अभिवृत्ति और क्षमता की व्याख्या : ‘अभिवृत्ति’ किस प्रकार ‘क्षमता’ के समान ही महत्वपूर्ण है।

प्रश्न: फल होने के लिए, अभिवृत्ति क्षमता से अधिक नहीं तो, क्षमता जितनी ही महत्वपूर्ण है। अपने दैनिक जीवन के उदाहरणों की सहायता से विवेचना कीजिए।

दृष्टिकोण

  • संक्षेप में अभिवृत्ति और क्षमता की व्याख्या करते हुए उत्तर आरंभ कीजिए।
  • तत्पश्चात संक्षेप में चर्चा कीजिए कि जीवन में सफलता प्राप्त करने के लिए क्षमता किस प्रकार महत्वपूर्ण है। चर्चा कीजिए कि सफलता प्राप्त करने के लिए ‘अभिवृत्ति’ किस प्रकार ‘क्षमता’ के समान ही महत्वपूर्ण है।
  • अपने तर्कों का समर्थन करने के लिए उपयुक्त उदाहरण प्रस्तुत कीजिए।

उत्तर

अभिवृत्ति एक निश्चित विचार, वस्तु, व्यक्ति या स्थिति के प्रति सकारात्मक या नकारात्मक प्रतिक्रिया करने की पूर्वधारणा या प्रवृत्ति है। जबकि, क्षमता एक उपार्जित या प्राकृतिक सामर्थ्य है जो किसी व्यक्ति को कोई विशेष कार्य सफलतापूर्वक और कुशलता से निष्पादित करने में सक्षम बनाती है। क्षमता के साथ-साथ अभिवृत्ति सफलता प्राप्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। क्षमता उस कौशल समुच्चय को निर्धारित करती है जो व्यक्ति कोई कार्य करने हेतु उपार्जित कर सकता है।

क्षमता व्यक्ति में आत्मविश्वास पैदा करती है। आत्मविश्वास उपलब्ध अवसरों का लाभ उठाने और किसी भी कार्य में कठिनाइयों और चनौतियों पर विजय पाने में व्यक्ति की सहायता करता है। हालांकि, कभी-कभी क्षमता व्यक्ति के सामर्थ्य पर निर्भर करती है, जिसे एक बिंदु से आगे नहीं बढ़ाया जा सकता है, इस प्रकार यह किसी व्यक्ति की उपलब्धियों को सीमित करती है। ऐसे परिदृश्य में अभिवृत्ति ही है, जो कोई कार्य करने में व्यक्ति की सीमित क्षमता के बावजूद उसकी सफलता को निर्धारित करती है।

इसका एक उदाहरण इरा सिंघल हैं, जिन्होंने दिव्यांग होने के बावजूद सिविल सेवा परीक्षा में सर्वोच्च स्थान प्राप्त किया था। उनकी शारीरिक चुनौतियां उनकी अभिप्रेरणा में बाधा नहीं बन सकीं और यही अभिप्रेरणा अंततः उनकी सफलता का कारण बनी। अभिवृत्ति, व्यक्ति के लिए प्रकार्यों के रूप में कार्य करती है, जो व्यक्ति की अपने अनुभवों को संगठित और संरचित करने में सहायता कर सकती है और साथ ही साथ उसे अपने आपको बेहतर तरीके से जानने में भी सहायक हो सकती है।

अभिवृत्ति व्यक्ति को अनुकूलनीय भी बनाती है। यह अभिवृत्ति ही है जो व्यक्ति की उसकी अक्षमता को क्षमता में बदलने में सहायता करती अभिवृत्ति किसी विशेष कार्य या चुनौती के प्रति सकारात्मक या नकारात्मक हो सकती है। सकारात्मक अभिवृत्ति रचनात्मक और सृजनात्मक सोच, आशावाद, चीजों को करने और लक्ष्यों को प्राप्त करने की वर्द्धित अभिप्रेरणा और ऊर्जा में अभिव्यक्त होती है। सकारात्मक

अभिवृत्ति, व्यक्ति की अपनी क्षमताओं में विश्वास के साथ-साथ अभिप्रेरणा बढ़ाती है और उज्ज्वल भविष्य की आशा पैदा करती है। वहीं दूसरी ओर नकारात्मक अभिवृत्ति इसके पूर्णतः विपरीत परिणाम प्रदान कर सकती है। वास्तव में, नकारात्मक अभिवृत्ति व्यक्ति की क्षमताओं को सीमित कर सकती है।

पुनश्च, अभिवृत्ति यह निर्धारित करती है कि व्यक्ति सफलता के वर्तमान स्तर से उठेगा या वहाँ से नीचे गिरेगा। यह अभिवृत्ति है जिससे वह सफलता मिलने के बाद भी कठोर परिश्रम के मूल्य का अनुगमन करता है। इसका सर्वश्रेष्ठ उदाहरण क्रिकेट में बल्लेबाज का हो सकता है, जो शतक बनाने के बाद भी खेल रहा होता है। यह उसकी अभिवृत्ति है जो अंततः उसे वहां से अपनी टीम को जीत की ओर ले जाने में सक्षम बनाएगी। क्योंकि वह वही प्रयास जारी रखेगा और अपने मन को अहंकार या अज्ञानता से घिरने नहीं देगा।

इस प्रकार, सफलता प्राप्त करने के लिए अभिवृत्ति और क्षमता समान रूप से महत्वपूर्ण हैं; हालाँकि, यह अभिवृत्ति ही है, जो जीवन में अधिक सफलता प्राप्त करने के लिए व्यक्ति को अपनी क्षमता बढ़ाने के लिए प्रेरित करती है। वास्तव में अभिवृत्ति, क्षमता की पूरक है।

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