भारत में एक स्वस्थ कार्य संस्कृति का सृजन : एक आधुनिक समाज में नौकरशाही हेतु स्वस्थ कार्य संस्कृति
प्रश्न: एक आधुनिक समाज में नौकरशाही हेतु स्वस्थ कार्य संस्कृति के विभिन्न लक्षणों की पहचान कीजिए। साथ ही, उन उपायों के भी सुझाव दीजिए जिनके माध्यम से सुशासन के उद्देश्यों को पूरा करने हेतु भारत में एक स्वस्थ कार्य संस्कृति का सृजन किया जा सकता है।
दृष्टिकोण
- कार्य संस्कृति की संक्षिप्त व्याख्या करते हुए उत्तर प्रारंभ कीजिए।
- भारत में नौकरशाही से जुड़ी स्वस्थ कार्य संस्कृति के विभिन्न लक्षणों पर प्रकाश डालिए।
- सुशासन के उद्देश्यों को पूरा करने लिए एक स्वस्थ कार्य संस्कृति के सृजन हेतु उपाय सुझाइए।
- उपर्युक्त बिंदुओं के आधार पर एक सकारात्मक विवरण के साथ निष्कर्ष दीजिए।
उत्तर
कार्य संस्कृति उस तरीके को संदर्भित करती है जिसके अंतर्गत नियम/विनियम, नीतियां, परंपराएं/रिवाज, साझा मूल्य, विश्वास और प्रथाएं किसी संगठन में एक विशिष्ट सामाजिक और मनोवैज्ञानिक परिवेश के निर्माण में योगदान करते हैं। यह न केवल कर्मचारियों को एक-दूसरे और अन्य संगठनों के साथ संपर्क करने के तरीकों का मार्गदर्शन करती है बल्कि संगठन के कामकाज को भी निर्देशित करती है।
आधुनिक समाज में नौकरशाही हेतु एक स्वस्थ कार्य संस्कृति के विभिन्न लक्षण निम्नलिखित हैं:
- प्रशासनिक पदानुक्रम: कार्यों का एक सुस्पष्ट विभाजन होना चाहिए जिसमें प्रत्येक स्तर अपने नीचे के स्तर को दायित्व/कार्य प्रदान करता है, जबकि प्रत्येक निचला स्तर उन सुपुर्द किए गए कार्यों को पूर्ण करने हेतु उच्च स्तर के प्रति जवाबदेह होता है।
- नियम और प्रक्रियाएं: नौकरशाहों द्वारा लिए गए निर्णयों को नियम, विनियम और प्रक्रियाओं की एक सुसंगत प्रणाली द्वारा नियंत्रित किया जाना चाहिए, जो लिखित, तर्कसंगत और निर्वैयक्तिक हो।
- संचार और परामर्श: नौकरशाही संरचना द्वारा संगठन के सभी विभागों और स्तरों के मध्य क्षैतिज और ऊर्ध्वाधर रूप से सूचनाओं के नियमित मुक्त प्रवाह को सुनिश्चित किया जाना चाहिए।
- प्रक्रियाओं का सरलीकरण: स्वस्थ कार्य संस्कृति का उद्देश्य फॉर्मों, प्रक्रियाओं और संविधियों में आवधिक परिवर्तन करते हुए दैनिक प्रक्रियाओं में तर्कसंगतता और सुगमता को सुनिश्चित करना है। जैसे कि वेब आधारित सिंगल विंडो क्लीयरेंस सिस्टम का अंगीकरण करना।
- समावेशिता: कार्य संस्कृति को विभिन्न सांस्कृतिक पृष्ठभूमियों से आने वाले लोगों को समर्पित प्रयासों के माध्यम से संगठन के लक्ष्यों की प्राप्ति हेतु प्रेरित और अभिप्रेरित करने में सक्षम होना चाहिए।
- सोशल मीडिया पर अनुक्रियाशीलता: सोशल मीडिया से जुड़ाव पारदर्शिता सुनिश्चित करने के साथ-साथ सार्वजनिक क्षेत्र में सरकार के कार्यों को परिवर्धित करने में भी सहायक होता है। इस प्रकार यह अभिशासन से लोगों की निकटता सुनिश्चित करता है।
- ई-नौकरशाही: दक्षता और निर्णय निर्माण की क्षमताओं में सुधार लाने हेतु नवीन डिजिटल प्रौद्योगिकियों को समायोजित करने के लिए नौकरशाही की कार्य संस्कृति को सुनम्य होना चाहिए।
भारत में सरकारी संगठनों में एक स्वस्थ कार्य संस्कृति सृजित करने के उपाय:
- प्रशासन को अधिक नागरिक केंद्रित बनाने के लिए सिटीजन चार्टर जैसे उपकरणों का प्रभावी कार्यान्वयन सुनिश्चित करना।
- सूचना प्रौद्योगिकी को अपनाना और सार्वजनिक सेवाओं की त्वरित और गुणवत्तापूर्ण डिलीवरी सुनिश्चित करने हेतु प्रक्रियाओं को युक्तिसंगत बनाना।
- आंतरिक जवाबदेही तंत्र को सुदृढ़ बनाना और लोक अधिकारियों की जवाबदेही बनाए रखने हेतु जन सहभागिता को बढ़ाना।
- पारदर्शिता और गोपनीयता के मध्य एक इष्टतम संतुलन बनाए रखने के लिए कानूनों और नियमों को संशोधित करना, जैसे कि शासकीय गुप्त बात अधिनियम, 1923 आदि।
- लोकपाल और लोकायुक्त जैसे स्वतंत्र भ्रष्टाचार विरोधी निकाय गठित कर और सुदृढ़ कानूनों के माध्यम से भ्रष्टाचार के विरुद्ध जीरो टॉलरेंस को प्रकट करना।
- प्रशिक्षण प्रक्रियाओं में परिवर्तन करना और सार्वजनिक प्राधिकरणों को नए तरीकों से काम करने में सक्षम बनाना।
- सार्वजनिक अधिकारियों की तटस्थता सुनिश्चित करने के लिए राजनीतिक हस्तक्षेप को समाप्त करना।
- RTI अधिनियम, SC/ST अत्याचार अधिनियम जैसे विधिक साधनों के दुरुपयोग के विरुद्ध पर्याप्त सुरक्षा प्रदान करना।
जवाबदेही और प्रभावी कार्य संपादन के लिए कार्यशील परिवेश को सृजित करना, प्रतिभाओं को आकर्षित करना और उन्हें बनाए रखना, दक्षताओं को बढ़ाना और विकसित करना तथा नैतिक कार्यशील परिवेश को बढ़ावा देना आवश्यक है। यह निश्चित रूप से सुशासन के उद्देश्यों को पूरा करने में सहायक सिद्ध होगा।
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