भारतीय अर्थव्यवस्था टेस्ट 5
भारतीय अर्थव्यवस्था टेस्ट 5
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इस टेस्ट में सम्मिलित प्रश्न एन.सी.ई.आर.टी. पर आधारित है|
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Question 1 of 20
1. Question
1 points‘बंद अर्थव्यवस्था’ वह अर्थव्यवस्था है जिसमें–
Correct
व्याख्या: ‘बंद अर्थव्यवस्था’ के अंतर्गत विदेशों से व्यापार नहीं होता है अर्थात्बंद अर्थव्यवस्था वाले देश न तो किसी अन्य देश के साथ वस्तुओं एवं सेवाओं का आयात करते हैं और न ही निर्यात करते हैं। वहीं खुली अर्थव्यवस्था एक ऐसी अर्थव्यवस्था है, जिसमें अन्य राष्ट्रों के साथ वस्तुओं और सेवाओं तथा बहुधा वित्तीय परिसंपत्तियों का भी व्यापार किया जाता है।
Incorrect
व्याख्या: ‘बंद अर्थव्यवस्था’ के अंतर्गत विदेशों से व्यापार नहीं होता है अर्थात्बंद अर्थव्यवस्था वाले देश न तो किसी अन्य देश के साथ वस्तुओं एवं सेवाओं का आयात करते हैं और न ही निर्यात करते हैं। वहीं खुली अर्थव्यवस्था एक ऐसी अर्थव्यवस्था है, जिसमें अन्य राष्ट्रों के साथ वस्तुओं और सेवाओं तथा बहुधा वित्तीय परिसंपत्तियों का भी व्यापार किया जाता है।
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Question 2 of 20
2. Question
1 pointsकिसी देश का अदायगी संतुलन (भुगतान-संतुलन) किसका व्यवस्थित अभिलेख है?
Correct
व्याख्या: भुगतान संतुलन में किसी खास समयावधि में खासकर एक वर्ष में एक देश के निवासियों और शेष विश्व के बीच वस्तुओं, सेवाओं और संपत्तियों के आयात-निर्यात का विवरण दर्ज होता है। भुगतान संतुलन में दो मुख्य खाते होते हैं– चालू खाता (Current Account) व पूंजी खाता (Capital Account)।
Incorrect
व्याख्या: भुगतान संतुलन में किसी खास समयावधि में खासकर एक वर्ष में एक देश के निवासियों और शेष विश्व के बीच वस्तुओं, सेवाओं और संपत्तियों के आयात-निर्यात का विवरण दर्ज होता है। भुगतान संतुलन में दो मुख्य खाते होते हैं– चालू खाता (Current Account) व पूंजी खाता (Capital Account)।
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Question 3 of 20
3. Question
1 pointsभुगतान संतुलन के संदर्भ में निम्नलिखित में से किन-किन से चालू खाता बनता है?
- वस्तुओं के आयात-निर्यात से।
- सेवाओं के आयात-निर्यात से।
- बंधपत्र (Bond) के अंतर्राष्ट्रीय क्रय-विक्रय से।
- अंतरण-अदायगी (Transfer Payments) से।
कूट:
Correct
व्याख्या:
- भुगतान संतुलन के अंतर्गत चालू खाते में वस्तुओं एवं सेवाओं के आयात-निर्यात और अंतरण अदायगी (Transfer Payments) संबंधी विवरण को दर्ज़ किये जाते हैं।
- अंतरण अदायगी ऐसी प्राप्तियाँ होती हैं जो किसी देश के निवासियों को ‘नि:शुल्क’ प्राप्त होती हैं और उनके बदले में उन्हें वर्तमान में या भविष्य में कोई अदायगी नहीं करनी पड़ती है। इनमें प्रेषित धन, उपहार और अनुदान (Grants) शामिल हैं।
Incorrect
व्याख्या:
- भुगतान संतुलन के अंतर्गत चालू खाते में वस्तुओं एवं सेवाओं के आयात-निर्यात और अंतरण अदायगी (Transfer Payments) संबंधी विवरण को दर्ज़ किये जाते हैं।
- अंतरण अदायगी ऐसी प्राप्तियाँ होती हैं जो किसी देश के निवासियों को ‘नि:शुल्क’ प्राप्त होती हैं और उनके बदले में उन्हें वर्तमान में या भविष्य में कोई अदायगी नहीं करनी पड़ती है। इनमें प्रेषित धन, उपहार और अनुदान (Grants) शामिल हैं।
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Question 4 of 20
4. Question
1 pointsभुगतान संतुलन के संबंध में नीचे दिये गए युग्मों में से कौन-सा/से सही सुमेलित है/हैं?
