1. निम्नलिखित में से कौन-सा ‘राज्य’ शब्द को सर्वोत्तम रूप से परिभाषित करता है?
(a) व्यक्तियों का एक समुदाय, जो बिना किसी बाह्य नियंत्रण के एक निश्चित भू-भाग में स्थायी रूप से निवास करता है और जिसकी एक संगठित सरकार है।
(b) एक निश्चित भू-भाग के राजनैतिक रूप से संगठित लोग, जो स्वयं पर शासन करने, कानून एवं व्यवस्था को बनाए रखने, अपने नैसर्गिक अधिकारों की रक्षा करने तथा अपनी जीविका के साधनों को सुरक्षित रखने का अधिकार रखते हैं।
(c) बहुत से व्यक्ति, जो एक निश्चित भू-भाग में बहुत लंबे समय से अपनी संस्कृति, परंपरा और शासन-व्यवस्था के साथ रहते आए हैं।
(d) एक निश्चित भू-भाग में स्थायी रूप से रह रहा समाज, जिसकी एक केंद्रीय प्राधिकारी तथा केंद्रीय प्राधिकारी के प्रति उत्तरदायी कार्यपालिका और एक स्वतंत्र न्यायपालिका है।
[I.A.S. (Pre) 2021]
उत्तर- (a) व्यक्तियों का एक समुदाय, जो बिना किसी बाह्य नियंत्रण के एक निश्चित भू-भाग में स्थायी रूप से निवास करता है और जिसकी एक संगठित सरकार है।
- ‘राज्य’ (State) शब्द एक राजनीतिक संस्था या संगठन को संदर्भित करता है, जिसका तात्पर्य एक निश्चित भू-भाग में स्थायी रूप से निवासित संप्रभु (Sovereign) व्यक्तियों के समुदाय से है, जिसकी एक संगठित सरकार हो तथा वह अपने आंतरिक एवं वैदेशिक मामलों के संदर्भ में बाह्य नियंत्रण से मुक्त हो।
- वस्तुतः ‘राज्य’ के मूलभूत प्रमुख तत्व हैं: 1. व्यक्ति/जनसंख्या (अर्थात जनता), 2. सरकार या सत्ता, 3. निर्धारित सीमांकन वाला भू-भाग एवं 4. संप्रभुता (अर्थात वह अपने घरेलू एवं बाह्य निर्णयन के संदर्भ में स्वतंत्र हो)।
- किसी भी ‘राज्य’ का अनिवार्य तत्व ‘संप्रभुता’ होती है और इसके बिना कोई भी राज्य, राज्य की श्रेणी में नहीं आता है।
- इस आधार पर विकल्प (a) में दिया गया कथन ‘राज्य’ शब्द को सर्वोत्तम रूप से परिभाषित करता है।
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2. निम्नलिखित में कौन-सा राज्य का सबसे महत्वपूर्ण तत्व है?
(a) ध्वज
(b) राजधानी
(c) संप्रभुता
(d) शासनाध्यक्ष
[U.P.P.C.S. (Pre) 2008]
उत्तर-(c) संप्रभुता
- राज्य के चार आवश्यक तत्व होते हैं-जनसंख्या, भू-भाग, सरकार (शासन या सत्ता) और संप्रभुता।
- राज्य के इन चारों तत्वों में संप्रभुता सबसे महत्वपूर्ण तत्व है।
- संप्रभुता के बिना कोई राज्य (अन्य तीनों तत्वों के होते हुए भी) अंतरराष्ट्रीय दृष्टि से राज्य नहीं कहा जा सकता।
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3. भारत की संप्रभुता के संबंध में निम्नलिखित में से कौन-सा/से कथन सही है/हैं?
1. भारत राष्ट्रमंडल का सदस्य है।
2. राष्ट्रमंडल की सदस्यता के कारण भारत की संप्रभुता कम हो जाती है।
नीचे दिए हुए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिए-
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 तथा 2 दोनों
(d) 1 और 2 में से कोई नहीं
[U.P.P.C.S. (Mains) 2017]
उत्तर- (a) केवल 1
- भारत राष्ट्रमंडल का सदस्य है, लेकिन इसके कारण भारत की संप्रभुता कम नहीं होती है।
- राष्ट्रमंडल वास्तव में कोई वैधानिक संगठन नहीं है, बल्कि इसके सदस्यों के पारस्परिक सहयोग व सद्भावना पर आधारित संगठन है।
- राष्ट्रमंडल के सभी सदस्य राष्ट्र स्वतंत्र और समान हैं तथा ब्रिटिश सम्राट के प्रति निष्ठा जैसी कोई शर्त या आवश्यकता नहीं है।
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4. भारतीय संविधान में किस प्रकार की शासन प्रणाली की व्यवस्था की गई है?
(a) लोकतंत्रात्मक
(b) अध्यक्षात्मक
(c) संसदात्मक
(d) अर्द्ध-लोकतंत्रात्मक
[U.P.P.C.S. (Pre) 1990]
उत्तर-(c) संसदात्मक
- शासन प्रणाली की सामान्यतः दो पद्धतियां होती हैं संसदात्मक और अध्यक्षात्मका भारत में ग्रेट ब्रिटेन का अनुसरण करते हुए संसदात्मक शासन व्यवस्था को अपनाया गया है।
- संसदात्मक शासन व्यवस्था में व्यवस्थापिका के सदस्य ही कार्यपालिका का गठन करते हैं तथा कार्यपालिका, व्यवस्थापिका के प्रति उत्तरदायी होती है।
- संसदात्मक शासन व्यवस्था में कार्यपालिका, विधायिका द्वारा नियंत्रित होती है।
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5. संसदीय व्यवस्था वाली सरकार वह होती है, जिसमें-
(a) संसद के सभी राजनीतिक दलों का सरकार में प्रतिनिधित्व होता है।
(b) सरकार संसद के प्रति उत्तरदायी होती है और उसके द्वारा हटाई जा सकती है।
(c) सरकार लोगों के द्वारा निर्वाचित होती है और उनके द्वारा हटाई जा सकती है।
(d) सरकार संसद के द्वारा चुनी जाती है, किंतु निर्धारित समयावधि के पूर्ण होने के पूर्व हटाई नहीं जा सकती।
[I.A.S. (Pre) 2020]
उत्तर-(b) सरकार संसद के प्रति उत्तरदायी होती है और उसके द्वारा हटाई जा सकती है।
- संसदीय व्यवस्था वाली सरकार वह होती है, जिसमें सरकार संसद के प्रति उत्तरदायी होती है और उसके द्वारा हटाई जा सकती है।
- भारतीय संविधान ने संसदीय शासन व्यवस्था की स्थापना की है।
- यह इंग्लैंड की संसदीय प्रणाली का अंगीकरण है। इस व्यवस्था में कार्यपालिका, विधायिका का ही भाग होती है और यह विधायिका के प्रति उत्तरदायी होती है।
- इसमें वास्तविक कार्यपालिकीय शक्तियां प्रधानमंत्री और उसकी मंत्रिपरिषद में निहित होती हैं।
- भारतीय संविधान के अनुच्छेद 75(3) के अनुसार, मंत्रिपरिषद लोक सभा के प्रति सामूहिक रूप से उत्तरदायी होती है।
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6. सर्वप्रथम संसदात्मक सरकार किस देश में आरंभ की गई?
(a) ग्रेट ब्रिटेन (यू.के.) में
(b) बेल्जियम में
(c) फ्रांस में
(d) स्विट्जरलैंड में
[U.P.P.C.S. (Pre) 2018, M.P.P.C.S. (Pre) 2006]
उत्तर- (a) ग्रेट ब्रिटेन (यू.के.) में
- वर्तमान में संसदात्मक शासन का स्वरूप, जो कि अधिकांश देशों में प्रचलित है, सर्वप्रथम ग्रेट ब्रिटेन (यू.के.) में परिलक्षित हुआ था।
- पुष्पेश पंत ने भी अपनी पुस्तक ‘विश्व का इतिहास’ में स्पष्ट लिखा है कि – ब्रिटेन में संसदीय प्रणाली का आविर्भाव संसार के किसी भी देश से पहले हो गया था।
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7. भारतीय संसदीय प्रणाली ब्रिटिश संसदीय प्रणाली से इस बात में मिन्न है कि भारत में-
(a) वास्तविक और नाममात्र (Nominal) दोनों प्रकार की कार्यपालिका (Executive) है।
(b) सामूहिक उत्तरदायित्व (Collective Responsibility) की प्रणाली है।
(c) द्विसदनीय विधायिका (Legislature) है।
(d) न्यायिक पुनर्विलोकन (Judicial Review) की प्रणाली है।
[I.A.S. (Pre) 1998]
उत्तर-(d) न्यायिक पुनर्विलोकन (Judicial Review) की प्रणाली है।
- भारतीय संसदीय प्रणाली में न्यायिक पुनर्विलोकन की प्रणाली है, जबकि ब्रिटेन में यह प्रणाली नहीं लागू है।
- इस अर्थ में भारतीय संसदीय प्रणाली ब्रिटेन से भिन्न है।
- इसके अतिरिक्त वास्तविक एवं नाममात्र दोनों प्रकार की कार्यपालिका, सामूहिक उत्तरदायित्व तथा द्विसदनीय विधायिका भारत एवं ब्रिटेन दोनों की संसदीय प्रणालियों में लागू है।
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8. हमने ब्रिटिश मॉडल पर आधारित संसदीय लोकतंत्र को अपनाया है, किंतु हमारा मॉडल उस मॉडल से किस प्रकार भिन्न है?
1. जहां तक विधि-निर्माण का संबंध है, ब्रिटिश संसद सर्वोपरि अथवा संप्रभु है, किंतु भारत में संसद की विधि-निर्माण की शक्ति परिसीमित है।
2. भारत में, संसद के किसी अधिनियम के संशोधन की संवैधानिकता से संबंधित मामले उच्चतम न्यायालय द्वारा संविधान पीठ को भेजे जाते हैं।
नीचे दिए गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिए।
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1 और न ही 2
[I.A.S. (Pre) 2021]
उत्तर- (c) 1 और 2 दोनों
- ब्रिटिश मॉडल पर आधारित लोकतांत्रिक व्यवस्था में ‘संसदीय संप्रभुता’ (Parliamentary Sovereignty) के सिद्धांत को अपनाया गया है तथा वहां संसद ही सर्वोच्च विधि प्राधिकारी है, जो कि किसी विधि का सृजन या किसी विधि का समापन कर सकती है।
- दूसरी ओर, भारतीय मॉडल में ‘संवैधानिक सरकार’ (Constitutional Government) की व्यवस्था है, जिसके तहत संसद की विधि-निर्माण की शक्ति लिखित संविधान द्वारा परिसीमित है।
- केशवानंद भारती वाद (1973) में दिए गए ऐतिहासिक निर्णय में उच्चतम न्यायालय ने यद्यपि संसद की संविधान में संशोधन की शक्ति को स्वीकार किया, तथापि यह भी निर्धारित किया कि संविधान की मूल संरचना या सांचे-ढांचे में परिवर्तन करने वाला कोई संशोधन संसद द्वारा नहीं किया जा सकता है।
- इस प्रकार, कथन । सही है।
कथन 2 भी सही है, क्योंकि भारत में, संसद के किसी अधिनियम के संशोधन की संवैधानिकता से संबंधित मामले उच्चतम न्यायालय द्वारा संविधान के अनुच्छेद 145 (3) के तहत गठित की जाने वाली संविधान पीठ को भेजे जाते हैं।
- अनुच्छेद 145 (3) में प्रावधानित है कि जिस मामले में संविधान के निर्वचन के बारे में विधि का कोई सारवान् प्रश्न अंतवर्लित है, उसका विनिश्चय करने के प्रयोजन के लिए बैठने वाले न्यायाधीशों की संख्या न्यूनतम 5 होगी।
- इसे ही संविधान पीठ के रूप में अभिहित किया जाता है।
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9. निम्नलिखित में से कौन-सी भारतीय संविधान की विशेषता नहीं है?
