्ति करना
3. युवा उद्यमियों को विशेषतः ग्रामीण क्षेत्रों में व्यापार स्थापित करने के लिए प्रोत्साहित करना
नीचे दिए गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिए-\
(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1 और 3
(d) 1,2 और 3
[I.A.S. (Pre) 2017]
उत्तर- (a) केवल 1 और 2
- वित्तीय समावेशन को देशभर में फैलाने के लिए निजी क्षेत्र में छोटे वित्त बैंकों (Small Finance Banks) और भुगतान बैंकों (Payments Banks) की स्थापना की घोषणा तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली ने जुलाई, 2014 में केंद्रीय बजट में की थी।
- इन बैंकों की स्थापना के लिए अंतिम दिशा-निर्देश भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने 27 नवंबर, 2014 को जारी किए।
- लघु वित्त बैंकों की स्थापना का उद्देश्य मुख्यतः जनसंख्या के वंचित तथा अल्प सेवा प्राप्त वर्ग के लिए बचत के साधनों का प्रावधान करना तथा लघु कारोबार इकाइयों, छोटे और सीमांत किसानों, माइक्रो और लघु उद्योगों तथा असंगठित क्षेत्र की अन्य संस्थाओं को उच्च प्रौद्योगिकी, कम लागत परिचालनों के माध्यम से ऋण की आपूर्ति करना है।
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25. ‘एकीकृत भुगतान अंतरापृष्ठ’ (यूनिफाइड पेंमेंट्स इन्टरफेस / UPI) को कार्यान्वित करने से निम्नलिखित में से किसके होने की सर्वाधिक संभाव्यता है?
(a) ऑनलाइन भुगतानों के लिए मोबाइल वॉलेट आवश्यक नहीं होंगे।
(b) लगभग दो दशकों में पूरी तरह भौतिक मुद्रा का स्थान डिजिटल मुद्रा ले लेगी।
(c) FDI अंतर्वाह में भारी वृद्धि होगी।
(d) निर्धन व्यक्तियों को उपदानों (सब्सिडीज) का प्रत्यक्ष अंतरण (डाइरेक्ट ट्रांसफर) बहुत प्रभावकारी हो जाएगा।
[I.A.S. (Pre) 2017]
उत्तर- (a) ऑनलाइन भुगतानों के लिए मोबाइल वॉलेट आवश्यक नहीं होंगे।
- एकीकृत भुगतान अंतरापृष्ठ (UPI) एक त्वरित भुगतान प्रणाली है, जिसे RBI विनियमित इकाई भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (NPCI) ने विकसित किया है। यह IMPS (Immediate Payment Service) अवसंरचना पर आधारित है और किन्हीं दो पक्षों के बैंक खातों के बीच पैसों के तुरंत लेन-देन को स्मार्टफोन के माध्यम से संपन्न करता है।
- यह ग्राहक को एक बैंक खाते से विभिन्न व्यापारियों (Merchants) को ऑनलाइन या ऑफलाइन भुगतान की सुविधा प्रदान करता है, वह भी बिना किसी क्रेडिट कार्ड विवरण, IFSC कोड या नेट बैंकिंग/ वॉलेट पासवर्ड की परेशानी के। UPI का मुख्य लाभ लेन-देन करना सरल और आसान बनाना है।
- इसे बैंक खाते से लिंक करने के बाद वॉलेट की तरह टॉपअप किए बिना निर्बाध भुगतान किया जा सकता है।
- वॉलेट में पैसे हैं या नहीं की चिंता किए बिना सीधे बैंक स्थानांतरण के लिए UPI का प्रयोग करना आसान होता है।
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26. मौद्रिक नीति समिति (मोनेटरी पॉलिसी कमेटी / MPC) के संबंध में निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
1. यह RBI की मानक (बेंचमार्क) व्याज दरों का निर्धारण करती है।
2. यह एक 12 सदस्यीय निकाय है, जिसमें RBI का गवर्नर शामिल है तथा प्रत्येक वर्ष इसका पुनर्गठन किया जाता है।
3. यह केंद्रीय वित्त मंत्री की अध्यक्षता में कार्य करती है।
नीचे दिए गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिए-
(a) केवल 1
(b) केवल 1 और 2
(c) केवल 3
(d) केवल 2 और 3
[I.A.S. (Pre) 2017]
उत्तर- (a) केवल 1
- मौद्रिक नीति समिति (MPC) सरकार द्वारा मौद्रिक नीति (नीतिगत दरों यथा रेपो, रिवर्स रेपो आदि) के निर्माण एवं समीक्षा के लिए गठित छः सदस्यीय समिति है, जिसे वित्त अधिनियम, 2016 द्वारा संशोधित RBI Act, 1934 की धारा 45ZB के तहत वैधानिक और संस्थागत ढांचा प्रदान किया गया है।
- इस समिति में रिजर्व बैंक के गवर्नर (अध्यक्ष के रूप में) सहित तीन प्रतिनिधियों तथा सरकार द्वारा नामित तीन प्रतिनिधियों का प्रावधान रखा गया है।
- वर्तमान में इस छः सदस्यीय समिति में भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास (अध्यक्ष) के अलावा उपगवर्नर डॉ. माइकल देवब्रत पात्रा और डॉ. मृदुल के. सागर, प्रो. जे.आर. वर्मा, डॉ. आशिमा गोयल एवं डॉ. शशांक भिडे सदस्य के रूप में मनोनीत हैं।
- समिति के सरकार के प्रतिनिधि सदस्यों का कार्यकाल 4 वर्ष तथा समिति की बैठक एक वर्ष में कम-से-कम 4 बार आयोजित होने का प्रावधान है।
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27. मुद्रा की दशमलव प्रणाली के साथ प्रचलित ‘नया पैसा’ कब ‘पैसा’ हो गया?
(a) 1 अप्रैल, 1957 से
(b) 1 अप्रैल, 1965 से
(c) 1 जून, 1964 से
(d) 2 अक्टूबर, 1961 से
[Uttarakhand P.C.S. (Pre) 2005]
उत्तर-(c) 1 जून, 1964 से
- वर्ष 1957 में भारत में मुद्रा की दशमलव प्रणाली प्रचलन में आई।
- वर्ष 1957 से 1964 तक टकसाल से उत्पादित पैसा को ‘नया पैसा’ कहा गया।
- वर्ष 1964 में ‘नया पैसा’ में से ‘नया’ शब्द बाहर कर दिया गया तथा अब इसे ‘पैसा’ कहा गया।
- अतः मुद्रा की दशमलव प्रणाली के साथ प्रचलित ‘नया पैसा 1 जून, 1964 से ‘पैसा’ हो गया।
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28. भारत में दाशमिक मुद्रा प्रणाली शुरू की गई-
(a) वर्ष 1951 में
(b) वर्ष 1955 में
(c) वर्ष 1957 में
(d) वर्ष 1960 में
[U.P.P.C.S. (Mains)2005, 2010, U.P.P.C.S. (Pre) 1995]
उत्तर-(c) वर्ष 1957 में
- भारत में दाशमिक मुद्रा प्रणाली 1957 में शुरू की गई थी।
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29. कभी-कभी समाचारों में आने वाले ‘बिटकॉइंस’ (Bitcoins) के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
1. बिटकॉइंस की खोज खबर देशों के केंद्रीय बैंकों द्वारा रखी जाती है।
2. बिटकॉइन के पते वाला कोई भी व्यक्ति, बिटकॉइन के पते वाले किसी अन्य व्यक्ति को बिटकॉइंस भेज सकता है या उससे प्राप्त कर सकता है।
3. ऑनलाइन अदायगी, दोनों तरफ में से किसी भी तरफ की पहचान जाने बिना, की जा सकती है।
नीचे दिए गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिए।
(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 3
(c) केवल 2 और 3
(d) 1, 2 और 3
[I.A.S. (Pre) 2016]
उत्तर-(b) केवल 3
- बिटकॉइंस एक क्रिप्टोकरेंसी (Cryptocurrency) या आभासी मुद्रा (Virtual Currency) है।
- इसका विकास सातोशी नाकामोतो छद्म नाम वाले प्रोग्रामर (या प्रोग्रामरों का समूह) द्वारा किया गया था।
- यह एक ब्लॉकचेन आधारित इलेक्ट्रॉनिक भुगतान प्रणाली है। यह केंद्रीय बैंकों के नियंत्रण से परे होता है।
- यह एक ‘पीयर टू पीयर’ (Peer to Peer) प्रणाली है, जिसमें बिटकॉइन के पते वाले दो व्यक्ति एक-दूसरे से बिटकॉइन का लेन-देन कर सकते हैं।
- इसके अंतर्गत उपयोगकर्ताओं द्वारा बिना किसी मध्यस्थ एवं बिना किसी पहचान को उजागर किए, लेन-देन किया जा सकता है।
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30. निम्न पर विचार कीजिए।
1. क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक
2. अग्रणी बैंक योजना
3. नाबार्ड
4. भारतीय स्टेट बैंक
इन बैंकों के स्थापित होने का सही ऐतिहासिक क्रम है –
कूट :
|
A |
B |
C |
D |
(a) |
4 |
3 |
1 |
2 |
(b) |
4 |
2 |
1 |
3 |
(c) |
2 |
3 |
4 |
1 |
(d) |
2 |
1 |
4 |
3 |
[U.P.P.C.S. (Mains) 2005]
उत्तर-(b) अग्रणी बैंक योजना
- प्रश्नगत विकल्पों के स्थापना वर्ष इस प्रकार हैं –
भारतीय स्टेट बैंक – 1955
अग्रणी बैंक योजना – 1969
क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक – 1975
नाबार्ड – 1982
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31. निम्नलिखित पर विचार कीजिए-
1. जनता के पास मुद्रा
2. बैंकों के पास मांग जमा (डिमांड डिपॉजिट्स)
3. बैंकों के पास समय जमा (टाइम डिपॉजिट्स)
इनमें से कौन-कौन से भारत में व्यापक धन (एम 3) में शामिल हैं?
