हिन्द महासागर में एक वास्तविक सुरक्षा प्रदाता बनने हेतु भारत के दृष्टिकोण
प्रश्न: उदाहरण देते हुए, सविस्तार वर्णन कीजिए कि किस प्रकार हिन्द महासागर क्षेत्र में वास्तविक सुरक्षा प्रदाता (नेट सिक्यूरिटी प्रोवाइडर) बनने का भारत का दृष्टिकोण आकार ले रहा है। इस दृष्टिकोण से संबद्ध चुनौतियाँ एवं अवसर क्या हैं?
दृष्टिकोण
- हिन्द महासागर में एक वास्तविक सुरक्षा प्रदाता बनने हेतु भारत के दृष्टिकोण के पहलुओं पर चर्चा कीजिए।
- इस संदर्भ में चुनौतियों एवं अवसरों पर चर्चा कीजिए।
उत्तर
भारत सुरक्षा और आर्थिक समझौतों के माध्यम से हिन्द महासागर क्षेत्र में एक मुख्य शक्ति तथा वास्तविक सुरक्षा प्रदाता बनने हेतु तीव्र गति से अग्रसर है। यह इसलिए अत्यधिक महत्वपूर्ण हो जाता है क्योंकि परिमाण के आधार पर भारत का लगभग 95% व्यापार इसी क्षेत्र के माध्यम से होता है जिसमें अत्यावश्यक ऊर्जा आपूर्तियाँ भी सम्मिलित हैं। इसके अतिरिक्त विश्व के समुद्री व्यापार का लगभग 80% व्यापार हिन्द महासागर चोक पॉइंट के माध्यम से ही होता है। अंततः कहा जा सकता है कि हिन्द महासागर में भारत की अवस्थिति सामरिक रूप से महत्वपूर्ण है।
हिन्द महासागरीय क्षेत्र में भारत के दृष्टिकोण निम्नलिखित रूप में प्रस्तुत किया जा सकता है:
- समुद्री हितों की सुरक्षा तथा समर्थन हेतु: भारत 26/11 के हमले के पश्चात् समुद्री मार्ग से होने वाले संभावित आतंकवादी हमलों के संबंध में अत्यधिक सतर्क है। भारत की आर्थिक सुरक्षा भी आंतरिक रूप से समुद्री सुरक्षा से जुड़ी हुई है।
- क्षेत्रीय भागीदारों के साथ गहरा होता सुरक्षा सहयोग:
- भारत मॉरीशस, सेशेल्स, श्रीलंका और मालदीव में निगरानी रडारों की स्थापना की मांग कर रहा है।
- भारत ने क्षेत्रीय भागीदारों के साथ कनेक्टिविटी हेतु अवसंरचना विकास के लिए समझौतों पर हस्ताक्षर किए हैं।
- भारत ने हिन्द महासागर नौसैनिक संगोष्ठी (Indian Ocean Naval Symposium: IONS) की शुरुआत की है।
- इसके अंतर्गत समुद्री सुरक्षा को बढ़ावा देने हेतु सभी तटवर्ती देशों के नौसेना प्रमुखों के अनुभवों के आदान-प्रदान हेतु संगोष्ठी आयोजित की जाती है।
- बहुपक्षीय सहयोगी समुद्री सुरक्षा: भारत का उद्देश्य आतंकवाद एवं समुद्री डकैती का सामना करने तथा प्राकृतिक आपदाओं से निपटने हेतु क्षेत्रीय तंत्रों को शक्तिशाली बनाना है।
- हिन्द महासागर में अन्य प्रमुख शक्तियों के साथ सहयोग: भारत का उद्देश्य समुद्री सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए अन्य प्रमुख शक्तियों की भागीदारी में वृद्धि करना है। उदाहरणार्थ- क्वाड ग्रुपिंग में सहयोग (जिसमें समान विचारधारा वाले चार लोकतान्त्रिक देश संयुक्त राज्य अमेरिका, जापान, ऑस्ट्रेलिया तथा भारत शामिल हैं)।
