मध्यप्रदेश का गठन एवं निर्माण

मध्यप्रदेश का गठन एवं निर्माण

  • मध्यप्रदेश देश के मध्य में स्थित है। इसलिए इसे हदय प्रदेश’ भी कहा जाता है।
  • प्रदेश को मध्यपदेश नाम पंडित जवाहरलाल नेहरू ने दिया।
  • म.प्र. को ब्रिटिश काल में सेन्ट्रल प्रोविंसेस’ और ‘बरार’ नाम से जाना जाता था।
  • स्वतंत्रता पश्चात् म.प्र. को श्री स्टेट -A, B तथा C’ में बाँटा गया।
  • सेन्ट्रल प्रोविन्स तथा बरार में छत्तीसगढ़ और बघेलखण्ड को मिलाकर पार्ट-A (स्टेट-A) बनाया गया।
  • पश्चिम की रियासतों को मिलाकर पार्ट-B (स्टेट-B) बनाया गया । इसका नाम मध्य भारत रखा गया।
  • उत्तर की रियासतों को मिलाकर पार्ट-c(स्टेट-C) बनाया गया ।
  • भोपाल पार्ट-c स्टेट था।

स्टेट                                                           उनकी राजधानियाँ

स्टेट-A                                                        नागपुर

स्टेट-B                                                       ग्वालियर तथा इंदौर

स्टेट-c                                                        रीवा

महाकौशल क्षेत्र                                          जबलपुर

राज्य पुनर्गठन आयोग-1953

  • फजल अली की अध्यक्षता में 1953 में गठित राज्य पुनर्गठन आयोग की अनुशंसा पर 1 नवम्बर, 1956 को नवीन म.प्र. का गठन हुआ।

राज्य पुनर्गठन आयोग 1953 (फैजल अली की अध्यक्षता में) की सिफारिशों के आधार पर राज्य की सीमाओं में निम्नलिखित परिवर्तन किये गये

  1. बुलढाना, अकोला, अमरावती, यवतमाल, वर्धा, नागपुर, भण्डारा, चाँदा को तत्कालीन मुम्बई राज्य (महाराष्ट्र) में मिला दिया गया। शेष PartA का भाग वर्तमान म.प्र. का भाग बना।
  2. मंदसौर जिले की भानपुरा तहसील के सुनील टप्पा को छोड़कर शेष भाग को म.प्र. में मिला लिया गया ।
  3. राजस्थान के कोटा जिले की सिरोंज तहसील को म.प्र. के विदिशा जिले में लाया गया।
  4. शेष Part B का हिस्सा वर्तमान म.प्र. का अंग है।
  5. Partc State (विंध्यप्रदेश) का पूरा-पूरा भाग वर्तमान म.प्र. में मिलाया गया।
  6. भोपाल राज्य भी वर्तमान म.प्र. का अंग बना।

अन्य महत्वपूर्ण तथ्य

  • नवीन म.प्र. की राजधानी भोपाल को बनाया गया, जो पूर्व में सीहोर जिले की एक तहसील थी।
  • नवनिर्मित म.प्र. में 43 जिले थे।
  • 26 नवम्बर, 1972 को भोपाल और राजनांदगाव दो नये जिन जिलों की संख्या 45 हो गई।
  • बी.पी. दुबे की अध्यक्षता में गठित जिला पुनर्गठन आयोग (10 अनुशंसा पर 25 मई, 1998 को 10 नये जिले बने, उनमें से वर्तमान मध्यप्रदेश के हिस्से में है।
  • जो चार जिले मध्यप्रदेश में रहे उनमें- बड़वानी (पश्चिम निमार (मुरैना), डिण्डोरी (मण्डला) तथा कटनी (जबलपुर) है।
  • तत्पश्चात् 30 जून, 1998 को सिंहदेव समिति की अनुशंसा पर 60 जिले जुलाई,1998 को बनाए गए ।
  • जुलाई, 1998 में बनाये गये जिलों में से 3 जिले वर्तमान मध्यपणा शामिल है । इनमें हरदा (होशंगाबाद), उमरिया (शहडोल) तथा जी (मंदसौर) है।
  • इन्हें मिलाकर जिलों की कुल संख्या 61 हो गई।
  • 31 अक्टूबर, 2000 को म.प्र. से छत्तीसगढ़ के अलग होने से 16 जिले नवीन राज्य में चले गये और म.प्र. में पुनः जिलों की संख्या 45 हो गई। वर्ष 2003 में तीन जिले-बुरहानपुर (खण्डवा से), अनूपपुर (शहडोल से) तथा अशोकनगर (गुना से) का गठन किया, जिससे प्रदेश में जिलों की संख्या 48 हो गई।
  • वर्ष 2008 में प्रदेश सरकार द्वारा अलीराजपुर तथा सिंगरौली को जिला बनाया गया और प्रदेश में जिलों की संख्या 50 हो गई।
  • मध्यप्रदेश सरकार ने वर्ष 2013 में शाजापुर जिले से पृथक कर आगरमालवा नाम से एक नया जिला गठित किया । इसे मिलाकर प्रदेश में जिलों की संख्या 51 हो गई। 1 अक्टूबर,2018 को टीकमगढ़ से पृथक कर निवाड़ी को नया जिला बनाया, जिससे प्रदेश में जिलों की संख्या 52 हो गई।
  • नवीन जिला नागदा (उज्जैन) प्रस्तावित है।

संभाग और जिले वर्तमान मध्यप्रदेश प्रशासनिक तौर पर 10 संभागों और 52 जिलों में बढा हुआ है ।

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