- व्यापार घाटा – आयात, निर्यात से अधिक
- अदृश्य व्यापार – सेवाओं का व्यापार
- गैर-उपदान आय (Non-Factor Income) – पर्यटन
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये-
Correct
व्याख्या: उपरोक्त तीनों युग्म सही सुमेलित हैं।
- जब किसी देश का निर्यात, आयात से अधिक होता है तो व्यापार आधिक्य होता है और जब आयात, निर्यात से अधिक होता है तो ‘व्यापार घाटा’ होता है।
- भुगतान संतुलन के अंतर्गत सेवाओं के व्यापार को अदृश्य व्यापार कहा जाता है क्योंकि उसे सीमाओं को पार करते देखा नहीं जा सकता है। अदृश्य व्यापार के अंतर्गत उपदान आय (Factor Income) और गैर-उपदान आय (Non-Factor Income) आते हैं।
- उपदान आय के अंतर्गत विदेशों में हमारी परिसंत्तियों पर ब्याज, लाभ और लाभांश में से भारत में विदेशियों की परिसंपत्तियों से उनकी आय घटाने पर प्राप्त होती है तथा गैर-उपदान आय के अंतर्गत जहाजरानी, बैंकिंग, बीमा, पर्यटन, सॉफ्टवेयर इत्यादि सेवाएँ आती हैं।
Incorrect
व्याख्या: उपरोक्त तीनों युग्म सही सुमेलित हैं।
- जब किसी देश का निर्यात, आयात से अधिक होता है तो व्यापार आधिक्य होता है और जब आयात, निर्यात से अधिक होता है तो ‘व्यापार घाटा’ होता है।
- भुगतान संतुलन के अंतर्गत सेवाओं के व्यापार को अदृश्य व्यापार कहा जाता है क्योंकि उसे सीमाओं को पार करते देखा नहीं जा सकता है। अदृश्य व्यापार के अंतर्गत उपदान आय (Factor Income) और गैर-उपदान आय (Non-Factor Income) आते हैं।
- उपदान आय के अंतर्गत विदेशों में हमारी परिसंत्तियों पर ब्याज, लाभ और लाभांश में से भारत में विदेशियों की परिसंपत्तियों से उनकी आय घटाने पर प्राप्त होती है तथा गैर-उपदान आय के अंतर्गत जहाजरानी, बैंकिंग, बीमा, पर्यटन, सॉफ्टवेयर इत्यादि सेवाएँ आती हैं।
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Question 5 of 20
5. Question
1 pointsभुगतान संतुलन के संदर्भ निम्नलिखित में से किन्हें पूंजीखाते के अंतर्गत रखा जाता है–
- विदेशी निवेशकों द्वारा भारत में निवेश करना।
- भारतीय निवेशकों द्वारा विदेशी बंधपत्रों (Bonds) को खरीदना।
- भारत द्वारा विदेशों से ऋण लेना।
- भारत द्वारा विदेशों से हथियार खरीदना।
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये–
Correct
व्याख्या: उपरोक्त में से कथन 1, 2 और 3 सत्य हैं।
भुगतान संतुलन में दो मुख्य खाते होते हैं– चालू खाता और पूंजी खाता। पूंजी खातों में परिसंपत्तियों, जैसे– मुद्रा, स्टॉक, बंधपत्र (Bonds) आदि सभी प्रकार के अंतर्राष्ट्रीय क्रय-विक्रयों का विवरण होता है। जैसे–- विदेशी निवेशकों द्वारा भारत में निवेश करना।
- भारतीयों द्वारा विदेशों में परिसंपत्तियों का क्रय करना।
- भारत द्वारा विदेशियों से ऋण ग्रहण करना।
विदेशियों को जिस किसी भी प्रकार के अंतरण द्वारा अदायगी की जाती है, उसे ‘डेबिट’ में दर्ज़ करते हैं और उसे ऋणात्मक चिह्न दिया जाता है। कोई भी अंतरण जो विदेशियों से प्राप्ति के रूप में प्रविष्ट करते हैं, उसे क्रेडिट में दर्ज़ करते हैं और उसे धनात्मक चिह्न दिया जाता है।
Incorrect
व्याख्या: उपरोक्त में से कथन 1, 2 और 3 सत्य हैं।
