निबंध: भारत में पर्यटन (Tourism in India)

प्रसिद्ध व्यक्तियों के कथन (Quotes by Famous Personalities)

  • “एक ऐसी भूमि जिसे सभी लोग देखना चाहते हैं और एक बार देख लेने पर, भले ही वह एक झलक ही क्यों न हो, वे शेष विश्व के सभी सम्मिलित दृश्यों के बदले भी उस झलक का त्याग नहीं करेंगे।” – मार्क ट्वेन
  • यात्रा व्यक्ति को उदार बनाती है। इससे आप देखते हैं कि आप विश्व में कितने छोटे स्थान पर रहते हैं। “- गुस्ताव फ्लैबर्ट
  • “यात्रा ही गंतव्य है।” – डैन एल्डन
  • “यात्रा के द्वारा विश्व के नए आयामों का अनावरण किया जा सकता है जिसके बारे में केवल देखने से पता नहीं कर सकते हैं।” – वेन क्रीसा (Wayne Chirisa)

परिभाषा (Definition)

  • “पर्यटकों और अन्य आगंतुकों को आकर्षित करने और उनकी मेजबानी करने की प्रक्रिया में पर्यटकों,
    व्यापार आपूर्तिकर्ताओं, मेजबान सरकारों और मेजबान समुदायों के मध्य होने वाले पारस्परिक व्यवहार से उत्पन्न होने वाले संबंधों और परिघटनाओं का योग पर्यटन है ” – मैकिंटोश और गोएल्डनर
  • पर्यटन की पहली परिभाषा 1905 में गायर फ्यूलर द्वारा दी गई थी। संयुक्त राष्ट्र विश्व पर्यटन संगठन (UNWTO-UN World Tourism Organization) -“पर्यटन में अवकाश, व्यापार एवं अन्य उद्देश्यों के लिए अधिकतम एक वर्ष तक के समय तक अपने सामान्य परिवेश से बाहर के स्थानों पर यात्रा करने एवं रहने वाले व्यक्तियों की गतिविधियों को सम्मिलित किया गया है।

” यात्रा से पर्यटन कैसे भिन्न है?

  • पर्यटन के लिए, किसी प्रकार का विस्थापन अवश्य होना चाहिए; व्यक्ति को परिवहन के किसी न किसी साधन का उपयोग करके यात्रा अवश्य करनी होती है (पैदल तीर्थयात्री, यात्री, आदि)। किन्तु सभी यात्राएँ पर्यटन नहीं होती हैं।
  • किसी यात्रा को पर्यटन से संबंधित यात्रा के रूप में निर्धारित करने के लिए तीन मानदंडों का
    एक साथ उपयोग किया जाता है।

इसके लिए विस्थापन निम्नलिखित प्रकार से होना चाहिए;

  •  इसमें सामान्य परिवेश के बाहर विस्थापन मिल है।
  • उद्देश्य का प्रकार: यात्रा, किसी भी उद्देश्य के लिए हो सकती है बस उनको छोड़कर जिनके लिए गंतव्य स्थान द्वारा उतान किया जा रहा हो। पहले की सीमाएं जिनमें पर्यटन मनोरंजन और परिवार एवं मित्रों से मिलने तक ही प्रतिबंधित था, अब विस्तृत
    उद्देश्यों को शामिल करने के लिए विस्तारित कर दी गयी हैं।
  • यात्रा की अवधि न्यूनतम के स्थान पर अधिकतम होनी चाहिए। पर्यटन सम्बन्धी
    विस्थापन रात्रि विश्राम के साथ या इसके बिना भी हो सकता है।

परिचय (Introduction)

  • “विश्व एक पुस्तक है और जो लोग यात्रा नहीं करते हैं वे इसका केवल एक पृष्ठ पढ़ पाते हैं”। सेंट ऑगस्टीन का यह कथन वास्तव में यात्रा की भावना को बताता है और एक आकर्षक देश के रूप में भारत, विश्व भर के यात्रियों को अपने गंतव्य के रूप में भारत को चुनने हेतु अनेक कारण प्रदान करता है।
  • 1990 के दशक के आरंभ तक भारत के पर्यटन उद्योग का अधिक विकास नहीं हुआ था। यद्यपि भारतीय अर्थव्यवस्था की गति धीमी हुई है, फिर भी शेष विश्व की तुलना में इसकी वृद्धि तीव्र है।
  • भारतीय अर्थव्यवस्था में प्रति वर्ष लगभग 5 फीसदी की वृद्धि हो रही है तथा भारतीयों की अतिरिक्त आय में वृद्धि के साथ, देश और विदेश में अवकाश यात्रा पर जाने वाले लोगों की संख्या में वृद्धि के परिणामस्वरूप पर्यटन उद्योग में वृद्धि हुई है।
  • वृद्धि के प्रतिरूप (growth pattern) से ज्ञात होता है कि भारत का पर्यटन उद्योग केवल विदेशी पर्यटकों पर ही निर्भर नहीं है क्योंकि वैश्विक समस्याओं और अव्यवस्थाओं के कारण विदेशियों का आगमन सदैव प्रतिकूल रूप से प्रभावित होता रहता है।
  • घरेलू पर्यटन में वृद्धि सुव्यवस्थित तरीके से हो रही है। भारत में मेलों और त्यौहारों का निरंतर आयोजन किया जाता है। उत्तर में कुंभ तथा दक्षिण में ओणम एवं महामस्तकाभिषेक जैसे उत्सव लगभग प्रत्येक वर्ष पर्यटकों को आकर्षित करते हैं।
  • हालाँकि पर्यटन प्रायः संसाधन-केंद्रित होता है, यह विकासशील देशों में गरीबी में कमी लाने का एक प्रमुख उपाय है। पंडित जवाहरलाल नेहरू ने पहली बार देश में पर्यटन के महत्व पर ध्यान दिया था। उनके अनुसार, यह न केवल विदेशी मुद्रा प्राप्त करने का एक साधन है, बल्कि राष्ट्रों के मध्य अंतरराष्ट्रीय सहयोग, समझ और शांति हेतु प्रयास का भी एक माध्यम है।

