मानव पूंजी : मानव पूंजी में निवेश के आर्थिक और गैर-आर्थिक लाभ
प्रश्न: मानव पूंजी से आप क्या समझते है? वर्णन कीजिए कि मानव पूंजी निर्माण आर्थिक संवृद्धि और विकास में किस प्रकार योगदान देता है।
दृष्टिकोण:
- मानव पूंजी को परिभाषित करते हुए उत्तर आरंभ कीजिए।
- मानव पूंजी में निवेश के आर्थिक और गैर-आर्थिक लाभों पर संक्षिप्त टिप्पणी कीजिए।
- कुछ उदाहरण प्रस्तुत करते हुए चर्चा कीजिए कि मानव पूंजी निर्माण किस प्रकार आर्थिक संवृद्धि और विकास में योगदान करता है।
- उपर्युक्त बिंदुओं के आधार पर निष्कर्ष प्रस्तुत कीजिए।
उत्तर:
मानव पूंजी को ज्ञान, कौशल, क्षमता और अन्य गुणों के रूप में परिभाषित किया जा सकता है जिनका व्यक्तियों या व्यक्तियों के समूह द्वारा अपने जीवनकाल में अर्जन तथा अर्थव्यवस्था में वस्तुओं, सेवाओं और विचारों के उत्पादन करने हेतु प्रयोग किया जाता है। इसे कौशल, प्रशिक्षण और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा एवं स्वास्थ्य देखभाल सुविधाओं के माध्यम से विकसित किया जा सकता है।
आर्थिक संवृद्धि और विकास में योगदान:
मानव पूंजी में निवेश व्यक्ति और समाज हेतु वृहत् स्तर पर आर्थिक लाभ उत्पन्न करता है। इसके अतिरिक्त, गैर-आर्थिक लाभों के रूप में इसका प्लवन प्रभाव (spillover effect) होता है, जो ऐसी गतिविधियों में किसी व्यक्ति की भागीदारी में वृद्धि करता है जो उत्पादन से संबंधित न हों। यह अर्थव्यवस्था की विकास स्थिति में सुधार करती है। ऐसा निम्नलिखित तरीकों से संभव है:
- व्यक्तिगत स्तर पर, मानव पूंजी में निवेश मानव संसाधनों की नियोजनीयता में वृद्धि करता है क्योंकि बेहतर शिक्षा तथा उचित प्रशिक्षण उच्च दक्षता और परिणाम के साथ कुशल श्रम बल का सृजन करती है।
- यदि व्यक्ति पहले से ही नियोजित है, तो मानव पूंजी निर्माण का बेहतर आय और करियर की संभावनाओं के साथ सकारात्मक संबंध होता है।
- एक शिक्षित और कुशल व्यक्ति आधुनिक और वैज्ञानिक विचारों के प्रति सुग्राही होता है। तकनीकी और व्यावसायिक ज्ञान, उत्पादन प्रक्रिया में उन्नत प्रौद्योगिकी के उपयोग को प्रोत्साहित करता है और इस प्रकार आर्थिक विकास को बढ़ावा देता है।
- संगठनात्मक स्तर पर, कुछ शिक्षित और अनुभवी कर्मचारियों की उच्च उत्पादकता अन्य कर्मियों के प्रदर्शन में भी वृद्धि कर सकती है और इस प्रकार फर्म की लाभप्रदता में वृद्धि होती है।
- सामाजिक स्तर पर, मानव पूंजी भवन, उपकरण, मशीनरी और अन्य संसाधनों जैसी भौतिक पूंजी के कुशल उपयोग में योगदान करती है। यह दीर्घावधि में उत्पादकता और पूंजीगत मूल्य में वृद्धि के लिए महत्वपूर्ण है।
- लोगों की वास्तविक आय में बढ़ोतरी से वस्तुओं और सेवाओं के उपभोग में वृद्धि होती है, परिणामतः यह आर्थिक संवृद्धि को प्रोत्साहित करती है।
- बेहतर शिक्षा और प्रशिक्षण प्राप्त व्यक्ति स्वयं के एवं अपने आश्रितों के स्वास्थ्य और व्यक्तिनिष्ठ कल्याण जैसे व्यक्तिगत लाभों में अतिरिक्त निवेश करेंगे। इससे अर्थव्यवस्था पर दबाव कम होने की संभावना होगी।
- मानव पूंजी में निवेश अधिक सुविज्ञ नागरिकों का सृजन करता है और न केवल आर्थिक बल्कि अन्य सामाजिक एवं राजनीतिक गतिविधियों में उनकी भागीदारी में भी वृद्धि करता है। यह व्यापक सामाजिक एकजुटता को प्रोत्साहित करता है तथा राष्ट्र में संस्थानों को भी सुदृढ़ करता है।
- मानव पूंजी निर्माण का आर्थिक संवृद्धि और विकास पर ‘फीडबैक प्रभाव’ होता है। उदाहरण के लिए, अधिक शिक्षित नागरिक फीडबैक साझा करेंगे, जिससे शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार होगा, अधिगम सरल एवं अधिक कुशल बनेगा तथा इसके प्रभावस्वरूप पुनः अधिक नागरिक शिक्षित बनेंगे।
अतः मानव पूंजी और आर्थिक संवृद्धि एवं विकास परस्पर सकारात्मक रूप से संबंधित होते हैं। चीन और भारत की अर्थव्यवस्था की सफलता के लिए मानव पूंजी निर्माण को उत्तरदायी माना जा सकता है, यद्यपि विकसित देशों की तुलना में इन देशों में अभी भी मानव पूंजी निर्माण में अंतराल विद्यमान है।