1. निम्नलिखित में से कौन-सा आनुवंशिक रोग नहीं है?
(a) रतौंधी
(b) रंजकहीनता
(c) हीमोफीलिया
(d) वर्णाधत्ता
[U.P. P.C.S. (Pre) Exam. 2017]
उत्तर – (a) रतौंधी
- रंजकहीनता (Albinism) एक आनुवंशिक रोग है, जिसमें त्वचा, बालों तथा आंखों में मेलानिन (Melanin) नामक रंजक (Pigment) आंशिक या पूर्ण रूप से अनुपस्थित होता है।
- अधिरक्तस्राव (हीमोफीलिया) एक आनुवांशिक लिंग सहलग्न रोग है।
- वर्णाधता (Colour blindness) एक X लिंग सहलग्न वंशागति रोग है।
- रतौंधी विटामिन A की कमी से होने वाला रोग है।
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2. फेनिलकीटोनमेह उपापचय की जन्मजात भूल का एक उदाहरण है। इस ‘भूल’ से निर्देश है-
(a) हॉर्मोनी अतिउत्पादन का
(b) अंतःस्रावी ग्रंथि के शोध का
(c) एंजाइम के वंशागत अभाव का
(d) अवियोजन का
[I.A.S. (Pre) 1994]
उत्तर – (c) एंजाइम के वंशागत अभाव का
- फेनिलकीटोनमेह (Phenylketonuria) जीनी व्यतिक्रमों की वंशागति (Inheritance) एक रोग है, जिसमें फेनिल ऐलैनीन हाइड्रोक्सीलेज (Phenylalanine Hydroxylase) नामक एंजाइम की कमी हो जाने से रुधिर में फेनिलऐलैनीन की वृद्धि हो जाती है तथा कुछ अन्य प्रतिक्रियाओं द्वारा फेनिल ऐलैनीन, फेनिल पाइरूविक अम्ल में बदल जाता है जो मूत्र में निकलने लगता है।
- ऊतकों में विशेषतः तंत्रिका ऊतक में फेनिलऐलेनीन के जमाव से व्यक्ति में अल्पबुद्धिता या मानसिक जड़ता की स्थिति उत्पन्न हो जाती है।
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3. एक व्यक्ति, जो फेनिलकीटोन्यूरिया रोग से प्रभावित है-
(a) वृक्क का फेल होना
(b) यकृत का फेल होना
(c) मानसिक जड़ता
(d) नपुंसकता
[R.A.S./R.T.S. (Pre) 1999]
उत्तर – (c) मानसिक जड़ता
- फेनिलकीटोनमेह (Phenylketonuria) जीनी व्यतिक्रमों की वंशागति (Inheritance) एक रोग है, जिसमें फेनिल ऐलैनीन हाइड्रोक्सीलेज (Phenylalanine Hydroxylase) नामक एंजाइम की कमी हो जाने से रुधिर में फेनिलऐलैनीन की वृद्धि हो जाती है तथा कुछ अन्य प्रतिक्रियाओं द्वारा फेनिल ऐलैनीन, फेनिल पाइरूविक अम्ल में बदल जाता है जो मूत्र में निकलने लगता है।
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4. बहुचर्चित ‘बबल-देवी रोग’ ऐसा इसलिए कहलाता है, क्योंकि-
(a) यह पानी के बुलबुले के कारण होता है।
(b) रोगग्रस्त शिशु लार के बुलबुले बनाता है।
(c) रोगग्रस्त शिशु का उपचार जर्म रहित प्लास्टिक के बुलबुले में किया जाता है।
(d) इस रोग को पानी के बुलबुले से ही ठीक किया जाता है।
[U.P.P.C.S. (Pre) 1997]
उत्तर – (c) रोगग्रस्त शिशु का उपचार जर्म रहित प्लास्टिक के बुलबुले में किया जाता है।
- बबल बेबी रोग एक दुर्लभ आनुवंशिक रोग है, इसे एससीआईडी (SCID Severe Combined Immunodeficiency) के नाम से भी जाना जाता है।
- इस रोग में जन्म के समय से ही शिशु का प्रतिरक्षा तंत्र कार्य नहीं करता।
- इस कारण रोगी संक्रामक रोगों के प्रति अतिसंवेदनशील होता है।
- बाह्य वातावरण में उपस्थित हानिकारक रोगाणुओं से रोगी को सुरक्षा प्रदान करने हेतु जर्म रहित प्लास्टिक के बुलबुले (इंक्यूबेटर जैसी व्यवस्था) में उसका उपचार किया जाता है।