(a) संसदात्मक सरकार
(b) अध्यक्षात्मक सरकार
(c) स्वतंत्र न्यायपालिका
(d) संघात्मक सरकार
[U.P.P.C.S. (Mains) 2015]
उत्तर-(b) अध्यक्षात्मक सरकार
- अध्यक्षात्मक सरकार भारतीय संविधान की विशेषता नहीं है, जबकि संसदात्मक सरकार (शासन प्रणाली), संघात्मक सरकार (शासन प्रणाली) तथा स्वतंत्र न्यायपालिका भारतीय संविधान की विशेषताएं हैं।
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10. भारतीय राजनीतिक पद्धति के बारे में निम्न में कौन सही नहीं है?
(a) धर्मनिरपेक्ष राज्य
(b) संसदीय पद्धति की सरकार
(c) संघीय नीति
(d) राष्ट्रपतीय पद्धति की सरकार
[U.P.P.C.S. (Spl.) (Mains) 2008]
उत्तर-(d) राष्ट्रपतीय पद्धति की सरकार
- भारत में राष्ट्रपतीय पद्धति की नहीं, बल्कि संसदीय पद्धति की सरकार है तथा यहां राष्ट्रपति, शासन का औपचारिक प्रमुख मात्र है।
- भारतीय संविधान संसदीय लोकतंत्र की व्यवस्था करता है तथा इसमें धर्मनिरपेक्ष राज्य और संघीय प्रणाली को अपनाया गया है।
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11. भारत में संसदीय प्रणाली की सरकार है, क्योंकि-
(a) लोक सभा जनता द्वारा प्रत्यक्ष रूप से निर्वाचित होती है।
(b) संसद, संविधान का संशोधन कर सकती है।
(c) राज्य सभा को भंग नहीं किया जा सकता।
(d) मंत्रिपरिषद, लोक सभा के प्रति उत्तरदायी है।
[I.A.S. (Pre) 2015]
उत्तर-(d) मंत्रिपरिषद, लोक सभा के प्रति उत्तरदायी है।
- भारत में संसदीय प्रणाली की सरकार है, क्योंकि मंत्रिपरिषद लोक सभा के प्रति उत्तरदायी है [(अनुच्छेद 75 (3)]।
- संसदीय शासन प्रणाली को मंत्रिमंडलीय व्यवस्था भी कहा जाता है।
- इस शासन व्यवस्था में संसद विधि निर्माण की सर्वोच्च संस्था होती है तथा कार्यपालिका अपने सभी कार्यों के लिए संसद के प्रति उत्तरदायी होती है।
- कार्यपालिका के सदस्य संसद के सदस्य होते हैं और कार्यपालिका तभी तक सत्तारूढ़ या कार्यरत रहती है, जब तक उसे संसद (लोक सभा) का विश्वास प्राप्त रहता है।
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12. संसदीय स्वरूप के शासन का प्रमुख लाभ यह है कि-
(a) कार्यपालिका और विधानमंडल दोनों स्वतंत्र रूप से कार्य करते हैं।
(b) यह नीति को निरंतरता प्रदान करता है और यह अधिक दक्ष है।
(c) कार्यपालिका, विधानमंडल के प्रति उत्तरदायी बनी रहती है।
(d) सरकार के अध्यक्ष को निर्वाचन के बिना नहीं बदला जा सकता।
[I.A.S. (Pre) 2017]
उत्तर-(c) कार्यपालिका, विधानमंडल के प्रति उत्तरदायी बनी रहती है।
- संसदीय शासन प्रणाली को मंत्रिमंडलीय व्यवस्था भी कहा जाता है।
- इस शासन व्यवस्था में संसद विधि निर्माण की सर्वोच्च संस्था होती है तथा कार्यपालिका अपने सभी कार्यों के लिए संसद के प्रति उत्तरदायी होती है।
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13. भारत के संदर्भ में, संसदीय शासन प्रणाली में निम्नलिखित में से कौन-सा/से सिद्धांत संस्थागत रूप में निहित है/हैं?
1. मंत्रिमंडल के सदस्य संसद के सदस्य होते हैं।
2. जब तक मंत्रियों को संसद का विश्वास प्राप्त रहता है, तब तक ही वे अपने पद पर बने रहते हैं।
3. राज्य का अध्यक्ष ही मंत्रिमंडल का अध्यक्ष होता है।
नीचे दिए गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिए।
(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 3
(c) केवल 2 और 3
(d) 1, 2 और 3
[I.A.S. (Pre) 2013]
उत्तर- (a) केवल 1 और 2
- अनुच्छेद 75(5) में उल्लेख है कि मंत्री बिना संसद सदस्य बने छः माह से अधिक अपने पद पर नहीं रहेगा, अर्थात मंत्रिमंडल के सदस्य संसद के सदस्य होते हैं।
- मंत्रिपरिषद सामूहिक रूप से लोक सभा के प्रति उत्तरदायी होगी [(अनुच्छेद 75(3)]। इसलिए कथन 2 भी सही है, क्योंकि लोक सभा संसद का भाग है।
- भारत में राज्य (राष्ट्र) का अध्यक्ष राष्ट्रपति होता है, जबकि मंत्रिमंडल की अध्यक्षता प्रधानमंत्री करता है।
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14. सरकार की संसदीय व्यवस्था के विषय में निम्नलिखित में से कौन-सा वक्तव्य सही है?
(a) विधायिका, न्यायपालिका के प्रति जवाबदेह है।
(b) विधायिका, कार्यपालिका के प्रति जवाबदेह है।
(c) विधायिका एवं कार्यपालिका दोनों स्वतंत्र हैं।
(d) राष्ट्रपति, न्यायपालिका के प्रति जवाबदेह है।
(e) उपर्युक्त में से कोई नहीं/ उपर्युक्त में से एक से अधिक
[65th B.P.C.S. (Pre) 2019]
उत्तर-(e) उपर्युक्त में से कोई नहीं/ उपर्युक्त में से एक से अधिक
- शासन प्रणाली की सामान्यतः दो पद्धतियां होती हैं संसदीय और अध्यक्षीय।
- भारत में ग्रेट ब्रिटेन का अनुसरण करते हुए संसदीय शासन व्यवस्था को अपनाया गया है।
- संसदीय शासन व्यवस्था में व्यवस्थापिका (विधायिका) के सदस्य ही कार्यपालिका का गठन करते हैं तथा कार्यपालिका, व्यवस्थापिका के प्रति उत्तरदायी होती है।
- संसदात्मक शासन व्यवस्था में कार्यपालिका, विधायिका द्वारा नियंत्रित होती है तथा न्यायपालिका, कार्यपालिका एवं विधायिका के कार्यों की न्यायिक समीक्षा कर सकती है।
- राष्ट्रपति, न्यायपालिका के प्रति जवाबदेह नहीं होता है। अतः विकल्प (e) सही उत्तर है।
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15. निम्नलिखित कथनों में से उस एक को चुनिए, जो मंत्रिमंडल स्वरूप की सरकार के अंतर्निहित सिद्धांत को अभिव्यक्त करता है
(a) ऐसी सरकार के विरुद्ध आलोचना को कम-से-कम करने की व्यवस्था, जिसके उत्तरदायित्व जटिल हैं तथा उन्हें सभी के संतोष के लिए निष्पादित करना कठिन है।
(b) ऐसी सरकार के काम-काज में तेजी लाने की क्रियाविधि, जिसके उत्तरदायित्व दिन-प्रतिदिन बढ़ते जा रहे हैं।
(c) सरकार के जनता के प्रति सामूहिक उत्तरदायित्व को सुनिश्चित करने के लिए संसदीय लोकतंत्र की एक क्रियाविधि।
(d) उस शासनाध्यक्ष के हाथों को मजबूत करने का एक साधन जिसका जनता पर नियंत्रण हासोन्मुख दशा में है।
[I.A.S. (Pre) 2017]
उत्तर-(c) सरकार के जनता के प्रति सामूहिक उत्तरदायित्व को सुनिश्चित करने के लिए संसदीय लोकतंत्र की एक क्रियाविधि।
- संसदीय शासन प्रणाली को मंत्रिमंडलीय शासन प्रणाली या उत्तरदायी शासन प्रणाली के नाम से भी संबोधित किया जाता है।
- इसमें सरकार (मंत्रिपरिषद), लोक सभा के प्रति उत्तरदायी होती है।
- लोक सभा सदस्यों का निर्वाचन जनता द्वारा प्रत्यक्ष रूप से किया जाता है।
- अतः सरकार के जनता के प्रति सामूहिक उत्तरदायित्व को सुनिश्चित करना ही मंत्रिमंडलीय स्वरूप की सरकार या संसदीय सरकार के अंतर्निहित सिद्धांत हैं।
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16. राष्ट्रपति पद्धति में समस्त कार्यपालिका की शक्तियां निहित होती हैं
(a) राष्ट्रपति में
(b) कैबिनेट में
(c) व्यवस्थापिका में
(d) उच्च सदन में
[U.P.P.C.S. (Pre) 2005]
उत्तर- (a) राष्ट्रपति में
- राष्ट्रपति शासन पद्धति में समस्त कार्यपालिका शक्तियां राष्ट्रपति में निहित होती हैं तथा इनका प्रयोग वह विधायिका से पृथक और स्वतंत्र रूप से स्वयं या अपने द्वारा चयनित मंत्रियों के माध्यम से करता है।
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17. भारत में राजनीतिक व्यवस्था के मूलभूत लक्षण हैं-
1. यह एक लोकतांत्रिक गणतंत्र है।
2. इसमें संसदात्मक रूप की सरकार है।
3. सर्वोच्च सत्ता भारत की जनता में निहित है।
4. यह एक एकीकृत शक्ति का प्रावधान करती है।
नीचे दिए गए कूट में से सही उत्तर का चयन कीजिए:
(a) 1 और 2
(b) 1, 2 और 3
(c) 2, 3 और 4
(d) सभी चारों
[U.P.P.C.S. (Pre) 2009 U.P. Lower Sub. (Pre) 2008]
उत्तर-(b) 1, 2 और 3
- लोकतांत्रिक गणतंत्र, संसदात्मक सरकार एवं सर्वोच्च सत्ता का जनता में निहित होना भारत की राजनीतिक व्यवस्था के मूलभूत लक्षण हैं तथापि यह एक एकीकृत शक्ति (Unified Authority) का प्रावधान नहीं करती है, बल्कि सत्ता को केंद्र एवं राज्यों में विभाजित किया गया है।
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18. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:
1. भारत एक लोकतांत्रिक राज्य व्यवस्था है।
2. भारत एक प्रभुसत्तासंपन्न राज्य है।
3. भारत में लोकतांत्रिक समाज है।
4. भारत एक कल्याणकारी राज्य है।
उपरोक्त कथनों में से कौन-से सही हैं?
