भारत में भूमि सुधार

प्रश्न: चर्चा कीजिए कि भारत में उपयुक्त भूमि पट्टा कानूनों के अधिनियमन को प्राथमिकता क्यों दी जानी चाहिए।

दृष्टिकोण:

  • भारत में भूमि सुधार के उद्देश्यों की संक्षिप्त पृष्ठभूमि को प्रस्तुत करते हुए उत्तर आरंभ कीजिए।
  • इन उद्देश्यों को पूरा करने के संदर्भ में विद्यमान चुनौतियों का उल्लेख कीजिए।
  • एक उपयुक्त भूमि पट्टेदारी कानून के ढांचे के लाभों पर चर्चा कीजिए।
  • उपर्युक्त बिंदुओं के आधार पर, संक्षेप में निष्कर्ष प्रस्तुत कीजिए।

उत्तर:

भारत में भूमि सुधारों के अंतर्गत कृषि प्रणाली के भीतर मौजूद सभी प्रकार के शोषण और सामाजिक अन्याय को समाप्त करने, काश्तकारों को सुरक्षा प्रदान करने और कृषि उत्पादन के समक्ष विद्यमान बाधाओं को समाप्त करने का लक्ष्य रखा गया था। हालांकि, इन उद्देश्यों को प्राप्त करने में भूमि सुधार केवल आंशिक रूप से ही सफल रहे हैं।

इसके प्रमुख कारणों में से एक प्रतिबंधात्मक काश्तकारी (Tenancy) कानून रहे हैं, जिन्होंने भूमि की पट्टेदारी (leasing) प्रणाली को अनौपचारिक, असुरक्षित और अकुशल बनने हेतु बाध्य किया है। आय के बढ़ते स्तर के साथ, कृषि भूमि की कीमतों में भी वृद्धि हो रही है, जिसके परिणामस्वरूप भूमिहीन कृषि-मजदूर और लघु/सीमांत किसान भूमि का क्रय करने में असमर्थ होते जा रहे हैं। इसने भारत में कृषि के विकास पर प्रतिकूल प्रभाव डाला है।

उपर्युक्त परिस्थितियों के आलोक में उपयुक्त भूमि पट्टेदारी कानून की आवश्यकता है जो निम्नलिखित तरीकों से लाभकारी होगा:

  • काश्तकार को कार्यकाल की सुरक्षा प्रदान करना: यह फसल उत्पादक काश्तकारों को कृषि भूमि संसाधनों में निवेश करने और उनका संरक्षण करने हेतु प्रोत्साहित करेगा, जिससे भूमि उत्पादकता और लाभप्रदता में वृद्धि होगी।
  • काश्तकारों को विभिन्न योजनाओं का लाभ प्रदान करना: ज्ञातव्य है कि कानूनी दस्तावेज़ संस्थागत ऋण तक पहुंच की सुविधा प्रदान कर सकते हैं। इसके अतिरिक्त, इससे वास्तविक कृषकों को विभिन्न योजनाओं का लाभ प्रदान करना संभव हो सकेगा, जैसे कि उर्वरक सब्सिडी, फसल बीमा, आपदा राहत आदि के लिए प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (DBT) प्रदान करना।
  • भू-स्वामी की सुरक्षा: कानूनी प्रतिबंधों के कारण, भू-स्वामियों में यह भय बना रहता है कि यदि वे भूमि को पट्टे पर देते हैं तो उनके भूस्वामित्व अधिकार समाप्त हो जायेंगे, इसलिए वे अपनी भूमि को परती रखते हैं। अत: इन कानूनों के माध्यम से इस समस्या का समाधान करने में सहायता मिलेगी।
  • विवाद समाधान: एक कानूनी ढांचा भूस्वामियों के साथ-साथ काश्तकारो को भी संघर्ष समाधान के लिए सुरक्षित कानूनी व्यवस्था प्रदान करेगा।
  • भूमि जोतों का समेकन: यह परिचालन योग्य भूमि जोतों के समेकन का मार्ग प्रशस्त करेगा जो कि व्यापक अर्थव्यवस्था का दोहन करने और कृषि आय में वृद्धि करने हेतु आवश्यक है।
  • कृषि में निजी निवेश को बढ़ावा: दीर्धकालिक पट्टेदारी व्यवस्था अनुबंध कृषि को सुविधाजनक बनाने और फसल विविधीकरण को बढ़ावा देने, कृषि में नवीन तकनीक एवं प्रौद्योगिकी की शुरुआत करने, कटाई पश्चात् प्रबंधन एवं प्रसंस्करण में निवेश करने आदि में सहायक सिद्ध होगी।

इसलिए, कृषि दक्षता, समता और व्यावसायिक विविधीकरण के लिए उपयुक्त भूमि पट्टेदारी कानूनों की अति-आवश्यकता है। इस संदर्भ में, नीति आयोग द्वारा भूमि पट्टेदारी संबंधी एक मॉडल कानून (मॉडल लैंड लीजिंग लॉ) भी प्रस्तावित किया गया है।

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