आपदा पश्चात् चरण का संक्षिप्त परिचय

प्रश्न: आपदा पश्चात् चरण के दौरान आपदा प्रबंधन चक्र में कार्यवाही के प्रमुख तत्वों के महत्व की पहचान और व्याख्या कीजिए। 

दृष्टिकोण

  • आपदा पश्चात् चरण का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
  • आपदा पश्चात् चरण के दौरान की जाने वाली कार्यवाही के प्रमुख तत्वों को सूचीबद्ध कीजिए।
  • प्रत्येक कार्यवाही के महत्व को चरणबद्ध तरीके से समझाइए।

उत्तर

आपदा पश्चात् चरण के अंतर्गत आपदा आने के तुरंत बाद प्रभावित समुदायों की शीघ्र पुनर्बहाली एवं पुनर्वास को सुनिश्चित करने के उद्देश्य से आपदा के प्रति अनुक्रिया शामिल होती है। इन्हें अनुक्रिया और पुनर्बहाली गतिविधियां भी कहते हैं। आपदा प्रबंधन चक्र के अंतर्गत आपदा पश्चात् चरण की कार्यवाहियों के प्रमुख तत्वों में निम्नलिखित शामिल हैं:

अनुक्रिया और राहत (Response and Relief): यह आपदा पश्चात् चरण के दौरान की जाने वाली सबसे पहली कार्रवाई एवं तात्कालिक हस्तक्षेप है। इसके अंतर्गत खोज एवं बचाव, लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करना, भोजन एवं जल उपलब्ध कराना, आश्रय एवं स्वच्छता, कपड़े एवं चिकित्सा सहायता तथा ट्रॉमा केयर सेंटर की उपलब्धता सुनिश्चित करना इत्यादि शामिल हैं।

महत्व

  • यह अनुक्रिया, आपदा आने के पश्चात् की परिस्थितियों को नियंत्रित करने का सबसे पहला प्रयास होता है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि स्थिति और अधिक ख़राब न हो।
  • यह सुनिश्चित करता है कि बचे हुए व्यक्ति जीवित, स्वस्थ एवं सुरक्षित रहें।
  • यह आपदा पश्चात् चरण में महामारी को फैलने से रोकता है।
  • यह लोगों, उनके मवेशियों तथा उनकी संपत्ति सम्बन्धी पुनर्वास हेतु आधार निर्मित करता है।

पुनर्वास: इसके तहत आपदा अनुक्रिया के पश्चात् मूलभूत सेवाओं एवं प्रकार्यों को पुनर्बहाल किया जाता है।

महत्व: 

  • लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के पश्चात्, यह प्रक्रिया ये सुनिश्चित करती है कि प्रभावित लोगों का जीवन पूर्व की भांति सामान्य हो जाए।
  • यह प्रक्रिया आपदा के कारण बाधित हुए विकास की पुनर्बहाली हेतु आधार तैयार करती है।

पुनर्निर्माण: इसका आशय भविष्य में आने वाली आपदाओं का सामना करने हेतु तैयार रहने के लिए, निवारक उपायों की बहाली के साथ-साथ सेवाओं को पूर्ण रूप से पुनः स्थापित करने से है।

महत्व: 

  • यह प्रक्रिया प्रभावित क्षेत्र की विकास गतिविधियों को पुनः स्थापित करती है।
  • पुनर्निर्माण सतत आजीविका के सृजन को सुगम बनाता है।
  • यह लोगों को व्यापक आजीविका विकल्प तथा बेहतर भूमि, जल एवं संसाधन उपलब्ध कराता है।
  • आपदा प्रभावित क्षेत्र की अर्थव्यवस्था एवं व्यापार को सामान्य बनाता है।
  • यह भावी आपदाओं के प्रति समुदाय की प्रतिरोधी क्षमता का विकास करता है।

प्राकृतिक आपदाएं किसी भी क्षेत्र तथा किसी भी समुदाय को क्षति पहुंचा सकती हैं, परंतु इसके कारण होने वाली क्षति का स्तर पूर्ण रूप से संबंधित समुदाय की तैयारी एवं प्रत्यास्थता के स्तर पर आधारित होता है। आपदा के पश्चात् एक समुदाय के लिए यह आवश्यक हो जाता है कि वह पुनः सामान्य जीवन व्यतीत करने लगे तथा भावी आपदाओं हेतु प्रत्यास्थता का विकास करे। अत: प्रबंधन के आपदा पश्चात् चरण की अवहेलना किया जाना संभव नहीं है।

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