भौतिक भूगोल के मूल सिद्धांत टेस्ट 9
भौतिक भूगोल के मूल सिद्धांत टेस्ट 9
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इस टेस्ट में सम्मिलित प्रश्न कक्षा 11 की पुस्तक भौतिक भूगोल के मूल सिद्धांत (एन.सी.ई.आर.टी.) पर आधारित है| यदि आप ‘भौतिक भूगोल’ विषय की अधिक जानकारी नहीं रखते है तो इस टेस्ट को देने से पहले आप पुस्तक का रिविजन अवश्य करें|
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Question 1 of 20
1. Question
1 pointsनिम्नलिखित में से किसने सर्वप्रथम यूरोप, अफ्रीका व अमेरिका के साथ स्थित होने की संभावना व्यक्त की थी?
Correct
व्याख्या : अटलांटिक महासागर के दोनों तरफ की तट रेखा में आश्चर्यजनक सममिति है। इसी समानता के कारण बहुत से वैज्ञानिकों ने दक्षिणी व उत्तरी अमेरिका तथा यूरोप व अफ्रीका के एक साथ जुड़े होने की
संभावना को व्यक्त किया था। विज्ञान के इतिहास के ज्ञात अभिलेखों से पता चलता है कि सन् 1596 में एक डच
मानचित्रवेत्ता अब्राहम ऑरटेलियस ने सर्वप्रथम इस संभावना को व्यक्त किया था। एनटोनियो पेलेग्रिनी ने एक मानचित्र बनाया, जिसमें तीनों महाद्वीपों को इकट्ठा दिखाया गया।
Incorrect
व्याख्या : अटलांटिक महासागर के दोनों तरफ की तट रेखा में आश्चर्यजनक सममिति है। इसी समानता के कारण बहुत से वैज्ञानिकों ने दक्षिणी व उत्तरी अमेरिका तथा यूरोप व अफ्रीका के एक साथ जुड़े होने की
संभावना को व्यक्त किया था। विज्ञान के इतिहास के ज्ञात अभिलेखों से पता चलता है कि सन् 1596 में एक डच
मानचित्रवेत्ता अब्राहम ऑरटेलियस ने सर्वप्रथम इस संभावना को व्यक्त किया था। एनटोनियो पेलेग्रिनी ने एक मानचित्र बनाया, जिसमें तीनों महाद्वीपों को इकट्ठा दिखाया गया।
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Question 2 of 20
2. Question
1 pointsमहाद्वीपों एवं महासागरों के वितरण से संबंधित “महाद्वीपीय विस्थापन सिद्धान्त” किस वैज्ञानिक के द्वारा प्रतिपादित किया गया?
Correct
व्याख्या : जर्मन मौसमविद् अल्फ्रेड वेगनर ने “महाद्वीपीय विस्थापन सिद्धान्त” सन् 1912 में प्रतिपादित किया। यह सिद्धान्त महाद्वीप एवं महासागरों के वितरण से ही संबंधित था।
Incorrect
व्याख्या : जर्मन मौसमविद् अल्फ्रेड वेगनर ने “महाद्वीपीय विस्थापन सिद्धान्त” सन् 1912 में प्रतिपादित किया। यह सिद्धान्त महाद्वीप एवं महासागरों के वितरण से ही संबंधित था।
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Question 3 of 20
3. Question
1 pointsनीचे दिये गए कथनों पर विचार कीजिये:
1. वेगनर ने महाद्वीप को पैंजिया का नाम दिया।
2. पैंजिया के विखंडन के फलस्वरूप दक्षिणी भूखंड लारेशिया कहलाया।
उपरोक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?Correct
व्याख्या :
- पहला कथन सत्य है। वेगनर के अनुसार आज के सभी महाद्वीप एक अकेले भूखंड के भाग थे तथा यह एक बड़े महासागर से घिरा हुआ था। उन्होंने इस बड़े महाद्वीप को पैंजिया का नाम दिया। पैंजिया का अर्थ है- संपूर्ण पृथ्वी। विशाल महासागर को पैंथालासा कहा, जिसका अर्थ है- जल ही जल।
- दूसरा कथन असत्य है। वेगनर के तर्क के अनुसार लगभग 20 करोड़ वर्ष पहले इस बड़े महाद्वीप पैंजिया का विभाजन आरंभ हुआ। पैंजिया के विखंडन के फलस्वरूप दक्षिणी भूखंड गोंडवाना लैंड तथा उत्तरी भूखंड लारेशिया के रूप में विभक्त हुआ।
Incorrect
व्याख्या :
- पहला कथन सत्य है। वेगनर के अनुसार आज के सभी महाद्वीप एक अकेले भूखंड के भाग थे तथा यह एक बड़े महासागर से घिरा हुआ था। उन्होंने इस बड़े महाद्वीप को पैंजिया का नाम दिया। पैंजिया का अर्थ है- संपूर्ण पृथ्वी। विशाल महासागर को पैंथालासा कहा, जिसका अर्थ है- जल ही जल।
- दूसरा कथन असत्य है। वेगनर के तर्क के अनुसार लगभग 20 करोड़ वर्ष पहले इस बड़े महाद्वीप पैंजिया का विभाजन आरंभ हुआ। पैंजिया के विखंडन के फलस्वरूप दक्षिणी भूखंड गोंडवाना लैंड तथा उत्तरी भूखंड लारेशिया के रूप में विभक्त हुआ।
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Question 4 of 20
4. Question
1 pointsमहाद्वीपीय विस्थापन के पक्ष में किन प्रमाणों को प्रस्तुत किया जाता है?