(a) 1 और 2
(b) 1 और 3
(c) 2 और 3
(d) 1, 2 और 3
[I.A.S. (Pre) 2002, U.P.P.C.S. (Mains) 2008]
उत्तर-(d) 1, 2 और 3
- RBI द्वारा नियुक्त दूसरे कार्यकारी समूह द्वारा वर्ष 1977 में प्रदत्त रिपोर्ट के अनुसार, RBI ने मुद्रा पूर्ति के संबंध में चार समुच्चय M₁,
M₂, M, तथा M₁ स्वीकार किए।
- M, को ही व्यापक या स्थूल मुद्रा भी कहते हैं।
- M, में शामिल घटक निम्न प्रकार हैं-
M₃ = जनता के पास करेंसी या मुद्रा + बैंकों के पास मांग जमा + 3 RBI के पास अन्य जमा बैंकों के पास सावधि या समय जमा।
|
32. निम्नलिखित पर विचार कीजिए-
1. जनता के पास मुद्रा
2. बैंकों के पास मांग जमा (डिमांड डिपॉजिट्स)
3. बैंकों के पास समय जमा (टाइम डिपॉजिट्स)
इनमें से कौन-कौन से भारत में व्यापक धन (एम 3) में शामिल हैं?
(a) 1 और 2
(b) 1 और 3
(c) 2 और 3
(d) 1, 2 और 3
[I.A.S. (Pre) 2002, U.P.P.C.S. (Mains) 2008]
उत्तर-(d) 1, 2 और 3
- RBI द्वारा नियुक्त दूसरे कार्यकारी समूह द्वारा वर्ष 1977 में प्रदत्त रिपोर्ट के अनुसार, RBI ने मुद्रा पूर्ति के संबंध में चार समुच्चय M₁,
M₂, M, तथा M₁ स्वीकार किए।
- M, को ही व्यापक या स्थूल मुद्रा भी कहते हैं।
- M, में शामिल घटक निम्न प्रकार हैं-
M₃ = जनता के पास करेंसी या मुद्रा + बैंकों के पास मांग जमा + 3 RBI के पास अन्य जमा बैंकों के पास सावधि या समय जमा।
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33. भारत में निम्नलिखित में से किसके योग से सुलभ मुद्रा (Broad Money) बनती है?
1. जनता के पास करेंसी
2. बैंकों की मांग जमाराशि
3. बैंकों में सावधिक जमाराशि
4. भारतीय रिजर्व बैंक में अन्य जमाराशि
नीचे दिए गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिए-
(a) 1 तथा 2
(b) 1, 2 तथा 3
(c) 1, 2, 3 तथा 4
(d) 1, 2 तथा 4
[I.A.S. (Pre) 1997]
उत्तर-(c) 1, 2, 3 तथा 4
- सुलभ मुद्रा (Broad Money), से तात्पर्य विस्तृत मुद्रा (Broad Money) से है।
- इसके अंतर्गत जनता के पास उपलब्ध करेंसी, बैंकों की मांग जमाएं, बैंकों में सावधि जमा तथा भारतीय रिजर्व बैंक में अन्य जमा राशियां आती हैं।
|
34. निम्नलिखित तरल परिसंपत्तियों पर विचार कीजिए-
1. बैंकों के पास मांग जमा
2. बैंकों के पास सावधिक जमा
3. बैंकों के पास बचत जमा
4. करेंसी
इन परिसंपत्तियों का, तरलता के घटते हुए क्रम में, सही अनुक्रम है-
(a) 1-4-3-2
(b) 4-3-2-1
(c) 2-3-1-4
(d) 4-1-3-2
[I.A.S. (Pre) 2013]
उत्तर-(d) 4-1-3-2
- तरलता के अनुसार, परिसंपत्तियों का घटता क्रम-करेंसी (सर्वाधिक तरल), बैंकों के पास मांग जमा, बैंकों के पास बचत जमा, बैंकों के पास सावधिक जमा है।
|
35. किसी अर्थव्यवस्था में मुद्रा गुणक (मनी मल्टीप्लायर) निम्नलिखित में से किस एक के साथ-साथ बढ़ता है?
(a) आरक्षित नकदी (कैश रिजर्व) अनुपात में वृद्धि
(b) जनता की बैंकिंग आदतों में वृद्धि
(c) सांविधिक नकदी अनुपात में वृद्धि
(d) देश की जनसंख्या में वृद्धि
[I.A.S. (Pre), 2019, I.A.S. (Pre), 2021]
उत्तर-(b) जनता की बैंकिंग आदतों में वृद्धि
- किसी अर्थव्यवस्था में मुद्रा गुणक (Money Multiplier) उसके मौद्रिक आधार और मुद्रा आपूर्ति के संबंध को व्यक्त करता है।
- यह बैंकों द्वारा अपनी जमाओं के आधार पर ऋण सृजन की क्षमता को बताता है।
- जनता की बैंकिंग आदतों में वृद्धि के साथ बैंक जमाओं में वृद्धि होने से बैंकों द्वारा अधिक ऋण सृजन होगा, जिससे चलन में मुद्रा के बढ़ने से मुद्रा गुणक में वृद्धि होगी।
- दूसरी ओर आरक्षित नकदी अनुपात (CRR) या सांविधिक नकदी अनुपात (SLR) में वृद्धि से बैंकों की ऋण सृजन क्षमता कम होने से मुद्रा गुणक में कमी आएगी।
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36. भारत में मुद्रा गुणक को परिभाषित किया जाता है-
(a) वृहद मुद्रा / आधार मुद्रा
(b) वृहद मुद्रा /आरक्षित मुद्रा
(c) आरक्षित मुद्रा /आधार मुद्रा
(d) आधार मुद्रा /आरक्षित मुद्रा
[U.P.P.C.S. (Mains) 2009, U.P.P.C.S. (Spl.) (Mains) 2008]
उत्तर-(b) वृहद मुद्रा /आरक्षित मुद्रा
- भारत में मुद्रा गुणक को वृहद या स्थूल मुद्रा (M3) और आरक्षित मुद्रा (Mo) के अनुपात के रूप में मापते हैं।
- अतः यदि मुद्रा गुणक K हो, तो K= M3/M०. या M3/Rm.
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37. विदेशी मुद्रा जिसमें त्वरित प्रवास की प्रवृत्ति होती है, कहलाती है-
(a) गर्म मुद्रा
(b) स्वर्ण मुद्रा
(c) सुलभ मुद्रा
(d) दुलर्भ मुद्रा
[56th to 59th B. P. S.C. (Pre) 2015]
उत्तर- (a) गर्म मुद्रा
- वह विदेशी मुद्रा जिसमें त्वरित प्रवास की प्रवृत्ति होती है, गर्म मुद्रा (Hot Money) कहलाती है।
- निवेशकों द्वारा ब्याज दरों में अंतरों तथा विनिमय दर परिवर्तनों से अल्पकालिक लाभ प्राप्ति हेतु इस प्रकार की मुद्रा का प्रवाह एक देश से दूसरे देश में आसानी से किया जाता है।
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38. रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के नोट निर्गमन विभाग को न्यूनतम कितने मूल्य का स्वर्ण अपने स्टॉक में हमेशा रखना चाहिए?
(a) 85 करोड़ रु. का
(b) 115 करोड़ रु. का
(c) 200 करोड़ रु. का
(d) उपर्युक्त में से कोई नहीं
[U.P. Lower Sub. (Pre) 2008]
उत्तर-(b) 115 करोड़ रु. का
- नोट निर्गमन के लिए आनुपातिक कोष प्रणाली के स्थान पर वर्ष 1956 में न्यूनतम कोष प्रणाली (Minimum Reserve System) अपनाई गई, जिसके तहत 515 करोड़ रु. कोष (जिसमें 115 करोड़ रु. स्वर्ण तथा 400 करोड़ रु. विदेशी प्रतिभूति) के रूप में तथा छापी जाने वाली पत्र मुद्रा के शेष मूल्यों को रुपये की प्रतिभूति में रखना आवश्यक था।
- 31 अक्टूबर, 1957 के बाद रिजर्व बैंक एक्ट के संशोधन के अनुसार, इसे घटाकर केवल 200 करोड़ रु. कर दिया गया, जिसमें 115 करोड़ रु. सोने के रूप में रखना अनिवार्य है तथा शेष 85 करोड़ रु. की विदेशी प्रतिभूति रखना अनिवार्य है।
|
39. भारत में ‘मुद्रा संबंधी नोटों की निर्गमन प्रणाली’ आधारित है-
(a) आनुपातिक कोष प्रणाली पर
(b) न्यूनतम कोष प्रणाली पर
(c) स्थिर विनिमय दर प्रणाली पर
(d) पूर्ण परिवर्तनशीलता प्रणाली पर
[U.P.P.C.S. (Mains) 2004, 2007, U.P.P.S.C. (GIC) 2010]
उत्तर-(b) न्यूनतम कोष प्रणाली पर
- नोट निर्गमन के लिए आनुपातिक कोष प्रणाली के स्थान पर वर्ष 1956 में न्यूनतम कोष प्रणाली (Minimum Reserve System) अपनाई गई, जिसके तहत 515 करोड़ रु. कोष (जिसमें 115 करोड़ रु. स्वर्ण तथा 400 करोड़ रु. विदेशी प्रतिभूति) के रूप में तथा छापी जाने वाली पत्र मुद्रा के शेष मूल्यों को रुपये की प्रतिभूति में रखना आवश्यक था।
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40. भारत में सिक्के जारी करने के लिए कौन अधिकृत है?
