मध्यप्रदेश में प्रदेश खनिज संसाधन
- मध्यप्रदेश खनिज संसाधन की दृष्टि से सम्पन्न राज्य है।
- अविभाजित मध्यप्रदेश का खनिज उत्पादन में प्रथम स्थान था।
- मध्यप्रदेश का खनिज भण्डारों की दृष्टि से देश में तीसरा स्थान है।
- मध्यप्रदेश में लगभग 25 प्रकार के खनिज पाये जाते हैं, जिनमें से 20 का उत्पादन प्रदेश में किया जा रहा है ।
- मध्यप्रदेश ने अपनी खनिज नीति सर्वप्रथम वर्ष 1995 में घोषित की।
- मध्यप्रदेश राज्य खनिज निगम की स्थापना 19 जनवरी, 1962 में की गई।
म.प्र. में पाये जाने वाले विशिष्ट पत्थर
1.सागर जिले के सोप स्टोन से बनता है टेल्कम पावडर
कई लोग कॉस्मेटिक उत्पाद के रूप में टेलकम पाउडर का उपयोग करते हैं । सागर, टीकमगढ़, छतरपुर जिले में पाए जाने वाले सोप स्टोन से टेलकम पावडर बनाया जाता है । यह काफी चिकना होता है । इसका इस्तेमाल पेस्टिसाइड और हैंडीक्राफ्ट वस्तुएँ बनाने में भी होता है ।
2. बड़वानी के पत्थर से बनती है कैल्शियम की गोलियां
बड़वानी जिले में पाए जाने वाले कैलसाइट खनिज का उपयोग मेडिसिन तैयार करने में किया जाता है । कैल्शियम की गोलियां इस पत्थर से ही तैयार की जाती है । इसका उपयोग मृदा उपचार में किया जाता है । बड़वानी में इसकी खदाने स्वीकृत थी, लेकिन वर्तमान में ये बंद है।
3.टीकमगढ़ के पत्थर से बनाया जाता है पेस्टिसाइड
टीकमगढ़ में पाए जाने वाले पायरोफिलाइट खनिज में फास्फोरस पाया जाता है इस वजह से इसे पीसकर इसमें केमिकल मिलाया जाता है । इस पत्थर का गुण यह होता है कि यह केमिकल सोख लेता है । इस वजह से इसका कीटनाशक तैयार करने में इस्तेमाल किया जाता है।
4.कटनी के सेंड स्टोन से बनाई जा रही मूर्ति व आकृतियाँ
अभी तक राजस्थान में पत्थरों से मूर्तियां बनाई जाती थीं, लेकिन अब प्रदेश में कटनी जिले के रीठी गाँव में पाया जाने वाले खास तरह के सेंड स्टोन से मूर्तियां व कलाकृति तैयार की जा रही है।
5.दमोह में पाए गए गैलेना खनिज से बनती है बंदूक की गोली
दमोह जिल कचौरइयां गाँव में सर्वे के दौरान गैलेना खनिज मिला था । इसे पतमान में संरक्षित किया गया है । गैलेना खनिज से बंदूक की गोली का अगला हिस्सा तैयार किया जाता है और इलेक्ट्रिक सॉल्डरिंग इस्तेमाल होता है।
अन्य महत्वपूर्ण तथ्य
- मध्यप्रदेश आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट 2018-19 के अनुसार, खनिज की दृष्टि से म.प्र., देश के आठ प्रमुख खनिज सम्पन्न राज्यों में से एक है।
- बर्ष 2017-2018 में (तेल एवं प्राकृतिक गैस को छोड़कर) प्रदेश कोयला के सकल उत्पादन में राष्ट्र में चौथा स्थान है
- राज्य की अर्थव्यवस्था में खनन एवं उत्खनन क्षेत्र का योगदान वर्ष 2016-17 (प्रा.) के प्रचलित भावों के अनुमानों के अनुसार 3.91 प्रतिशत एवं वर्ष 2017-18 (त्वरित) अनुमानों के अनुसार 4.47 प्रतिशत है।
- राज्य में वित्तीय वर्ष 2017-18 में मुख्य खनिजों का उत्पादन मूल्य 2141.27 करोड़ रुपये (अनंतिम) हुआ, जो वर्ष 2016-17 में उत्पादित मुख्य खनिज के मूल्य 1814.5 करोड़ रुपये से 18 प्रतिशत अधिक है।
