1917 की रूसी क्रांति : रूस एवं विश्व पर क्रांति के परिणामों जैसे- समाजवाद का प्रसार, स्वतंत्रता आंदोलनों के लिए प्रेरणा
प्रश्न: 1917 की रूसी क्रांति के कारणों की व्याख्या करते हुए, रूस और विश्व पर इसके प्रभाव की चर्चा कीजिए।
दृष्टिकोण
- रूसी क्रांति को आरम्भ करने वाली घटनाओं के अनुक्रम का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
- 1917 में रूसी क्रांति हेतु उत्तरदायी विभिन्न कारकों पर चर्चा कीजिए।
- रूस एवं विश्व पर क्रांति के परिणामों जैसे- समाजवाद का प्रसार, स्वतंत्रता आंदोलनों के लिए प्रेरणा इत्यादि की चर्चा कीजिए।
उत्तर
फरवरी 1917 में, रूस में राजशाही के पतन और अक्टूबर माह की घटनाओं को सामान्यतः रूसी क्रांति के रूप में जाना जाता है। लेनिन के नेतृत्व में बोल्शेविक दल ने 1917 की अक्टूबर क्रांति के माध्यम से रूस में सरकार का गठन किया।
1917 की रूसी क्रान्ति के महत्त्वपूर्ण कारण निम्नलिखित हैं:
कृषक निर्धनता:
- प्रथम विश्व युद्ध से पूर्व रूस में कृषि की स्थिति प्राचीन कृषि पद्धतियों पर निर्भरता, व्यापक निरक्षरता और पूंजी की कमी के कारण निम्न बनी हुई थी।
- भूमि वितरण में उच्च असमानता व्याप्त थी क्योंकि भूमि का 20 प्रतिशत भाग बड़ी जागीरों के रूप में अधिग्रहित था और इस पर रूसी उच्च वर्ग का स्वामित्व था।
- 1917 तक अत्यधिक निर्धन एवं प्रत्येक उपज के साथ अकाल के दुष्चक्र में फंसने वाले असंतुष्ट कृषकों की संख्या में अत्यधिक वृद्धि हो गयी थी। उन्हें विकास एवं स्वायत्तता की आकांक्षा थी।
शहरी श्रमिक वर्ग का उदय और राजनीतिकरण: इस अवधि में प्रमुख शहरों में खदानों, कारखानों और वर्कशॉप में कार्य करने वाले औद्योगिक श्रमिक वर्ग का उदय हुआ। इन्हें निम्न मजदूरी, निम्नस्तरीय आवास और अनेक दुर्घटनाओं की समस्या का सामना करना पड़ता था। इसके परिणामस्वरुप श्रमिकों और पुलिस के मध्य अनेक झड़पें और नियमित संघर्ष हुए।
घरेलू सुधारों की कीमत पर जार की साम्राज्यवादी महत्वाकांक्षा: निरंतर अकाल एवं भुखमरी के संकट से ग्रस्त सामान्य जनता की समस्याओं के समाधान के बजाय ज़ार की साम्राज्यवादी महत्वाकांक्षाओं पर धन के उपयोग के कारण राजकोष खाली हो गया था।
ज़ार की तानाशाही: रिपब्लिकन, डेमोक्रेट्स, क्रांतिकारी, समाजवादी और अन्य सभी समूहों में सुधारों के लिए आतुरता बढ़ती जा रही थे किन्तु वे आपस में संगठित नहीं थे। जहाँ कुछ हिंसक परिवर्तन के पक्षधर थे, वहीं कुछ शांतिपूर्ण परिवर्तन के समर्थक थे। हालाँकि ज़ार का विरोध करने पर आरोपित प्रतिबंधों ने सभी विरोधियों को अत्यधिक उग्र सुधारवादी उपायों की ओर बढ़ने की प्रेरणा दी।
रूस और विश्व पर रूसी क्रांति का प्रभाव
- बोल्शेविक दल द्वारा रूस में सामाजिक वर्गीय मतभेदों से उत्पन्न अन्यायपूर्ण स्थिति से सुरक्षा प्रदान करने हेतु विभिन्न प्रयास किए गए और ये कुछ हद तक सफल भी हुए।
- इस क्रांति के माध्यम से एक छोटे क्रांतिकारी समूह ने 300 वर्षों से सत्तासीन एक राजवंश का अंत किया और सत्ता प्राप्त की। ज़ार को पीपुल्स कमिश्नर काउंसिल के गठन द्वारा प्रतिस्थापित किया गया और निजी स्वामित्व को समाप्त कर दिया गया।
- इसने अर्थव्यवस्था, समाज और सरकार के क्षेत्रों में पहली बार उत्पादन और शासन के सामंती एवं पूंजीवादी तरीकों का विकल्प प्रदान किया।
- साम्यवादी आंदोलन का विश्व भर में प्रसार प्रारंभ हुआ, जिसने पूंजीवादी विश्व के समक्ष भय का संचार किया। हालांकि साम्यवाद अधिक स्थायी नहीं रहा, क्योंकि विश्व में यदि इसका कहीं अस्तित्व रहा तो वह रूसी क्रांति (बीसवीं शताब्दी की एक प्रमुख घटना) ही थी, जिसने इसे मूर्त रूप दिया था।
- यह आर्थिक और सरकारी प्रतिष्ठानों के मॉडल के संदर्भ में, आमूलचूल परिवर्तन की स्थिति थी। इसे कमजोर वर्गों के लिए अधिक समतावादी शासन के रूप में देखा गया। इसने न केवल रूस में बल्कि विश्व के विभिन्न देशों में साम्राज्यवाद विरोधी भावनाओं, विऔपनिवेशीकरण और समाजवादी संक्रमण को बढ़ावा दिया।
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