वैश्वीकरण : सकारात्मक और नकारात्मक प्रभाव
प्रश्न: वैश्वीकरण, सकारात्मक और नकारात्मक दोनों प्रकार से भारत की समकालीन शिक्षा प्रणाली को आकार देने में एक महत्वपूर्ण शक्ति रहा है। परीक्षण कीजिए।
दृष्टिकोण
- वैश्वीकरण को संक्षिप्त में परिभाषित कीजिए।
- भारतीय शिक्षा प्रणाली पर वैश्वीकरण के सकारात्मक और नकारात्मक प्रभावों की संक्षिप्त चर्चा कीजिए।
उत्तर
- वैश्वीकरण से तात्पर्य वैश्विक प्रक्रियाओं की एक बहुआयामी व्यवस्था से है, जो विश्व भर में सामाजिक अंतर्निर्भरता और आदान-प्रदान को सृजित करता है, बढ़ाता है, विस्तृत करता है और तीव्र बनाता है, वहीं दूसरी ओर लोगों में स्थानीय और दूरस्थ के मध्य संबंधों को सुदृढ़ बनाने के प्रति बढ़ती जागरूकता को बनाए रखता है।
- भारत में शिक्षा प्रणाली पर वैश्वीकरण का प्रभाव अन्तर्भूत और महत्वपूर्ण है। समकालीन भारतीय शिक्षा में सार्वजनिक और निजी स्वामित्व विद्यमान है साथ ही इसकी विषय वस्तु उदार और धर्मनिरपेक्ष प्रकृति की है।
तथापि, वैश्वीकरण ने भारतीय शिक्षा प्रणाली को जटिल और परस्पर विरोधी तरीकों से प्रभावित किया है:
सकारात्मक प्रभाव:
- प्रतिस्पर्धा के माध्यम से गुणवत्ता का बेहतर होना: वैश्वीकरण ने प्रतिस्पर्धा और सहयोग का सृजन किया है जो भारत में शिक्षा परिदृश्य के सकारात्मक पुनरुद्धार के लिए आवश्यक है। इसने विभिन्न स्तरों पर ज्ञान और कौशल के वैश्विक साझाकरण को भी बढ़ावा दिया है।
- चयन की व्यापकता: छात्र और संकाय सदस्य अब भारत में ही ग्लोबल डिस्टेंस लर्निंग नेटवर्क (GDLN), MOOCs, फैकल्टी एक्सचेंज एग्रीमेंट आदि जैसी पहलों के माध्यम से अपनी पसंद की शैक्षिक प्रणाली का लाभ उठा सकते हैं। इस प्रकार विश्व के सर्वोत्तम अवसरों का लाभ उठाया जा सकता है।
- देशों और क्षेत्रों में सांस्कृतिक विविधता के प्रति स्वीकृति को बढ़ावा दिया और स्थानीय संस्कृति को समृद्ध बनाया है।
नकारात्मक प्रभाव:
- सांस्कृतिक साम्राज्यवाद तथा समृद्ध स्वदेशी संस्कृति जो सांस्कृतिक एकरूपता को प्रोत्साहित करती हैं से छुटकारा पाना।
- पश्चिमी शिक्षा मॉडल का गौरवगान करना और स्थानीय ज्ञान को कम आंकना।
- बढ़ती प्रतिस्पर्धा और योग्यतम की उत्तरजीविता के विचार के कारण शिक्षा प्रणाली पर दबाव बढ़ा है।
- सामाजिक बहिष्करण: अंग्रेजी भाषा को वरीयता, वाणिज्यीकरण, निजीकरण और प्रतिस्पर्धी स्क्रीनिंग के माध्यम से प्रवेश पर प्रतिबंध, ICTs को शामिल करने के कारण सामाजिक बहिष्कार में वृद्धि हुई हैं तथा स्थानीय आवश्यकताओं को कम आंका गया है।
- अन्य मुद्दों में सामाजिक लोकाचार से ज्ञान का अलगाव, शिक्षा के उद्देश्य का दुर्बल तथा महत्वहीन होना, शिक्षा का विखंडन और श्रेणीकरण तथा स्कूल प्रणालियों का पदानुक्रमण शामिल है।
इस प्रकार, वैश्वीकरण द्वारा शिक्षा के मूल उद्देश्य को महत्वहीन नहीं बनाना चाहिए और न ही स्थानीय ज्ञान/संस्कृति को कमजोर करना चाहिए, बल्कि इसे शिक्षा के लिए सार्वभौमिक पहुंच को बढ़ावा देना चाहिए। यही वास्तविक अर्थों में बाल अधिकारों पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन (UNCRC) को बनाए रखेगा और सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम सिद्ध होगा।
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