भुगतान संतुलन में दो मुख्य खाते होते हैं– चालू खाता और पूंजी खाता। पूंजी खातों में परिसंपत्तियों, जैसे– मुद्रा, स्टॉक, बंधपत्र (Bonds) आदि सभी प्रकार के अंतर्राष्ट्रीय क्रय-विक्रयों का विवरण होता है। जैसे–- विदेशी निवेशकों द्वारा भारत में निवेश करना।
- भारतीयों द्वारा विदेशों में परिसंपत्तियों का क्रय करना।
- भारत द्वारा विदेशियों से ऋण ग्रहण करना।
विदेशियों को जिस किसी भी प्रकार के अंतरण द्वारा अदायगी की जाती है, उसे ‘डेबिट’ में दर्ज़ करते हैं और उसे ऋणात्मक चिह्न दिया जाता है। कोई भी अंतरण जो विदेशियों से प्राप्ति के रूप में प्रविष्ट करते हैं, उसे क्रेडिट में दर्ज़ करते हैं और उसे धनात्मक चिह्न दिया जाता है।
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Question 6 of 20
6. Question
1 pointsनिम्नलिखित में से कौन-सा कथन विनिमय दर का सर्वोत्कृष्ट वर्णन करता है?
Correct
व्याख्या: दूसरे देश की मुद्रा के रूप में प्रथम देश की मुद्रा की कीमत को विनिमय दर कहा जाता है। चूँकि दो करेंसियों के बीच एक प्रतिसाम्य की स्थिति होती है, इसलिये विनिमय दर को दो में से किसी भी प्रकार से परिभाषित किया जा सकता है। पहला, घरेलू मुद्रा के रूप में किसी विदेशी मुद्रा की एक इकाई क्रय में घरेलू मुद्रा की जितनी इकाइयों की आवश्यकता होती है, जैसे- रुपया और डॉलर की विनिमय दर 50 रु॰ है, इसका अर्थ यह है कि 1 डॉलर का क्रय करने के लिए 50 रु॰ की लागत आती है। दूसरे, घरेलू मुद्रा की एक इकाई का क्रय करने के लिये विदेशी करेंसी की लागत के रूप में। उपर्युक्त मामले में हम कहेंगे कि 1 रुपया खरीदने की लागत 2 सेंट होगी। यद्यपि अर्थशास्त्र में पहली परिभाषा ही अधिक प्रचलित व व्यावहारिक है। यह द्विपक्षीय सांकेतिक विनिमय दर है। द्वि-पक्षीय इस अर्थ में है कि यह विनिमय दर किसी एक मुद्रा के लिये दूसरी मुद्रा के रूप में कीमत होती है तथा सांकेतिक इसलिये क्योंकि ये मुद्रा के रूप में विनिमय दर अंकित करती है।
Incorrect
व्याख्या: दूसरे देश की मुद्रा के रूप में प्रथम देश की मुद्रा की कीमत को विनिमय दर कहा जाता है। चूँकि दो करेंसियों के बीच एक प्रतिसाम्य की स्थिति होती है, इसलिये विनिमय दर को दो में से किसी भी प्रकार से परिभाषित किया जा सकता है। पहला, घरेलू मुद्रा के रूप में किसी विदेशी मुद्रा की एक इकाई क्रय में घरेलू मुद्रा की जितनी इकाइयों की आवश्यकता होती है, जैसे- रुपया और डॉलर की विनिमय दर 50 रु॰ है, इसका अर्थ यह है कि 1 डॉलर का क्रय करने के लिए 50 रु॰ की लागत आती है। दूसरे, घरेलू मुद्रा की एक इकाई का क्रय करने के लिये विदेशी करेंसी की लागत के रूप में। उपर्युक्त मामले में हम कहेंगे कि 1 रुपया खरीदने की लागत 2 सेंट होगी। यद्यपि अर्थशास्त्र में पहली परिभाषा ही अधिक प्रचलित व व्यावहारिक है। यह द्विपक्षीय सांकेतिक विनिमय दर है। द्वि-पक्षीय इस अर्थ में है कि यह विनिमय दर किसी एक मुद्रा के लिये दूसरी मुद्रा के रूप में कीमत होती है तथा सांकेतिक इसलिये क्योंकि ये मुद्रा के रूप में विनिमय दर अंकित करती है।
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Question 7 of 20
7. Question
1 pointsनिम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये:- किसी वस्तु की देशी कीमत स्तर और विदेशी कीमत स्तर के अनुपात को वास्तविक विनिमय दर कहते हैं।
