आपदा जोखिम न्यूनीकरण के लिए सेंडाई फ्रेमवर्क का एक संक्षिप्त विवरण

प्रश्न: आपदा जोखिम न्यूनीकरण के लिए सेंडाई फ्रेमवर्क के अंतर्गत चिन्हित कार्यवाही हेतु प्राथमिकताएं क्या हैं? सविस्तार वर्णन कीजिए कि किस प्रकार आपदा प्रबंधन के लिए भारत की राष्ट्रीय योजना ने सेंडाई फ्रेमवर्क को समाहित करने का प्रयास किया

दृष्टिकोण

  • आपदा जोखिम न्यूनीकरण के लिए सेंडाई फ्रेमवर्क का एक संक्षिप्त विवरण दीजिए तथा इसके प्राथमिकता वाले कार्यवाही क्षेत्रों का उल्लेख कीजिए।
  • सविस्तार वर्णन कीजिए कि किस प्रकार आपदा प्रबंधन के लिए भारत की राष्ट्रीय योजना ने सेंडाई फ्रेमवर्क को समाहित करने का प्रयास किया है।
  • इस संबंध में राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन योजना (NDMP) की कमियों का उल्लेख कीजिए।

उत्तर

आपदा जोखिम न्यूनीकरण के लिए सेंडाई फ्रेमवर्क (2015-2030), एक 15 वर्षीय, स्वैच्छिक एवं गैर-बाध्यकारी समझौता है। यह आपदा जोखिम न्यूनीकरण में राज्य की प्रमुख भूमिका को मान्यता प्रदान करता है। हालांकि इस जिम्मेदारी को स्थानीय सरकार, निजी क्षेत्र इत्यादि सहित अन्य हितधारकों के साथ भी साझा किया जाना चाहिए।

इस फ्रेमवर्क के तहत चिन्हित चार प्राथमिकता वाले कार्यवाही क्षेत्रों में सम्मिलित हैं:

  • आपदा जोखिम को समझना;
  • आपदा जोखिम का प्रबंधन करने के लिए आपदा जोखिम शासन को सुदृढ़ बनाना;
  • प्रत्यास्थता में सुधार करने हेतु आपदा जोखिम न्यूनीकरण में निवेश; और 
  • प्रभावी अनुक्रिया के लिए आपदा तैयारी में वृद्धि करना, साथ ही पुन:प्राप्ति, पुनर्वास और पुनर्निर्माण के माध्यम से बेहतर पुनर्निर्माण (बिल्ड बैक बेटर)’ पर ध्यान केंद्रित करना।

भारत के NDMP को आपदा जोखिम में कमी लाने के लिए सेंडाई फ्रेमवर्क में निर्धारित लक्ष्यों और प्राथमिकताओं के साथ व्यापक रूप से समेकित किया गया है। NDMP के कुछ पहलू निम्नलिखित हैं:

  • प्रत्येक संकट (hazard) के लिए, सेंडाई फ्रेमवर्क की चार प्राथमिकताओं को NDMP के निम्नलिखित पांच विषयगत कार्यवाही क्षेत्रों के अंतर्गत शामिल किया गया है:
  • जोखिम को समझना;
  • अंतर एजेंसी समन्वय;
  • आपदा जोखिम न्यूनीकरण (DRR) हेतु निवेश संबंधी संरचनात्मक उपाय;
  • DRR में निवेश संबंधी गैर-संरचनात्मक उपाय; और
  • क्षमता विकास।
  • NDMP का आपदा के प्रति अनुक्रिया वाला खंड एक मैट्रिक्स में व्यवस्थित अठारह व्यापक गतिविधियों की पहचान करता है तथा तीव्र अनुमान लगाना संभव बनाता हैं। इनमें प्रारंभिक चेतावनी, मानचित्रण, उपग्रह इनपुट, निकासी तथा लोगों और जानवरों की खोज एवं बचाव, चिकित्सा देखभाल जैसे उपाय शामिल हैं।
  • इसमें आपदा प्रबंधन के निवारण, शमन, प्रतिक्रिया और पुनर्घाप्ति जैसे सभी चरणों को शामिल किया गया है।
  • यह विभिन्न स्तरों पर सरकार की सभी एजेंसियों एवं विभागों के क्षैतिज और लंबवत एकीकरण को संभव बनाता है।
  • यह ‘समुदायों को आपदा से संबंधित जानकारी के प्रसार की आवश्यकता’ पर बल देता है।

हालांकि, NDMP में कुछ कमियां भी हैं जिन्हें दूर किए जाने की आवश्यकता है। इसमें सम्मिलित हैं:

  • यह कोई लक्ष्य या प्रयोजन निर्धारित नहीं करता है साथ ही यह भी नहीं बताता है कि सेंडाई लक्ष्यों को कैसे प्राप्त किया जाएगा।
  • यह एक स्पष्ट और व्यावहारिक रोडमैप प्रदान करने में विफल रहा है, क्योंकि यह सरकारी एजेंसियों द्वारा संचालित की जाने वाली गतिविधियों को अत्यंत ही सामान्यीकृत ढंग से चिह्नित करता है।
  • यह कार्यवाहियों के लिए एक स्पष्ट समय सीमा प्रदान नहीं करता है बल्कि यह केवल अस्पष्ट रूप से बताता है कि इन्हें लघु, मध्यम या मध्य और दीर्घकालिक आधार पर संपादित किया जाना चाहिए।
  • यह जोखिम न्यूनीकरण हेतु आवश्यक कोष को लक्षित नहीं करता है या कोष जुटाने के स्रोतों की व्यवस्था नहीं करता है।
  • यह योजना की निगरानी और मूल्यांकन के लिए कोई ढांचा प्रदान नहीं करता है।
  • यह सुभेद्य समूहों की आवश्यकताओं को पूरा करने में विफल रहा है, जिससे लाखों महिलाएँ, बच्चे, विकलांग और बुजुर्ग, निचली जातियां एवं आदिवासी समुदाय और अधिक जोखिमग्रस्त हो सकते हैं।

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