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5. हीमोफीलिया एक आनुवंशिक रोग है, जिसका वहन-
(a) स्त्रियां करती हैं और प्रकट भी स्त्रियों में होता है।
(b) स्त्रियां करती हैं और जो प्रकट पुरुषों में होता है।
(c) पुरुष करते हैं और जो प्रकट स्त्रियों में होता है।
(d) पुरुष करते हैं और प्रकट पुरुषों में होता है।
[I.A.S. (Pre) 1993]
उत्तर – (b) स्त्रियां करती हैं और जो प्रकट पुरुषों में होता है।
- अधिरक्तस्राव (Haemophilia) एक आनुवंशिक लिंग सहलग्न रोग है, जिसमें रोगियों में चोट पर काफी समय (आधे घंटे से 24 घंटे) तक रुधिर में कुछ प्रोटीन्स की कमी के कारण थक्का नहीं जमता है और रुधिर बराबर बहता रहता है, जिससे रक्त का स्कन्दन नहीं होता।
- इस रोग का वहन स्त्रियां करती हैं और जो कि प्रायः पुरुषों में प्रकट होता है क्योंकि पुरुषों में एक X गुणसूत्र, जबकि स्त्रियों में दो X गुणसूत्र पाए जाते हैं।
- अतः इसे रक्त चावण रोग (Bleeder’s Disease) भी कहते हैं, जिसका प्रारंभ महारानी विक्टोरिया में हुआ माना जाता है।
- इसी कारण इसे ‘रॉयल हीमोफीलिया’ भी कहते हैं।
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6. अधिरक्तस्राव है-
(a) एक जीवाणु-घटित रोग
(b) एक विषाणु-घटित रोग
(c) एक प्रदूषण-घटित रोग
(d) एक आनुवंशिक विकार
[U.P. Lower Sub. (Pre) 2015]
उत्तर – (d) एक आनुवंशिक विकार
- अधिरक्तस्राव (Haemophilia) एक आनुवंशिक लिंग सहलग्न रोग है।
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7. निम्नलिखित में से कौन-सा एक आनुवंशिक रोग लिंग-सहलग्न है?
(a) रॉयल हीमोफीलिया
(b) टे-सैक्स रोग
(c) पुटीय तंतुमयता
(d) हाइपरटेंशन
[U.P.P.C.S. (Spl.) (Pre) 2008, I.A.S. (Pre) 1999]
उत्तर – (a) रॉयल हीमोफीलिया
- अधिरक्तस्राव (Haemophilia) एक आनुवंशिक लिंग सहलग्न रोग है, जिसमें रोगियों में चोट पर काफी समय (आधे घंटे से 24 घंटे) तक रुधिर में कुछ प्रोटीन्स की कमी के कारण थक्का नहीं जमता है और रुधिर बराबर बहता रहता है, जिससे रक्त का स्कन्दन नहीं होता।
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8. हीमोफीलिया एक आनुवंशिक विकार है, जो उत्पन्न करता है-
(a) हीमोग्लोबिन स्तर में कमी
(b) रूमेटी हृदय रोग
(c) WBC में कमी
(d) रक्त का स्कन्दन न होना
[U.P.P.C.S. (Pre) 2003]
उत्तर – (d) रक्त का स्कन्दन न होना
- अधिरक्तस्राव (Haemophilia) एक आनुवंशिक लिंग सहलग्न रोग है, जिसमें रोगियों में चोट पर काफी समय (आधे घंटे से 24 घंटे) तक रुधिर में कुछ प्रोटीन्स की कमी के कारण थक्का नहीं जमता है और रुधिर बराबर बहता रहता है, जिससे रक्त का स्कन्दन नहीं होता।
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9. निम्न में कौन-सी व्याधि आनुवंशिक है?
(a) हीमोफीलिया
(b) ट्यूबरकुलोसिस
(c) कैंसर
(d) पेचिस
[Uttarakhand P.C.S. (Pre) 2006, U.P.P.C.S. (Mains) 2007]
उत्तर – (a) हीमोफीलिया
- अधिरक्तस्राव (Haemophilia) एक आनुवंशिक लिंग सहलग्न रोग है।
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10. निम्न में से कौन आनुवंशिक अव्यवस्था नहीं है?
