भारत में खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्रक : इस क्षेत्रक की ताकत, कमजोरियां, अवसरों तथा खतरे

प्रश्न: भारत में खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्रक का SWOT (ताकत, कमजोरी, अवसर, खतरे) विश्लेषण प्रदान कीजिए।

दृष्टिकोण:

  • भारत में खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्रक का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
  • इस क्षेत्रक की ताकत, कमजोरियों, अवसरों तथा खतरों को सूचीबद्ध कीजिए।
  • आगे की राह का सुझाव देते हुए उत्तर समाप्त कीजिए।

उत्तर:

खाद्य प्रसंस्करण, खाद्य पदार्थों या कच्चे माल से संबंधित उन यांत्रिक या रासायनिक गतिविधियों की एक शृंखला है जिन्हें खाद्य पदार्थों को संरक्षित करने या उन्हें परिवर्तित करने हेतु प्रयोग किया जाता है। खाद्य प्रसंस्करण उद्योग उत्पादन, खपत, निर्यात और विकास के मामले में देश का पांचवा सबसे बड़ा उद्योग है। भारत के खाद्य बाजार में इसकी हिस्सेदारी लगभग 32% है तथा भारत के खाद्य निर्यात में इसका 10.7% का योगदान है। इसके अतिरिक्त, यह भारत का एक सनराइज उद्योग है, जिसकी विकास दर 10% से अधिक है।

इसके महत्त्व के संदर्भ में, इसका SWOT विश्लेषण (ताकत, कमजोरी, अवसर व खतरे का विश्लेषण) आवश्यक हो जाता है, क्योंकि यह इस क्षेत्र के विकास और वृद्धि के संदर्भ में अनुवर्ती पहलों को क्रियान्वित करने में सहायता प्रदान करेगा।

ताकत: 

  • वर्ष भर प्रचुर मात्रा में कच्चे माल की उपलब्धता।
  • एक महत्वपूर्ण क्षेत्र के रूप में खाद्य प्रसंस्करण की सामाजिक स्वीकार्यता।
  • कृषि-प्रसंस्करण को प्राथमिकता क्षेत्रक श्रेणी के अंतर्गत शामिल किया जाना और केंद्र सरकार द्वारा प्रदत्त सहायता।
  • सम्पूर्ण देश में विनिर्माण सुविधाओं का विशाल नेटवर्क।
  • इस क्षेत्रक से संबंधित उत्पादों के लिए विशाल घरेलू और अंतरराष्ट्रीय बाजार।

कमजोरियां: 

  • कार्यशील पूंजी की अधिक आवश्यकता।
  • अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप पर्याप्त गुणवत्ता नियंत्रण एवं परीक्षण विधियों का अभाव।
  • नए, विश्वसनीय और बेहतर सटीकता वाले उपकरणों और उपस्करों की कम उपलब्धता।
  • सूचना प्रबंधन के संदर्भ में अपर्याप्त स्वचालन (automation) व्यवस्था।
  • बिचौलियों की अधिक संख्या के कारण अक्षम आपूर्ति शृंखला।
  • अनुसंधान एवं विकास प्रयोगशालाओं और उद्योग के मध्य अपर्याप्त संयोजन।

अवसर:

  • कृषि-पारिस्थितिकी परिवर्तनशीलता के कारण देश में फसल और सामग्रियों का विशाल आधार, खाद्य प्रसंस्करण संबंधी गतिविधियों हेतु व्यापक संभावनाएं प्रस्तुत करता है।
  • कृषि-निर्यात क्षेत्रों (AEZS) और फूड पार्कों की स्थापना से ग्रीन फील्ड परियोजनाओं के विकास में अतिरिक्त प्रोत्साहन प्राप्त हो सकता है।
  • अनुकूल जनसांख्यिकीय प्रोफ़ाइल, लोगों की बदलती जीवन शैली, आय का बढ़ता स्तर और परिवर्तित उपभोग प्रवृत्ति इस क्षेत्र के विकास को बढ़ावा प्रदान कर सकते हैं।
  • इलेक्ट्रॉनिक्स, सामग्री विज्ञान, जैव प्रौद्योगिकी जैसी समकालीन प्रौद्योगिकियों में हुए विकास का समेकन, त्वरित सुधार और प्रगति के लिए विशाल संभावनाएं प्रदान करता है।
  • वैश्विक बाजारों के खुलने से हमारी विकसित तकनीकों के निर्यात में वृद्धि हो सकती है तथा अतिरिक्त आय एवं रोजगार अवसरों के सृजन को प्रोत्साहन मिल सकता है।

खतरे:

  • वैश्विक अभिकर्ताओं से प्रतिस्पर्धा।
  • अन्य उद्योगों में बेहतर कार्य परिस्थितियों के कारण यहाँ से प्रशिक्षित श्रमबल का पलायन। इससे संभवतः खाद्य प्रसंस्करण उद्योग में श्रमबल की और कमी हो सकती है।
  • भारतीय समाज में ताजे खाद्य पदार्थों की वहनीयता और सांस्कृतिक प्राथमिकताएं।
  • सामग्रियों के वहन की उच्च लागत, पैकेजिंग लागत एवं कराधान दर।

खाद्य प्रसंस्करण उद्योग न केवल आय सृजन को बढ़ावा देगा, बल्कि अपव्यय में कटौती करेगा और मूल्य संवर्धन, विदेशी मुद्रा अर्जन और विनिर्माण प्रतिस्पर्धा को बढ़ाने में भी सहायता करेगा। खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्रक में निवेश का गुणक प्रभाव रोजगार सृजन संभावनाओं में वृद्धि करता है, साथ ही यह गुणक प्रभाव किसी अन्य क्षेत्रक की तुलना में इस क्षेत्रक में अत्यधिक है। इन कारकों के संदर्भ में, सरकार ने भारत में खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्रक को प्रोत्साहन प्रदान करने के लिए प्रधानमंत्री किसान संपदा योजना (Pradhan Mantri Kisan SAMPADA Yojana) की शुरुआत की है।

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