1. महाद्वीपों की तट रेखा की साम्यता।
2. महासागरों के पार चट्टानों की आयु में समानता।
3. प्लेसर निक्षेप (Placer deposits)।
4. महासागरों के किनारे ज्वालामुखी क्षेत्र।
कूटःCorrect
व्याख्याः
महाद्वीपीय विस्थापन के पक्ष में निम्नलिखित प्रमाण प्रस्तुत किये जाते हैं-
1. दक्षिणी अमेरिका व अफ्रीका महाद्वीपों की तट रेखाओं में अद्भुत व त्रुटि रहित साम्यता।
2. महासागरों के पार चट्टानों की आयु में समानता, उदाहरण-दक्षिण अमेरिका व अफ्रीका की तट रेखा के साथ पाए जाने वाले आरंभिक समुद्री निक्षेप जुरेसिक काल के हैं।
3. भारत, अफ्रीका, फॉकलैंड द्वीप, मेडागास्कर, अंटार्कटिक और ऑस्ट्रेलिया में टिलाइट की उपस्थिति।
4. घाना (अफ्रीका) के तट पर सोने के प्लेसर निक्षेप पाए जाते हैं, जबकि उद्गम चट्टान अनुपस्थित है। इस प्रकार की मूलभूत चट्टान ब्राज़ील तट पर पाई जाती है।
5. ‘लैमूर’ नामक जीव भारत, मेडागास्कर व अफ्रीका में मिलते हैं। कुछ वैज्ञानिकों ने इन तीनों स्थलखंडों को जोड़कर एक सतत् स्थलमंडल ‘लेमूरिया’ की उपस्थिति को स्वीकारा। अतः जीवाश्म के वितरण द्वारा भी महाद्वीपीय विस्थापन के सिद्धांत को प्रमाणित किया जाता है।Incorrect
व्याख्याः
महाद्वीपीय विस्थापन के पक्ष में निम्नलिखित प्रमाण प्रस्तुत किये जाते हैं-
1. दक्षिणी अमेरिका व अफ्रीका महाद्वीपों की तट रेखाओं में अद्भुत व त्रुटि रहित साम्यता।
2. महासागरों के पार चट्टानों की आयु में समानता, उदाहरण-दक्षिण अमेरिका व अफ्रीका की तट रेखा के साथ पाए जाने वाले आरंभिक समुद्री निक्षेप जुरेसिक काल के हैं।
3. भारत, अफ्रीका, फॉकलैंड द्वीप, मेडागास्कर, अंटार्कटिक और ऑस्ट्रेलिया में टिलाइट की उपस्थिति।
4. घाना (अफ्रीका) के तट पर सोने के प्लेसर निक्षेप पाए जाते हैं, जबकि उद्गम चट्टान अनुपस्थित है। इस प्रकार की मूलभूत चट्टान ब्राज़ील तट पर पाई जाती है।
5. ‘लैमूर’ नामक जीव भारत, मेडागास्कर व अफ्रीका में मिलते हैं। कुछ वैज्ञानिकों ने इन तीनों स्थलखंडों को जोड़कर एक सतत् स्थलमंडल ‘लेमूरिया’ की उपस्थिति को स्वीकारा। अतः जीवाश्म के वितरण द्वारा भी महाद्वीपीय विस्थापन के सिद्धांत को प्रमाणित किया जाता है। -
Question 5 of 20
5. Question
1 pointsनिम्नलिखित में से कौन-सा कथन ‘टिलाइट’ (Tillite) को परिभाषित करता है?
Correct
व्याख्याः टिलाइट वे अवसादी चट्टानें हैं, जो हिमानी निक्षेपण से निर्मित होती हैं। भारत में पाए जाने वाले गोंडवाना श्रेणी के तलछटों के प्रतिरूप दक्षिणी गोलार्द्ध में छः विभिन्न स्थलखंडों से मिलते हैं। गोंडवाना श्रेणी के आधार तल में घने टिलाइट हैं, जो विस्तृत व लंबे समय तक हिमआवरण या हिमाच्छादन की ओर इंगित करते हैं। इसी क्रम के प्रतिरूप भारत के अतिरिक्त अफ्रीका, फॉकलैंड द्वीप, मेडागास्कर, अंटार्कटिक और ऑस्ट्रेलिया में मिलते हैं। हिमानी निर्मित टिलाइट चट्टानें पुरातन जलवायु और महाद्वीपों के विस्थापन के स्पष्ट प्रमाण प्रस्तुत करते हैं।
Incorrect
व्याख्याः टिलाइट वे अवसादी चट्टानें हैं, जो हिमानी निक्षेपण से निर्मित होती हैं। भारत में पाए जाने वाले गोंडवाना श्रेणी के तलछटों के प्रतिरूप दक्षिणी गोलार्द्ध में छः विभिन्न स्थलखंडों से मिलते हैं। गोंडवाना श्रेणी के आधार तल में घने टिलाइट हैं, जो विस्तृत व लंबे समय तक हिमआवरण या हिमाच्छादन की ओर इंगित करते हैं। इसी क्रम के प्रतिरूप भारत के अतिरिक्त अफ्रीका, फॉकलैंड द्वीप, मेडागास्कर, अंटार्कटिक और ऑस्ट्रेलिया में मिलते हैं। हिमानी निर्मित टिलाइट चट्टानें पुरातन जलवायु और महाद्वीपों के विस्थापन के स्पष्ट प्रमाण प्रस्तुत करते हैं।
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Question 6 of 20
6. Question
1 pointsवेगनर के अनुसार महाद्वीपीय विस्थापन के लिये कौन-सा/से बल उत्तरदायी है/हैं?