(a) डाउन सिंड्रोम
(b) हीमोफिलिया
(c) इरिटेबुल बाउल सिंड्रोम
(d) दात्र-कोशिका अरक्तता
[Uttarakhand P.C.S. (Pre) 2010]
उत्तर – (c) इरिटेबुल बाउल सिंड्रोम
- डाउन सिंड्रोम, हीमोफीलिया और दात्र कोशिका अरक्तता आनुवंशिक अव्यवस्थाएं हैं, जबकि इरिटेबल बाउल सिंड्रोम आनुवंशिक अव्यवस्था नहीं है।
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11. निम्नलिखित में से कौन-सा लिंग गुणसूत्र में विद्यमान अप्रभावी जीन के निष्पीडन से उत्पन्न होता है?
(a) आमवात
(b) तंत्रिता आधात
(c) पेशी दुष्पोषण
(d) प्रमस्तिष्क रक्तस्राव
[I.A.S. (Pre) 1994]
उत्तर – (c) पेशी दुष्पोषण
- पेशी दुष्पोषण (Muscular dystrophy) X-गुणसूत्र (X-Chromosome) से संलग्न एक आनुवांशिक रोग है, जो कि इस X गुणसूत्र में मौजूद अप्रभावी जीन के निष्पीडन से उत्पन्न होता है। ध्यातव्य है कि यह रोग पीढ़ी-दर-पीढ़ी चलता रहता है।
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12. डाउन सिंड्रोम (Down Syndrome) एक आनुवंशिक विकार है. जो होता है-
(a) गुणसूत्रों की संख्या में परिवर्तन के कारण
(b) गुणसूत्रों की संरचना में परिवर्तन
(c) डी. एन. ए. की सरंचना में परिवर्तन के कारण
(d) आर. एन. ए. की संरचना में परिवर्तन के कारण
[R.A.S/R.T.S. (Pre) 1999]
उत्तर – (a) गुणसूत्रों की संख्या में परिवर्तन के कारण
- डाउन सिंड्रोम (Down Syndrome) एक आनुवंशिक विकार (Genetic disorder) है, जो कि मनुष्यों में गुणसूत्रों की संख्या में परिवर्तन के कारण होता है।
- इसमें 21वीं जोड़ी के गुणसूत्र दो के बजाय तीन (त्रिगुणसूत्रता) होते हैं।
- अतः गुणसूत्र समूह [2n + 1(21)=47] होता है।
- इसमें मनुष्य का सिर गोल, गरदन मोटी, मुख खुला तथा आंखे तिरछी होती हैं।
- इस सिंड्रोम को मंगोली जड़ता (Mongoloid Idiocy) भी कहते हैं।
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13. मानवों में गुणसूत्र संख्या 21 की त्रिगुणसूत्रता उत्तरदायी है-
(a) हीमोफीलिया के लिए
(b) क्लाइनफेल्टर सिंड्रोम के लिए
(c) डाउन सिंड्रोम के लिए
(d) टर्नर सिंड्रोम के लिए
[R.A.S/R.T.S. (Pre) 2018]
उत्तर – (c) डाउन सिंड्रोम के लिए
- डाउन सिंड्रोम (Down Syndrome) एक आनुवंशिक विकार (Genetic disorder) है, जो कि मनुष्यों में गुणसूत्रों की संख्या में परिवर्तन के कारण होता है।
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14. ट्राइसोमी 21 को निम्न में से किस नाम से जाना जाता है?
(a) इवांस सिंड्रोम
(b) एडवर्ड्स सिंड्रोम
(c) डाउन सिंड्रोम
(d) ग्रे बेबी सिंड्रोम
[R.A.S./R.T.S. (Pre) 2021]
उत्तर – (c) डाउन सिंड्रोम
- ट्राइसोमी 21 को डाउन सिंड्रोम के नाम से जाना जाता है ।
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15. सूची-(1) (रोग) को सूची -(11) (रोग के प्रकार) से सुमेलित कीजिए और सूचियों के नीचे दिए गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिए-
सूची-(1) (रोग) |
सूची -(11) (रोग के प्रकार) |
(A) हीमोफीलिया |
1. हीनताजन्य रोग |
(B) डायबिटीज |
2. आनुवंशिक रोग |
(C) रिकेट्स |
3. हॉर्मोन की गड़बड़ी |
(D) रिंगवार्म |
4. कवकी संक्रमण |
कूट:
ABCD
(a)2,3,4,1
(b)2,3,1,4
(c)3,2,1,4
(d)3,2,4,1
[I.A.S. (Pre) 2000]
उत्तर – (b) 2,3,1,4
- सुमेलित क्रम इस प्रकार है।
हीमोफीलिया |
आनुवंशिक रोग |
डायबिटीज |
हॉर्मोन की गड़बड़ी |
रिकेट्स |
हीनताजन्य रोग |
रिंगवार्म |
कवकी संक्रमण |
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16. निम्नलिखित वर्गों में से कौन-सा वर्ग सही सुमेलित है?
