1. संविधान के मसौदे में निर्वाचित राज्यपालों के प्रावधानों की मूल योजना को छोड़ दिया गया था, क्योंकि
1. इसका तात्पर्य होता है एक दूसरा निर्वाचन
2. निर्वाचन प्रमुख राजनीतिक मुद्दों पर लड़ा जाता
3. निर्वाचित राज्यपाल अपने को मुख्यमंत्री से बड़ा मानता
4. राज्यपाल को संसदीय प्रणाली के अधीन ही कार्य करना था
इन कथनों में से कौन सही हैं?
(a) 1 तथा 2
(b) 2 तथा 3
(c) 1, 3 तथा 4
(d) 2, 3 तथा 4
[U.P.P.C.S. (Pre) 2003, U.P.U.D.A./L.D.A. (Pre) 2002, U.P.P.C.S. (Mains) 2004]
उत्तर-(c) 1, 3 तथा 4
- संविधान सभा में इस बात पर काफी बहस हुई कि राज्य का राज्यपाल नियुक्त हो या निर्वाचित।
- कृष्णामाचारी, बी.जी.खेर, जी.बी. पंत जैसे नेता निर्वाचित राज्यपाल के पक्ष में थे, जबकि अम्बेडकर, जवाहरलाल नेहरू जैसे नेता नामित राज्यपाल के पक्ष में थे।
- अंततः देश की परिस्थितियों एवं आम सहमति के आधार पर नामित राज्यपाल का प्रावधान किया गया और निर्वाचित प्रावधान की मूल योजना को छोड़ दिया गया क्योंकि (1) अनावश्यक निर्वाचन व्यय बढ़ेगा (2) निर्वाचन के दुष्परिणामों से बचा जा सकेगा (3) राजनैतिक महत्वाकांक्षाएं द्वंद्व एवं संघर्ष को जन्म देंगी (4) केंद्र का राज्यों पर प्रभावी नियंत्रण न हो सकेगा (5) अलगाववाद को बढ़ावा मिलेगा।
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2. राज्य सरकार का कार्यकारी अध्यक्ष/संवैधानिक प्रमुख कौन है?
(a) मुख्यमंत्री
(b) राज्यपाल
(c) मुख्यमंत्री का सचिव
(d) मुख्य सचिव
[45th B.P.S.C. (Pre) 2001, 53rd-55th B.P.S.C. (Pre) 2011]
उत्तर-(b) राज्यपाल
- संविधान के अनुच्छेद 154(1) के अनुसार, राज्य की कार्यपालिका शक्ति राज्यपाल में निहित होगी, जिसका प्रयोग वह इस संविधान के अनुसार स्वयं या अपने अधीनस्थ अधिकारियों के द्वारा करेगा।
- इस प्रकार राज्य सरकार का संवैधानिक प्रमुख राज्यपाल होता है।
- अनुच्छेद 155 के अनुसार, राज्य के राज्यपाल को राष्ट्रपति अपने हस्ताक्षर और मुद्रा सहित अधिपत्र द्वारा नियुक्त करता है।
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3. निम्नलिखित में से कौन राज्यपाल की नियुक्ति करता है?
(a) केंद्रीय मंत्रिमंडल
(b) उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश
(c) लोक सभा के अध्यक्ष
(d) भारत के राष्ट्रपति
[U.P.P.C.S. (Pre) 2012]
उत्तर-(d) भारत के राष्ट्रपति
- अनुच्छेद 155 के अनुसार, राज्य के राज्यपाल को राष्ट्रपति अपने हस्ताक्षर और मुद्रा सहित अधिपत्र द्वारा नियुक्त करता है।
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4. भारत के एक राज्य के राज्यपाल से संबंधित निम्न कथनों पर ध्यान दीजिए-
1. उसे जन्म से भारत का नागरिक होना चाहिए।
2. उसकी आयु कम-से-कम 35 वर्ष होनी चाहिए।
3. उसमें लोक सभा का सदस्य होने की योग्यता होनी चाहिए।
4. वह एक से अधिक राज्यों का राज्यपाल हो सकता है।
इनमें से-
(a) 1 तथा 2 सही हैं
(b) 1, 2 और 3 सही हैं
(c) 1, 2 और 4 सही है
(d) 2 तथा 4 सही हैं
[U.P. Lower Sub. (Pre) 1996]
उत्तर-(d) 2 तथा 4 सही हैं
- संविधान के अनुच्छेद 157 के अनुसार, राज्यपाल नियुक्त होने के लिए दो अर्हताएं हैं (1) वह भारत का नागरिक हो (2) वह 35 वर्ष की आयु पूरी कर चुका हो।
- उपर्युक्त कथन से स्पष्ट है कि राज्यपाल पद के लिए जन्म से भारत का नागरिक होना आवश्यक नहीं है।
- सातवें संविधान संशोधन, 1956 के माध्यम से अनुच्छेद 153 के परंतुक के रूप में यह प्रावधान किया गया कि एक ही व्यक्ति को दो या अधिक राज्यों का राज्यपाल नियुक्त किया जा सकता है।
- अतः अभीष्ट उत्तर विकल्प (d) होगा।
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5. निम्न पर विचार कीजिए एवं नीचे दिए गए कूटों का प्रयोग करते हुए सही उत्तर का चयन कीजिए:
(1) राज्यपाल अपना पद ग्रहण करने से पूर्व शपथ लेगा या प्रतिज्ञान करेगा।
(2) शपथ या प्रतिज्ञान का प्रारूप भारतीय संविधान की तीसरी अनुसूची में है।