1. पोलर या ध्रुवीय फ्लीइंग बल (Polar fleeing force)
2. ज्वारीय बल (Tidal force)
3. गुरुत्वाकर्षण बल
4. मैंटल भाग में संवहन धाराओं के द्वारा उत्पन्न बल।
कूटःCorrect
व्याख्याः वेगनर के अनुसार महाद्वीपीय विस्थापन के दो कारण थे-
1. पोलर या ध्रुवीय फ्लीइंग बल (Polar Fleeing Force)
2. ज्वारीय बल (Tidal Force)- ध्रुवीय फ्लीइंग बल पृथ्वी के घूर्णन से संबंधित है। पृथ्वी की आकृति एक संपूर्ण गोले जैसी नहीं है बल्कि यह भूमध्यरेखा पर उभरी हुई है। यह उभार पृथ्वी के घूर्णन के कारण है।
- दूसरा बल है- ज्वारीय बल, जो सूर्य व चंद्रमा के आकर्षण से संबद्ध है, जिससे महासागरों में ज्वार पैदा होते हैं। वेगनर का मानना था कि करोड़ों वर्षों के दौरान ये बल प्रभावशाली होकर विस्थापन के लिये सक्षम हो गए।
Incorrect
व्याख्याः वेगनर के अनुसार महाद्वीपीय विस्थापन के दो कारण थे-
1. पोलर या ध्रुवीय फ्लीइंग बल (Polar Fleeing Force)
2. ज्वारीय बल (Tidal Force)- ध्रुवीय फ्लीइंग बल पृथ्वी के घूर्णन से संबंधित है। पृथ्वी की आकृति एक संपूर्ण गोले जैसी नहीं है बल्कि यह भूमध्यरेखा पर उभरी हुई है। यह उभार पृथ्वी के घूर्णन के कारण है।
- दूसरा बल है- ज्वारीय बल, जो सूर्य व चंद्रमा के आकर्षण से संबद्ध है, जिससे महासागरों में ज्वार पैदा होते हैं। वेगनर का मानना था कि करोड़ों वर्षों के दौरान ये बल प्रभावशाली होकर विस्थापन के लिये सक्षम हो गए।
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Question 7 of 20
7. Question
1 pointsमहाद्वीपों के विस्थापन के संबंध में आर्थर होम्स द्वारा प्रस्तुत संवहन-धारा सिद्धांत (convectional current theory) के संबंध में नीचे दिये गए कथनों पर विचार कीजियेः
1. इस सिद्धांत के तहत पृथ्वी के मैंटल भाग में संवहन-धाराओं के प्रभाव की संभावना व्यक्त की गई।
2. इस सिद्धांत के अनुसार महासागरीय नितल की चट्टानों में सामान्य व उत्क्रमण चुंबकत्व क्षेत्र की पट्टियाँ पाई जाती हैं।
उपरोक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?Correct
व्याख्याः केवल पहला कथन सत्य है। 1930 के दशक में आर्थर होम्स (Arther Holmes) ने पृथ्वी के मैंटल (Mantle) भाग में संवहन-धाराओं के प्रभाव की संभावना व्यक्त की। ये धाराएँ रेडियोएक्टिव तत्त्वों से उत्पन्न ताप भिन्नता से मैंटल भाग में उत्पन्न होती हैं। होम्स ने तर्क दिया कि पूरे मैंटल भाग में इस प्रकार की धाराओं का तंत्र विद्यमान है। यह उन प्रवाह बलों की व्याख्या प्रस्तुत करने का प्रयास था, जिसके आधार पर समकालीन वैज्ञानिकों ने महाद्वीपीय विस्थापन सिद्धांत को नकार दिया।
Incorrect
व्याख्याः केवल पहला कथन सत्य है। 1930 के दशक में आर्थर होम्स (Arther Holmes) ने पृथ्वी के मैंटल (Mantle) भाग में संवहन-धाराओं के प्रभाव की संभावना व्यक्त की। ये धाराएँ रेडियोएक्टिव तत्त्वों से उत्पन्न ताप भिन्नता से मैंटल भाग में उत्पन्न होती हैं। होम्स ने तर्क दिया कि पूरे मैंटल भाग में इस प्रकार की धाराओं का तंत्र विद्यमान है। यह उन प्रवाह बलों की व्याख्या प्रस्तुत करने का प्रयास था, जिसके आधार पर समकालीन वैज्ञानिकों ने महाद्वीपीय विस्थापन सिद्धांत को नकार दिया।
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Question 8 of 20
8. Question
1 pointsनीचे दिये गए कथनों पर विचार कीजियेः
1. समुद्र अधस्तली में जलमग्न पर्वतीय कटकें व गहरी खाइयाँ प्रायः महाद्वीपों के किनारों पर स्थित हैं।
2. महासागरीय चट्टानें, महाद्वीपीय भागों में पाई जाने वाली चट्टानों की अपेक्षा नवीन हैं।
उपरोक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?Correct
व्याख्याः उपरोक्त दोनों कथन सत्य हैं।
- महासागरों की बनावट और आकार पर विस्तृत शोध यह स्पष्ट करते हैं कि महासागरों का अधस्तल एक विस्तृत मैदान नहीं है, वरन् उनमें भी उच्चावच पाया जाता है। महासागर की अधस्तली में जलमग्न पर्वतीय कटकें व गहरी खाइयाँ हैं जो प्रायः महाद्वीपों के किनारों पर स्थित हैं।
- महासागरीय पर्पटी की चट्टानों के काल निर्धारण (Dating) ने यह तथ्य स्पष्ट कर दिया कि महासागरों के नितल की चट्टानें महाद्वीपीय भागों में पाई जाने वाली चट्टानों की अपेक्षा नवीन हैं। महासागरीय कटक के दोनों तरफ की चट्टानें, जो कटक से बराबर दूरी पर स्थित हैं, उनकी आयु व रचना में भी आश्चर्यजनक समानता पाई जाती है।
Incorrect
व्याख्याः उपरोक्त दोनों कथन सत्य हैं।
- महासागरों की बनावट और आकार पर विस्तृत शोध यह स्पष्ट करते हैं कि महासागरों का अधस्तल एक विस्तृत मैदान नहीं है, वरन् उनमें भी उच्चावच पाया जाता है। महासागर की अधस्तली में जलमग्न पर्वतीय कटकें व गहरी खाइयाँ हैं जो प्रायः महाद्वीपों के किनारों पर स्थित हैं।
- महासागरीय पर्पटी की चट्टानों के काल निर्धारण (Dating) ने यह तथ्य स्पष्ट कर दिया कि महासागरों के नितल की चट्टानें महाद्वीपीय भागों में पाई जाने वाली चट्टानों की अपेक्षा नवीन हैं। महासागरीय कटक के दोनों तरफ की चट्टानें, जो कटक से बराबर दूरी पर स्थित हैं, उनकी आयु व रचना में भी आश्चर्यजनक समानता पाई जाती है।
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Question 9 of 20
9. Question
1 points“रिंग ऑफ फायर” (Ring of fire) किस महासागर की विशेषता है?