(a) डिप्थीरिया, न्यूमोनिया और कुष्ठ लिंग सहलग्न
(b) एड्स, सिफलिस और सुजाक जीवाणुजन्य
(c) वर्णाधता, हीमोफीलिया और दात्रः कोशिका अरक्तता – आनुवंशिक
(d) पोलियों, जापानी बी मस्तिष्कशोथ और प्लेग विषाणुजन्य
[I.A.S. (Pre) 1995]
उत्तर – (c) वर्णाधता, हीमोफीलिया और दात्रः कोशिका अरक्तता – आनुवंशिक
- डिप्थीरिया, न्यूमोनिया तथा कुष्ठ रोग जीवाणुजन्य रोग हैं।
- एड्स रोग विषाणुजन्य रोग है, जबकि सिफलिस तथा सुजाक रोग जीवाणुजन्य रोग हैं।
- वर्णाधता तथा हीमोफीलिया नामक रोग आनुवंशिक रोग है, जबकि दात्र कोशिका अरक्तता (Anaemia) भी एक वंशानुगत रोग है।
- पोलियो, जापानी बी मस्तिष्क शोध विषाणुजन्य रोग है, जबकि प्लेग एक जीवाणुजन्य रोग है।
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17. स्त्रियों की तुलना में अधिक पुरुष वर्णाचता से पीड़ित हो सकते हैं, क्योंकि-
(a) वे अधिक मानसिक तनाव से गुजरते हैं।
(b) वे अधिक देर घर से बाहर रहते हैं।
(c) उनमें केवल एक X क्रोमोसोम होता है।
(d) उनमें साधारणतः कम चर्बी होती है।
[41 B.P.S.C. (Pre) 1996]
उत्तर – (c) उनमें केवल एक X क्रोमोसोम होता है।
- वर्णाधता (Colour blindness) एक X लिंग सहलग्न वंशागति रोग है तथा इसे लाल-हरा अंधापन या दैल्टोनिज्म (Daltonism) भी कहते हैं।
- इसमें जीन अप्रबल या सुप्त (Recessive) होते हैं अर्थात इनमें प्रबल या प्रभावी एलील सामान्य, रोगहीन दशा स्थापित करते हैं।
- चूंकि पुरुषों में एक X गुणसूत्र, जबकि स्त्रियों में दो X गुणसूत्र पाए जाते हैं।
- वर्णाधता रोग का जीन सुप्त होने के कारण संकर, अर्थात विषमयुग्मी स्त्रियों में नहीं होता, लेकिन सुप्तजीन के लिए शुद्ध नस्ली, अर्थात समयुग्मजी स्त्रियों में होता है जिनमें कि प्रत्येक X गुणसूत्र में रोग का, अर्थात सुप्त जीन होता है।
- पुरुषों में सिर्फ एक ही X गुणसूत्र होने के कारण ऐसे लक्षण का केवल एक ही जीन मौजूद होता है।
- अतः एक ही सुप्त जीन से रोग का विकास हो जाता है।
- इसीलिए यह रोग प्रायः पुरुषों में ही अधिक पाया जाता है।
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18. निम्नलिखित में से किस युग्म में सही सुमेल नहीं है?