(3) राज्यपाल उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायमूर्ति या उसकी अनुपस्थिति में ज्येष्ठतम न्यायाधीश के समक्ष शपथ या प्रतिज्ञान करेगा।
(4) शपथ या प्रतिज्ञान की प्रक्रिया भारतीय संविधान के अनुच्छेद 159 में दी गई है।
कूट :
(a) (1), (2) और (3)
(b) (1), (3) और (4)
(c) (1), (2) और (4)
(d) (1), (2), (3) और (4)
[R.A.S./R.T.S. (Pre) 2013]
उत्तर-(b) (1), (3) और (4)
- अनुच्छेद 159 के अनुसार प्रत्येक राज्यपाल, अपना पद ग्रहण करने से पहले उस राज्य के उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायमूर्ति या उसकी अनुपस्थिति में उस न्यायालय के उपलब्ध ज्येष्ठतम न्यायाधीश के समक्ष शपथ लेगा या प्रतिज्ञान करेगा।
- राज्यपाल के शपथ या प्रतिज्ञान का प्रारूप अनुच्छेद 159 में दिया गया है न कि भारतीय संविधान की तीसरी अनुसूची में।
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6. किसी राज्य के गवर्नर के संबंध में निम्न कथनों पर विचार कीजिए:
1. उसे राष्ट्रपति नियुक्त करते हैं।
2. राष्ट्रपति की इच्छा अनुसार यह पद पर रहते हैं।
3. उनमें राज्य की कार्यपालिका शक्ति निहित है।
4. सामान्यतः वह पांच वर्ष के लिए पद पर रहते हैं।
सही उत्तर का चयन नीचे दिए कूट से कीजिए:
कूट :
(a) 1 तथा 2
(b) 1, 2 तथा 3
(c) 1, 2 तथा 4
(d) सभी चारों
[U.P.P.S.C. (GIC) 2010, U.P.P.C.S. (Mains) 2004]
उत्तर-(d) सभी चारों
- भारतीय संविधान के अनु. 154 (1) में कथन 3, अनु. 155 में कथन 1, अनु. 156 (1) में कथन 2 तथा अनु. 156 (3) में कथन 4 सन्निहित हैं।
- इस प्रकार दिए गए चारों कथन सही है।
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7. किसी भारतीय राज्य के राज्यपाल से संबंधित निम्नलिखित कथनों में कौन-सा कथन सत्य नहीं है?
(a) वह भारत के राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त होता है
(b) वह एक से अधिक राज्यों का राज्यपाल हो सकता है
(c) वह पांच वर्ष तक पद पर रहता है
(d) यदि संबंधित राज्य की व्यवस्थापिका उसे पद से हटाये जाने का प्रस्ताव स्वीकार करती है तो वह पदावधि के पूर्व भी पदमुक्त किया जा सकता है
[U.P.P.C.S. (Pre) 1997, U.P. Lower Sub. (Pre) 2004]
उत्तर-(d) यदि संबंधित राज्य की व्यवस्थापिका उसे पद से हटाये जाने का प्रस्ताव स्वीकार करती है तो वह पदावधि के पूर्व भी पदमुक्त किया जा सकता है
- अनुच्छेद 156(1) के अनुसार राज्यपाल, राष्ट्रपति के प्रसादपर्यंत अपना पद धारण करता है, अतः पदावधि से पूर्व भी राष्ट्रपति ही (केंद्रीय मंत्रिपरिषद की सलाह पर) उसे पदच्युत कर सकता है।
- राज्य व्यवस्थापिका द्वारा राज्यपाल को हटाए जाने का कोई प्रावधान नहीं है।
- अनु. 156(3) के अनुसार, इस अनुच्छेद के पूर्वगामी उपबंधों के अधीन रहते हुए, राज्यपाल अपने पद ग्रहण की तारीख से पांच वर्ष की अवधि तक पद धारण करेगा।
- अन्य प्रश्नगत कथन सत्य हैं।
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8. संविधान के अनुच्छेद 156 में उपबंध है कि राज्यपाल अपने पदग्रहण की तारीख से पांच वर्ष की अवधि तक पद धारण करेगा। इससे निम्नलिखित में से कौन-सा निष्कर्ष निकाला जा सकता है?
1. किसी राज्यपाल को उसकी पदावधि पूरी होने से पूर्व पद से नहीं हटाया जा सकता।
2. कोई राज्यपाल पांच वर्ष की अवधि के बाद अपने पद पर बना नहीं रह सकता।
नीचे दिए हुए कूटों में से सही उत्तर का चयन कीजिए-
कूट :
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) दोनों ही नहीं
[I.A.S. (Pre) 1995]
उत्तर-(d) दोनों ही नहीं
- संविधान के अनु. 156 (1) के अनुसार, राज्यपाल राष्ट्रपति के प्रसाद- पर्यंत पद धारण करता है, अतः राष्ट्रपति उसे अवधि पूर्ण करने से पूर्व हटा सकता है।
- अनु. 156 (3) के परंतुक के अनुसार, राज्यपाल अपने पद की अवधि समाप्त हो जाने पर भी तब तक अपने पद पर बना रहेगा, जब तक उसका उत्तराधिकारी पद ग्रहण नहीं कर लेता है।
- इस प्रकार दोनों ही कथन सही नहीं है।
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9. राज्यपाल किसके प्रति उत्तरदायी होता है?