- नौसैन्य अभ्यास: भारत प्रत्येक वर्ष 15 से अधिक देशों के साथ नौसैन्य अभ्यास सम्पन्न करता है। इनमे संयुक्त राज्य अमेरिका और जापान के साथ मालाबार अभ्यास सर्वाधिक महत्वपूर्ण है।
एक वास्तविक सुरक्षा प्रदाता बनने के भारत के दृष्टिकोण के समक्ष अनेक चुनौतियाँ एवं अवसर विद्यमान हैं।
चुनौतियाँ:
- भारत के समक्ष सामरिक चुनौती का प्रमुख कारण तीव्र गति से उभरता तथा प्रभाव बढ़ा रहा चीन है। उदाहरणार्थ मालदीव और श्रीलंका में चीनी पहुँच तथा महत्वाकांक्षी समुद्री सिल्क रूट भारत के समक्ष महत्वपूर्ण सामरिक चुनौतियाँ है।
- अमेरिका के नए प्रशासन की एशिया प्रशांत क्षेत्र में नेतृत्व प्रदर्शित करने की अनिच्छा चिंता का एक अन्य कारण है।
- समुद्री डकैती, समुद्री आतंकवाद, तस्करी, पार-राष्ट्रीय अपराध तथा ड्रग तस्करी प्रमुख चुनौतियाँ बनी हुई हैं।
- एशियाई समुद्री क्षेत्र में रक्षात्मक तथा आक्रामक नीतियों को अपनाने के मध्य उचित संतुलन की खोज धीरे-धीरे इसके लिए मूलभूत सामरिक दुविधा के रूप में उभर रही है। उदाहरणार्थ – मालदीव में हालिया राजनीतिक संकट।
- इस क्षेत्र में पुराने सम्बन्ध भी कमज़ोर हो रहे हैं। उदाहरणार्थ, हाल ही में मालदीव ने भारत द्वारा उपहारस्वरूप दिए गए नौसैनिक हेलीकाप्टर को वापस लौटाने की इच्छा प्रकट की है।
अवसर:
- हिन्द महासागर के तटवर्ती देश भारत को एक विश्वसनीय वास्तविक सुरक्षा प्रदाता के रूप में स्वीकार कर रहे हैं। उदाहरणार्थ सेशेल्स, मॉरीशस तथा दक्षिण-पूर्वी एशियाई देशों के साथ समुद्री सुरक्षा सहयोग।
- यद्यपि भारत चीन की वित्तीय उदारता की बराबरी करने में असमर्थ है, फिर भी इस क्षेत्र में भारतीय नौसेना की ‘विदेशी सहयोग’ पहलों ने एक अनुकूल समुद्री परिवेश के सृजन को सुनिश्चित किया है।
- अभ्यासों, जॉइंट पैट्रोलिंग, पोर्ट कॉल्स (port-calls) तथा फ्लैग-शोइंग (flag-showing) तैनाती जैसी गतिविधियों के अतिरिक्त नौसेना के दायरे में पड़ोसियों द्वारा अनुरोध किये जाने पर समुद्री सुरक्षा प्रदान करना भी शामिल है।
- INS विक्रमादित्य के पश्चात् वर्तमान योजनाएं स्वदेशी रूप से निर्मित एक द्वितीय विमान वाहक पोत की परिकल्पना भी कर रही हैं, जो हिन्द महासागर क्षेत्र में शक्ति संतुलन को भारत के पक्ष में करने में समर्थ होगा।
Read More
- हिन्द महासागर क्षेत्र में वास्तविक सुरक्षा : भारत की आकांक्षा
- सीमाओं की आतंकवाद और आतंकवाद के प्रतिरोध के प्रयासों में समस्या उत्पन्न करने की भेद्यता के साथ इन भौगोलिक विशेषताओं का संबंध
- भारत-प्रशांत रणनीति के संबंध में संक्षिप्त विवरण : भारत-प्रशांत क्षेत्र में भारत की चुनौतियां
- भारत की समुद्री सुरक्षा : हिंद महासागर के द्वीपीय राष्ट्र
- जलवायु परिवर्तन : राष्ट्रीय सुरक्षा के सम्मुख प्रमुख खतरे