पर्यटन से संबंधित तथ्य  आँकड़े (Facts/ Statistics Related with Tourism)

  • अंतरराष्ट्रीय पर्यटन उद्योग — 1.4 ट्रिलियन डॉलर का है।
  • 2000-2018 के मध्य वैश्विक स्तर पर पर्यटन से सम्बंधित राजस्व में वृद्धि लगभग दोगुनी हुई है।
  • फेडरेशन ऑफ इंडियन चैम्बर्स ऑफ कॉमर्स इन इंडिया (FICCI) और यस बैंक (निवेश बैक) ने एक अध्ययन में पाया है कि भारत में एक पर्यटक द्वारा की जाने वाली औसत यात्रा ,सिंगापुर में की जाने वाली यात्रा का 2.8 गुना, मलेशिया में की जाने वाली यात्रा का 4.5 गुना और चीन के 6.5 गुना के समान है। इसके बावजूद सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में पर्यटन उद्योग का योगदान चीन, मलेशिया और सिंगापुर से कम है।

पर्यटन के प्रकार (Types of Tourism)

  • मनोरंजनात्मक पर्यटन (Recreational tourism): पर्यटन प्रायः मनोरंजन गतिविधियों के उद्देश्य
    से किया जाता है। अधिकांश पर्यटन माहौल में परिवर्तन एवं आराम के लिए किया जाता है; यही कारण है कि पैकेज टूर अधिक लोकप्रिय हो गए हैं।
  • पर्यावरणीय पर्यटन (Environmental tourism): धनी और समृद्धशाली पर्यटक ऐसे सुदूरवर्ती स्थानों की यात्रा को अधिक प्राथमिकता देते हैं, जहां उन्हें साँस लेने के लिए प्रदूषण मुक्त वायु प्राप्त हो।
  • ऐतिहासिक पर्यटन (Historical tourism): पर्यटक यह जानने में रूचि रखते हैं कि हमारे पूर्वज किस प्रकार किसी विशेष क्षेत्र में रहते थे एवं उसे प्रशासित करते थे। अतः वे विरासत स्थलों, मंदिरों, चर्चा, संग्रहालयों, किलों आदि की यात्रा करते हैं।
  • विरासत विशेष पर्यटन (Ethnic tourism): यह उन लोगों के पर्यटन को संदर्भित करता है जो अपने मूल से जुड़ने और पारिवारिक दायित्वों को पूरा करने के लिए दूरस्थ स्थानों की यात्रा करते हैं। विवाह और मृत्यु के समय लोग अपने पैतृक स्थानों पर एक साथ एकत्रित होते हैं। ऐसे व्यक्ति जो अपने शेष जीवन के लिए विदेश में बसे होते हैं जब अपने जन्म स्थान की यात्रा करते हैं तो वे ऐसे पर्यटन को बढ़ावा देते हैं।
  • सांस्कृतिक पर्यटन (Cultural tourism): कुछ लोग यह जानने में रूचि रखते हैं कि अन्य लोग या समुदाय कैसे रहते हैं, कैसे जीवन व्यतीत करते हैं और किस प्रकार समृद्ध होते हैं; उनकी संस्कृति और कला एवं संगीत हमारी संस्कृति से किस प्रकार भिन्न हैं। इसलिए वे ज्ञान प्राप्त करने, संस्कृति से परिचित होने एवं संस्कृति को बेहतर तरीके से समझने के लिए यात्रा करते हैं।
  • साहसिक पर्यटन (Adventure tourism): युवाओं के मध्य साहसिक यात्रा करने की प्रवृत्ति होती । है। वे ट्रेकिंग, रॉक क्लाइंबिंग, रिवर राफ्टिग इत्यादि के लिए जाते हैं। वे कैम्प फायर का आयोजन करते हैं और खुले आसमान के नीचे रहते हैं। यह पर्यटन मजबूत इच्छाशक्ति वाले लोगों के लिए है। जो तनाव सहन कर सकते हैं।
  • स्वास्थ्य पर्यटन (Health tourism): हाल के वर्षों में, स्वास्थ्य पर्यटन अत्यधिक लोकप्रिय हुआ है। लोग प्राकृतिक देख-भाल केंद्रों और अस्पतालों में जाते हैं जहां उनका उपचार विशेषज्ञों द्वारा किया जाता है। उपचार हेतु अनेक विदेशियों द्वारा भारत की यात्रा की जाती है क्योंकि उनके देश में इस प्रकार की सेवाएं काफी महंगी होती हैं।
  • धार्मिक पर्यटन (Religious tourism): भारत, बहु-धार्मिक संरचना वाली जनसंख्या का प्रतिनिधित्व करता है। यहाँ लोगों को धार्मिक कर्तव्यों को पूरा करने और धार्मिक महत्व के स्थानों की यात्रा करने में सक्षम बनाने हेतु विभिन्न पर्यटन पैकेज आयोजित किए जाते हैं। जैसे- चारधाम यात्रा।
  • संगीत पर्यटन (Music tourism): यह आनंददायक पर्यटन का भाग हो सकता है क्योंकि इसमें लोगों के गाने, संगीत सुनने तथा उसका आनंद लेने के क्षण शामिल होते हैं।
  • ग्रामीण पर्यटन (Village tourism): इसमें विभिन्न ग्रामीण गंतव्य स्थलों को लोकप्रिय बनाने के | लिए पर्यटन करना और यात्रा की व्यवस्था करना सम्मिलित है।
  • वन्यजीव पर्यटन (Wild life tourism): यह पर्यावरण एवं जंतु अनुकूल पर्यटन हो सकता है। वन्य जीव पर्यटन से तात्पर्य जंगली जानवरों को उनके प्राकृतिक आवास में देखने से है।

