1980 के दशक में पंजाब संकट: उत्पत्ति के मूल कारण

प्रश्न: 1980 के दशक में पंजाब संकट के रूप में जिसका चरमोत्कर्ष हुआ, उसके मूल कारणों की पहचान कीजिए। इसे समाप्त करने के लिए क्या कदम उठाए गए थे?

दृष्टिकोण

  • पंजाब संकट की संक्षिप्त पृष्ठभूमि का उल्लेख करते हुए, इसकी उत्पत्ति के मूल कारणों की चर्चा कीजिए। 
  • इस स्थिति के नियंत्रण हेतु उठाए गए कदमों को स्पष्ट कीजिए, परिणाम के संदर्भ में उनकी प्रभावशीलता का विश्लेषण कीजिए।

उत्तर

1980 के दौरान, पंजाब एक अलगाववादी आंदोलन से ग्रस्त था जो कालान्तर में आतंकवादी गतिविधियों के रूप में रूपांतरित हो गया। 20वीं शताब्दी के दौरान पंजाब में सांप्रदायिकता की समस्या उत्पन्न हुई, जिसके लिए विभिन्न कारकों को उत्तरदायी ठहराया जा सकता है: 

  • पंजाब के दो बार विभाजन (एक बार भारत के विभाजन के दौरान और दूसरा राज्य के भाषाई आधार पर पुनर्गठन के दौरान) के कारण राज्य में हिंदुओं और सिखों के मध्य विद्वेष में वृद्धि।
  • हरित क्रांति के परिणामस्वरूप उत्पन्न सामाजिक-आर्थिक असमानता में वृद्धि के कारण अन्याय को बढ़ावा मिला, अकालियों और खालिस्तानियों जैसी सांप्रदायिक शक्तियों द्वारा इसका उपयोग किया गया।
  • निरंकारी संप्रदायों का उदय और केंद्र सरकार द्वारा अकाली दल की मांगों की उपेक्षा के कारण पंजाब में सिख चरमपंथ में वृद्धि हुई।
  • 1978 के अमृतसर नरसंहार और कानपुर नरसंहार से निपटने हेतु शासन और न्यायपालिका द्वारा की गयी कार्यवाही को सिख समुदाय के प्रति उदासीनता के रूप में देखा गया, जिसने असंतोष को बढ़ावा दिया।
  • संत जरनैल सिंह भिंडरावाला के नेतृत्व में खालिस्तानी विचारधारा का उद्भव जिसके द्वारा आतंकवाद का मार्ग अपनाया गया, इसके परिणामस्वरूप पंजाब में संकट की चरम स्थिति उत्पन्न हुई।

संकट से निपटने हेतु उठाए गए कदम:

  • प्रारम्भिक वर्षों में, इंदिरा गांधी की नीति ने सांप्रदायिक और अलगाववादी चुनौतियों का कठोरतापूर्वक सामना करने के बजाय तुष्टीकरण और रणनीतिक कुशलता की नीति अपनाई। इस संबंध में 1983 में AS अटवाल की हत्या के विरुद्ध कार्यवाही करने में सरकार की विफलता भी महत्वपूर्ण थी, जिसके कारण पंजाब के लोगों में उग्रता तथा उग्रवादी प्रवृति में तीव्र वृद्धि हुई।
  • राजनीतिक दृष्टिकोण के संबंध में एक बिना निष्कर्ष की बैठक के पश्चात, सरकार द्वारा ऑपरेशन ब्लू स्टार नामक सैन्य अभियान प्रारंभ किया गया, जो एक पूर्ण युद्ध में परिवर्तित हो गया। यह कहा जा सकता है कि ऑपरेशन जल्दबाजी में प्रारंभ किया गया तथा बिना किसी उचित योजना के क्रियान्वित किया गया था। हालांकि, इसके नकारात्मक प्रभावों के बावजूद, ऑपरेशन ब्लू स्टार ने यह स्थापित कर दिया कि अलगाव और आतंकवाद से निपटने के लिए भारत पर्याप्त रूप से सशक्त है।
  • हालांकि परवर्ती वर्षों में, सरकार द्वारा वार्ता और समझौते की नीति का प्रयोग किया गया, किन्तु 1991 के उत्तरार्द्ध से आतंकवाद के प्रति एक कठोर नीति का अनुपालन करते हुए 1993 तक पंजाब को आतंकवाद-मुक्त कर दिया गया। पंजाब का अनुभव संपूर्ण देश के लिए अत्यंत प्रासंगिक है क्योंकि अन्य भागों में भविष्य में उत्पन्न ऐसी स्थिति से निपटने हेतु यह प्रभावी सिद्ध हो सकता है।

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