(a) प्रधानमंत्री
(b) राष्ट्रपति
(c) विधानसभा
(d) मुख्यमंत्री
[U.P.P.C.S. (Pre) 1992]
उत्तर-(b) राष्ट्रपति
- अनुच्छेद 155 के अनुसार, राज्यपाल की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है और अनुच्छेद 156 (1) के तहत वह राष्ट्रपति के प्रसादपर्यंत अपना पद धारण करता है।
- इस प्रकार एक ओर तो वह राज्य शासन का मुखिया होता है, तो दूसरी ओर केंद्र सरकार (राष्ट्रपति) के प्रतिनिधि के रूप में कार्य करता है तथा राष्ट्रपति के प्रति उत्तरदायी होता है।
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10. निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा एक सही है?
(a) भारत में एक ही व्यक्ति को एक ही समय में दो या अधिक राज्यों में राज्यपाल नियुक्त नहीं किया जा सकता
(b) भारत में राज्यों के उच्च न्यायालय के न्यायाधीश राज्य के राज्यपाल द्वारा नियुक्त किए जाते हैं, ठीक वैसे ही जैसे उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त किए जाते हैं
(c) भारत के संविधान में राज्यपाल को उसके पद से हटाने हेतु कोई भी प्रक्रिया अधिकथित नहीं है
(d) विधायी व्यवस्था वाले संघ राज्यक्षेत्र में मुख्यमंत्री की नियुक्ति उपराज्यपाल द्वारा, बहुमत समर्थन के आधार पर, की जाती है
[I.A.S. (Pre) 2013]
उत्तर- (c) भारत के संविधान में राज्यपाल को उसके पद से हटाने हेतु कोई भी प्रक्रिया अधिकथित नहीं है
- संविधान में राज्यपाल को हटाने की प्रक्रिया का वर्णन नहीं है।
- अनुच्छेद 156 (1) में प्रावधान है कि राज्यपाल, राष्ट्रपति के प्रसादपर्यंत पद धारण करेगा।
- अनुच्छेद 153 के परंतुक के तहत एक ही व्यक्ति दो या अधिक राज्यों का राज्यपाल हो सकता है।
- अनुच्छेद 217 (1) के अनुसार, राष्ट्रपति द्वारा उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों की नियुक्ति की जाती है।
- अनुच्छेद 239 क क (5) के तहत संघ राज्य क्षेत्र दिल्ली के मुख्यमंत्री तथा संघ राज्यक्षेत्र सरकार अधिनियम, 1963 के तहत पुडुचेरी संघ राज्यक्षेत्र के मुख्यमंत्री की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है।
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11. जम्मू एवं कश्मीर के राज्यपाल की नियुक्ति कौन करता है?
(a) जम्मू एवं कश्मीर का मुख्यमंत्री
(b) जम्मू एवं कश्मीर उच्च न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश
(c) भारत का प्रधानमंत्री
(d) भारत का राष्ट्रपति
[47th B.P.S.C. (Pre) 2002]
उत्तर-(d) भारत का राष्ट्रपति
- जम्मू एवं कश्मीर राज्य को संविधान के अनुच्छेद 370 के तहत भारत के अन्य राज्यों से अलग विशेष राज्य का दर्जा प्रदान किया गया था।
- इसी परिप्रेक्ष्य में पहले वहां की कार्यपालिका के प्रधान का चुनाव भारत के राष्ट्रपति द्वारा न होकर, जम्मू एवं कश्मीर की विधानसभा द्वारा किया जाता था
- किंतु इस विषमता को 1965 में समाप्त कर दिया गया, फलस्वरूप जम्मू एवं कश्मीर के कार्यपालिका प्रमुख को सदर-ए-रियासत के स्थान पर राज्यपाल नाम से जाना जाने लगा तथा उसकी नियुक्ति भारत के राष्ट्रपति द्वारा की जाने लगी।
- जम्मू एवं कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 के तहत 31 अक्टूबर, 2019 से जम्मू और कश्मीर राज्य को दो संघ राज्य क्षेत्रों-जम्मू एवं कश्मीर तथा लद्दाख के रूप में पुनर्गठित कर वहां उप-राज्यपालों का प्रावधान किया गया है, जिनकी नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है।
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12. जम्मू और कश्मीर राज्य के कार्यकारी अध्यक्ष का पद नाम सन 1965 में ‘सदर-ए-रियासत’ से ‘राज्यपाल’ में बदल दिया गया-
(a) लोक सभा के एक प्रस्ताव द्वारा
(b) राष्ट्रपति के एक कार्यकारी आदेश द्वारा
(c) जम्मू और कश्मीर राज्य के संविधान में छठें संशोधन द्वारा
(d) राज्य सरकार द्वारा आर्टिकल 371 के अंतर्गत
[U.P.P.C.S. (Mains) 2007]
उत्तर-(c) जम्मू और कश्मीर राज्य के संविधान में छठें संशोधन द्वारा
- जम्मू और कश्मीर राज्य के संविधान में छठें संवैधानिक संशोधन द्वारा 1965 में वहां राज्य के कार्यकारी अध्यक्ष का पद नाम ‘सदर- ए-रियासत’ से ‘राज्यपाल’ में बदल दिया गया तथा ‘प्रधानमंत्री’, ‘मुख्यमंत्री’ के रूप में पुनःस्थापित हुआ।
- जम्मू एवं कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 के तहत जम्मू एवं कश्मीर तथा लद्दाख संघ राज्य क्षेत्रों का प्रशासन राष्ट्रपति द्वारा (उसके द्वारा नियुक्त उप-राज्यपालों के माध्यम से) किए जाने का प्रावधान किया गया है।
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13. भारत में संघ राज्यों का प्रशासन होता है-
(a) राष्ट्रपति द्वारा
(b) उपराज्यपाल द्वारा
(c) गृह मंत्री द्वारा
(d) प्रशासक द्वारा
[U.P.P.C.S. (Pre) 1995]
उत्तर- (a) राष्ट्रपति द्वारा
- संविधान के अनुच्छेद 239(1) के अनुसार, संसद द्वारा बनाई गई विधि द्वारा यथा- अन्यथा उपबंधित के सिवाय, प्रत्येक संघ राज्यक्षेत्र का प्रशासन राष्ट्रपति द्वारा किया जाएगा, और वह अपने द्वारा ऐसे पदाभिधान सहित, जो वह विनिर्दिष्ट करे, नियुक्त किए गए प्रशासक के माध्यम से कार्य करेगा।
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14. केंद्रशासित प्रदेश लद्दाख का प्रथम लेफ्टिनेंट गवर्नर किसे नियुक्त किया गया है?
