केस स्टडीज : नैतिक मुद्दे

प्रश्न: आपको हाल ही में सार्वजनिक क्षेत्रक के एक बैंक में शाखा प्रबंधक के रूप में पदोन्नत किया गया है। यह बैंक उच्च NPAs और बढ़ते नुकसान से जूझ रहा है। उच्च प्रबंधन ने वर्तमान तिमाही में ऋण वितरित करने का एक अत्यधिक उच्च लक्ष्य आपको सौंपा है। आपके करियर की संभावनाएं भी महत्वपूर्ण समय में आपके प्रदर्शन पर निर्भर करती हैं। कुछ दिनों पूर्व विस्तृत विश्लेषण के आधार पर आपने एक विशाल राशि के लिए एक ऋण आवेदन अस्वीकार कर दिया था। आज आपको क्षेत्रीय प्रबंधक की ओर से उस ऋण आवेदन को शीघ्रतापूर्वक अनुमोदित करने के लिए फोन आया। इसे स्वीकृत करने हेतु आपके द्वारा अनिच्छा व्यक्त किये जाने पर, वह आपको संकेत करते हैं कि इस ऋण की मांग ऐसे व्यक्ति द्वारा की जा रही है जिसके वित्त मंत्रालय से घनिष्ठ संबंध हैं और इंकार करने पर अनुमोदन श्रृंखला में विद्यमान प्रत्येक व्यक्ति के लिए प्रतिकूल परिणाम होंगे। अब आप एक कठिन परिस्थिति में फंस गए हैं। दी गई जानकारी के आधार पर, निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए:

(a) उपर्युक्त मामले में समाविष्ट नैतिक मुद्दों को प्रस्तुत कीजिए।

(b) दिए गए मामले में वरिष्ठ अधिकारी की मांगों के प्रति सहमत होने के परिणाम क्या होंगे। आकलन कीजिए कि उनमें से कौन-से अनुकरणीय हैं और कौन-से नहीं।

(c) ऐसे संस्थागत सुधारों का सुझाव दीजिए जिससे ईमानदारी से दी गई प्रतिपुष्टि (फीडबैक) के लिए कोई सजा न भुगतनी पड़े।

दृष्टिकोण

  • दिए गए मामले (केस) में समाविष्ट नैतिक मुद्दों का उल्लेख कीजिए।
  • दिए गए परिदृश्य में वरिष्ठ अधिकारी की मांगों से सहमत होने के परिणामों पर चर्चा कीजिए।
  • ऐसे मुख्य सुधार सुझाइए जिनके परिणामस्वरूप ईमानदारी से दी गयी प्रतिपुष्टि (फीडबैक) के लिए कोई सजा न भुगतनी पड़े।

उत्तर

(a) इस मामले में निहित नैतिक मुद्दे निम्नलिखित हैं:  

  • संस्थान अर्थात् बैंक की सत्यनिष्ठा- किसी भी व्यवस्था में निर्णय उनके द्वारा लिया जाना चाहिए जो निर्णय लेने के लिए अधिकृत हैं। यदि एक बार तर्कपूर्ण विचार विमर्श के पश्चात निर्णय ले लिए जाता है, तो उसमें हस्तक्षेप नहीं किया जाना चाहिए। यदि हस्तक्षेप होता है तो वह पूरी प्रक्रिया को कमजोर बना देता है और संगठन की सत्यनिष्ठा को कमजोर करता है।
  • ऋण देने की संस्कृति का ह्रास – बाह्य प्रभाव के अधीन तकनीकी निर्णय लिए जाने से इस प्रकार के निर्णयों में विश्लेषण करने की संस्कृति के ह्रास का मार्ग प्रशस्त होता है और स्वतंत्र रूप से विचार करने के सन्दर्भ में एक नकारात्मक परिवेश का निर्माण होता है।
  • जवाबदेहिता सुनिश्चित करने वाले उपायों का अभाव – यहाँ एक वरिष्ठ अधिकारी द्वारा एक अधीनस्थ अधिकारी को स्पष्ट रूप से भ्रष्ट अनुरोध स्वीकार करने का आदेश दिया जा रहा है जो प्रणाली में जवाबदेहिता सुनिश्चित करने वाले उपायों की कमी को दर्शाता है।
  • क्रोनी कैपिटलिज्म और सरकार में सार्वजनिक विश्वास – यदि किसी ऐसी परियोजना के लिए सार्वजनिक धन उपलब्ध कराया जाता है जिसमें उच्च जोखिम और पुनर्णाप्ति की आशा कम है, तो इससे शासी संस्थाओं के प्रति लोगों के विश्वास में कमी आएगी।
  • संगठन की नैतिक संहिता का उल्लंघन: वरिष्ठ के दबाव के कारण ऋण को स्वीकृति प्रदान करने से वर्तमान में बढ़ते NPA और घाटे की समस्या में और अधिक वृद्धि होगी।
  • अधिकारियों द्वारा शक्ति का दुरुपयोग।
  • राष्ट्र की आर्थिक स्थिति: ऋण को स्वीकृति प्रदान करना देश की अर्थव्यवस्था के लिए संभावित रूप से घातक है क्योंकि अर्थव्यवस्था पहले ही NPA संकट की स्थिति से जूझ रही है।

