अंतः -उष्णकटिबंधीय अभिसरण क्षेत्र की संक्षेप मे व्याख्या और भारतीय मानसून पर इसके प्रभाव

प्रश्न : अंतः-उष्णकटिबंधीय अभिसरण क्षेत्र क्या है? यह भारतीय मानसून को किस प्रकार प्रभावित करता है?

दृष्टिकोण:

  • अंतः -उष्णकटिबंधीय अभिसरण क्षेत्र की संक्षेप मे व्याख्या कीजिए।
  • भारतीय मानसून पर इसके प्रभाव की चर्चा कीजिए।

उत्तरः

अंतः-उष्णकटिबंधीय अभिसरण क्षेत्र (ITCZ) एक निम्न वायुदाब का क्षेत्र होता है जहां उपोष्ण उच्च वायुदाब पेटी से वायु का अभिसरण और आरोहण होता है। यह लगभग 10 डिग्री उत्तर और दक्षिण के मध्य विषुवत रेखा के निकट स्थित होता है। यह सूर्य की स्थिति के कर्क रेखा और मकर रेखा की ओर संचलन के अनुसार क्रमशः विषुवत रेखा के उत्तर और दक्षिण की ओर विस्थापित होता है। स्थलीय और महासागरीय विन्यास के कारण दक्षिणी गोलार्द्ध की तुलना में उत्तरी गोलार्द्ध में अधिकतम विस्थापन देखा जाता है।

भारतीय मानसून पर प्रभाव:

भारत में अंतः उष्णकटिबंधीय अभिसरण क्षेत्र दक्षिण-पश्चिमी और उत्तर-पूर्वी, दोनों प्रकार के मानसून को प्रभावित करता है।

दक्षिण-पश्चिम मानसून:

  • दक्षिण-पश्चिम मानसून के दौरान भारतीय उपमहाद्वीप पर निम्न वायुदाब का केंद्र का निर्माण होता है और उच्च वायुदाब का केंद्र हिंद महासागर पर स्थित होता है।
  • शरद ऋतु के विषुव के पश्चात, सूर्य की स्थिति के कर्क रेखा के उत्तर की ओर खिसकने के कारण ITCZ का विस्थापन उत्तर की ओर होता है। जुलाई में, यह भारतीय उप-महाद्वीप में 20 से 25 डिग्री उत्तरी अक्षांश के निकट गंगा के मैदान के ऊपर स्थित होता है। इसे मानसून गर्त के रूप में भी जाना जाता है। यह मानसून गर्त उत्तर और उत्तर-पश्चिमी भारत पर तापीय निम्न वायुदाब क्षेत्र के विकास को प्रोत्साहित करता है।
  • ITCZ के गंगा के मैदान पर विस्थापन, 40 डिग्री से 60 डिग्री पूर्वी देशांतरों के मध्य विषुवत रेखा को पार करती दक्षिणी गोलार्द्ध की व्यापारिक पवनों को भारतीय उप-महाद्वीप की ओर निर्देशित करता है। इसलिए ये पवनें कोरिऑलिस बल के कारण उत्तर-पूर्व से दक्षिण-पश्चिम की ओर प्रवाहित होने लगती हैं और इसलिए इन्हें दक्षिण-पश्चिम मानसून कहा जाता है।

उत्तर-पूर्वी मानसून:

  • उत्तर-पूर्वी मानसून के दौरान, हिंद महासागर पर निम्न वायुदाब और भारतीय उपमहाद्वीप पर उच्च वायुदाब बन जाता है।
  • वसंत विषुव के पश्चात सूर्य की स्थिति के मकर रेखा की ओर खिसकने के कारण ITCZ का विस्थापन दक्षिण की ओर हो जाता है। इस प्रकार यह शीतकाल में दक्षिणी गोलार्द्ध में स्थित होता है। यह पवनों को दक्षिण-पश्चिम से उत्तर-पूर्व की ओर निर्देशित करता है। पवनों के इस व्युत्क्रमण को उत्तर-पूर्वी मानसून कहते हैं।

Add a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *


The reCAPTCHA verification period has expired. Please reload the page.