(a) गिरीश चंद्र मुर्मू
(b) राधा कृष्ण माथुर
(c) सत्यपाल मलिक
(d) एन.एन. वोहरा
[Chhattisgarh P.C.S. (Pre) 2019]
उत्तर-(b) राधा कृष्ण माथुर
- संघ राज्यक्षेत्र लद्दाख के प्रथम लेफ्टिनेंट गवर्नर (उप-राज्यपाल) के रूप में 31 अक्टूबर, 2019 को पूर्व मुख्य सूचना आयुक्त राधा कृष्ण माथुर को नियुक्त किया गया है।
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15. राज्यपाल के वेतन और भत्ते दिए जाते हैं-
(a) कंसॉलिडेटेड फंड ऑफ स्टेट से
(b) कंसॉलिडेटेड फंड ऑफ इंडिया से
(c) कंटिंजेंसी फंड ऑफ स्टेट से
(d) (a) और (b) दोनों द्वारा
[Jharkhand P.C.S. (Pre) 2003]
उत्तर-(a) कंसॉलिडेटेड फंड ऑफ स्टेट से
- राज्यपाल की परिलब्धियां, भत्ते तथा उसके पद से संबंधित अन्य व्यय राज्य की संचित निधि (कंसॉलिडेटेड फंड ऑफ स्टेट) पर भारित होते हैं [अनुच्छेद 202(3) (क)]।
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16. जब एक ही व्यक्ति को दो या अधिक राज्यों का राज्यपाल नियुक्त किया जाता है, तो उस राज्यपाल को संदेय उपलब्धियां और भत्ते होंगे-
(a) राज्यपाल की व्यक्त इच्छानुसार
(b) राष्ट्रपति के निर्णयानुसार
(c) गृह मंत्रालय के निर्णयानुसार
(d) इसे उन राज्यों के बीच ऐसे अनुपात में आवंटित किया जाएगा, जैसा राष्ट्रपति आदेश द्वारा अवधारित करें
[U.P.P.C.S. (Mains) 2016]
उत्तर-(d) इसे उन राज्यों के बीच ऐसे अनुपात में आवंटित किया जाएगा, जैसा राष्ट्रपति आदेश द्वारा अवधारित करें
- भारतीय संविधान के भाग 6 के तहत अनुच्छेद 158(3-क) के अंतर्गत यह प्रावधान किया गया है कि जब एक ही व्यक्ति को दो या अधिक राज्यों का राज्यपाल नियुक्त किया जाता है, तो उसे संदेय उपलब्धियां और भत्ते उन राज्यों के बीच ऐसे अनुपात में आवंटित किए जाएंगे, जैसा राष्ट्रपति आदेश द्वारा अवधारित करें।
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17. निम्नलिखित में से कौन-सी किसी राज्य के राज्यपाल को दी गई विवेकाधीन शक्तियां हैं?
1. भारत के राष्ट्रपति को, राष्ट्रपति शासन अधिरोपित करने के लिए रिपोर्ट भेजना।
2. मंत्रियों की नियुक्ति करना।
3. राज्य विधानमंडल द्वारा पारित कतिपय विधेयकों को, भारत के राष्ट्रपति के विचार के लिए आरक्षित करना।
4. राज्य सरकार के कार्य संचालन के लिए नियम बनाना।
नीचे दिए गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिए।
(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 1 और 3
(c) केवल 2, 3 और 4
(d) 1, 2, 3 और 4
[I.A.S. (Pre) 2014]
उत्तर-(b) केवल 1 और 3
- संविधान के अनुच्छेद 356 (1) के अनुसार, यदि राष्ट्रपति का, किसी राज्य के राज्यपाल से प्रतिवेदन (रिपोर्ट) मिलने पर या अन्यथा, यह समाधान हो जाता है कि ऐसी स्थिति उत्पन्न हो गई है जिसमें उस राज्य का शासन इस संविधान के उपबंधों के अनुसार नहीं चलाया जा सकता, तो राष्ट्रपति द्वारा उस राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाया जा सकता है।
- यह रिपोर्ट भेजना राज्यपाल की विवेकाधीन शक्ति के अंतर्गत आता है।
- संविधान के अनुच्छेद 164(1) के अनुसार, मंत्रियों की नियुक्ति राज्यपाल, मुख्यमंत्री की सलाह पर करेगा।
- अतः यह राज्यपाल की विवेकाधीन शक्ति नहीं है।
संविधान के अनुच्छेद 200 के अनुसार, राज्य विधानमंडल द्वारा पारित विधेयक राज्यपाल के समक्ष प्रस्तुत किए जाने पर राज्यपाल उसे अनुमति दे सकता है या अनुमति रोक सकता है अथवा वह विधेयक को राष्ट्रपति के विचार हेतु आरक्षित कर सकता है।
- यह भी राज्यपाल की विवेकाधीन शक्ति है, क्योंकि इसका प्रयोग वह राज्य मंत्रिमंडल की सलाह के बिना करता है।
- संविधान के अनुच्छेद 166 (3) के अनुसार, राज्यपाल अपने विवेकानुसार किए जाने वाले कार्य को छोड़कर राज्य सरकार के कार्य के सुचारू रूप से संचालन और इस हेतु मंत्रियों में कार्य के आवंटन के लिए नियम बनाएगा।
