1. डी.एन.ए. की निम्नलिखित में से किस विशिष्टता ने उसे पीढ़ी- दर-पीढ़ी आनुवंशिक सूचना संग्रह करने और प्रेषण करने के लिए अद्वितीय रूप से उपयुक्त बनाया है?
(a) दो रज्जुकों (two strands) की पूरकता
(b) द्वि-कुंडलिनी (Double Helix)
(c) प्रति मोड्क्षारक युग्मों की संख्या
(d) शर्करा-फॉस्फेट बैकबोन
[I.A.S. (Pre) 2001]
उत्तर – (a) दो रज्जुकों (two strands) की पूरकता
- डीएनए प्रत्येक मानव कोशिका के केंद्रक में विद्यमान होता है।
- डीएनए का मुख्य कार्य आनुवंशिक सूचनाओं का संग्रहण एवं उनका प्रेषण है।
- डीएनए की दो रज्जुकों की पूरकता उसे इस कार्य हेतु सक्षम बनाती है।
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2. जेनेटिक इंजीनियरिंग में निम्न में से किसका प्रयोग होता है?
(a) प्लास्टिड
(b) प्लाज्मिड
(c) माइटोकॉन्ड्रिया
(d) राइबोसोम
[U.P.P.C.S. (Pre) (Re. Exam) 2015]
उत्तर – (b) प्लाज्मिड
- जेनेटिक इंजीनियरिंग में प्लाज्मिड का प्रयोग किया जाता है।
- एक जीवाणु की सभी सामान्य गतिविधियों का नियंत्रण इसके एकल गुणसूत्र और जीन के छोटे छल्ले (Small Rings) पर निर्भर करता है, जिसे प्लाज्मिड कहते हैं, जेनेटिक इंजीनियरिंग में एक अलग जीव के गुणसूत्र को प्लाज्मिड में डाला जा सकता है।
- यह जीवाणु को एक नया पदार्थ बनाने की अनुमति देता है।
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3. लैंगिक जनन से आनुवंशिक विचरण कैसे होता है?
(a) जीन के सम्मिश्रण (ब्लेन्डिंग) से
(b) क्रोमोसोम में बदलाव से
(c) जीन के मिश्रण (शफलिंग) से
(d) उपर्युक्त सभी
[53 to55 B.P.S.C. (Pre) 2011]
उत्तर – (d) उपर्युक्त सभी
- जीन के सम्मिश्रण, क्रोमोसोम में बदलाव एवं जीन के मिश्रण उपर्युक्त तीनों से ही लैंगिक जनन से आनुवंशिक विचरण (Genetic Variation) होता है।
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4. जेनेटिक कोड़ की विशिष्ट विशेषताएं हैं-
I. यह प्रायः सार्वत्रिक होता है।
II. यह तीन न्युक्लियोटाइड क्षारकों का बना होता है, जो 20 अमिनो अम्लों के संगत होते हैं।
III. यह अनतिव्यायी, गैर-अस्पष्ट एवं कोमारहित होता है।
IV. इनमें एक प्रारम्भन एवं एक समापन कोडॉन होता है।
इनमें से कौन-से कथन सही हैं?
(a) केवल I, II और IV
(b) केवल I, III और IV
(c) केवल I, II और III
(d) उपरोक्त सभी
[M.P.P.C.S. (Pre) 2020]
उत्तर – (d) उपरोक्त सभी
- जेनेटिक कोड प्रायः सार्वत्रिक (Universal) होता है।
- प्रत्येक जेनेटिककोड तीन न्युक्लियोटाइड क्षारकों का बना होता है, जो 20 अमीनोंअम्लों के संगत होते हैं।
- इस प्रकार आनुवंशिक कूट पद्धति में4 = 64 त्रिगुणी संकेत शब्द (Triplet Code Words) होते हैं, जिन्हेंकोडॉन (Codon) कहते हैं।
- ये अनतिव्यापी, (Non-overlapping)
- गैर-अस्पष्ट (Non-ambiguous) एवं कोमारहित (Commaless) होते हैं।
- आनुवंशिक कोड के 64 कोडॉन्स में से 3 कोडॉन (UAA, UGA, UAG) ऐसे होते हैं, जो किसी भी अमीनो अम्ल को संकेत नहीं देते हैं।
- इनको समापन कोडॉन (Stop Codon) या नॉनसेन्स कोडॉन कहते हैं।
- AUG (मेथियोनीन नामक अमीनों अम्ल का) कोडॉन को प्रारम्भन कोडॉन (Initiation Codon) कहते हैं।
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5. पुनर्योगज DNA प्रौद्योगिकी (आनुवंशिक इंजीनियरी) जीनों को स्थानांतरित होने देता है-
1. पौधों की विभिन्न जातियों में
2. जंतुओं से पौधों में
3. सूक्ष्म जीवों से उच्चतर जीवों में
नीचे दिए गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिए।
(a) केवल 1
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2 और 3
[I.A.S. (Pre) 2013]
उत्तर – (d) 1, 2 और 3
- पुनर्योगज डीएनए तकनीकों द्वारा किसी जीवाणु के जीन को मक्के के पौधे में स्थानांतरित किया जा सकता है।
- इस तकनीक द्वारा जीनों को पौधों की विभिन्न जातियों में तथा सूक्ष्म जीवों से उच्चतर जीवों में भी स्थानांतरित किया जा सकता है।
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6. ‘पुनः संयोजित (रीकॉम्बिनेंट) वेक्टर वैक्सीन’ से संबंधित हाल के विकास के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:
1. इन वैक्सीनों के विकास में आनुवंशिक इंजीनियरी का प्रयोग किया जाता है।
2. जीवाणुओं और विषाणुओं का प्रयोग रोगवाहक (वेक्टर) के रूप में किया जाता है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा कौन-से सही है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1 और न ही 2
[I.A.S. (Pre) 2021]
उत्तर – (c) 1 और 2 दोनों
- ‘पुनःसंयोजित (रीकॉम्बिनेंट) वेक्टर वैक्सीन’ के विकास में जेनेटिक इंजीनियरिंग का उपयोग किया जाता है।
- जेनेटिक इंजीनियरिंग में आनुवंशिक सामग्री (डीएनए और आरएनए) के द्वारा टीका निर्माण शामिल है।
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7. बोलगार्ड-1 और बोलगार्ड-11 प्रौद्योगिकियों का उल्लेख किसके संदर्भ में किया जाता है?
(a) फसली पादपों का क्लोनी प्रवर्धन
(b) आनुवंशिक रूप से रूपांतरित फसली पादपों का विकास
(c) पादप वद्धिकर पदार्थों का उत्पादन
(d) जैव उर्वरकों का उत्पादन
[I.A.S. (Pre) 2021]
उत्तर – (b) आनुवंशिक रूप से रूपांतरित फसली पादपों का विकास
- बोलगार्ड-1 और बोलगार्ड-2 प्रौद्योगिकी आनुवंशिक रूप से संशोधित फसली पौधों को विकसित करने में मदद करती है।
- बोलगार्ड प्रौद्योगिकी विनाशकारी बोलवर्म संक्रमण के खिलाफ कपास की फसल को सुरक्षा प्रदान करती है।
- बोलगार्ड । बीटी कॉटन (सिंगल जीन टेक्नोलॉजी) भारत की पहली बायोटेक फसल तकनीक है, जिसे वर्ष 2002 में भारत में व्यावसायीकरण हेतु मंजूरी प्रदान की गई थी।
- बोलगार्ड-2 तकनीक एक बेहतर डबल-जीन तकनीक है।
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8. नई विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी नीति, 2003 के उद्देश्यों के संबंध में निम्न कथनों पर विचार कर निम्न कूट की सहायता से बताइए कि इनमें से कौन-से सही हैं?
1. विद्यमान भौतिक एवं बौद्धिक (knowledge) स्रोतो का सर्वाधिक उपकारक उपयोग।
2. नवीन प्रवर्तनीय (innovative) प्रौद्योगिकी का विकास।
3. प्राकृतिक संकटों (hazards) को कम करने और उनसे निपटने हेतु पद्धति और प्रौद्योगिकी का विकास।
4. बौद्धिक संपत्ति का प्रबंध।
कूट :
(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 1, 2 और 3
(c) केवल 1, 3 और 4
(d) सभी चारों
[U.P.P.C.S. (Pre) 2008]
उत्तर – (d) सभी चारों
- विज्ञान और प्रौद्योगिकी के भावी कार्यक्रमों की रूपरेखा तैयार करने और नई पहलों को दिशा देने के लिए बंगलुरू में 90वीं राष्ट्रीय विज्ञान कांग्रेस के दौरान, 3 जनवरी, 2003 को ‘नई विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी नीति-2003’ की घोषणा की गई थी।
- इस नीति में मौजूदा भौतिक और ज्ञान संसाधनों के उचित इस्तेमाल, प्राकृतिक आपदाओं के प्रबंधन और उनसे उबरने के लिए नवप्रवर्तन तकनीकों और प्रणालियों के विकास, बौद्धिक संपदा के सृजन और प्रबंधन तथा विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के लाभों और उपयोगों के बारे में आम जनता के बीच जागृति पैदा करने की रूपरेखा बनाई गई है।
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9. कथन (A): डॉली सर्वप्रथम क्लोन की गई स्तनी थी।
कारण (R): डॉली पात्रे निषेचन द्वारा उत्पन्न की गई थी।
(a) (A) तथा (R) दोनों सही है तथा (R), (A) का सही कारण है।
(b) (A) तथा (R) दोनों सही हैं, परंतु (R), (A) का सही कारण नहीं है।
(c) (A) सही है, परंतु (R) गलत है।
(d) (A) गलत है, परंतु (R) सही है।
[I.A.S. (Pre) 1999]
उत्तर – (c) (A) सही है, परंतु (R) गलत है।
- डॉली नामक भेड़ के क्लोन का जन्म स्कॉटलैंड स्थित रॉसलिन इंस्टीट्यूट में 5 जुलाई, 1996 को इयान विल्मुट, कीथ कैंपबेल और उनके सहयोगियों के प्रयास से संभव हुआ था।
- वयस्क कायिक कोशिकाओं से जन्मा यह विश्व में किसी क्लोन स्तनधारी जीव का प्रथम क्लोन था।
- ध्यातव्य है कि वर्ष 2003 में फेफड़ों की बीमारी के कारण डॉली की मृत्यु हो गई थी।
- डॉली को पारंपरिक क्लोनिंग तकनीक द्वारा विकसित किया गया था, न कि ‘पात्रे निषेचन’ (in vitro fertilization) द्वारा।
- इन विट्रो फर्टिलाइजेशन बांझपन दूर करने की कारगर तकनीक मानी जाती है।
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10. एक वयस्क दैहिक कोशिका से क्लोन की गई पहली स्तनपायी, डॉली (भेड़) के बारे में कौन-सा तथ्य सही नहीं है?
(a) डॉली की मृत्यु 2003 में हुई थी।
(b) फेफड़ों की बीमारी के कारण डॉली का निधन हुआ था।
(c) डॉली वर्ष 1998 में पैदा हुई थी।
(d) डॉली स्कॉटलैंड में पैदा हुई थी।
[R.A.S/R.T.S. (Pre) 2016]
उत्तर – (c) डॉली वर्ष 1998 में पैदा हुई थी।
- डॉली नामक भेड़ के क्लोन का जन्म स्कॉटलैंड स्थित रॉसलिन इंस्टीट्यूट में 5 जुलाई, 1996 को इयान विल्मुट, कीथ कैंपबेल और उनके सहयोगियों के प्रयास से संभव हुआ था।
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11. निम्न में से कौन मनुष्य द्वारा निर्मित आनुवंशिक रूप से अभियंत्रित प्रथम जीवित जीव है?
(a) डॉली
(b) हरमन बुल
(c) बोनी
(d) सुपर बग
[U.P. Lower Sub. (Pre) 2002]
उत्तर – (a) डॉली
- डॉली नामक भेड़ के क्लोन का जन्म स्कॉटलैंड स्थित रॉसलिन इंस्टीट्यूट में 5 जुलाई, 1996 को इयान विल्मुट, कीथ कैंपबेल और उनके सहयोगियों के प्रयास से संभव हुआ था।
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12. निम्नलिखित में से कौन-सा पहला सफल क्लोन जंतु था?
(a) भेड़
(b) ऊलक
(c) खरगोश
(d) उपर्युक्त में से कोई नहीं
[Jharkhand P.C.S. (Pre) 2013]
उत्तर – (a) भेड़
- भेड़ पहला सफल क्लोन जंतु था।
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13. एन.डी.आर.आई. करनाल (हरियाणा) के वैज्ञानिकों ने निम्नलिखित में से किस जानवर का दूसरा क्लोन विकसित किया?
(a) भेड़
(b) भैंस
(c) गाय
(d) बकरा
[M.P.P.C.S. (Pre) 2012]
उत्तर – (b) भैंस
- ‘नेशनल डेरी रिसर्च इंस्टीट्यूट (NDRI), करनाल के वैज्ञानिकों ने फरवरी, 2009 में विश्व में भैंस के पहले क्लोन बछड़े ‘समरूपा’ को विकसित किया था।
- NDRI के ही वैज्ञानिकों ने जून, 2009 में भैंस के दूसरे क्लोन ‘गरिमा का जन्म कराने में सफलता प्राप्त की थी।
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14. गरिमा II नाम है, एक-
(a) क्लोन्ड भैंस का
(b) क्लोन्ड गाय का
(c) क्लोन्ड भेड़ का
(d) बीटी टमाटर का
[U.P.P.C.S. (Mains) 2009]
उत्तर – (a) क्लोन्ड भैंस का
- करनाल स्थित ‘राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान’ के वैज्ञानिकों ने अगस्त, 2010 में भैंस का गरिमा II नामक एक क्लोन विकसित करने में सफलता प्राप्त की थी।
- जनवरी, 2013 में राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान में क्लोन मैंस गरिमा II ने ‘महिमा’ नामक एक स्वस्थ मादा बच्चे को जन्म दिया।
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15. कायिक कोशिका न्यूक्लीय अंतरण प्रौद्योगिकी (सोमैटिक सेल न्यूक्लियर ट्रांसफर टेक्नोलॉजी) का अनुप्रयोग क्या है?