(a) थायमीन |
बेरी-बेरी |
(b) एस्कॉर्बिक अम्ल |
स्कर्वी |
(c) विटामिन A |
वर्णाधता |
(d) विटामिन K |
रक्त जमना |
[U.P.P.C.S. (Pre) 2016]
उत्तर – (c) विटामिन A – वर्णाधता
- वर्णाधता (Colour Blindness) एक X लिंग सहलग्न वंशागति रोग है तथा इसे लाल-हरा अंधापन या दैल्टोनिज्म (Daltonism) भी कहते हैं।
- चर्णाधता विटामिन A की कमी से नहीं होती।
- अतः विकल्प (c) में दिया गया युग्म सही सुमेलित नहीं है।
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19. एक वाँध पुरुष एक सामान्य महिला से विवाह करता है। वाँधता के लक्षण उत्पन्न होंगे, उसके
(a) पुत्रों में
(b) पुत्रियों में
(c) पुत्रों के पुत्रों में
(d) पुत्रियों के पुत्रों में
[U.P.P.C.S. (Pre.) 2009]
उत्तर – (d) पुत्रियों के पुत्रों में
- यदि एक वाँध पुरुष एक सामान्य महिला से विवाह करता है, तो वर्णाधता के लक्षण उसके पुत्र में नहीं जाएंगे, जबकि उसकी पुत्री वाहक का कार्य करेगी।
- अगली पीढ़ी में यह वाहक पुत्री यदि सामान्य पुरुष से विवाह करती है, तो उसके पुत्रों में वर्णाधता की संभावना 50% होगी, जबकि पुत्रियों में वाहक होने की संभावना 50% होगी।
- यदि वाहक पुत्री किसी वर्णाध पुरुष से विवाह करती है, तो उसके पुत्रों के वर्णाध होने की संभावना 50% तथा पुत्रियां या तो वणाँध या तो वाहक होंगी।
- वर्णाधता एक X- क्रोमोसोम संबंधी (X-linked) रोग है, जिसके कारण यदि एक स्त्री एक वर्णाधता प्रभावित X क्रोमोसोम के साथ एक सामान्य X क्रोमोसोम प्राप्त करती है, तो वह वाँध न होकर मात्र इसके वाहक का कार्य करेगी।
- दूसरी ओर यदि एक पुरुष एक वर्णाधता प्रभावित X क्रोमोसोम प्राप्त करता है, तो उसमें (सामान्य Y क्रोमोसोम X से अत्यधिक छोटा होने के कारण) वर्गांधता के लक्षण आएंगे।
- वर्णाध पुरुष और सामान्य महिला के पुत्र में X क्रोमोसोम सामान्य होने के कारण वे सामान्य होंगे।
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20. आनुवंशिक विकारों के संदर्भ में, निम्नलिखित पर विचार कीजिए:
एक महिला वाँध है, पर उसका पति वर्णांध नहीं है। इनके एक पुत्र और एक पुत्री है।
इस संदर्भ में, निम्नलिखित में से कौन-से एक कथन के सही होने की सर्वाधिक संभावना है?
(a) दोनों संतान वर्णाधता से ग्रस्त हैं।
(b) पुत्री वर्णाध है, किंतु पुत्र वर्णाध नहीं है।
(c) दोनों संतान वर्णाच नहीं हैं।
(d) पुत्र वर्णाध है, किंतु पुत्री वर्णाध नहीं है।
[I.A.S. (Pre) 2009]
उत्तर – (d) पुत्र वर्णाध है, किंतु पुत्री वर्णाध नहीं है।
- वर्णाधता एक X- क्रोमोसोम संबंधी (X-linked) रोग है, जिसके कारण यदि एक स्त्री एक वर्णाधता प्रभावित X क्रोमोसोम के साथ एक सामान्य X क्रोमोसोम प्राप्त करती है, तो वह वाँध न होकर मात्र इसके वाहक का कार्य करेगी।
- दूसरी ओर यदि एक पुरुष एक वर्णाधता प्रभावित X क्रोमोसोम प्राप्त करता है, तो उसमें (सामान्य Y क्रोमोसोम X से अत्यधिक छोटा होने के कारण) वर्गांधता के लक्षण आएंगे।
- यदि एक वाँध पुरुष एक सामान्य महिला से विवाह करता है, तो वर्णाधता के लक्षण उसके पुत्र में नहीं जाएंगे, जबकि उसकी पुत्री वाहक का कार्य करेगी।
- अगली पीढ़ी में यह वाहक पुत्री यदि सामान्य पुरुष से विवाह करती है, तो उसके पुत्रों में वर्णाधता की संभावना 50% होगी, जबकि पुत्रियों में वाहक होने की संभावना 50% होगी।