(a) 1 और 2 केवल
(b) 1, 2 और 3 केवल
(c) 2, 3 और 4 केवल
(d) 1, 2, 3 और 4
[U.P. P.C.S. (Mains) 2012]
उत्तर-(d) 1, 2, 3 और 4
- भारतीय संविधान के तहत भारत में एक लोकतांत्रिक राज्य व्यवस्था है तथा यह एक प्रभुसत्तासंपन्न राज्य है।
- नीति निदेशक तत्वों के द्वारा संविधान निर्माताओं ने कल्याणकारी राज्य की संकल्पना को भी अभिव्यक्त किया है।
- साथ ही भारतीय समाज को भी लोकतांत्रिक माना जा सकता है।
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19. निम्नलिखित में से कौन-सी विशेषता भारतीय राजतंत्र की नहीं है?
(a) एक संविधान संगत सरकार
(b) लोकतांत्रिक सरकार
(c) विधि का शासन
(d) सत्तावादी सरकार
[U.P.P.C.S (Mains) 2011]
उत्तर-(d) सत्तावादी सरकार
- भारतीय शासन प्रणाली में शासन का संचालन संविधान के प्रावधानों के अनुरूप होता है।
- भारत में विधि का शासन है। यहां गणतंत्र हैन कि राजतंत्र।
- प्रत्येक 5 वर्ष के उपरांत जनता अपने प्रतिनिधियों का निर्वाचन कर संविधान संगत लोकतांत्रिक सरकार का गठन करती है।
- यहां सत्तावादी सरकार नहीं है।
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20. केंद्र सरकार और राज्य सरकारों को प्राधिकार प्राप्त होता है-
(a) भारतीय संविधान से
(b) भारत के राष्ट्रपति से
(c) भारत के प्रधानमंत्री से
(d) भारत की संसद से
[U.P.P.C.S. (Mains) 2017 M.P.P.C.S. (Pre) 2017]
उत्तर- (a) भारतीय संविधान से
- केंद्र सरकार और राज्य सरकारों के प्राधिकार का स्रोत भारत का संविधान है।
- संघीय शासन प्रणाली के अनुरूप केंद्र और राज्यों के मध्य विधायी, प्रशासनिक और आर्थिक शक्तियों का विभाजन भारतीय संविधान में किया गया है।
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21. सांविधानिक सरकार का आशय क्या है?
(a) किसी राष्ट्र की परिसंघीय संरचना वाली एक प्रतिनिधि सरकार
(b) कोई सरकार, जिसके प्रमुख के पास नाममात्र की शक्तियां हों
(c) कोई सरकार, जिसके प्रमुख के पास वास्तविक शक्तियां हों
(d) कोई सरकार, जो संविधान की सीमाओं से परिबद्ध हो
[I.A.S. (Pre) 2021]
उत्तर-(d) कोई सरकार, जो संविधान की सीमाओं से परिबद्ध हो
- सांविधानिक सरकार से आशय ऐसी सरकार से है, जो कि संविधान की सीमाओं से परिबद्ध हो।
- सांविधानिक सरकार की शक्तियां संविधान के तहत परिसीमित होती हैं तथा सरकार अपने प्राधिकार या शक्तियों के प्रयोग में संविधान की मौलिक संरचना का उल्लंघन नहीं कर सकती है।
- सांविधानिक सरकार की व्यवस्था में सरकार (यथा-भारत में केंद्र एवं राज्य सरकारों) के प्राधिकार का स्रोत संविधान होता है।
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22. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए और नीचे दिए गए कूट से सही उत्तर को चुनिए।
अभिकथन (A): भारत एक लोकतांत्रिक देश है।
कथन (R): भारत का अपना एक संविधान है।
कूट :
(a) (A) तथा (R) दोनों सही हैं तथा (R), (A) की सही व्याख्या है।
(b) (A) और (R) दोनों सही हैं, लेकिन (R), (A) की सही व्याख्या नहीं है।
(c) (A) सही है, परंतु (R) गलत है।
(d) (A) गलत है, परंतु (R) सही है।
[U.P.P.C.S. (Pre) 2017]
उत्तर-(b) (A) और (R) दोनों सही हैं, लेकिन (R), (A) की सही व्याख्या नहीं है।
- भारत एक लोकतांत्रिक देश है।
- इसका प्रमाण संविधान की उद्देशिका के प्रारंभिक शब्दों “हम, भारत के लोग, भारत को संपूर्ण प्रभुत्वसंपन्न, समाजवादी, पंथनिरपेक्ष, लोकतंत्रात्मक गणराज्य बनाने के लिए…..” से दर्शित होता है। लोकतंत्र शासन का वह रूप होता है, जिसमें सभी महत्वपूर्ण निर्णय जनता द्वारा चुने गए प्रतिनिधियों द्वारा संयुक्त रूप से किए जाते हैं।
- भारत में भी शासन के लोकतांत्रिक रूप को अपनाया गया है।
- भारत का अपना लिखित संविधान है, जो विश्व का सबसे बड़ा लिखित संविधान है।
- अतः अभिकथन (A) और कथन (R) दोनों सही है किंतु (R), (A) की सही व्याख्या नहीं है।
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23. निम्न में से कौन सुशासन की विशेषता नहीं है?
(a) जवाबदेही
(b) पारदर्शिता
(c) कानून का नियम
(d) लालफीताशाही
[Jharkhand P.C.S. (Pre) 2017]
उत्तर-(d) लालफीताशाही
- लालफीताशाही सुशासन की विशेषता नहीं है जबकि हिस्सेदारी, जवाबदेही, पारदर्शिता, कानून का नियम, सर्वसम्मति से निर्णय लेना, दक्षता एवं प्रभावशीलता आदि सुशासन की विशेषताएं हैं।
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24. ‘कल्याणकारी राज्य’ (Welfare State) का उद्देश्य है-
(a) अधिकतम संख्या का अधिकतम कल्याण सुनिश्चित करना
(b) कमजोर वर्गों के कल्याण का प्रबंध करना
(c) सभी नागरिकों को स्वास्थ्य सुविधाएं प्रदान करना
(d) उपरोक्त में से कोई नहीं
[I.A.S. (Pre) 2009]
उत्तर-(b) कमजोर वर्गों के कल्याण का प्रबंध करना
- ‘कल्याणकारी राज्य’ नागरिकों के, विशेष रूप से कमजोर वर्ग के नागरिकों के, सामाजिक-आर्थिक (Socio-economic) विकास के लिए सतत् प्रयत्नशील रहता है।
- नागरिकों का वह वर्ग, जो सामाजिक आर्थिक रूप से सुदृढ़ है, अपना कल्याण स्वयं कर सकता है।
- उसे किसी विशेष संरक्षण की आवश्यकता नहीं होती है।
- यही कारण है कि भारत में ‘मलाईदार परत’ (Creamy layer) को, अर्थात ‘पिछड़ों में अगड़ों को, लोक नियोजन में आरक्षण प्रदान नहीं किया गया है।
- हाल ही में शुरू हुई प्रधानमंत्री किसान समृद्धि योजना भी सभी किसानों के लिए नहीं, बल्कि सिर्फ छोटे किसानों के लिए है। संघ सरकार और राज्य सरकारों द्वारा चलाई जा रही अन्य विभिन्न विशेष योजनाओं के लक्षित नागरिक समूहों की पहचान से भी यह स्पष्ट हो जाता है कि कल्याणकारी राज्य की अवधारणा के केंद्र में वंचित वर्ग ही है।
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25. “राज्य हर जगह है यह अंतराल शायद ही कोई छोड़ता है” यह वक्तव्य किस धारणा की व्याख्या करता है?
(a) कल्याणकारी राज्य
(b) कम्युनिस्ट राज्य
(c) लोकतांत्रिक राज्य
(d) पुलिस राज्य
[Jharkhand P.C.S. (Pre) 2017]
उत्तर- (a) कल्याणकारी राज्य
- “राज्य हर जगह है यह अंतराल शायद ही कोई छोड़ता है” यह वक्तव्य कल्याणकारी राज्य की अवधारणा की व्याख्या करता है।
- कल्याणकारी राज्य की सरकार समग्र विकास और प्रगति की व्यापक और अधिक धनात्मक आवश्यकताओं से संदर्भित होकर कार्य करती है तथा मात्र शांति बनाए रखना, विवादों का समाधान और आवश्यक सेवाओं को उपलब्ध कराने तक ही उसका कार्य सीमित नहीं होता है।
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26. निम्नलिखित में से कौन-सा एक भारतीय संविधान का दर्शन नहीं है?
(a) कल्याणकारी राज्य
(b) समाजवादी राज्य
(c) राजनैतिक समानता
(d) साम्यवादी राज्य
[U.P. Lower Sub. (Mains) 2015]
उत्तर-(d) साम्यवादी राज्य
- भारतीय संविधान में कल्याणकारी राज्य, समाजवादी राज्य, राजनैतिक समानता/न्याय, पंथनिरपेक्षता, लोकतंत्रात्मक गणराज्य आदि दर्शनों को आत्मसात किया गया है, किंतु साम्यवादी राज्य के दर्शन का उल्लेख संविधान में नहीं किया गया है।
- समाजवादी राज्य एवं राजनैतिक समानता/न्याय का उल्लेख हमें उद्देशिका में मिलता है।
- कल्याणकारी राज्य का दर्शन संविधान के भाग 4 में राज्य के नीति निदेशक तत्वों के अंतर्गत सन्निहित है।
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27. निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा सही है?
(a) भारतीय संविधान अध्यक्षात्मक है।
(b) भारत एक नाममात्र का राजतंत्र है।
(c) भारत एक कुलीन तंत्र है।
(d) भारत एक संसदात्मक प्रजातंत्र है।
[U.P.P.C.S. (Pre) 2005]
उत्तर-(d) भारत एक संसदात्मक प्रजातंत्र है।
- भारत में संसदात्मक प्रजातंत्र को अपनाया गया है।
- संसदात्मक प्रजातंत्र में शक्ति मूलतः जनता में निहित होती है।
- संसद में जनता के द्वारा चुने हुए प्रतिनिधि शासन सत्ता का संचालन करते हैं।
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28. भारत में राजनैतिक सत्ता का प्रमुख स्रोत कौन है?
