भारत में जल की कमी का संक्षिप्त विवरण : विलवणीकरण प्रौद्योगिकी से संबद्ध लाभों का परीक्षण

प्रश्न: भारत में विभिन्न नीतिगत और तकनीकी उपायों के माध्यम से जल की कमी की समस्या का समाधान करने के प्रयास किए जाते रहे हैं। व्याख्या कीजिए। साथ ही, विलवणीकरण प्रौद्योगिकी के लाभों एवं इससे संबद्ध लागतों का परीक्षण कीजिए।

दृष्टिकोण

  • भारत में जल की कमी का संक्षिप्त विवरण दीजिए।
  • इस संदर्भ में आरम्भ किए गए प्रौद्योगिकीय हस्तक्षेपों तथा विभिन्न सरकारी नीतियों का उल्लेख कीजिए।
  • विलवणीकरण प्रौद्योगिकी से संबद्ध लाभों का परीक्षण कीजिए तथा इससे संबंधित लागत का विश्लेषण कीजिए।

उत्तर

  • भारत में ताजा जल आर्थिक गतिविधियों के लिए बढ़ते उपभोग के कारण तेजी से घट रहा है।
  • वर्ल्ड रिसोर्सेज इंस्टिट्यूट की 2016 की रिपोर्ट में कहा गया है कि वर्तमान में भारत का लगभग 54% भाग जल के अभाव से ग्रस्त है।
  • उपर्युक्त तथ्यों के आलोक में, भारत सरकार ने राष्ट्रीय जल मिशन प्रारम्भ किया है। इस अभियान का उद्देश्य एकीकृत जल संसाधन विकास के माध्यम से जल संरक्षण, अपव्यय में कमी तथा सभी राज्यों और उनके भीतर जल का अधिक न्यायसंगत वितरण सुनिश्चित करना है।
  • इसके साथ ही प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (PMKSY), राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल कार्यक्रम जैसी विभिन्न योजनाओं एवं कार्यक्रमों के अतिरिक्त राष्ट्रीय जल उपयोग दक्षता ब्यूरो की भी स्थापना की गयी है।
  • जल की कमी की समस्या के समाधान हेतु रियल टाइम आधारित जल गुणवत्ता निगरानी, जलभरों के मानचित्रण (mapping of acquifers) और मैदान पर (on-field) जल अनुप्रयोगों के विकास जैसे प्रौद्योगिकीय हस्तक्षेप किए गए हैं।
  • विभिन्न राज्य सरकारों द्वारा भी भू-जल संरक्षण, वर्षा जल संचयन तथा जल भंडारण एवं संरक्षण की प्राचीन पद्धतियों को पुनर्जीवित करने के प्रयास किए जा रहे हैं।

विलवणीकरण प्रौद्योगिकी और उसके लाभ

  • विलवणीकरण, समुद्र जल को लवण रहित बनाने की प्रक्रिया है। इस प्रक्रिया के तहत समुद्र जल का उपभोग करने हेतु उसमें विद्यमान नमक और अवांछनीय खनिजों को हटाया जाता है।
  • यूनाइटेड नेशन वर्ल्ड वाटर डेवलपमेंट रिपोर्ट, 2014 के अनुसार वर्तमान में सम्पूर्ण विश्व के 150 देशों में 17,000 से अधिक विलवणीकरण संयंत्र संचालित हैं तथा 2020 तक इनके दोगुना होने की संभावना है।
  • सऊदी अरब, स्पेन, मालदीव जैसे जल की कमी वाले देशों द्वारा जल संरक्षण संबंधी चिंताओं के समाधान हेतु पहले से ही आसवन (distillation), इलेक्ट्रो डायलिसिस तथा रिवर्स ऑसमोसिस (RO) जैसी विलवणीकरण प्रौद्योगिकियों का उपयोग किया जा रहा है।
  • भारत की 7,600 कि.मी. लम्बी तटरेखा है जहाँ तमिलनाडु, गुजरात और आंध्रप्रदेश जैसे विभिन्न तटीय राज्य अन्य राज्यों की तुलना में जल की अत्यधिक कमी का सामना कर रहे हैं।
  • नदी जल की निम्न उपलब्धता, निम्न भू-जल स्तर, उच्च जनसंख्या वृद्धि, औद्योगिक विकास, परम्परागत जल संसाधनों का दूषित होना तथा जलवायु परिवर्तन के कारण जल की मांग में वृद्धि हो रही है।
  • विलवणीकरण के माध्यम से स्वच्छ जल उपलब्ध हो सकेगा जिसमें प्रति लीटर 500 मिलीग्राम से भी कम घुलित ठोस अशुद्धियां होंगी।
  • यह अधिकांश घरेलू, औद्योगिक तथा कृषि कार्यों हेतु उपयुक्त होगा।
  • इस प्रकार विलवणीकरण प्रौद्योगिकी तीव्र औद्योगिकीकरण, बढ़ते नगरीकरण और खाद्य उत्पादन में वृद्धि द्वारा सृजित जल की मांग की पूर्ति कर सकती है।

विलवणीकरण से संबंधित लागत:

  • आर्थिक: जीवाश्म ईंधन को ध्यान में रखते हुए और समुद्र जल के संग्रहण, आसवन तथा वितरण से संबंधित अवसंरचनात्मक लागत के कारण सम्पूर्ण प्रक्रिया आर्थिक रूप से अलाभकारी बन जाती है।
  • पर्यावरणीय: विलवणीकरण संयंत्रों से उत्पन्न होने वाला उत्सर्जन जलवायु परिवर्तन में योगदान करता है जिससे सूखे एवं जल की कमी हो जाती है। इस प्रकार इससे समस्या का समाधान होने के स्थान पर उसमें वृद्धि हो जाती है। व्यापक स्तर पर विलवणीकरण द्वारा समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र में सांद्रित प्रदूषकों (concentrates) के निस्सरण के कारण समुद्री जैवविविधता गंभीर रूप से प्रभावित हो सकती है।
  • नैतिक: विलवणीकरण प्रौद्योगिकी जल को एक वस्तु में परिवर्तित कर देती है जो निजी उद्योगों को मुक्त रूप से उपलब्ध प्राकृतिक संसाधन (जल) की मांग और आपूर्ति को बढ़ाने और विनियमित करने हेतु प्रोत्साहित करती है।

समग्र रूप से, समुद्र जल का शुद्धिकरण भारत के जल संसाधनों के समग्र विकास हेतु आवश्यक है। इस उद्देश्य की प्राप्ति हेतु देश के तटीय क्षेत्रों में समुद्र जल के दक्ष उपयोग के लिए एक एकीकृत विकास रणनीति के निर्माण की आवश्यकता है।

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