पर्यटन के आयाम (Dimensions of Tourism)

ऐतिहासिक (Historical):

  • अवकाश उद्देश्यों के लिए यात्रा करना बहुत कम लोगों के लिए आरक्षित अनुभव से विकसित
    होकर अब ऐसे अनुभव में बदल गया है जिसका आनंद अनेक लोग लेते हैं।
  • ऐतिहासिक रूप से, यात्रा करने की क्षमता राजसी और उच्च वर्गों के लिए आरक्षित थी।
    प्राचीन रोमन काल से लेकर 17वीं शताब्दी तक, उच्च वर्गों के युवाओं को सम्पूर्ण यूरोप का “अँड टूर” करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता था। मध्य युग में अनेक समाजों ने धार्मिक तीर्थयात्रा (भारत के इतिहास में अब तक का सबसे लोकप्रिय रूप) के प्रचलन को प्रोत्साहित किया।
  • रेल यात्रा की निरंतर बढ़ती लोकप्रियता और ऑटोमोबाइल के विकास ने पर्यटन के विकास में  महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
  • 1952 में लंदन, इंग्लैंड से जोहान्सबर्ग, दक्षिण अफ्रीका और कोलंबो, श्रीलंका तक प्रथम वाणिज्यिक हवाई उड़ानों और जेट युग के आने से पर्यटन में अत्यधिक तीव्रता आयी। अनेक लोग इसे आधुनिक पर्यटन उद्योग की शुरुआत मानते हैं।
  • हालांकि, इतिहास में विभिन्न महत्वपूर्ण पड़ावों जैसे प्रथम विश्व युद्ध, महान आर्थिक मंदी और द्वितीय विश्व युद्ध के कारण इस उद्योग की वृद्धि में बाधा उत्पन्न हुयी थी। इस शताब्दी की शुरुआत में 11 सितंबर, 2001 को न्यूयॉर्क शहर के वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर हमला (जिसे 9/11 के रूप में जाना जाता है), इराक युद्ध, भविष्य के संभावित आतंकवादी हमलों के खतरे और स्वास्थ्य सम्बन्धी खतरे जैसे कि, सिवियर एक्यूट रेस्पिरेटरी सिंड्रोम (SARS), बोवाइन स्पॉन्गिफॉर्म एनसेफेलोपैथी (BSE), और वेस्ट नील वायरस (WNV) जैसी वैश्विक घटनाओं के कारण अंतरराष्ट्रीय यात्राओं में कमी आई है।
  • इसी समय पर्यटन उद्योग में बड़े पैमाने पर तकनीकी परिवर्तन हुए जैसे इंटरनेट के प्रयोग ने यात्री सेवाओं में क्रांति ला दी। 2000 के दशक में ऑनलाइन यात्रा बुकिंग में तीव्र वृद्धि हुई और 2014 तक विश्व की अग्रणी कम्पनी एक्सपेडिया ने होटल्स डॉट कॉम, द हॉटवायर ग्रुप, ट्रिवागो और एक्सपेडिया क्रूज शिप सेंटर जैसे ब्रांडों को शामिल कर अपना काफी विस्तार कर
    लिया था। एक्सपेडिया की कुल राजस्व आय 4.7 मिलियन डॉलर से अधिक है।

सामाजिक और सांस्कृतिक (Social and Cultural)

  • सामाजिक और सांस्कृतिक प्रभाव, उस प्रभाव को प्रदर्शित करता है जो स्थानीय लोगों के जीवन में सामाजिक परिवर्तनों के संदर्भ में उत्पन्न होता है। इसमें कई प्रकार के प्रभाव जैसे कि कैसे लोकप्रिय संस्कृतियाँ अन्य को प्रभावित करती हैं, अवसंरचना में सुधार, पारंपरिक शिल्प और परम्पराओं का पुनरुत्थान, जीवनशैली में परिवर्तन, अंतर-सांस्कृतिक संचार में वृद्धि और
    समझ आदि में परिवर्तन सम्मिलित होते हैं।
  • नकारात्मक प्रभाव बढ़ती अपराध दर, पारंपरिक संस्कृतियों का पतन, आदिम समाजों, उनकी
    संस्कृति तथा उनके संसाधनों का बाहरी लोगों द्वारा दोहन अदि के रूप में भिन्न-भिन्न हो
    सकते हैं।

अंतरराष्ट्रीय आयाम: पर्यटन और शांति (International Dimensions: Tourism and Peace)

  • शांति स्थापना और सहायता समाधान की प्रक्रिया में पर्यटन महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन
    कर सकता है, संघर्ष के बाद के समाजों (prst-conflict societies) में पर्यटन के द्वारा शांति की प्रक्रिया को आगे बढ़ाने हेतु सामुदायिक संलग्नता एवं सशक्तिकरण, क्षमता निर्माण तथा
    प्रशिक्षण और सार्वजनिक/निजी क्षेत्र की साझेदारी महत्वपूर्ण कारक हैं।
  • यह विश्वास और सद्भावना का वाहक होता है। सांस्कृतिक समझ अभिवृत्तियों (attitudes) में
    परिवर्तन ला सकती है और शांति का निर्माण कर सकती है। शांति निर्माण में पर्यटन की भूमिका गरीबी उन्मूलन, सांस्कृतिक संरक्षण और पर्यावरण संरक्षण में इसके योगदान के
    माध्यम से भी हो सकती है।