(a) जैव-डिम्मनाशी का उत्पादन
(b) जैव-निम्नीकरणीय प्लास्टिक का निर्माण
(c) जंतुओं की जननीय क्लोनिंग
(d) रोगमुक्त जीवों का उत्पादन
[I.A.S. (Pre) 2017]
उत्तर – (c) जंतुओं की जननीय क्लोनिंग
- कायिक कोशिका नाभिकीय अंतरण प्रौद्योगिकी का प्रयोग जंतुओं की प्रजननीय प्रतिरूपण या जननीय क्लोनिंग (Reproductive Cloning) द्वारा आनुवंशिक तौर पर अभिन्न पशुओं के निर्माण के लिए किया जाता है।
- इस प्रक्रिया में एक दाता वयस्क कोशिका (कायिक कोशिका) से किसी नाभिक-विहीन अंडे में नाभिक (Nucleus) का स्थानांतरण करना शामिल होता है।
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16. ‘परखनली शिशु’ के मामले में-
(a) निषेचन परखनली के अंदर होता है।
(b) शिशु का परिवर्धन परखनली के अंदर होता है।
(c) निषेचन माता के शरीर के बाहर होता है।
(d) अनिषेचित अंड का परखनली के अंदर परिवर्धन होता है।
[I.A.S. (Pre) 1994]
उत्तर – (c) निषेचन माता के शरीर के बाहर होता है।
- जो मादाएं किन्हीं कारणों से प्राकृतिक गर्भधारण में असमर्थ होती हैं, उनके अंडाणु का कृत्रिम निषेचन कराया जाता है, जिससे उत्पन्न शिशु को परखनली शिशु कहते हैं।
- परखनली शिशु (अंतः पात्र निषेचन) विधि में डिम्ब और शुक्राणु का निषेचन, जो प्राकृतिक रूप से स्त्रियों में फैलोपियन नलियों में होता है, माता के शरीर के बाहर ‘पैट्री पात्रों’ (Petri dishes) में कृत्रिम रूप से कराया जाता है, फिर उससे बने भ्रूण को 6 से 48 घंटे के भीतर महिला के गर्भाशय में प्रत्यारोपित कराकर संतान प्राप्त करते हैं।
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17. किस देश में पहला ट्रांसजीनी दमकता हुआ सुअर उत्पन्न किया गया, जो अंदर बाहर सब हरा है?
(a) कोरिया
(b) जापान
(c) सिंगापुर
(d) ताइवान
[U.P.P.S.C. (GIC) 2010]
उत्तर – (d) ताइवान
- वर्ष 2006 में नेशनल ताइवान यूनिवर्सिटी के एक शोध दल द्वारा पहला ट्रांसजीनी दमकता हुआ सुअर उत्पन्न किया गया।
- दमकते हुए हरे प्रोटीन को सुअर के भ्रूण में डालकर तीन नर ट्रांसजीनी सुअर पैदा किए गए।
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18. इनजॉज नाम है, विश्व के प्रथमतः क्लोन-
(a) ऊंट का
(b) बकरी का
(c) सुअर का
(d) भेंड़ का
[U.P.P.C.S. (Mains) 2008]
उत्तर – (a) ऊंट का
- दुबई स्थित ऊंट प्रजनन केंद्र में दुनिया की पहली मादा क्लोन ऊंट, वर्ष 2009 में विकसित की गई थी।
- इस क्लोन ऊंट का नाम ‘इनर्जीज’ रखा गया था।
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19. विश्व का पहला ऊंट अस्पताल किस शहर में स्थित है?
(a) तेहरान
(b) जयपुर
(c) बीकानेर
(d) दुबई
(e) उपर्युक्त में से कोई नहीं/ उपर्युक्त में से एक से अधिक
[B.P.S.C. (Pre) 2019]
उत्तर – (d) दुबई
- दिसंबर, 2017 में दुबई में ऊंटों के लिए एक खास अस्पताल खोला गया है।
- यह विश्व का पहला ऊंट अस्पताल है।
- यह अस्पताल ऊंटों को महंगे और अत्याधुनिक इलाज उपलब्ध करा रहा है।
- दुबई में ऊंटों को संस्कृति का अहम हिस्सा माना जाता है और उन्हें बचाए रखने के लिए यह कदम उठाया गया है।
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20. जीव के क्लोन के संबंध में निम्न में से कौन-सा कथन सही है?
(a) क्लोन में माता-पिता दोनों के लक्षण पाए जाते हैं।
(b) क्लोन अलैंगिक विधि से उत्पन्न किया जाता है।
(c) एक समान जुड़वां एक ही जीव के क्लोन होते हैं।
(d) एक जीव के दो क्लोन एकसमान नहीं होते हैं।
[R.A.S./R.T.S. (Pre) 2003]
उत्तर – (b) क्लोन अलैंगिक विधि से उत्पन्न किया जाता है।
- किसी भी जीवधारी से उसके जैसा हूबहू जीवधारी प्राप्त किया जाए, तो, इसे ‘क्लोन (Clone) कहते हैं।
- ये अलैंगिक विधि द्वारा उत्पन्न किए जाते हैं, जो प्रायः अपने मातृजीव के समरूप होते हैं।
- क्लोन प्राप्त करने की प्रक्रिया क्लोनिंग (Clonning) कहलाती है।
- एक समान जुड़वां (Identical Twins) क्लोन नहीं होते हैं, जबकि एक जीव के दो क्लोन समान होते हैं।
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21. आनुवंशिक अभियंत्रण (Genetic Engineering) के निम्नलिखित प्रभावों पर विचार कीजिए:
1. रोग प्रतिरोध
2. वृद्धि वर्धन
3. जंतु क्लोनिंग
4. मानव क्लोनिंग
उपर्युक्त में, जो कुछ सफलता के साथ परीक्षित किए गए, वे हैं:
(a) 1, 3 तथा 4
(b) 2, 3 तथा 4
(c) 1, 2 तथा
(d) 1, 2 तथा 3
[U.P.P.C.S. (Pre) 2001, 2003]
उत्तर – (d) 1, 2 तथा 3
- आनुवंशिक अभियंत्रण द्वारा रोग प्रतिरोध, वृद्धि वर्धन तथा जंतु क्लोनिंग आदि पर सफलता मिल चुकी है।
- किंतु मानव क्लोनिंग (Human Cloning) का परीक्षण अभी पूरी तरह से सफल नहीं हो पाया है. क्योंकि यह विवादास्पद तथा प्रतिबंधित है।
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22. वर्तमान में वैज्ञानिक किसी गुणसूत्र में जीन इकाइयों का विन्यास अथवा उनकी सापेक्षिक स्थिति अथवा डी. एन. ए. अनुक्रमों को निर्धारित कर सकते हैं। यह ज्ञान हमारे लिए किस प्रकार उपयोगी है?
1. उसकी मदद से पशुधन की वंशावली जानी जा सकती है।
2. उसकी मदद से सभी मानव रोगों के कारण ज्ञात हो सकते हैं।
3. उसकी मदद से पशुओं की रोग-सह नस्लें विकसित की जा सकती हैं।
उपर्युक्त में से कौन-सा कौन-से कथन सही है/हैं?
(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 2
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2 और 3
[I.A.S. (Pre) 2011]
उत्तर – (c) केवल 1 और 3
- डी.एन.ए. अनुक्रम द्वारा आनुवंशिक रोगों जैसे अल्जाइमर, सिस्टिक फाइब्रोसिस, म्योटोनिक डिस्ट्रॉपी तथा जीनों की अक्षमता एवं उनमें उत्पन्न दोषों के चलते होने वाली कई बीमारियों का कारण ज्ञात कर उनका उपचार संभव हो सकता है।
- इसके द्वारा सभी मानव रोगों के कारण ज्ञात नहीं हो सकते।
- अतः कथन (2) सही नहीं है।
- प्रश्नगत अन्य कथन सही हैं।
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23. आनुवंशिक रोगों के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए-
1. अंडों के अंतःपात्र (इन विट्रो) निषेचन से या तो पहले या बाद में सूत्रकणिका प्रतिस्थापन (माइटोकॉण्ड्रिअल रिप्लेसमेंट) चिकित्सा द्वारा सूत्रकणिका रोगों (माइटोकॉण्ड्रिअल डिजीज) को माता-पिता से संतान में जाने से रोका जा सकता है।
2. किसी संतान में सूत्रकणिका रोग आनुवंशिक रूप से पूर्णतः माता से जाता है न कि पिता से।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा कौन-से सही है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(a) न तो 1 और न ही 2
[I.A.S. (Pre) 2021]
उत्तर – (c) 1 और 2 दोनों
- सूत्रकणिका (माइटोकॉण्ड्रियल) रोग क्रोनिक (दीर्घकालिक), आनुवंशिक, अक्सर विरासत में मिले विकार होते हैं।
- यह तब होता है, जब माइटोकॉण्ड्रिया शरीर को ठीक से काम करने हेतु पर्याप्त मात्रा में ऊर्जा उत्पादन में असफल रहता है।
- माइटोकॉण्ड्रियल रोग जन्मजात तथा बड़े उम्र दोनों स्थिति में हो सकते हैं।
- माइटोकॉण्ड्रियल रोग केवल माता से ही बच्चों को प्राप्त हो सकते हैं।
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24. पुनर्योगज डी.एन.ए. तकनीक के चरण नीचे दिए गए हैं:
A. आनुवंशिक पदार्थ की पहचान एवं पृथक्करण
B. डी.एन.ए. का विखंडन
C. बाह्य जीन उत्पाद की प्राप्ति
D. प्रवाहिक प्रक्रिया
E. डी.एन.ए. खंड को वाहक में जोड़ना
F. इच्छित डी.एन.ए. खंडों का पृथक्करण
G. रुचि वाले जीन का परिवर्धन
H. पुनर्योगज डी.एन.ए. का पोषी कोशिका जीव में स्थानांतरण
चरणों का सही अनुक्रम है:
(a) CABDEFGH
(b) ADCBEGFH
(c) ABFGEHCD
(d) HFGEADBC
[R.A.S./R.T.S. (Re. Exam) (Pre) 2013]
उत्तर – (c) ABFGEHCD
- किसी जीव से वांछित जीनों का विलगन, क्लोनन तथा किसी अन्य जीव में उनका स्थापन पुनर्योगज डी.एन.ए. प्रौद्योगिकी कहलाता है।
- इस प्रक्रिया में शामिल चरणों का सही अनुक्रम है-
- A. आनुवंशिक पदार्थ की पहचान एवं पृथक्करण
- B. डी.एन.ए. का विखंडन
- F. इच्छित डी.एन.ए. खंडों का पृथक्करण
- G. रुचि वाले जीन का परिवर्धन
- E. डी.एन.ए. खंड को वाहक में जोड़ना
- H. पुनर्योगज डी.एन.ए. का पोषी कोशिका जीव में स्थानांतरण
- C. बाह्य जीन उत्पाद की प्राप्ति
- D. प्रवाहिक प्रक्रिया
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25. विज्ञान में हुए अभिनव विकासों के संदर्भ में, निम्नलिखित में से कौन-सा कथन सही नहीं है?
(a) विभिन्न जातियों की कोशिकाओं से लिए गए DNA के खंडों को जोड़कर प्रकार्यात्मक गुणसूत्र रचे जा सकते हैं।
(b) प्रयोगशालाओं में कृत्रिम प्रकार्यात्मक DNA के हिस्से रचे जा सकते हैं।
(c) किसी जंतु कोशिका से निकाले गए DNA के किसी हिस्से को जीवित कोशिका से बाहर, प्रयोगशाला में, प्रतिकृत कराया जा सकता है।
(d) पादपों और जंतुओं से निकाली गई कोशिकाओं में प्रयोगशाला की पेट्री डिश में कोशिका विभाजन कराया जा सकता है।
[I.A.S. (Pre) 2019]
उत्तर – (a) विभिन्न जातियों की कोशिकाओं से लिए गए DNA के खंडों को जोड़कर प्रकार्यात्मक गुणसूत्र रचे जा सकते हैं।
- प्रश्नगत कथनों में पहला कथन सही नहीं है, क्योंकि विभिन्न जातियों की कोशिकाओं से लिए गए DNA के खंडों को जोड़कर (पुनर्योजित डीएनए तकनीक के माध्यम से) प्रकार्यात्मक गुणसूत्र नहीं बल्कि प्रकार्यात्मक DNA ही तैयार किए जा सकते हैं।
- अन्य तीनों प्रश्नगत कथन सही हैं।
- कथन (2) DNA प्रिंटिंग और कृत्रिम जीन संश्लेषण, कथन (3) क्लोनिंग और कथन (4) ऊतक संवर्धन (Tissue Culture) से संबंधित सही तथ्य हैं।
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26. विश्व स्तर के प्रोग्राम ‘ह्यूमन जीनोम प्रोजेक्ट’ का संबंध है-
(a) सुपर-मानव के समाज की स्थापना से।
(b) रंगभेद पर आधारित नस्लों की पहचान करने से।
(c) मानव नस्लों के आनुवंशिक सुधारों से।
(d) मानव जीनों और उनके अनुक्रमों की पहचान और मानचित्रण से।
[U.P.P.C.S. (Pre) 2001]
उत्तर – (d) मानव जीनों और उनके अनुक्रमों की पहचान और मानचित्रण से।
- विश्व स्तर का प्रोग्राम ‘ह्यूमन जीनोम प्रोजेक्ट’ का संबंध मानव जीनों और उनके अनुक्रमों की पहचान और मानचित्रण से है।
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27. शरीर की वे कोशिकाएं, जिनमें शरीर की किसी भी प्रकार की कोशिकाओं में विभाजन तथा विशिष्टीकरण की क्षमता है और जो कई गंभीर बीमारियों पर शोध का केंद्र बिंदु है, उन्हें कहते हैं:
(a) बड कोशिकाएं
(b) रेड कोशिकाएं
(c) मीसेन्जियल कोशिकाएं
(d) स्टेम कोशिकाएं
[U.P.P.C.S. (Pre) 2006]
उत्तर – (d) स्टेम कोशिकाएं
- स्टेम कोशिकाएं भ्रूण की वे आधार कोशिकाएं हैं, जिनसे आगे चलकर मानव शरीर में 210 से अधिक तरह के ऊतक बनते हैं।
- भ्रूण की आधार कोशिकाएं 5-7 दिन पुराने भ्रूण से निकाली जाती हैं।
- विकसित हो रहे भ्रूण से स्टेम कोशिकाएं निकाल कर उनसे ऊतकों/अंगों का निर्माण किया जा सकता है।
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28. अक्सर सुर्खियों में रहने वाली ‘स्टेम कोशिकाओं’ के संदर्भ में, निम्नलिखित में से कौन-सा / से कथन सही है/हैं?