(a) रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया
(b) वित्त मंत्रालय
(c) स्टेट बैंक ऑफ इंडिया
(d) राष्ट्रीय स्टॉक बाजार
[U.P. U.D.A./L.D.A. (Spl.) (Pre) 2010]
उत्तर-(b) वित्त मंत्रालय
- भारत में सिक्के ढालने का एकमात्र अधिकार भारत सरकार को है।
- सिक्का निर्माण का दायित्व सिक्का निर्माण अधिनियम (The Coin- age Act), 2011 के तहत भारत सरकार का है।
- विभिन्न मूल्य वर्ग के सिक्कों के अभिकल्प तैयार करने और उनकी ढलाई करने का दायित्व भी भारत सरकार का है।
- भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम के अनुसार, परिचालन के लिए सिक्के भारतीय रिजर्व बैंक के माध्यम से ही जारी किए जाते हैं।
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41. भारतवर्ष में सिक्कों की ढलाई होती है-
(a) दिल्ली, मुंबई तथा कोलकाता में
(b) दिल्ली, कोलकाता तथा हैदराबाद में
(c) मुंबई, दिल्ली तथा बंगलुरू में
(d) मुंबई, कोलकाता तथा हैदराबाद में
[U.P.P.C.S. (Mains) 2008]
उत्तर-(d) मुंबई, कोलकाता तथा हैदराबाद में
- भारत में मुंबई, कोलकाता तथा हैदराबाद में टकसालें (सिक्का ढलाई केंद्र) पूर्व में ही स्थापित की गई थीं, इसके अतिरिक्त वर्ष 1988 में नोएडा में एक और टकसाल स्थापित की गई।
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42. निम्नलिखित में से कौन-सा एक कथन वैध मुद्रा (लीगल टेंडर मनी) के अर्थ को सही वर्णित करता है?
(a) न्यायालय में विधिक मामलों के लिए फीस के चुकाने में जो मुद्रा दी जाती है।
(b) वह मुद्रा जो कोई ऋणदाता अपने दावों के निपटाने में स्वीकार करने के लिए बाध्य होता है
(c) चेक, ड्राफ्ट, विनिमय बिलों आदि के रूप में बैंक मुद्रा
(d) किसी देश में चलन में धातु मुद्रा
[I.A.S. (Pre) 2018]
उत्तर-(b) वह मुद्रा जो कोई ऋणदाता अपने दावों के निपटाने में स्वीकार करने के लिए बाध्य होता है
- वैध मुद्रा (Legal Tender Money) वह मुद्रा (सिक्के एवं बैंक नोट) होती है, जिसे भुगतान हेतु सरकार की मान्यता प्राप्त होती है।
- अर्थात प्रत्येक व्यक्ति के लिए इसे स्वीकार करना कानूनी रूप से बाध्यकारी होता है।
- कोई भी ऋणदाता चाहे सरकार हो अथवा निजी व्यक्ति को अपने ऋणों का पुनर्भुगतान वैध मुद्रा में अनिवार्यतः स्वीकार करना होता है।
- यद्यपि किसी देश में चलन में धातु मुद्रा को वैध मुद्रा माना जा सकता है तथापि यह वैध मुद्रा की पूरी व्याख्या नहीं करता है, क्योंकि वैध मुद्रा के अंतर्गत प्रचलन में धातु एवं पत्र दोनों मुद्राएं आती हैं।
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43. भारत में कागजी मुद्रा प्रथम बार कब शुरू की गई थी?
(a) 1862 में
(b) 1601 में
(c) 1542 में
(d) 1880 में
[U.P.P.C.S (Mains) 2011]
उत्तर- (a) 1862 में
- भारत में कागजी मुद्रा की शुरुआत सर्वप्रथम बैंक ऑफ हिन्दुस्तान (1770-1832), जनरल बैंक ऑफ बंगाल एंड बिहार (1773-75; वॉरेन हेस्टिंग्स द्वारा स्थापित) तथा बंगाल बैंक (1784-91) द्वारा की गई थी।
- 1861 के पेपर करेंसी एक्ट द्वारा भारत की तत्कालीन ब्रिटिश सरकार ने निजी और प्रेसीडेंसी बैंकों से कागजी मुद्रा के निर्गमन का अधिकार ले लिया।
- तत्पश्चात भारत सरकार द्वारा सर्वप्रथम कागजी मुद्रा जारी की गई, जो 1 मार्च, 1862 से प्रभावी है।
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44. अंतरराष्ट्रीय नकदी (लिक्विडिटी) की समस्या निम्नलिखित में से किसकी अनुपलब्धता से संबंधित है?
(a) वस्तुएं और सेवाएं
(b) सोना और चांदी
(c) डॉलर और अन्य दुर्लभ मुद्राएं (हार्ड करेंसीज)
(d) निर्यात-योग्य बेशी (सरप्लस)
[I.A. S. (Pre) 2015]
उत्तर- (c) डॉलर और अन्य दुर्लभ मुद्राएं (हार्ड करेंसीज)
- अंतरराष्ट्रीय तरलता एक देश के भुगतान संतुलन के घाटे को ठीक करने के लिए उसके केंद्रीय बैंक द्वारा रखे गए अंतरराष्ट्रीय तौर से स्वीकार्य परिसंपत्तियों (डॉलर, स्वर्ण, SDR बास्केट की अन्य मुद्राएं) के समस्त भंडार हैं।
- अंतरराष्ट्रीय तरलता में एक देश के अधिकृत स्वर्ण भंडार, विदेशी करेंसियों और SDR (Special Drawing Rights) धारण (IMF) में इसकी निवल स्थिति तथा अंतरराष्ट्रीय परिसंपत्तियों के निजी धारण सम्मिलित होते हैं।
- एक ऐसी मुद्रा जो अन्य करेंसीज में परिवर्तनीय हो तथा जिनका दूसरी मुद्राओं के रूप में मूल्य में बढ़ने या स्थिर रहने की प्रत्याशा हो, हार्ड करेंसी कहलाती है।
- यह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अधिक मांगी जाने वाली अधिक स्वीकार्य तथा अधिक स्थिर मूल्य वाली मुद्रा होगी जैसे डॉलर, यूरो, पौंड आदि।
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45. ‘काली मुद्रा’ क्या है?
(a) यह अवैध मुद्रा है
(b) यह जाली मुद्रा है
(c) यह गंदी / खराब मुद्रा है
(d) यह अवैध आय है जिस पर आय कर नहीं दिया गया है
[U.P. Lower Sub. (Spl.) (Pre) 2002, 2003*]
उत्तर-(d) यह अवैध आय है जिस पर आय कर नहीं दिया गया है
- काली मुद्रा से तात्पर्य ऐसी मुद्रा से है जिस पर आय कर नहीं दिया गया होता है, जिससे सरकारी कोष में राजस्व की हानि होती है।
- यह अवैध रूप से उपार्जित ऐसी आय है, जिसे प्रायः उत्पादक क्षेत्रों में न लगाकर उच्च उपभोग हेतु प्रयोग किया जाता है।
- काली मुद्रा भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास की दृष्टि से एक समस्या है।
- सरकार काली मुद्रा को बाहर करने हेतु समय-समय पर कदम उठाती रही है, जैसे स्वैच्छिक आय घोषणा योजना (VDIS)। वित्त पर स्थायी समिति की रिपोर्ट 2019 के अनुसार, जिन क्षेत्रों में काले धन का सर्वाधिक सृजन हैं, उनमें रियल एस्टेट, खनन, फार्मास्यूटिकल्स, पान मसाला, गुटखा और तंबाकू उद्योग, सराफा और कमोडिटी बाजार, फिल्म उद्योग और शैक्षणिक संस्थान और पेशेवर शामिल हैं।
- कर चोरी के कारण राजकोष को राजस्व की हानि भारतीय अर्थव्यवस्था की एक बड़ी समस्या है।
- इसलिए, दिए गए प्रश्न का सबसे उपयुक्त उत्तर विकल्प (d) है।
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46. निम्नलिखित में से कौन-सी मुद्रा / मुद्राएं कृत्रिम समझी जाती है/हैं?
(a) ADR
(b) GDR
(c) SDR
(d) ADR और SDR दोनों
[I.A.S. (Pre) 2010]
उत्तर-(c) SDR
- ऐसी मुद्रा जो चलन में नहीं होती तथा केवल लेखांकन उद्देश्यों के लिए होती है, कृत्रिम मुद्रा कहलाती है।
- SDR (Special Drawing Rights) ऐसी ही मुद्रा है जो IMF (अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष) के लेन-देन के लेखांकन के लिए इस्तेमाल होती है।
- ADR अमेरिकन डिपॉजिटरी रिसिप्ट्स तथा GDR ग्लोबल डिपॉजिटरी रिसिप्ट्स को व्यक्त करता है।
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47. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए –
किसी मुद्रा का अंतरराष्ट्रीय बाजार में मूल्य
1. विश्व बैंक निर्धारित करता है
2. संबंधित देश द्वारा प्रदत्त वस्तुओं/सेवाओं की कितनी मांग है, से निर्धारित होता है
3. संबंधित देश की सरकार की स्थिरता से निर्धारित होता है
4. संबंधित देश की आर्थिक संभाव्यता से निर्धारित होता है
उपर्युक्त में से कौन-से कथन सही हैं?