आर्थिक (Economic)

  • पर्यटन उद्योग मेजबान देश और पर्यटक के गृह देश, दोनों के लिए पर्याप्त आर्थिक लाभ उत्पन्न
    करता है। विशेष रूप से विकासशील देशों में, किसी क्षेत्र द्वारा स्वयं का प्रचार पर्यटन गंतव्य के रूप में करने का मुख्य उद्देश्य अनुमानित आर्थिक लाभ होता है।

पर्यटन के आर्थिक प्रभाव (Economic impacts o fTourism)

सकारात्म नकारात्मक
  •  विदेशी विनिमय की प्राप्तियाँ
  • सरकार के राजस्व में योगदान
  • रोजगार सृजन
  • भुगतान संतुलन /व्यापार खाता संतुलन
  • अवसंरचनात्मक निवेश को प्रोत्साहन
  • स्थानीय अर्थव्यवस्था में योगदान
  • मुद्रास्फीति
  • अवसर लागते
  • निर्भरता
  • मौसमी लाभ (किसी विशेष समय के लिए)
  • लीकेज की समस्या
  • विदेशी अन्तःक्षेत्र पर्यटन
  • रोजगारों की मौसमी प्रकृति
  • वेश्यावृत्ति एवं भूमिगत अर्थव्यवस्था

पर्यावरणीय आयाम (Environmental Dimensions)

  • आकर्षण के रूप में पर्यावरण (Environment as an Attraction) -पर्यटन में, पर्यावरण के प्रति सार्वजनिक रूचि बढ़ाने और लोगों को प्रकृति एवं पर्यावरण के साथ निकट संपर्क में लाकर पर्यावरणीय समस्याओं के संबंध में जागरूकता का प्रसार करने की संभावना है। यह संपर्क लोगों में प्रकृति के महत्व के बारे में जागरुकता बढ़ा सकता है और पर्यावरण को संरक्षित करने हेतु पर्यावरणीय जागरुक व्यवहार और गतिविधियों को बढ़ावा दे सकता है।

पर्यटन-पर्यावरण के मध्य सम्बन्ध (The Tourism-Environment Connection)

  • पर्यावरण की सुरक्षा, संरक्षण और जैविक विविधता के पुनर्भडारण और प्राकृतिक संराधनों के संधारणीय उपयोग में पर्यटन महत्वपूर्ण योगदान दे सकता है। प्राचीन स्थलों और प्राकृतिक क्षेत्रों को उनके आकर्षण के कारण मूल्यवान धरोहर के रूप में चिन्हित किया जाता है और इनके आकर्षण को बनाए रखने की आवश्यकता राष्ट्रीय उद्यानों और वन्यजीव उद्यानों के निर्माण को बढ़ावा दे सकती है।
  • यद्यपि विश्व के कई क्षेत्रों को उद्यान एवं संरक्षित क्षेत्रों के रूप में संरक्षित किया गया है, फिर  भी पर्यटन के विकास के गंभीर नकारात्मक प्रभाव हो सकते हैं।

UNEP (The United Nations Environment Programme) के अनुसार इनमें शामिल हैं:

  •  प्राकृतिक संसाधनों का ह्रास (जल, वन, आदि)
  • प्रदूषण (वायु प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण, सीवेज, अपशिष्ट और कूड़ेदान)
  • भौतिक प्रभाव (निर्माण गतिविधियाँ, बंदरगाह विकास, विध्वंस, जैव विविधता का नुकसान)

भारत में पर्यटन से संबंधित चुनौतियां (Challenges Facing Tourism in India)

अवसंरचना संबंधी चुनौतियां (Infrastructure Roadblocks)

  • पर्यटन अवसंरचना, एक गंतव्य के सृजन हेतु क्षेत्रीय स्तर पर सामंजस्यपूर्ण तरीके से कार्य करने
    वाली परिवहन, सामाजिक और पर्यावरणीय अवसंरचना की एक आपूर्ति श्रृंखला है जिसमें अंतरराष्ट्रीय और घरेलू बाजारों से आगंतुकों का एयरपोर्ट, प्रमुख सड़कों एवं रेलवे के माध्यम से ठहरने के लिए कमरों (होटलों) तक पहुँचना शामिल है। इसके साथ ही इसमें आगंतुकों को आकर्षित करने वाली प्रदर्शनियों, कार्यक्रमों और सेवाओं हेतु भौतिक संरचनाएं तथा राष्ट्रीय उद्यानों, समुद्री उद्यानों एवं अभ्यारण्यों जैसी पर्यावरणीय अवसंरचना के साथ-साथ आगंतुक सुविधाएं भी शामिल होती हैं।

पर्यावरणीय चिंताएं (Environmental concerns)

