1. निम्नलिखित में से भारत में एक उच्च न्यायालय के बारे में क्या सही नहीं है?
(a) द्वितीय अपील उच्च न्यायालय के अपीलीय क्षेत्राधिकार में है।
(b) उच्च न्यायालय के प्रत्येक न्यायाधीश की नियुक्ति राष्ट्रपति करता है।
(c) उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की नियुक्ति राज्यपाल करता है।
(d) उच्च न्यायालय ‘लोकहितवाद’ से संबंधित आवेदन स्वीकार कर सकता है।
[U.P.P.C.S. (Mains) 2016]
उत्तर-(c) उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की नियुक्ति राज्यपाल करता है।
- भारतीय संविधान के अनुच्छेद 217(1) के अनुसार, उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायमूर्ति एवं अन्य न्यायाधीशों की नियुक्ति राष्ट्रपति करता है।
- इसके लिए भारत के मुख्य न्यायमूर्ति से, उस राज्य के राज्यपाल से और मुख्य न्यायमूर्ति से मिन्न किसी न्यायाधीश की नियुक्ति की दशा में उस उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायमूर्ति से परामर्श के पश्चात, राष्ट्रपति अपने हस्ताक्षर और मुद्रा सहित अधिपत्र द्वारा उच्च न्यायालय के प्रत्येक न्यायाधीश को नियुक्त करेगा।
- अन्य सभी विकल्प सही हैं।
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2. कार्यकारी न्यायाधीशों की नियुक्ति की जाती है-
(a) उच्चतम न्यायालय
(b) जिला न्यायालय
(c) उच्च न्यायालय
(d) (a) तथा (b) दोनों में
[U.P.R.O./A.R.O. (Re-Exam) (Pre) 2016]
उत्तर-(c) उच्च न्यायालय
- अनुच्छेद 224 के तहत उच्च न्यायालयों में अपर (additional) और कार्यकारी (acting) न्यायाधीशों की नियुक्ति का प्रावधान है।
- अनुच्छेद 224(1) के अनुसार, यदि किसी उच्च न्यायालय के कार्य में किसी अस्थायी वृद्धि के कारण या उसमें कार्य के बकाया होने के कारण राष्ट्रपति को यह प्रतीत होता है कि उस न्यायालय के न्यायाधीशों की संख्या को तत्समय बढ़ा देना चाहिए, तो राष्ट्रपति सम्यक रूप से अर्हित व्यक्तियों को दो वर्ष से अनधिक की ऐसी अवधि के लिए जो वह विनिर्दिष्ट करे, उस न्यायालय का अपर न्यायाधीश नियुक्त कर सकेगा।
- अनुच्छेद 224 (2) के अनुसार, जब किसी उच्च न्यायालय का मुख्य न्यायमूर्ति से भिन्न कोई न्यायाधीश अनुपस्थिति के कारण या अन्य कारण से अपने पद के कर्तव्यों का पालन करने में असमर्थ है या मुख्य न्यायमूर्ति के रूप में अस्थायी रूप से कार्य करने के लिए नियुक्त किया जाता है, तब राष्ट्रपति सम्यक रूप से अहित किसी व्यक्ति को तब तक के लिए उस न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में कार्य करने के लिए नियुक्त कर सकेगा, जब तक स्थायी न्यायाधीश अपने कर्तव्यों को फिर से नहीं संभाल लेता है।
- अनुच्छेद 224(3) के अनुसार, उच्च न्यायालय के अपर या कार्यकारी न्यायाधीश के रूप में नियुक्त कोई व्यक्ति 62 वर्ष की आयु प्राप्त कर लेने के पश्चात पद धारण नहीं करेगा।
- उल्लेखनीय है कि अनुच्छेद 127 के तहत उच्चतम न्यायालय में तदर्थ (ad hoc) न्यायाधीशों की नियुक्ति का प्रावधान है।
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3. उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों के वेतन और भत्ते दिए जाते हैं-
(a) भारत की समेकित निधि से
(b) राज्य की समेकित निधि से
(c) भारत की आकस्मिकता निधि से
(d) राज्य की आकस्मिकता निधि से
[I.A.S. (Pre) 2002]
उत्तर-(b) राज्य की समेकित निधि से
- संविधान के अनुच्छेद 202 (3) (घ) के अनुसार, उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों के वेतन एवं मत्ते राज्य की संचित (समेकित) निधि से दिए जाते हैं, किंतु अनु. 112(3) (घ) (iii) के तहत इन्हें पेंशन भारत सरकार की संचित निधि से दी जाती है।
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4. उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त जज को पेंशन कहां से दी जाती है?
