भारत सरकार अधिनियम, 1919 : भारतीय स्वतंत्रता संघर्ष में एक ऐतिहासिक घटना के रूप में इसके महत्व
प्रश्न: भारत सरकार अधिनियम, 1919 द्वारा आरम्भ किए गए प्रमुख परिवर्तनों और भारतीय स्वतंत्रता संघर्ष में एक ऐतिहासिक घटना के रूप में इसके महत्व पर चर्चा कीजिए।
दृष्टिकोण
- उन परिस्थितियों एवं स्थितियों का संक्षिप्त विवरण दीजिए जिनके तहत (भारत में) भारत सरकार अधिनियम, 1919 को अधिनियमित किया गया।
- भारत सरकार अधिनियम, 1919 द्वारा आरम्भ किए गए प्रमुख परिवर्तनों और इसकी मुख्य विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
- उदाहरणों के साथ प्रदर्शित कीजिए कि किस प्रकार यह भारत के स्वतंत्रता संग्राम में एक महत्त्वपूर्ण ऐतिहासिक घटनाक्रम था।
- उपर्युक्त बिंदुओं के आधार पर निष्कर्ष प्रस्तुत कीजिए।
उत्तर
मोंटेग्यू-चेम्सफोर्ड सुधारों पर आधारित भारत सरकार अधिनियम, 1919 को प्रथम विश्व युद्ध के परिणामस्वरूप अधिनियमित किया गया था। युद्ध में भारतीय भागीदारी और साथ ही युद्ध के दौरान होम रूल आंदोलन एवं क्रांतिकारी आंदोलनों के कारण ब्रिटिश सरकार पर संवैधानिक सुधार प्रस्तावित करने के लिए दबाव बना हुआ था।
अधिनियम द्वारा आरम्भ किए गए प्रमुख परिवर्तन इस प्रकार थे:
- द्वैध शासन: प्रांतीय स्तर पर शासन की दोहरी प्रणाली को प्रारंभ किया गया। इसके तहत प्रांतीय विषयों को दो भागों में विभाजित किया गया- निर्वाचित एवं उत्तरदायी प्रांतीय सरकार द्वारा प्रशासित हस्तांतरित विषय तथा गवर्नर और उसकी कार्यकारी परिषद द्वारा प्रशासित आरक्षित विषय।
- उत्तरदायी सरकार की शुरुआत: इसका उद्देश्य स्थानीय सरकारों एवं विधानसभाओं को केंद्रीय नियंत्रण से मुक्त करना तथा प्रांतों में एक उत्तरदायी सरकार का मार्ग प्रशस्त करना था।
- द्विसदनात्मक व्यवस्था एवं प्रत्यक्ष चुनाव: केंद्रीय विधान सभा और राज्य परिषद के साथ एक द्विसदनीय व्यवस्था प्रारंभ की गई। इस अधिनियम के द्वारा पहली बार प्रत्यक्ष चुनाव की भी शुरुआत की गयी।
- सीमित मताधिकार: इसके तहत संपत्ति, कर या शिक्षा के आधार पर सीमित लोगों को मतदान का अधिकार प्रदान किया गया।
- भारतीयों का प्रतिनिधित्व: यह निर्धारित किया गया कि वायसराय की कार्यकारी परिषद के छह सदस्यों में से तीन (कमांडर-इन-चीफ के अतिरिक्त) भारतीय हों।
- सांप्रदायिक निर्वाचन मंडल का गठन: इसने सिख, भारतीय ईसाई, आंग्ल-भारतीय और यूरोपीय लोगों को पृथक निर्वाचन मंडल प्रदान करके सांप्रदायिक प्रतिनिधित्व के सिद्धांत को विस्तारित किया।
- इसके तहत पहली बार प्रांतीय बजट को केंद्रीय बजट से पृथक किया गया तथा प्रांतीय विधानसभाओं को अपने बजट को अधिनियमित करने के लिए अधिकृत किया गया।
- भारत के राज्य सचिव के वेतन का भुगतान ब्रिटिश राजकोष से किए जाने का प्रावधान किया गया।
विभिन्न सुधारों के बावजूद इस अधिनियम की कुछ सीमाएं भी थीं, जैसे-
- द्वैधशासन को सुचारु रूप से परिचालित करना अत्यधिक जटिल था और इसके अतिरिक्त गवर्नर-जनरल एवं गवर्नरों को क्रमशः केंद्र और प्रांतों में विधायिका को बाधित करने हेतु व्यापक शक्तियां प्राप्त थीं।
- मतदान के अधिकार सीमित थे तथा आम आदमी तक इसका विस्तार नहीं था।
- केंद्रीय विधायिका की वित्तीय शक्तियां भी अत्यधिक सीमित थीं।
इस अधिनियम की अनेक सीमाएँ थीं और यह भारतीयों की अपेक्षाओं को पूरा नहीं कर सका। हालाँकि, निम्नलिखित कारणों से इसे भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में एक ऐतिहासिक मील का पत्थर माना जा सकता है:
- पुरस्कार के रूप में ‘भारत सरकार अधिनियम, 1919’ तथा दंड के रूप में ‘रौलट एक्ट’ को लागू करने के साथ ब्रिटिश सरकार ने पुरस्कार एवं दंड की नीति को जारी रखा।
- रौलट एक्ट के विरोध में गांधीजी द्वारा रौलट सत्याग्रह का नेतृत्व किया गया। द्वैध शासन की दोषपूर्ण योजना भारतीयों की स्वशासन के लिए बढ़ती मांग को पूरा करने में विफल रही। इस अधिनियम और साथ ही जलियांवाला बाग हत्याकांड से उत्पन्न असंतोष एवं इनकी अनुवर्ती हंटर समिति की रिपोर्ट ने 1921 में ऐतिहासिक असहयोग आंदोलन आरम्भ किए जाने का मार्ग प्रशस्त किया।
- सांप्रदायिक पंचाट (1932), भारत सरकार अधिनियम, 1919 के तहत सिखों, भारतीय ईसाइयों, आंग्ल-भारतीयों और यूरोपीय लोगों को प्रदत्त सांप्रदायिक निर्वाचक मंडल का एक अन्य विस्तार था।
- भारत सरकार अधिनियम, 1919 के तहत संवैधानिक प्रगति की समीक्षा के लिए ब्रिटिश सरकार ने साइमन कमीशन की नियुक्ति की, जिसने भविष्य के सुधारों हेतु मार्ग प्रशस्त किया। यह अधिनियम भारत सरकार अधिनियम, 1935 और अंततः संविधान का आधार बना। उत्तरदायी सरकार, स्वशासन और संघीय ढांचे के महत्त्वपूर्ण सिद्धांत इन सुधारों के माध्यम से विकसित हुए।
2019 में भारत सरकार अधिनियम, 1919 के 100 वर्ष पूर्ण हुए। इस अधिनियम को कुछ सर्वाधिक मूलभूत प्रशासनिक परिवर्तनों को आरम्भ करने और प्रांतीय विधानसभाओं को स्वशासन का दायित्व प्रदान करने के लिए जाना जाता है। हालांकि यह भारतीयों की आकांक्षाओं एवं अपेक्षाओं को पूरा करने में विफल रहा।
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