1. पौधों में अर्धसूत्री विभाजन के अध्ययन के लिए सबसे उपयुक्त भाग होगा-
(a) प्ररोह शीर्ष
(b) मूल शीर्ष
(c) परागकोश
(d) पर्ण कोशिका
[M.P.P.C.S. (Pre) Exam. 2017]
उत्तर – (c) परागकोश
- पौधों में अर्धसूत्री विभाजन (Meiosis) के अध्ययन के लिए उपर्युक्त विकल्पों में सबसे उपयुक्त भाग परागकोश (Anthers) है।
- इसमें अर्धसूत्री विभाजन के बाद परागकणों का निर्माण होता है, जो वास्तव में अपरिपक्व (Immature) नर युग्मकोदभिद् (Male gametophyte) हैं।
- प्रजनन के लिए पौधों पर पुष्प उत्पन्न होते हैं।
- पुंकेसर (Stamens) नर जननांग तथा अंडप (Carpels) मादा जननांग के रूप में होते हैं।
- पुंकेसर में पुर्ततु व परागकोश होता है तथा अंडप में अंडाशय (Ovary), वर्तिका (Style) एवं वर्तिकाग्र (Stigma) होते हैं।
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2.निम्नलिखित में से कौन-सा/से कथन पौधों के कायिक प्रवर्धन के संबंध में सही है/हैं?
1. कायिक प्रवर्धन क्लोनीय जनसंख्या को उत्पन्न करता है।
2. कायिक प्रवर्धन विषाणुओं का निष्प्रभावन करने में सहायक है।
3. कायिक प्रवर्धन वर्ष के अधिकतर भाग में चल सकता है।
नीचे दिए गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिए।
(a) केवल 1
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2 और 3
[I.A.S. (Pre) 2014]
उत्तर – (c) केवल 1 और 3
- पौधे के कायिक भागों यथा-जड़, स्तंभ एवं पत्तों द्वारा जनन, जिसमें लैंगिक अंग क्रियात्मक भाग नहीं होते, ‘कायिक प्रवर्धन’ (Vegetative Propagation) कहलाता है।
- कायिक जनन का मुख्य लाभ यह है कि इससे कोई भी क्षेत्र बड़ी शीघ्रता से एक जाति विशेष द्वारा आच्छादित हो जाता है, परंतु यह जनन विधि जाति श्रृंखला की दूरस्थ वृद्धि में सहायक नहीं है, क्योंकि कायिक अंग उतनी दूरी तक नहीं वितरित हो पाते जितने कि बीज।
- कायिक जनन द्वारा उत्पन्न संतति जनकरूपेण (Genetically) पैतृक समान होती है और उसमें कोई भिन्नता या नए गुण और ओज नहीं आ पाते।
- कायिक जनन विषाणुओं का प्रसार करने में सहायक है, अतः कथन (2) सत्य नहीं है।
- कायिक प्रवर्धन वर्ष के अधिकतर भाग में चल सकता है, अतः कथन (3) सत्य है।
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3. तना काट आमतौर से किसके प्रवर्धन के लिए प्रयोग किया जाता है?