1. स्टेम कोशिकाएं केवल स्तनपायी जीवों से ही प्राप्त की जा सकती हैं।
2. स्टेम कोशिकाएं नई ओषधियों को परखने के लिए प्रयोग की जा सकती है।
3. स्टेम कोशिकाएं चिकित्सा थेरेपी के लिए प्रयोग की जा सकती हैं।
निम्नलिखित कूटों के आधार पर सही उत्तर चुनिए:
(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 3
(d) 1, 2 और 3
[I.A.S. (Pre) 2012]
उत्तर – (b) केवल 2 और 3
- स्टेम कोशिकाएं बहुकोशिकीय जीवों में पाई जाने वाली वे कोशिकाएं हैं, जिन्हें करने के लिए शरीर ने कोई खास काम नहीं दिया है।
- एक स्टेम (तना) जिस तरह शाखाएं, पत्तियां, प्रतान, कलियां, फल, फूल और बीज बना सकता है।
- उसी तरह, स्टेम सेल्स में भी शरीर की सारी कोशिकाओं की भूमिका निभाने की क्षमता होती है।
- ये कोशिकाएं शरीर का कच्चा माल हैं, जिन्हें शरीर के विभिन्न प्रकार की कोशिकाओं में बदला जा सकता है।
- स्टेम सेल उपचार के तहत विभिन्न रोगों के निदान के लिए स्तंभ कोशिका का प्रयोग किया जाता है।
- इसकी सहायता से कॉर्निया प्रत्यारोपण में और हृदयाघात के कारण क्षतिग्रस्त मांसपेशियों के उपचार में सफलता मिली है।
- स्टेम कोशिकाएं नई ओषधियों को परखने के लिए प्रयोग की जा सकती हैं।
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29. अति विवादास्पद भ्रूणीय स्टेम कोशिकाओं के विकल्प के रूप में कौन बायोएथिकल अविवादास्पद स्रोत है, स्टेम कोशिकाओं का?
(a) अस्थि मज्जा से व्युत्पन्न स्टेम कोशिकाएं
(b) उल्बी तरत से व्युत्पन्न स्टेम कोशिकाएं
(c) गर्भ का रुधिर
(d) शिशुओं का रुधिर
[U.P.P.C.S. (Pre) 2008]
उत्तर – (a) अस्थि मज्जा से व्युत्पन्न स्टेम कोशिकाएं
- स्टेम सेल ऐसी मूल कोशिकाएं होती हैं, जिनसे शरीर के किसी भी अंग की कोशिका को तैयार किया जा सकता है।
- वैज्ञानिकों के अनुसार, इन कोशिकाओं को शरीर की किसी भी कोशिका की मरम्मत के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है।
- स्टेम कोशिका को वैज्ञानिक प्रयोगों के लिए स्रोत के आधार पर भ्रूण, वयस्क तथा कॉर्ड-ब्लड में बांटा जाता है।
- अधिकांशतः स्टेम कोशिकाएं भ्रूण से प्राप्त होती हैं।
- इन्हें जन्म के समय ही सुरक्षित रखना होता है।
- इन मौलिक कोशिकाओं के अनुसंधान को लेकर काफी विवाद है।
- कारण यह है कि विकास के प्रारंभिक चरण में मानव ब्रूण से इन कोशिकाओं को प्राप्त करने के दौरान भ्रूण नष्ट हो जाता है।
- इसलिए नैतिकता के आधार पर इस तरह के अनुसंधानों का विरोध होता रहा है।
- मगर मौजूदा दौर में इसके वैकल्पिक स्रोतों की तलाश कर ली गई है, जिसमें भ्रूण को नष्ट करने की कोई आवश्यकता नहीं होती।
- गर्भनाल का रक्त, दांत, अस्थिमज्जा आदि स्टेम कोशिकाओं के अविवादास्पद स्रोत हैं।
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30. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:
1. भावी माता-पिता के अंड या शुक्राणु उत्पन्न करने वाली कोशिकाओं में आनुवंशिक परिवर्तन किए जा सकते हैं।
2. व्यक्ति का जीनोम जन्म से पूर्व प्रारंभिक भ्रूणीय अवस्था में संपादित किया जा सकता है।
3. मानव प्रेरित बहुशक्त स्टेम (pluriopotent stem) कोशिकाओं को एक शूकर के भ्रूण में अंतर्देशित किया जा सकता है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 2
(d) 1, 2 और 3
[I.A.S. (Pre) 2020]
उत्तर – (d) 1, 2 और 3
- जेनेटिक इंजीनियरिंग के अंतर्गत ‘जीन एडिटिंग’ के तहत भावी माता- पिता के अंड या शुक्राणु उत्पन्न करने वाली कोशिकाओं में आनुवंशिक परिवर्तन किए जा सकते हैं।
- व्यक्ति का जीनोम जन्म से पूर्व प्रारंभिक भ्रूणीय अवस्था में संपादित किया जा सकता है।
- मानव प्रेरित बहुशक्त स्टेम (Pluripotent stem) कोशिकाओं को एक शूकर के भ्रूण में अंतर्देशित (Injected) कर वांछित अंग का निर्माण किया जा सकता है।
- अतः कथन 1, 2 तथा 3 तीनों सही हैं।
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31. हाइब्रिडोमा प्रौद्योगिकी (Hybridoma Technology) एक नया जीव-प्रौद्योगिकीय उपागम (Biotechnological approach) है-
(a) एकक्लोनी प्रतिरक्षियों के वाणिज्यिक उत्पादन के लिए
(b) इंटरफेरोन के वाणिज्यिक उत्पादन के लिए
(c) एंटिबायोटिकों के वाणिज्यिक उत्पादन के लिए
(d) एल्कोहल के वाणिज्यिक उत्पादन के लिए
[I.A.S. (Pre) 2000]
उत्तर – (a) एकक्लोनी प्रतिरक्षियों के वाणिज्यिक उत्पादन के लिए
- एक बी. लिम्फोसाइट तथा एक मायलोमा कोशिका के संलयन (Fusion) से प्राप्त संकर कोशिका हाइब्रिडोमा (Hybridoma) कहलाती है।
- हाइब्रिडोमा क्लोनों को पात्रे कल्चर (In vitro) करके एक-क्लोनीय (Monoclonal) प्रतिरक्षियों का उत्पादन करते हैं।
- इसे हाइब्रिडोमा प्रौद्योगिकी (Hybridoma technology) कहते हैं तथा इसके विकास हेतु जी. कोहलर तथा सी. मिलस्टाइन को वर्ष 1984 में नोबेल पुरस्कार दिया गया।
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32. निम्नलिखित पर विचार कीजिए-
1. जीवाणु
2. कवक
3. विषाणु
उपर्युक्त में से किन्हें कृत्रिम संश्लेषित माध्यम में संवर्धित किया जा सकता है?
(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2 और 3
[I.A.S. (Pre) 2021]
उत्तर – (a) केवल 1 और 2
- कृत्रिम एवं संश्लेषित माध्यम से बैक्टीरिया को संवर्धित किया जा सकता है।
- शोधकर्ताओं ने एस्थैरिचिया कोलार्ड बैक्टीरिया के डीएनए का पुनः लेखन भी किया है।
- कवक को भी कृत्रिम एवं संश्लेषित माध्यम से संवर्धित किया जा सकता है।
- जैसे पोटैटो डेक्सट्रोज एगर एवं सबौराड डेक्सट्रोज एगर। विषाणु में स्वयं की उपाचयी मशीनरी के अभाव के कारण इन्हें कृत्रिम रूप से संवर्धित करना कठिन है।
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33. बन्थरा में प्लांट फील्ड जीन बैंक-
(a) संकटापन्न वर्ग के पौधों को सुरक्षित रखेगा।
(b) जैविक विभिन्नता की दस्युता (Piracy) को रोकेगा।
(c) आर्थिक दृष्टि से महत्वपूर्ण पौधों की पहचान करेगा।
(d) उपर्युक्त सभी पर ध्यान देगा।
[U.P.P.C.S. (Pre) 2001, 2003]
उत्तर – (d) उपर्युक्त सभी पर ध्यान देगा।
- बन्थरा में प्लांट फील्ड जीन बैंक संकटापन्न वर्ग के पौधों को सुरक्षित रखेगा, जैविक विभिन्नता (Biodiversity) की दस्युता को रोकेगा तथा आर्थिक दृष्टि से महत्वपूर्ण पौधों की पहचान करेगा।
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34. कपास के कीट-रोधी पौधे आनुवंशिक इंजीनियरी द्वारा एक जीन को निविष्ट कर निर्मित किए गए हैं, जो लिया गया है-
(a) विषाणु से
(b) जीवाणु से
(c) कीट से
(d) पौधे से
[I.A.S. (Pre) 2000]
उत्तर – (b) जीवाणु से
- कपास के कीट-रोधी पौधे आनुवंशिक अभियांत्रिकी (Genetic Engineering) द्वारा एक जीन को निविष्ट कर निर्मित किया गया है।
- जिसे जीवाणु बैसिलस थूरीनजिएंसिस द्वारा तैयार किया गया है।
- इस जीव विष का नाम बीटी (BT) है।
- बीटी जीव विष जीन जीवाणु से क्लोनीकृत होकर पौधों में अभिव्यक्त होकर कीटों की प्रतिरोधकता को उत्पन्न करता है, जिससे इसमें कीटनाशकों के उपयोग की आवश्यकता नहीं होती है।
- इस तरह से जैव पीड़कनाशियों का निर्माण होता है, जैसे-बीटी कपास, बीटी मक्का इत्यादि।
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35. अमेरिकी बहुराष्ट्रीय कंपनी मोनसांटो ने एक कीट-प्रतिरोधी कपास की किस्म बनाई है, जिसका भारत में क्षेत्र परीक्षण किया जा रहा है। निम्नलिखित जीवाणुओं से किस एक के आविष जीन (Toxin gene) का इस पारजीनी कपास (Transgenic Cotton) में अंतरण हुआ है?
(a) बेसिलस सबटाईलिस
(b) बैसिलस यूरीनजिएंसिस
(c) बैसिलस एमाइलोक्री फैन्सिएन्स
(d) बैसिलस ग्लोब्लाई
[I.A.S. (Pre) 2001]
उत्तर – (b) बैसिलस यूरीनजिएंसिस
- कपास के कीट-रोधी पौधे आनुवंशिक अभियांत्रिकी (Genetic Engineering) द्वारा एक जीन को निविष्ट कर निर्मित किया गया है।
- जिसे जीवाणु बैसिलस थूरीनजिएंसिस द्वारा तैयार किया गया है।
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36. सूक्ष्मजीव, जो बीटी कपास के उत्पादन से संबंधित है, वह है, एक
(a) फफूंद
(b) जीवाणु
(c) नील हरित शैवाल
(d) विषाणु
[U.P.P.C.S. (Pre) 2010]
उत्तर – (b) जीवाणु
- इस जीव विष का नाम बीटी (BT) है। बीटी जीव विष जीन जीवाणु से क्लोनीकृत होकर पौधों में अभिव्यक्त होकर कीटों की प्रतिरोधकता को उत्पन्न करता है, जिससे इसमें कीटनाशकों के उपयोग की आवश्यकता नहीं होती है।
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37. कथन (A): कीट प्रतिरोधी पारजीनी कपास, (Bt) जीन के निवेशन से निर्मित किया गया है।
कारण (R): (Bt) जीन एक जीवाणु से प्राप्त किया जाता है।
इस प्रश्न का उत्तर नीचे दिए हुए कूट की सहायता से चुनिए :
(a) (A) और (R) दोनों सही हैं, और (R), (A) का सही स्पष्टीकरण है।
(b) (A) और (R) दोनों सही हैं, और (R), (A) का सही स्पष्टीकरण नहीं है।
(c) (A) सही है, परंतु (R) गलत है।
(d) (A) गलत है, परंतु (R) सही है।
[I.A.S. (Pre) 1999]
उत्तर – (a) (A) और (R) दोनों सही हैं, और (R), (A) का सही स्पष्टीकरण है।
- कीट प्रतिरोधी पारजीनी कपास (Transgenic cotton), जीन के निवेशन से निर्मित किया गया है।
- Bt जीन एक विशेष जीवाणु ‘बैसीलस यूरिनजिएंसिस’ (संक्षेप में बीटी कहते हैं) से प्राप्त किया जाता है।
- इसकी कुछ नस्लें ऐसे प्रोटीन का निर्माण करती हैं, जो विशिष्ट कीटों जैस लेपिडोप्टेरॉन (तंबाकू की कलिका की सैनिक कीट), डीप्टेरॉन, (मक्खी) इत्यादि को मारने में सहायक हैं।
- विशिष्ट बीटी जीव विष इस विशेष जीवाणु से पृथक कर कई फसलों जैसे कपास (Cotton) में समाविष्ट किया जा चुका है।
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38. बैंगन की आनुवंशिक अभियांत्रिकी से उसकी एक नई किस्म Bt- बैंगन विकसित की गई है। इसका लक्ष्य-
(a) इसे नाशकजीव-सह बनाना है।
(b) इसे अधिक स्वादिष्ट और पौष्टिक बनाना है।
(c) इसे जलाभाव-सह बनाना है।
(d) इसकी निधानी आयु बढ़ाना है।
[I.A.S. (Pre) 2011]
उत्तर – (a) इसे नाशकजीव-सह बनाना है।
- बीटी बैंगन (Bacillus thuringiensis Brinjal) आनुवंशिक अभियांत्रिकी से विकसित बैंगन की नई किस्म है।
- इसमें बैंगन में बैसिलस थुरिनजिएसिस नामक जीवाणु के विशेष जीन (Cry 1 AC) को निवेशित किया जाता है, जिससे एक प्रकार का विष (Bt toxin) उत्पन्न होता है, जो बैंगन में लेपिडोप्टेरॉन कीटों यथा ब्रिजलफूट, फ्रूट बोरर, शूट बोरर आदि के विरुद्ध प्रतिरोधक क्षमता उत्पन्न करता है।
- इस प्रकार बीटी-बैंगन के विकास का उद्देश्य इसे नाशकजीव-सह बनाना है।
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39. बीटी बैंगन है-
(a) बैंगन की एक नई किस्म
(b) आनुवंशिकी रूप से परिवर्तित बैंगन
(c) बैंगन की एक जंगली किस्म
(d) उपर्युक्त में से कोई नहीं
[Uttarakhand Lower Sub. (Pre) 2010]
उत्तर – (b) आनुवंशिकी रूप से परिवर्तित बैंगन
- बीटी बैंगन (Bacillus thuringiensis Brinjal) आनुवंशिक अभियांत्रिकी से विकसित बैंगन की नई किस्म है।
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40. भारत में Bt बैंगन के प्रवेशन पर लोगों के विरोध के कारण क्या हैं?
