भारत में महिलाओं द्वारा सामना की जाने वाली हिंसा : समस्या को हल करने के लिए उठाए गए कदम
प्रश्न: भारत में महिलाओं द्वारा सामना की जाने वाली हिंसा के विभिन्न रूप क्या हैं? इस समस्या को दूर करने लिए उठाए गए कदमों पर प्रकाश डालिए।
दृष्टिकोण
- भारत में महिलाओं के विरुद्ध हिंसा/अपराधों से सम्बंधित आंकड़ों को उद्धृत करते हुए उनके विरुद्ध हिंसा के विभिन्न रूपों पर चर्चा कीजिए।
- इस समस्या को हल करने के लिए उठाए गए कुछ कदमों पर प्रकाश डालिए।
- कुछ सुझावों के साथ उत्तर समाप्त कीजिए।
उत्तर
NCRB के वर्ष 2016 के लिए जारी नवीनतम आंकड़ों से ज्ञात होता है कि महिलाओं के विरुद्ध अपराधों की कुल संख्या में लगभग 3% की वृद्धि हुई है साथ ही भारत में बलात्कार की घटनाएं भी 12% बढ़ी हैं।
महिलाओं के विरुद्ध हिंसा शारीरिक, यौन, भावनात्मक और वित्तीय जैसे विभिन्न स्वरूपों में प्रकट होती है। भारत में प्रचलित हिंसा के कुछ सबसे सामान्य स्वरूप निम्नलिखित हैं:
- घरेलू और अंतरंग साथी द्वारा हिंसा, बलात्कार, यौन शोषण, मानव तस्करी और भावनात्मक हिंसा।
- हिंसा के ऐसे कुछ अन्य स्वरूपों (जिनका दस्तावेजीकरण बहुत कम हो पाया है) में ऑनर किलिंग, जन्मपूर्व लिंग का चयन,कन्या शिशु हत्या, वृद्धों के प्रति दुर्व्यवहार, तेजाब फेंकने की घटनाएँ आदि अपराध सम्मिलित हैं।
- हाल ही में महिलाओं के विरुद्ध साइबर अपराधों में भी वृद्धि देखी गयी है।
हालांकि ‘महिलाओं के विरुद्ध अपराधों’ के रूप में वर्गीकृत किये जाने वाले अधिकांश मामले ‘पति या उसके नातेदार द्वारा क्रूरता’ के तहत दर्ज कराए गए थे। ये आँकड़े आश्चर्यजनक रूप से लगभग 32.6 प्रतिशत हैं। ये आँकड़े निजी स्थानों या घर में महिलाओं की सुरक्षा की एक अंधकारमय स्थिति प्रस्तुत करते हैं।
इन समस्याओं को हल करने के लिए उठाए गए कदम :
- पति और नातेदारों द्वारा क्रूरता के विरुद्ध सुरक्षा के लिए घरेलू हिंसा से महिला संरक्षण अधिनियम, 2005 (Domestic Violence Act, 2005) और IPC की धारा 498A का प्रावधान किया गया है।
- हाल ही में MHA ने संबंधित मंत्रालयों और राज्य सरकारों के सहयोग से महिलाओं की सुरक्षा से संबंधित मुद्दों को हल करने के लिए एक नया डिवीज़न बनाया है।
- सर्वोच्च न्यायालय द्वारा विशाखा दिशानिर्देश जारी किए गए हैं। ये दिशानिर्देश कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न को रोकने के लिए नियोक्ताओं द्वारा किए जाने वाले उपायों को निर्धारित करते हैं।
- हाल ही में सरकार ने बाल यौन अपराध संरक्षण (POCSO) अधिनियम, 2012 में संशोधन किया है। इसमें 12 वर्ष से कम आयु की बालिका के साथ बलात्कार करने पर मृत्युदंड का प्रावधान शामिल किया गया है। जीपीएस ट्रैकिंग, पैनिक बटन, कठिन परिस्थितियों में रह रही महिलाओं के लिए स्वाधार योजना इत्यादि पहले भी आरम्भ की गयी हैं।
- भारत में महिलाओं की गरिमा की रक्षा तथा सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए निर्भया फंड का निर्माण किया गया है।
हालाँकि इन उपायों के बावजूद भी महिलाओं के विरुद्ध बढ़ते अपराधों की संख्या को कम करने हेतु विभिन्न क्षेत्रों में और अधिक प्रयास किये जाने की आवश्यकता है। इनमें आपराधिक न्याय प्रणाली को अधिक सुदृढ़ बनाना, महिलाओं को अपराधों के विरुद्ध आवाज उठाने के लिए प्रोत्साहित करना, समाज में लैंगिक संवेदना को बढ़ावा देना इत्यादि उपायों को शामिल किया जा सकता है।
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