(a) केला
(b) गन्ना
(c) आम
(d) कपास
[39th B.P.S.C. (Pre) 1994]
उत्तर – (b) गन्ना
- गन्ना (Sugarcane) कुल-प्रेमिनी (Family-Gramineae) के अंतर्गत आता है, जिसका तना काट आमतौर से कायिक प्रवर्धन (Vegetative propagation) के लिए प्रयुक्त किया जाता है।
- इसका तना ठोस (Solid) एवं संधिबद्ध (Jointed) होता है, जिसमें पर्व (Nodes) तथा पर्व संधियां (Internodes) पाई जाती हैं।
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4. भारत में गन्ने की खेती में वर्तमान प्रवृत्तियों के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:
1. जब ‘बड चिप सैटलिंग्स (bud chip settlings) को नर्सरी में उगाकर मुख्य कृषि भूमि में प्रतिरोपित किया जाता है, तब बीज सामग्री में बड़ी बचत होती है।
2. जब सैट्स का सीधे रोपण किया जाता है, तब एक-कलिका (single-budded) सैट्स का अंकुरण प्रतिशत कई-कलिका (many budded) सैट्स की तुलना में बेहतर होता है।
3. खराब मौसम की दशा में यदि सैट्स का सीधे रोपण होता है, तब एक-कलिका सैट्स का जीवित बचना बड़े सैट्स की तुलना में बेहतर होता है।
4. गन्ने की खेती, ऊतक संवर्धन से तैयार की गई सैटलिंग से की जा सकती है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 3
(c) केवल 1 और 4
(d) केवल 2, 3 और 4
[I.A.S. (Pre) 2020]
उत्तर – (c) केवल 1 और 4
- गन्ने की उत्पादन लागत घटाने हेतु बड चिप प्रौद्योगिकी आर्थिक दृष्टि से सुविधाजनक विकल्प है।
- गन्ने की खेती, ऊतक संवर्धन से तैयार की गई सैटलिंग से की जा सकती है।
- वर्तमान में गन्ने की खेती में पारंपरिक विधि के विपरीत आधुनिक उन्नत विधि का उपयोग किया जा रहा है, जिसमें कलिका चिप गन्ना बीज का उपयोग होता है।
- इस विधि के अंतर्गत कलिका चिप्स का प्रस्फुटन (90 प्रतिशत) तथा गुणन क्षमता (1: 60) बहुत अधिक होता है, जबकि पारंपरिक विधि का प्रस्फुटन (30-35 प्रतिशत) तथा गुणन क्षमता (1 : 10) अपेक्षाकृत कम होता है।
- ‘बड़ चिप सैटलिंग’ को नर्सरी में उगाकर मुख्य कृषि भूमि में प्रतिरोपित किया जाता है, जिससे लगभग 80 प्रतिशत गन्ना बीज की बचत होती है।
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5. भ्रूण किसमें मिलता है?
(a) फूल
(b) पर्ण
(c) बीज
(d) कली
[534to55th B.P.S.C. (Pre) 2011]
उत्तर – (c) बीज
- पौधों में भ्रूण, बीज में मिलता है।
- अंकुरण प्रक्रिया के फलस्वरूप भ्रूण, बीज से बाहर आता है।
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6. मां पौधे की भांति पौधा मिलता है-
(a) बीजों से
(b) तना काट से
(c) इनमें से किसी से भी नहीं
(d) इन दोनों से
[39 B.P.S.C. (Pre) 1994]
उत्तर – (b) तना काट से
- कायिक प्रवर्धन (Vegetative Propagation), प्रजनन की एक अलैंगिक विधि है।
- इसमें नए पौधे किसी भी जनन अंग की सहायता के बिना, पुराने पौधों के भागों (जैसे तना, जड़ एवं पत्तियों) से प्राप्त किए जाते हैं।
- तना काट (Stem Cutting), दाब लगाना (Layering) तथा कलम बांधना (Grafting) आदि इसकी पारंपरिक विधियां हैं।
- अलैंगिक जनन द्वारा उत्पन्न नए पौधे अपने जनक (Parent) के आकारिकीय तथा आनुवंशिकी रूप से समरूप होते हैं।
- इसके विपरीत लैंगिक जनन (बीजों से) द्वारा उत्पन्न पौधों में विभिन्नताएं पाई जाती हैं।
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7. निम्नलिखित पादपों पर विचार कीजिए:
1. बोगेनविलिया
2. कार्नेशन
3. कोको
4. अंगूर
इनमें से कौन-कौन से पादप स्तंभ कर्तन द्वारा प्रवर्धित किए जाते हैं?