Correct
व्याख्याः प्रशांत महासागर के किनारों को सक्रिय ज्वालामुखी क्षेत्र होने के कारण ‘रिंग ऑफ फायर’ भी कहा जाता है।
Incorrect
व्याख्याः प्रशांत महासागर के किनारों को सक्रिय ज्वालामुखी क्षेत्र होने के कारण ‘रिंग ऑफ फायर’ भी कहा जाता है।
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Question 10 of 20
10. Question
1 points‘सागरीय अधस्तल सिद्धांत’ (Sea floor spreading) की व्याख्या करते हुए हेस ने किस अवधारणा पर विचार नहीं किया?
Correct
व्याख्याः हेस ने 1961 में एक परिकल्पना प्रस्तुत की, जिसे ‘सागरीय अधस्तल विस्तार’ के नाम से जाना जाता है। इस परिकल्पना का प्रमुख आधार था-
1. मध्य-महासागरीय कटकों के साथ-साथ ज्वालामुखी उद्गार एक सामान्य क्रिया है और ये उद्गार इस क्षेत्र में बड़ी मात्रा में लावा बाहर निकालते हैं।
2. महासागरीय कटक के मध्य भाग के दोनों तरफ समान दूरी पर पाई जाने वाली चट्टानों के निर्माण समय, संरचना, संगठन और चुम्बकीय गुणों में समानता पाई जाती है।
3. महासागरीय पर्पटी की चट्टानें महाद्वीपीय पर्पटी की चट्टानों की अपेक्षा अधिक नई हैं।
4. गहरी खाइयों में भूकंप उद्गम केंद्र अधिक गहराई पर है, जबकि मध्य-महासागरीय कटकों के क्षेत्र में भूकंप उद्गम केंद्र कम गहराई में है।Incorrect
व्याख्याः हेस ने 1961 में एक परिकल्पना प्रस्तुत की, जिसे ‘सागरीय अधस्तल विस्तार’ के नाम से जाना जाता है। इस परिकल्पना का प्रमुख आधार था-
1. मध्य-महासागरीय कटकों के साथ-साथ ज्वालामुखी उद्गार एक सामान्य क्रिया है और ये उद्गार इस क्षेत्र में बड़ी मात्रा में लावा बाहर निकालते हैं।
2. महासागरीय कटक के मध्य भाग के दोनों तरफ समान दूरी पर पाई जाने वाली चट्टानों के निर्माण समय, संरचना, संगठन और चुम्बकीय गुणों में समानता पाई जाती है।
3. महासागरीय पर्पटी की चट्टानें महाद्वीपीय पर्पटी की चट्टानों की अपेक्षा अधिक नई हैं।
4. गहरी खाइयों में भूकंप उद्गम केंद्र अधिक गहराई पर है, जबकि मध्य-महासागरीय कटकों के क्षेत्र में भूकंप उद्गम केंद्र कम गहराई में है। -
Question 11 of 20
11. Question
1 pointsनिम्नलिखित में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
1. मैक्कैन्जी, पारकर और मोरगन ने ‘प्लेट विवर्तनिकी’ की अवधारणा प्रस्तुत की।
2. विवर्तनिकी प्लेट महाद्वीपीय व महासागरीय स्थलमंडलों से मिलकर बना है।
3. महासागरीय स्थलमंडल प्लेट की मोटाई, महाद्वीपीय स्थलमंडल प्लेट से अधिक है।
कूटःCorrect
व्याख्याः
- पहला कथन सत्य है। सागरीय तल विस्तार अवधारणा के पश्चात् विद्वानों की महाद्वीपों व महासागरों के वितरण के अध्ययन में फिर से रुचि पैदा हुई। सन् 1967 में मैक्कैन्जी, पारकर और मोरगन ने स्वतंत्र रूप से उपलब्ध विचारों को समन्वित कर अवधारणा प्रस्तुत की, जिसे ‘प्लेट विवर्तनिकी’ (Plate techtonic) कहा गया।
- दूसरा कथन भी सत्य है। एक विवर्तनिक प्लेट (जिसे लियोस्फेरिक प्लेट भी कहा जाता है), ठोस चट्टान का विशाल व अनियमित आकार खंड है, जो महाद्वीपीय व महासागरीय स्थलमंडलों से मिलकर बना है। ये प्लेटें दुर्बलतामंडल (Asthenosphere) पर एक दृढ़ इकाई के रूप में क्षैतिज अवस्था में चलायमान हैं।
- तीसरा कथन असत्य है। स्थलमंडल में पर्पटी एवं ऊपरी मैंटल को सम्मिलित किया जाता है, जिसकी मोटाई महासागरों में 5 से 100 किमी. और महाद्वीपीय भागों में लगभग 200 किमी. है।