1. Bt बैंगन की रचना इसके जीनोम में मृदा कवक के जीन को प्रवेश कराकर की गई है।
2. Bt बैंगन के बीज टर्मिनेटर बीज है, जिसके कारण किसानों को प्रत्येक मौसम के पहले बीज कंपनियों से बीज खरीदना पड़ता है।
3. एक आशंका है कि Bt बैंगन के उपभोग का स्वास्थ्य पर विपरीत
प्रभाव पड़ सकता है।
4. यह भी चिंता है कि Bt बैंगन के प्रवेशन से जैव विविधता पर विपरीत प्रभाव हो सकता है ।
निम्नलिखित कूटों के आधार पर सही उत्तर चुनिए :
(a) केवल 1, 2 और 3
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 3 और 4
(d) 1, 2, 3 और 4
[I.A.S. (Pre) 2012]
उत्तर – (c) केवल 3 और 4
- बीटी (Bacillus thuringiensis) मिट्टी में पाया जाने वाला एक ग्राम पॉजिटिव जीवाणु है।
- इसमें पाया जाने वाला एक विशेष जीन (Cry 1 AC) यदि बैंगन में निवेश कर दिया जाए तो वह एक विष उत्पन्न करता है, जो बैंगन में लेपिडोप्टेरॉन कीटों जैसे ब्रिजलफ्रूट, शूट बोरर और फ्रूट बोरर के विरुद्ध प्रतिरोधक क्षमता उत्पन्न करता है और इस प्रकार उत्पादन में वृद्धि होती है।
- बी.टी. बैंगन फसल सुरक्षा की दृष्टि से अच्छा विकल्प हो सकता है, लेकिन ऐसी आशंका है कि बी.टी. विष से मानव स्वास्थ्य और जैव विविधता पर विपरीत प्रभाव पड़ सकता है।
- इसलिए जब जीन अभियांत्रिकी अनुमोदन समिति (GEAC) ने बी. टी. बैंगन की व्यावसायिक खेती के लिए अक्टूबर, 2009 में अनुमति प्रदान की तो इसे लेकर जनाक्रोश इतना भड़क उठा कि अंततोगत्वा सरकार ने 9 फरवरी, 2010 को इसकी खेती के फिलहाल स्थगन की घोषणा कर दी।
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41. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए एवं दिए गए कूटों की सहायता से सही कथनों का चयन कीजिए-
A. सर्वप्रथम व्यावसायीकरण किए जाने वाला, आनुवंशिक रूप से अभियांत्रिक कृत फसल उत्पाद, फ्लेवर-सेवर टमाटर था।
B. फ्लेवर-सेवर के पके हुए फल अधिक अवधि के लिए दृढ़ रहते हैं एवं पौधे पर पकने के बाद बाजार में स्थानांतरित किए जा सकते हैं।
C. फ्लेवर-सेवर के पके हुए फलों में रंग होता है, किंतु पौधों पर पके फलों जैसे पूर्ण सुरुचिक सरणी का अभाव होता है।
कूट :
(a) B एवं C
(b) A, B एवं C
(c) A एवं B
(d) A एवं C
[R.A.S./R.T.S. (Pre) 2016]
उत्तर – (c) A एवं B
- फ्लेवर-सेवर एक आनुवंशिक रूप से रूपांतरित टमाटर है।
- यह व्यावसायिक उद्देश्य हेतु उत्पादित पहली ऐसी आनुवंशिक रूप से अभियांत्रिक कृत फसल है, जिसे मानव उपभोग के लिए लाइसेंस प्रदान किया गया था।
- इस टमाटर में ऐसा जीन डाला गया था, जो पकने की प्रक्रिया को धीमा कर देता है।
- इसके फलस्वरूप टमाटर पौधे पर ही लंबे समय तक रहकर पक सकते हैं, जिससे उनमें अधिक स्वाद होता है।
- साथ ही बाजार में स्थानांतरण की प्रक्रिया के दौरान वे दृढ़ रहते हैं।
- पौधे पर पके फलों को बाजार में भेजने से हरे फलों को तोड़कर उन्हें कृत्रिम रूप से एथिलीन द्वारा पकाने की प्रक्रिया से बचा जा सकता है।
- उल्लेखनीय है कि एथिलीन द्वारा पके टमाटरों में रंग तो आ जाता है, लेकिन पौधे पर पके टमाटरों जैसे पूर्ण स्वाद नहीं आ पाते।
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42. भारत में विकसित आनुवंशिकतः रूपांतरित सरसों (जेनेटिकली मॉडिफाइड सरसों / GM सरसों) के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए-
1. GM सरसों में मृदा जीवाणु के जीन होते हैं, जो पादप को अनेक किस्मों के पीड़कों के विरुद्ध पीड़क-प्रतिरोध का गुण देते हैं।
2. GM सरसों में वे जीन होते हैं, जो पादप में पर-परागण और संकरण को सुकर बनाते हैं।
3. GM सरसों का विकास IARI और पंजाब कृषि विश्वविद्यालय द्वारा संयुक्त रूप से किया गया है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
(a) केवल 1 और 3
(b) केवल 2
(c) केवल 2 और 3
(d) 1, 2 और 3
[I.A.S. (Pre) 2018]
उत्तर – (b) केवल 2
- दिल्ली विश्वविद्यालय के ‘सेंटर फॉर जेनेटिक मैनीपुलेशन ऑफ क्रॉप प्लांट्स’ के वैज्ञानिकों ने GM सरसों का विकास किया है, जिसमें एक मृदा जीवाणु से दो जीन (barnase & barstar) गविष्ट कराए गए हैं, जो इसमें पर-परागण एवं संकरण को सुकर बनाते हैं।
- ये जीन पादप को अनेक किस्मों के पीड़कों के विरुद्ध पीड़क-प्रतिरोध का गुण नहीं देते हैं।
- अतः विकल्प (b) अभीष्ट उत्तर होगा।
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43. निम्नलिखित तकनीकों/परिघटनाओं पर विचार कीजिए:
1. फल वाले पादपों में मुकुलन और रोपण
2. कोशिकाद्रव्यी नर बंध्यता
3. जीन नीरवता
उपर्युक्त में से कौन-सा/से ट्रांसजेनिक फसलों को बनाने में प्रयुक्त होता है/होते हैं?
(a) केवल 1
(b) 2 और 3
(c) 1 और 3
(d) कोई नहीं
[I.A.S. (Pre) 2014]
उत्तर – (b) 2 और 3
- ट्रांसजेनिक फसलों को बनाने में प्रयुक्त होता है-
- (1) कोशिकाद्रव्यी नर बंध्यता (Cytoplasmic Male Sterility)
- (2) जीन नीरवता (Gene Silencing)
- मुकुलन एवं रोपण से पादपों की आनुवंशिक संरचना नहीं बदलती।
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44. जीवों के निम्नलिखित प्रकारों पर विचार कीजिए:
1. जीवाणु
2. कवक
3. पुष्पीय पादप
उपर्युक्त जीव-प्रकारों में से किसकी/किनकी कुछ जातियों को जैव पीड़कनाशियों के रूप में प्रयोग किया जाता है?
(a) केवल 1
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2 और 3
[I.A.S. (Pre) 2012]
उत्तर – (d) 1, 2 और 3
- बैसिलस थूरिनजिएंसिस एक जीवाणु है, जिसका प्रयोग जैव-कीटनाशक के तौर पर किया जाता है।
- ‘ब्यूवेरिया बैसियाना’ (Beauveria bassiana) नामक कवक भी एक प्रमुख जैव-कीटनाशक है।
- जैव कीटनाशक के रूप में प्रयुक्त होने वाले पुष्पीय पादप का सर्वश्रेष्ठ उदाहरण नीम है।
- जैव कीटनाशकों का पर्यावरण पर कोई हानिकारक प्रभाव नहीं पड़ता है, क्योंकि इनके अवशेष बायोडिग्रेडेबल होते हैं।
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45. इनमें से कौन-सा एक सूक्ष्मजीवी कीटनाशक है?
(a) बैसिलस यूरिजिएंसिस
(b) बैसिलस सब्टाइलिस
(c) बैसिलस पोलीमिक्सा
(d) बैसिलस ब्रेविस
[Chhattisgarh P.C.S. (Pre) 2018]
उत्तर – (a) बैसिलस यूरिजिएंसिस
- बीटी या बैसिलस थुरिजिएंसिस (Bacillus thuringiensis) मृदा में पाया जाने वाला एक ग्राम पॉजिटिव जीवाणु है।
- यह अपने जीवन-काल की कुछ अवस्था में कीटनाशक प्रोटीन का उत्पादन करता है।
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46. भारतीय किसान ‘टर्मिनेटर बीज प्रौद्योगिकी’ के प्रवेश से असंतुष्ट हैं, क्योंकि इस प्रौद्योगिकी से उत्पादित बीजों से संभावना होती है-
(a) खराब अंकुरण दिखने की
(b) उच्च गुणता के बावजूद अल्प उपज वाले पौधे बनने की
(c) लैंगिक रूप से बांझ पौधों के उगने की
(d) अंकुरणक्षम बीज बनाने में असमर्थ पौधों के उगने की
[I.A.S. (Pre) 1999]
उत्तर – (d) अंकुरणक्षम बीज बनाने में असमर्थ पौधों के उगने की
- भारतीय किसान ‘टर्मिनेटर बीज प्रौद्योगिकी’ (Terminator Seeds Technology) के प्रदेश से असंतुष्ट हैं, क्योंकि इस प्रौद्योगिकी से उत्पादित बीजों से अंकुरणक्षम बीज बनाने में असमर्थ पौधों के उगने की संभावना होती है।
- इसमें एक त्रि-जीनों की श्रृंखला डाली जाती है, तब जाकर किसी भी फसल में टर्मिनेटर टेक्नोलॉजी कार्य करती है।
- प्रथम जीन भ्रूण की अंकुरण क्षमता को पूर्णतया समाप्त कर देता है।
- यह जीन कब सक्रिय हो इसका नियमन रिकम्बाइनेज एंजाइम करता है, जो दूसरा जीन पैदा करता है तथा तीसरा जीन रिकम्बाइनेज का नियंत्रण करता है।
- टर्मिनेटर तकनीक के माध्यम से एक फसल के बीजों में डाला जाने वाला जीन बीजों को बंध्य कर देता है, जिससे टर्मिनेटर जीन वाले बीजों का किसानों द्वारा बुवाई के लिए एक ही बार प्रयोग किया जा सकता है।
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47. विकसित देशों द्वारा समर्पित टर्मिनेट तकनीक उपलब्ध कराती है-
(a) जैव तकनीकी द्वारा बीजों की उन्नत किरमों को जो दूसरी पीढ़ी के लिए बंध बीजों को उत्पन्न करने के लिए सुनिश्चित की गई है।
(b) ट्रांसजनिक बीजों को, जो एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक निरंतर उत्तम गुणों को संचारित करती रहेगी।
(c) फसलों के रोगों को चयनित समाप्ति हेतु।
(d) संकर बीजों को जो खाए तो जा सकते हैं, किंतु उगाए नहीं जा सकते।
[U.P.P.C.S. (Pre) 1999]
उत्तर – (a) जैव तकनीकी द्वारा बीजों की उन्नत किरमों को जो दूसरी पीढ़ी के लिए बंध बीजों को उत्पन्न करने के लिए सुनिश्चित की गई है।
- टर्मिनेटर तकनीक के माध्यम से एक फसल के बीजों में डाला जाने वाला जीन बीजों को बंध्य कर देता है, जिससे टर्मिनेटर जीन वाले बीजों का किसानों द्वारा बुवाई के लिए एक ही बार प्रयोग किया जा सकता है।
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48. टर्मिनेटर तकनीक उसके द्वारा उत्पन्न निम्न में से किसकी बिकवारी के लिए है?