- अतः स्पष्ट है कि सर्वाधिक उपयुक्त उत्तर विकल्प (b) है।
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18. राज्य का राज्यपाल मंत्रिपरिषद के परामर्श से स्वतंत्र कार्य कर सकता है-
1. विधानसभा में सरकार को अपना बहुमत सिद्ध करने को कहने के लिए।
2. मुख्यमंत्री को बर्खास्त करने के लिए।
3. भारत के राष्ट्रपति के विचारार्थ किसी विधेयक को आरक्षित करने के लिए।
4. विधायिका द्वारा पारित किसी विधेयक को पुनर्विचार हेतु वापस करने के लिए।
5. उच्च न्यायालय का परामर्श मांगने के लिए।
अधोलिखित कूटों में से सही उत्तर का चयन कीजिए:
कूट :
(a) 1, 2, 3 और 4
(b) 2, 3, 4 और 5
(c) 1, 2, 4 और 5
(d) उपर्युक्त सभी
[U.P.P.C.S. (Mains) 2006]
उत्तर-(a) 1, 2, 3 और 4
- राज्य का राज्यपाल निम्नलिखित संदर्भों में अपने विवेकानुसार कार्य कर सकता है-
- 1. विधानसभा में सरकार को अपना बहुमत सिद्ध करने को कहने के लिए।
- 2. अल्पमत में आए मुख्यमंत्री को बर्खास्त करने के लिए।
- 3. किसी विधेयक पर अनुमति देने, अनुमति रोकने अथवा भारत के राष्ट्रपति के विचारार्थ उस विधेयक को आरक्षित करने के लिए (अनु. 200)।
- 4. विधायिका द्वारा पारित किसी विधेयक को पुनर्विचार हेतु वापस करने के लिए (अनु. 200 का परंतुक)।
- इनके अतिरिक्त राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने तथा विधानसभा के समय पूर्व विघटन जैसे कुछ अन्य संदर्भों में भी वह अपने विवेक का प्रयोग कर सकता है तथापि उसे उच्च न्यायालय से परामर्श मांगने के लिए अधिकृत नहीं किया गया है।
- अतः विकल्प (a) सही उत्तर होगा।
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19. भारतीय संविधान के निम्न अनुच्छेदों में से किस एक के अधीन राज्यपाल, राष्ट्रपति के विचार के लिए किसी विधेयक को आरक्षित रख सकता है?
(a) अनुच्छेद 169
(b) अनुच्छेद 200
(c) अनुच्छेद 201
(d) अनुच्छेद 202
[U.P.Lower Sub. (Pre) 2004]
उत्तर-(b) अनुच्छेद 200
- अनुच्छेद 200 के अनुसार, राज्य विधानमंडल के दोनों सदनों से पारित विधेयक राज्यपाल के समक्ष प्रस्तुत किए जाने पर राज्यपाल उस पर अपनी सहमति देने या रोकने के अतिरिक्त विधेयक को राष्ट्रपति के विचारार्थ आरक्षित रख सकता है।
- अनुच्छेद 201 के अनुसार, जब कोई विधेयक राज्यपाल द्वारा राष्ट्रपति के विचारार्थ आरक्षित रख लिया जाता है, तब राष्ट्रपति घोषित करेगा कि वह विधेयक पर अनुमति देता है या अनुमति रोक लेता है।
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20. किसी विधेयक पर संवैधानिक उपबंध के तहत राज्यपाल की सिफारिश अपेक्षित थी, किंतु बिना राज्यपाल की सिफारिश उसे राजस्थान विधानसभा में पुरःस्थापित किया गया और उसने पारित करके राज्यपाल को भेज दिया; अब-
(a) जहां राज्यपाल अनुमति देता है, तो वह अधिनियम अविधिमान्य नहीं होगा।
(b) राज्यपाल संवैधानिक प्रावधानों के अतिक्रमण के आधार पर अनुमति देने से इंकार कर सकता है।
(c) राज्यपाल ऐसे विधेयक को राष्ट्रपति की अनुमति के लिए भेज देगा।
(d) यदि राज्यपाल या राष्ट्रपति अनुमति दे तो न्यायालय संवैधानिक उपबंधों के आधार पर उसे असंवैधानिक घोषित कर देगा।
[R.A.S./R.T.S. (Pre) 2018]
उत्तर-(a) जहां राज्यपाल अनुमति देता है, तो वह अधिनियम अविधिमान्य नहीं होगा।
- किसी विधेयक पर संवैधानिक उपबंध के तहत राज्यपाल की सिफारिश अपेक्षित थी, किंतु बिना राज्यपाल की सिफारिश उसे राजस्थान विधानसभा में पुनःस्थापित किया गया और उसने पारित करके राज्यपाल को भेज दिया तब राज्यपाल अनुमति देता है, तो वह अधिनियम विधिमान्य होगा।
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21. भारतीय संविधान के निम्नलिखित में से कौन-सा अनुच्छेद राज्यपाल को अध्यादेश जारी करने की शक्ति प्रदान करता है?