(a) भारत की संचित निधि से
(b) राज्य की संचित निधि से जहां उसने अंतिम सेवा की
(c) विभिन्न राज्यों की संचित निधि से जहां-जहां उसने सेवा की
(d) भारत की आकस्मिक निधि से
[U.P.P.C.S. (Mains) 2013]
उत्तर- (a) भारत की संचित निधि से
- अनु. 112(3) (घ) (iii) के तहत उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त जज को पेंशन भारत सरकार की संचित निधि से दी जाती है।
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5. उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति की सेवानिवृत्ति की आयु है-
(a) 65
(b) 60
(c) 62
(d) 58
[M.P.P.C.S. (Pre) 1999]
उत्तर-(c) 62
- उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति की सेवानिवृत्ति की आयु 62 वर्ष है।
- संविधान के अनुच्छेद 217(1) में 15वें संविधान संशोधन, 1963 (पहले यह 60 वर्ष थी) द्वारा यह उम्र सीमा निर्धारित की गई है।
- उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की सेवानिवृत्ति की आयु 62 से बढ़ाकर 65 वर्ष करने हेतु 114वां संविधान संशोधन विधेयक लोक सभा में 2010 में प्रस्तुत किया गया था, परंतु तत्कालीन (15वीं) लोक सभा के 2012 में विघटन के साथ यह व्यपगत हो गया।
- दिसंबर, 2019 में पी. विल्सन द्वारा इसी संदर्भ में गैर-सरकारी संविधान संशोधन विधेयक राज्य सभा में प्रस्तुत किया गया है।
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6. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए-
1. भारत में 25 उच्च न्यायालय हैं।
2. पंजाब, हरियाणा और केंद्रशासित प्रदेश चंडीगढ़ का एक ही सामूहिक उच्च न्यायालय है।
3. राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली का स्वयं का उच्च न्यायालय है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/है?
(a) 2 और 3
(b) 1 और 2
(c) 1, 2 और 3
(d) केवल 3
[I.A.S. (Pre) 2002]
उत्तर-(c) 1, 2 और 3
- उच्च न्यायालय राज्य के न्यायिक प्रशासन का उच्चतम स्तंभ होता है। वर्तमान में भारत में उच्च न्यायालयों की संख्या 25 है।
- मार्च, 2013 में पूर्वोत्तर के तीन राज्यों मेघालय, मणिपुर एवं त्रिपुरा में नए उच्च न्यायालयों की स्थापना की गई।
- 1 जनवरी, 2019 से तेलंगाना एवं आंध्र प्रदेश के लिए पृथक उच्च न्यायालय अस्तित्व में आए।
- 1966 में पंजाब उच्च न्यायालय को बदलकर पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय किया गया, जिसके क्षेत्राधिकार में पंजाब, हरियाणा और चंडीगढ़ के क्षेत्र आते हैं।
- दिल्ली तथा जम्मू और कश्मीर वर्तमान में ऐसे केंद्रशासित प्रदेश हैं, जिनके पास अपना उच्च न्यायालय है।
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7. भारत में उच्च न्यायालयों के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:
1. देश में अट्ठारह उच्च न्यायालय हैं।
2. उनमें से तीन का क्षेत्राधिकार एक राज्य से अधिक पर है।
3. किसी भी संघ राज्य क्षेत्र का अपना उच्च न्यायालय नहीं है।
4. उच्च न्यायालय के न्यायाधीश 62 वर्ष की उम्र तक पद धारित करते हैं।
इनमें से कौन-सा/से वक्तव्य सही है है?
(a) 1, 2 और 4
(b) 2 और 3
(c) 1 और 4
(d) केवल 4
[I.A.S. (Pre) 2001]
उत्तर-(d) केवल 4
- वर्तमान में देश में कुल 25 उच्च न्यायालय हैं। उनमें से 7 का क्षेत्राधिकार एक से अधिक राज्यों/ संघ राज्यक्षेत्रों पर है।
- संघ राज्यक्षेत्र दिल्ली तथा जम्मू और कश्मीर के अपने उच्च न्यायालय है।
- उच्च न्यायालय के न्यायाधीश 62 वर्ष तक अपना पद धारण कर सकते हैं।
- अतः केवल कथन 4 सही है।
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8. भारत में उच्च न्यायालयों की संख्या है-
(a) बीस
(b) इक्कीस
(c) बाईस
(d) पच्चीस
[U.P. Lower Sub. (Pre) 2008]
उत्तर- (d) पच्चीस
- प्रश्नकाल के दौरान भारत में उच्च न्यायालयों की संख्या 21 थी, जबकि वर्तमान में कुल 25 उच्च न्यायालय है।
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9. अंडमान एवं निकोबार द्वीप पर निम्नलिखित उच्च न्यायालयों में से किस एक का क्षेत्राधिकार है?
(a) आंध्र प्रदेश
(b) कोलकाता
(c) मद्रास
(d) ओडिशा
[I.A.S. (Pre) 2003]
उत्तर-(b) कोलकाता
- अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह पर कोलकाता उच्च न्यायालय का क्षेत्राधिकार है। वर्तमान में 7 उच्च न्यायालय ऐसे हैं, जिनकी अधिकारिता एक से अधिक राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों पर है; ये (एवं उनका क्षेत्राधिकार) इस प्रकार हैं-बॉम्बे उच्च न्यायालय (महाराष्ट्र, गोवा तथा दादरा और नागर हवेली एवं दमन और दीव), कलकत्ता उच्च न्यायालय (पश्चिम बंगाल, अंडमान और निकोबार), गुवाहाटी उच्च न्यायालय (असम, अरुणाचल प्रदेश, मिजोरम और नगालैंड), केरल उच्च न्यायालय (केरल और लक्षद्वीप), मद्रास उच्च न्यायालय (तमिलनाडु एवं पुडुचेरी), पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय (पंजाब, हरियाणा और चंडीगढ़) तथा जम्मू और कश्मीर उच्च न्यायालय (जम्मू और कश्मीर तथा लदाख)।
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10. निम्नलिखित उच्च न्यायालयों में से कौन एक से अधिक राज्य/ केंद्रशासित प्रदेश के लिए है?