(a) ट्रांसजेनिक उपजाऊ बीज।
(b) जीन परिवर्तित पौधे।
(c) जेनेटिक रूप से अभियंत्रित बीज, जो दूसरी पीढ़ी में बंध्यग्रस्त होते हैं।
(d) उपर्युक्त सभी।
[U.P.P.C.S. (Mains) 2004]
उत्तर – (d) उपर्युक्त सभी।
- भारतीय किसान ‘टर्मिनेटर बीज प्रौद्योगिकी’ (Terminator Seeds Technology) के प्रदेश से असंतुष्ट हैं, क्योंकि इस प्रौद्योगिकी से उत्पादित बीजों से अंकुरणक्षम बीज बनाने में असमर्थ पौधों के उगने की संभावना होती है।
- इसमें एक त्रि-जीनों की श्रृंखला डाली जाती है, तब जाकर किसी भी फसल में टर्मिनेटर टेक्नोलॉजी कार्य करती है।
- प्रथम जीन भ्रूण की अंकुरण क्षमता को पूर्णतया समाप्त कर देता है।
- यह जीन कब सक्रिय हो इसका नियमन रिकम्बाइनेज एंजाइम करता है, जो दूसरा जीन पैदा करता है तथा तीसरा जीन रिकम्बाइनेज का नियंत्रण करता है।
- टर्मिनेटर तकनीक के माध्यम से एक फसल के बीजों में डाला जाने वाला जीन बीजों को बंध्य कर देता है, जिससे टर्मिनेटर जीन वाले बीजों का किसानों द्वारा बुवाई के लिए एक ही बार प्रयोग किया जा सकता है।
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49. निम्नलिखित में से किसका / किनका मापन/आकलन करने के लिए उपग्रह चित्रों/सुदूर संवेदी आंकड़ों का इस्तेमाल किया जाता है?
1. किसी विशेष स्थान की वनस्पति में पर्णहरित का अंश
2. किसी विशेष स्थान के धान के खेतों से ग्रीनहाउस गैस का उत्सर्जन
3. किसी विशेष स्थान का भू-पृष्ठ तापमान
नीचे दिए गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिए-
(a) केवल 1
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 3
(d) 1, 2 और 3
[I.A.S. (Pre) 2019]
उत्तर – (d) 1, 2 और 3
- किसी विशेष स्थान की वनस्पति में पर्णहरित का अंश हाइपर स्पेक्ट्रल तथा मल्टी स्पेक्ट्रल इमेजिंग तकनीक द्वारा उपग्रह से आंकड़े प्राप्त कर ज्ञात किया जाता है।
- सुदूर संवेदी उपग्रहों द्वारा शार्ट वेव इंफ्रारेड (SWIR), थर्मल इंफ्रारेड (TIR), मर्लिन लिडार (Merlin Lidar) आदि तकनीकों से विभिन्न स्थानों से उत्सर्जित ग्रीनहाउस गैसों की मात्रा का आकलन किया जाता है।
- इसी प्रकार थर्मल इंफ्रारेड के माध्यम से भू-पृष्ठ तापमान का भी मापन किया जाता है।
- अतः प्रश्नगत तीनों कथन सत्य हैं।
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50. साधारणतः ओरोबैंकी खरपतवार पाया जाता है-
(a) तंबाकू के खेत में
(b) चने के खेत में
(c) धान के खेत में
(d) गेहूं के खेत में
[U.P.R.O./A.R.O. (Pre) 2014]
उत्तर – (a) तंबाकू के खेत में
- ओरोबैंकी खरपतवार (Orobanche) या (Broomrapes Weed) एक परजीवी किस्म का पौधा है, जो कि तंबाकू (Tobacco) के अलावा आलू और टमाटर के खेत में पाया जाता है।
- इसकी विश्व के शीतोष्ण और उष्णकटिबंधीय भागों में लगभग 150 प्रजातियां पाई जाती हैं।
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51. निम्नलिखित में कौन परजीनी (Transgenic) पादप है?
(a) बक व्हीट
(b) मैकेरोनी व्हीट
(c) गोल्डेन राइस
(d) ट्रिटिकेल
[U.P.P.C.S. (Mains) 2012]
उत्तर – (c) गोल्डेन राइस
- गोल्डेन राइस एक परजीनी या ट्रांसजेनिक पादप है, जिसे जेनेटिक इंजीनियरिंग की मदद से तैयार किया गया है।
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52. कथन (A): ‘गोल्डेन राइस’ जैव प्रौद्योगिकी एक ऐसी उपलब्धि है, जो उपभोक्ताओं के लिए भी उतनी ही लाभप्रद है जितनी कि किसानों के लिए।
कारण (R): इस चावल का पीलापन बीटा कैरोटीन की अधिक मात्रा को प्रदर्शित करता है, जो यौगिक शरीर में विटामिन ‘ए’ से परिवर्तित होता है।
कूटः
(a) दोनों (A) तथा (R) दोनों सही हैं तथा (R), (A) का सही कारण है।
(b) दोनों (A) तथा (R) दोनों सही हैं, परंतु (R), (A) का सही कारण नहीं है।
(c) (A) सही है, परंतु (R) गलत है।
(d) (A) गलत है, परंतु (R) सही है।
[U.P.P.C.S. (Pre) 2000]
उत्तर – (a) दोनों (A) तथा (R) दोनों सही हैं तथा (R), (A) का सही कारण है।
- गोल्डेन राइस (सुनहरा धान) जैव प्रौद्योगिकी उपलब्धि है, जिसके जन्मदाता प्रो. इंगो पोट्रीक्स तथा डॉ. पीटर बेयर हैं।
- इस चावल का रंग सुनहरा (golden) होता है, इसमें बीटा कैरोटीन (B-Carotene) बनाने वाला जीन डाला गया है, जो हमारे शरीर में पहुंचने पर विटामिन ‘ए’ में परिवर्तित हो जाता है तथा यह विटामिन नेत्रों के लिए अत्यावश्यक है।
- ध्यातव्य है कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर धान अनुसंधान के क्षेत्र में यह अब तक की सबसे बड़ी उपलब्धि है।
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53. सुनहरी (गोल्डन) चावल है-
(a) चावल की एक जंगली किस्म जिसमें पीले रंग के चावल होते हैं
(b) चीन की पीली नदी के तट पर उगाई गई चावल की एक किस्म
(c) लंबे समय के उपरांत पीली आभा (टिंट) वाले चावल
(d) एक ट्रांसजेनिक चावल की किरम, जिसमें कैरोटीन के लिए जीन उपलब्ध है
[R.A.S./R.T.S. (Pre) 2013]
उत्तर – (d) एक ट्रांसजेनिक चावल की किरम, जिसमें कैरोटीन के लिए जीन उपलब्ध है
- इस चावल का रंग सुनहरा (golden) होता है, इसमें बीटा कैरोटीन (B-Carotene) बनाने वाला जीन डाला गया है।
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54. विश्व में लगभग 250 लाख बच्चों को प्रभावित करने वाली विटामिन-A हीनता से लड़ने की क्षमता वाले ‘गोल्डन राइस’ की प्रमुख उपयोगिता उसके दाने में जिसकी प्रचुरता के कारण होती है, वह है-
(a) बीटा कैरोटीन
(b) थायमिन
(c) एस्कॉर्बिक अम्ल
(d) कैल्सिफेरॉल
[U.P.P.C.S. (Mains) 2002]
उत्तर – (a) बीटा कैरोटीन
- इस चावल का रंग सुनहरा (golden) होता है, इसमें बीटा कैरोटीन (B-Carotene) बनाने वाला जीन डाला गया है, जो हमारे शरीर में पहुंचने पर विटामिन ‘ए’ में परिवर्तित हो जाता है तथा यह विटामिन नेत्रों के लिए अत्यावश्यक है।
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55. सुनहरा धान में प्रचुरता है-
(a) विटामिन ए की
(c) विटामिन सी की
(b) विटामिन बी की
(d) विटामिन डी की
[U.P.P.C.S. (Spl.) (Mains) 2008]
उत्तर – (a) विटामिन ए की
- सुनहरा चावल (Golden Rice) औरिजा सैटिवा चावल की एक किस्म है, इसमें आयरन, जिंक एवं विटामिन ए जैसे तत्वों की प्रचुरता है।
- इस चावल का विकास उन क्षेत्रों में प्रयोग करने के लिए किया गया था, जहां आहार के रूप में ग्रहण किए जाने वाले विटामिन ए की कमी है।
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56. गोल्डेन चावल एक प्रचुरतम स्रोत है-
(a) विटामिन A
(b) विटामिन B
(c) विटामिन C
(d) विटामिन D
[U.P.R.O./A.R.O. (Mains) 2014]
उत्तर – (a) विटामिन A
- इस चावल का रंग सुनहरा (golden) होता है, इसमें बीटा कैरोटीन (B-Carotene) बनाने वाला जीन डाला गया है, जो हमारे शरीर में पहुंचने पर विटामिन ‘ए’ में परिवर्तित हो जाता है तथा यह विटामिन नेत्रों के लिए अत्यावश्यक है।
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57. सुनहरे चावल में बीटा कैरोटीन जीन कहां से आता है?
(a) गाजर
(b) डैफोडिल
(c) चुकंदर
(d) पपीता
[Jharkhand P.C.S. (Pre) Exam. 2016]
उत्तर – (b) डैफोडिल
- गोल्डेन राइस (सुनहरा धान) जैव प्रौद्योगिकी की उपलब्धि है, जिसके जन्मदाता प्रो. इंगो पोट्रीक्स तथा डॉ. पीटर बेयर हैं।
- इस चावल का रंग सुनहरा (Golden) होता है।
- इसके जीनोम में दो जीन डैफोडिल से तथा एक जीन एर्वीनिया यूरेडोवोरा नामक जीवाणु से निवेशित (Inserted) किया जाता है।
- ये तीनों जीन चावल के अपरिपक्व भ्रूणपोष में प्राकृतिक रूप से पाए जाने वाले यौगिक जिरेर्निल जिरेनिल डाईफॉस्फेट (GGDP) को बीटा कैरोटीन में परिवर्तित करने हेतु आवश्यक एंजाइम उत्पन्न करता है।
- बीटा कैरोटीन हमारे शरीर में पहुंचने पर विटामिन ‘ए’ में परिवर्तित हो जाता है तथा यह विटामिन नेत्रों के लिए अत्यावश्यक है।
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58. ‘महाधान’ (सुपर राइस) विकसित किया:
(a) एम. एस. स्वामीनाथन ने
(b) जी. एस. खुश ने
(c) एन. ई. बोरलॉग ने
(d) पी. के. गुप्ता ने
[U.P.P.C.S. (Pre) 2007]
उत्तर – (b) जी. एस. खुश ने
- महाधान (Super Rice) का विकास फिलीपींस स्थित अंतरराष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान (IRRI) के मुख्य प्रजनक डॉ. गुरुदेव सिंह खुश (G. S. Khush) द्वारा किया गया है। इन्होंने वर्ष 1989 में महाधान पर अनुसंधान कार्य प्रारंभ किया था।
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59. कथन (A): मानव में संतान के लिंग निर्धारण (Sex Determination) में स्त्रियों की प्रमुख भूमिका होती है।
कारण (R): स्त्रियों में दो ‘X’ गुणसूत्र (Chromosomes) होते हैं। कूट :
(a) (A) और (R) दोनों सही हैं, और (R), (A) का सही स्पष्टीकरण है।
(b) (A) और (R) दोनों सही हैं, और (R), (A) का सही स्पष्टीकरण नहीं है।
(c) (A) सही है, परंतु (R) गलत है।
(d) (A) गलत है, परंतु (R) सही है।
[I.A.S. (Pre) 2000]
उत्तर – (d) (A) गलत है, परंतु (R) सही है।
- मानव में संतान के लिंग निर्धारण (Sex determination) में पुरुषों की प्रमुख भूमिका होती है, क्योंकि पुरुषों में XY लिंग गुणसूत्र पाए जाते हैं, जबकि स्त्रियों में लिंग गुणसूत्र XX पाए जाते हैं।
- अर्द्धसूत्री विभाजन द्वारा युग्म को अर्थात शुक्राणु (Sperm) तथा अंडाणु (Ovum) का निर्माण होता है तथा ये अगुणित (Haploid) होते हैं।
- इन युग्मकों के निषेचन से युग्मनज (Zygote) बनते हैं, जिससे बालक में 44+XY गुणसूत्र तथा बालिकाओं में 44+XX गुणसूत्र होते हैं।
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60. पुरुष जीन संघटन होता है-
(a) XX
(b) XY
(c) X
(d) Y
[43 B.P.S.C. (Pre) 1999]
उत्तर – (b) XY
- मानव में संतान के लिंग निर्धारण (Sex determination) में पुरुषों की प्रमुख भूमिका होती है, क्योंकि पुरुषों में XY लिंग गुणसूत्र पाए जाते हैं।
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61. मनुष्य में कौन-से क्रोमोसोम के मिलने से बालक का जन्म होता है?