  • प्राकृतिक और मानव निर्मित पर्यावरण की गुणवत्ता पर्यटन हेतु आवश्यक है।
  • पर्यावरण के साथ पर्यटन का जटिल संबंध है। इसमें विभिन्न गतिविधियाँ शामिल होती हैं जो पर्यावरण को प्रतिकूल रूप से प्रभावित कर सकती हैं। पर्यटन के विकास का नकारात्मक प्रभाव धीरे-धीरे उन पर्यावरणीय संसाधनों को नष्ट कर सकता है जिस पर यह निर्भर होता है।
  • पर्यटन न केवल जलवायु परिवर्तन में योगदान देता है, बल्कि इससे पूर्णतः प्रभावित भी होता है। जलवायु परिवर्तन के कारण आपदाएं, तूफान और गंभीर मौसमी घटनाओं की आवृत्तियों में वृद्धि हो सकती है, जो प्रभावित क्षेत्रों में पर्यटन पर विनाशकारी प्रभाव उत्पन्न कर सकते हैं। पर्यटन के कुछ अन्य प्रभावों में सूखा, रोग, हीट बेब्स, तीव्र बाढ़ (उदाहरण: उत्तराखंड बाढ़), भूस्खलन, नदियों और महासागरों में प्लास्टिक के कचरों में वृद्धि आदि शामिल हैं।

संसाधन संबंधी चिंताएं (Resources concern)

  • पर्यटकों की आवश्यकताओं को पूरा करने वाले पेशेवरों का अभाव।
  • भारत में हजारों अतुल्य पुरातात्विक स्थल हैं जिनके जीर्णोद्धार एवं रख-रखाव की
    आवश्यकता है।

विखंडित नीतियाँ एवं कार्यक्रम (Fragmented Policy and Programs)

  • एक समग्र व्यापक पर्यटन नीति का अभाव है। इससे सम्बंधित कार्यक्रम अनेक मंत्रालयों द्वारा
    चलाए जाते हैं, जिस कारण पर्यटन से संबंधित विषयों पर राज्य और केंद्र के मध्य विवाद भी
    उत्पन्न होता है।

सामाजिक-आर्थिक चिंताएं (Socio-economic concerns)

  • हिंसा (Violence): पर्यटकों पर प्रायः हमला होने से यह एक विकर्षी कारक बन गया है।
    भारत में अफ्रीकियों के खिलाफ हुई हालिया अमानवीय हिंसा एक गंभीर घटना है। विशेष रूप से महिलाओं की सुरक्षा के मामलों में यह सत्य है (गोवा में जर्मन लड़की की हत्या और इसके पश्चात मुकदमे की कार्रवाई)
  • स्वास्थ्य सम्बन्धी मानक (Health Standards): निम्न स्वच्छता मानक पर्यटकों के लिए एक
    बड़े अवरोधक के रूप में कार्य करते हैं। हाल ही में, भारत प्रवास के दौरान सुपरबग से संक्रमित एक अमेरिकी महिला की मृत्यु हो गई थी।
  • संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम :NEP-United Nations Environment Programme) द्वारा चिन्हित पर्यटन के नदारात्मक सामाजिक प्रभावों में-

शामिल हैं: –

  • स्वदेशी पहचान और मूल्यों में परिवर्तन अथवा क्षति
  • संस्कृति संघर्ष
  • सामाजिक तनाव के भौतिक कारण (संसाधनों की मांग में वृद्धि)
  • नैतिक मुद्दे (यौन पर्यटन अथवा बाल श्रमिकों के शोषण में वृद्धि)

विनियमन (Regulation):

  • वीजा सम्बन्धी कठोर नियम और अन्य देशों में आन्दोलन (जैसे यूरोप में शेंजेन क्षेत्र) पर्यटन के
    प्रोत्साहन में एक अन्य बाधा है।

लिंग और पर्यटन (Gender & Tourism)

  • लिंग और पर्यटन क्यों?
  • पर्यटन में वृहत लैंगिक समानता एवं महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए योगदान देने की संभावना मौजूद है।।
  • यद्यपि महिलाएं निम्न भुगतान, निम्न कौशल क्षेत्र वाले उद्योगों में संकेंद्रित हैं और अधिक संख्या में पारिवारिक पर्यटन व्यवसायों में बिना भुगतान के कार्य करती हैं।

ग्लोबल रिपोर्ट ऑन वीमेन इन टूरिज्म 2010, UNWTO और UN-वीमेन के सहयोग पर आधारित प्रथम यथार्थपूर्ण रिपोर्ट थी। इसमें विकासशील देशों पर विशेष फोकस के साथ विश्व स्तर पर पर्यटन में महिलाओं की भागीदारी का खाका तैयार करने का पहली बार प्रयास किया गया है।

इसके प्रमुख निष्कर्ष हैं:

  • रोजगारः महिलाओं का पूर्ण प्रतिनिधत्व होने के बावजूद उनमें पेशेवर या निर्णय निर्माण स्तर पर
    कार्य करने की अपेक्षा सेवा या निम्न पदों पर कार्य करने की ही प्रवृत्ति पायी गयी
  • उद्यमिता: अन्य क्षेत्रों की तुलना में पर्यटन क्षेत्र में महिला कर्मचारियों की संख्या दोगुनी है और प्रायः पुरुष कर्मचारियों की तुलना में महिला कर्मचारी अधिक हैं।
  • शिक्षाः अन्य क्षेत्रों की तुलना में यहां आनुपातिक रूप से कुछ ही महिला स्नातक कार्यरत हैं।
  • नेतृत्व : सभी पर्यटन मंत्रालयों एवं टूरिज्म बोर्डों के अध्यक्षों में महिलाओं का प्रतिनिधित्व अभी भी केवल % ही है।
  • सामुदायिक विकास : विशेष रूप से अन्य क्षेत्रों से तुलना करने पर यह देखा गया कि पारिवारिक पर्यटन व्यवसायों में महिलाएं अधिक संख्या में बिना भुगतान के कार्य करती हैं।
  • पर्यटन क्षेत्र में कार्यरत महिलाएं समान्यत: अपने पुरुष समकक्षों की तुलना में 10% से 15% कम आय प्राप्त कर रही हैं।
“नैतिक रूप से उत्तरदायी पर्यटन (Responsible Tourism)-