(a) इलाहाबाद
(b) दिल्ली
(c) गुजरात
(d) चंबई
[38th B.P.S.C. (Pre) 1992]
उत्तर-(d) चंबई
- बॉम्बे उच्च न्यायालय (महाराष्ट्र, गोवा तथा दादरा और नागर हवेली एवं दमन और दीव)
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11. भारत के कितने उच्च न्यायालयों की अधिकारिता में एक से अधिक राज्य हैं (संघ राज्यक्षेत्र शामिल नहीं हैं)?
(a) 2
(b) 3
(c) 5
(d) 7
[I.A.S. (Pre) 2008]
उत्तर-(b) 3
- संघ राज्यक्षेत्रों को छोड़ दिया जाए तो 3 ऐसे उच्च न्यायालय हैं, जिनके अधिकारिता क्षेत्र में एक से अधिक राज्य हैं-
- (1) गुवाहाटी उच्च न्यायालय अरुणाचल प्रदेश, असम, नगालैंड, मिजोरम।
- (2) बॉम्बे उच्च न्यायालय महाराष्ट्र और गोवा।
- (3) पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय पंजाब और हरियाणा।
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12. निम्नलिखित राज्यों में से किस राज्य का अपना उच्च न्यायालय नहीं है?
(a) ओडिशा
(b) सिक्किम
(c) हिमाचल प्रदेश
(d) गोवा
उत्तर-(d) गोवा
- प्रश्नकाल के दौरान गोवा राज्य का अपना उच्च न्यायालय नहीं था।
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13. निम्नलिखित में से किन राज्यों में मार्च, 2013 में उच्च न्यायालय स्थापित किए गए हैं?
1. अरुणाचल प्रदेश
2. मेघालय
3. मिजोरम
4. त्रिपुरा
नीचे दिए गए कूट से सही उत्तर चुनिए :
कूट:
(a) केवल 1 और 3 में
(b) केवल 2 और 4 में
(c) केवल 1, 2, और 3 में
(d) 1, 2, 3 और 4 में
[U.P. P.C.S. (Pre) 2013]
उत्तर-(b) केवल 2 और 4 में
- केंद्र सरकार द्वारा पूर्वोत्तर राज्यों (मेघालय, मणिपुर एवं त्रिपुरा) हेतु तीन नए उच्च न्यायालयों (High Courts) का गठन किया गया, जिन्होंने मार्च, 2013 में उच्चतम न्यायालय के तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश अल्तमश कबीर द्वारा उद्घाटित होने के बाद कार्य प्रारंभ कर दिया।
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14. निम्न उच्च न्यायालयों में से किस उच्च न्यायालय की सबसे अधिक ‘बेंच’ हैं?
(a) कोलकाता उच्च न्यायालय
(b) मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय
(c) मुंबई उच्च न्यायालय
(d) गुवाहाटी उच्च न्यायालय
[U.P.P.C.S. (Mains) 2007]
उत्तर-(c & d) मुंबई उच्च न्यायालय & गुवाहाटी उच्च न्यायालय
- कलकत्ता उच्च न्यायालय की मूल पीठ कोलकाता में और दो बेंच पोर्ट ब्लेयर एवं जलपाईगुड़ी में हैं, मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय की मूल पीठ जबलपुर में और दो बेंच ग्वालियर और इंदौर में हैं, बॉम्बे उच्च न्यायालय की मूल पीठ मुंबई में और तीन बेंच नागपुर, पणजी और औरंगाबाद में हैं, गुवाहाटी उच्च न्यायालय की मूल पीठ गुवाहाटी में और तीन बेंच कोहिमा, आइजोल एवं ईटानगर में हैं।
- पहले गुवाहाटी उच्च न्यायालय की सर्वाधिक 6 बेंच थीं परंतु मार्च, 2013 में मणिपुर, मेघालय और त्रिपुरा उच्च न्यायालय के गठन के पश्चात अब तीन बेंचे शेष रह गईं।
- वर्तमान परिप्रेक्ष्य में मुंबई और गुवाहाटी उच्च न्यायालय की सर्वाधिक 3-3 बेंबेचे हैं।
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15. निम्न में से कौन-सा राज्य के उच्च न्यायालय का मुख्य क्षेत्राधिकार नहीं है?
