भारत में एकीकृत मल्टीमॉडल परिवहन प्रणाली
प्रश्न: भारत में एकीकृत मल्टीमॉडल परिवहन प्रणाली के संबंध में सरकार की पहलों को संदर्भित करते हुए इसे अपनाने से संबंधित संभावनाओं एवं चुनौतियों पर चर्चा कीजिए।
दृष्टिकोण
- मल्टीमॉडल परिवहन प्रणाली के अर्थ और महत्व पर संक्षिप्त चर्चा कीजिए।
- मल्टीमॉडल लॉजिस्टिक्स के सम्बन्ध में सरकार की पहलों का उल्लेख कीजिए।
- इन पहलों के संदर्भ में, देश में मल्टीमॉडल लॉजिस्टिक्स की संभावनाओं और चुनौतियों पर चर्चा कीजिए।
- आगे की राह के साथ निष्कर्ष दीजिए।
उत्तर
एकीकृत मल्टीमॉडल परिवहन प्रणाली (IMTS) परिवहन के विभिन्न माध्यमों- सड़क, रेल, वायु तथा जल में निर्बाध अंतरसंबद्धता स्थापित करते हए माल एवं यात्रियों के परिवहन की दक्षता एवं गति में सुधार करती है।
सरकार ने एक महत्वाकांक्षी मल्टीमॉडल कार्यक्रम प्रारंभ किया है। इसके तहत 35 मल्टीमॉडल लॉजिस्टिक्स पार्कों एवं 50 आर्थिक गलियारों का विकास तथा इसके क्रियान्वयन हेतु एक स्पेशल पर्पज व्हीकल की स्थापना के लिए राज्यों और निजी क्षेत्र को शामिल करना सम्मिलित है।
अन्य पहले जैसे वस्तु एवं सेवा कर (GST), लॉजिस्टिक्स क्षेत्र को ‘अवसंरचना’ का दर्जा, सागरमाला परियोजना, भारतमाला परियोजना, सेतु भारतम आदि भी IMTS को प्रोत्साहन प्रदान करेंगी।
भारत में IMTS की संभावनाएं
- भारत की भौगोलिक अवस्थिति इसे पारगमन केंद्र (ट्रांजिट हब) के रूप में विकसित होने की क्षमता प्रदान करती है।
- तीव्र शहरीकरण, स्मार्ट सिटीज़ पर बल और माल एवं यात्री यातायात में उत्तरोत्तर वृद्धि।
- अवसंरचना क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) का अन्तर्वाह।
- रेलवे के आधुनिकीकरण, बंदरगाहों और अंतर्देशीय नौवहन के विकास पर नए सिरे से ध्यान दिया जाना।
- औद्योगीकरण एवं अनुषंगी उद्योगों का विकास।
उपर्युक्त संभावनाओं के बावजूद, भारत में IMTS को अपनाने में अनेक चुनौतियाँ विद्यमान हैं:
- फ्लीट ऑपरेटरों व गोदामों की अत्यधिक संख्या तथा न्यूनतम क्षमताओं एवं निम्नस्तरीय प्रौद्योगिकियों का उपयोग करने वाला विखंडित और असंगठित लॉजिस्टिक्स उद्योग।
- विभिन्न सरकारी एजेंसियों और मंत्रालयों के मध्य समन्वय में नौकरशाही संबंधी बाधाओं की उपस्थिति। IMTS के लिए विभिन्न स्तरों पर और विभिन्न विभागों के मध्य समन्वित योजना-निर्माण की आवश्यकता है।
- निम्न गुणवत्ता वाली सड़कें और अंतरराज्यीय आवागमन में व्याप्त बाधाएँ।
- यात्री रेलगाड़ियों में क्रॉस-सब्सिडी के कारण उच्च रेल माल भाड़ा।
- वायुमार्ग से माल की ढुलाई में एकीकृत कार्गो अवसंरचना का अभाव।
- बंदरगाहों पर अप्रभावी और समयसाध्य लोडिंग-अनलोडिंग प्रक्रिया तथा बंदरगाह और आंतरिक क्षेत्रों के मध्य ख़राब कनेक्टिविटी।
- परियोजना की पूर्ति में होने वाले विलंब के परिणामस्वरूप निजी अभिकर्ताओं की कमजोर भागीदारी और बैंकों की बढ़ती गैर-निष्पादक परिसंपत्तियाँ (NPAs)।
अतः भारत को तीव्र विकास पथ पर अग्रसरित करने हेतु, सरकार की विभिन्न पहलों और अंतरराष्ट्रीय सड़क परिवहन सम्बन्धी TIR कन्वेंशन, व्यापार सुविधा समझौते (TFA) एवं सेवाओं सम्बन्धी व्यापार समझौते (TISA) जैसे अंतरराष्ट्रीय समझौतों के अग्रसक्रिय कार्यान्वयन के माध्यम से उपर्युक्त चुनौतियों का समाधान किया जाना चाहिए। इसके अतिरिक्त, IMTS के कार्यान्वयन में राज्यों और निजी क्षेत्र की भागीदारी को प्रोत्साहित करना भी आवश्यक है।
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