(a) 1,2,3 और 4
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 3 और 4
(d) केवल 1 और 4
[I.A.S. (Pre) 2012]
उत्तर-(b) केवल 2 और 3
- अंतरराष्ट्रीय बाजार में किसी देश की मुद्रा का मूल्य निर्धारित करने में विश्व बैंक की कोई भूमिका नहीं होती है।
- अंतरराष्ट्रीय बाजार में किसी देश की मुद्रा का मूल्य उस देश की सरकार की स्थिरता से निर्धारित होता है तथा मूल्य तय करने में उस देश के द्वारा प्रदान की जाने वाली वस्तुओं और सेवाओं की मांग का भी प्रमुख योगदान होता है।
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48. निम्न देशों में से किस एक की मुद्रा रुपया है?
(a) भूटान
(b) मालदीव
(c) मलेशिया
(d) सेशेल्स
[I.A.S. (Pre) 2003]
उत्तर-(d) सेशेल्स
- पश्चिमी हिंद महासागर स्थित सेशेल्स (Seychelles) की मुद्रा रुपया है।
- भूटान की मुद्रा-न्गुलट्रम, मलेशिया की मुद्रा रिंगगिट तथा मालदीव की मुद्रा रुफिया है।
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49. बांग्लादेश की मुद्रा है-
(a) टका
(b) रुपिया
(c) दीनार
(d) लीरा
[M.P.P.C.S. (Pre) 1999]
उत्तर- (a) टका
- बांग्लादेश की मुद्रा ‘टका’ है।
- रुपिया नेपाल की; दीनार-इराक की तथा लीरा (वर्तमान में यूरो) इटली की मुद्रा है।
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50. बहत कहां की मुद्रा है?
(a) तुर्की
(b) थाईलैंड
(c) वियतनाम
(d) ईरान
[M.P.P.C.S. (Pre) 1990]
उत्तर-(b) थाईलैंड
- बहत (Baht) थाईलैंड की विधिक मुद्रा है।
- टर्की लीरा तुर्की की ; डोंग-वियतनाम की तथा रियाल ईरान की मुद्रा है।
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51. चीन की मुद्रा है-
(a) युआन
(b) लीरा
(c) येन
(d) रुपया
[M.P. P.C.S. (Pre) 1990]
उत्तर- (a) युआन
- चीन की मुद्रा युआन (आधिकारिक मुद्रा रेन्मिन्बी की इकाई) है, जबकि लीरा (वर्तमान में यूरो) इटली की, येन-जापान की तथा रुपया-भारत की मुद्रा है।
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52. दीनार/न्यू दीनार मुद्रा नहीं है-
(a) सूडान की
(b) यू.ए.ई. की
(c) यूगोस्लाविया की
(d) ट्यूनीशिया की
[I.A.S. (Pre) 1999]
उत्तर- (c) यूगोस्लाविया की
- संयुक्त सूडान की मुद्रा दीनार (एवं सूडानी पौंड), पूर्व यूगोस्लाविया की मुद्रा न्यू यूगोस्लाव दीनार तथा ट्यूनीशिया की भी दीनार है, जबकि संयुक्त अरब अमीरात (UAE) की मुद्रा दिरहम है।
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53. सूची-1 को सूची-II के साथ सुमेलित कीजिए तथा सूचियों के नीचे दिए गए कूट का प्रयोग करके सही उत्तर चुनिए-
सूची-1 |
सूची-II |
(A) रिंगगिट |
1. इंडोनेशिया |
(B) बहत |
2. दक्षिण कोरिया |
(C) रुपिआह |
3. थाईलैंड |
(D) वॉन |
4. मलेशिया |
कूट :
A B C D
(a) 1,3,4,2
(b) 4,3,1,2
(c) 1,2,4,3
(d) 4,2,1,3
[I.A.S. (Pre) 1998]
उत्तर-(b) बहत
- रिंगगिट मलेशिया की; बहत थाईलैंड की; रुपिआह इंडोनेशिया की; तथा वॉन दक्षिण कोरिया की राष्ट्रीय मुद्रा है।
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54. सूची-1 (देश) को सूची-2 (मुद्रा) से सुमेलित कीजिए और सूचियों के नीचे दिए गए कूट का प्रयोग करके सही उत्तर चुनिए-
सूची-1 |
सूची-II |
1. मेक्सिको |
अ. येन |
2. ऑस्ट्रिया |
ब. पेसो |
3. जापान |
स. रियाल |
4. सऊदी अरब |
द. शिलिंग |
कूट :
A B C D
(a) अ,ब,स,द
(b) ब,द,अ,स
(c) ब स द अ
(d) ब स अ द
[Chhatisgarh P.C.S. 2008]
उत्तर-(b) ऑस्ट्रिया
- सुमेलित क्रम इस प्रकार है-
मेक्सिको |
पेसो |
ऑस्ट्रिया |
शिलिंग (वर्तमान में यूरो) |
जापान |
येन |
सऊदी अरब |
रियाल |
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55. निम्नलिखित में से भारत में विमुद्रीकरण का कौन औपचारिक उद्देश्य नहीं था ?
(a) अर्थव्यवस्था में नकदी की मात्रा को कम करना।
(b) संव्यवहार के अंकीय तरीकों का अधिक उपयोग।
(c) कर आधार को बढ़ावा देना।
(d) जी. डी. पी. की विकास दर में वृद्धि करना।
[U.P. P.C.S. (mains) 2017]
उत्तर-(d) जी. डी. पी. की विकास दर में वृद्धि करना।
- सरकार ने 8 नवंबर, 2016 को ऐतिहासिक घोषणा के तहत दो उच्चतम मूल्य 500 और 1000 रुपये के नोटों का विमुद्रीकरण कर दिया।
- एक झटके में ही अर्थव्यवस्था के परिचलन की 86 प्रतिशत मुद्रा अवैध घोषित हो गई।
- ये नोट 30 दिसंबर, 2016 तक बैंकों में जमा कराए जाने थे।
- इस कदम के चार मुख्य उद्देश्य थे-
(i) भ्रष्टाचार पर अंकुश।
(ii) नकली नोटों की छपाई पर लगाम।
(iii) आतंकवादियों द्वारा इन उच्च मूल्य नोटों के प्रयोग पर लगाम तथा
(iv) विशेषकर कालाधन संचित करने पर रोक ।
- इनके अतिरिक्त कर आधार को बढ़ावा देने, संव्यवहार के अंकीय (डिजिटल) तरीकों का अधिक उपयोग तथा अर्थव्यवस्था में नकदी की मात्रा को कम करना इसके उद्देश्यों में शामिल थे।
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56 मुद्रा प्रसार को श्रेष्ठ तरीके से वर्णित किया जा सकता है?
(a) ऊंची कीमतें
(b) कीमत निर्देशांक में वृद्धि
(c) मुद्रा की क्रय शक्ति में वृद्धि
(d) विशिष्ट वस्तुओं की कीमतों में वृद्धि
[R.A.S./R.T.S. (Pre) 1996]
उत्तर- (a) ऊंची कीमतें
- मुद्रा प्रसार से तात्पर्य अर्थव्यवस्था में मुद्रा की मात्रा में वृद्धि से है। मुद्रा प्रसार के कारण मुद्रा की क्रय शक्ति गिर जाती है अर्थात मुद्रा की निश्चित मात्रा से पूर्व की अपेक्षा, कम वस्तुओं अथवा सेवाओं का क्रय किया जा सकता है।
- इन सबके परिणामस्वरूप सामान्य कीमत स्तर बढ़ जाता है।
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57. निम्नलिखित में से कौन-सा अपने प्रभाव में सर्वाधिक मुद्रास्फीतिकारक हो सकता है?
(a) सार्वजनिक ऋण की चुनौती
(b) बजट घाटे के वित्तीयन के लिए जनता से उधार लेना
(c) बजट घाटे के वित्तीयन के लिए बैंकों से उधार लेना
(d) बजट घाटे के वित्तीयन के लिए नई मुद्रा का सृजन करना
[I.A.S. (Pre) 2021]
उत्तर-(d) बजट घाटे के वित्तीयन के लिए नई मुद्रा का सृजन करना
- बजट घाटे के वित्तपोषण के लिए नई मुद्रा का सृजन करना मुद्रास्फीति की वृद्धि हेतु सर्वाधिक प्रभावी कारक है।
- क्योंकि यह बाजार में अधिक मुद्रा आपूर्ति लाता है, जबकि वस्तुओं की आपर्ति की मात्रा पूर्ववत बनी रहती है जिससे अर्थव्यवस्था में उच्च मुद्रास्फीति की स्थिति उत्पन्न हो जाती है।
- इसलिए विकल्प (d) सही उत्तर है।
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58. नीचे दो कथन दिए गए हैं, जिसमें से एक को अभिकथन (A) और दूसरे को कारण (R) कहा गया है-
अभिकथन (A): सरकार को अवरुद्ध मुद्रास्फीति से निपटने के लिए कठिन समय का सामना करना पड़ता है।
कारण (R) : यदि स्थिति अर्थव्यवस्था में आपूर्ति अड़चन तथा अक्षम वितरण जैसे अभावों के कारण होता है।
नीचे दिए गए कूट से सही उत्तर का चयन कीजिए।
कूट :
(a) (A) और (R) दोनों सत्य हैं और (R), (A) की सही व्याख्या करता है।
(b) (A) और (R) दोनों सत्य हैं, किंतु (R), (A) की सही व्याख्या नहीं करता है।
(c) (A) सत्य है, किंतु (R) गलत है।
(d) (A) गलत है, किंतु (R) सत्य है।
[U.P. P.C.S. (Pre) 2021]
उत्तर-(a) (A) और (R) दोनों सत्य हैं और (R), (A) की सही व्याख्या करता है।
- अवरुद्ध मुद्रास्फीति की स्थिति तब आती है, जब आपूर्ति जबरदस्त ढंग से घट जाती है, जबकि मांग उसी स्तर पर बनी रहती है।
- सरकार को इस स्थिति से निपटने के लिए कठिन समय का कुछ सामना करना पड़ता है।
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59. भारतीय अर्थव्यवस्था के संदर्भ में, मांग-प्रेरित मुद्रास्फीति या उसमें वृद्धि निम्नलिखित किन कारणों से होती है?
