अवसंरचना निवेश के BOT एवं EPC मॉडल

प्रश्न: अवसंरचना निवेश के BOT एवं EPC मॉडल के समक्ष आने वाली समस्याओं पर प्रकाश डालते हुए व्याख्या कीजिए कि HAM इनका किस प्रकार समाधान कर सकता है।

दृष्टिकोण

  • दोनों मॉडलों की व्याख्या कीजिए और उनकी कमियों की चर्चा कीजिए।
  • HAM की व्याख्या करते हुए बताइए कि यह किस प्रकार इन समस्याओं का समाधान कर सकता है।

उत्तर

BOT (बिल्ड ऑपरेट ट्रान्सफर) तथा EPC (इंजीनियरिंग प्रोक्योरमेंट कंस्ट्रक्शन), भारत में अवसंरचना विकास के दो बहुधा प्रयोग किए जाने वाले PPP मॉडल रहे हैं।

BOT के अंतर्गत निजी भागीदार, अवसंरचना का निर्माण, संचालन तथा सरकार को परिसंपत्ति के पुनः हस्तांतरण से पूर्व एक नियत समयावधि तक उसका रखरखाव करते हैं। इसके साथ ही ये पथकर (टोल) राजस्व संग्रहण अथवा सरकार से प्राप्त वार्षिक भुगतान (एन्यूटी फीस) के माध्यम से वित्त की व्यवस्था करते हैं। सरकार, पथकर राजस्व में किसी प्रकार की कमी का जोखिम उठा भी सकती है और नहीं भी।

BOT से सम्बंधित मुद्दे

  • निजी भागीदारों को वित्त की व्यवस्था स्वयं ही करनी पड़ती है और गैर-निष्पादन परिसंपत्तियों के बोझ तले दबे बैंक उन्हें उधार देने के इच्छुक नहीं होते।
  • गैर-निर्धारित क्षतिपूर्ति संरचना के मामलों में, डेवलपर को यात्रियों की कम आवाजाही का सारा जोखिम (ट्रैफिक रिस्क) स्वयं उठाना पड़ता है।
  • पर्यावरणीय मंजूरियों और भूमि अधिग्रहण में देरी और लागतों में वृद्धि के कारण वित्त प्राप्त करना दुष्कर हो जाता है।

EPC में सरकार परियोजना का वित्तपोषण और भूमि अधिग्रहण का कार्य करती है, जबकि निजी भागीदार सामग्री की खरीद और अवसंरचना का निर्माण करता है। 2013-15 की अवधि के दौरान राजमार्ग परियोजनाओं हेतु EPC मॉडल को प्राथमिकता दी जाती थी।

EPC से सम्बंधित मुद्दे

  • भूमि अधिग्रहण से जुड़े मुद्दों, अनुमोदन में देरी आदि के कारण लागतों का बढ़ना व लाभों का घटना।
  • अधिकांश अनुबंधों में अवास्तविक रूप से कम अनुमान तथा भुगतान की कठोर शर्ते।
  • सरकार के पास उपलब्ध वित्तीय संसाधनों की अंतर्निहित सीमाएँ।

HAM मॉडल:

HAM (हाइब्रिड एन्यूटी मॉडल), EPC (40%) एवं BOT- एन्यूटी (60%) का संयोजन कर इन कमियों को दूर करने का प्रयास करता है। सरकार पाँच चरणों में (जिन्हें महत्वपूर्ण बिंदुओं के साथ जोड़ा गया है) परियोजना की 40% लागत का भुगतान करती है। शेष 60% राशि की व्यवस्था डेवलपर द्वारा की जाती है, जो सामान्यत: परियोजना लागत की < 20-25% राशि का स्वयं निवेश करता है और शेष धनराशि ऋण के माध्यम से जुटाता है।

HAM के लाभ:

  • यह डेवलपर एवं सरकार के मध्य जोखिम का बँटवारा करता है। इसके साथ ही, सरकार वायबिलिटी गैप फंडिंग की व्यवस्था करती है।
  • विनियामकीय मंजूरी जोखिम, क्षतिपूर्ति जोखिम, वाणिज्यिक जोखिम एवं आवाजाही संबंधी जोखिम सरकार द्वारा वहन किए जाते हैं, तथा इस प्रकार यह समग्र ऋण को कम करने एवं परियोजना से प्राप्त लाभों को बढ़ाने में सहायक होता है।
  • वार्षिक भुगतान ढाँचा डेवलपर को आवाजाही संबंधी जोखिम से बचाता है।
  • सरकार को भी परियोजना लागत के एक हिस्से का ही निवेश करके सड़क परियोजनाओं को आरंभ करने का अवसर प्राप्त होता है।
  • हालाँकि यह मॉडल आवाजाही संबंधी जोखिम वहन करता है किंतु दैनिक यात्रियों को पहुँच व सुविधा प्रदान कर बेहतर सामाजिक लाभों की प्राप्ति भी करता है।

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