- वास्तविक विनिमय दर एक से अधिक होने पर विदेशों की तुलना में देशी वस्तुएँ महँगी होंगी
- किसी देश की अंतर्राष्ट्रीय प्रतिस्पर्द्धा की माप लिये वास्तविक विनिमय दर का प्रयोग किया जाता है।
उपरोक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
Correct
व्याख्या:
- पहला कथन सत्य है। देशी कीमत स्तर और विदेशी कीमत स्तर के बीच के अनुपात को वास्तविक विनिमय दर कहते हैं जिसकी माप एक ही मुद्रा में की जाती है। उदाहरण के लिये यदि कोई व्यक्ति घूमने के लिये विदेश जाता है, तो उसे यह जानना आवश्यक है कि उस जगह पर वस्तुएँ अपने देश की तुलना में कितनी महँगी हैं। इसकी माप वास्तविक विनिमय दर से हो पाती है।
- दूसरा कथन असत्य है। यदि वास्तविक विनिमय दर एक से अधिक है तो अपने देश की तुलना में विदेश में वस्तुएँ अधिक महँगी होंगी।
- तीसरा कथन सत्य है। वास्तविक विनिमय दर का प्रयोग अक्सर किसी देश की अंतर्राष्ट्रीय प्रतिस्पर्द्धा की माप के लिये किया जाता है।
Incorrect
व्याख्या:
- पहला कथन सत्य है। देशी कीमत स्तर और विदेशी कीमत स्तर के बीच के अनुपात को वास्तविक विनिमय दर कहते हैं जिसकी माप एक ही मुद्रा में की जाती है। उदाहरण के लिये यदि कोई व्यक्ति घूमने के लिये विदेश जाता है, तो उसे यह जानना आवश्यक है कि उस जगह पर वस्तुएँ अपने देश की तुलना में कितनी महँगी हैं। इसकी माप वास्तविक विनिमय दर से हो पाती है।
- दूसरा कथन असत्य है। यदि वास्तविक विनिमय दर एक से अधिक है तो अपने देश की तुलना में विदेश में वस्तुएँ अधिक महँगी होंगी।
- तीसरा कथन सत्य है। वास्तविक विनिमय दर का प्रयोग अक्सर किसी देश की अंतर्राष्ट्रीय प्रतिस्पर्द्धा की माप के लिये किया जाता है।
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Question 8 of 20
8. Question
1 pointsनम्य विनिमय दर (Flexible Exchange Rate) के संबंध में नीचे दिये गए कथनों पर विचार कीजिये:
- इसमें विनिमय दर का निर्धारण बाज़ार मांग व पूर्ति की शक्तियों द्वारा होता है।
- केंद्रीय बैंक आवश्यकता पड़ने पर विनिमय दर को प्रत्यक्ष रूप से प्रभावित करने वाला कदम उठा सकता है।
कूट:
Correct
व्याख्या: पहला कथन सत्य है। नम्य विनिमय दर (Flexible Exchange Rate) प्रणाली में विनिमय दर का निर्धारण बाज़ार मांग व पूर्ति की शक्तियों द्वारा होता है।
दूसरा कथन असत्य है। पूर्णरूपेण नम्य विनिमय प्रणाली में केंद्रीय बैंक नियमों के सरल समुच्चय को अपनाते हैं। बैंक विनिमय दर स्तर को प्रत्यक्ष रूप से प्रभावित करने वाला कोई कार्य नहीं करता है। वह विदेशी विनिमय बाज़ार में दखल नहीं देता है।Incorrect
व्याख्या: पहला कथन सत्य है। नम्य विनिमय दर (Flexible Exchange Rate) प्रणाली में विनिमय दर का निर्धारण बाज़ार मांग व पूर्ति की शक्तियों द्वारा होता है।
दूसरा कथन असत्य है। पूर्णरूपेण नम्य विनिमय प्रणाली में केंद्रीय बैंक नियमों के सरल समुच्चय को अपनाते हैं। बैंक विनिमय दर स्तर को प्रत्यक्ष रूप से प्रभावित करने वाला कोई कार्य नहीं करता है। वह विदेशी विनिमय बाज़ार में दखल नहीं देता है। -
Question 9 of 20
9. Question
1 pointsकथन: मुद्रा का अवमूल्यन (Devaluation) निर्यात को बढ़ाने के लिये किया जाता है।