(a) जनता
(b) संविधान
(c) संसद
(d) राष्ट्रपति
[Uttarakhand U.D.A./L.D.A. (Pre) 2007]
उत्तर- (a) जनता
- भारत में राजनैतिक सत्ता का प्रमुख स्रोत देश की ‘जनता’ है, क्योंकि भारत का संविधान आरंभ होता है” हम भारत के लोग…..।
- साथ ही भारत एक लोकतंत्रात्मक राज्य है अर्थात भारत में राजसत्ता जनता में निहित है।
- जनता को अपने प्रतिनिधि निर्वाचित करने का अधिकार है, जो जनता के स्वामी न होकर सेवक हैं।
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29. निम्नांकित में से कौन एक अध्यक्षात्मक शासन प्रणाली का आधारभूत तत्व है?
(a) संविधान की कठोरता
(b) एकल कार्यपालिका
(c) व्यवस्थापिका की सर्वोच्चता
(d) अवशिष्ट अधिकार राज्यों के पास होना
[U.P.P.C.S. (Mains) 2006]
उत्तर-(b) एकल कार्यपालिका
- अध्यक्षात्मक शासन प्रणाली का आधारभूत तत्व है- एकल कार्यपालिका। इसमें सत्ता केंद्रीकृत होती है।
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30. निम्नलिखित में से कौन-सा सही है?
अध्यक्षात्मक शासन प्रणाली की विशेषता है/हैं一
(a) कार्यकारिणी का प्रमुख राष्ट्रपति होता है।
(b) राष्ट्रपति अपने मंत्रिपरिषद का चयन स्वयं करता है।
(c) राष्ट्रपति व्यवस्थापिका को भंग नहीं कर सकता है।
(d) ऊपर वर्णित सभी तथ्य सही हैं।
[U.P.P.C.S. (Mains) 2014]
उत्तर-(d) ऊपर वर्णित सभी तथ्य सही हैं।
- अध्यक्षात्मक शासन प्रणाली की विशेषता है कि, कार्यकारणी का प्रमुख राष्ट्रपति होता है, राष्ट्रपति अपनी मंत्रिपरिषद का चयन स्वयं अपने विवेक से करता है तथा राष्ट्रपति व्यवस्थापिका (संसद) को भंग नहीं कर सकता।
- अतः उपर्युक्त तीनों विकल्पों के कथन सही हैं।
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31. अध्यक्षात्मक (Presidential) शासन का उदय सर्वप्रथम किस देश में हुआ?
(a) यूगोस्लाविया
(b) मिस्र
(c) स्विट्जरलैंड
(d) संयुक्त राज्य अमेरिका
[M.P. P.C.S. (Pre) 2006]
उत्तर-(d) संयुक्त राज्य अमेरिका
- अध्यक्षात्मक शासन व्यवस्था का उदय सर्वप्रथम संयुक्त राज्य अमेरिका में हुआ।
- इस शासन प्रणाली में प्रमुख कार्यकारी शक्ति राष्ट्रपति के पास होती है।
- वह लोगों द्वारा प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से निश्चित अवधि के लिए चुना जाता है।
- इस शासन प्रणाली में कार्यपालिका, विधायिका से पृथक होती है।
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32. भारत में प्रजातंत्र इस तथ्य पर आधारित है कि-
(a) संविधान लिखित है।
(b) यहां मौलिक अधिकार प्रदान किए गए हैं।
(c) जनता को सरकारों को चुनने तथा बदलने का अधिकार प्राप्त है।
(d) यहां राज्य के नीति निदेशक तत्व हैं।
[39th B.P.S.C. (Pre) 1994]
उत्तर-(c) जनता को सरकारों को चुनने तथा बदलने का अधिकार प्राप्त है।
- भारत में प्रजातंत्र इस तथ्य पर आधारित है कि, जनता को सरकारों को चुनने एवं बदलने का अधिकार है अर्थात जनता अपने मतदान के अधिकार के द्वारा ही प्रतिनिधियों का चुनाव करती है और ये प्रतिनिधि ही शासन सत्ता का संचालन करते हैं।
- जब ये प्रतिनिधि जनता के कल्याण एवं शासन सत्ता का संचालन सही उचित तरीके से नहीं करते तब जनता चुनावों (समय-समय पर चुनाव होते रहते हैं) के माध्यम से सत्तारूढ़ दल/सरकार को पराजित कर हटा देती है।
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33. लोकतंत्र का उत्कृष्ट गुण यह है कि वह क्रियाशील बनाता है-
(a) साधारण पुरुषों और महिलाओं की बुद्धि और चरित्र को।
(b) कार्यपालक नेतृत्व को सशक्त बनाने वाली पद्धतियों को।
(c) गतिशीलता और दूरदर्शिता से युक्त एक बेहतर व्यक्ति को।
(d) समर्पित दलीय कार्यकर्ताओं के एक समूह को।
[I.A.S. (Pre) 2017]
उत्तर- (a) साधारण पुरुषों और महिलाओं की बुद्धि और चरित्र को।
- लोकतंत्र का उत्कृष्ट गुण यह है कि वह साधारण पुरुषों और महिलाओं की बुद्धि और चरित्र को क्रियाशील बनाता है।
- लोकतंत्र में सामान्य नागरिकों की समुदाय में पर्याप्त भागीदारी की अपेक्षा होती है।
- एक अच्छे नागरिक की सक्रिय भागीदारी स्वस्थ समाज के निर्माण के लिए महत्वपूर्ण है।
- चूंकि लोकतंत्र को अच्छे नागरिक की जरूरत होती है, इसलिए वह अच्छे व्यक्ति का विकास करता है।
- लोकतांत्रिक नागरिकता एक बौद्धिक कार्य है, जिसमें आम लोगों को राजनीतिक मुद्दों और उम्मीदवारों के बारे में निरंतर निर्णय लेने की जरूरत होती है।
- इन निर्णयों के लिए नागरिक एक-दूसरे से बात करते हैं, एक-दूसरे से सीखते हैं और अपनी बुद्धि विकसित करते हैं।
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34. ‘भारत एक गणतंत्र है’ इसका अर्थ है-
(a) सभी मामलों में अंतिम अधिकार जनता के पास है।
(b) भारत में संसदीय शासन नहीं है।
(c) भारत में वंशानुगत शासन नहीं है।
(d) भारत राज्यों का संघ है।
[U.P.P.C.S. (Pre) 1997]
उत्तर-(c) भारत में वंशानुगत शासन नहीं है।
- गणतंत्र का आशय है कि राष्ट्र का प्रधान निर्वाचित (प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष) होता है।
- वह वंशानुगत नहीं हो सकता है।
- भारत में राष्ट्र का प्रधान अर्थात राष्ट्रपति निर्वाचित होता है। इस प्रकार भारत एक गणतंत्र है।
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35. निम्नलिखित में से किनसे विनिर्धारित होता है कि भारत का संविधान परिसंघीय है?
(a) संविधान लिखित और अनम्य है
(b) न्यायपालिका स्वतंत्र है
(c) अवशिष्ट शक्तियों का केंद्र में निहित होना
(d) केंद्र और राज्यों के बीच शक्तियों का वितरण
[I.A.S. (Pre) 1994]
उत्तर-(d) केंद्र और राज्यों के बीच शक्तियों का वितरण
- कोई राज्य संघात्मक है अथवा एकात्मक, यह संविधान द्वारा संघ और राज्यों के मध्य शक्तियों के विभाजन के आधार पर जाना जाता है।
- यदि संघ एवं राज्यों के मध्य शक्तियों का विभाजन है, तो उस राज्य को संघीय राज्य कहा जाता है।
- भारत का संविधान परिसंघीय है, क्योंकि केंद्र और राज्यों के बीच शक्तियों का वितरण किया गया है।
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36. भारतीय संविधान कैसा है?
(a) कठोर
(b) लचीला
(c) न ही कठोर न ही लचीला
(d) अंशतः कठोर और अंशतः लचीला
[U.P. P.C.S. (Mains) 2012]
उत्तर-(d) अंशतः कठोर और अंशतः लचीला
- भारतीय संविधान को कठोर और नम्य का मिश्रण माना जाता है।
- अतः यह अंशतः कठोर और अंशतः लचीला संविधान है।
- इसके कतिपय उपबंधों को संसद द्वारा साधारण बहुमत से ही संशोधित किया जा सकता है, जबकि कुछ उपबंधों के संशोधन के लिए अनुच्छेद 368 के अधीन दो-तिहाई बहुमत की आवश्यकता होती है।
- साथ ही कुछ विशिष्ट उपबंधों के संशोधन के लिए संसद के विशेष बहुमत के अतिरिक्त आधे से अन्यून राज्यों का अनुसमर्थन भी आवश्यक होता है।
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37. भारत की संसदीय शासन प्रणाली एवं ब्रिटेन की संसदीय शासन प्रणाली में अंतर का बिंदु निम्नलिखित में से कौन है?
(a) सामूहिक उत्तरदायित्व
(b) न्यायिक समीक्षा
(c) द्वि-सदनात्मक व्यवस्थापिका
(d) वास्तविक एवं नाममात्र की कार्यपालिका
[U.P.P.C.S. (Mains) 2010]
उत्तर-(b) न्यायिक समीक्षा
- ब्रिटिश संसद लिखित संविधान के अभाव में संप्रभु निकाय है, जबकि भारतीय संसद की शक्तियां एवं कार्यप्रणाली संविधान की सीमाओं के अधीन हैं, जिनकी न्यायिक समीक्षा की जा सकती है।
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38. निम्न कथनों पर विचार कीजिए और अंत में दिए गए कूट से सही उत्तर का चयन कीजिए-
कथन (A): भारत के संविधान में एक संघीय प्रणाली का प्रावधान है।
कारण (R): उसने एक बहुत शक्तिशाली केंद्र की रचना की है।
कूट :
(a) दोनों (A) और (R) सही हैं तथा (R), (A) का सही स्पष्टीकरण है।
(b) दोनों (A) और (R) सही हैं, परंतु (R), (A) का सही स्पष्टीकरण नहीं है।
(c) (A) सही है, पर (R) गलत है।
(d) (A) गलत है, पर (R) सही है।
[U.P.P.C.S. (Pre) 1995]
उत्तर-(b) दोनों (A) और (R) सही हैं, परंतु (R), (A) का सही स्पष्टीकरण नहीं है।
- भारतीय संविधान एक संघीय प्रणाली का प्रावधान करता है, क्योंकि केंद्र और राज्यों के मध्य शक्तियों का स्पष्टतः विभाजन है।
- यद्यपि यह पूर्ण संघ नहीं है, क्योंकि इसके कई प्रावधान एक शक्तिशाली केंद्र की रचना करते हैं।
- अतः (A) और (R) दोनों सही हैं किंतु कारण, कथन का स्पष्टीकरण नहीं है।
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39. भारतीय राज्य-व्यवस्था में, निम्नलिखित में से कौन-सी अनिवार्य विशेषता है, जो यह दर्शाती है कि उसका स्वरूप संघीय है?