(a) अनुच्छेद 208
(b) अनुच्छेद 212
(c) अनुच्छेद 213
(d) अनुच्छेद 214
[U.P.P.C.S. (Mains) 2017]
उत्तर-(c) अनुच्छेद 213
- भारतीय संविधान के अनु. 213(1) के अनुसार, उस समय को छोड़कर जब किसी राज्य की विधानसभा सत्र में है या विधान परिषद वाले राज्य में विधानमंडल के दोनों सदन सत्र में हैं, यदि किसी समय राज्यपाल को लगता है कि ऐसी परिस्थितियां विद्यमान हैं, जिसके कारण तुरंत कार्रवाई आवश्यक है, तो वह अध्यादेश (Ordinance) प्रख्यापित कर सकेगा।
- अनुच्छेद 213 (2) (क) के अनुसार, इस अध्यादेश को राज्य विधानमंडल के पुनः समवेत होने पर उससे स्वीकृति मिलना आवश्यक है, अन्यथा विधानमंडल के पुनः समवेत होने के 6 सप्ताह के बाद उसकी वैधता समाप्त हो जाती है।
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22. निम्न में से किसकी नियुक्ति राज्य का राज्यपाल नहीं करता?
(a) मुख्यमंत्री
(b) सदस्य, राज्य लोक सेवा आयोग
(c) उच्च न्यायालय के न्यायाधीश
(d) महाधिवक्ता (Advocate General)
[Uttarakhand P.C.S. (Pre) 2012]
उत्तर-(c) उच्च न्यायालय के न्यायाधीश
- भारतीय संविधान के अनुच्छेद 217(1) के अनुसार, उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है, जबकि राज्य के मुख्यमंत्री की नियुक्ति राज्यपाल द्वारा की जाती है और राज्य लोक सेवा आयोग के सदस्यों तथा महाधिवक्ता की नियुक्ति राज्यपाल द्वारा मुख्यमंत्री की सलाह पर की जाती है।
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23. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए तथा नीचे दिए गए कूट से अपना उत्तर चुनिए-
1. राज्यपाल को उच्च न्यायालय के न्यायाधीश की नियुक्ति का अधिकार नहीं
2. वह विधानमंडल का हिस्सा नहीं
3. उन्हें विधान परिषद में कुछ सदस्यों को मनोनीत करने का अधिकार है।
4. उनके पास कोई न्यायिक शक्ति नहीं
कूट :
(a) 1 और 2 सही है।
(b) 1 और 3 सही हैं।
(c) 2 और 4 सही हैं।
(d) सभी सही हैं।
[U.P. P.C.S. (Pre) 2017]
उत्तर-(b) 1 और 3 सही हैं।
- राज्यपाल को उच्च न्यायालय के न्यायाधीश की नियुक्ति का अधिकार नहीं है, क्योंकि अनुच्छेद 217(1) के अनुसार, उच्च न्यायालय के न्यायाधीश की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है।
- भारतीय संविधान के अनुच्छेद 171 के अनुसार, विधान परिषद की सदस्य संख्या के लगभग 1/6 भाग को साहित्य, विज्ञान, कला, सहकारिता और समाज सेवा में विशेष ज्ञान या व्यावहारिक अनुभव रखने वाले व्यक्तियों में से राज्यपाल द्वारा मनोनीत किया जाता है।
- अनुच्छेद 168(1) के अंतर्गत राज्यपाल राज्य विधानमंडल का हिस्सा है तथा अनुच्छेद 161 के अनुसार, राज्यपाल को क्षमा, आदि की और कुछ मामलों में दंडादेश के निलंबन, परिहार और लघुकरण की शक्ति (न्यायिक शक्ति) प्राप्त है।
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24. राज्यपालों के संदर्भ में निम्न में से कौन-सा एक कथन सत्य नहीं है?
(a) वह राज्य की विधायिका का अंग होता है।
(b) वह मृत्युदंड को क्षमा कर सकता है।
(c) वह राज्य के उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की नियुक्ति नहीं करता है।
(d) उसके पास आपातकालीन शक्तियां नहीं हैं।
[U.P.P.C.S. (Mains) 2005]
उत्तर-(b) वह मृत्युदंड को क्षमा कर सकता है।
- राज्यपाल अनु. 168 के तहत राज्य की विधायिका का अंग होता है, राज्यों के उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों की नियुक्ति अनु. 217 के तहत राष्ट्रपति द्वारा की जाती है, तथा राज्यपाल के पास राष्ट्रपति की तरह आपातकालीन शक्तियां नहीं हैं।
- इस प्रकार कथन (a), (c) एवं (d) सत्य हैं। वस्तुतः अनु. 161 के तहत राज्य की कार्यपालिका शक्ति के विस्तार वाले विषयों संबंधी किसी विधि के विरुद्ध किसी अपराध के लिए दोषसिद्ध ठहराए गए व्यक्ति के दंड का राज्यपाल प्रविलंबन, विराम, परिहार, लघुकरण या उसे क्षमा कर सकता है अथवा दंडादेश (जिसमें मृत्यु दंडादेश-Death Sentence शामिल है) का निलंबन, परिहार या लघुकरण कर सकता है, परंतु मृत्यु दंडादेश को वह क्षमा नहीं कर सकता है।