Incorrect
व्याख्याः
- पहला कथन सत्य है। सागरीय तल विस्तार अवधारणा के पश्चात् विद्वानों की महाद्वीपों व महासागरों के वितरण के अध्ययन में फिर से रुचि पैदा हुई। सन् 1967 में मैक्कैन्जी, पारकर और मोरगन ने स्वतंत्र रूप से उपलब्ध विचारों को समन्वित कर अवधारणा प्रस्तुत की, जिसे ‘प्लेट विवर्तनिकी’ (Plate techtonic) कहा गया।
- दूसरा कथन भी सत्य है। एक विवर्तनिक प्लेट (जिसे लियोस्फेरिक प्लेट भी कहा जाता है), ठोस चट्टान का विशाल व अनियमित आकार खंड है, जो महाद्वीपीय व महासागरीय स्थलमंडलों से मिलकर बना है। ये प्लेटें दुर्बलतामंडल (Asthenosphere) पर एक दृढ़ इकाई के रूप में क्षैतिज अवस्था में चलायमान हैं।
- तीसरा कथन असत्य है। स्थलमंडल में पर्पटी एवं ऊपरी मैंटल को सम्मिलित किया जाता है, जिसकी मोटाई महासागरों में 5 से 100 किमी. और महाद्वीपीय भागों में लगभग 200 किमी. है।
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Question 12 of 20
12. Question
1 points‘प्लेट विवर्तनिकी सिद्धांत’ के संबंध में नीचे दिये गए कथनों पर विचार कीजियेः
1. इस सिद्धांत के अनुसार पृथ्वी का स्थलमंडल सात मुख्य प्लेटों में विभक्त है।
2. मुख्य प्लेटें केवल नवीन वलित पर्वतों के द्वारा सीमांकित होती हैं।
उपरोक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?Correct
व्याख्याः केवल पहला कथन सत्य है। प्लेट विवर्तनिकी के सिद्धांत के अनुसार पृथ्वी का स्थलमंडल सात मुख्य प्लेटों व कुछ छोटी प्लेटों में विभक्त है। नवीन वलित पर्वत श्रेणियाँ, खाइयाँ और भ्रंश इन मुख्य प्लेटों को सीमांकित करते हैं।
Incorrect
व्याख्याः केवल पहला कथन सत्य है। प्लेट विवर्तनिकी के सिद्धांत के अनुसार पृथ्वी का स्थलमंडल सात मुख्य प्लेटों व कुछ छोटी प्लेटों में विभक्त है। नवीन वलित पर्वत श्रेणियाँ, खाइयाँ और भ्रंश इन मुख्य प्लेटों को सीमांकित करते हैं।
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Question 13 of 20
13. Question
1 pointsनिम्नलिखित में कौन-सी बड़ी प्लेट नहीं है?
Correct
व्याख्याः नज़का प्लेट एक महत्त्वपूर्ण छोटी प्लेट है, जो दक्षिण अमेरिका व प्रशांत महासागरीय प्लेट के बीच स्थित है। प्लेट विवर्तनिकी सिद्धांत के अनुसार पृथ्वी का स्थलमंडल सात मुख्य प्लेटों में विभक्त है-
1. अंटार्कटिक प्लेट
2. उत्तर अमेरिकी प्लेट
3. दक्षिण अमेरिकी प्लेट
4. प्रशांत महासागरीय प्लेट
5. इंडो-ऑस्ट्रेलियन-न्यूज़ीलैंड प्लेट
6. अफ्रीका प्लेट
7. यूरेशियाई प्लेटIncorrect
व्याख्याः नज़का प्लेट एक महत्त्वपूर्ण छोटी प्लेट है, जो दक्षिण अमेरिका व प्रशांत महासागरीय प्लेट के बीच स्थित है। प्लेट विवर्तनिकी सिद्धांत के अनुसार पृथ्वी का स्थलमंडल सात मुख्य प्लेटों में विभक्त है-
1. अंटार्कटिक प्लेट
2. उत्तर अमेरिकी प्लेट
3. दक्षिण अमेरिकी प्लेट
4. प्रशांत महासागरीय प्लेट
5. इंडो-ऑस्ट्रेलियन-न्यूज़ीलैंड प्लेट
6. अफ्रीका प्लेट
7. यूरेशियाई प्लेट -
Question 14 of 20
14. Question
1 pointsप्लेट विवर्तनिकी सिद्धांत के अनुसार पृथ्वी के स्थलमंडल को सात मुख्य प्लेटों व कुछ छोटी प्लेटों में विभक्त किया गया है। निम्नलिखित में से कौन-सी छोटी प्लेटों के उदाहरण हैं?