1. विस्तारकारी नीतियां
2. राजकोषीय प्रोत्साहन
3. मुद्रास्फीति सूचकांकन मजदूरी (इन्फ्लेशन इंडेक्सिंग वेजेस)
4. उच्च क्रय शक्ति
5. बढ़ती ब्याज दर
नीचे दिए गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिए।
(a) केवल 1, 2 और 4
(b) केवल 3, 4 और 5
(c) केवल 1, 2, 3 और 5
(d) 1, 2, 3, 4 और 5
[I.A.S. (Pre) 2021]
उत्तर-(a) केवल 1, 2 और 4
- विस्तारित मौद्रिक नीति तब होती है जब एक केंद्रीय बैंक अर्थव्यवस्था को प्रोत्साहित करने के लिए अपने उपकरणों (रेपोदर, रिवर्स रेपोदर आदि) का उपयोग करता है, जिससे मुद्रा आपूर्ति बढ़ती है, ब्याज दरें कम होती हैं और मांग बढ़ती है।
- अतः कथन 1 सही है।
- राजकोषीय प्रोत्साहन के तहत कर छूट और आर्थिक प्रोत्साहन शामिल हैं जिसका उपयोग सरकार द्वारा अर्थव्यवस्था को प्रोत्साहित करने और देश को वित्तीय संकट से बचाने के लिए किया जाता है।
- सरकार की यह प्रोत्साहन नीति मांग को मुद्रास्फीति की ओर ले जा सकता है।
- अतः कथन 2 सही है।
- उच्च क्रय शक्ति मांग को मुद्रास्फीति की ओर ले जा सकती है, क्योंकि उपभोक्ता के पास खर्च करने के लिए पर्याप्त आय होती है।
- अतः कथन 4 सही है।
- बढ़ती ब्याज दरें अर्थव्यवस्था में मुद्रा आपूर्ति को कम करती हैं।
- अतः कथन 5 सही नहीं है।
- मुद्रास्फीति सूचकांकन मजदूरी मांग एवं मुद्रास्फीति का नेतृत्व नहीं करती है, क्योंकि उन्हें मुद्रास्फीति के साथ समायोजित किया जाता है।
- अतः कथन 3 सही नहीं है।
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60. मुद्रास्फीति के कारण-
(a) वस्तुओं का मूल्य बढ़ता है
(b) मुद्रा का मूल्य गिरता है
(c) विनिमय दर में सुधार होता है
(d) उपरोक्त (a) व (b)
(e) उपरोक्त (a), (b) व (c)
[Chhattisgarh P.C.S. (Pre) 2013]
उत्तर-(d) उपरोक्त (a) व (b)
- मूल्य स्तर में लगातार तेज संचयी तथा स्थायी वृद्धि मुद्रास्फीति कहलाती है।
- इस अवस्था में वस्तुओं का मूल्य तेजी से बढ़ता (मांग आधिक्य के कारण) है तथा मुद्रा का मूल्य गिरता (क्रय शक्ति में कमी के कारण) है।
- अन्य देशों की तुलना में स्वदेश में कीमतें अधिक तेजी से बढ़ने के कारण यह विदेशी करेंसियों की अपेक्षा रुपये को कमजोर कर देती हैं।
- अतः विनिमय दर में सुधार नहीं होता है।
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61. निम्न में से किसने भारत में वर्ष 2016 से 2021 के लिए +/-2 प्रतिशत के सहनीय स्तर के साथ चार प्रतिशत का मुद्रास्फीति का लक्ष्य निश्चित किया है?
(a) भारतीय रिजर्व बैंक
(b) भारत सरकार
(c) नीति आयोग
(d) चौदहवां वित्त आयोग
[R.A.S./R.T.S. (Pre) 2018]
उत्तर-(b) भारत सरकार
- अगस्त, 2016 में वित्त मंत्रालय, भारत सरकार ने वर्ष 2016 से 2021 के लिए उपभोक्ता मुद्रास्फीति लक्ष्य (CIT) को अधिसूचित किया, जिसके अनुसार, वर्ष 2016 से 2021 के लिए +/-2 प्रतिशत के वहनीय स्तर के साथ चार प्रतिशत का मुद्रास्फीति का लक्ष्य निश्चित किया गया।
- यह लक्ष्य मौद्रिक नीति ढांचे (Monetary Policy Framework) के तहत निर्धारित किया गया।
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62. निम्नलिखित में से कौन मुद्रास्फीति की दर गिरने का निहितार्थ है/ हैं?
I. कीमतें गिर गई हैं।
II. कीमतें पहले की तुलना में अधिक धीमे से बढ़ रही हैं।
III. खाद्यपूर्ति बढ़ गई है।
IV. औद्योगिक विकास गतिहीन है।
नीचे दिए गए कूटों से सही उत्तर चुनिए-
कूट :
(a) I तथा II
(b) केवल 1
(c) केवल II
(d) I, III तथा IV
[U.P. P.C.S. (mains) 2017]
उत्तर-(c) केवल II
- मुद्रास्फीति की दर गिरने का अर्थ है कि पिछले वर्ष की समान अवधि की तुलना में कीमतों के बढ़ने की दर (प्रति वर्ष वृद्धि) में कमी आ गई है।
- जबकि मुद्रास्फीति ऋणात्मक होने का अर्थ है, पिछले वर्ष की समान अवधि की तुलना में कीमतें कम हो गई हैं।
- दिए गए प्रश्न के विकल्पों में केवल विकल्प (c) को सही माना जा सकता है।
- खाद्य आपूर्ति बढ़ने का प्रभाव मूल्यों पर पड़ता है लेकिन यह आवश्यक नहीं है कि इससे मुद्रास्फीति कम होगी ही, क्योंकि खाद्य के अतिरिक्त अन्य कारक भी मुद्रास्फीति को प्रभावित करते हैं।
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63. निम्न में से कौन मुद्रास्फीति से सर्वाधिक लाभ पाता है?
(a) साहूकार
(b) ऋणी
(c) बचत खाता एकाउंट रखने वाले
(d) राजकीय पेंशनर
[U.P.P.C.S. (Pre) 1995]
उत्तर-(b) ऋणी
मुद्रास्फीति के कारण मुद्रा के मूल्य अथवा मुद्रा की क्रय शक्ति पूर्व की अपेक्षा कम हो जाती है तथा ऐसी अवस्था ऋणी वर्ग के लिए लाभदायक तथा ऋणदाता वर्ग के लिए हानिकारक होती है।
मुद्रास्फीति के प्रभाव :-
वर्ग/क्षेत्र |
प्रभाव |
ऋणी, उत्पादक, व्यापारी वर्ग, कृषक, विनियोजक (साहसी), परिवर्तनशील आय समूह |
लाभ |
उपभोक्ता, ऋणदाता, साहूकार, स्थिर आय समूह, पेंशनभोगी वर्ग, डिबेन्चर के रूप में संपत्ति धारक, बचत खाता एकाउंट रखने वाले |
हानि |
सार्वजनिक व्यय, आयात, रोजगार, करारोपण |
वृद्धि |
सार्वजनिक बचत, निर्यात |
कमी |
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64. मुद्रास्फीति अर्थव्यवस्था के निम्नलिखित वर्ग हेतु लाभकारी है-
(a) लेनदार
(b) बॉण्ड एवं प्रतिभूतियों में निवेशक
(c) देनदार
(d) उपभोक्ता
[U.P.R.O./A.R.O. (Mains) 2016]
उत्तर-(c) देनदार
- मुद्रास्फीति का अर्थ बाजार में वस्तुओं और सेवाओं की कीमतों में सतत वृद्धि से होता है।
- मुद्रास्फीति में मुद्रा की शक्ति कमजोर हो जाती है अतः उपभोक्ता, देनदार व बॉण्ड एवं प्रतिभूतियों में निवेशक वर्ग को नुकसान उठाना पड़ता है, जबकि देनदार के लिए मुद्रास्फीति लाभकारी होती है।
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65. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए-
1. मुद्रास्फीति ऋणियों को लाभ पहुंचाती है।
2. मुद्रास्फीति बॉण्ड धारकों को लाभ पहुंचाती है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो । और न ही 2
[I.A.S. (Pre) 2013]
उत्तर- (a) केवल 1
- मुद्रास्फीति ऋणी वर्ग को लाभ तथा बॉण्ड धारकों को हानि पहुंचाती है।
- मुद्रास्फीति के कारण मुद्रा की क्रय शक्ति में कमी होती है, जिसके कारण ऋणी वर्ग को लाभ पहुंचता है, क्योंकि उन्हें कम क्रय शक्ति वाली मुद्रा ऋण अदायगी के रूप में देनी पड़ती है।
- इसके विपरीत बॉण्ड धारकों के लिए मुद्रास्फीति नुकसानदेह होती है।
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66. मुद्रास्फीति की शून्य दर उस वर्ष में अवश्य मानी जाती है, जब-
(a) वर्ष के प्रत्येक सप्ताह में मुद्रास्फीति की वार्षिक दर शून्य रहे
(b) वर्ष के प्रत्येक सप्ताह में मुद्रास्फीति की वार्षिक दर घटती जाए
(c) वर्ष में मुद्रास्फीति की वार्षिक दर घटे भी और बढ़े भी
(d) वर्ष के प्रत्येक सप्ताह में मुद्रास्फीति की वार्षिक दर स्थिर रहे
[I.A.S. (Pre) 1993]
उत्तर- (a) वर्ष के प्रत्येक सप्ताह में मुद्रास्फीति की वार्षिक दर शून्य रहे
- किसी वर्ष के किसी माह के किसी विशेष सप्ताह में यदि 5% मुद्रास्फीति है, तो इसका तात्पर्य है कि उस वर्ष के ठीक पिछले वर्ष के उसी माह के उसी सप्ताह विशेष की अपेक्षा वस्तु समूह की भारित कीमत में 5% की वृद्धि हुई अर्थात मुद्रास्फीति का मापन सप्ताह-दर-सप्ताह के आधार पर किया जाता है।
- स्पष्ट है, कि किसी वर्ष में मुद्रास्फीति की दर शून्य होने के लिए आवश्यक है, कि वर्ष के प्रत्येक सप्ताह में मुद्रास्फीति की दर शून्य हो।
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67. भारत में मुद्रास्फीति दर की माप किस आधार पर होती है?