- हीरा उत्पादन में प्रदेश को राष्ट्र में एकाधिकार प्राप्त होने के साथ-साथ ताम्र अयस्क, मैग्नीज अयस्क के उत्पादन में भी राष्ट्र में प्रथम स्थान प्राप्त है।
- प्रदेश को रॉकफॉस्फेट के उत्पादन में द्वितीय तथा कोयला एवं चूना पत्थर के उत्पादन में चतुर्थ स्थान प्राप्त है।
- मध्यप्रदेश में लौह-अयस्क के विशाल भण्डार पाये जाते हैं।
- मध्यप्रदेश देश का एकमात्र राज्य है, जिसमें हीरा व स्लेट का उत्पादन होता है।
- मध्यप्रदेश ने अपनी दूसरी नवीन खनिज नीति वर्ष 2010 में घोषित की ।
- मध्यप्रदेश में पेट्रोलियम की उपलब्धता नहीं है।
- मध्यप्रदेश के बालाघाट तथा छिंदवाड़ा मुख्य मैग्नीज उत्पादक जिले हैं ।
- मध्यप्रदेश के होशंगाबाद जिले का आगर गाँव टंगस्टन के लिए प्रसिद्ध है।
- चीनी मिट्टी का मूल नाम केओलिन’ है।
- अग्निरोधी मिट्टी (फायरक्ले) से उच्च ताप सह ईंटें बनायी जाती हैं।
- टाल्क सबसे कम कठोर खनिज है।
- कोहिनूर हीरा मध्यप्रदेश की खानों से प्राप्त किया गया था ।
- बॉक्साइट एल्यूमीनियम का अयस्क है।
- हीरे का अधिकांश उत्खनन नेशनल मिनरल डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन द्वार कराया जाता है।
- प्रदेश का पन्ना जिला हीरा उत्पादन में देश में प्रथम स्थान पर है।
- प्रदेश के झाबुआ जिले में रॉक फास्फेट के भण्डार हैं ।
- मध्यप्रदेश में सुरमा का उत्पादन जबलपुर में होता है ।
- प्रदेश में चूना पत्थर के विशाल भण्डार मौजूद हैं।
- राज्य शासन द्वारा मध्यप्रदेश गौण खनिज नियम 1996 में लागू किया गया।
- प्रदेश के बैतूल जिले में ग्रेफाइट मिलता है
- मध्यप्रदेश में पूरे देश के ताँबा उत्पादन का 22% पाया जाता है ।
- मध्यप्रदेश के मलाजखण्ड (बालाघाट) में ताम्र अयस्क की 170 मीटलंबी व 20 मीटर चौड़ी पेटी में 193 मीट्रिक टन का भण्डार है।
- मध्यप्रदेश की कोयला खानें विंध्य कल्प की हैं।
- मध्यप्रदेश के बालाघाट जिले की भारवेली खदान एशिया की सबसे बई खुले मुँह की खदान है।
- लौह-अयस्क के उत्पादन में प्रदेश का देश में 5वाँ स्थान है ।
- मध्यप्रदेश में उपस्थित कोयला भण्डारों का आगामी 600 वर्षों तक उपयोग किया जा सकता है।
- कोयले को काला हीरा भी कहा जाता है ।
- अग्निरोधी मिट्टी (फायरक्ले) अधिकतर कोयले की खानों से मिलती है।
- कैल्साइट, लैटराइट तथा रॉक फास्फेट के उत्पादन में प्रदेश का द्वितीय स्थान है।
प्रदेश का सोहागपुर सबसे बड़ा कोयला क्षेत्र है । - ‘बुलफाम’ टंगस्टन का अयस्क है।
- प्रदेश के सिंगरौली कोयला क्षेत्र में देश की सबसे मोटी तथा विश्व में दूसरे नंबर की सबसे मोटी (136 मीटर) कोयले की परत पायी जाती है ।
- मध्यप्रदेश में लौह-अयस्क जबलपुर, मण्डला, बालाघाट में पाया जाता है।
- मध्यप्रदेश में बॉक्साइट का उत्खनन 1908 से कटनी से प्रारंभ हुआ।
- बॉक्साइट का उत्पादन प्रदेश के अनूपपुर (अमरकंटक क्षेत्र), मण्डला, बालाघाट, जबलपुर व सतना में होता है ।
- मध्यप्रदेश के अमरकंटक को (बॉक्साइट उत्पादन में) रेणुकूट (उत्तर प्रदेश का) कहा जाता है।