1. कोकोस प्लेट
2. अरेबियन प्लेट
3. उत्तरी अमेरिकी प्लेट
4. फ्यूजी प्लेट
कूटःCorrect
व्याख्याः प्लेट विवर्तनिकी सिद्धांत के अनुसार कुछ महत्त्वपूर्ण छोटी प्लेटें निम्नलिखित हैं-
1. कोकोस प्लेट
2. नज़का प्लेट
3. अरेबियन प्लेट
4. फिलिपीन प्लेट
5. कैरोलिन प्लेट
6. फ्यूजी प्लेटIncorrect
व्याख्याः प्लेट विवर्तनिकी सिद्धांत के अनुसार कुछ महत्त्वपूर्ण छोटी प्लेटें निम्नलिखित हैं-
1. कोकोस प्लेट
2. नज़का प्लेट
3. अरेबियन प्लेट
4. फिलिपीन प्लेट
5. कैरोलिन प्लेट
6. फ्यूजी प्लेट -
Question 15 of 20
15. Question
1 pointsप्लेट संचरण के फलस्वरूप बनने वाली प्लेट सीमाओं के संबंध में नीचे दिये गए कथनों में से कौन-सा असत्य है?
Correct
व्याख्याः कथन (d) गलत है। प्लेट संचरण के फलस्वरूप तीन प्रकार की प्लेट सीमाएँ बनती हैं-
1. अपसारी सीमा (Divergent Boundaries)
2. अभिसरण सीमा (Convergent Boundaries)
3. रूपांतर सीमा (Transform Boundaries)जहाँ न तो नई पर्पटी का निर्माण होता है और न ही पर्पटी का विनाश होता है, उन्हें रूपांतर सीमा कहते हैं। इसका कारण है कि इस सीमा पर प्लेटें एक-दूसरे के साथ-साथ क्षैतिज दिशा में सरक जाती हैं। रूपांतर भ्रंश (Transform Faults) दो प्लेटों को अलग करने वाले तल हैं, जो सामान्यतः मध्य-महासागरीय कटकों से लंबवत् स्थिति में पाए जाते हैं।
Incorrect
व्याख्याः कथन (d) गलत है। प्लेट संचरण के फलस्वरूप तीन प्रकार की प्लेट सीमाएँ बनती हैं-
1. अपसारी सीमा (Divergent Boundaries)
2. अभिसरण सीमा (Convergent Boundaries)
3. रूपांतर सीमा (Transform Boundaries)जहाँ न तो नई पर्पटी का निर्माण होता है और न ही पर्पटी का विनाश होता है, उन्हें रूपांतर सीमा कहते हैं। इसका कारण है कि इस सीमा पर प्लेटें एक-दूसरे के साथ-साथ क्षैतिज दिशा में सरक जाती हैं। रूपांतर भ्रंश (Transform Faults) दो प्लेटों को अलग करने वाले तल हैं, जो सामान्यतः मध्य-महासागरीय कटकों से लंबवत् स्थिति में पाए जाते हैं।
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Question 16 of 20
16. Question
1 pointsहिमालय पर्वतों के साथ भारतीय प्लेट की सीमा किस तरह की प्लेट सीमा है?
Correct
व्याख्याः हिमालय पर्वत श्रेणियों के साथ भारतीय प्लेट की सीमा महाद्वीपीय-महाद्वीपीय अभिसरण के रूप में है।
Incorrect
व्याख्याः हिमालय पर्वत श्रेणियों के साथ भारतीय प्लेट की सीमा महाद्वीपीय-महाद्वीपीय अभिसरण के रूप में है।
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Question 17 of 20
17. Question
1 pointsनिम्नलिखित में से कौन-से प्रत्यक्ष स्रोत पृथ्वी की आंतरिक संरचना के विषय में जानकारी प्रदान करते हैं?
1. धरातलीय चट्टान
2. ज्वालामुखी उद्गार
3. भूकंपीय क्रियाएँ
4. उल्का पिंड
कूटःCorrect
व्याख्याः
- पृथ्वी की आंतरिक संरचना के विषय में जानकारी प्राप्त करने के प्रत्यक्ष स्रोत- धरातलीय चट्टान, पृथ्वी की गहरी खुदाई से प्राप्त पदार्थ तथा ज्वालामुखी उद्गार हैं।
- पृथ्वी पर सबसे आसानी से उपलब्ध प्रत्यक्ष स्रोत ठोस पदार्थ धरातलीय चट्टानें हैं अथवा वे चट्टानें जो हम खनन क्षेत्रों से प्राप्त करते हैं। पृथ्वी की अधिक गहराई में जा पाना असंभव है, क्योंकि गहराई बढ़ने के साथ-साथ तापमान में भी वृद्धि होती है। खनन के अतिरिक्त वैज्ञानिक, विभिन्न परियोजनाओं के अंतर्गत पृथ्वी की आंतरिक स्थिति को जानने के लिये पर्पटी में गहराई तक छानबीन कर रहे हैं।
- विश्व भर के वैज्ञानिक दो मुख्य परियोजनाओं पर काम कर रहे हैं। पहली, गहरे समुद्र में प्रवेधन (Deep Ocean drilling Project) व दूसरी समन्वित महासागरीय प्रवेधन परियोजना (Integrated Ocean drilling Project)। इन परियोजनाओं तथा बहुत-सी अन्य गहरी खुदाई परियोजनाओं के अंतर्गत विभिन्न गहराई से प्राप्त पदार्थों के विश्लेषण से हमें पृथ्वी की आंतरिक संरचना से संबंधित असाधारण जानकारी प्राप्त हुई है।