(a) 1 और 2
(b) 2, 3 और 4
(c) 1, 2 और 4
(d) 1, 2, 3 और 4
[I.A.S. (Pre) 2002]
उत्तर – (d) 1, 2, 3 और 4
- बोगेनविलिया, कार्नेशन, गुलाब तथा अंगूर में स्तंभ कर्तन द्वारा प्रवर्धन होता है, जबकि कोको (Coco) में स्तंभ कर्तन द्वारा प्रवर्धन के साथ ही बीजों (Seeds) द्वारा प्रवर्धन भी होता है।
- इसके बीजों को सर्वप्रथम नर्सरी में उगाते हैं, तत्पश्चात इन नवजात पौधों को मृदा में चार फीट की दूरी पर प्रत्यारोपित (Transplant) कर देते हैं।
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8. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:
1. मौसमी के पौधे का प्रवर्धन कलमबंध तकनीक द्वारा होता है।
2. चमेली के पौधे का प्रवर्धन दाब तकनीक द्वारा होता है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा / से सही है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1 और न ही 2
[I.A.S. (Pre) 2009]
उत्तर – (c) 1 और 2 दोनों
- दाब तकनीक में पौधे की तना शाखा को दबाकर भूमि से संपर्क कराया जाता है, कुछ दिनों में तना शाखा में जड़ें उग आती हैं।
- इसे अलग कर नए पौधे के रूप में उगा लिया जाता है।
- चमेली के पौधे का प्रवर्धन इसी प्रकार किया जाता है, जबकि मौसमी के पौधे का प्रवर्धन कलम बंध तकनीक से किया जाता है।
- इस प्रकार प्रश्नगत दोनों कथन सही हैं।
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9. पौधों में गूटी लगाने का कार्य किस उद्देश्य की पूर्ति हेतु किया जाता है?
(a) कीटों के नियंत्रण हेतु
(b) वानस्पतिक प्रसारण के लिए
(c) बीजों के अंकुरण हेतु
(d) खरपतवार के नियंत्रण हेतु
[U.P. R.O/A.R.O. (Pre) 2021]
उत्तर – (b) वानस्पतिक प्रसारण के लिए
- पौधों में गूटी लगाना कृत्रिम कायिक प्रवर्धन की एक तकनीक है, जो वानस्पतिक प्रसारण हेतु किया जाता है।
- इसमें मूल पौधे से जुड़े रहने के दौरान हवाई तनों में जड़ों को विकसित होने दिया जाता है।
- वर्षा ऋतु में इसका इस्तेमाल नींबू, संतरा, अमरूद एवं लीची आदि के विकास हेतु किया जाता है।
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10. यदि किसी उभयलिंगी पुष्प में, पुमंग और जायांग अलग-अलग समय पर परिपक्व होते हैं, तो इस तथ्य को कहते हैं-
(a) भिन्नकालपक्वता
(b) रखअनिषेच्य उभयलिंगता (होगेमी)
(c) विषमयुग्मन
(d) एक-संगमनी
[I.A.S. (Pre) 2002]
उत्तर – (a) भिन्नकालपक्वता
- उभयलिंगी पुष्प में, पुमंग (Androecium) तथा जायांग (Gynoecium) के अलग-अलग समय पर परिपक्व होने की घटना पृथकपक्वता या भिन्नकालपक्वता (Dichogamy) कहलाती है, जो कि दो प्रकार की (1) पूर्वपुंपक्वता (Protandry) तथा (2) पूर्वस्त्रीपक्वता (Protogyny) होती है।
- पूर्वपुंपक्वता में परागकोश अंडाशय से पूर्व पकते हैं, जबकि पूर्वस्त्रीपक्वता मैं अंडाशय परागकोश से पहले पकता है अर्थात परिपक्व होता है।
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11. एक ही पौधे के एक पुष्प के परागकोश से परागकण का उसी पौधे के दूसरे पुष्प की वर्तिकाग्र में स्थानांतरण कहलाता है-
(a) स्वक युग्मन
(b) सजातपुष्पी परागण
(c) पर-परागण
(d) उपरोक्त में से कोई नहीं
[M.P.P.C.S. (Pre) 2019]
उत्तर – (b) सजातपुष्पी परागण
- एक ही पौधे के एक पुष्प के परागकोश से परागकण का उसी पौधे के दूसरे पुष्प की वर्तिकाग्र में स्थानांतरण स्व-परागण (Self-pollination) या सजातपुष्पी परागण (Geitonogamy) कहलाता है।
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