(a) न्यायपालिका की स्वतंत्रता सुरक्षित है।
(b) संघ की विधायिका में संघटक इकाइयों के निर्वाचित प्रतिनिधि होते हैं।
(c) केंद्रीय मंत्रिमंडल में क्षेत्रीय पार्टियों के निर्वाचित प्रतिनिधि हो सकते हैं।
(d) मूल अधिकार न्यायालयों द्वारा प्रवर्तनीय हैं।
[I.A.S. (Pre) 2021]
उत्तर- (a) न्यायपालिका की स्वतंत्रता सुरक्षित है।
- भारतीय राज्य-व्यवस्था के संघीय लक्षणों में प्रमुख हैं: लिखित एवं कठोर संविधान, संविधान की सर्वोच्चता, केंद्र एवं राज्यों में शक्तियों का वितरण, न्यायपालिका की स्वतंत्रता, द्विसदनीय संसद आदि।
- इनमें से न्यायपालिका की स्वतंत्रता का सुरक्षित होना संघीय प्रणाली की अनिवार्य शर्त है, क्योंकि न्यायपालिका के पास ही संविधान की व्याख्या की शक्ति होती है ताकि संघीय संरचना में संविधान के मूलभूत प्रावधानों को केंद्र द्वारा एकपक्षीय रूप से परिवर्तित न किया जा सके।
- भारतीय संविधान के तहत केंद्र एवं राज्यों के बीच विवादों के संदर्भ में उच्चतम न्यायालय को आरंभिक अधिकारिता प्राप्त है।
- ज्ञातव्य है कि भारतीय संसद के उच्च सदन (राज्य सभा) में राज्यों (संघटक इकाइयों) के निर्वाचित प्रतिनिधि होना भी भारतीय राज्य- व्यवस्था के संघीय स्वरूप को दर्शाता है, तथापि न्यायपालिका की स्वतंत्रता के लिखित संविधान के तहत सुरक्षित होने को ही प्रश्नगत विकल्पों में भारतीय राज्य-व्यवस्था के संघीय स्वरूप को दर्शाने वाली अनिवार्य विशेषता मानना समुचित उत्तर है।
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40. निम्न में से कौन एक भारत के संविधान का संघीय लक्षण नहीं है?
(a) केंद्र तथा राज्यों के बीच शक्ति का बंटवारा
(b) पूर्ण रूप से लिखित संविधान
(c) एकहरी नागरिकता
(d) स्वतंत्र न्यायपालिका
[U.P.P.C.S. (Pre) (Re-Exam) 2015]
उत्तर-(c) एकहरी नागरिकता
- एकहरी नागरिकता भारत के संविधान का संघीय लक्षण नहीं है।
- भारतीय संविधान में एकात्मक और संघात्मक दोनों ही विशेषताएं मौजूद हैं।
- भारतीय संविधान के संघात्मक लक्षणों में लिखित संविधान, कठोर संविधान, केंद्र तथा राज्यों में शक्तियों का वितरण, न्यायपालिका की सर्वोच्चता एवं स्वतंत्रता, द्विसदनीय विधानमंडल आदि हैं, जबकि एकात्मक लक्षणों के अंतर्गत एकल नागरिकता, राज्यपालों की राष्ट्रपति द्वारा नियुक्ति, आपातकाल की घोषणा, समझौतों को लागू करने में संसद की शक्ति आदि का उल्लेख किया जा सकता है।
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41. भारतीय संघीय व्यवस्था में कौन-से एकात्मक तत्व पाए जाते हैं?
i. लिखित संविधान
ii. कठोर संविधान
iii. संविधान की सर्वोच्चता
iv. राज्यपाल की नियुक्ति
v. शक्तियों का विकेंद्रीकरण
vi. राज्य विधेयकों पर राष्ट्रपति की स्वीकृति
vii. संविधानिक संकट
viii. एक सर्वोच्च न्यायालय
(a) i, iii, vii
(b) ii, v, viii
(c) i, ii, v
(d) iv, vi, vii
(e) उपर्युक्त में से कोई नहीं
[Chhattisgarh P.C.S. (Pre) 2017]
उत्तर-(d) iv, vi, vii
- विकल्प (d) सही उत्तर है।
- दिए गए सभी ‘तत्वों’ में से, क्रम संख्या iv’, ‘vi’ एवं ‘vii’ पर उल्लिखित तत्व ही भारतीय परिसंघीय व्यवस्था के एकात्मक तत्व (Unitary elements/features) हैं।
- क्रम संख्या ‘1’, ‘i’ एवं ‘iii’ पर उल्लिखित सभी तत्व ‘परिसंघीय व्यवस्था’ (Federal System) के अनिवार्य तत्व हैं।
- क्रम संख्या ” पर उल्लिखित ‘तत्व’ को यदि हम ‘शक्तियों के विभाजन’ के पर्यायवाची के रूप में लें तो यह ‘तत्व’, परिसंघीय व्यवस्था का कारक तत्व अर्थात सर्वाधिक आधार भूत तत्व है।
- परिसंघीय व्यवस्था के अन्य सभी ‘तत्व’ इसी तत्व’ से निकले हैं।
- हमारी राज्य-व्यवस्था आधारिक रूप से, परिसंघीय है, परंतु वह संघ सरकार (Union Government) की तरफ झुकी हुई है।
- राज्यपालों की नियुक्ति एवं अन्य कतिपय उपबंध, राज्यों में संवैधानिक तंत्र की विफलता संबंधी उपबंध (अनुच्छेद 356 एवं 357), समवर्ती सूची और उसमें प्रगणित विषयों पर संघ की अध्यारोही विधायी शक्ति (अनुच्छेद 254) राज्यों का नाम और भूगोल (राज्यक्षेत्र) बदलने की संसद की शक्ति (अनुच्छेद 3 एवं 4), राज्यों की कमजोर वित्तीय शक्तियां, संविधान- संशोधन में राज्यों की अपेक्षाकृत निर्बल भूमिका (अनुच्छेद 368), अखिल भारतीय सेवा संबंधी संवैधानिक व अन्य विधिक उपबंध, राज्य सभा में राज्यों का असमान प्रतिनिधित्व और संबंधित राज्य का हित सुनिश्चित करने में राज्य सभा की कमजोर भूमिका जैसे संवैधानिक लक्षण हमारी राज्य-व्यवस्था के एकात्मक तत्व हैं, जिनके कारण हमारा संविधान पूर्ववर्ती परिसंधीय संविधानों से सुभिन्न हो जाता है।
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42. भारत में संघीय व्यवस्था से संबंधित निम्न कथनों में से कौन-सा सही है?
1. संविधान शासन की मूल संरचना के लिए एक संघीय व्यवस्था की प्रस्तावना करता है।
2. एकात्मक झुकाव का उसमें सशक्त मिश्रण है।
3. दोनों संघ तथा राज्य विधायिकाएं प्रभुतासंपन्न हैं।
4. विधायिकीय, वित्तीय तथा न्यायिक शक्तियां संघ तथा उसकी इकाइयों के मध्य विभाजित कर दी गई हैं।
नीचे दिए गए कूटों से सही उत्तर का चयन कीजिए:
कूट :
(a) केवल 1
(b) केवल 1 तथा 2
(c) केवल 1, 2 तथा 3
(d) सभी चारों
[U.P. P.C.S. (Mains) 2004]
उत्तर-(b) केवल 1 तथा 2
- भारतीय संविधान द्वारा शासन की मूल संरचना के लिए एक संघीय व्यवस्था की प्रस्तावना की गई है तथापि एकल नागरिकता और केंद्र की राज्यों की तुलना में अधिक शक्तियां इसे एकात्मक झुकाव प्रदान करते हैं।
- इस प्रकार कथन 1 एवं 2 सही हैं। कथन 3 एवं 4 गलत हैं, क्योंकि राज्य विधायिकाएं रक्षा एवं वैदेशिक मामलों सहित अनेक संदर्भों में केंद्र से अलग नहीं हैं और साथ ही यहां न्यायिक शक्तियों का सोपानबद्ध क्रम है, संघ एवं राज्यों के मध्य विभाजन नहीं।
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43. कथन (A): भारत का राष्ट्रपति परोक्षतः निर्वाचित होता है।
कारण (R): भारत में संसदीय प्रणाली को गणतंत्रवाद के साथ जोड़ा गया है।
(a) दोनों (A) और (R) सत्य हैं तथा (R), (A) का एक मान्य स्पष्टीकरण है।
(b) दोनों (A) तथा (R) सत्य हैं, परंतु (R), (A) का एक मान्य स्पष्टीकरण नहीं है।
(c) (A) सही है, परंतु (R) गलत है।
(d) (A) गलत है, परंतु (R) सही है।
[R.A.S./R.T.S. (Pre) 2013]
उत्तर- (a) दोनों (A) और (R) सत्य हैं तथा (R), (A) का एक मान्य स्पष्टीकरण है।
- भारत का राष्ट्रपति परोक्षतः (अप्रत्यक्ष रूप से) निर्वाचित होता है।
- भारत की संसदीय प्रणाली को गणतंत्रवाद के साथ जोड़ा गया है, जिसमें कोई आनुवंशिक शासक नहीं होता है तथा राज्य के सभी प्राधिकारी प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से जनता द्वारा निर्वाचित होते हैं।
- इस प्रकार कथन (A) तथा कारण (R) दोनों सही हैं और कारण, (R) इसकी सही व्याख्या भी प्रस्तुत करता है।
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44. नीचे दो वक्तव्य दिए गए हैं:
कथन (A): राजनीतिक दल लोकतंत्र के जीवन-रक्त हैं।
कारण (R): लोग खराब शासन के लिए सामान्यतः राजनीतिक दलों को कोसते हैं।
उपर्युक्त के संदर्भ में निम्न में से कौन एक सही है?
(a) (A) और (R) दोनों सही हैं तथा (R) सही स्पष्टीकरण है (A) का।
(b) (A) और (R) दोनों सही हैं, किंतु (R) सही स्पष्टीकरण नहीं है (A) का।
(c) (A) सही है, किंतु (R) गलत है।
(d) (A) गलत है, किंतु (R) सही है।
[U.P.P.C.S. (Pre) 2009]
उत्तर- (a) (A) और (R) दोनों सही हैं तथा (R) सही स्पष्टीकरण है (A) का।
- राजनीतिक दलों को लोकतंत्र का जीवन रक्त कहा जाता है, क्योंकि राजनीतिक दल लोकतांत्रिक प्रणाली के अंतर्गत चुनाव में भागीदारी, सरकार का निर्माण व नागरिकों में राजनीतिक सहभागिता का प्रशिक्षण एवं अवसर प्रदान करते हैं।
- यह भी सत्य है कि लोग खराब शासन के लिए सामान्यतः राजनैतिक दलों को कोसते हैं।
- अतः प्रश्न में दिए गए कथन एवं कारण दोनों सही है तथा कारण, कथन का सही स्पष्टीकरण कर रहा है।
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45. भारत में ‘दल विहीन प्रजातंत्र’ किसने प्रस्तावित किया?
