भवनों में ऊर्जा दक्षता : तीव्र शहरीकरण से उत्पन्न होने वाले ऊर्जा संकट

प्रश्न: भवनों में ऊर्जा दक्षता को भारत के शहरीकरण की रणनीति के केंद्र में रखने की आवश्यकता है। टिप्पणी कीजिए। इस संदर्भ में ऊर्जा संरक्षण भवन संहिता (एनर्जी कंजर्वेशन बिल्डिंग कोडः ECBC) 2017 के महत्व का सविस्तार वर्णन कीजिए।

दृष्टिकोण

  • तीव्र शहरीकरण से उत्पन्न होने वाले ऊर्जा संकट की संक्षेप में चर्चा कीजिए।
  • चर्चा कीजिए कि इस संदर्भ में भवनों में ऊर्जा दक्षता कैसे महत्वपूर्ण होगी।
  • ऊर्जा दक्षता में सुधार हेतु ECBC के महत्व पर चर्चा कीजिए।

उत्तर

2030 तक भारत की 40.76% जनसंख्या के शहरी क्षेत्रों में निवास करने की संभावना के साथ भारत तीव्र शहरीकरण की प्रक्रिया से गुजर रहा है। इसका अर्थ यह है कि आवास, परिवहन, उद्योग, प्रकाश आदि के लिए ऊर्जा की माँग में वृद्धि होगी। ऊर्जा की कमी वाला देश होने के कारण यह महत्वपूर्ण है कि हम अधिक ऊर्जा दक्ष उपयोग मानकों का प्रयोग कर अपने ऊर्जा संसाधनों का संरक्षण करें।

वैश्विक स्तर पर भवन क्षेत्र 42% विद्युत् का उपयोग करता है जो कि किसी भी अन्य क्षेत्र की तुलना में अधिक है। ऊर्जा दक्ष भवनों की परिचालन लगात कम होती है और ये निवास हेतु आरामदायक एवं अधिक पर्यावरण अनुकूल होते हैं। इस प्रकार ये अनियोजित रूप से बढ़ते हुए शहरीकरण के प्रभाव को कम कर सकते है।

एनर्जी कंजर्वेशन बिल्डिंग कोड (ECBC), 2017 की सर्वोत्तम अंतर्राष्ट्रीय प्रणालियों से तुलना करने पर अनुकूल निष्कर्ष प्राप्त होते हैं। यदि इसे सही तरीके से क्रियान्वित किया जाए तो नये भवनों को ऊर्जा उपभोक्ता के स्थान पर ऊर्जा उत्पादक बनाया जा सकता है।

  • ECBC में भवन निर्माण प्रौद्योगिकी में वर्तमान और साथ ही भविष्य के विकास का प्रावधान किया गया है। इससे ऊर्जा की खपत कम होगी और न्यून कार्बन (low carbon) संवृद्धि को बढ़ावा मिलेगा।
  • यह भवन निर्माताओं, डिजाइन बनाने वालों और वास्तुकारों के लिए मानकों का निर्धारण करता है ताकि वे निष्क्रिय डिजाइन रणनीतियों का प्रयोग करते हुए भवन के डिजाइन में नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों का समेकन करें।
  • इस कोड का उद्देश्य निवासियों के लिए आराम के उच्च स्तर के साथ ही ऊर्जा बचत को इष्टतम बनाना है। साथ ही यह वाणिज्यिक भवनों में ऊर्जा तटस्थता प्राप्त करने के लिए जीवन चक्र लागत प्रभावशीलता (life-cycle cost effectiveness) को वरीयता देता है।
  • पूरे देश में नए वाणिज्यिक भवनों के निर्माण के लिए ECBC 2017 अपनाने से, 2030 तक ऊर्जा उपयोग में 50% की कमी आने का अनुमान है। इसका अर्थ है कि 2030 तक लगभग 300 बिलियन यूनिट ऊर्जा की बचत और उच्चतम माँग (peak demand) में एक वर्ष के अंदर 15 गीगावॉट से अधिक की कमी आएगी। यह 35,000 करोड़ रुपये के व्यय की बचत और 250 करोड़ टन कार्बन डाई ऑक्साइड में कमी के समतुल्य होगा।

इस प्रकार, ECBC भवनों में ऊर्जा दक्षता के लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि इसमें शहरीकरण और संधारणीय विकास के मध्य सामंजस्य स्थापित करने की क्षमता है।

Read More 

Add a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *


The reCAPTCHA verification period has expired. Please reload the page.