(a) पुरुष का X और स्त्री का X
(b) पुरुष का X और स्त्री का Y
(c) पुरुष का Y और स्त्री का X
(d) पुरुष का Y और स्त्री का Y
[M.P.P.C.S. (Pre) 2005]
उत्तर – (c) पुरुष का Y और स्त्री का X
- मानव में संतान के लिंग निर्धारण (Sex determination) में पुरुषों की प्रमुख भूमिका होती है, क्योंकि पुरुषों में XY लिंग गुणसूत्र पाए जाते हैं, जबकि स्त्रियों में लिंग गुणसूत्र XX पाए जाते हैं।
- अर्द्धसूत्री विभाजन द्वारा युग्म को अर्थात शुक्राणु (Sperm) तथा अंडाणु (Ovum) का निर्माण होता है तथा ये अगुणित (Haploid) होते हैं।
- इन युग्मकों के निषेचन से युग्मनज (Zygote) बनते हैं, जिससे बालक में 44+XY गुणसूत्र तथा बालिकाओं में 44+XX गुणसूत्र होते हैं।
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62. एमनियोसेण्टीसिस एक तरीका है, जो बताता है-
(a) भ्रूण के लिंग को
(b) अमीनो एसिड के प्रकार को
(c) प्रोटीन में अमीनो एसिड के अनुक्रम को
(d) हॉर्मोन के प्रकार को
[U.P.P.C.S. (Pre) 2011]
उत्तर – (a) भ्रूण के लिंग को
- ‘एमनियोसेण्टीसिस’, (Amniocentesis) गर्भवती महिलाओं में किया जाने वाला एक प्रसव-पूर्व परीक्षण है, जिसके तहत विभिन्न प्रकार के जन्म-दोषों जैसे डाउन सिंड्रोम तथा गुणसूत्र विषमता आदि की जांच की जाती है।
- इस परीक्षण के तहत विकसित हो रहे भ्रूण के चारों ओर विद्यमान ‘उल्बीय द्रव’ (Amniotic fluid) की कुछ मात्रा निकालकर उसका विश्लेषण किया जाता है।
- इसमें भ्रूण का लिंग परीक्षण भी किया जा सकता है।
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63. कथन (A): वैज्ञानिक DNA अणुओं को, चाहे वे अणुओं के किसी भी स्रोत से हों, इच्छानुसार अलग-अलग काट और एक साथ जोड़ सकते है।
कारण (R) : DNA के टुकड़ों को, रेस्ट्रिक्शन एंडोन्यूक्लिएज तथा DNA लाईगेज का उपयोग कर, जोड़ा-तोड़ा जा सकता है।
(a) दोनों (A) तथा (R) दोनों सही हैं तथा (R), (A) का सही कारण है।
(b) दोनों (A) तथा (R) दोनों सही हैं, परंतु (R), (A) का सही कारण नहीं है।
(c) (A) सही है, परंतु (R) गलत है।
(d) (A) गलत है, परंतु (R) सही है।
[I.A.S. (Pre) 2001]
उत्तर – (a) दोनों (A) तथा (R) दोनों सही हैं तथा (R), (A) का सही कारण है।
- जेनेटिक इंजीनियरिंग [(आनुवंशिकी अभियांत्रिकी (Genetic Engi- neering)] द्वारा DNA को रिस्ट्रिक्शन एंडोन्यूक्लिएज एंजाइम द्वारा टुकड़ों में खंडित तथा डी.एन.ए. लाइगेज (DNA ligase) एंजाइम द्वारा इन DNA के खंडों को परस्पर जोड़ा जा सकता है।
- रिस्ट्रिक्शन एंडोन्यूक्लिएज एंजाइम को सर्वप्रथम नाथन्स एवं स्मिथ ने हीमोफिलस इंफ्लूएंजी नामक जीवाणुओं से प्राप्त किया था, जिसके लिए इन्हें नोबेल पुरस्कार (1978 ई.) दिया गया।
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64. प्रायः समाचारों में आने वाला Cas9 प्रोटीन क्या है?
(a) लक्ष्य-साधित जीन संपादन (टारगेटेड जीन एडिटिंग) में प्रयुक्त आण्विक कैंची
(b) रोगियों में रोगजनकों की ठीक-ठीक पहचान के लिए प्रयुक्त जैव संवेदक
(c) एक जीन जो पादपों को पीड़क-प्रतिरोधी बनाता है
(d) आनुवंशिकतः रूपांतरित फसलों में संश्लेषित होने वाला एक शाकनाशी पदार्थ
[I.A.S. (Pre) 2019]
उत्तर – (a) लक्ष्य-साधित जीन संपादन (टारगेटेड जीन एडिटिंग) में प्रयुक्त आण्विक कैंची
- Cas9 प्रोटीन (Cas9: CRISPR associated protein9) वस्तुतः लक्ष्य- साधित जीन संपादन (Targeted Gene Editing) में प्रयुक्त आण्विक कैंची है।
- इसका मुख्य कार्य डीएनए को काटना है।
- अतः स्पष्ट है कि यह कोशिका के जीनोम में परिवर्तन करने में सक्षम है।
- जीन संपादन की क्रिस्पर (CRISPR: Clustered, Regularly Interspaced Short Palindromic Repeats) /Cas9 तकनीक में CRISPR डीएनए अनुक्रमों के नियमित पुनरावृत्ति पैटर्न को दर्शाता है, जिसमें प्रत्येक पुनरावृत्ति के बाद के स्पेसर डीएनए खंड को एडिट करने हेतु Cas9 नामक संशोधित प्रोटीन का प्रयोग किया जाता है।
- इसके द्वारा किसी कोशिका के डीएनए को निर्धारित स्थान पर काटकर जीनों को हटाया या नए जीनों से प्रतिस्थापित किया जा सकता है तथा कोशिका में अपेक्षित प्रतिरोधी लक्षण प्राप्त किए जा सकते हैं।
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65. जैव सूचना-विज्ञान (बायोइन्फॉर्मेटिक्स) में घटनाक्रमों/गतिविधि के संदर्भ में समाचारों में कभी-कभी दिखने वाला पद ‘ट्रांसक्रिप्टोम’ (Transcriptome) किसे निर्दिष्ट करता है?
(a) जीनोम संपादन (जीनोम एडिटिंग) में प्रयुक्त एंजाइमों की एक श्रेणी
(b) किसी जीव द्वारा अभिव्यक्त mRNA अणुओं की पूर्ण श्रृंखला
(c) जीन अभिव्यक्ति की क्रियाविधि का वर्णन
(d) कोशिकाओं में होने वाले आनुवंशिक उत्परिवर्तनों की एक क्रियाविधि
[I.A.S. (Pre) 2016]
उत्तर – (b) किसी जीव द्वारा अभिव्यक्त mRNA अणुओं की पूर्ण श्रृंखला
- किसी जीनोम द्वारा संश्लेषित संपूर्ण mRNA अणुओं को ट्रांसक्रिप्टोम कहते हैं।
- ट्रांसक्रिप्टोम कोशिका की दृश्य गतिविधियों और उसके जीनोम में अदृश्य कूट निर्देशों के बीच की गतिमान कड़ी बनाता है।
- कोई भी प्राणी बदलती परिस्थितियों के साथ कैसे और कितना सामंजस्य स्थापित कर पाता है, इसका पूरा कच्चा चिट्ठा उसके ट्रांसक्रिप्टोम में मिल सकता है।
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66. ‘RNA अंतक्षेप [RNA इंटरफेरेंस (RNAi)|’ प्रौद्योगिकी ने पिछले कुछ वर्षों में लोकप्रियता हासिल कर ली है, क्यों?
1. यह जीन अनभिव्यक्तिकरण (जीन साइलेंसिंग) रोगोपचारों के विकास में प्रयुक्त होता है।
2. इसे कैंसर की चिकित्सा में रोगोपचार विकसित करने हेतु प्रयुक्त किया जा सकता है।
3. इसे हॉर्मोन प्रतिस्थापन रोगोपचार विकसित करने हेतु प्रयुक्त किया जा सकता है।
4. इसे ऐसी फसल पादपों को उगाने के लिए प्रयुक्त किया जा सकता है, जो विषाणु रोगजनकों के लिए प्रतिरोधी हो।
नीचे दिए गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिए-
(a) 1, 2 और 4
(b) 2 और 3
(c) 1 और 3
(d) केवल 1 और 4
[I.A.S. (Pre) 2019]
उत्तर – (a) 1, 2 और 4
- RNA अंतक्षेप (RNAi: RNA interference) एक जैविक प्रक्रिया है, जिसमें RNA अणु लक्ष्यित mRNA (Messenger RNA) अणुओं को निष्प्रभावी कर जीन अभिव्यक्ति (Gene expression) को बाधित करते हैं।
- यह प्रौद्योगिकी जीन अनभिव्यक्तिकरण (Gene silencing) रोगोपचारों के विकास में प्रयुक्त होती है तथा इसे कैंसर रोगियों के उपचार में भी प्रभावी पाया गया है।
- साथ ही इसका विषाणु रोगजनकों (Viral pathogens) के लिए प्रतिरोधी फसल पादपों के विकास में भी प्रयोग किया जा रहा है।
- हार्मोन प्रतिस्थापन रोगोपचारों के विकास में RNA अंतक्षेप का कोई योगदान नहीं है। इस प्रकार प्रश्नगत कथन 1,2 और 4 सही हैं।
- उल्लेखनीय है कि 10 अगस्त, 2018 को यूएस फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (USFDA) द्वारा पहली बार RNA इंटरफेरेंस आधारित उपचार को स्वीकृति प्रदान की गई।
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67. मानव प्रजनन तकनीकी में अभिनव प्रगति के संदर्भ में, “प्राक्केंद्रिक स्थानांतरण” (Pronuclear Transfer) का प्रयोग किस लिए होता है?
(a) इन विट्रो अंड के निषेचन के लिए दाता शुक्राणु का उपयोग
(b) शुक्राणु उत्पन्न करने वाली कोशिकाओं का आनुवंशिक रूपांतरण
(c) स्टेम (Stem) कोशिकाओं का कार्यात्मक भ्रूणों में विकास
(d) संतान में सूत्रकणिका वाले रोगों का निरोध
[I.A.S. (Pre) 2020]
उत्तर – (d) संतान में सूत्रकणिका वाले रोगों का निरोध
- मानव प्रजनन तकनीकी में अभिनव प्रगति के संदर्भ में, ‘प्राक्केंद्रिक स्थानांतरण’ (Pronuclear Transfer) का प्रयोग संतान में होने वाले सूत्रकणिका संबंधी आनुवंशिक (mt DNA) रोगों के प्रसार को रोकने हेतु किया जाता है।
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68. दिया गया है:
1. रुधिर कोशिकाएं
2. अस्थि कोशिकाएं
3. बाल रज्जु
4. लार (सलाइवा)
अपराध की जांच में डी.एन.ए. परीक्षण हेतु जो नमूने लिए जाते हैं, वे हो सकते हैं-
कूट :
(a) केवल 1, 2 और 3
(b) केवल 1 और 4
(c) केवल 2 और 3
(d) 1, 2, 3 और 4
[U.P.P.C.S. (Pre) 2008]
उत्तर – (d) 1, 2, 3 और 4
- अपराध की जांच में DNA परीक्षण हेतु निम्न का नमूना लिया जाता है-
- 1. रुधिर कोशिकाएं
- 2. अस्थि कोशिकाएं
- 3. बाल रज्जु
- 4. लार इत्यादि।
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69. जीन अणु (डी.एन.ए.) की संरचना को सबसे पहले किसने रेखांकित किया?
(a) डॉ. मेघनाद साहा
(b) डॉ. स्टीफन हाकिंग
(c) डॉ. जेम्स वॉटसन और डॉ. फ्रांसिस क्रिक
(d) डॉ. एलेक्जेंडर फ्लेमिंग
[M.P.P.C.S. (Pre) 1994]
उत्तर – (c) डॉ. जेम्स वॉटसन और डॉ. फ्रांसिस क्रिक
- डॉ. जेम्स वॉटसन, डॉ. फ्रांसिस क्रिक, एम.एच.एफ. विल्किन्स तथा आर. फ्रैंकलिन नामक वैज्ञानिकों ने एक्स-रे विश्लेषण द्वारा वर्ष 1953 में जीन अणु (डी.एन.ए.) का कुण्डलीदार (सर्पिलाकार सीढ़ी सदृश्य) विन्यास प्रस्तुत किया।
- इनके अनुसार, एक सीढ़ी की भांति DNA का अणु सीधा नहीं होता है।
- सीढ़ी के दो लंबे डंडे एक के अक्ष रेखा के चारों ओर द्विचक्राकार रचना (Double helix) बना लेते हैं।
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70. जेम्स डी. वॉटसन तथा फ्रांसिस क्रिक का संबंध निम्नलिखित में से किस खोज से है?
(a) वैक्सीन
(b) DNA की संरचना
(c) मलेरिया निवारक औषधि
(d) पेनिसिलीन
[U.P.P.C.S. (Mains) 2012]
उत्तर – (b) DNA की संरचना
- डॉ. जेम्स वॉटसन, डॉ. फ्रांसिस क्रिक, एम.एच.एफ. विल्किन्स तथा आर. फ्रैंकलिन नामक वैज्ञानिकों ने एक्स-रे विश्लेषण द्वारा वर्ष 1953 में जीन अणु (डी.एन.ए.) का कुण्डलीदार (सर्पिलाकार सीढ़ी सदृश्य) विन्यास प्रस्तुत किया।
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71. डी.एन.ए. के द्विहेलिक्स प्रारूप को पहली बार किसने प्रस्तावित किया था?
(a) वॉटसन तथा क्रिक ने
(b) फिशर तथा हालडानी ने
(c) लैमार्क तथा डार्विन ने
(d) ह्यूगो डि ब्रीज़ ने
[U.P.P.C.S. (Pre) 2012]
उत्तर – (a) वॉटसन तथा क्रिक ने
- डॉ. जेम्स वॉटसन, डॉ. फ्रांसिस क्रिक, एम.एच.एफ. विल्किन्स तथा आर. फ्रैंकलिन नामक वैज्ञानिकों ने एक्स-रे विश्लेषण द्वारा वर्ष 1953 में जीन अणु (डी.एन.ए.) का कुण्डलीदार (सर्पिलाकार सीढ़ी सदृश्य) विन्यास प्रस्तुत किया।
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72. डी.एन.ए. को किसने अंतःपान्त्र में बनाया?
(a) ऑर्थर कोर्नबर्ग
(b) रॉबर्ट हुक
(c) एडवर्ड जेनर
(d) जोसेफ लिस्टर
[56th to 59th B.P.S.C. (Pre) 2015]
उत्तर – (a) ऑर्थर कोर्नबर्ग
- ऑर्थर कोर्नबर्ग ने सर्वप्रथम डी.एन.ए. को अंतःपात्र में बनाया।
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73. नोबेल पुरस्कार विजेता वैज्ञानिक जेम्स डी. वॉटसन को किस कार्यक्षेत्र में अपने कार्य के लिए जाना जाता है?