- मृत्यु दंडादेश को क्षमा करने की शक्ति केवल राष्ट्रपति को अनु. 72 के तहत प्राप्त है।
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25. नीचे दो वक्तव्य दिए गए हैं। एक को कथन (A) एवं दूसरे को कारण (R) का नाम दिया गया है। दिए गए कूट की सहायता से सही उत्तर चुनिए :
कथन (A): राष्ट्रपति और राज्यपालों पर उनके किसी भी कार्य के लिए न्यायालय में मुकदमा नहीं चलाया जा सकता।
कारण (R) : राष्ट्रपति पर महाभियोग चलाया जा सकता है और राज्यपालों को असंवैधानिक कृत्यों के करने पर पदच्युत किया जा सकता है।
कूट :
(a) (A) और (R) दोनों सही हैं और (R), (A) की सही व्याख्या करता है।
(b) (A) और (R) दोनों सही हैं, किंतु (R), (A) की सही व्याख्या नहीं करता है।
(c) (A) सही है, किंतु (R) गलत है।
(d) (A) गलत है, किंतु (R) सही है।
[U.P.P.C.S. (SpL) (Mains) 2004]
उत्तर-(d) (A) गलत है, किंतु (R) सही है।
- संविधान के अनुच्छेद 361(1) के तहत राष्ट्रपति या किसी राज्य के राज्यपाल को उनके द्वारा किए गए शासकीय कार्यों के लिए विधिक कार्यवाही से उन्मुक्ति प्राप्त है।
- अनुच्छेद 361(2) के अनुसार, अपने कार्यकाल के दौरान राष्ट्रपति या राज्यपालों के विरुद्ध किसी भी न्यायालय में आपराधिक (दांडिक) मुकदमा नहीं चलाया जा सकता है, परंतु अनुच्छेद 361(4) के प्रावधान के तहत उनके द्वारा व्यक्तिगत हैसियत से किए गए कार्य के संबंध में उनके विरुद्ध अनुतोष का दावा करने वाला दीवानी (सिविल) मुकदमा तत्संबंधी विस्तृत लिखित सूचना उन्हें या उनके कार्यालय में देने के दो माह पश्चात चलाया जा सकता है।
- इस प्रकार प्रश्नगत कथन सही नहीं है, जबकि कारण संवैधानिक प्रावधानों के तहत सही है।
- अतः अभीष्ट उत्तर विकल्प (d) है।
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26. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए-
1. किसी राज्य के राज्यपाल के विरुद्ध उसकी पदावधि के दौरान किसी न्यायालय में कोई दांडिक कार्यवाही संस्थित नहीं की जाएगी।
2. किसी राज्य के राज्यपाल की परिलब्धियां और भत्ते उसकी पदावधि के दौरान कम नहीं किए जाएंगे।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1, न ही 2
[I.A.S. (Pre) 2018]
उत्तर-(c) 1 और 2 दोनों
- कथन । संविधान के अनुच्छेद 361 के संदर्भ में तथा कथन 2 अनुच्छेद 158 के संदर्भ में सही है।
- अनुच्छेद 361 के खंड (2) में यह उपबंधित है कि राष्ट्रपति या राज्यपाल के विरुद्ध उसकी पदावधि के दौरान किसी न्यायालय में किसी भी प्रकार की दांडिक कार्यवाही संस्थित नहीं की जाएगी या चालू नहीं रखी जाएगी।
- भारतीय संविधान का अनुच्छेद 158 ‘राज्यपाल के पद के लिए शर्तें’ विषय से संबंधित है।
- इसके खंड (4) के प्रावधानानुसार राज्यपाल की उपलब्धियां और भत्ते उसकी पदावधि के दौरान कम नहीं किए जाएंगे।
- इस प्रकार प्रश्नगत दोनों कथन सही है।
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27. निम्नलिखित में से क्या सत्य नहीं है?
(a) राष्ट्रपति या राज्यपाल को शासकीय कार्यों के लिए विधिक कार्यवाही से उन्मुक्ति है।
(b) कोई न्यायालय राज्यपाल को किसी कर्तव्य पालन के लिए विवश नहीं कर सकता।
(c) एक राज्यपाल को व्यक्तिगत कार्यों हेतु सिविल कार्यवाही लाने के लिए दो मास की लिखित सूचना अवश्य देनी होगी।
(d) मंत्रियों द्वारा राष्ट्रपति या राज्यपाल को दिए गए सलाह को जांचने के लिए न्यायालय अधिकृत हैं।
[U.P.P.C.S. (Mains) 2016]
उत्तर- (d) मंत्रियों द्वारा राष्ट्रपति या राज्यपाल को दिए गए सलाह को जांचने के लिए न्यायालय अधिकृत हैं।
- संविधान के अनुच्छेद 74(2) के अनुसार, इस प्रश्न की किसी न्यायालय में जांच नहीं की जाएगी कि क्या मंत्रियों ने राष्ट्रपति को कोई सलाह दी और यदि दी तो क्या दी।
- ऐसी ही व्यवस्था राज्यपाल के संदर्भ में अनुच्छेद 163(3) में प्रदान की गई है।
- अन्य सभी विकल्पों के कथन सही हैं।
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28. भारत के संविधान में निम्न में से किसके विरुद्ध अभियोग चलाने का प्रावधान नहीं है?