(a) उपभोक्ता मूल्य सूचकांक
(b) थोक मूल्य सूचकांक
(c) श्रमिकों का जीवन निर्वाह लागत सूचकांक
(d) उपर्युक्त सभी
[Jharkhand P.C.S. (Pre) 2011]
उत्तर- (d) उपर्युक्त सभी
- भारत में मुद्रास्फीति की दर की माप उपर्युक्त तीनों आधारों- उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI), थोक मूल्य सूचकांक (WPI) तथा श्रमिकों के जीवन-निर्वाह लागत सूचकांक, पर की जाती है तथापि वर्तमान में सर्वाधिक प्रचलित माप उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति (CPI Inflation) है।
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68. भारत में मुद्रास्फीति को मापा जाता है-
(a) थोक मूल्य सूचकांक के द्वारा
(b) शहरी हाथ से काम न करने वाले कार्मिकों हेतु उपभोक्ता मूल्य सूचकांक
(c) खेतिहर श्रमिकों के लिए उपभोक्ता मूल्य सूचकांक
(d) राष्ट्रीय आय अपस्फीतिक
[R.A.S./R.T.S (Pre) 2013]
उत्तर- (a) थोक मूल्य सूचकांक के द्वारा
- प्रश्नकाल के संदर्भ में विकल्प (a) सही उत्तर है।
- मुद्रास्फीति एक गणितीय युक्ति है जिससे बाजार में मुद्रा के फैलाव एवं वस्तुओं की कीमतों में वृद्धि को मापा जाता है।
- भारत में मुद्रास्फीति की दर को मापने हेतु मुख्यतः ‘उपभोक्ता मूल्य सूचकांक’ (CPI) में हुए परिवर्तनों का प्रयोग किया जाता है।
- वर्तमान हेतु उपर्युक्त प्रश्न की व्याख्या देखें।
- वर्तमान में थोक मूल्य सूचकांक का आधार वर्ष 2011-12 (अप्रैल, 2017 से पहले तक 2004-05 था) है।
- हालांकि वर्ष 2014 में RBI द्वारा उपभोक्ता मूल्य सूचकांक को सबसे प्रचलित माप के रूप में प्रयोग किया जा रहा है।
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69. निम्नलिखित में से कौन-सा एक कथन अवस्फीति का उपयुक्त वर्णन करता है?
(a) यह दूसरी मुद्राओं की तुलना में मुद्रा मान में अचानक आई गिरावट है।
(b) यह अर्थव्यवस्था के वित्तीय तथा वास्तविक क्षेत्रों में आई सतत मंदी है।
(c) यह माल तथा सेवाओं के सामान्य कीमत स्तर में आई सतत गिरावट है।
(d) यह मुद्रास्फीति दर में एक निश्चित समय अवधि में आई गिरावट है।
[I.A.S. (Pre) 2010]
उत्तर-(c) यह माल तथा सेवाओं के सामान्य कीमत स्तर में आई सतत गिरावट है।
- अवस्फीति माल तथा सेवाओं के सामान्य कीमत स्तर में आई सतत गिरावट है।
- यह मुद्रास्फीति की दर में गिरावट नहीं है, जो डिसइंफ्लेशन (Disinflation) के रूप में जानी जाती है।
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70. स्फीति दर में होने वाली तीव्र वृद्धि का आरोप्य कभी-कभी ‘आधार प्रभाव’ (Base Effect) पर लगाया जाता है। यह ‘आधार प्रभाव’ क्या है?
(a) यह फसलों के खराब होने से आपूर्ति में उत्पन्न उग्र अभाव का प्रभाव है।
(b) यह तीव्र आर्थिक विकास के कारण तेजी से बढ़ रही मांग का प्रभाव है।
(c) यह विगत वर्ष की कीमतों का स्फीति दर की गणना पर आया प्रभाव है।
(d) इस संदर्भ में उपर्युक्त (a), (b) तथा (c) कथनों में से कोई भी सही नहीं है।
[I.A.S. (Pre) 2011]
उत्तर-(c) यह विगत वर्ष की कीमतों का स्फीति दर की गणना पर आया प्रभाव है।
- पहले के आंकड़ों का वर्तमान आंकड़ों की गणना पर पड़ने वाला प्रभाव ‘आधार प्रभाव’ (Base Effect) कहलाता है।
- स्फीति दर में वृद्धि के संदर्भ में विगत वर्ष की कीमतों का वर्तमान स्फीति दर की गणना पर आया प्रभाव ही ‘आधार प्रभाव’ है।
- दूसरे शब्दों में, यदि गत वर्ष स्फीति अत्यंत न्यूनतम स्तर पर हो, तो इस वर्ष मूल्य सूचकांक में थोड़ी-सी वृद्धि भी स्फीति दर को गत वर्ष की तुलना में काफी बड़ा दिखाएगी।
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71 . निम्नलिखित में से किस एक का अपने प्रभाव में सर्वाधिक स्फीतिकारी होने की संभावना है?