(a) धातु विज्ञान
(b) मौसम विज्ञान
(C) प्रर्यावरण संरक्षण
(d) आनवंशिकी
[I.A.S. (Pre) 2008]
उत्तर – (d) आनवंशिकी
- जेम्स डेवी वॉटसन अमेरिकी मालिक्यूलर बायोलॉजिस्ट हैं, जो जीन संरचना की खोजों के लिए प्रसिद्ध हुए हैं।
- डॉ. वॉटसन एवं फ्रांसिस क्रिक तथा मॉरिस विल्किन्स को संयुक्त रूप से वर्ष 1962 का चिकित्सा विज्ञान के क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार प्राप्त हुआ था।
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74. बायोचिप में क्या होता है?
(a) RNA
(b) DNA
(c) RNA तथा DNA
(d) RNA, DNA तथा प्रोटीन
[U.P.P.C.S. (Mains) 2008]
उत्तर – (d) RNA, DNA तथा प्रोटीन
- बायोचिप अर्द्धचालकों के समान ही एक चिप होती है, जिसमें इलेक्ट्रॉनिक परिपथ की जगह जैविक पदार्थ का प्रयोग किया जाता है।
- ये जैविक पदार्थ DNA, RNA तथा प्रोटीन के रूप में चिप की सतह से संबद्ध होता है।
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75. जेनिको प्रौद्योगिकी है-
(a) एड्स से बचने की रक्षा पद्धति
(b) खाद्य फसलों की प्रजाति को विकसित करने की विधि
(c) आनुवंशिक रोगों की पूर्व-सूचना प्राप्त करने की तकनीक
(d) मोतियाबिंद से बचाव की तकनीक
[U.P.P.C.S. (Pre) 1999]
उत्तर – (c) आनुवंशिक रोगों की पूर्व-सूचना प्राप्त करने की तकनीक
- जेनिको प्रौद्योगिकी (Genico Engineering) आनुवंशिक रोगों की पूर्व सूचना प्राप्त करने की तकनीक है।
- इस तकनीक के माध्यम से मां के गर्भ में स्थित शिशु में होने वाले विभिन्न प्रकार के रोगों की जानकारी भी प्राप्त हो सकेगी।
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76. निम्नलिखित में से कौन-सा कार्य जैव प्रौद्योगिकी की श्रेणी में आता है?
(a) औद्योगिक प्रक्रमों में जीवधारियों अथवा उनसे प्राप्त पदार्थों का उपयोग
(b) जैव अन्वेषण में प्रयुक्त होने वाली वस्तुओं का उत्पादन करने के लिए वाणिज्यिक उद्योगों के प्रक्रम का आधुनिकीकरण
(c) जैविक विकृतियों का अनुसंधान करने के लिए आधुनिक प्रौद्योगिकी का उपयोग
(d) जीव मंडल की वृद्धि के लिए औद्योगिक प्रौद्योगिकी का उपयोग
[I.A.S. (Pre) 1993]
उत्तर – (a) औद्योगिक प्रक्रमों में जीवधारियों अथवा उनसे प्राप्त पदार्थों का उपयोग
- संपूर्ण जीवों (मुख्यतः सूक्ष्म जीवों) या जीवों द्वारा उत्पन्न पदार्थों या जैव प्रक्रियाओं (biological processes) के औद्योगिक स्तर पर उपयोग को जैव प्रौद्योगिकी (Bio-technology) कहते हैं।
- उदाहरणार्थ, मदिरा उत्पादन के लिए यीस्ट कोशाओं (yeast cells) का उपयोग जैव प्रौद्योगिकी के अंतर्गत आता है।
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77. जैव-आवर्धन से तात्पर्य है:
(a) शरीर में कैंसर कोशिकाओं का तेजी से बढ़ना।
(b) उत्तरोत्तर पोषण स्तरों के जीवों में पीड़कनाशियों की मात्रा का बढ़ना
(c) शरीर के सूक्ष्मदर्शीय भागों को सूक्ष्मदर्शी से देखना।
(d) विशिष्ट क्षेत्र में एक जाति के सदस्यों की संख्या का अचानक बढ़ना।
[R.A.S/R.T.S. (Pre) 2008]
उत्तर – (b) उत्तरोत्तर पोषण स्तरों के जीवों में पीड़कनाशियों की मात्रा का बढ़ना
- किसी उत्तरोत्तर पोषण स्तर में जीवों में खरपतवारनाशी तथा कीटनाशी की सांद्रता का बढ़ जाना ‘जैव आवर्धन’ (Bio Magnification) कहलाता है।
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78. जीन अभियंत्रण में नवीनतम तकनीकी विकसित हुई है:
(a) जीन विश्लेषण
(b) जीन प्रतिचित्रण
(c) जीन समबंधन
(d) जीन संश्लेषण
[Uttarakhand P.C.S. (Pre) 2006]
उत्तर – (b) जीन प्रतिचित्रण
- जीन अभियंत्रण (Genetic engineering) में नवीनतम विकसित तकनीक जीन प्रतिचित्रण (Gene mapping) है।
- DNA अणुओं में न्यूक्लियोटाइड एकलकों के अनुक्रमों (Sequences) का तथा इन अनुक्रमों में जीनों का पता लगाकर DNA अणुओं के मानचित्र को तैयार किया जाता है, उसे Genomics या Gene Mapping कहते हैं।
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79. पीड़कों को प्रतिरोध के अतिरिक्त, वे कौन-सी संभावनाएं हैं, जिनके लिए आनुवंशिक रूप से रूपांतरित पादपों का निर्माण किया गया है?
1. सूखा सहन करने के लिए उन्हें सक्षम बनाना
2. उत्पाद में पोषकीय मान बढ़ाना
3. अंतरिक्ष यानों और अंतरिक्ष स्टेशनों में उन्हें उगने और प्रकाश- संश्लेषण करने के लिए सक्षम बनाना
4. उनकी शेल्फ लाइफ बढ़ाना
निम्नलिखित कूटों के आधार पर सही उत्तर चुनिए:
(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 3 और 4
(c) केवल 1, 2 और 4
(d) 1, 2, 3 और 4
[I.A.S. (Pre) 2012]
उत्तर – (c) केवल 3 और 4
- आनुवंशिक रूप से रूपांतरित पादपों को ऊतक संवर्धन तकनीक से उगाया जाता है और जेनेटिक इंजीनियरिंग के कमाल से उनमें नैसर्गिक जीनों के अतिरिक्त मनोवांछित जीन प्रविष्ट कराए जाते हैं, जिससे उनमें रोगरोधिता, कीटरोधिता या विषाणुरोधिता जैसे गुणों का समावेश हो जाता है।
- इससे भरपूर फसलें ली जा सकती हैं, पौष्टिकतायुक्त प्रोटीनें डाली जा सकती हैं और प्राकृतिक आपदाओं की मार झेलने में भी इन्हें सक्षम बनाया जा सकता है।
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80. जीवाणु भोजियों के संबंध में कौन-सा कथन सही है/हैं?
1. जीवाणुभोजी, विषाणु होते हैं, जो जीवाणुओं को संक्रमित करते हैं।
2. जीवाणुभोजी आनुवंशिक अभियांत्रिकी में प्रयुक्त होते हैं।
नीचे दिए गए कूट से सही उत्तर चुनिए-
कूट :
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 तथा 2 दोनों
(d) न तो 1 और न ही 2
[R.O./A.R.O. (Pre) Exam. 2017]
उत्तर – (c) 1 तथा 2 दोनों
- वे विषाणु जो जीवाणुओं को संक्रमित करते हैं, जीवाणुभोजी कहलाते हैं।
- आनुवंशिक अभियांत्रिकी में जीवाणुभोजी का उपयोग किया जाता है।
- अतः कथन 1 और 2 दोनों सही हैं।
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81. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए-
1. एडीनोवायरसों में एकल-तंतु डी.एन.ए. संजीन (जीनोम) होते है, जबकि रेट्रोवायरसों में द्वि-तंतु डी.एन.ए. संजीन (जीनोम) होते हैं।
2. कमी-कभी सामान्य जुकाम एडीनोवायरस के कारण होता है, जबकि एड्स (ए.आई.डी.एस.) रेट्रोवायरस के कारण होता है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा कौन-से सही है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो । और न ही 2
[I.A.S. (Pre) 2021]
उत्तर – (b) केवल 2
- एडीनोवायरस सामान्य विषाणु का एक समूह है, जो आंख, फेफड़ा, तंत्रिका तंत्र आदि को संक्रमित करता है।
- इससे बुखार, खासी, दस्त आदि समस्याएं उत्पन्न होती हैं।
- सामान्य सर्दी एडीनोवायरस के कारण होता है, जबकि एचआईवी रेट्रोवायरस के कारण होता है।
- एचआईवी को रेट्रोवायरस के रूप में वर्गीकृत किया गया है, क्योंकि इसमें रिवर्स ट्रांस-क्रिप्शन होता है।
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82. यदि मानव वृद्धि हॉर्मोन जीन का प्रयोग करके ऐसा चूहा पैदा किया जाए, जो चूहे के सामान्य आकार से आठ गुना बड़ा हो, तो इस तकनीक को कहेंगे-
(a) संकरण
(b) आनुवंशिक इंजीनियरी
(c) उत्परिवर्तन प्रजनन
(d) हॉर्मोनी भरण
[I.A.S. (Pre) 1993]
उत्तर – (b) आनुवंशिक इंजीनियरी
- प्रश्नानुसार, मानव वृद्धि हॉर्मोन (Human growth hormone) जीन का प्रयोग करके सामान्य आकार से आठ गुना बड़ा चूहा पैदा करने की तकनीक को आनुवंशिक इंजीनियरी (Genetic Engineering) कहेंगे।
- इस प्रकार इस तकनीक द्वारा न केवल जीनों के स्वरूप में संशोधन करके जीवों के आकार एवं गुणों को परिवर्तित किया जा सकता है. बल्कि इससे पूर्णतः एक नए जीवों का भी निर्माण किया जा सकता है।
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83. कथन (A): बलात्कार एवं हमले के मामलों में अपराधियों की पैतृकता एवं पहचान (Paternity and Identity) स्थापित करने में (DNA) फिंगर प्रिंट एक शक्तिशाली उपकरण बन गया है।
कारण (R) : (DNA) विश्लेषण के लिए बाल, लार एवं शुष्क वीर्य जैसे लेश साक्ष्य पर्याप्त हैं।
(a) दोनों (A) तथा (R) दोनों सही है तथा (R), (A) का सही कारण है।
(b) दोनों (A) तथा (R) दोनों सही हैं, परंतु (R), (A) का सही कारण नहीं है।
(c) (A) सही है, परंतु (R) गलत है।
(d) (A) गलत है, परंतु (R) सही है।
[I.A.S. (Pre) 2000]
उत्तर – (a) दोनों (A) तथा (R) दोनों सही है तथा (R), (A) का सही कारण है।
- बलात्कार, हत्या के मामले में अपराधियों की पहचान करना तथा पैतृकता को स्थापित करने, आनुवंशिक रोगों की पहचान करने इत्यादि मैं डी.एन.ए. फिंगर प्रिंटिंग का प्रयोग किया जाता है।
- इसके विश्लेषण हेतु अपराधी के बाल, लार तथा शुष्क वीर्य (Dry Semen) जैसे लेश साक्ष्य पर्याप्त हैं।
- यह जांच तकनीक इस तथ्य पर आधारित है कि किसी भी वंश एवं व्यक्ति के गुणसूत्रों (Chromosomes) को विशिष्ट आनुवंशिक गुण प्रदान करने वाले आधार DNA का एक निश्चित स्वरूप होता है, जो कि उस व्यक्ति एवं वंश के संबंधियों के अनुरूप ही होगा तथा किसी भी दो व्यक्तियों के DNA प्रतिरूप कभी भी एक समान नहीं हो सकते हैं।
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84. शिशु का पितृत्व स्थापित करने के लिए निम्नलिखित में से किस एक तकनीक का प्रयोग किया जा सकता है?
(a) प्रोटीन विश्लेषण
(b) गुण सूत्र गणन
(c) DNA का मात्रात्मक विश्लेषण
(d) DNA फिंगर प्रिंटिंग
[I.A.S. (Pre) 1997, U.P. U.D.A./L.D.A. (Spl.) (Pre) 2010]
उत्तर – (d) DNA फिंगर प्रिंटिंग
- शिशु का पितृत्व स्थापित करने हेतु DNA फिंगर प्रिंटिंग (DNA Finger Printing) तकनीक का प्रयोग किया जाता है।
- इसके अलावा इस तकनीक का उपयोग बलात्कार, हत्या जैसी सामाजिक कुरीतियों के मामले सुलझाना, आनुवंशिक रोगों की पहचान करना, पशुओं के वंशावली विश्लेषण तथा वांछित पेड़-पौधों के चयन के लिए किया जाता है।
- यह जांच तकनीक इस तथ्य पर आधारित है कि किसी भी वंश एवं व्यक्ति के गुणसूत्रों को विशिष्ट आनुवंशिक गुण प्रदान करने वाले आधार, DNA का एक निश्चित स्वरूप होता है, जो कि उस व्यक्ति एवं वंश के संबंधियों के अनुरूप ही होगा तथा किसी भी दो व्यक्ति के डी.एन.ए. प्रतिरूप कभी भी एक समान नहीं हो सकते हैं।
- इस तकनीक से डॉ. लाल जी सिंह का नाम जुड़ा है।
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85. पैतृकता सिद्ध करने के लिए निम्न में से कौन सहायक हैं?