(a) परामर्श संबंधी क्षेत्राधिकार
(b) प्रारंभिक क्षेत्राधिकार
(c) निरीक्षण का क्षेत्राधिकार
(d) अपीलीय क्षेत्राधिकार
[U.P.P.C.S. (Mains) 2007]
उत्तर-(a) रामर्श संबंधी क्षेत्राधिकार
- भारतीय संविधान के अनुसार, परामर्श संबंधी क्षेत्राधिकार अनु. 143 के तहत मात्र सर्वोच्च न्यायालय का है।
- प्रश्नगत अन्य क्षेत्राधिकार राज्यों के उच्च न्यायालयों के भी हैं।
- ज्ञातव्य है कि संघ तथा राज्यों या राज्यों के बीच विवादों के निर्णय का प्रारंभिक एवं एकमेव क्षेत्राधिकार सर्वोच्च न्यायालय के पास है, परंतु मूल अधिकारों को लागू करने के संबंध में प्रारंभिक क्षेत्राधिकार उच्च न्यायालयों का भी है (अनु. 226 के तहत)।
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16. जब किसी उच्च न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश प्रशासनिक हैसियत से काम करता है, तो वह अधीन होता है-
(a) उच्च न्यायालय के अन्य न्यायाधीशों में से किसी की भी रिट अधिकारिता के
(b) भारत के मुख्य न्यायाधीश द्वारा प्रयुक्त विशेष नियंत्रण के
(c) राज्य के राज्यपाल की वैवेकिक शक्तियों के
(d) इस विषय में मुख्यमंत्री को प्रदत्त विशेष शक्तियों के
[I.A.S. (Pre) 1996]
उत्तर- (a) उच्च न्यायालय के अन्य न्यायाधीशों में से किसी की भी रिट अधिकारिता के
- उच्च न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश दोहरी भूमिका निभाता है। प्रथम-वह न्यायिक कार्य करता है एवं द्वितीय-वह प्रशासनिक हैसियत से कार्य करता है।
- प्रशासनिक हैसियत से कार्य करते हुए वह निचली अदालतों का पर्यवेक्षण, अधीक्षण, प्रशासन एवं नियंत्रण करता है।
- इन कार्यों में अपव्यवहार करने पर वह अन्य न्यायाधीशों की रिटों (Writs) की अधिकारिता में आता है।
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17. एक उच्च अधिकार प्राप्त न्यायालय द्वारा उत्प्रेषण (Certiorari) रिट जारी की जाती है-
(a) एक अधीनस्थ न्यायालय को कि वह पुनरीक्षण (रिव्यु) हेतु एक मामले विशेष की कार्यवाही का अभिलेख उन्हें हस्तांतरित कर दे।
(b) एक अधीनस्थ न्यायालय को कि वह किसी मामले विशेष में अग्रतर कार्यवाही रोक दे।
(c) एक अधिकारी को कि वह पद विशेष पर बने रहने के अधिकार को बताए।
(d) एक पब्लिक अथॉरिटी को कि वह किसी बंधक बनाए व्यक्ति को उस न्यायालय के समक्ष 24 घंटे में प्रस्तुत करे।
[U.P.P.C.S. (Spl.) (Mains) 2008]
उत्तर- (a) एक अधीनस्थ न्यायालय को कि वह पुनरीक्षण (रिव्यु) हेतु एक मामले विशेष की कार्यवाही का अभिलेख उन्हें हस्तांतरित कर दे।
- एक उच्च अधिकार प्राप्त न्यायालय द्वारा एक अधीनस्थ न्यायालय को उत्प्रेषण (Certiorari) स्टि जारी की जाती है कि वह पुनरीक्षण (Review) हेतु एक मामले विशेष की कार्यवाही का अभिलेख उन्हें हस्तांतरित कर दे।
- यदि अधीनस्थ न्यायालय ने अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर निर्णय दे दिया है, तो ऊपरी न्यायालय उत्प्रेषण रिट के द्वारा निचले न्यायालय के निर्णय को रद्द कर देता है और मामले को अपने पास लेकर पुनः सुनवाई करता है।
- विकल्प (b) प्रतिषेध, विकल्प (c) अधिकार पृच्छा एवं विकल्प (d) बंदी प्रत्यक्षीकरण रिट से संबंधित है।
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18. निम्न में से कौन-सी एक याचिका अधीनस्थ न्यायालयों की कार्यपद्धति का परीक्षण करती है?
(a) अधिकार पृच्छा
(b) परमादेश
(c) उत्प्रेषण
(d) बंदी प्रत्यक्षीकरण
[U.P.P.C.S. (Mains) 2008]
उत्तर-(c) उत्प्रेषण
- उत्प्रेषण एवं प्रतिषेध याचिकाएं अधीनस्थ न्यायालयों की कार्यपद्धति का परीक्षण करती हैं।
- जब अधीनस्थ न्यायालय अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर किसी विषय पर सुनवाई करता है, तो ऊपरी न्यायालय प्रतिषेध याचिका द्वारा मामले को अपने पास मंगा लेता है।
- जबकि यदि अधीनस्थ न्यायालय ने अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर निर्णय दे दिया है, तो ऊपरी न्यायालय उत्प्रेषण याचिका के द्वारा उस निर्णय को रह कर मामले को अपने पास लेकर पुनः सुनवाई करता है।
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19. निम्न में से कौन एक रिट न्यायालय में कार्यवाही लंबित होने की दशा में लागू की जाती है?