(a) लोक ऋण की चुकौती
(b) बजट घाटे के वित्तीयन के लिए जनता से ऋणादान
(c) बजट घाटे के वित्तीयन के लिए बैंकों से ऋणादान
(d) बजट घाटे के वित्तीयन के लिए नई मुद्रा का सृजन
[I.A.S. (Pre) 2013]
उत्तर-(d) बजट घाटे के वित्तीयन के लिए नई मुद्रा का सृजन
- बजटीय घाटे की पूर्ति हेतु नई मुद्रा का सृजन सर्वाधिक स्फीतिकारी होगा, क्योंकि मुद्रा की पूर्ति में वृद्धि से बाजार में तरलता और लोगों की मौद्रिक आय में वृद्धि होगी जिसके फलस्वरूप मांग में वृद्धि होगी जो कीमतों को बढ़ा देगी।
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72. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए :
1. खाद्य वस्तुओं का ‘उपभोक्ता मूल्य सूचकांक’ (CPI) में भार (Weightage) उनके ‘थोक मूल्य सूचकांक’ (WPI) में दिए गए भार से अधिक है।
2. WPI, सेवाओं के मूल्यों में होने वाले परिवर्तनों को नहीं पकड़ता, जैसा कि CPI करता है।
3. भारतीय रिजर्व बैंक ने अब मुद्रास्फीति के मुख्य मान हेतु तथा प्रमुख नीतिगत दरों के निर्धारण और परिवर्तन हेतु WPI को अपना लिया है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 2
(c) केवल 3
(d) 1, 2 और 3
[I.A.S. (Pre) 2020]
उत्तर- (a) केवल 1 और 2
- उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) चयनित वस्तुओं और सेवाओं के खुदरा मूल्यों के स्तर में समय के साथ बदलाव को मापता है, जिस पर एक परिभाषित समूह के उपभोक्ता अपनी आय खर्च करते हैं।
- उपभोक्ता मूल्य सूचकांक में खाद्य वस्तुओं का भार लगभग 54 प्रतिशत है, जबकि थोक मूल्य सूचकांक में खाद्य वस्तुओं का भार लगभग 3.84 प्रतिशत है।
- अतः कथन (1) सही है।
- थोक मूल्य सूचकांक (WPI) की गणना थोक बाजार में उत्पादकों और बड़े व्यापारियों द्वारा किए गए भुगतान के आधार पर की जाती है।
- इसमें उत्पादन के प्रथम चरण में अदा किए गए मूल्यों की गणना की जाती हैं।
- थोक मूल्य सूचकांक केवल वस्तुओं के मूल्यों में होने वाले परिवर्तनों को पकड़ता है, जबकि उपभोक्ता मूल्य सूचकांक वस्तुओं और सेवाओं में होने वाले परिवर्तनों को पकड़ता है।
- अतः कथन (2) सही है।
- उर्जित पटेल कमेटी के सुझाव के आधार पर भारतीय रिजर्व बैंक ने वर्ष 2014 से मुद्रास्फीति के मुख्य मान हेतु तथा प्रमुख नीतिगत दरों के निर्धारण और परिवर्तन हेतु CPI-C को अपना लिया है।
- अतः कथन (3) गलत है।
- इस प्रश्न का सही उत्तर विकल्प (a) है।
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73. उपभोक्ता मूल्य सूचकांक के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार करें तथा नीचे दिए गए कूट से सही उत्तर का चयन कीजिए-
1. यह वस्तु एवं सेवाओं के मूल्य परिवर्तन की गणना करता है।
2. इसकी गणना आर्थिक सलाहकार का कार्यालय (OEA), औद्योगिक नीति एवं प्रोन्नति विभाग द्वारा किया जाता है।
3. भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा मौद्रिक नीति बनाते समय इसका प्रयोग मुद्रा स्फीति माप हेतु किया जाता है।
कूट :
(a) 1 और 2
(b) 1 और 3
(c) 2 और 3
(d) केवल 1
[U.P.B.E.O. (Pre) 2019]
उत्तर-(c) 2 और 3
- उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI), जो वर्तमान में CPI-C (सीपीआई-कंबाइंड) के रूप में प्रयोग किया जा रहा है, कि गणना ‘लेबर ब्यूरो’ एवं एन.एस.ओ. (NSO) द्वारा की जा रही है।
- CPI-C में शामिल हैं-
CPI-IW
CPI-AL
CPI-RL तथा
CPI-UNME
- CPI-IW, CPI-AL तथा CPI-RL की गणना लेबर ब्यूरो द्वारा, जबकि CPI-UNME की गणना CSO द्वारा की जाती थी जिसे वर्ष 2008 से बंद करा दिया गया है।
- आर्थिक सलाहकार कार्यालय (OEA), औद्योगिक नीति एवं प्रोन्नति विभाग (DIPP) द्वारा थोक मूल्य सूचकांक (WPI) की गणना की जाती है।
- भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा वर्तमान में मौद्रिक नीति बनाते समय मुद्रास्फीति की माप हेतु CPI-C का ही प्रयोग किया जा रहा है।
- तथ्य यह है कि उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग द्वारा 16-8-2020 को संपन्न ‘खंड शिक्षा अधिकारी’ (BEO) परीक्षा के सीरीज C प्रश्न पुस्तिका में प्रश्न संख्या 54 का उत्तर आयोग द्वारा विकल्प (a) दिया गया है, जबकि इस प्रश्न का सही उत्तर विकल्प (c) होगा।
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74. उपभोक्ता कीमत सूचकांक पर आधारित मुद्रास्फीति की दर बढ़ती है, यदि-
(a) रिवर्स रेपो दर कम कर दी जाती है।
(b) रेपो रेट बढ़ा दी जाती है।
(c) बैंक दर कम कर दी जाती है।
(d) वैधानिक तरलता अनुपात बढ़ा दिया जाता है।
[R.A.S./R.T.S. (Pre) 2016]
उत्तर- (a & c) रिवर्स रेपो दर कम कर दी जाती है।, बैंक दर कम कर दी जाती है।
- उपभोक्ता कीमत सूचकांक (CPI) आधारित मुद्रास्फीति में मांग पक्ष महत्वपूर्ण होता है।
- मौद्रिक नीति के प्रश्नगत चारों उपकरणों के साथ मुद्रास्फीति का व्युत्क्रमानुपाती संबंध होता है।
- अतः रेपो दर तथा वैधानिक तरलता अनुपात में वृद्धि होना मुद्रास्फीति में कमी लाएगा, जबकि रिवर्स रेपो दर एवं बैंक दर में कमी मुद्रास्फीति की दर को बढ़ाएगी।
- अतः विकल्प (a) एवं विकल्प (c) दोनों सही उत्तर होंगे।
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75. कोर मुद्रास्फीति को परिभाषित किया जाता है-
(a) केवल ईंधन मुद्रास्फीति को छोड़कर शीर्षक मुद्रास्फीति से
(b) खाद्य मुद्रास्फीति तथा ईंधन मुद्रास्फीति से
(c) केवल खाद्य मुद्रास्फीति को छोड़कर शीर्षक मुद्रास्फीति से
(d) खाद्य मुद्रास्फीति तथा ईंधन मुद्रास्फीति दोनों को छोड़कर शीर्षक मुद्रास्फीति से
[U.P. P.C.S. (mains) 2017]
उत्तर-(d) खाद्य मुद्रास्फीति तथा ईंधन मुद्रास्फीति दोनों को छोड़कर शीर्षक मुद्रास्फीति से
- उपभोक्ता मूल्य सूचकांक के आधार पर तैयार की जाने वाली मुद्रास्फीति जिसमें खाद्य एवं ईंधन की कीमतों में होने वाले उतार-चढ़ाव भी शामिल होते हैं को ‘हेडलाइन (शीर्षक) मुद्रास्फीति’ कहते हैं।
- जबकि ‘कोर मुद्रास्फीति’ वह है, जिसमें खाद्य एवं ईंधन की कीमतों में होने वाले उतार-चढ़ाव को शामिल नहीं किया जाता है।
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76. निम्नलिखित कीमत सूचकांकों में से केंद्र सरकार के कर्मचारियों की मजदूरी में क्षतिपूर्ति हेतु किसका प्रयोग किया जाता है?
(a) थोक कीमत सूचकांक
(b) औद्योगिक कर्मियों के लिए उपभोक्ता कीमत सूचकांक
(c) कृषि श्रमिकों के लिये उपभोक्ता कीमत सूचकांक
(d) उक्त में से कोई नहीं
[U.P.U.D.A./L.D.A. (Pre) 2001]
उत्तर-(b) औद्योगिक कर्मियों के लिए उपभोक्ता कीमत सूचकांक
- केंद्रीय संरकार अपने कर्मचारियों को दिए जाने वाले वेतन में महंगाई के कारण होने वाली क्षति की पूर्ति हेतु औद्योगिक कर्मियों के लिए उपभोक्ता कीमत सचकांक (CPI-IW) प्रयोग करती है।
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77. भारत में कर्मचारियों के महंगाई भत्ते के निर्धारण का आधार है-
(a) राष्ट्रीय आय
(b) उपभोक्ता कीमत सूचकांक
(c) जीवन स्तर
(d) प्रति व्यक्ति आय
[Uttarakhand U.D.A./L.D.A. (Pre) 2007 U.P.P.C.S. (Mains) 2008 U.P. Lower Sub. (Pre) 2008]
उत्तर-(b) उपभोक्ता कीमत सूचकांक
- भारत में कर्मचारियों के महंगाई भत्ते (Dearness Allowances of Employees) का निर्धारण औद्योगिक कर्मियों के उपभोक्ता कीमत
सूचकांक (Consumer Price Index-Industrial Workers) के आधार पर किया जाता है।
- वर्तमान में भारत में निम्नलिखित 4 वर्गों में उपभोक्ता कीमत सूचकांक (CPI) का संकलन किया जाता है-
- 1. CPI-IW: Consumer Price Index for Industrial workers
2. CPI-AL: Consumer Price Index for Agricultural Labourers
3. CPI-RL: Consumer Price Index for Rural Labourers
4. CPI (Rural/Urban): All India Consumer Price Index (Ru-
ral/Urban)
- उल्लेखनीय है कि CPI-UNME: (Consumer Price Index forUrban Non Manual Employees) का संकलन भी पहले केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय (CSO) द्वारा किया जाता था, परंतु इसे अप्रैल, 2008 से बंद कर दिया गया।
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78. निम्नलिखित उपभोक्ता मूल्य सूचकांकों पर विचार कीजिए –
1. औद्योगिक श्रमिकों के लिए उपभोक्ता मूल्य सूचकांक
II. कृषि श्रमिकों के लिए उपभोक्ता मूल्य सूचकांक
III. ग्रामीण श्रमिकों के लिए उपभोक्ता मूल्य सूचकांक
IV. शहरी गैर-श्रम कर्मचारियों के लिए उपभोक्ता मूल्य सूचकांक
उपर्युक्त सूचकांकों में से कौन-सा/से केंद्रीय सांख्यिकी संगठन (CSO) द्वारा संकलित किया जाता है/ किए जाते हैं?
(a) केवल III और IV
(b) केवल I, II और III
(c) केवल IV
(d) I, II, III और IV
[56th to 59th B. P. S.C. (Pre) 2015]
उत्तर- (a) केवल III और IV
- औद्योगिक श्रमिकों के लिए उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI-IW), कृषि श्रमिकों के लिए उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI-AL) तथा ग्रामीण श्रमिकों के लिए उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI-RL) श्रम एवं रोजगार मंत्रालय के अधीन कार्य करने वाले श्रम ब्यूरो द्वारा संकलित किया जाता है, जबकि शहरी गैर-श्रम कर्मचारियों के लिए उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI-UNME) पहले ‘केंद्रीय सांख्यिकी संगठन’ (CSO) द्वारा संकलित किया जाता था, जिसे अप्रैल, 2008 से बंद कर दिया गया।
- हालांकि उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (शहरी) के लाए जाने तक की अवधि हेतु CPI-IW से संबद्ध अखिल भारतीय लिंक्ड CPI-UNME संकलित किया जाता रहा, जिसे जनवरी, 2011 से बंद किया गया।
- वर्तमान में CPI (Urban) और CPI (Rural) का संकलन किया जाता है।
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79. भारत में थोक मूल्य सूचकांक (WPI) के आंकड़े निम्नलिखित में से कौन-सा संस्थापन/कार्यालय जारी करता है?