(a) एस.ए. डांगे
(b) राम मनोहर लोहिया
(c) महात्मा गांधी
(d) जय प्रकाश नारायण
[M.P.P.C.S. (Pre) 2019]
उत्तर-(c & d) महात्मा गांधी & जय प्रकाश नारायण
- महात्मा गांधी और जयप्रकाश नारायण ने भारत में ‘दल विहीन प्रजातंत्र का समर्थन किया।
- ये दलीय व्यवस्था के दोषों के कारण दल विहीन लोकतंत्र एवं सहभागी लोकतंत्र के समर्थक थे।
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46. कथन (A): भारत की संघात्मक संरचना का मुख्य उद्देश्य इसकी बहुआयामी विविधताओं में से एक राष्ट्र का निर्माण करना और राष्ट्रीय एकता को संरक्षित करना था।
कारण (R): विविधताओं के समंजन से एक सशक्त, न कि कमजोर, भारतीय राष्ट्रीयता का निर्माण हुआ है।
(a) (A) गलत है, पर (R) सत्य है।
(b) (A) और (R) दोनों अपने आप में सत्य हैं और (R), (A) की सही व्याख्या है।
(c) (A) और (R) दोनों अपने आप में सत्य हैं, लेकिन (R), (A) की सही व्याख्या नहीं है।
(d) (A) सत्य है, पर (R) गलत है।
[R.A.S./R.T.S. (Pre) 2013]
उत्तर-(b) (A) और (R) दोनों अपने आप में सत्य हैं और (R), (A) की सही व्याख्या है।
- भारतीय संविधान के अनुच्छेद 1 के तहत भारत राज्यों का संघ है, जिसमें वर्तमान में 28 राज्य तथा 8 संघ राज्य क्षेत्र हैं।
- संघात्मक संरचना में शक्तियों का बंटवारा संघ तथा राज्यों के मध्य किया गया है।
- संघ को राज्यों की तुलना में अधिक शक्तियां प्रदान की गई हैं।
- भारत की संघात्मक संरचना का मुख्य उद्देश्य उसकी बहुआयामी विविधताओं में से एक राष्ट्र का निर्माण करना और राष्ट्रीय एकता को संरक्षित करना है, जिसके कारण विविधताओं के समंजन से एक सशक्त भारतीय राष्ट्र का निर्माण हुआ है।
- इस प्रकार प्रश्नगत कथन और कारण दोनों सही है तथा कारण, कथन की सही व्याख्या है।
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47. नीचे दो कथन दिए गए है, जिनमें एक को कथन (A) और दूसर को कारण (R) कहा गया है-
कथन (A): भारतीय राजनीतिक व्यवस्था की प्रकृति में ‘निरंतरता एवं परिवर्तन’ के तत्व मूर्त रूप में पाए जाते हैं।
कारण (R): भारतीय राजनीतिक व्यवस्था में निम्न राजनीतिक कार्यशैलियों जैसे – आधुनिक शैली, परंपरागत शैली तथा संत शैली के तत्व समाहित हैं।
नीचे दिए गए कूट में से सही उत्तर चुनिए।
कूट :
(a) (A) और (R) दोनों सही हैं तथा (R), (A) की सही व्याख्या करता है।
(b) (A) और (R) दोनों सही हैं, परंतु (R), (A) की सही व्याख्या नहीं करता है।
(c) (A) सही है, परंतु (R) गलत है।
(d) (A) गलत है, परंतु (R) सही है।
[U.P.P.C.S. (Pre) 2020]
उत्तर-(a) (A) और (R) दोनों सही हैं तथा (R), (A) की सही व्याख्या करता है।
- भारतीय राजनीतिक व्यवस्था की प्रकृति में मौर्यकाल से लेकर आधुनिक युग तक अपने विशिष्ट तत्व मूर्त रूप में आज भी विद्यमान है।
- यद्यपि विभिन्न युगों एवं काल से निरंतर एवं परिवर्तनशील भारतीय राजनीतिक व्यवस्था में आधुनिक शैली, परंपरागत शैली एवं संत शैली के तत्व समाहित है।
- स्पष्ट है कि कथन एवं कारण दोनों सत्य है तथा कारण कथन की पुष्टि करता है।
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48. कथन (A): महिलाएं, दलित, निर्धन एवं अल्पसंख्यक समूह भारत में लोकतंत्र के सबसे बड़े दावेदार हैं।
कारण (R): भारत में लोकतंत्र अधिक आत्म-सम्मान की कामना का वाहक बनकर उभरा है।
(a) दोनों (A) और (R) सत्य हैं तथा (R), (A) का एक मान्य स्पष्टीकरण है।
(b) दोनों (A) तथा (R) सत्य हैं, परंतु (R), (A) का एक मान्य स्पष्टीकरण नहीं है।
(c) (A) सही है, परंतु (R) गलत है।
(d) (A) गलत है, परंतु (R) सही है।
[R.A.S./R.T.S. (Pre) 2013]
उत्तर- (a) दोनों (A) और (R) सत्य हैं तथा (R), (A) का एक मान्य स्पष्टीकरण है।
- महिलाएं, दलित, निर्धन तथा अल्पसंख्यक समूह भारत में लोकतंत्र के सबसे बड़े दावेदार हैं, क्योंकि लोकतंत्र उनके व्यक्तिगत अधिकारों की रक्षा कर उनके आत्म-सम्मान तथा गरिमा को बढ़ाता है।
- इस प्रकार कथन (A) तथा कारण (R) दोनों सही हैं तथा कारण (R) इसकी सही व्याख्या भी करता है।
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49. भारतीय संविधान के बृहद होने के कारण हैं-
(a) इसमें अनेक संविधानों के अनुभव समाविष्ट हैं।
(b) इसमें विस्तृत प्रशासकीय प्रावधान हैं।
(c) यह एक बड़े देश के शासन से संबंधित है।
(d) उपर्युक्त सभी
[U.P.P.C.S. (Pre) 1997]
उत्तर- (d) उपर्युक्त सभी
- भारत का संविधान विश्व का सबसे विस्तृत संविधान है। इसके बृहद होने का कोई एक कारण नहीं है, बल्कि उपर्युक्त सभी कारणों से संविधान का स्वरूप बृहदाकार हो गया है। अतः सभी विकल्पों में कोई एक सत्य नहीं है, बल्कि सभी सत्य है।
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50. निम्नलिखित में से कौन-सा कथन सत्य है?
(a) संयुक्त राज्य अमेरिका में सरकार की संघीय प्रणाली है।
(b) भारत में सरकार की संघीय और एकात्मक (Federal and Unitary) दोनों प्रकार की प्रणाली है।
(c) फ्रांस में सरकार की संघीय प्रणाली है।
(d) पाकिस्तान में प्रधानमंत्री की नियुक्ति वहां की जनता के द्वारा होती है।
[38th B.P.S.C. (Pre) 1992]
उत्तर- (a) संयुक्त राज्य अमेरिका में सरकार की संघीय प्रणाली है।
- अमेरिका के संविधान में संघीय प्रणाली का स्पष्ट उल्लेख है।
- भारत के संविधान में भारत को राज्यों का संघ बताया गया है, किंतु संविधान के कतिपय प्रावधान राज्यों की अपेक्षा केंद्र को ज्यादा शक्तिशाली बनाने पर जोर देते हैं।
- इससे कुछ विद्वान भारत के संविधान को संघात्मक एवं एकात्मक प्रणालियों का मिश्रण मानते हैं, किंतु भारतीय संविधान एकात्मक प्रणाली का लक्षण लिए हुए मूल रूप से संघीय संविधान है, ऐसा मानना ज्यादा उचित है।
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51. निम्नलिखित में से कौन-सी एक भारतीय संघ राज्य पद्धति की विशेषता नहीं है?
(a) भारत में स्वतंत्र न्यायपालिका है।
(b) केंद्र और राज्यों के बीच शक्तियों का स्पष्ट विभाजन किया गया है।
(c) संघबद्ध होने वाली इकाइयों को राज्य सभा में असमान प्रतिनिधित्व दिया गया है।
(d) यह संघबद्ध होने वाली इकाइयों के बीच एक सहमति का परिणाम है।
[I.A.S. (Pre) 2017]
उत्तर-(d) यह संघबद्ध होने वाली इकाइयों के बीच एक सहमति का परिणाम है।
- भारतीय संघ राज्य पद्धति की विशेषताओं में लिखित संविधान का होना, संविधान की सर्वोच्चता, शक्तियों का विभाजन, स्वतंत्र न्यायपालिका, द्विसदनीय विधायिका, राज्यों का राज्य सभा में असमान प्रतिनिधित्व, द्विस्तरीय सरकार आदि शामिल हैं।
- जबकि भारतीय संघ की स्थापना संघबद्ध होने वाली इकाइयों के बीच किसी सहमति या समझौते द्वारा नहीं हुई है तथा भारतीय संघ से राज्यों (इकाइयों) को अलग होने का अधिकार नहीं है।
- भारतीय संविधान के अनुच्छेद 1 में उल्लिखित है कि इंडिया अर्थात भारत, राज्यों का संघ होगा (India that is Bharat, shall be a Union of States)।
- अतः विकल्प (d) भारतीय संघ राज्य पद्धति की विशेषता नहीं है। यह अमेरिकी संघवाद की विशेषता है।
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52. नीचे दो कथन दिए गए हैं, जिनमें एक को कथन (A) और दूसरे को कारण (R) कहा गया है –
कथन (A): भारतीय संघात्मक व्यवस्था को ‘अर्ध-संघात्मक’ कहा जाता है।
कारण (R): भारत में एक स्वतंत्र न्यायपालिका है, जिसे न्यायिक पुनर्निरीक्षण का अधिकार है।
नीचे दिए गए कूट में से सही उत्तर चुनिए।
कूट :
(a) (A) और (R) दोनों सही हैं और (R), (A) की सही व्याख्या करता है।
(b) (A) और (R) दोनों सही हैं, परंतु (R), (A) की सही व्याख्या नहीं करता है।
(c) (A) सत्य है, परंतु (R) गलत है।
(d) (A) गलत है, परंतु (R) सत्य है।
[U.P.P.C.S. (Pre) 2020]
उत्तर-(b) (A) और (R) दोनों सही हैं, परंतु (R), (A) की सही व्याख्या नहीं करता है।
- भारत के संविधान का वर्णन विभिन्न प्रकार से किया गया है।
- इसे अर्ध-परिसंघीय कहा गया है। इसे परिसंघीय, किंतु प्रबल एकात्मक अथवा केंद्र समर्थक भी कहा गया है।
- संरचना में परिसंघीय, किंतु भावना में एकात्मक, सामान्य स्थिति में परिसंघीय, किंतु आपात स्थिति आदि के दौरान पूर्णतया एकात्मक रूप में परिवर्तित हो जाने के इसके गुण के कारण ही इसे अर्ध-संघात्मक कहा जाता है।
- भारतीय संविधान में स्वतंत्र न्यायपालिका का प्रावधान है तथा सर्वोच्च न्यायालय (एवं उच्च न्यायालयों) को न्यायिक पुनर्निरीक्षण की शक्ति प्राप्त है।
- संविधान के विभिन्न अनुच्छेदों यथा- अनुच्छेद 13, 32, 131, 136, 141, 143, 226, 227, 245, 246 तथा 372 आदि के उपबंध प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से न्यायपालिका को न्यायिक पुनर्निरीक्षण की शक्ति प्रदान करते हैं।
- इस प्रकार, प्रश्नगत कथन एवं कारण दोनों सही है, किंतु कारण कथन की सही व्याख्या नहीं करता।
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53. भारतीय संघवाद को सहकारी संघवाद किसने कहा है?