(a) परमादेश
(b) उत्प्रेषण
(c) प्रतिषेध (प्रोहिबिशन)
(d) अधिकार पृच्छा
[U.P.P.C.S. (Pre) 2010]
उत्तर-(c) प्रतिषेध (प्रोहिबिशन)
- प्रतिषेध (Prohibition) रिट न्यायालय में कार्यवाही लंबित रहने की दशा में लागू की जाती है।
- जब निचला न्यायालय अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर किसी विषय पर सुनवाई करता है, तो ऊपरी न्यायालय प्रतिषेध रिट जारी करके मामले को अपने पास मंगा लेता है।
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20. नीचे दो वक्तव्य दिए गए हैं। एक को कथन (A) तथा दूसरे को कारण (R) कहा गया है-
कथन (A): न्यायालय के आदेशों की जानबूझकर अवज्ञा करना या उनका पालन न करना तथा न्यायिक व्यवहार के बारे में अनादर सूचक भाषा का प्रयोग करना, न्यायालय की अवमानना की कोटि में आता है।
कारण (R): न्यायिक सक्रियता वाद न्यायपालिका को अवमाननापूर्ण व्यवहार को दंडित करने के दंडात्मक अधिकार दिए बिना कार्यान्वित नहीं किया जा सकता।
ऊपर के दोनों वक्तव्यों के संदर्भ में निम्नलिखित में से कौन-सा एक सही है?
(a) (A) तथा (R) दोनों सही हैं तथा (R), (A) की सही व्याख्या है।
(b) (A) तथा (R) दोनों सही है तथा (R), (A) की सही व्याख्या नहीं है।
(c) (A) सही है, परंतु (R) गलत है।
(d) (A) गलत है, परंतु (R) सही है।
[I.A.S. (Pre) 1997]
उत्तर-(b) (A) तथा (R) दोनों सही है तथा (R), (A) की सही व्याख्या नहीं है।
- कथन और कारण दोनों स्वतंत्र कथन के रूप में सही हैं किंतु कारण, कथन की व्याख्या नहीं कर रहा है।
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21. उच्च न्यायालय की परमादेश जारी करने की शक्ति के अंतर्गत आते हैं
(a) संवैधानिक अधिकार
(b) सांविधिक अधिकार
(c) मौलिक अधिकार
(d) उपरोक्त सभी अधिकार
[U.P.P.C.S. (Pre) 1997]
उत्तर-(d) उपरोक्त सभी अधिकार
- उच्चतम न्यायालय को अनुच्छेद 32 के तहत तथा उच्च न्यायालय को अनुच्छेद 226 के तहत मूल अधिकारों की रक्षा के लिए बंदी प्रत्यक्षीकरण, परमादेश, प्रतिषेध, उत्प्रेषण एवं अधिकार पृच्छा संबंधी रिटें निकालने का अधिकार है, किंतु जहां उच्चतम न्यायालय केवल मूल अधिकारों की रक्षा के लिए इन्हें निकाल सकता है, वहीं उच्च न्यायालय मूल अधिकारों सहित अन्य विधिक अधिकारों को प्रवृत्त कराने के लिए भी रिटों को निकाल सकता है।
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22. निम्न कथनों पर विचार कीजिए और दिए गए कूटों से सही उत्तर का चयन कीजिए:
कथन (A): भारतीय नागरिकों के अधिकारों को संरक्षित करने में उच्च न्यायालय सर्वोच्च न्यायालय की अपेक्षा बढ़िया स्थिति में हैं।
कारण (R): सर्वोच्च न्यायालय केवल मौलिक अधिकारों के संरक्षण के लिए ही परमादेश जारी कर सकता है।
कूट:
(a) (A) और (R) दोनों सत्य हैं और (R). (A) का सही स्पष्टीकरण है।
(b) (A) और (R) दोनों सत्य हैं परंतु (R), (A) का सही स्पष्टीकरण नहीं है।
(c) (A) सत्य है, परंतु (R) गलत है।
(d) (A) गलत है, परंतु (R) सत्य है।
[U.P. P.C.S. (Mains) 2004]
उत्तर-(a) (A) और (R) दोनों सत्य हैं और (R). (A) का सही स्पष्टीकरण है।
- संविधान के अनु. 32 के तहत सर्वोच्च न्यायालय मौलिक अधिकारों के संरक्षण के लिए ही परमादेश जारी कर सकता है, जबकि अनु. 226 के तहत उच्च न्यायालय मौलिक अधिकारों को प्रवर्तित कराने के साथ- साथ अन्य किसी प्रयोजन से भी रिट जारी कर सकता है।
- साथ ही उच्च न्यायालय अधीनस्थ न्यायालयों के पर्यवेक्षण के द्वारा भी भारतीय नागरिकों के अधिकारों का संरक्षण करने में समर्थ है।
- इस प्रकार कथन और कारण दोनों सही है एवं कारण, कथन की सही व्याख्या है।
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23. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:
1. भारत में उच्च न्यायालय के न्यायाधीश को हटाने के लिए रीति, उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश को हटाने की रीति के समान है।
2. उच्च न्यायालय का कोई स्थायी न्यायाधीश अपने पद से सेवा- निवृत्ति के पश्चात भारत में किसी भी न्यायालय या किसी प्राधिकारी के समक्ष अभिवचन नहीं कर सकता।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1 और न ही 2