(a) भारतीय रिजर्व बैंक
(b) वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय
(c) वित्त मंत्रालय
(d) उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय
[U.P. P.C.S. (Pre) 2021]
उत्तर-(b) वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय
- वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के उद्योग एवं आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग के आर्थिक सलाहकार के कार्यालय द्वारा भारत में थोक मूल्य सूचकांक के आंकड़े जारी किए जाते हैं।
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80. थोक मूल्य सूचकांक के मापन में निम्न में से किस एक क्षेत्र को सबसे अधिक भार (Weightage) दिया जाता है?
(a) खाद्य पदार्थ क्षेत्र
(b) गैर-खाद्य पदार्थ क्षेत्र
(c) ईंधन, पॉवर, लाईट एवं ल्यूब्रीकेंट्स
(d) विनिर्मित उत्पाद
[U.P.P.C.S. (Mains) 2008*]
उत्तर-(d) विनिर्मित उत्पाद
थोक मूल्य सूचकांक की तुलनात्मक स्थिति |
मदों की संख्या/भारांश (%) |
वस्तुएं |
आधार वर्ष 2004-05 मासिक
आधार पर |
आधार वर्ष 2011-12 मासिक
आधार पर |
सभी वस्तुएं |
676 100.00 |
697 100.00 |
प्राथमिक (बुनियादी) वस्तुएं |
102 20.12 |
117 22.62 |
ईंधन और विद्युत |
19 14.91 |
16 13.15 |
विनिर्मित उत्पाद |
555 64.97 |
564 64.23 |
81. नई डब्ल्यू. पी.आई. श्रृंखला का प्रारंभ हुआ-
(a) 1 अप्रैल, 2010 को
(b) 1 जुलाई, 2010 को
(c) 14 सितंबर, 2010 को
(c) 15 अगस्त, 2010 को
[U.P.P.C.S. (Mains) 2009]
उत्तर-(d) 14 सितंबर, 2010 को
- प्रश्नकाल में नई थोक मूल्य सूचकांक (W.P.I.) श्रृंखला का प्रारंभ 14 सितंबर, 2010 से हुआ था।
- तब इसके अंतर्गत 676 मदें रखी गईं थी जबकि पुरानी WPI सूचकांक में 435 थी।।
- इसका आधार वर्ष, वर्ष 1993-94 के स्थान पर वर्ष 2004-05 रखा गया था।
- 12 मई, 2017 को आधार वर्ष 2011-12 वाली नई डब्ल्यू.पी.आई. श्रृंखला (अप्रैल, 2017 से प्रभावी) लाई गई।
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82. भारत सरकार ने अखिल भारतीय थोक कीमत सूचकांक के लिए आधार वर्ष 2004-05 से बदलकर किस वर्ष को बनाया है?
(a) 2010-11
(b) 2011-12
(c) 2012-13
(d) 2013-14
(e) उपर्युक्त में से कोई नहीं/उपर्युक्त में से एक से अधिक
[63rd B.P.S.C. (Pre.) Exam. 2017]
उत्तर-(b) 2011-12
- 12 मई, 2017 को आधार वर्ष 2011-12 वाली नई डब्ल्यू.पी.आई. श्रृंखला (अप्रैल, 2017 से प्रभावी) लाई गई।
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83. भारत सरकार द्वारा जारी की गई थोक मूल्य सूचकांक (Wholesale Price Index-WPI) की नई श्रृंखला है-
(a) 1981-82 के आधार मूल्यों के संदर्भ में
(b) 1990-91 के आधार मूल्यों के संदर्भ में
(c) 1993-94 के आधार मूल्यों के संदर्भ में
(d) 1994-95 के आधार मूल्यों के संदर्भ में
[I.A.S. (Pre) 2001]
उत्तर-(c) 1993-94 के आधार मूल्यों के संदर्भ में
- प्रश्नकाल में थोक मूल्य सूचकांक श्रृंखला का आधार वर्ष 1993-94 था लेकिन वर्तमान श्रृंखला का आधार वर्ष 2011-12 है।
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84. भारत के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए –
1. भारत में थोक कीमत सूचकांक (WPI) केवल मासिक आधार पर उपलब्ध है।
2. औद्योगिक कामगारों के लिए उपभोक्ता कीमत सूचकांक (CPI IW) की तुलना में WPI खाद्य वस्तुओं को कम महत्व देती है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1 और न ही 2
[I.A.S. (Pre) 2010]
उत्तर-(b) केवल 2
- अक्टूबर, 2009 में सरकार ने थोक मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति के आंकड़ों को साप्ताहिक आधार पर जारी करने के बजाए मासिक आधार पर जारी करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी।
- तथापि वर्ष 2012 के प्रारंभ तक प्राथमिक वस्तुओं तथा ईंधन समूह के लिए यह सूचकांक साप्ताहिक आधार पर जारी किया जा रहा था जिसे अंतिम बार 27 जनवरी, 2012 को जारी किया गया।
- इस प्रकार प्रश्नकाल के संदर्भ में कथन (1) गलत है, जबकि कथन (2) सही है, क्योंकि भारत में औद्योगिक कामगारों के लिए उपभोक्ता कीमत सूचकांक (CPI-IW) WPI की तुलना में खाद्य वस्तुओं को अधिक महत्व देता है।
- वर्तमान संदर्भ में इस प्रश्न का सही उत्तर विकल्प (c) होगा।
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85. निम्नलिखित में से कौन ‘औद्योगिक कर्मकारों के लिए उपभोक्ता कीमत सूचकांक’ (कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स नंबर फॉर इंडस्ट्रियल वर्कर्स) निकालता है?
(a) भारतीय रिजर्व बैंक
(b) आर्थिक कार्य विभाग
(c) श्रम ब्यूरो
(d) कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग
[I.A. S. (Pre) 2015]
उत्तर-(c) श्रम ब्यूरो
- औद्योगिक कर्मकारों के लिए उपभोक्ता कीमत सूचकांक का संकलन श्रम ब्यूरो द्वारा किया जाता है।
- इसके अतिरिक्त यह कृषि श्रमिकों हेतु उपभोक्ता मूल्य सूचकांक तथा ग्रामीण श्रमिकों हेतु उपभोक्ता मूल्य सूचकांक का संकलन भी करता है।
- उल्लेखनीय है कि, ‘श्रम ब्यूरो’ अखिल भारतीय स्तर पर श्रम के विभिन्न पहलुओं पर आंकड़ों के संग्रहण, संकलन, विश्लेषण एवं वितरण में कार्यरत है। श्रम ब्यूरो आंकड़ों के समाकलन, संग्रहण, प्रकाशन तथा मजदूरी उपार्जन, उत्पादकता, अनुपस्थिति, श्रम आवर्त, औद्योगिक संबंधों, कार्यकारी एवं निर्वाह स्थितियों से संबंधित सूचना तथा विभिन्न श्रम अधिनियमों के कार्यान्वयन के मूल्यांकन आदि के लिए भी उत्तरदायी है।
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86. वर्तमान मूल्य सूचकांक (Price index) (आधार वर्ष 1960) लगभग 330 है। इसका अर्थ है कि-
(a) 1960 की तुलना में सभी वस्तुओं की कीमत 3.3 गुना अधिक है।
(b) कुछ निश्चित चुनी हुई वस्तुओं का मूल्य 3.3 गुना तक बढ़ गया है
(c) कुछ निश्चित वस्तुओं के मूल्यों का भारित औसत (Weighted Mean) 3.3 गुना बढ़ गया है।
(d) सोने का मूल्य 3.3 गुना बढ़ गया है।
[I.A.S. (Pre) 1998]
उत्तर-(c) कुछ निश्चित वस्तुओं के मूल्यों का भारित औसत (Weighted Mean) 3.3 गुना बढ़ गया है।
- मूल्य सूचकांक कुछ निश्चित वस्तुओं के मूल्यों का भारित औसत होता है।
- प्रश्नानुसार, वर्तमान मूल्य सूचकांक के आधार वर्ष की अपेक्षा 330 होने का तात्पर्य है, कि कुछ निश्चित वस्तुओं के मूल्यों का भारित औसत आधार वर्ष 1960 की अपेक्षा 3.3 गुना बढ़ गया है।
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87. औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आई.आई.पी.) की नई श्रेणी में, जो भारत सरकार द्वारा 12 मई, 2017 को जारी की गई थी, आधार वर्ष को परिवर्तित कर दिया गया है -2011-12
(a) 2001-02 में
(b) 2004-05 में
(c) 2008-09 में
(d) 2011-12 में
उत्तर-(b) 2011-12 में
- इसमें कुल मदों की संख्या 620 तथा मद समूहों की संख्या 399 थी।
- इसमें खनन, विनिर्माण एवं विद्युत क्षेत्र का भारांश क्रमशः 14.16%, 75.53% एवं 10.32% था।
- 12 मई, 2017 को जारी औद्योगिक उत्पादन सूचकांक की नई श्रृंखला में आधार वर्ष 2011-12 कर दिया गया है।
- इसमें खनन, विनिर्माण एवं विद्युत क्षेत्र का भारांश क्रमशः 14.37%, 77.63% तथा 7.99% है।
- इसमें शामिल कुल मदों की संख्या 809 तथा मद समूहों की संख्या 407 है।
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