(b) मेरे द्वारा वरिष्ठ अधिकारी की मांगों से सहमत होने के परिणाम और लाभ निम्नलिखित हैं:

  • ऋण की त्वरित स्वीकृति क्षेत्रीय प्रबंधक के साथ-साथ ऋण की आवश्यकता वाले व्यक्ति (जिसके नेताओं/उच्च अधिकारियों से घनिष्ठ संबंध हैं) को भी प्रसन्न करेगी। इस प्रकार, यह मेरे करियर वृद्धि में सहायक हो सकता है। हालांकि ऐसा करने से बढ़ते NPAS और बढ़ते ऋण जैसी पहले से ही विद्यमान समस्याओं में वृद्धि हो सकती है। इसके साथ ही यह एक ऐसी कार्य संस्कृति के उदाहरण के रूप में स्थापित हो सकता है जिसमें नेताओं से घनिष्ठ संबंध रखने वाले लोग आधिकारिक प्रक्रियाओं की अनदेखी कर सकते हैं।
  • इसके अतिरिक्त, यह अनुमोदन ऋण प्रदान करने संबंधी निर्धारित उच्च लक्ष्य को पूरा करने में मेरी सहायता कर सकता है। हालांकि, पर्याप्त जोखिम मूल्यांकन के बिना ही वितरित किये गए इस ऋण के कारण दीर्घावधि में मेरे पेशेवर करियर को गंभीर रूप से नुकसान पहुंच सकता है।
  • यह एक व्यावहारिक कदम भी नहीं है क्योंकि बाह्य वित्तीय लेखापरीक्षा सम्पूर्ण आदेश श्रृंखला की विश्वसनीयता को जोखिम में डाल सकती है।

इस प्रकार, इस परिदृश्य में सही कदम ऋण वितरण से संबंधित जोखिमों का आकलन करना तथा इससे संबंधित रिपोर्ट को क्षेत्रीय प्रबंधक और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों के समक्ष प्रस्तुत करना होगा ताकि उनके द्वारा बेहतर तरीके से एक सूचित निर्णय लिया जा सके।यह एक सराहनीय कदम होगा क्योंकि यह संगठनात्मक पदानुक्रम में आत्मविश्वास और राजकोषीय औचित्य के सिद्धांतों का पर्याप्त रूप से पालन किये जाने को सुनिश्चित करेगा।

(c) ऐसे संस्थागत सुधार जिनसे ईमानदारी से दी गई प्रतिपुष्टि (फीडबैक) के लिए कोई सजा न भुगतनी पड़े, निम्नलिखित हैं:

  • निर्णय-निर्माण प्रक्रिया में पारदर्शिता का अनुपालन किया जाना चाहिए तथा निर्णय निर्माण की प्रक्रिया और मानदंडों को सार्वजनिक किया जाना चाहिए। यह संगठन पर वस्तुनिष्ठ मानदंडों को बनाए रखने हेतु बाहरी दबाव उत्पन्न करेगा और यह सुनिश्चित करेगा कि इन मानदंडों से समझौता करके ऐसे आदेश जारी न किये जाएँ जिनका विश्लेषणात्मक आधार नहीं है।
  • संगठन में सीखने और नेतृत्व की संस्कृति: नेतृत्व को विकसित करने हेतु निर्णय लेने की स्वतंत्रता की आवश्यकता होती है। एक संगठन जो सीखने और नेतृत्व के मूल्यों को मान्यता प्रदान करता है, उसे इसके लिए दंडित करने के स्थान पर ईमानदारी से प्रतिपष्टि (फीडबैक) प्राप्त करनी चाहिए।
  • प्रभावी आंतरिक शिकायत निवारण तंत्र के साथ ही सुदृढ़ आंतरिक सतर्कता प्रणाली।
  • ईमानदार अधिकारियों और व्हिसल ब्लोअर की सुरक्षा हेतु सशक्त कानून और नैतिक संहिता का निर्माण और क्रियान्वयन।
  • स्वायत्तता सुनिश्चित करने के लिए बैंकों में शासन संबंधी सुधार करना ताकि वे अनैतिक मांगों को स्वीकार न करें और ईमानदारी से दी गई प्रतिपुष्टि के लिए किसी को दंडित न करें।

Read More

Add a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *


The reCAPTCHA verification period has expired. Please reload the page.