गांधीवादी पद्धति “

  • ‘लिव गांधी फॉर ए व्हाइल’ एक पर्यटक कार्यक्रम है जिसकी कल्पना एवं विकास ट्रैवल एजेंट निश्चल बरोट द्वारा की गई थी। इसकी शुरुआत अक्टूबर 2016 में कोचरब आश्रम (अहमदाबाद) में की गई थी।
  • इसे उत्तरदायी पर्यटन के रूप में नामित किया गया क्योंकि यह वाणिज्यिक हितों पर आधारित गंतव्य आधारित पर्यटन का विरोध करता है।
  • प्रतिभागियों से कम से कम पांच दिनों के लिए एक सच्चे गांधी आश्रमवासी की तरह आश्रम में रहने की उम्मीद की जाती है साथ ही हाथ से बुने कपड़े पहनना, शारीरिक श्रम करना, सच्चाई, शुद्धता, अहिंसा, आदि का अभ्यास करना होता है।
  • महात्मा गांधी संभवतः प्रथम जिम्मेदार यात्री थे, जिन्होंने देश भर में यात्रा की, समुदायों से जुड़े, गांवों में गए, उनके घरों में रहे, उन्होंने उनकी सहायता करने की कोशिश की, और पर्यावरण पर न्यूनतम प्रभाव के साथ उनकी समस्याओं का समाधान किया।” इसका उद्देश्य लोगों को सतत जीवनशैली के विभिन्न उपायों की तलाश करने, गांधी की सादगी से सीख लेने, महात्मा के गुणों | का अनुभव करने की सीख प्रदान करना है।

सतत पर्यटन (Sustainable Tourism)

  • सतत पर्यटन, पर्यटन का वह रूप है जिसका अधिक उत्तरदायित्व के साथ उपयोग किया जा सकता है। यह एकमात्र विकल्प है जिसके द्वारा नकारात्मक सामाजिक, आर्थिक और पर्यावरणीय प्रभावों को कम किया जा सकता है। यह स्थानीय लोगों के लिए आर्थिक लाभ का अवसर प्रदान करता है। और मेजबान समुदायों के कल्याण में वृद्धि करता है।
  • संयुक्त राष्ट्र ने वर्ष 2017 को “विकास के लिए सतत पर्यटन का अंतरराष्ट्रीय वर्ष” घोषित किया है। इस संदर्भ में, यह पहले ही परिलक्षित हो सकता है कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय और राष्ट्र राज्य 2030 एजेंडे को कितनी गंभीरतापूर्वक ले रहे हैं।

समाधान और आगे की राह (Solutions and Way Forward)

  • पर्यटन को अंतर-मंत्रालयी स्तर पर एक सुदृढ़ समन्वय की आवश्यकता होती है क्योंकि ग्राहकों का
    अनुभव वीजा, वायु मार्ग और स्वास्थ्य नियमों, आयात प्रतिबंधों पर निर्भर करता है, जो गृह मंत्रालय, नागरिक उड्डयन, स्वास्थ्य, वित्त, पर्यावरण और वाणिज्य मंत्रालयों के अधिकार क्षेत्र में आते हैं।
  • भारत के सभी जिलों में पर्यटन परिषदों (के निर्माण) की आवश्यकता है।
  • भारत को इको-टूरिज्म को बढ़ावा देने की आवश्यकता है ताकि पर्यटन के माध्यम से भारत के प्राकृतिक और सांस्कृतिक वातावरण की विविधता को बनाए रखने और संरक्षित रखने में सहायता प्राप्त हो सके।
  • सड़कों और अभिगम केन्द्रों (access points) का निर्माण करना और सुलभ अवसंरचनाओं को बढ़ावा देना।
  • धरोहर गोद लें योजना (Adopt A Heritage Scheme) के माध्यम से विरासत भवनों हेतु कॉर्पोरेट प्रायोजन (corporate sponsorship) की अनुमति प्रदान करना।
  • पर्यटन, त्योहारों, समृद्ध ग्राम विरासत जैसे पर्यटन के विशिष्ट क्षेत्रों को प्रोत्साहित करना।
  • विश्व स्तरीय संग्रहालय बनाने हेतु महत्त्वाकांक्षा; स्विट्जरलैंड के जिनेवा जैसे खूबसूरत शहर पर विचार कीजिए, जहां 2 लाख से कम लोगों की जनसंख्या है। इसमें 40 से अधिक संग्रहालय और 50 आर्ट गैलरी हैं, जिनका व्यवस्थित ढंग से रखरखाव किया गया है।

पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए भारत सरकार द्वारा हाल ही में उठाए गए महत्वपूर्ण कदम (India’s Recent Steps in Promotion of Tourism)