कारण: मुद्रा के अवमूल्यन (Devaluation) के कारण विदेशी बाज़ार में देशी वस्तुएँ सस्ती हो जाती हैं।
कूट:Correct
व्याख्या:
- अवमूल्यन का अर्थ है विदेशी मुद्रा की तुलना में देशी मुद्रा के मूल्य में ह्रास होना। उदाहरण के लिये यदि रुपया-डॉलर विनिमय दर 45 रुपए पर साम्य की स्थिति में थी और अब वह 50 रु. प्रति डॉलर हो गई है तो डॉलर के विरुद्ध रुपए के मूल्य में ह्रास हुआ है।
- रुपए के अवमूल्यन से आयात में कमी आएगी, क्योंकि आयातित वस्तुओं की रुपयों में कीमत अधिक होगी साथ ही विदेशों में वही वस्तुएँ सस्ती होंगी। अत: निर्यात में वृद्धि होगी।
Incorrect
व्याख्या:
- अवमूल्यन का अर्थ है विदेशी मुद्रा की तुलना में देशी मुद्रा के मूल्य में ह्रास होना। उदाहरण के लिये यदि रुपया-डॉलर विनिमय दर 45 रुपए पर साम्य की स्थिति में थी और अब वह 50 रु. प्रति डॉलर हो गई है तो डॉलर के विरुद्ध रुपए के मूल्य में ह्रास हुआ है।
- रुपए के अवमूल्यन से आयात में कमी आएगी, क्योंकि आयातित वस्तुओं की रुपयों में कीमत अधिक होगी साथ ही विदेशों में वही वस्तुएँ सस्ती होंगी। अत: निर्यात में वृद्धि होगी।
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Question 10 of 20
10. Question
1 pointsरुपए की परिवर्तनीयता का तात्पर्य है–
Correct
व्याख्या: प्रशासनिक हस्तक्षेप से मुक्त परिवेश में देशी-विदेशी मुद्राओं के परिवर्तन अर्थात्विनिमय की सुविधा एवं स्वतंत्रता को परिवर्तनीयता कहते हैं।
- रुपए की परिवर्तनीयता का तात्पर्य है रुपए को विदेशी मुद्राओं तथा विदेशी मुद्रा को रुपए में निर्बाध रूप से परिवर्तित किया जा सकता है।
- यह भुगतान संतुलन (BOP) से जुड़ी हुई अवधारणा है। वर्तमान में भारतीय रुपया BOP के चालू खाते पर पूर्ण रूप से परिवर्तनीय है। यह परिवर्तनीयता 1994 से लागू है। पूंजी खाते के संदर्भ में भारतीय रुपया चयनात्मक रूप से परिवर्तनीय है।
Incorrect
व्याख्या: प्रशासनिक हस्तक्षेप से मुक्त परिवेश में देशी-विदेशी मुद्राओं के परिवर्तन अर्थात्विनिमय की सुविधा एवं स्वतंत्रता को परिवर्तनीयता कहते हैं।
- रुपए की परिवर्तनीयता का तात्पर्य है रुपए को विदेशी मुद्राओं तथा विदेशी मुद्रा को रुपए में निर्बाध रूप से परिवर्तित किया जा सकता है।
- यह भुगतान संतुलन (BOP) से जुड़ी हुई अवधारणा है। वर्तमान में भारतीय रुपया BOP के चालू खाते पर पूर्ण रूप से परिवर्तनीय है। यह परिवर्तनीयता 1994 से लागू है। पूंजी खाते के संदर्भ में भारतीय रुपया चयनात्मक रूप से परिवर्तनीय है।
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Question 11 of 20
11. Question
1 pointsनीचे दिये गए कथनों पर विचार कीजिये–
- इस विनिमय दर व्यवस्था में विनिमय दर का निर्धारण सरकार के द्वारा किया जाता है।
- इस विनिमय दर प्रणाली में जब सरकार द्वारा विनिमय दर में वृद्धि की जाती है तो इसे मुद्रा का अवमूल्यन (devaluation) कहते हैं।
उपरोक्त विशेषताएँ किस विनिमय दर प्रणाली से संबंधित हैं–
Correct
व्याख्या: उपरोक्त विशेषताएँ स्थिर विनिमय दर से संबंधित हैं।
Incorrect
व्याख्या: उपरोक्त विशेषताएँ स्थिर विनिमय दर से संबंधित हैं।
-
Question 12 of 20
12. Question
