महिलाओं के सम्मान पर अनमोल विचार
नारी केवल मांसपिंड की संज्ञा नहीं है। आदिम काल से आज तक विकास-पथ पर पुरुष का साथ देकर, उसकी यात्रा को सरल बनाकर, उसके अभिशापों को स्वयं झेलकर, और अपने वरदानों से जीवन में अक्षय शक्ति भरकर, मानवी ने जिस व्यक्तित्व, चेतना और हृदय का विकास किया है उसी का पर्याय नारी है। – महादेवी वर्मा
नारी शांति की प्रतिमा है, उसे उच्च पद से नीचे गिराना केवल जंगलीपन है। – रफोडियस
नारी वह मधुर सरिता है, जिसमें प्रवहमान होकर मनुष्य अपनी और दु:खों से त्राण पाता है। – शरण
नारी के जीवन का संतोष ही स्वर्ण-श्री का प्रतीक है। – डॉ. रामकुमार वर्मा
नारी नर की सहचरी, उसके धर्म की रक्षक, उसकी गृहलक्ष्मी तथा उसे देवत्व तक पहुँचानेवाली साधिका है। – डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन्
नारी सब कुछ कर सकती है, लेकिन अपनी इच्छा के विरुद्ध प्रेम नहीं कर सकती। – सुदर्शन
नारी की चरम सार्थकता मातृत्व में है। – श्रसचंद्र
जो नारी अपने पति तथा पुत्रों को सदैव सानंद रखती है, उसके समक्ष संसार की महारानी का वैभव भी तुच्छ है। – गोल्डस्मिथं
प्रेम किस प्रकार किया जाता है, इसे केवल नारी ही जानती हैं। – मोपांसा
नारी यौवनकाल में गृह-देवी, मध्यकाल में सच्चा साथी और वृद्धावस्था मैं परिचारिका का काम देती है। – बेकन
नारी की आँखों में कानून से भी अधिक शक्ति होती है और किसी भी तर्क से अधिक उसके अश्रु प्रभावशाली होते हैं। – सैविली
नारी बड़े से बड़ा दु:ख भी होठों पर मुस्कराहट लेकर सह लेती है। – जयशकर प्रसाद
विश्व में कोई वस्तु इतनी मनोहर नहीं, जितनी कि सुशील और सुंदर नारी। – हण्ट
नारी के बिना पुरुष की बाल्यावस्था असहाय है, युवावस्था सुख रहित है और वृद्धावस्था सांत्वना देनेवाले सच्चे और वफादार साथी से रहित है। – जौन
जहाँ नारी का सम्मान होता है, वहाँ देवता भी प्रसन्न रहते हैं। – मनु
अबला जीवृन हाय! तुम्हारी यही कहानी। ऑचल में है दूध और आँखों में पानी। – मैथिलीशरण गुप्त