ह्रास दर की अवधारणा की व्याख्या : वायुमंडलीय स्थिरता के साथ इसके संबंधों का परीक्षण
प्रश्न: ह्रास दर की अवधारणा की व्याख्या करते हुए, वायुमंडलीय स्थिरता के साथ इसके संबंधों का परीक्षण कीजिए।
दृष्टिकोण
- ह्रास दर क्या है इसकी व्याख्या कीजिए तथा इसके प्रकारों पर प्रकाश डालिए।
- ग्राफ एवं समीकरणों का प्रयोग करते हुए वायुमंडलीय स्थिरता/अस्थिरता के साथ इसके संबंधों का विस्तार से वर्णन कीजिए।
उत्तर
पृथ्वी के वायुमंडल में वायु के ऊपर की ओर गमन करने पर प्रेक्षित तापमान की दर में परिवर्तन को ह्रास दर कहा जाता है। ऊंचाई में वृद्धि के साथ तापमान के घटने पर इसे धनात्मक, तापमान के स्थिर रहने पर शून्य तथा ऊंचाई बढ़ने के साथ-साथ तापमान में भी वृद्धि होने पर ऋणात्मक माना जाता है (तापमान व्युत्क्रमण)।
ह्रास दरों के प्रकार:
- पर्यावरणीय ह्रास दर (ELR): यह भू-सतह से ऊंचाई के साथ-साथ तापमान में वास्तविक परिमित गिरावट होती है (ह्वास की वास्तविक रूप से सम्पन्न दर न कि सैद्धांतिक दर)। सामान्यतः यह ह्वास दर प्रति 1000 मीटर पर 6.5 डिग्री सेल्सियस होती है। यह दर परिवर्तनशील होती है तथा वाय् की स्थानीय दशा पर भी निर्भर करती है।
- रुद्धोष्म ह्रास दर (ALR): जब वायु राशि का एक खंड रुद्धोष्म (स्थिर ऊष्मा के साथ) रूप से ऊपर उठता है तो यह एक रुद्धोष्म ह्रास दर पर शीतल होता है। रुद्धोष्म वे प्रक्रियाएं होती हैं जहाँ तंत्र और पर्यावरण के मध्य ऊष्मा का कोई आदानप्रदान नहीं होता। विशिष्ट भौतिक गुणों (तापमान तथा आर्द्रता) के कारण इस वायु खंड को आस-पास के वातावरण से सापेक्षिक रूप से पृथक समझा जा सकता है। जब यह वायु ऊपर उठती है तो इसका प्रसार हो जाता है तथा प्रसार की यह ऊर्जा उस खंड की वायु के अणुओं से व्युत्पन्न होती है। अणुओं की ऊर्जा का लोप हो जाता है तथा इस प्रकार वायु राशि ऊपर उठने तथा फैलने के कारण ठंडी हो जाती है। वायु राशि की संतृप्तता के आधार पर, ALR दो प्रकार के होते हैं:
- शुष्क रुद्धोष्म ह्रास दर (DALR): यह रुद्धोष्म रूप से ऊपर उठ रहे एक शुष्क वायु खंड में ऊंचाई के साथ तापमान में कमी की दर है। चूंकि ऊपर उठते वायु खंड में अल्प आर्द्रता विद्यमान होती है अत: इसी कारण उत्थान के दौरान संघनन भी कम होता है। इसलिए संघनन की गुप्त ऊष्मा भी न्यून मात्रा के साथ निर्मुक्त होती है (भीतर अन्तर्निहित ऊष्मा अपेक्षाकृत कम होती है)। परिणामस्वरूप, ऊंचाई के साथ-साथ तापमान में कमी ELR (वायु के सामान्य खंड) की तुलना में अधिक होती है। वायु खंड के शीतल होने की दर प्रति 1000 मीटर पर 9.8 डिग्री सेल्सियस की दर पर स्थिर रहती है।
- आर्द्र/नम रुद्धोष्म ह्रास दर (WALR): आर्द्र ह्रास दर के अंतर्गत इस तथ्य को ध्यान में रखा जाता है कि जल की संघनन क्रिया के दौरान ऊर्जा निर्मुक्त होती है, जो गुप्त ऊष्मा कहलाती है। इसका तात्पर्य यह है कि वायु के ओसांक बिंदु तक शीतल होने तथा संघनन प्रक्रिया के आरम्भ होने की दशा में, वायु खंड के शीतलन की क्रिया अति मंद गति से होती रहती है।