(a) जी. ऑस्टिन
(b) के.सी. व्हीयर
(c) सर आइवर जेनिंग्स
(d) डी.डी. बसु
[Chhattisgarh P.C.S. (Pre) 2008]
उत्तर- (a) जी. ऑस्टिन
- भारतीय संविधान की प्रकृति संघात्मक है या एकात्मक, इसके संबंध में विद्वानों में मतभेद है।
- कुछ विद्वान इसे संघात्मक संविधान की संज्ञा देते हैं, जबकि कुछ विद्वान इसे एकात्मक संविधान मानते हैं।
- जी. ऑस्टिन के अनुसार, भारत का संविधान सहकारी परिसंघीय संविधान है, जबकि के.सी. व्हीयर के अनुसार, भारत का संविधान अर्द्ध-संघीय है।
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54. किसने कहा था “भारत अर्ध-संघात्मक राज्य है?”
(a) हेरॉल्ड लास्की
(b) आइवर जेनिंग्स
(c) लॉर्ड ब्राइस
(d) के.सी. व्हीयर
[U.P.P.S.C. (GIC) 2010 U.P. P.C.S. (Pre) 2019]
उत्तर-(d) के.सी. व्हीयर
- के.सी. व्हीयर के अनुसार, भारत का संविधान अर्द्ध-संघीय है।
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55. भारतीय संविधान के विषय में निम्नलिखित कथन निम्न में से किसका है? “भारतीय संविधान अधिक कठोर तथा अधिक लचीले के मध्य एक अच्छा संतुलन स्थापित करता है।”
(a) बी.आर. अम्बेडकर
(b) एम.पी. पायली
(c) एलेक्जेंड्रोविक्स
(d) के.सी. व्हीयर
[U.P.P.C.S. (Mains) 2005]
उत्तर-(d) के.सी. व्हीयर
- भारतीय संविधान की संशोधन प्रक्रिया के संदर्भ में भारतीय संविधान के लिए उपर्युक्त कथन के.सी. व्हीयर का है।
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56. निम्नांकित में से किस एक का कथन है कि ‘संविधान को संघात्मकता के तंग ढांचे में नहीं ढाला गया है?”
(a) डी.डी. बसु
(b) के.एम. मुंशी
(c) बी. आर. अम्बेडकर
(d) ए.के. अय्यर
[U.P.P.C.S. (Spl.) (Mains) 2008]
उत्तर-(c) बी. आर. अम्बेडकर
- डॉ. बी.आर. अम्बेडकर ने यह स्वीकार किया था कि “संविधान को संघात्मकता के तंग ढांचे में नहीं ढाला गया है तथा यह एकीकृत और संघात्मक दोनों ही है।”
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57. मिथकों और कहावतों के रूप में प्रशासन के सिद्धांतों को किसने अस्वीकार किया है?
(a) हर्बर्ट साइमन
(b) ड्वाइट वाल्डो
(c) फ्रैंक मेरिनी
(d) एफ. डब्ल्यू. रिग्स
[Jharkhand P.C.S. (Pre) 2017]
उत्तर-(a) हर्बर्ट साइमन
- हर्बर्ट ए. साइमन ने मिथकों और कहावतों के रूप में प्रशासन के सिद्धांतों को असंगत और अस्पष्ट मानते हुए अस्वीकार किया है, जबकि ड्वाइट वाल्डो, फ्रैंक मेरिनी और एफ. डब्ल्यू. रिग्स ने मिथकों और कहावतों के रूप में प्रशासन के सिद्धांतों को स्वीकार किया है।
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58. विधि और स्वाधीनता के बीच सबसे उपयुक्त संबंध को, निम्नलिखित में से कौन प्रतिविम्बित करता है?
(a) यदि विधियां अधिक होती हैं, तो स्वाधीनता कम होती है।
(b) यदि विधि नहीं हैं, तो स्वाधीनता भी नहीं है।
(c) यदि स्वाधीनता है, तो विधि-निर्माण जनता को करना होगा।
(d) यदि विधि-परिवर्तन बार-बार होता है, तो वह स्वाधीनता के लिए खतरा है।
[I.A.S. (Pre) 2018]
उत्तर-(b) यदि विधि नहीं हैं, तो स्वाधीनता भी नहीं है।
- “यदि विधि नहीं है, तो स्वाधीनता भी नहीं है।”
- यह कथन विधि तथा स्वाधीनता के मध्य सबसे उपयुक्त संबंध को दर्शाता है।
- स्वाधीनता का तात्पर्य विधि की पूर्ण अनुपस्थिति कदापि नहीं है।
- विधिशास्त्री जॉन लॉक के अनुसार, स्वाधीनता के अस्तित्व के लिए विधि का अस्तित्व जरूरी है।
- कानून ही स्वतंत्रता की रक्षा करता है।
- वे कहते हैं “जहां कोई कानून नहीं है, वहां कोई स्वतंत्रता नहीं है।”
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59. निम्नांकित में से कौन विकास प्रशासन की अवधारणा से संबंधित है?
(a) फ्रेड डब्ल्यू. रिग्स
(b) फ्रैंक मेरिनी
(c) एल्टन मेयो
(d) गेबलर आसबोर्न
[Jharkhand P.C.S. (Mains) 2016]
उत्तर- (a) फ्रेड डब्ल्यू. रिग्स
- विकास प्रशासन की अवधारणाओं से फ्रेड डब्ल्यू. रिग्स संबंधित हैं।
- अपनी प्रसिद्ध पुस्तक “एडमिनिस्ट्रेशन डेवलपमेंट इनक्लूसिव कॉन्सेप्ट” में उन्होंने लिखा है कि विकास प्रशासन उन कार्यक्रमों और परियोजनाओं को पूरा करने के संगठित प्रयासों से संबंधित है, जो विकास में संलग्न व्यक्तियों द्वारा प्रवर्तित किए जाते हैं।
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60. निम्नांकित में से कौन-सा एक चिंतक लोक प्रशासन तथा निजी प्रशासन में समानताओं का समर्थक है?
(a) हर्बर्ट साइमन
(b) पॉल.एच. एपलबी
(c) सर जोसिया स्टाम्प
(d) हेनरी फेयोल
[Jharkhand P.C.S. (Mains) 2016]
उत्तर-(d) हेनरी फेयोल
- प्रसिद्ध प्रशासनिक चिंतक हेनरी फेयोल ने लोक प्रशासन तथा निजी प्रशासन में समानता का समर्थन किया है।
- इनके अनुसार, अब हमारे सामने अनेक प्रकार के प्रशासन विज्ञान नहीं हैं, अपितु केवल एक ही प्रशासन है, जिसे सार्वजनिक और निजी मामलों में समान रूप से उपयोग में लाया जा सकता है।
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61. “यदि हमारी सभ्यता विफल होती है, तो यह मुख्यतः प्रशासन के ध्वस्त होने के कारण होगा।” यह कथन दिया गया है-
(a) एल.डी. व्हाइट द्वारा
(b) अलेक्जेंडर पोप द्वारा
(c) डब्ल्यू. बी. डॉनहम द्वारा
(d) एडमंड बर्क द्वारा
[Jharkhand P.C.S. (Mains) 2016]
उत्तर-(c) डब्ल्यू. बी. डॉनहम द्वारा
- डब्ल्यू. बी. डॉनहम ने कहा था कि “यदि हमारी सभ्यता असफल होती है, तो ऐसा मुख्यतया प्रशासन के पतन के कारण होगा।”
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62. गणतंत्रीय अवधारणा से संबंधित निम्नांकित में से कौन एक नहीं है?
(a) एक राज्य जिसमें जनता सर्वोच्च हो
(b) सर्वोच्च शक्ति निर्वाचित प्रधान में निहित हो
(c) सर्वोच्च शक्ति एक राजा के समान (एक ही) व्यक्ति में निहित हो
(d) एक ऐसी सरकार जो जनता द्वारा निर्वाचित प्रतिनिधियों की हो
[U.P.U.D.A./L.D.A. (Mains) 2010]
उत्तर-(c) सर्वोच्च शक्ति एक राजा के समान (एक ही) व्यक्ति में निहित हो
- विकल्प (c) गणतंत्रीय अवधारणा से संबंधित नहीं है, जबकि अन्य विकल्पों में प्रस्तुत तथ्य गणतंत्रीय अवधारणा (निर्वाचित लोकतंत्रीय प्रणाली) के ही प्रारूप हैं।
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63. निम्नलिखित में से किनको “विधि के शासन” के प्रमुख लक्षणों के रूप में माना जाएगा?
1. शक्तियों का परिसीमन
2. विधि के समक्ष समता
3. सरकार के प्रति जन-उत्तरदायित्व
4. स्वतंत्रता और नागरिक अधिकार
नीचे दिए गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिए-
(a) केवल 1 और 3
(b) केवल 2 और 4
(c) केवल 1, 2 और 4
(d) 1, 2, 3 और 4
[I.A.S. (Pre) 2018]
उत्तर-(c) केवल 1, 2 और 4
- प्रो. डायसी ने 1885 ई. में अपनी पुस्तक “द लॉ ऑफ कांस्टीट्यूशन” में विधि के शासन के निम्न तीन लक्षण दिए –
- (1) विधि की सर्वोपरिता इसका तात्पर्य है कि विधि सर्वोच्च है तथा राज्य की या व्यक्ति की स्वेच्छाचारिता का अभाव होना अर्थात किसी भी व्यक्ति को केवल विधि के उल्लंघन हेतु दंडित किया जा सकता है, अन्य किसी हेतु नहीं।
- स्वेच्छाचारिता का अभाव शक्तियों के परिसीमन के रूप में प्रतिबिंबित होता है।
- (2) विधि के समक्ष समता अर्थात विधि के लिए सभी समान हैं और कोई भी विधि से ऊपर नहीं है।
- (3) विधिक भावना की प्रबलता (Predominance of Legal Spirit) –
इसका तात्पर्य है कि संविधान के सामान्य सिद्धांत व्यक्तियों के अधिकार, स्वतंत्रताओं का निर्धारण करने वाले न्यायिक विनिश्चयों का परिणाम है।
- सरकार के प्रति जन-उत्तरदायित्व विधि के शासन का लक्षण नहीं है। अतः स्पष्ट है कि विकल्प (c) सही उत्तर है।
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64. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए: संवैधानिक सरकार वह है-
1. जो राज्य की सत्ता के हित में व्यक्ति की स्वतंत्रता पर प्रभावकारी प्रतिबंध लगाती है।
2. जो व्यक्ति की स्वतंत्रता के हित में राज्य की सत्ता पर प्रभावकारी प्रतिबंध लगाती है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1 और न ही 2
[I.A.S. (Pre) 2014]
उत्तर-(b) केवल 2
- संवैधानिक सरकार में सरकार की शक्ति का स्रोत संविधान होता है।
- संवैधानिक सरकार व्यक्ति की स्वतंत्रता के हित में राज्य की सत्ता पर प्रभावकारी प्रतिबंध लगाती है।
- वस्तुतः राज्य की निरंकुश सत्ता से व्यक्तिगत स्वतंत्रता के हितों को सुरक्षित रखने के उद्देश्य से ही ब्रिटेन और अमेरिका में संविधानवाद का उदय हुआ।
- एक संवैधानिक सरकार में नागरिकों की स्वतंत्रताओं के संरक्षण हेतु संस्थागत क्रियाविधियां भी विद्यमान रहती हैं।
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65. परिभाषा से, संवैधानिक सरकार का अर्थ है-
(a) विधानमंडल द्वारा सरकार
(b) लोकप्रिय सरकार
(c) बहु-दलीय सरकार
(d) सीमित सरकार
[I.A.S. (Pre) 2020]
उत्तर-(d) सीमित सरकार
- परिभाषा से संवैधानिक सरकार का अर्थ है- सीमित सरकार।
- इसका तात्पर्य है कि सरकार एवं इसके तीनों अंग विधायिका, कार्यपालिका तथा न्यायपालिका का स्रोत संविधान है तथा ये संविधान में निहित उपबंधों के अधीन कार्य करते हैं।
- संविधान, सरकार द्वारा अपने नागरिकों पर लागू किए जाने वाले कानूनों और नीतियों पर कुछ सीमाएं लगाता है।
- ये सीमाएं इस रूप में मौलिक होती हैं कि सरकार कभी उसका उल्लंघन नहीं कर सकती।
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66. राज्य व्यवस्था के संदर्भ में, निम्नलिखित में से किस एक को आप स्वतंत्रता की सर्वाधिक उपयुक्त व्याख्या के रूप में स्वीकार करेंगे?
