भारत के निर्वाचन आयोग (ECI) की शक्तियों और कार्यों का संक्षिप्त परिचय

प्रश्न: भारत के निर्वाचन आयोग (ECI) की शक्तियों और कार्यों पर प्रकाश डालिए। साथ ही, ECI की स्वतंत्रता और निष्पक्षता से संबंधित मुद्दों की चर्चा कीजिए।

दृष्टिकोण:

  • भारत के निर्वाचन आयोग (ECI) का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
  • इसकी प्रशासनिक, परामर्शकारी एवं अर्द्ध-न्यायिक शक्तियों तथा कार्यों को रेखांकित कीजिए।
  • आयोग की स्वतंत्रता के संबंध में किए गए प्रावधानों का उल्लेख कीजिए तथा इससे संबंधित विभिन्न मुद्दों की चर्चा कीजिए।

उत्तर:

भारतीय संविधान द्वारा स्थापित निर्वाचन आयोग स्वतंत्र एवं निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करने के लिए एक स्थायी एवं स्वतंत्र निकाय है। आयोग के क्षेत्राधिकार के अंतर्गत भारतीय संसद, राज्य विधानमंडल, राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के निर्वाचन सम्मिलित हैं।

भारत निर्वाचन आयोग (ECI) की शक्तियाँ एवं कार्य

  • प्रशासनिक: निर्वाचन आयोग को निर्वाचन क्षेत्रों के विस्तार या सीमाओं के निर्धारण, निर्वाचक नामावलियाँ तैयार करने, चुनावों की तिथियों एवं कार्यक्रमों की घोषणा करने, राजनीतिक दलों को मान्यता प्रदान करने, दलों को चुनाव चिह्न आवंटित करने, चुनाव के दौरान आचार संहिता लागू करने आदि की शक्तियां प्रदान की गई हैं।
  • परामर्शकारी: ECI को संसद और राज्य विधायिका के सदस्यों की अयोग्यता से संबंधित मामलों पर क्रमशः राष्ट्रपति और राज्यपाल को परामर्श देने की शक्ति प्रदान की गई है।
  • अर्द्ध-न्यायिक: यह राजनीतिक दलों को मान्यता प्रदान करने से संबंधित विवादों एवं चुनाव चिह्न के आवंटन से उत्पन्न विवादों के निपटान हेतु एक न्यायालय के रूप में भी कार्य करता है।

भारत निर्वाचन आयोग (ECI) की स्वतंत्रता एवं निष्पक्षता:

संविधान के अनुच्छेद 324 में चुनाव आयोग की स्वतंत्र और निष्पक्ष कार्यप्रणाली को सुरक्षित एवं सुनिश्चित करने हेतु कई प्रावधान अन्तर्निहित हैं:

  • मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) को उसके पद से किन्हीं राजनीतिक कारणों के आधार पर पदच्युत नहीं किया जा सकता है तथा उसे उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीशों के समान संरक्षण प्राप्त है।
  • CEC की सेवा शर्तों में नियुक्ति के पश्चात् उसके लिए अलाभकारी परिवर्तन नहीं किया जा सकता है।
  • निर्वाचन आयुक्तों को CEC की सिफारिश पर ही उनके पद से हटाया जा सकता है अन्यथा नहीं।

इन प्रावधानों के बावजूद, कुछ ऐसे मुद्दे हैं जो इसकी पूर्ण स्वतंत्रता और निष्पक्षता में बाधा उत्पन्न करते हैं:

नियुक्ति संबंधी मुद्दे:

  • संविधान में इनकी अहर्ता निर्धारित नहीं: सदस्यों की नियुक्ति हेतु किसी निर्धारित मापदंड या प्रक्रिया का अभाव है।
  • राजनीति प्रेरित नियुक्तियाँ: वर्तमान में नियुक्तियां सरकार द्वारा एकपक्षीय रूप से की जाती हैं, जिससे पक्षपातपूर्ण नियुक्तियों की संभावना बढ़ जाती है। यह इसकी विश्वसनीयता में कमी लाता है।

कार्यकाल की सुरक्षा:

संविधान में निर्वाचन आयोग के सदस्यों के कार्यकाल/पदावधि को निर्दिष्ट नहीं किया गया है। इसके अतिरिक्त, निर्वाचन आयुक्तों को CEC की तरह कार्यकाल की सुरक्षा प्राप्त नहीं है।

सेवानिवृत्ति के पश्चात् नियुक्ति:

सेवानिवृत्त निर्वाचन आयुक्तों को संविधान द्वारा राज्य के तहत लाभ का पद ग्रहण करने या सेवानिवृत्ति के पश्चात् किसी राजनीतिक दल की सदस्यता ग्रहण करने से प्रतिबंधित नहीं किया गया है।

वित्तीय स्वायत्तता:

वर्तमान में, ECI का बजट भारत की संचित निधि पर भारित नहीं है, जो इसकी स्वतंत्रता एवं स्वायत्तता को कम करता है।

इस सन्दर्भ में, निर्वाचन आयोग को संस्थागत संरक्षण एवं स्वतंत्रता प्रदान किए जाने आवश्यक हैं ताकि आयोग के प्रति लोगों की विश्वसनीयता को मजबूत किया जा सके। CECs और ECs की नियुक्तियों में किसी भी प्रकार के राजनीतिक पूर्वाग्रह की सम्भावना को समाप्त किया जाना चाहिए तथा साथ ही सभी हितधारकों की पर्याप्त भागीदारी सुनिश्चित किए जाने हेतु अन्य तरीकों को भी अपनाया जाना आवश्यक है।

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