भारत में वहनीय आवास क्षेत्र में विभिन्न सरकारी पहलों/नीतियों

प्रश्न: यद्यपि विभिन्न सरकारी पहलों और नीतियों ने वहनीय आवास के क्षेत्र में अवसरों का सृजन किया हैं, लेकिन कुछ ऐसी चुनौतियाँ हैं जो अभी भी बनी हुई हैं। चर्चा कीजिए। (150 शब्द)

दृष्टिकोण

  • भारत में वहनीय आवास क्षेत्र में विभिन्न सरकारी पहलों/नीतियों और इसके द्वारा सृजित अवसरों पर चर्चा कीजिए।
  • अंतर्निहित चुनौतियों पर चर्चा कीजिए।
  • संक्षेप में उपचारात्मक उपायों के रूप में सुझाव दीजिए।

उत्तर

सरकार की विभिन्न पहलों जिनका उद्देश्य अवसरों का निर्माण कर वहनीय आवास वित्त, वहनीय तकनीकी डिजाइन और वहनीय भूमि एवं बुनियादी ढांचे को सुनिश्चित करना है:

  • “2022 तक सभी के लिए आवास”: प्रधानमंत्री आवास योजना (PMAY) के अंतर्गत 2 करोड़ शहरी और 1 करोड़ ग्रामीण आवासों का निर्माण करना।
  • वहनीय आवास को बुनियादी ढांचे के समान दर्जा: इससे बहनीय आवास क्षेत्र को प्राथमिकता क्षेत्र वाले ऋण उपलब्ध हो सकेंगे और सस्ती कीमतों पर विदेशी फण्ड प्राप्त होगा।
  • पात्रता मानदंडों में राहत: आवास के आकार संबंधी मानदंडों में बदलाव करके राहत प्रदान किया गया है। उदाहरण के लिए अब इसे निर्मित क्षेत्र (बिल्ड-अप एरिया) से कार्पेट एरिया तक किया गया है।
  • आवास की बिक्री पर कर में छूट प्रदान की गई है और दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ के लिए होल्डिंग पीरियड को कम किया गया है।
  • आंध्र प्रदेश और तेलंगाना जैसे राज्यों की नीतियां: स्टैम्प ड्यूटी पर छूट; ‘इक्विटी बिल्डिंग’ और ‘किराया सह स्वामित्व'(rent-cum-ownership) के आधार पर आवास आदि।
  • रियल एस्टेट विनियामक प्राधिकरण ने खरीददारों के आत्मविश्वास को बढ़ाया है।

अवसर:

  • वहनीय आवास पर ध्यान केन्द्रित करने के साथ रियल स्टेट सेक्टर को प्रोत्साहन।
  • विशेष कौशल और क्षमताओं के साथ माइक्रो फाइनेंस इंस्टीट्यूशंस (MFIs) का विकास करना।
  • सार्वजनिक-निजी भागीदारी का लाभ लेना।
  • तीव्र शहरीकरण और मांग-आपूर्ति की स्थितियों का अनुकूल होना।

प्रमुख चुनौतियां: 

  • वहनीय आवास की स्पष्ट परिभाषा का अभाव।
  • उचित मूल्य पर शहरी भूमि की उपलब्धता का अभाव, निर्माण की बढ़ती लागत, उच्च शुल्क और कर, नियामक मुद्दे और प्रतिकूल विकास मानक।
  • मलिन बस्तियों में रहने वाले लोगों के स्थानांतरण और पुनर्वास से संबंधित मुद्दे।
  • नियमों को सरल बनाकर निजी क्षेत्र की भागीदारी को बढ़ावा देना।
  • मांग की पहचान और क्षमता का आंकलन।

वहनीय आवास के महत्वपूर्ण निहितार्थ हैं, इसके लिए संतुलित और सतत वित्तपोषण मॉडल और सभी हितधारकों की सक्रिय भागीदारी की आवश्यकता होगी। किफायती आवास को स्मार्ट सिटी और AMRUT जैसी योजनाओं के साथ संबद्ध करने हेतु संभावनाओं को तलाशा जा सकता है।

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