  • रोजगार और आर्थिक विकास के संदर्भ में पर्यटन के योगदान की बढ़ती स्वीकृति, उन्नत अवसंरचना की उपलब्धता, फोकस्ड मार्केटिंग और प्रोत्साहन सम्बन्धी प्रयास, हवाई परिवहन का उदारीकरण, ऑनलाइन यात्रा पोर्टलों में वृद्धि, बढ़ते अंतर-क्षेत्रीय सहयोग और अधिक प्रभावी सार्वजनिक निजी भागीदारी को आने वाले दशकों में पर्यटन हेतु महत्वपूर्ण घटक के रूप में देखा जाता है।
  • हाल ही में, विश्व आर्थिक मंच के यात्रा एवं पर्यटन प्रतिस्पर्धात्मकता सूचकांक (ICI) में भारत को शीर्ष 50 पर्यटक देशों (रैक 40/166) में स्थान प्राप्त हुआ है। शीर्ष 50 देशों में इसके द्वारा दर्शाया गया सर्वाधिक सुधार का तथ्य भारत में पर्यटन की बढ़ती संभावना का साक्ष्य है।
  • पर्यटन और आतिथ्य (hospitality) में लागू नियमों और कानूनों के अधीन स्वचालित मार्ग के तहत 100% FDI की अनुमति है। पर्यटन मंत्रालय के योजनागत बजट के आधे से अधिक भोग का आवंटन गंतव्यों (destinations), सर्किट्स, मेगा परियोजनाओं के साथ-साथ ग्रामीण पर्यटन अवसंरचना परियोजनाओं के विकास के वित्त पोषण हेतु किया गया है। 2013-14 में अपने कुल वार्षिक योजनागत व्यय का 10% और 2.5%, क्रमशः पूर्वोत्तर क्षेत्र और जनजातीय क्षेत्रों में पर्यटन परियोजनाओं के लिए दिया गया था।
  • ‘वीजा ऑन अराइवल‘ सुविधा की उपलब्धता किसी भी देश के पर्यटकों की यात्रा योजनाओं को अत्यधिक प्रभावित करती है। वर्ष 2013 में कुल 20,294 ‘वीजा ऑन अराइवल’ जारी किए गए, जो वर्ष 2012 की इसी अवधि में 16,084 की तुलना में 26% की वृद्धि के बराबर है।
  • भारत सरकार द्वारा ‘अतुल्य भारत’ और ‘अतिथि देवो भवः’ जैसी कई ब्रांडिंग और विपणन पहलों  का शुभारंभ किया गया जो विकास केंद्रित प्रोत्साहन प्रदान करती हैं।
  • हाल ही में, भारत सरकार ने भारत में चिकित्सा पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए वीजा की एक नई श्रेणी- चिकित्सा वीजा या M वीजा जारी की है।
  • “धरोहर गोद लें योजना” -इस परियोजना के तहत निजी, सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों और कॉरपोरेट जगत के व्यक्तियों को विरासत स्थलों को गोद लेने और संरक्षण तथा विकास के माध्यम से स्मारकों और पर्यटन स्थलों को उन्नत बनाने हेतु आमंत्रित किया जाता है। वे ‘स्मारक मित्र’ बनेंगे और इन स्थलों को गोद लेंगे। उनके द्वारा पर्यटक स्थलों पर आधारभूत और उन्नत सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी। उनके द्वारा इनका संचालन और इनकी देखभाल भी की जाएगी।

भारत में पर्यटन को बढ़ावा देने वाली योजनाएं (Schemes to boost Tourism in India)

  • स्वदेश दर्शन (Swadesh Darshan): यह योजना, पूर्वोत्तर भारत सर्किट, बौद्ध सर्किट, हिमालय सर्किट जैसे योजनाबद्ध और प्राथमिकता के आधार पर पर्यटन क्षमता वाले 15 थीम आधारित पर्यटन सर्किटों के विकास हेतु बनाई गई है। चिन्हित किए गए सर्किटों में एकीकृत अवसंरचनात्मक विकास, देश की सांस्कृतिक विरासत को बढ़ावा देना, सर्किट गंतव्यों में विश्व स्तरीय अवसंरचना का विकास, गरीबोन्मुखी पर्यटन दृष्टिकोण अपनाने, स्थानीय कला को प्रोत्साहित करने, हस्तशिल्प, व्यंजनों के विकास को बढ़ावा और रोज़गार सृजित करने जैसे कार्य किये जाएँगे।
  • तीर्थयात्रा पुनरुद्धार और आध्यात्मिक संवर्धन अभियान (प्रसाद) के लिए राष्ट्रीय मिशन (National Mission on Pilgrimage rejuvenation and Augmentation Drive, PRASAD): इसका उद्देश्य सतत तीर्थयात्रा पर्यटन को बढ़ावा देना, सुरक्षा मानकों को सुदृढ़ बनाना और तीर्थस्थल वाले नगरों में पर्यटन सेवाएँ, सुरक्षा आदि उपलब्ध कराना है।
  • हुनर से रोज़गार तक (Hunar Se Rozgar Tak): युवाओं के बीच नियोजन योग्य कौशल का सृजन करने हेतु यह पहल पूर्ण रूप से पर्यटन मंत्रालय द्वारा वित्तपोषित है।
  • स्वच्छ भारत स्वच्छ पकवान (हुनर जायका) {Swachh Bharat Swachh Pakwan (HunarZaika)} : आतिथ्य सेवा हेतु दी जाने वाली सेवाओं में स्ट्रीट फूड विक्रेताओं की एक बड़ी संख्या शामिल है और सम्पूर्ण भारत में एक लम्बे समय से इनकी उपस्थिति रही है। स्ट्रीट फूड की क्वालिटी बेहतर बनाने के लिए यह कार्यक्रम शुरू किया गया है।
  • अतुल्य भारत हेल्पलाइन (Incredible India Helpline): पायलट आधार पर स्थापित इस योजना को पर्यटन मंत्रालय द्वारा आरम्भ किया गया है, अतुल्य भारत हेल्प लाइन’ का संचालन इसलिए किया जा रहा है ताकि पर्यटकों को प्राकृतिक उपदाओं में या अन्य स्थानों पर फंसे होने पर उनका मार्गदर्शन किया जा सके।
ग्लोबल कोड ऑफ़ एथिक्स फॉर टूरिज्म (Global Code of Ethics for Tourism)

