भारत-इज़राइल के सौहार्द्रपूर्ण संबंधों का संक्षिप्त वर्णन
प्रश्न: सौहार्दपूर्ण संबंधो के बावजूद, भारतीय और इजरायली राष्ट्रीय सुरक्षा परिस्थितियो के मध्य संरचनात्मक अंतर, उनके वैश्विक दृष्टिकोण और स्पष्ट रूप से साझा शत्रुओं की अनुपस्थिति मजबूत रणनीतिक मैत्री को सीमित करती है। आलोचनात्मक चर्चा कीजिए।
दृष्टिकोण
- भारत-इज़राइल के सौहार्द्रपूर्ण संबंधों का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
- दोनों के मध्य असहमतियों को व्याख्यायित करते हुए द्विपक्षीय संबंधों पर इसके संभावित प्रभाव की चर्चा कीजिए।
- रणनीतिक साझेदारी को आगे बढ़ाने के उपायों का सुझाव देते हुए उत्तर को समाप्त कीजिए।
उत्तर
भारत-इज़राइल संबंध मुख्य रूप से तीन पहलुओं पर आधारित हैं – आर्थिक, रक्षा और लोगों का पारस्परिक संपर्क (पीपुल टू पीपुल कांटेक्ट)।
वर्तमान में :
- भारत एशिया में इजरायल का तीसरा सबसे बड़ा व्यापार सहयोगी तथा वैश्विक स्तर पर दसवां सबसे बड़ा व्यापार सहयोगी है।
- प्रस्तावित मुक्त व्यापार समझौते (FTA) के साथ, निकट भविष्य में व्यापार दोगुना होने की आशा व्यक्त की गयी है।
- रक्षा क्षेत्र में सहयोग निरंतर सुदृढ़ हो रहा है और अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी एवं कृषि जैसे क्षेत्रों में उच्च तकनीकी सहयोग की संभावना में भी वृद्धि हुई है।
- द्विपक्षीय संबंधों को और सशक्त करने और व्यापार विविधीकरण को प्रोत्साहित करने के लिए उच्च स्तर की राजनीतिक और रणनीतिक भागीदारी बढ़ाने की आवश्यकता है।
द्विपक्षीय संबंधों को अधिक सुदृढ़ता प्रदान करने हेतु दोनों देशों के मध्य उच्च स्तरीय सहयोग आवश्यक है। लेकिन दोनों देशों के मध्य निम्नलिखित असहमतियाँ बढ़ती रणनीतिक साझेदारी को सीमित कर सकती हैं –
- पश्चिमी एशिया में भारत और इज़राइल के अलग-अलग हित हैं। जहां भारत सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात के साथ-साथ ईरान (शिया राष्ट्र) जैसे अरब देशों के साथ घनिष्ठ संबंधों के लिए प्रयासरत है, वहीं इजराइल का प्रथम दो देशों के साथ कोई राजनयिक संबंध नहीं है और तीसरे के साथ कटुतापूर्ण संबंध हैं।
- आंतरिक मुद्दों जैसे आतंकवाद और हिंसा से निपटने के प्रश्न पर दोनों देशों के दृष्टिकोण भिन्न हैं।
- यहां तक कि डी-हाइफ़ेनेशन के सन्दर्भ में भी भारत, पारस्परिक पहचान और सुरक्षा व्यवस्था के आधार पर एक स्वतंत्र राज्य फिलीस्तीन की मांग का समर्थन करता है। साथ ही, भारत यहूदी बस्तियों के अंधाधुंध विस्तार का भी समर्थन नहीं करता है।
यद्यपि ये अंतर स्पष्ट हैं, तथापि इनके द्वारा संबंधों के विस्तार को प्रतिबंधित नहीं किया गया है। वस्तुतः प्रौद्योगिकी, नवाचार, उद्यमिता, साइबर सुरक्षा, कृषि, रक्षा और सुरक्षा जैसे सामान्य हितों के क्षेत्र में संतुलित संबंध और व्यापक आधार के निर्माण की सम्भावनाएं विद्यमान हैं।
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