[I.A.S. (Pre) 2007]
उत्तर-(a) केवल 1
- अनु. 217(1) (ख) के अनुसार, उच्च न्यायालय के किसी न्यायाधीश को उब्बतम न्यायालय के न्यायाधीश को हटाने के लिए अनु. 124 के खंड (4) में उपबंधित रीति से उसके पद से राष्ट्रपति द्वारा हटाया जा सकेगा।
- इन्हें संविधान के अनु. 124(4) में विहित प्रक्रिया से साबित कदाचार या असमर्थता के आधार पर संसद द्वारा अधिनियमित न्यायाधीश (जांच) अधिनियम, 1968 के तहत संसद के प्रत्येक सदन में विशेष बहुमत से हटाने संबंधी प्रस्ताव पारित करके राष्ट्रपति के आदेश द्वारा हटाया जा सकता है।
- अतः कथन सत्य है।
- अनु. 220 के अनुसार, उच्च न्यायालय का स्थायी न्यायाधीश सेवानिवृत्ति के पश्चात जिस उच्च न्यायालय में वह स्थायी न्यायाधीश रहा हो, उससे मिन्न उच्च न्यायालयों और उच्चतम न्यायालय में अभिवचन कार्य कर सकता है, जबकि उच्चतम न्यायालय का सेवानिवृत्ति न्यायाधीश भारत के किसी न्यायालय या प्राधिकारी के समक्ष अभिवचन का कार्य नहीं कर सकता है (अनु. 124(7)]। अतः कथन 2 गलत है।
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24. एक उच्च न्यायालय का न्यायाधीश अपना त्याग-पत्र संबोधित करता है-
(a) राष्ट्रपति
(b) भारत के मुख्य न्यायाधीश
(c) उसके राज्य के उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश
(d) राज्य के राज्यपाल
[48th to 52nd B.P.S.C. (Pre) 2008]
उत्तर-(a) राष्ट्रपति
- उच्च न्यायालय का न्यायाधीश अपने पद की शपथ लेने के बाद 62 वर्ष की आयु तक अपने पद पर कार्यरत रहता है।
- इससे पूर्व वह राष्ट्रपति को संबोधित अपने हस्ताक्षरयुक्त पत्र द्वारा अपना पद त्याग सकता है [अनु. 217(1) (क)]।
- साथ ही उसे सिद्ध कदाचार या असमर्थता के आधार पर संसद के दोनों सदनों द्वारा अलग-अलग अपने कुल बहुमत तथा उपस्थित एवं मतदान करने वाले सदस्यों के दो-तिहाई बहुमत द्वारा पारित प्रस्ताव से राष्ट्रपति द्वारा पद-मुक्त किया जा सकता है।
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25. किस न्यायमूर्ति के खिलाफ 2011 में राज्य सभा ने महाभियोग का प्रस्ताव पास किया, किंतु अपने बचाव के लिए उसने लोक सभा द्वारा उसी प्रस्ताव के पास होने के पूर्व त्याग-पत्र दिया?
(a) न्यायमूर्ति वी. रामास्वामी
(b) न्यायमूर्ति भट्टाचार्य
(c) न्यायमूर्ति सौमित्र सेन
(d) न्यायमूर्ति पी.डी. दिनाकरण
[R.A.S./R.T.S. (Pre) 2012]
उत्तर-(c) न्यायमूर्ति सौमित्र सेन
- कोलकाता उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति सौमित्र सेन पर लोक निधियों का दुरुपयोग करने के कारण वर्ष 2011 में राज्य सभा ने महाभियोग प्रस्ताव पारित किया।
- स्वतंत्र भारत में किसी न्यायमूर्ति के खिलाफ ऐसा प्रस्ताव पारित होने का यह पहला मामला था।
- यह प्रस्ताव लोक सभा में प्रस्तुत किए जाने से पूर्व सितंबर, 2011 को उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया।
- स्वतंत्र भारत में पहली बार न्यायमूर्ति वी. रामास्वामी के विरुद्ध 1993 में संसद में महाभियोग प्रस्ताव लाया गया था।
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26. बाबरी मस्जिद राम जन्मभूमि का विवाद जो इलाहाबाद उच्च न्यायालय (लखनऊ न्यायापीठ) के समक्ष है, का प्रकार है –
(a) परमादेश याचिका (Writ Petition)
(b) स्वत्वाधिकार मुकदमा (Title Suit)
(c) क्षतिपूर्ति का दावा (Claim for Compensation)
(d) न्यायिक पुनरीक्षण याचिका (Judicial Review Petition)
[45th B.P.S.C. (Pre) 2001]
उत्तर-(b) स्वत्वाधिकार मुकदमा (Title Suit)
- बाबरी मस्जिद / राम जन्मभूमि का विवाद इलाहाबाद उच्च न्यायालय के समक्ष स्वत्वाधिकार मुकदमे (Title Suit) के रूप में प्रस्तुत किया गया था, जिसमें दो समुदायों ने बाबरी मस्जिद / राम जन्मभूमि की जमीन एवं संपत्ति पर अपने-अपने दावे पेश किए थे। नवंबर, 2019 में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा इस मुकदमे का अंतिम रूप से निस्तारण कर दिया गया है।
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27. किस उच्च न्यायालय ने यह फैसला दिया है कि एक ही बार में तीन बार तलाक कहने से तलाक होना गैर-कानूनी है?