(a) जीन थेरेपी
(b) जीन क्लोनिंग
(c) डी.एन.ए. रिकॉम्बिनेन्ट प्रौद्योगिकी
(d) डी.एन.ए. अंगुलीछाप
[U.P. Lower Sub. (Pre) 2002]
उत्तर – (d) डी.एन.ए. अंगुलीछाप
- शिशु का पितृत्व स्थापित करने हेतु DNA फिंगर प्रिंटिंग (DNA Finger Printing) तकनीक का प्रयोग किया जाता है।
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86. DNA फिंगर प्रिंटिंग का आधार है-
(a) द्वि-रज्जुक
(b) मूल अनुक्रम की त्रुटियां
(c) DNA प्रतिकृति
(d) DNA बहुरूपता
[R.A.S/R.T.S. (Pre) 2018]
उत्तर – (d) DNA बहुरूपता
- DNA फिगर प्रिंटिंग का आधार DNA बहुरूपता (DNA Polymorphism) है।
- मनुष्य के डीएनए में चार प्रकार के नाइट्रोजनी क्षार होते हैं, जिनका अनुक्रम भिन्न-भिन्न होता है।
- परंतु एक मनुष्य की सभी कोशिकाओं में इनका अनुक्रम समान होता है, जो उस मनुष्य एवं उसके वंश के संबंधियों के समान ही होता है, इस कारण एक व्यक्ति विशेष को अन्य व्यक्तियों से अलग किया जा सकता है।
- उल्लेखनीय है कि नाइट्रोजनी क्षारों के अनुक्रम के आधार पर किसी व्यक्ति विशेष के पहचान की विधि को DNA फिंगर प्रिंटिंग कहते हैं।
- इस तकनीक का विकास वर्ष 1985 में सर एलेक जेफ्रेज (Sir Alec Jeffreys) ने किया था।
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87. मानवों की पहचान को सुनिश्चित करने के लिए जैव प्रौद्योगिकी आधारित अत्याधुनिक तकनीक को काम में लाया जाता है :
(a) बायोमीट्रिक्स अन्वेषण
(b) जीनोम अनुक्रमण
(c) डी.एन.ए. फिंगर प्रिंटिंग
(d) गुणसूत्र प्ररूपण
[R.A.S./R.T.S. (Pre) 2012]
उत्तर – (c) डी.एन.ए. फिंगर प्रिंटिंग
- मातृत्व, पितृत्व या व्यक्तिगत पहचान को निर्धारित करने के लिए आजकल डी.एन.ए. फिंगर प्रिंटिंग तकनीक का उपयोग किया जाता है।
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88. डी.एन.ए. फिगर प्रिंटिंग के उपयोग द्वारा इंग्लैंड में पहला अपराध किस वर्ष में हल किया गया था?
(a) 1963
(b) 1973
(c) 1983
(d) 1993
[U.P.P.C.S. (Mains) 2006]
उत्तर – (c) 1983
- डी.एन.ए. फिंगर प्रिंटिंग तकनीक में किसी व्यक्ति के जैविक अंशों जैसे, रुधिर, बाल, लार, वीर्य या अन्य कोशिका स्रोतों के सहारे उसके डी. एन.ए. की पहचान की जाती है।
- वर्ष 1983 में इंग्लैंड में डी.एन.ए. फिंगर प्रिंटिंग द्वारा एक लड़की की हत्या का मामला हल किया गया था।
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89. डी.एन.ए. फिंगर प्रिंटिंग का उपयोग किन निम्न क्षेत्रों में होता है?
(a) केवल न्यायालयी छानबीन में सहायक वैज्ञानिक परीक्षण में
(b) केवल पैतृत्व विवाद में
(c) केवल संकटापन्न प्राणियों के रक्षण में
(d) उपरोक्त सभी क्षेत्रों में
[U.P.P.C.S. (Spl.) (Mains) 2004]
उत्तर – (d) उपरोक्त सभी क्षेत्रों में
- मानव शरीर की असंख्य कोशिकाएं शुक्राणु (Sperm) और अंडाणु (Ovum) के मिलने से बने युग्मज (Zygote) के अनगिनत विभाजन से बनती हैं।
- इस आदिकोशिका में माता और पिता द्वारा प्रदत्त गुणसूत्रों की संख्या समान होती है तथा इन गुणसूत्रों को विशेष आनुवंशिक गुणों को प्रदान करने वाला कारक डी.एन.ए. है।
- मनुष्य के डी.एन.ए. में धार प्रकार के नाइट्रोजनी क्षार होते हैं, जिनका अनुक्रम भिन्न-भिन्न होता है।
- परंतु एक मनुष्य की सभी कोशिकाओं में इनका अनुक्रम समान होता है, जो उस मनुष्य एवं उसके वंश के संबंधियों के समान ही होता है।
- इस कारण एक व्यक्ति विशेष को अन्य व्यक्तियों से अलग किया जा सकता है।
- नाइट्रोजनी क्षारों के अनुक्रम के आधार पर किसी व्यक्ति को पहचान की विधि को ‘डी.एन.ए. फिंगर प्रिंटिंग कहते हैं।
- इस तकनीक का विकास वर्ष 1985 में सर एलेक जेफ्रेज ने किया।
- इस तकनीक का प्रयोग न्यायालयी विश्लेषण, पैतृक आनुवंशिकता निर्धारण, संकटापन्न प्राणियों के रक्षण आदि में किया जाता है।
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90. कथन (A): “डी.एन.ए. फिंगर प्रिंटिंग” पितृत्व स्थापन तथा बलात्कार वादों में अपराधियों की पहचान हेतु एक महत्वपूर्ण परीक्षण बन गया है।
कथन (B): डी. एन. ए. परीक्षण हेतु बाल, सूखे रक्त व वीर्य के सूक्ष्म नमूने पर्याप्त होते हैं।
नीचे दिए गए कूटों की सहायता से सही उत्तर का चयन कीजिए:
(a) कथन (A) तथा कारण (R) दोनों सत्य है तथा कारण (R), कथन (A) का सही स्पष्टीकरण है।
(b) कथन (A) तथा कारण (R) दोनों सत्य हैं, लेकिन कारण (R) कथन (A) का सही स्पष्टीकारण नहीं है।
(c) कथन (A) सत्य है तथा कारण (R) असत्य है।
(d) कथन (A) असत्य है तथा कारण (R) सत्य है।
[R.A.S./R.T.S. (Pre) 2013]
उत्तर – (a) कथन (A) तथा कारण (R) दोनों सत्य है तथा कारण (R), कथन (A) का सही स्पष्टीकरण है।
- डीएनए फिंगर प्रिंटिंग तकनीक का उपयोग आपराधिक मामलों की गुत्थियां सुलझाने के लिए किया जाता है।
- इसके साथ ही मातृत्व, पितृत्व या व्यक्तिगत पहचान को निर्धारित करने के लिए इसका प्रयोग होता है।
- इस पद्धति में किसी व्यक्ति के जैविक अंशों जैसे-रक्त, बाल, लार, वीर्य आदि के द्वारा उसके डीएनए की पहचान की जाती है।
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91. किसी व्यक्ति के जीवमितीय पहचान हेतु, अंगुली छाप क्रमवीक्षण के अलावा, निम्नलिखित में से कौन-सा / से प्रयोग में लाया जा सकता है/लाए जा सकते हैं?
1. परितारिका क्रमवीक्षण
3. वाक् अभिज्ञान
2. दृष्टिपटल क्रमवीक्षण
नीचे दिए गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिए।
(a) केवल ।
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2 और 3
[I.A.S. (Pre) 2014]
उत्तर – (d) 1, 2 और 3
- जीवमितीय पहचान (Biometric Identification) किसी व्यक्ति के गुणों या विशेषताओं के आधार पर कंप्यूटर की सहायता से उसकी पहचान निर्धारित करने का एक तरीका है, जिसका प्रयोग प्रवेश को नियंत्रित करने हेतु किया जाता है।
- बायोमीट्रिक्स इंस्टीट्यूट के अनुसार, जीवमितीय या बायोमीट्रिक पहचान के निम्न प्रकार हैं-डीएनए • मिलान (Matching).
• कान के आकार के आधार पर,
• परितारिका (Iris) के आधार पर,
• दृष्टिपटल (Retina) के आधार पर,
• चेहरे की पहचान,
• अंगुली-छाप आधारित,
• अंगुली के 3D ज्यामितीय विन्यास के आधार पर,
• व्यक्ति की चाल के आधार पर,
• हाथ की ज्यामितीय विशेषताओं के आधार पर,
• गंध के आधार पर,
• टाइपिंग के अनोखेपन पर आधारित,
• वाक् अभियान (Voice Recognition) पर आधारित,
• अंगुली या हथेली की नसों के विन्यास के आधार पर।
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92. अंगुलियों के निशानों की बहुरंगीय सतह पर उभारने (develop करने) हेतु निम्न में से क्या प्रयुक्त होता है?
(a) स्वर्ण धूल
(b) मैंगनीज डाइऑक्साइड
(c) चारकोल
(d) फ्लोरोसेंट पाउडर
[U.P.P.C.S. (Mains) 2013]
उत्तर – (d) फ्लोरोसेंट पाउडर
- अंगुलियों के निशान को बहुरंगीय सतह पर उभारने हेतु फ्लोरोसेंट पाउडर प्रयुक्त होता है।
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93. कौन ट्रांसजेनिक्स द्वारा नहीं पाया जा सकता है?
(a) जैव-निम्नीकरणयी प्लास्टिक का उत्पादन।
(b) खाने योग्य टीकों का उत्पादन।
(c) क्लोनीकृत जंतुओं का उत्पादन।
(d) ट्रांसजीनी फसलों का उत्पादन।
[U.P.P.C.S. (Pre) 2000]
उत्तर – (c) क्लोनीकृत जंतुओं का उत्पादन।
- क्लोन (Clone) का तात्पर्य है- प्रतिरूप। इसके अंतर्गत जीन से छेड़छाड़ किए बिना समान रूप एवं नस्ल उत्पन्न की जाती है, जबकि ट्रांसजेनिक (पराजीनी) के अंतर्गत जीन का स्थानांतरण एवं प्रतिरोपण (Plantation) किया जाता है।
- जेनेटिक इंजीनियरिंग द्वारा अब इच्छित गुणों वाले जीनों का प्रवेश पौधों में भी कराया जाता है।
- ऐसे पौधे जिनमें बाह्य डी.एन.ए. शामिल हों, ट्रांसजेनिक्स कहलाते हैं।
- ट्रांसजेनिक चूहे. खरगोश, सुअर इत्यादि पैदा किए जा चुके हैं।
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94. निम्नलिखित में से कौन-सा एक सजीव जीवों में एक नई जाति की उत्पत्ति के लिए सर्वाधिक महत्वपूर्ण घटक है?
(a) पार्थक्य
(b) उत्परिवर्तन
(c) प्राकृतिक वरण
(d) लैंगिक जनन
[I.A.S. (Pre) 2002]
उत्तर – (b) उत्परिवर्तन
- कोशिका जीनोम के डी.एन.ए. अनुक्रम में परिवर्तन को उत्परिवर्तन कहते हैं।
- उत्परिवर्तन प्रक्रिया में आनुवंशिक पुनर्संयोजन के माध्यम से बड़ी संख्या में डी.एन.ए. की प्रतिलिपि तैयार हो जाती है।
- नई जीनों के विकास में यह प्रतिलिपियां एक प्रमुख भूमिका निभाती हैं।
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95. जीन के भीतर अनुक्रम-आधार परिवर्तन कहलाता है-
(a) प्रजनन
(b) प्रतिरूपण
(c) उत्परिवर्तन
(d) संयोजन
[U.P.P.C.S. (Pre) 2016]
उत्तर – (c) उत्परिवर्तन
- उत्परिवर्तन सभी जीवों के वंशागत परिवर्तन है।
- यह स्वतः या अप्राकृतिक रूप से प्रेरित किए जा सकते हैं।
- उत्परिवर्तन किसी जीन के अंदर अनुक्रम-आधार परिवर्तन के फलस्वरूप होता है।
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96. जब एक जीन दो या दो से अधिक भिन्न-भिन्न लक्षणों को एक साथ नियंत्रित करता है, यह तथ्य कहलाता है-
(a) असंगजनन
(b) बहुप्रभाविता
(c) बहुगुणिता
(d) बहुपट्टता
[I.A.S. (Pre) 2002]
उत्तर – (b) बहुप्रभाविता
- जब एक जीन (Gene) दो या दो से अधिक भिन्न-भिन्न लक्षणों को एक साथ नियंत्रित करता है, तो यह तथ्य बहुप्रभाविता (pleiotropism) कहलाता है।
- इसका एक ज्वलंत उदाहरण है लाल रक्त कोशाओं (R.B.Cs.) का हंसियाकार कोशिका अरक्तता रोग (Sickle cell Anaemia), जिसमें R.B.C. का आकार हंसियानुमा हो जाता है।
- यह रोग एक अप्रभावी जीन (Recessive gene) के कारण होता है।
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97. जीन चिकित्सा में, एक त्रुटिपूर्ण जीन के कार्य को ठीक करने हेतुः
(a) त्रुटिपूर्ण जीन को हटाया जाता है।
(b) कोई दूसरे सही जीन को प्रविष्ट किया जाता है।
(c) त्रुटिपूर्ण जीन को कार्य करने से रोका जाता है।
(d) पूरे त्रुटिपूर्ण जीन को सही जीन से बदला जाता है।
[U.P.P.C.S. (Spl.) (Mains) 2004]
उत्तर – (*)
- जीन उपचार (Gene Therapy) का उद्देश्य शरीर की सामान्य क्रियाओं को बनाए रखने के लिए शरीर की कोशिकाओं में सामान्य जीनों को प्रवेश कराकर, त्रुटिपूर्ण जीन को कार्य करने से रोककर तथा पूरे त्रुटिपूर्ण जीन को सही जीन से बदलकर बीमारी का निदान करना होता है।
- सोमेटिक जीन थेरेपी मानव की आनुवंशिक बीमारियों के उपचार हेतु प्रयुक्त की जा रही है।
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