- ज्वालामुखी उद्गार प्रत्यक्ष जानकारी का एक अन्य स्रोत है। जब भी ज्वालामुखी उद्गार से लावा पृथ्वी के धरातल पर आता है, यह प्रयोगशाला अन्वेषण के लिये उपलब्ध होता है।
Incorrect
व्याख्याः
- पृथ्वी की आंतरिक संरचना के विषय में जानकारी प्राप्त करने के प्रत्यक्ष स्रोत- धरातलीय चट्टान, पृथ्वी की गहरी खुदाई से प्राप्त पदार्थ तथा ज्वालामुखी उद्गार हैं।
- पृथ्वी पर सबसे आसानी से उपलब्ध प्रत्यक्ष स्रोत ठोस पदार्थ धरातलीय चट्टानें हैं अथवा वे चट्टानें जो हम खनन क्षेत्रों से प्राप्त करते हैं। पृथ्वी की अधिक गहराई में जा पाना असंभव है, क्योंकि गहराई बढ़ने के साथ-साथ तापमान में भी वृद्धि होती है। खनन के अतिरिक्त वैज्ञानिक, विभिन्न परियोजनाओं के अंतर्गत पृथ्वी की आंतरिक स्थिति को जानने के लिये पर्पटी में गहराई तक छानबीन कर रहे हैं।
- विश्व भर के वैज्ञानिक दो मुख्य परियोजनाओं पर काम कर रहे हैं। पहली, गहरे समुद्र में प्रवेधन (Deep Ocean drilling Project) व दूसरी समन्वित महासागरीय प्रवेधन परियोजना (Integrated Ocean drilling Project)। इन परियोजनाओं तथा बहुत-सी अन्य गहरी खुदाई परियोजनाओं के अंतर्गत विभिन्न गहराई से प्राप्त पदार्थों के विश्लेषण से हमें पृथ्वी की आंतरिक संरचना से संबंधित असाधारण जानकारी प्राप्त हुई है।
- ज्वालामुखी उद्गार प्रत्यक्ष जानकारी का एक अन्य स्रोत है। जब भी ज्वालामुखी उद्गार से लावा पृथ्वी के धरातल पर आता है, यह प्रयोगशाला अन्वेषण के लिये उपलब्ध होता है।
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Question 18 of 20
18. Question
1 pointsनिम्नलिखित में से कौन-से पृथ्वी की आंतरिक संरचना की जानकारी प्राप्त करने के अप्रत्यक्ष स्रोत हैं?
1. उल्का पिंड
2. गुरुत्वाकर्षण
3. चुम्बकीय क्षेत्र
4. भूकंप
कूटःCorrect
व्याख्याः
- पृथ्वी की आंतरिक संरचना के विषय में जानकारी प्राप्त करने के अप्रत्यक्ष स्रोत हैं- पृथ्वी के आंतरिक पदार्थ के गुणधर्म का विश्लेषण, उल्का पिंड, गुरुत्वाकर्षण, चुम्बकीय क्षेत्र व भूकंप।
- पदार्थ के गुणधर्म के विश्लेषण से पृथ्वी के आंतरिक भाग की अप्रत्यक्ष जानकारी प्राप्त होती है। खनन क्रिया के दौरान पृथ्वी के धरातल में गहराई बढ़ने के साथ-साथ तापमान एवं दाब में वृद्धि होती है। इतना ही नहीं, गहराई बढ़ने के साथ-साथ पदार्थ का घनत्व भी बढ़ता है। तापमान, दाब व घनत्व में इस परिवर्तन की दर को आँका जा सकता है। वैज्ञानिकों ने पृथ्वी की कुल मोटाई को ध्यान में रखते हुए विभिन्न गहराइयों पर पदार्थ के तापमान, दाब एवं घनत्व के मान को अनुमानित किया है। उल्का पिंड पृथ्वी की आंतरिक जानकारी प्राप्त करने के अन्य स्रोत हैं। उल्काओं से प्राप्त पदार्थ और उनकी संरचना पृथ्वी से मिलती-जुलती है। उल्काएँ वैसे ही पदार्थ से बने ठोस पिंड हैं, जिनसे हमारा ग्रह (पृथ्वी) बना है।
- अन्य अप्रत्यक्ष स्रोतों में गुरुत्वाकर्षण, चुंबकीय क्षेत्र व भूकंप संबंधी क्रियाएँ शामिल हैं।
Incorrect
व्याख्याः
- पृथ्वी की आंतरिक संरचना के विषय में जानकारी प्राप्त करने के अप्रत्यक्ष स्रोत हैं- पृथ्वी के आंतरिक पदार्थ के गुणधर्म का विश्लेषण, उल्का पिंड, गुरुत्वाकर्षण, चुम्बकीय क्षेत्र व भूकंप।
- पदार्थ के गुणधर्म के विश्लेषण से पृथ्वी के आंतरिक भाग की अप्रत्यक्ष जानकारी प्राप्त होती है। खनन क्रिया के दौरान पृथ्वी के धरातल में गहराई बढ़ने के साथ-साथ तापमान एवं दाब में वृद्धि होती है। इतना ही नहीं, गहराई बढ़ने के साथ-साथ पदार्थ का घनत्व भी बढ़ता है। तापमान, दाब व घनत्व में इस परिवर्तन की दर को आँका जा सकता है। वैज्ञानिकों ने पृथ्वी की कुल मोटाई को ध्यान में रखते हुए विभिन्न गहराइयों पर पदार्थ के तापमान, दाब एवं घनत्व के मान को अनुमानित किया है। उल्का पिंड पृथ्वी की आंतरिक जानकारी प्राप्त करने के अन्य स्रोत हैं। उल्काओं से प्राप्त पदार्थ और उनकी संरचना पृथ्वी से मिलती-जुलती है। उल्काएँ वैसे ही पदार्थ से बने ठोस पिंड हैं, जिनसे हमारा ग्रह (पृथ्वी) बना है।