(a) राजनीतिक शासकों की तानाशाही के विरुद्ध संरक्षण
(b) नियंत्रण का अभाव
(c) इच्छानुसार कुछ भी करने का अवसर
(d) स्वयं को पूर्णतः विकसित करने का अवसर
[I.A.S. (Pre) 2019]
उत्तर-(d) स्वयं को पूर्णतः विकसित करने का अवसर
- राज्य व्यवस्था के संदर्भ में स्वतंत्रता का अर्थ व्यक्ति पर बाहरी प्रतिबंधों के अभाव के साथ व्यक्ति की आत्म-अभिव्यक्ति की योग्यता का विस्तार करना और उसके अंदर की संभावनाओं को विकसित करना है।
- राजनीतिक शासकों की तानाशाही के विरुद्ध संरक्षण, नियंत्रण का अभाव एवं इच्छानुसार कुछ भी करने का अवसर स्वतंत्रता के पहलू हैं, परंतु ये पूर्णतः एवं उपयुक्त अर्थ में स्वतंत्रता की व्याख्या नहीं करते हैं।
- वस्तुतः किसी व्यक्ति की स्वतंत्रता की सीमा पर उस समय प्रतिबंध लगाना अनिवार्य हो जाता है, जब वह दूसरों की स्वतंत्रता को बाधित करने लगते हैं।
- नियंत्रण का अभाव एवं इच्छानुसार कुछ भी करने का अवसर के अंतर्गत किए गए कार्य यदि दूसरों पर असर डालते हैं या इनसे बाकी लोग प्रभावित होते हैं, तो उनकी स्वतंत्रता पर प्रतिबंध लगाए जा सकते हैं।
- वहीं स्वयं को पूर्णतः विकसित करने का अवसर स्वतंत्रता की वह स्थिति है, जिसमें लोग अपनी रचनात्मकता और क्षमताओं का विकास करते हैं।
- इस अर्थ में स्वतंत्रता व्यक्ति की रचनाशीलता, संवेदनशीलता और क्षमताओं के भरपूर विकास को बढ़ावा देती है।
- यह विकास खेल, विज्ञान, कला, संगीत या अन्वेषण जैसे किसी भी क्षेत्र में हो सकता है।
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67. समाज में समानता के होने का एक निहितार्थ यह है कि उसमें-
(a) विशेषाधिकारों का अभाव है।
(b) अवरोधों का अभाव है।
(c) प्रतिस्पर्धा का अभाव है।
(d) विचारधारा का अभाव है।
[I.A.S. (Pre) 2017]
उत्तर- (a) विशेषाधिकारों का अभाव है।
- समानता का एक सामान्य अर्थ यह हुआ कि रंग, नस्ल, धर्म, जाति, लिंग आदि के आधार पर किसी व्यक्ति के साथ भेदभाव नहीं किया जा सकता और किसी व्यक्ति को विशेषाधिकार नहीं दिया जा सकता।
- अतः समाज में समानता के होने का एक निहितार्थ यह है कि उसमें विशेषाधिकारों का अभाव है।
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68. भारत एवं अमेरिका की राजनीतिक व्यवस्थाओं के बीच निम्नलिखित में से कौन-सी विशेषताएं समान हैं?
1. अवशिष्ट शक्तियां केंद्र के पास हैं।
2. अवशिष्ट शक्तियां राज्यों के पास हैं।
3. राष्ट्रपति के पास पॉकेट वीटो की शक्ति है।
4. उच्च सदन में कुछ मनोनीत सदस्य होते हैं।
(a) केवल 3
(b) केवल 3 तथा 4
(c) केवल 2, 3 तथा 4
(d) केवल 1, 3 तथा 4
[U.P. P.C.S. (Pre) 2017]
उत्तर- (a) केवल 3
- किसी विधेयक पर कोई भी कार्यवाही (सकारात्मक या नकारात्मक) न करने की राष्ट्रपति की शक्ति ‘पॉकेट वीटो के रूप में जानी जाती है।
- भारतीय राष्ट्रपति तथा अमेरिकी राष्ट्रपति दोनों ही पॉ केट वीटो की शक्ति रखते हैं।
- यद्यपि अमेरिकी राष्ट्रपति की यह शक्ति भारतीय राष्ट्रपति की इस शक्ति के सापेक्ष छोटी है, क्योंकि उसे विधेयक पर कोई कार्यवाही न किए जाने की स्थिति में 10 दिन में विधेयक को वापस करना होता है, जबकि भारतीय संविधान में राष्ट्रपति हेतु ऐसी किसी समयावधि का उल्लेख नहीं है।
- भारत तथा अमेरिका की राजनीतिक व्यवस्थाओं के बीच ‘पॉकेट वीटो की शक्ति’ विशेषता ही समान है।
- भारत में अवशिष्ट शक्तियां केंद्र के पास तथा अमेरिका में राज्यों के पास हैं।
- अमेरिका के उच्च सदन में सभी सदस्य प्रत्यक्षतः निर्वाचित होते हैं, जबकि भारत में उच्च सदन (राज्य सभा) में राष्ट्रपति द्वारा 12 सदस्य मनोनीत किए जाते हैं। अतः विकल्प (a) अभीष्ट उत्तर है।
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69. दूसरे प्रशासनिक आयोग के कौन-से प्रतिवेदन ने भारत में सुशासन की बाधाओं की पहचान की है?
(a) शासन में नैतिकता
(b) नागरिक-केंद्रित प्रशासन शासन का केंद्र बिंदु
(c) ई-शासन को बढ़ावा
(d) स्थानीय शासन
[Jharkhand P.C.S. (Pre) 2017]
उत्तर-(b) नागरिक-केंद्रित प्रशासन शासन का केंद्र बिंदु
- द्वितीय प्रशासनिक सुधार आयोग के प्रतिवेदन संख्या 12’नागरिक-केंद्रित प्रशासन: शासन का केंद्र बिंदु’ (Citizen Centric Administration : The Heart of Governance) में भारत में सुशासन की बाधाओं की पहचान की गई है तथा सुशासन के लिए आवश्यक पूर्व-शर्तों का उल्लेख है।
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70. भारतीय संघवाद में ‘विविधताओं में एकता’ को प्रोन्नत करने हेतु निम्नलिखित में से किन संस्थानों को आवश्यक माना गया है?
(a) अंतरराज्य परिषद एवं राष्ट्रीय विकास परिषद
(b) वित्त आयोग एवं क्षेत्रीय परिषद
(c) एकल न्यायिक व्यवस्था एवं अखिल भारतीय सेवाएं
(d) उपरोक्त सभी
[Uttarakhand P.C.S. (Pre) 2017]
उत्तर-(d) उपरोक्त सभी
- भारतीय संघवाद में विविधताओं में एकता को प्रोन्नत करने हेतु उपरोक्त सभी संस्थानों को आवश्यक माना गया है।
- अंतरराज्य परिषद तथा राष्ट्रीय विकास परिषद, वित्त आयोग एवं क्षेत्रीय परिषद, एकल न्यायिक व्यवस्था एवं अखिल भारतीय सेवाएं भारतीय संघवाद में विविधताओं में एकता प्रोत्साहित करते हैं, जिससे संघ और राज्य आपस में जुड़े रहते हैं।
- भारतीय संविधान के अनुच्छेद 263 में अंतरराज्य परिषद का उल्लेख है, राज्यों के आपस में अथवा संघ से विवाद की स्थिति में राष्ट्रपति द्वारा अंतरराज्य परिषद का गठन किया जाता है।
- योजनाओं के निर्माण में राज्यों की भागीदारी के लिए राष्ट्रीय विकास परिषद की स्थापना की जाती है, जिसके अध्यक्ष प्रधानमंत्री तथा सदस्य राज्यों के मुख्यमंत्री होते हैं।
- संघ और राज्यों के बीच करों के शुद्ध आगमों, संचित निधि में राज्यों के राजस्व में सहायता अनुदान को शासित करने आदि के लिए अनुच्छेद 280 के तहत राष्ट्रपति द्वारा वित्त आयोग की स्थापना की जाती है।
- केंद्र और राज्यों के बीच तथा राज्यों के आपसी मतभेदों को स्वतंत्र एवं निष्पक्ष विचार-विमर्श के माध्यम से सुलझाने के लिए क्षेत्रीय परिषदों की स्थापना की जाती है।
- भारत में एकल न्यायिक व्यवस्था को अपनाया गया है, जिसमें उच्चतम न्यायालय सर्वोच्च है और इसके द्वारा दिया गया निर्णय सर्वमान्य एवं अंतिम होता है।
- अनुच्छेद 312 में अखिल भारतीय सेवाओं का उल्लेख किया गया है, जो संघ और राज्यों दोनों के लिए है।
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71. निम्नलिखित में से किस दशक में भारत की संसदात्मक व्यवस्था केंद्रीयता से संघवाद की ओर खिसकी ?
(a) 1960 के दशक में
(b) 1970 के दशक में
(c) 1980 के दशक में
(d) उपरोक्त में से कोई नहीं
[U.P. P.C.S. (Spl.)(Mains) 2008]
उत्तर-(c) 1980 के दशक में
- यद्यपि 1960-70 के दशक से ही देश में विभिन्न राज्यों में विपक्ष का उभार होने लगा था और कुछ राज्य कांग्रेस के हाथ से निकल भी गए थे, परंतु वास्तव में भारत में संसदात्मक व्यवस्था केंद्रीयता से संघवाद की ओर 1980 के दशक (1971-80) में खिसकी, जबकि बहुत से राज्यों में कांग्रेस पार्टी का बहुमत नहीं रहा।
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