(a) राष्ट्रपति के विरुद्ध
(b) राज्य के राज्यपाल के विरुद्ध
(c) भारत के मुख्य न्यायाधीश के विरुद्ध
(d) भारत के उपराष्ट्रपति के विरुद्ध
[U.P.P.C.S. (Mains) 2009]
उत्तर-(b) राज्य के राज्यपाल के विरुद्ध
- राज्य के राज्यपाल राष्ट्रपति के प्रसादपर्यंत (अर्थात जब तक राष्ट्रपति की संवैधानिक इच्छा है) पद धारण करते हैं जबकि राष्ट्रपति, उप-राष्ट्रपति एवं भारत के मुख्य न्यायाधीश को पदावधि से पूर्व हटाने के लिए संसद में अभियोग चलाना या निर्धारित प्रक्रियानुसार संकल्प पारित करना आवश्यक है।
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29. भारत में किसी राज्य की राज्यपाल बनने वाली पहली महिला-
(a) राजकुमारी अमृत कौर
(b) पद्मजा नायडू
(c) सरोजिनी नायडू
(d) सरला ग्रेवाल
[M.P.P.C.S. (Pre) 1995, Chhattisgarh P.C.S. (Pre) 2003]
उत्तर-(c) सरोजिनी नायडू
- सरोजिनी नायडू भारत की प्रथम महिला हैं, जिन्हें राज्यपाल पद पर नियुक्त किया गया।
- वह 15 अगस्त, 1947 से 2 मार्च, 1949 तक उत्तर प्रदेश (तत्कालीन संयुक्त प्रांत) की राज्यपाल रही थीं।
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30. प्रतिवर्ष 13 फरवरी को महिला दिवस मनाया जाता है स्मृति में-
(a) इंदिरा गांधी की
(b) कमला नेहरू की
(c) सरोजिनी नायडू की
(d) रानी लक्ष्मीबाई की
[U.P. P.C.S. (Pre) 2002]
उत्तर-(c) सरोजिनी नायडू की
- प्रतिवर्ष 13 फरवरी को सरोजिनी नायडू की स्मृति में राष्ट्रीय महिला दिवस’ मनाया जाता है।
- सरोजिनी नायडू का जन्म 13 फरवरी, 1879 को हुआ था।
- वे भारत के किसी राज्य की राज्यपाल बनने वाली पहली महिला थीं।
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31. पश्चिम बंगाल की प्रथम महिला राज्यपाल कौन थीं?
(a) विजयलक्ष्मी पंडित
(b) पद्मजा नायडू
(c) रजनी राय
(d) शीला कौल
[Chhattisgarh P.C.S. (Pre) 2005]
उत्तर-(b) पद्मजा नायडू
- पश्चिम बंगाल की प्रथम महिला राज्यपाल पद्मजा नायडू (1956-1967) थीं।
- जबकि यहां के प्रथम राज्यपाल चक्रवर्ती राजगोपालाचारी थे।
- वर्तमान में पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ (30 जुलाई, 2019 से) हैं।
- विजयलक्ष्मी पंडित महाराष्ट्र की पहली महिला राज्यपाल (1962-1964) थीं।
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32. मध्य प्रदेश के निम्नांकित राज्यपालों में से कौन हरियाणा के मुख्यमंत्री रहे हैं?
(a) राम प्रकाश गुप्ता
(b) राम नरेश यादव
(c) डॉ. बलराम जाखड़
(d) डॉ. भगवत दयाल शर्मा
[M.P.P.C.S. (Pre) 2020]
उत्तर-(d) डॉ. भगवत दयाल शर्मा
- डॉ. भगवत दयाल शर्मा हरियाणा राज्य के पहले मुख्यमंत्री (1966-67) रहे थे तथा वे 1980 से 1984 के दौरान मध्य प्रदेश के राज्यपाल थे।
- वे ओडिशा के भी राज्यपाल (1977-80) रहे थे।
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33. राजस्थान के राज्यपाल जिन्हें वर्खास्त किया गया था:
(a) डॉ. संपूर्णानंद थे
(b) रघकुल तिलक थे
(c) सुखदेव प्रसाद थे
(d) बलिराम भगत थे
[U.P. P.C.S. (Mains) 2003]
उत्तर-(b) रघकुल तिलक थे
- भारत में सर्वप्रथम बर्खास्त किए गए राज्यपाल तमिलनाडु के राज्यपाल प्रभुदास पटवारी थे जिन्हें अक्टूबर, 1980 में बर्खास्त किया गया था।
- अगस्त, 1981 में राजस्थान के राज्यपाल रघुकुल तिलक को बर्खास्त किया गया था, जो कि राजस्थान के ऐसे पहले राज्यपाल थे।
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34. निम्नलिखित में से किस एक का यह सुझाव था कि राज्यपाल को उस राज्य के बाहर का एक प्रतिष्ठित व्यक्ति होना चाहिए, और उसे एक ऐसा तटस्थ व्यक्ति होना चाहिए जिसके गहन राजनीतिक जुड़ाव न हों या उसने हाल के पिछले वर्षों में राजनीति में भाग नहीं लिया हो?
(a) पहला प्रशासनिक सुधार आयोग (1966)
(b) राजमन्नार समिति (1969)
(c) सरकारिया आयोग (1983)
(d) संविधान के कार्यचालन की समीक्षा हेतु राष्ट्रीय आयोग (2000)
[I.A.S. (Pre) 2019]
उत्तर-(c) सरकारिया आयोग (1983)
- सरकारिया आयोग ने यह अनुशंसा की थी कि राज्यपाल को उस राज्य के बाहर का एक प्रतिष्ठित व्यक्ति होना चाहिए और उसे एक ऐसा तटस्थ व्यक्ति होना चाहिए जिसके गहन राजनीतिक जुड़ाव न हों या उसने हाल के पिछले वर्षों में राजनीति में भाग नहीं लिया हो।
- ध्यातव्य है कि बदलते हुए सामाजिक-आर्थिक परिदृश्य में केंद्र और राज्यों के मध्य मौजूद व्यवस्थाओं की कार्यप्रणाली की समीक्षा की दृष्टि से, भारत सरकार ने 9 जून, 1983 को न्यायमूर्ति आर.एस. सरकारिया की अध्यक्षता में (अन्य सदस्य-बी. शिवरामन एवं डॉ. एस. आर, सेन) एक आयोग गठित किया था।
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