1 pointsब्रेटनवुड्स प्रणाली के अंतर्गत किन अंतर्राष्ट्रीय संगठनों की स्थापना हुई?- अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ)
- विश्व बैंक
- यूनेस्को
- वर्ल्ड वाइड फंड
कूट:
Correct
व्याख्या: 1994 में ब्रेटनवुड्स सम्मेलन में अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) और विश्व बैंक की स्थापना हुई तथा स्थिर विनिमय दर प्रणाली की भी पुनर्स्थापना की गई।
Incorrect
व्याख्या: 1994 में ब्रेटनवुड्स सम्मेलन में अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) और विश्व बैंक की स्थापना हुई तथा स्थिर विनिमय दर प्रणाली की भी पुनर्स्थापना की गई।
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Question 13 of 20
13. Question
1 pointsनिम्नलिखित में से किसे अंतर्राष्ट्रीय करेंसी के रूप में ‘कागजी स्वर्ण’ के नाम से जाना जाता है?
Correct
व्याख्या: 1967 में अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष के नियंत्रण में सोने को अंतर्राष्ट्रीय करेंसी के रूप में विस्थापित करने के लिये विशेष आहरण अधिकार (SDRS) का सृजन किया गया। विभिन्न देशों के केंद्रीय बैंकों के आरक्षित स्टॉक में वृद्धि करने के आशय से विशेष आहरण अधिकार को अंतर्राष्ट्रीय करेंसी के रूप में ‘कागजी स्वर्ण’ के रूप में जाना जाता है। सोने के रूप में परिभाषा में 35 (SDRS) को एक आउंस सोना (ब्रेटनवुड्स पद्धति की डॉलर-सोना की दर) के समान माना गया। 1974 से इसे कई बार पुनर्परिभाषित किया गया है। वर्तमान में प्रतिदिन इसकी गणना पाँच देशों (फ्राँस, जर्मनी, जापान, ब्रिटेन और अमेरिका) की चार करेंसियों (यूरो, डॉलर, जापानी येन, पौंड, स्टर्लिंग) की डॉलर में मूल्य के भारित योग के रूप में होती है।
Incorrect
व्याख्या: 1967 में अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष के नियंत्रण में सोने को अंतर्राष्ट्रीय करेंसी के रूप में विस्थापित करने के लिये विशेष आहरण अधिकार (SDRS) का सृजन किया गया। विभिन्न देशों के केंद्रीय बैंकों के आरक्षित स्टॉक में वृद्धि करने के आशय से विशेष आहरण अधिकार को अंतर्राष्ट्रीय करेंसी के रूप में ‘कागजी स्वर्ण’ के रूप में जाना जाता है। सोने के रूप में परिभाषा में 35 (SDRS) को एक आउंस सोना (ब्रेटनवुड्स पद्धति की डॉलर-सोना की दर) के समान माना गया। 1974 से इसे कई बार पुनर्परिभाषित किया गया है। वर्तमान में प्रतिदिन इसकी गणना पाँच देशों (फ्राँस, जर्मनी, जापान, ब्रिटेन और अमेरिका) की चार करेंसियों (यूरो, डॉलर, जापानी येन, पौंड, स्टर्लिंग) की डॉलर में मूल्य के भारित योग के रूप में होती है।
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Question 14 of 20
14. Question
1 pointsजब किसी अर्थव्यवस्था में व्यापार घाटा और बजटीय घाटा दोनों हों तो उसे कहते हैं–
Correct
व्याख्या: जब किसी भी अर्थव्यवस्था में व्यापार घाटा और बजटीय घाटा दोनों हों तो उसे दोहरा घाटा कहा जाता है।
Incorrect
व्याख्या: जब किसी भी अर्थव्यवस्था में व्यापार घाटा और बजटीय घाटा दोनों हों तो उसे दोहरा घाटा कहा जाता है।
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Question 15 of 20
15. Question
1 pointsनिम्न में से किस वित्तीय वर्ष में भारतीय रुपए का दो बार अवमूल्यन किया गया?
