उत्तर प्रदेश में वर्ष 2022 तक “किसानों की आय को दुगुना” करने के लिए बनाई गई प्रमुख रणनीतियों की विवेचना कीजिए?

उत्तर की संरचनाः

भूमिका:

  • संक्षेप में उत्तर प्रदेश में किसानों की निम्न आय की समस्या को बताएँ।

मुख्य भाग:

  • उत्तर प्रदेश सरकार की रणनीति पर चर्चा करें।
  • संभावित लक्ष्य की प्राप्ति में विद्यमान चुनौतियों एवं आवश्यकताओं को बताएँ।

निष्कर्ष:

  • बताएँ कि लक्ष्य चुनौतीपूर्ण किन्तु प्राप्त करने योग्य है।

उत्तर

भूमिकाः

उत्तर प्रदेश कृषि प्रधान राज्य है। राज्य की कुल आबादी (लगभग 20 करोड़) का लगभग दो-तिहाई भाग कृषि पर निर्भर है। स्वतंत्रता के पश्चात् यद्यपि कृषि उत्पादन में कई गुना वृद्धि दर्ज की गयी लेकिन इस अनुपात में कृषकों की आमदनी में बढ़ोत्तरी नहीं हुई। वर्ष 2011-12 के राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण संगठन (एनएसएसओ) के उपभोग व्यय सर्वेक्षण के आँकड़ों से ज्ञात होता है कि प्रदेश में 23.2 प्रतिशत कृषि परिवार गरीबी रेखा के नीचे स्थित है।

मुख्य भागः

उत्तर प्रदेश सरकार की रणनीति-

  • वर्ष 2022 तक किसानों की आय को दोगुना करने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा ‘आठ सूत्री कार्यक्रम’ का निर्धारण किया गया है।

इस कार्यक्रम के घटक निम्नलिखित हैं

  • खेती के साथ-साथ उद्यान, मत्स्य पालन और पशुपालन।
  • मृदा स्वास्थ्य कार्ड के आधार पर खादों के संतुलित उपयोग को बढ़ावा देना। 
  • कम बारिश वाले क्षेत्रों में सिंचाई सुविधा का विस्तार।
  • तोड़ाई-कटाई के समय (पोस्ट हार्वेस्टिंग) होने वाले नुकसान को रोककार उत्पादन में वृद्धि।
  • खाद्य प्रसंस्करण के लिए निजी उद्यमियों के सहयोग से अवस्थापना सुविधाओं का विस्तार।
  • किसानों को उनकी कृषि उपज का उचित मूल्य दिलाने के लिए सुलभ विपणन सुविधा का विकास।
  • अधिक से अधिक किसानों को फसल बीमा के दायरे में लाकर उन्हें बीमा सुविधा का लाभ दिलाना।
  • कृषि विविधीकरण के जरिये प्राकृतिक संसाधनों का प्रबंधन कर किसानों की आय में वृद्धि।

उत्तर प्रदेश सरकार का लक्ष्य कृषि लागत में 10% की कमी उत्पादकता में 20% की वृद्धि प्रसंस्करण एवं ग्रेडिंग में 28% की वृद्धि तथा कृषि विविधीकरण के द्वारा 22% कृषक आय में वृद्धि का लक्ष्य है। इसके अतिरिक्त फसल कटाई के समय होने वाले नुकसान को रोककर किसानों की आय में 18% की वृद्धि करना है।

राज्य सरकार द्वारा दग्ध, अंडा, मांस इत्यादि के उत्पादन में वृद्धि के प्रयास किए जा रहे हैं साथ ही वर्ष 2022 तक खाद्यान्न उत्पादन का लक्ष्य 1 करोड़ 86 लाख 38 हजार मीट्रिक टन निर्धारित किया गया है।

जैविक खेती के प्रोत्साहन हेतु राज्य के 15 जनपदों में जैविक कृषि के 575 क्लस्टर स्थापित कराए जा रहे हैं। राज्य सरकार द्वारा राज्य बीज प्रमाणीकरण संस्था आलमबाग, लखनऊ के माध्यम से जैविक बीजों के प्रमाणीकरण का प्रबंध किया गया है। प्रत्येक राजस्व ग्राम में अनुदान आधारित एक वर्मी कम्पोस्ट यूनिट की स्थापना भी की जाएगी। कृषि यंत्रीकरण हेतु कस्टम हायरिंग और फार्म मशीनरी बैंक के जरिए 2022 तक 70 हजार कृषि यंत्र किसानों तक पहुंचाया जाएगा।

किसानों की आय को दुगुना करने के लिए राज्य सरकार द्वारा समन्वित कृषि तंत्र के विकास का प्रयास किया जा रहा है। जिसके तहत एग्रीकल्चर प्रोड्यूस मार्केट कमेटी मॉडल एक्ट, यूनीफाइड लाइसेंस की व्यवस्था, राष्ट्रीय बाजार की स्थापना और ई-ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म की स्थापना की जाएगी।

राज्य में प्रदेश के जिलों को ‘विकसित’, ‘कम विकसित’ और ‘विकासशील’ के रूप में चिन्हित किया गया है। वर्गीकृत जिलों का विकास क्षेत्र आधारित रणनीति’ के आधार पर किया जाएगा।

इसी संदर्भ में राज्य सरकार द्वारा मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में कृषि समृद्धि आयोग’ का गठन किया गया है। जो वर्ष 2022 तक किसानों की आय को दुगुना करने से संबंधित नीतियों का निर्धारण, मूल्यांकन व अनुश्रवण करेगा।

समस्या एवं चुनौतियाँ-

  • अगले पाँच वर्षों में किसानों की आय को दुगुना करने के लिए कृषि क्षेत्रक में प्रतिवर्ष लगभग 15% की वद्ध दर प्राप्त करनी होगी।
  • किसानों की आय में वृद्धि के साथ अन्य कृषि आदानों (इनपुट) जैसे प्रौद्योगिकी, श्रम, विद्युत तथा परिवहन इत्यादि के व्यय को समायोजित करना होगा। ताकि कृषि-मूल्य वृद्धि का वास्तविक लाभ किसानों को प्राप्त हो सके।
  • प्रदेश के कृषि क्षेत्र में विद्यमान संरचनात्मक समस्या, जैसे- खण्डित और छोटे भूखण्ड, चकबंदी व हदबंदी कार्यक्रम की विफलता (विशेषतः पूर्वी उत्तर प्रदेश में) कृषि विकास में बाधक रही है।
  • प्रदेश में भूमिहीन कृषि श्रमिकों की संख्या अधिक है। भूमिधारक किसानों के साथ भूमिहीन श्रमिकों की आय को दोगुना करना चुनौतीपूर्ण होगा।
  • प्रदेश में लवणीय, क्षारीय, बंजर तथा उत्खात (Bad land) भूमि का विस्तार हो रहा है। जो कृषि के क्षैतिज विस्तार में बाधा उत्पन्न करता है।

निष्कर्षः

2022 तक किसानों की आय को दुगुना करना चुनौतिपूर्ण है लेकिन इसकी आवश्यकता है। प्रदेश सरकार द्वारा निर्धारित लक्ष्यों का उचित क्रियान्वयन, नवीनतम और उपयुक्त प्रौद्योगिकी का चयन तथा विकासात्मक पहलों को इस संदर्भ लागू करना लक्ष्य प्राप्ति में सहायक होगा।

Add a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *


The reCAPTCHA verification period has expired. Please reload the page.