- औसत संतृप्त रुद्धोष्म ह्रास दर प्रति 1000 मीटर पर 4.5 डिग्री सेल्सियस होती है। वायु खंड से आर्द्रता के संघनित होने की दशा में वायु शुष्क हो जाती है तथा तत्पश्चात तीव्रतर DALR की दर से शीतल हो जाती है। वायुमंडलीय स्थिरता/अस्थिरता किसी वायु खंड के ऊपर उठने तथा वायुमंडल में इसके आस-पास के वातावरण के मध्य संबंध से प्रत्यक्ष रूप से संबद्ध होती है। व्यापक रूप से यदि ऊपर उठते समय वायु अपने आस-पास के वातावरण की अपेक्षा अधिक गर्म हो जाती है (जो ELR पर शीतल होती है) तब यह अधिक हल्की हो जाती है तथा स्वतः ही और ऊपर उठ जाती है। यदि यह तीव्रतर गति से शीतल होकर आस-पास के वातावरण की तुलना में अधिक शीतल हो जाए तो यह अपेक्षाकृत अधिक भारी हो जाएगी तथा इसका भू-सतह की ओर अवतलन होना प्रारम्भ हो जाएगा।
ह्रास दर तथा वायुमंडलीय स्थिरता/अस्थिरता के मध्य निम्न प्रकार से संबंध विद्यमान है यथा:
निरपेक्ष स्थिरता: ELR < WALR < DALR
- ELR के ALR से कम होने की दशा में वायु स्थिर रहती है। यदि कोई वायु खंड किसी भी कारण से ऊपर उठता है तो यह ALR के साथ-साथ अपने नए वातावरण की तुलना में निम्नतर तापमान पर शीतल हो जाएगा। इस कारण वायु खंड अपने आस-पास के वातावरण की अपेक्षा अधिक सघन होगा तथा उसकी अपने मूल स्तर पर वापस आने की प्रवृत्ति होगी। दूसरे शब्दों में किसी वायु खंड के ऊपर उठने की स्थिति में इसमें ऋणात्मक प्लवनशीलता का समावेश होने लगता है। इसका अर्थ है कि यह अपनी उस मूल स्थिति में वापस लौटने की ओर प्रवृत्त होता है जहाँ यह वातावरण के साथ साम्य या संतुलन की अवस्था में था।
सापेक्षिक स्थिरता:WALR < ELR < DALR
- इस स्थिति में, ELR DALR से कम होता है, किन्तु WALR से अधिक होता है। वायु तब तक स्थिर होगी जब तक कि इसे उतनी ऊंचाई पर उठने हेतु बाध्य न किया जाए जहाँ संघनन सम्पन्न होता हो तथा जहां पर स्वाभाविक उत्थान प्रक्रिया घटित होती हो।
निरपेक्ष अस्थिरता: ELR> DALR > WALR
- यदि कोई वाय खंड ऊपर उठता है तथा उत्थान बल के लुप्त होने की दशा में भी निरंतर ऊपर बढ़ता जाता है तो वायुमंडल अस्थिर रहता है। किसी अस्थिर परत में, ऊपर उठते हुए वायु खंड की ह्रास दर पर्यावरण के ह्रास दर से कम होती है। यद्यपि वायु खंड ऊपर उठने के दौरान शीतल होता है परन्तु एक अस्थिर परत के माध्यम से इसके आरोहण के दौरान इसका तापमान चतुर्दिक वायु की तुलना में उष्ण ही रहता है। चूँकि उक्त वायु खंड वातावरण की अपेक्षा अधिक उष्ण होता है, इसलिए उस वायु खंड की प्लवनशीलता धनात्मक होती है तथा यह स्वतः ही ऊपर उठता जाता है। इस परिस्थिति के परिणामस्वरूप मेघगर्जन, तड़ित झंझा आदि जैसी अत्यधिक चरम मौसमी दशाएं उत्पन्न होती हैं।
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