Correct
व्याख्या: भारत में 1 जुलाई, 1991 और 3 जुलाई, 1991 (वित्तीय वर्ष 1991-92) को रुपए में दो चरणों में 18-19 प्रतिशत का अवमूल्यन किया गया तथा मार्च 1992 में दुहरे विनिमय दरों वाली उदारवादी विनिमय दर प्रबंधन व्यवस्था को अपनाया गया।
Incorrect
व्याख्या: भारत में 1 जुलाई, 1991 और 3 जुलाई, 1991 (वित्तीय वर्ष 1991-92) को रुपए में दो चरणों में 18-19 प्रतिशत का अवमूल्यन किया गया तथा मार्च 1992 में दुहरे विनिमय दरों वाली उदारवादी विनिमय दर प्रबंधन व्यवस्था को अपनाया गया।
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Question 16 of 20
16. Question
1 pointsनिम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये:- सार्वजनिक वस्तुएँ बिना किसी भुगतान के मुफ्त में उपलब्ध होती हैं।
- सार्वजनिक वस्तुएँ प्रतिस्पर्धी प्रकृति की होती हैं।
उपरोक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
Correct
न तो 1 और न ही 2
Incorrect
न तो 1 और न ही 2
-
Question 17 of 20
17. Question
1 pointsभारत सरकार द्वारा प्रत्येक वर्ष में प्रस्तुत किये जाने वाले ‘बजट’ का प्रावधान किस अनुच्छेद में है?
Correct
व्याख्या: भारत सरकार की अनुमानित प्राप्तियों और व्ययों का विवरण संसद के समक्ष प्रस्तुत करना अनुच्छेद 112 के तहत एक संवैधानिक अनिवार्यता है। बजट को “डिपार्टमेंट ऑफ इकोनॉमी अफेयर” द्वारा तैयार किया जाता है।
Incorrect
व्याख्या: भारत सरकार की अनुमानित प्राप्तियों और व्ययों का विवरण संसद के समक्ष प्रस्तुत करना अनुच्छेद 112 के तहत एक संवैधानिक अनिवार्यता है। बजट को “डिपार्टमेंट ऑफ इकोनॉमी अफेयर” द्वारा तैयार किया जाता है।
-
Question 18 of 20
18. Question
1 pointsनिम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये:
- सरकार की वे प्राप्तियाँ जिनके लिये सार्वजनिक संपत्तियों को कम करना पड़ता है, राजस्व प्राप्तियाँ कहलाती हैं।
- सरकार की वे सभी प्राप्तियाँ जिसमें न तो दायित्वों (Liabilties) का सृजन होता है और न हि वित्तीय परिसंपत्तियाँ कम होती हैं, पूँजीगत प्राप्तियाँ कहलाती हैं।
उपरोक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
Correct
व्याख्या: उपरोक्त दोनों कथन असत्य हैं।
- भारत सरकार की ऐसी प्राप्तियाँ जो न तो सार्वजनिक देयताओं (Liabilities) को बढ़ाती हैं और न ही सार्वजनिक संपत्तियों (Assets) को कम करती हैं, राजस्व प्राप्तियाँ (Revenue Receipts) कहलाती हैं।
- सरकार की वे सभी प्राप्तियाँ जो दायित्वों का सृजन या वित्तीय परिसंपत्तियों को कम करती हैं, पूँजीगत प्राप्तियाँ (Capital Revenue) कहलाती हैं।
Incorrect
व्याख्या: उपरोक्त दोनों कथन असत्य हैं।
- भारत सरकार की ऐसी प्राप्तियाँ जो न तो सार्वजनिक देयताओं (Liabilities) को बढ़ाती हैं और न ही सार्वजनिक संपत्तियों (Assets) को कम करती हैं, राजस्व प्राप्तियाँ (Revenue Receipts) कहलाती हैं।
- सरकार की वे सभी प्राप्तियाँ जो दायित्वों का सृजन या वित्तीय परिसंपत्तियों को कम करती हैं, पूँजीगत प्राप्तियाँ (Capital Revenue) कहलाती हैं।
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Question 19 of 20
19. Question
1 pointsनिम्नलिखित में से कौन-से प्रत्यक्ष कर (Direct Tax) के उदाहरण हैं?