- अन्य अप्रत्यक्ष स्रोतों में गुरुत्वाकर्षण, चुंबकीय क्षेत्र व भूकंप संबंधी क्रियाएँ शामिल हैं।
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Question 19 of 20
19. Question
1 pointsकथनः गुरुत्वाकर्षण का मान ध्रुवों पर अधिक होता है एवं भूमध्य रेखा पर कम होता है।
कारणः पृथ्वी के अंदर धरातल में गहराई बढ़ने के साथ तापमान, दाब व घनत्व में वृद्धि होती है।
कूटःCorrect
व्याख्याः
- पृथ्वी के धरातल पर विभिन्न अक्षांशों पर गुरुत्वाकर्षण बल एकसमान नहीं होता है। गुरुत्वाकर्षण बल का मान ध्रुवों पर अधिक एवं भूमध्य रेखा पर कम होता है। पृथ्वी के केंद्र से भूमध्य रेखा की दूरी अधिक एवं ध्रुवों की कम होती है, इसलिये गुरुत्वाकर्षण का मान ध्रुवों पर भूमध्य रेखा की अपेक्षा अधिक होता है।
- गुरुत्व का मान पदार्थ के द्रव्यमान के अनुसार बदलता है। पृथ्वी के भीतर पदार्थों का असमान वितरण भी इस भिन्नता को प्रभावित करता है।
Incorrect
व्याख्याः
- पृथ्वी के धरातल पर विभिन्न अक्षांशों पर गुरुत्वाकर्षण बल एकसमान नहीं होता है। गुरुत्वाकर्षण बल का मान ध्रुवों पर अधिक एवं भूमध्य रेखा पर कम होता है। पृथ्वी के केंद्र से भूमध्य रेखा की दूरी अधिक एवं ध्रुवों की कम होती है, इसलिये गुरुत्वाकर्षण का मान ध्रुवों पर भूमध्य रेखा की अपेक्षा अधिक होता है।
- गुरुत्व का मान पदार्थ के द्रव्यमान के अनुसार बदलता है। पृथ्वी के भीतर पदार्थों का असमान वितरण भी इस भिन्नता को प्रभावित करता है।
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Question 20 of 20
20. Question
1 pointsनिम्नलिखित कथनों पर विचार कीजियेः
1. पृथ्वी के आंतरिक भाग से ऊर्जा निकलने के कारण भूकंपीय तरंगें उत्पन्न होती हैं।
2. पृथ्वी का वह स्थान जहाँ से ऊर्जा निकलती है अधिकेंद्र (Epicentre) कहलाता है।
3. सबसे पहले भूकंपीय तरंगों को उद्गम केंद्र (Focus) पर महसूस किया जाता है।
उपरोक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?Correct
व्याख्याः
- पहला कथन सत्य है। साधारण भाषा में भूकंप का अर्थ है- पृथ्वी का कंपन। यह एक प्राकृतिक घटना है। पृथ्वी के अंदर से ऊर्जा निकलने के कारण तरंगें उत्पन्न होती हैं जो सभी दिशाओं में फैलकर भूकंप लाती हैं। प्रायः भ्रंश के किनारों से ही ऊर्जा निकलती है। भूपर्पटी की शैलों में गहन दरारें ही भ्रंश होती हैं।
- दूसरा कथन गलत है। वह स्थान जहाँ से ऊर्जा निकलती है भूकंप का उद्गम केंद्र (Focus) कहलाता है। इसे अवकेंद्र (Hypocentre) भी कहा जाता है। ऊर्जा तरंगें अलग-अलग दिशाओं में चलती हुई पृथ्वी की सतह तक पहुँचती हैं। भू-तल पर वह बिंदु जो उद्गम केंद्र के समीपतम होता है, अधिकेंद्र (Epicentre) कहलाता है।
- तीसरा कथन गलत है। अधिकेंद्र पर सबसे पहले भूकंपीय तरंग को महसूस किया जाता है। अधिकेंद्र, उद्गम केंद्र के ठीक ऊपर (90º के कोण पर) होता है।
Incorrect
व्याख्याः
- पहला कथन सत्य है। साधारण भाषा में भूकंप का अर्थ है- पृथ्वी का कंपन। यह एक प्राकृतिक घटना है। पृथ्वी के अंदर से ऊर्जा निकलने के कारण तरंगें उत्पन्न होती हैं जो सभी दिशाओं में फैलकर भूकंप लाती हैं। प्रायः भ्रंश के किनारों से ही ऊर्जा निकलती है। भूपर्पटी की शैलों में गहन दरारें ही भ्रंश होती हैं।
- दूसरा कथन गलत है। वह स्थान जहाँ से ऊर्जा निकलती है भूकंप का उद्गम केंद्र (Focus) कहलाता है। इसे अवकेंद्र (Hypocentre) भी कहा जाता है। ऊर्जा तरंगें अलग-अलग दिशाओं में चलती हुई पृथ्वी की सतह तक पहुँचती हैं। भू-तल पर वह बिंदु जो उद्गम केंद्र के समीपतम होता है, अधिकेंद्र (Epicentre) कहलाता है।
- तीसरा कथन गलत है। अधिकेंद्र पर सबसे पहले भूकंपीय तरंग को महसूस किया जाता है। अधिकेंद्र, उद्गम केंद्र के ठीक ऊपर (90º के कोण पर) होता है।
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