  • ग्लोबल कोड ऑफ़ एथिक्स फॉर टूरिज्म को (GCET) 1999 में अपनाया गया। यह जनरल असेंबली ऑफ़ दी वर्ल्ड टूरिज्म आर्गेनाईजेशन द्वारा डिजाइन किया गया नियमों का व्यापक सेट है। जिसका उद्देश्य पर्यटन विकास के महत्वपूर्ण घटकों जैसे सरकार, यात्रा उद्योग, समुदाय और पर्यटकों आदि सभी अभिकर्ताओं को सामान रूप से दिशा-निर्देश प्रदान करना है।
  • इसका उद्देश्य पूरे विश्व में पर्यावरण, सांस्कृतिक विरासत और समाज पर पड़ने वाले इसके संभावित नकारात्मक प्रभाव को कम करते हुए इस क्षेत्र के लाभ को अधिकतम बनाने में सहायता प्रदान करना है।
  • यह विभिन्न आयामों से संबंधित है जैसे- पर्यटन में बाल संरक्षण, सुलभ पर्यटन, लिंग और पर्यटन, सांस्कृतिक विरासत और अमूर्त सांस्कृतिक विरासत (ICH), सृजनात्मक उद्योग एवं पर्यटन के माध्यम से सामुदायिक सशक्तिकरण जो मुख्यतः महिलाओं, युवाओं, स्वदेशी समुदायों और
    दिव्यांगजनों पर केंद्रित हो।
  • कोड के 10 सिद्धांतों में यात्रा और पर्यटन के आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक और पर्यावरणीय घटकों को शामिल किया गया है:
    • अनुच्छेद 1: लोगों और समाजों के मध्य पारस्परिक समझ और सम्मान में पर्यटन का योगदान।
    • अनुच्छेद 2: व्यक्तिगत और सामूहिक आपूर्ति के माध्यम के रूप में पर्यटन।
    • अनुच्छेद 3: पर्यटन, संधारणीय विकास के एक कारक के रूप में पर्यटन।
    • अनुच्छेद 4: पर्यटन, मानव जाति की सांस्कृतिक विरासत का उपयोगकर्ता और इसकी वृद्धि में योगदानकर्ता।
    • अनुच्छेद 5: पर्यटन, मेजबान देशों और समुदायों के लिए एक लाभकारी प्रक्रिया।
    • अनुच्छेद 6: पर्यटन विकास में हितधारकों के दायित्व।
    • अनुच्छेद 7: पर्यटन का अधिकार।
      अनुच्छेद 8: पर्यटकों के आने-जाने की स्वतंत्रता।
    • अनुच्छेद 9: पर्यटन उद्योग में श्रमिकों और उद्यमियों के अधिकार।
    • अनुच्छेद 10: पर्यटन हेतु वैश्विक आचार संहिता के सिद्धांतों का कार्यान्वयन।

निष्कर्ष (Conclusion)

  • पर्यटन को बहुलवाद और बहुसंस्कृतिवाद को बढ़ावा देने वाले एक माध्यम के रूप में भी देखा जा
    सकता है, जो भारत के विभिन्न समुदायों के बीच धर्मनिरपेक्षता और सांप्रदायिक सद्भाव के
    निर्माण और इसके विस्तार में सहायक हो सकता है।
  • पर्यटन गाइड, टूर पैकेज, आतिथ्य सेवाओं के माध्यम से पर्यटन में रोज़गार सृजन हेतु अपार
    संभावना विद्यमान है और पर्यटन के माध्यम से भारत की “सॉफ्ट पावर” को बेहतर बनाने हेतु भारत को इस क्षेत्र की किसी भी संभावना को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए।
  • भारत का पर्यटन उद्योग विकास की एक बेहतर स्थिति का अनुभव कर रहा है, जो भारतीय मध्यम वर्ग की बढ़ती संख्या, विदेशी पर्यटकों द्वारा व्यय में वृद्धि और सरकार द्वारा पर्यटन को प्रोत्साहित करने हेतु प्रारंभ किए गए अभियानों के साथ समन्वय के माध्यम से आगे बढ़ रहा है।
  • पर्यटन उद्योग आवास, विश्राम, मनोरंजन, खाद्य और पेय सेवाओं, परिवहन तथा यात्रा सेवाओं सहित अनेक उद्योगों का एक जटिल समूह है। इसके अंतर्गत घरेलू, व्यापार, अवकाश या अन्य उद्देश्यों के लिए आंतरिक (inbound) तथा बाह्य (outbound) यात्राएँ शामिल होती हैं। अतः, इसके वृहद विस्तार के कारण, पर्यटन विकास के लिए निजी व्यवसाय, सरकारी एजेंसियों,
    शैक्षणिक संस्थानों, समुदायों एवं नागरिकों सहित सभी क्षेत्रों के लोगों की भागीदारी की आवश्यकता होती है।
  • अतः, हम कह सकते हैं कि भारत विभिन्न उद्योगों से अलग पर्यटन उद्योग के एक पृथक परिधीय दृष्टिकोण (peripheral vision) को विकसित करने का प्रयास कर रहा है, जिससे आय के साधन सृजित हों और वह उन राष्ट्रों के समूह में शामिल हो जाए जिनके पास बेहतर पर्यटन की आधारभूत अवसंरचना उपलब्ध है।
  • भारत में पर्यटन का भविष्य निश्चित रूप से उज्वल है लेकिन हमें एक लम्बी यात्रा तय करनी है। दार्शनिक लाओत्से (Lao Tzu) ने कहा था, “एक हजार मील की यात्रा एक कदम के साथ शुरू होती है और इस क्षेत्र में हाल ही में हुए विकास के साथ वह पहला कदम उठाया जा चुका है।

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