- व्यक्तिगत आय कर (Income Tax)
- निगम कर (Corporate Tax)
- उत्पाद शुल्क (Excise Duty)
- सेवा शुल्क (Service Duty)
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:
Correct
व्याख्या: प्रत्यक्ष कर (Direct Tax) वे कर होते हैं जिनका बोझ प्रत्यक्ष रूप से व्यक्ति या फर्म (निगम) पर पड़ता है तथा कर भार को किसी और पर नहीं डाला जा सकता है।
उदाहरण के लिये व्यक्तिगत आय कर, निगम कर (Corporate Tax), संपत्ति कर (Wealth Tax) आदि।Incorrect
व्याख्या: प्रत्यक्ष कर (Direct Tax) वे कर होते हैं जिनका बोझ प्रत्यक्ष रूप से व्यक्ति या फर्म (निगम) पर पड़ता है तथा कर भार को किसी और पर नहीं डाला जा सकता है।
उदाहरण के लिये व्यक्तिगत आय कर, निगम कर (Corporate Tax), संपत्ति कर (Wealth Tax) आदि। -
Question 20 of 20
20. Question
1 pointsनिम्नलिखित में से कौन-सा कथन असत्य है?
Correct
व्याख्या: उपरोक्त सभी कथन सत्य हैं।
- राजस्व प्राप्ति के दो महत्त्वपूर्ण घटक हैं- प्रत्यक्ष कर व अप्रत्यक्ष कर। वे कर जहाँ पर कर का बोझ अन्य लोगों पर स्थानांतरित किया जा सके व जहाँ पर करदाता चिन्हित न किया जा सके अप्रत्यक्ष कर कहलाते हैं। जैसे- उत्पाद शुल्क (देश के भीतर उत्पादित वस्तुओं पर लगाए गए शुल्क), सीमा शुल्क (भारत में आयात की जाने वाली अथवा निर्यात की जाने वाली वस्तुओं पर शुल्क), सेवा शुल्क आदि।
- प्रत्यक्ष करों के माध्यम से सरकार को लगभग 55% राजस्व, जबकि अप्रत्यक्ष करों के माध्यम से 45% राजस्व की प्राप्ति होती है। प्रत्यक्ष कर के अंतर्गत संपत्ति कर व उपहार कर द्वारा प्राप्त होने वाले राजस्व का आय में कभी भी बहुत महत्त्व नहीं रहा है। इसलिये इसे ‘कागजी कर’ भी कहा जाता है।
नोट: Union Budget 2016-17 से संपत्ति कर को हटा दिया गया है।
Incorrect
व्याख्या: उपरोक्त सभी कथन सत्य हैं।
- राजस्व प्राप्ति के दो महत्त्वपूर्ण घटक हैं- प्रत्यक्ष कर व अप्रत्यक्ष कर। वे कर जहाँ पर कर का बोझ अन्य लोगों पर स्थानांतरित किया जा सके व जहाँ पर करदाता चिन्हित न किया जा सके अप्रत्यक्ष कर कहलाते हैं। जैसे- उत्पाद शुल्क (देश के भीतर उत्पादित वस्तुओं पर लगाए गए शुल्क), सीमा शुल्क (भारत में आयात की जाने वाली अथवा निर्यात की जाने वाली वस्तुओं पर शुल्क), सेवा शुल्क आदि।
- प्रत्यक्ष करों के माध्यम से सरकार को लगभग 55% राजस्व, जबकि अप्रत्यक्ष करों के माध्यम से 45% राजस्व की प्राप्ति होती है। प्रत्यक्ष कर के अंतर्गत संपत्ति कर व उपहार कर द्वारा प्राप्त होने वाले राजस्व का आय में कभी भी बहुत महत्त्व नहीं रहा है। इसलिये इसे ‘कागजी कर’ भी कहा जाता है।
नोट: Union Budget 2016-17 से संपत्ति कर को हटा दिया गया है।