(a) कोलकाता उच्च न्यायालय
(b) इलाहाबाद उच्च न्यायालय
(c) मुंबई उच्च न्यायालय
(d) पंजाब उच्च न्यायालय
[39th B.P.S.C. (Pre) 1994]
उत्तर-(b) इलाहाबाद उच्च न्यायालय
- इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने रहमतुल्ला बनाम स्टेट ऑफ यू.पी., 1994 के मामले में यह निर्णय दिया था कि एक ही बार में तीन तलाक कहने से तलाक होना गैर-कानूनी है, क्योंकि इस प्रकार का तलाक पवित्र कुरान तथा भारतीय संविधान के प्रावधानों, दोनों के विरुद्ध है।
- मुस्लिम महिलाएं (विवाह अधिकार संरक्षण) अधिनियम, 2019 के तहत एक ही बार में तीन बार तलाक कहने को संज्ञेय अपराध घोषित किया गया है।
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28. 2008 में छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश कौन बने ?
(a) राजीव गुप्ता
(b) एस.आर. नायक
(c) अनंग कुमार पटनायक
(d) के.एच.एन. कुरंगा
(e) डब्ल्यू.ए. शिशक
[Chhattisgarh P.C.S. (Pre) 2013]
उत्तर-(a) राजीव गुप्ता
- 2 फरवरी, 2008 को न्यायमूर्ति राजीव गुप्ता छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश बने थे।
- इससे पहले वे उत्तराखंड उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश थे।
- वर्तमान में छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति पी.आर. रामचंद्र मेनन हैं जो 6 मई, 2019 से इस पद पर है।
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29. ‘विधि आयोग’ के किस अध्यक्ष ने अपनी रिपोर्ट में समर्थन किया है कि “प्रत्येक उच्च न्यायालय के एक-तिहाई न्यायाधीश दूसरे राज्य से होने चाहिए”?
(a) न्यायाधीश पी.एन. भगवती
(b) न्यायाधीश हिदायतुल्लाह
(c) न्यायाधीश एच.आर. खन्ना
(d) न्यायाधीश चंद्रचूड़
[Jharkhand P.C.S. (Pre) 2013]
उत्तर-(c) न्यायाधीश एच.आर. खन्ना
- आठवें विधि आयोग के अध्यक्ष न्यायाधीश एच. आर. खन्ना ने आयोग की 80वीं रिपोर्ट ‘न्यायाधीशों की नियुक्तियों के तरीके’ में उच्च न्यायालय के एक-तिहाई न्यायाधीश दूसरे राज्य से होने की सिफारिश की थी।
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30. जिला न्यायाधीश शब्द संविधान के किस अनुच्छेद में आया है?
(a) अनुच्छेद 230
(b) अनुच्छेद 231
(c) अनुच्छेद 232
(d) अनुच्छेद 233
(e) उपरोक्त में से कोई नहीं
[Chhattisgarh P.C.S. (Pre) 2016]
उत्तर-(d) अनुच्छेद 233
- भारतीय संविधान के भाग VI के अध्याय 6 के अनुच्छेद 233 में जिला न्यायाधीश (District Judges) शब्द का उल्लेख किया गया है, जिसके अंतर्गत जिला न्यायाधीशों की नियुक्ति का प्रावधान है।
- अनुच्छेद 230 उच्च न्यायालयों की अधिकारिता के संघ राज्यक्षेत्रों पर विस्तार से तथा अनुच्छेद 231 दो या अधिक राज्यों के लिए एक ही उच्च न्यायालय की स्थापना से संबंधित है, जबकि अनुच्छेद 232 का 7वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1956 द्वारा निरसन कर दिया गया है।
- अनुच्छेद 233 के अतिरिक्त अनुच्छेद 233-क, 234, 235 तथा 236 में भी जिला न्यायाधीश का उल्लेख है।
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31. भारत के संविधान के अनुसार, जिला न्यायाधीश अभिव्यक्ति के अंतर्गत सम्मिलित नहीं होगा-
(a) मुख्य प्रेसीडेंसी मजिस्ट्रेट
(b) सेशन न्यायाधीश
(c) अधिकरण न्यायाधीश
(d) लघुवाद न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश
[I.A.S. (Pre) 1996]
उत्तर-(c) अधिकरण न्यायाधीश
- अनुच्छेद 236 (क) के अनुसार, जिला न्यायाधीश अभिव्यक्ति के अंतर्गत शामिल हैं-
- नगर सिविल न्यायालय का न्यायाधीश, अपर जिला न्यायाधीश, संयुक्त जिला न्यायाधीश, सहायक जिला न्यायाधीश, लघुवाद न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश, मुख्य प्रेसीडेंसी मजिस्ट्रेट, अपर मुख्य प्रेसीडेंसी मजिस्ट्रेट, सेशन न्यायाधीश, अपर सेशन न्यायाधीश और सहायक सेशन न्यायाधीश।
- अधिकरण न्यायाधीश इसमें शामिल नहीं है।
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32. भारत के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:
1. न्यायिक हिरासत का अर्थ है कि अभियुक्त संबंधित मजिस्ट्रेट की हिरासत में है और ऐसे अभियुक्त को पुलिस स्टेशन के हवालात में रखा जाता है न कि जेल में।