मध्यप्रदेश में चीनी मिट्टी के उत्पादन क्षेत्र ग्वालियर, जबलपुर, सतना, शहडोल आदि हैं। - फायरक्ले 1600 F तापमान तक नहीं जलता है
- फायरक्ले प्रदेश के जबलपुर, शहडोल, नरसिंहपुर, पन्ना में मुख्यतः होता है।
- जिप्सम मध्यप्रदेश के रीवा जिले में पाया जाता है।
- मध्यप्रदेश में सर्वाधिक मात्रा में बिटुमिनस प्रकार का कोयला पाया जाता है।
- प्रदेश के बैतूल जिले से टिन प्राप्त होता है।
- गैलेना सीसा का मुख्य अयस्क है।
- मध्यप्रदेश का गेरू के उत्पादन में देश में प्रथम स्थान है ।
- प्रदेश के खरगोन जिले में उच्च स्तरीय रॉक फॉस्फेट का पता चला है ।
- मध्यप्रदेश से मैंग्नीज, अमेरिका, ब्रिटेन, जर्मनी और रूस को निर्यात किया जाता है।
- प्रदेश के लौह-अयस्क का निर्यात जर्मनी व जापान को किया जाता है ।
- मध्यप्रदेश में फेल्सपार जबलपुर और शहडोल में पाया जाता है।
- इसका उपयोग मिट्टी के बर्तन, ताम्रचीनी की वस्तुएँ तथा काँच बना किया जाता है।
- कोरण्डम एल्यूमीनियम का प्राकृतिक ऑक्साइड होता है।
- हीरे के बाद सबसे कठोर खनिज कोरण्डम है ।
- ताँबा अधिकतम आग्नेय कायांतरित शैलों से प्राप्त होता है।
- मध्यप्रदेश में अभ्रक ग्वालियर में कुड़प्पा शैलों में मिलता है।
- ग्रेफाइट मुख्यतः प्रदेश के बैतूल जिले में पाया जाता है।
- सतना की मझगवाँ खदानों में प्रत्येक 100 टन चट्टानों में 11.7 कैरेट हो। मिलते हैं।
- मध्यप्रदेश में कोयला भण्डारण की दृष्टि से विन्ध्य क्षेत्र प्रथम स्थान पर है।
- जब चूना पत्थर में 45% से अधिक मैग्नेशियम होता है, तो इसे डोलोमाइट कहते हैं।
- सेलखड़ी टाल्क या स्टीएराइट नामक खनिज की एक किस्म है।
- बैराइटिश खनिज सल्फेट का मिश्रण है, जिसमें लगभग 66% बैरियम ऑक्साइड होता है।
- कोयले को उद्योग की जननी व शक्ति का प्रतीक माना जाता है ।
कोयला क्षेत्र
मध्यप्रदेश में कोयला क्षेत्र को दो भागों में बाँटा गया है
- मध्य भारत कोयला क्षेत्र
- सतपुड़ा कोयला क्षेत्र
मध्य भारत क्षेत्र के अंतर्गत 5 क्षेत्र शामिल हैं, जो निम्न है-
- सिंगरौली,
- सोहागपुर,
- उमरिया,
- कोरार व
- जोहिला कोयला क्षेत्र ।
- डोलोमाइट का प्रयोग लोहा साफ करने में किया जाता है।
- टंगस्टन का उपयोग बल्ब का फिलामेंट बनाने में होता है।
सतपुड़ा कोयला क्षेत्र में चार क्षेत्र यथा-
- मोहपानी,
- शाहपुर तवा
- कान्हन घाटी क्षेत्र तथा
- पैंच घाटी क्षेत्र शामिल हैं।
- सिंगरौली क्षेत्र 2,500 वर्ग किमी. क्षेत्र में फैला है ।
- प्रदेश का सोहागपुर कोयला क्षेत्र सबसे बड़ा कोयला क्षेत्र है, जो 4,142 वर्ग किमी. क्षेत्र में फैला है।
- कोयले को कार्बन के आधार पर चार भागों -बिटुमिनस, पीट, एन्थ्रेसाइट तथा लिग्नाइट में विभाजित किया गया है।
- एन्थ्रेसाइट कोयला सर्वाधिक उच्च श्रेणी का होता है।
- कोयला अवसादी चट्टानों में पाया जाता है ।
- कोयले के भण्डारण में पश्चिम बंगाल के बाद प्रदेश का दूसरा स्थान है।
- मध्यप्रदेश में बिटुमिनस प्रकार का कोयला ही सर्वाधिक पाया जाता है ।