- यदि वाहक पुत्री किसी वर्णाध पुरुष से विवाह करती है, तो उसके पुत्रों के वर्णाध होने की संभावना 50% तथा पुत्रियां या तो वणाँध या तो वाहक होंगी।
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21. एक वर्षांच (colour blindness) पुरुष का विवाह एक सामान्य स्त्री से होता है, जिसके माता-पिता की दृष्टि भी सामान्य थी उनके बच्चों की निम्नलिखित में से कितने प्रतिशत की वाँध होने की संभावना है
(a) 25%
(b) 50%
(c) 100%
(d) 0%
[Uttarakhand U.D.A./LL.D.A. (Pre) 2003]
उत्तर – (d) 0%
- जैसा कि प्रश्न में दिया है, कि एक वर्णाध पुरुष का विवाह एक सामान्य स्त्री से होता है, जिसके माता-पिता की दृष्टि भी सामान्य थी।
- यहां स्त्री के माता-पिता की दृष्टि का सामान्य होना दृश्य प्रारूप (Phenotype) प्रदर्शित करता है।
- जबकि इसके जीनप्रारूप (Genotype) की निम्नलिखित दो स्थितियां हो सकती है-
(1) माता XX तथा पिता XY
(11) माता XcX तथा पिता XY
- प्रथम स्थिति के अनुसार, उत्पन्न स्त्री का विवाह वर्णांध पुरुष से होने पर कोई भी संतान वर्णाध नहीं होगी-
- द्वितीय स्थिति के अनुसार, उत्पन्न वाहक स्त्री का विवाह वर्णाध पुरुष से होने पर उसकी 50 प्रतिशत संतानें वर्णाध होंगी-
- जबकि सामान्य स्त्री का विवाह वर्णाध पुरुष से होने पर कोई भी संतान बाँध नहीं होगी।
- अतः विकल्प (d) अभीष्ट उत्तर होगा।
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22. थैलेसीमिया के रोगी में शरीर निम्न के संश्लेषण की क्षमता नहीं रखता-
(a) विटामिन डी
(b) हॉमौन
(c) हीमोग्लोबिन
(d) प्रोटीन
[Uttarakhand P.C.S. (Pre) 2005]
उत्तर – (c) हीमोग्लोबिन
- थैलेसीमिया (Thalassemia) जीनी व्यतिक्रमों (Genetic disorders) का एक समूह है, जिसके रोगी के शरीर में हीमोग्लोबिन (Hemoglobin) के संश्लेषण (Synthesis) की क्षमता नहीं होती है।
- यह विशेष रोग दो प्रकार का होता है यथा- एल्फा-थैलेसीमिया तथा बीटा-थैलेसीमिया।
- इसमें रोगी के शरीर में अत्यधिक अरक्तता (Anemia) उत्पन्न हो जाने से रुधिर (Blood) की आवश्यकता पड़ती है।
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23. थैलेसीमिया एक आनुवंशिक रोग है, जिससे प्रभावित होता है-
(a) रक्त
(b) फेफड़े
(c) हृदय
(d) गुर्दे
[Uttarakhand P.C.S. (Pre) Exam. 2016]
उत्तर – (a) रक्त
- थैलेसीमिया (Thalasemia) आनुवंशिक विकारों (Genetic Disorders) का एक समूह है, जिसके रोगी के शरीर में हीमोग्लोबिन के संश्लेषण की क्षमता नहीं होती है।
- यह विशेष रोग दो प्रकार का (एल्फा-बैलेसीमिया तथा बीटा- थैलेसीमिया) होता है।
- इसमें रोगी के शरीर में लाल रक्त कोशिकाओं (Red Blood Cells) का अत्यधिक मात्रा में क्षय होने लगता है, जिससे अरक्तता (Anemia) उत्पन्न हो जाती है।
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24. थैलेसीमिया एक वंशानुगत बीमारी है, जो कि निम्नलिखित को प्रभावित करती है-
(a) खून
(b) फेफड़े
(c) दिल
(d) उपर्युक्त में से कोई नहीं
[Jharkhand P.C.S. (Pre) 2013]
उत्तर – (a) खून
- इसमें रोगी के शरीर में लाल रक्त कोशिकाओं (Red Blood Cells) का अत्यधिक मात्रा में क्षय होने लगता है, जिससे अरक्तता (Anemia) उत्पन्न हो जाती है।
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