2. न्यायिक हिरासत के दौरान, मामले के प्रभारी पुलिस अधिकारी, न्यायालय की अनुमति के बिना संदिश्व व्यक्ति से पूछताछ नहीं कर सकते।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा कौन-से सही है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो । और न ही 2
[I.A.S. (Pre) 2021]
उत्तर-(b) केवल 2
- आपराधिक प्रक्रिया संहिता (CrPC), 1973 के तहत पुलिस हिरासत (Police Custody) का तात्पर्य है कि अभियुक्त, प्रभारी पुलिस अधिकारी या संबंधित जांच एजेंसी के अधिकारी की हिरासत में है तथा उसे पुलिस स्टेशन के हवालात में या अधिकारी की हिरासत में रखा जाता है।
- इसके विपरीत न्यायिक हिरासत (Judicial Custody) का अर्थ है कि अभियुक्त, संबंधित मजिस्ट्रेट की हिरासत में है तथा ऐसी स्थिति में अभियुक्त को केंद्रीय या राज्य कारागार में रखा जाता है।
- इस प्रकार, कश्चन । सही नहीं है।
- न्यायिक हिरासत के दौरान, मामले के प्रभारी पुलिस अधिकारी/जांच अधिकारी, न्यायालय की अनुमति के बिना संदिग्ध व्यक्ति (अभियुक्त) से पूछताछ नहीं कर सकते।
- हालांकि, न्यायालय अपने समक्ष प्रस्तुत किए गए तथ्यों के आधार पर आवश्यक समझने पर संबंधित अधिकारी को अभियुक्त से पूछताछ की अनुमति दे सकता है।
- इस प्रकार कथन 2 सही है।
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33. लोक अदालतों के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा एक राही है?
(a) लोक अदालतों की अधिकारिता मुकदमा दायर करने से पहले के मामलों का निपटारा करने की है, और उन मामलों का नहीं, जो किसी न्यायालय में लंबित हो।
(b) लोक अदालतें ऐसे मामलों का निपटारा कर सकती हैं जो सिविल, न कि आपराधिक प्रकृति के हैं।
(c) प्रत्येक लोक अदालत में केवल सेवारत अथवा सेवानिवृत्त न्यायिक अधिकारी ही नियुक्त हो सकते हैं, कोई अन्य व्यक्ति नहीं।
(d) उपर्युक्त में से कोई-सा भी कथन सही नहीं है।
[I.A.S. (Pre) 2010]
उत्तर-(d) उपर्युक्त में से कोई-सा भी कथन सही नहीं है।
- लोक अदालतों में सामान्य न्यायालयों में लंबित मामलों का दोनों पक्षों के मध्य समझौते के आधार पर निपटारा किया जाता है।
- इनमें दीवानी मामलों के साथ-साथ कतिपय (प्रशम्य) आपराधिक मामलों पर भी विचार किया जाता है।
- लोक अदालतों में वर्तमान या सेवानिवृत्त न्यायिक अधिकारी अथवा विधिक ज्ञान रखने वाला सम्माननीय व्यक्ति पीठासीन अधिकारी होता है तथा सामान्यतः एक वकील एवं एक सामाजिक कार्यकर्ता इसके सदस्य होते हैं।
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34. ग्राम न्यायालय अधिनियम’ के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
1. इस अधिनियम के अनुसार, ग्राम न्यायालय केवल सिविल मामलों की सुनवाई कर सकता है, आपराधिक मामलों की नहीं
2. यह अधिनियम स्थानीय सामाजिक सक्रियतावादियों को मध्यस्थ सुलहकर्ता के रूप में स्वीकार करता है।
नीचे दिए गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिए।
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1, न ही 2
[I.A.S. (Pre) 2016]
उत्तर-(b) केवल 2
- ग्राम न्यायालय अधिनियम, 2008 की धारा-11 के अंतर्गत ग्राम न्यायालय को सिविल तथा आपराधिक, दोनों ही मामलों की सुनवाई का अधिकार है।
- अधिनियम की धारा-27 के अनुसार, स्थानीय सामाजिक सक्रियतावादियों को मध्यस्थ / सुलहकर्ता के रूप में स्वीकार किया गया है।
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35. भारत में चलित न्यायालय (Mobile Court) इनका मानसपुत्र है-
(a) न्यायमूर्ति भगवती
(b) श्री राजीव गांधी
(c) डॉ. ए. पी. जे. अब्दुल कलाम
(d) श्रीमती प्रतिभा पाटिल
[48th to 52nd B.P.S.C. (Pre) 2008]
उत्तर-(c) डॉ. ए. पी. जे. अब्दुल कलाम
- 4 अगस्त, 2007 को हरियाणा के मेवात जिले में स्थित पुन्हाना में देश की पहली मोबाइल (सचल) अदालत का उद्घाटन किया गया।
- इसका शुभारंभ भारत के तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश के.जी. बालाकृष्णन ने किया।
- इसका उद्देश्य सुदूर एवं पिछड़े इलाकों तक न्यायिक व्यवस्था का लाभ पहुंचाना है।
- इस प्रकार के न्यायालयों की परिकल्पना सर्वप्रथम भूतपूर्व राष्ट्रपति ए.पी.जे. अब्दुल कलाम ने की थी।
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