एन्सो , मेडेन-जूलियन दोलन एवम हिन्द महासागर द्विध्रुव और भारतीय मानसून पर इनके प्रभावों की व्याख्या

प्रश्न: निम्नलिखित परिघटनाओं और भारतीय मानसून पर उनके प्रभाव का एक संक्षिप्त विवरण प्रस्तुत कीजिए:

(a) ENSO (एन्सो)

(b) Madden-Julian Oscillation (मेडेन-जूलियन दोलन)

(c) Indian Ocean Dipole (हिन्द महासागर द्विध्रुव)

दृष्टिकोण

  • प्रथम भाग में, एन्सो और भारतीय मानसून पर इसके प्रभावों की व्याख्या कीजिए।
  • दूसरे भाग में, मेडेन-जूलियन दोलन और भारतीय मानसून पर इसके प्रभावों की व्याख्या कीजिए।
  • तीसरे भाग में, हिन्द महासागर द्विध्रुव और भारतीय मानसून पर इसके प्रभावों की व्याख्या कीजिए।

उत्तर

एन्सो (ENSO) और भारतीय मानसून पर इसका प्रभाव:

अल-नीनो दक्षिणी दोलन (EI Nino Southern Oscillation: ENSO) एक वैज्ञानिक शब्द है जो विषुवतीय क्षेत्र में मध्य-पूर्वी प्रशांत महासागरीय सतही जल के तापमान एवं वायु दाब में अस्थिरता तथा सामान्य वाकर सेल पर इसके प्रभाव का वर्णन करता है।

इसमें अल-नीनो एवं ला-नीना की घटनाएँ सम्मिलित हैं: 

  • दक्षिण प्रशांत महासागर का वाकर सेल भारतीय मॉनसून में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। सामान्य वाकर चक्र के दौरान, ऊपर उठती हुई ऑस्ट्रेलियाई शाखा (limb), नीचे आती हुई मास्करेन की उच्च दाब शाखा के साथ युग्मित होती है। इससे मानसून सशक्त होता है।
  • अल-नीनो के दौरान, उत्तरी ऑस्ट्रेलिया के आसपास समुद्री सतह का तापमान सामान्य की तुलना में कम हो जाता है। वाकर सेल के कमजोर होने अथवा व्युत्क्रमण की स्थिति में, मास्करेन उच्च दाब में कमी आती है परिणामतः भारतीय मानसून भी कमजोर हो जाता है।
  • ला-नीना के दौरान, उत्तरी ऑस्ट्रेलिया के आसपास समुद्री सतह का तापमान सामान्य की तुलना में उच्च हो जाता है। वाकर सेल सामान्यतः अधिक सशक्त होकर मास्करेन उच्च दाब को कम करती है। इसके फलस्वरूप भारतीय मॉनसून भी अधिक सशक्त हो जाता है।

मेडेन-जूलियन दोलन (Madden-Julian Oscillation:MJO) और भारतीय मानसून पर इसका प्रभाव:

  • MJO एक महत्वपूर्ण परिघटना है, जिसमें ऊर्ध्वाधर संवहन वायुमंडलीय परिसंचरण के साथ युग्मित होता है तथा यह हिन्द एवं प्रशांत महासागर पर पूर्व की ओर संचरित होता है। प्रत्येक चक्र लगभग 30-60 दिनों तक जारी रहता है। इसमें वायु, समुद्री सतह के तापमान, बादल निर्माण और वर्षा इत्यादि में भिन्नताएं शामिल हैं।
  • जैसे-जैसे यह संचरित होता है, प्रायः सशक्त MJO गतिविधि पृथ्वी को दो भागों में विभाजित करती है – पहला, जिसमें MJO सक्रिय चरण में होता है और औसत वर्षण से अधिक वर्षा होती है तथा दूसरा जिसमें यह वर्षण में कमी करता है।
  • MJO का प्रभाव मुख्य रूप से उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में अधिक होता है। हिंद महासागर से संचरित एक सक्रिय MJO मानसून को सशक्त करता है जिससे देश के अधिकांश भागों में अत्यधिक वर्षा होती है।

हिन्द महासागर द्विध्रुव (Indian Ocean Dipole:IOD) और भारतीय मानसून पर इसका प्रभाव:

IOD उष्णकटिबंधीय हिंद महासागर में एक वायुमंडलीय-महासागरीय युग्मित परिघटना है तथा समुद्री-सतही तापमान में अंतर इसकी मुख्य विशेषता है।

  • एक सकारात्मक IOD की स्थिति, अरब सागर के सतही जल का तापमान सामान्य की तुलना में अधिक होने तथा उष्णकटिबंधीय पूर्वी हिंद महासागर के सतही जल का तापमान सामान्य की तुलना में कम होने पर उत्पन्न होती है। इसकी विपरीत स्थिति में नकारात्मक IOD का विकास होता है।
  • विभिन्न अध्ययनों से ज्ञात होता है कि एक सकारात्मक IOD के दौरान अरब सागरीय वाष्पीकरण तथा मास्करेन उच्च दाब संयुक्त रूप से, भारतीय उपमहाद्वीप के मानसून को सशक्त करता है। इसके अतिरिक्त आरंभिक IOD परिघटनाओं के दौरान मानसून विच्छेद की स्थितियां कम होती हैं। इसके साथ ही एक सकारात्मक IOD भारतीय मानसून पर अल-नीनो के प्रभाव को भी कम करता है।

Read More

 

Add a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *


The reCAPTCHA verification period has expired. Please reload the page.