पृथ्वी के विभिन्न अक्षांशीय ताप कटिबंध : दोनों गोलार्डों के साथ-साथ महाद्वीपों व महासागरों पर समताप रेखाओं के प्रतिरूपों की व्याख्या
प्रश्न: पृथ्वी के विभिन्न अक्षांशीय ताप कटिबंधों के निर्माण पर चर्चा कीजिए। साथ ही, दोनों गोलार्द्धा एवं महाद्वीपों और महासागरों पर समताप रेखाओं के भिन्न-भिन्न प्रतिरूपों (पैटर्न) का भी सविस्तार कारण बताइए।
दृष्टिकोण
- विभिन्न प्रकार के अक्षांशीय ताप कटिबंधों के निर्माण की चर्चा कीजिए।
- दोनों गोलार्डों के साथ-साथ महाद्वीपों व महासागरों पर समताप रेखाओं के प्रतिरूपों की व्याख्या कीजिए।
उत्तर
पृथ्वी के अक्षांशीय ताप कटिबंध अधिकांशत: पृथ्वी की सतह पर सूर्यातप की परिवर्तनीयता तथा पृथ्वी की भू-भाग आकृति द्वारा नियंत्रित होते हैं। हालांकि, इन कटिबंधों की सीमाओं का निर्धारण अंतत: भूमण्डलीय पवनों और महासागरीय धाराओं को ध्यान में रखकर किया जाता है, जो पृथ्वी पर ताप संतुलन को बनाए रखते हैं।
इससे पृथ्वी की सतह पर तीन प्रकार के ताप कटिबंधों का निर्माण होता है:
- उष्णकटिबंध: यह क्षेत्र कर्क रेखा और मकर रेखा के मध्य अवस्थित है। वर्ष भर सूर्य इन दोनों अक्षांशों के मध्य स्पष्ट रूप से विद्यमान रहता है। यहाँ पर सूर्य की किरणें लगभग लंबवत पड़ती हैं और यह क्षेत्र अधिकतम सूर्यातप प्राप्त करता है।
- समशीतोष्ण कटिबंध: यह क्षेत्र उष्ण कटिबंध एवं शीत कटिबंध के मध्य अवस्थित है। अत: इस क्षेत्र में इन दोनों कटिबंधों की विशेषताएं पायी जाती हैं। यहाँ सूर्य की किरणें कभी भी प्रत्यक्ष रूप से नही पड़ती है, यही कारण है कि इस क्षेत्र में मध्यम तापमान पाया जाता है।
- शीत कटिबंध: यहाँ सूर्य की किरणें तिरछी पड़ती हैं क्योंकि सूर्य यहाँ क्षितिज से अधिक ऊपर नहीं दिखाई देता है। इस प्रकार, यह पृथ्वी का सबसे ठंडा क्षेत्र है।
पृथ्वी पर तापमान के वितरण का निरुपण समताप रेखाओं की सहायता से किया जाता है (समताप रेखाएं, वे रेखाएं होती हैं जो समान तापमान वाले स्थानों को मिलाती हैं)। किसी क्षेत्र के तापमान पर अक्षांश के स्पष्ट प्रभाव के कारण ये रेखाएं अक्षांशों के समानांतर पाई जाती हैं। हालांकि, जहाँ स्थल और जल के तापमान में विषमताएं अधिकतम होती हैं, वहाँ ये रेखाएं अचानक मुड़ जाती हैं। इस प्रकार, उत्तरी और दक्षिणी गोलार्डों में समताप रेखाओं में विचलन पाया जाता हैं।
उत्तरी गोलार्द्ध में समताप रेखाओं का प्रतिरूप
- उत्तरी गोलार्द्ध में स्थलीय क्षेत्र दक्षिणी गोलार्द्ध की अपेक्षा काफी अधिक है। अत:,स्थलीय भाग और महासागरीय धाराओं का स्पष्ट प्रभाव परिलक्षित होता है।
- जनवरी में, समताप रेखाएं खिसककर उत्तर में महासागर पर और दक्षिण में महाद्वीप पर स्थापित हो जाती हैं। इसे उत्तरी अटलांटिक महासागर पर देखा जा सकता है।
- गर्म महासागरीय जलधाराओं, गल्फ स्ट्रीम और उत्तरी अटलांटिक प्रवाह की उपस्थिति उत्तरी अटलांटिक महासागर के तापमान में वृद्धि कर देती है और समताप रेखाएं उत्तर की ओर मुड़ जाती है। स्थलीय भाग पर तापमान तेजी से कम हो जाता है तथा समताप रेखाएं यूरोप में दक्षिण की ओर मुड़ जाती है।
यह विचलन जुलाई की अपेक्षा जनवरी में अधिक परिलक्षित होता है। जुलाई में, समताप रेखाओं का व्यवहार जनवरी के व्यवहार के विपरीत होता है। धरातल के अत्यधिक गर्म होने के कारण समताप रेखाएं ध्रुव की ओर मुड़ जाती हैं।
दक्षिणी गोलार्द्ध में समताप रेखाओं का प्रतिरूप
- दक्षिणी गोलार्द्ध में महासागर का प्रभाव अधिक स्पष्ट रूप से परिलक्षित होता है। तापीय भूमध्य रेखा (Thermal equator) भौगोलिक भूमध्य रेखा (Geographical equator) के दक्षिण में अवस्थित होती है।
- यहाँ समताप रेखाएं अक्षांशों के लगभग समानांतर अवस्थित होती हैं और तापांतर अधिक क्रमिक होता है।
- हालाँकि, यह प्रवणता महाद्वीप के किनारों पर भूमध्य रेखा की ओर थोड़ी झुकी हुई होती है (जैसा कि चित्र में दर्शाया गया है)।
The distribution of surface air temperatube Valby huonth of July